Sad Story in Hindi: ‘‘किस से चैटिंग कर रही हो, नीरू?’’ पवन ने चाय की चुसकी लेते हुए पूछा.
‘‘प्रतीक से, मेरे औफिस के कलीग हैं,’’ मोबाइल पर तेजी से टाइप करते हुए नीरू ने कहा.
‘‘थोड़ी देर के लिए चैटिंग नहीं रोक सकती क्या? हम साथ में चाय पीने आए हैं,’’ पवन की आवाज में खीज झलक रही थी.
‘‘वह मेरे कंप्यूटर में सेव प्रेजैंटेशंस का ऐक्सैस मांग रहा है. एकाएक जरूरत पड़ गई है उसे. मैं बस उसे फोल्डर का नाम और पाथ सम झा रही थी,’’ नीरू ने शांत स्वर में कहा.
नीरू ने चाय खत्म की और धीरे से कुरसी से उठ खड़ी हुई. पवन भी साथ उठा और दोनों साथ में रैस्टोरैंट से बाहर निकले.
‘‘ठीक है, फिर मिलते हैं,’’ पवन ने कहा.
‘‘बाय,’’ नीरू ने हाथ हिला कर जवाब दिया और दोनों अपनीअपनी राह चल दिए.
मगर नीरू के मन में हलचल थी. जब से उस ने नई नौकरी शुरू की थी पवन का बरताव बदल गया था. वह हर समय सवाल करता. किस से बात करती हो, किस के साथ काम करती हो? अपने हिसाब से वह नीरू का खयाल रख रहा था. पर खयाल के नाम पर पवन का रवैया धीरेधीरे संशय और संदेह में बदलता जा रहा था.
अब अगले महीने औफिस का औफसाइट ट्रिप होना था. पवन से इस बारे में बताया तो उस ने उसे साफ मना कर दिया, ‘‘मत जाओ, बहुत गंदा माहौल होता है वहां,’’ उस ने कहा.
नीरू ने सम झाया कि यह ट्रिप अनिवार्य है पर पवन ने उलटा सु झाव दे दिया, ‘‘नौकरी ही छोड़ दो फिर. इस झमेले से बच जाओगी.’’
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