Cooking Together: अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बात है. अब क्या ऐसा भी होगा. अरे होगा नहीं, जनाब हो रहा है. आजकल हस्बैंड और वाइफ दोनों ही वर्किंग कपल हैं. फिर ऐसे में पति शाम को आकर टेबल पर पैर पसारकर बैठे और पत्नी ऑफिस से आते ही खाने के इंतज़ाम में लग जाये. ये किस पत्नी को अच्छा लगेगा.
आप ईमानदारी से बताएं कि क्या आप नहीं चाहती कि हफ्ते में कुछ दिन किचन की जिम्मेवारी पति की हो और ऐसा हो भी क्यों ना. आखिर आप दोनों ही शाम को काम से थक कर लौटते हैं. फिर आकर खाना बनाने की जिम्मेवारी पत्नी कि ही क्यों हो? आप भी तो पति के बराबर ही कमा रही है फिर आपको भी आराम क्यों न मिले?
इस पर क्या कहती है हार्वर्ड रिसर्च
हार्वर्ड रिसर्च में दावा: हर दिन पति के लिए किचन में समय बिताने वाली महिलाएं हैं कम खुशहाल. अध्ययन के मुताबिक, जो महिलाएं रोजाना खाना बनाने की जिम्मेदारी निभाती हैं, वे शादीशुदा जीवन में बोरियत महसूस करती हैं. वहीं, साथ मिलकर या बाहर का खाना पसंद करने वाले कपल्स ज्यादा खुश रहते हैं. इस शोध के लिए हार्वड के शोधकर्ताओं ने 12,000 विवाहित जोड़ों पर 15 साल तक नज़र रखी, उसके बाद यह निष्कर्ष निकाला है.
पति के लिए रोजाना खाना बनाने से क्यों नाखुश होती हैं महिलाएं
जब एक महिला रोज अपने पति के लिए खाना बनाती है, तो वह स्वतः ही “सेवा कर्मचारी” की भूमिका में आ जाती है. भले ही उसके पति ने कभी इसके लिए उसे न कहा हो. वह मनोवैज्ञानिक रूप से खुद को खाना बनाने के लिए जिम्मेदार मानने लगती है और घर में एक समान भागीदार की बजाय वह भोजन के माध्यम से “घर में अपनी जगह बनाने” वाली व्यक्ति की तरह महसूस करने लग जाती है. इसके अलावा रोजाना खाना बनाने के कारण पत्नी को ऊबन भी महसूस होने लगती है और एक समय के बाद उसे इस काम को करने में बिलकुल भी खुशी महसूस नहीं होती है और वह चिड़चिड़ा महसूस करने लगती है.
कपल्स को खुश रखती है साथ खाना बनाने की आदत
इस अध्ययन से यह बात पता चला है कि वे कपल्स सबसे ज्यादा खुशहाल जोड़े होते हैं जो या तो साथ मिलकर खाना बनाते हैं, बारी-बारी से खाना बनाते हैं, या पति रसोई संभालता है, या बस खाना बाहर से ऑर्डर करता है. इस शोध में सबसे दिलचस्प बात यह सामने आई है कि पुरुष तब भी ज़्यादा खुश रहते हैं जब उनकी पत्नियां उनके लिए लगातार खाना नहीं बनातीं.
आइये जाने पति पत्नी हफ्ते में 3 -3 दिन खाना बनाने का काम बांट लें तो इसके क्या फ़ायदे हैं.
पत्नी चूं चूं करना बंद कर देगी
मैं क्या पागल हूं जो ऑफिस से आते ही काम में लग जाओ. ये रोने लगभग हर महिला का है. वे खाना बनाती तो हैं लेकिन वे बड़ बड़ वाली रोटियां होती हैं जिन्हे पति भी खाना पसंद नहीं करता इसलिए पति को चाहिए वो पत्नी का रोना सुनने के बजाये खुद भी अपने हाथ हिलाएं इससे एक तो पत्नी की सुनने से बचेगा दूसरा पत्नी भी रिलैक्स रहेगी तो घर में सुकून बना रहेगा.
अपनी पसंद का खाना मिलेगा
पति है खाने पीने का शौकीन उसे लगता है छुट्टी वाले दिन तो कुछ डिफरेंट खाने को मिले. ये सोच कर वो youtube का पिटारा खोल कर बैठ जाता है और पत्नी से फरमाइश कर बैठता है कि यार आज तो कुछ अच्छा बनाकर खिला डॉन पूरा हफ्ता तुमने भागते दौड़ते बेकार कामचलाऊ खाना बनाकर खिलाया है.
बस फिर क्या था खाना तो मिला नहीं उल्टा पत्नी ने पुरे हफ्ते की भड़ास निकल दी. मुझे भी एक ही छुट्टी का दिन मिलता है आराम करने को इसमें साहब की फर्माइशे ही ख़तम नहीं होती. मैं आज कुछ नहीं बनाऊंगी बहार से मंगा लोन ये लगभग हर घर का हाल होता है. इसलिए ऐसा न हो कुछ अच्छे के चक्कर में घर के खाने से भी हाथ धोना पड़ें.
इससे तो अच्छा है छुट्टी के दिन खाने की जिम्मेवारी आप ले लें और बनायें अपनी पसंद का खाना. इससे पत्नी भी खुश होगी और आपको भी पसंद का खाना खाने को मिलेगा. दूसरे, आपकी पाककला में इजाफ़ा होगा सो अलग.
हर चीज organize अपने आप रहने लगेगी
जब पति रेगुलर किचन में खाना बनाएंगे तो उन्हें पता रहेगा कि कौन सी कहाँ होती है पर उसे वहीं पर कैसे वापस रखना है. क्योंकि अगली बार उन्हें वह चीज इस्तेमाल करनी है तो वे उसे सही तरीके से ही रखेंगे. इससे रोज रोज की किचकिच भी ख़तम होगी और यह दर भी कि आज पति किचन में गए हैं तो पुरे किचन का सामान बिखरकर ही आएंगे. अब विो ऐसा नहीं करेंगी क्योंकि उनको भी किचन में काम करने की आदत हो जाएगी.
दोनों बच्चों को समय दे पाएंगे
अगर पत्नी को भी खाना बनाने से कुछ दिन आराम मिलेगा तो वह भी फ्री होकर प्यूरी फॅमिली के साथ टाइम स्पेंड कर पाएंगी. वह भी किचन से निकलकर कुछ और कर पाएगी. दोनों साथ मिलकर बच्चों के साथ गेम अदि खेल पाएंगे और टीवी भी देख पाएंगे.
किचन का काम बांट लेने पर कपल ज्यादा खुश रहते हैं
दरअसल जब कोई महिला अपनी इच्छा से खाना नहीं बनाती है, बल्कि उसे जबरदस्ती ज़िम्मेदारी के रूप में खाना बनाना पड़ता है तो वह हताश और थकान महसूस करने लगती है, जिसका सीधा असर उसके रिश्ते पर पड़ता है. दरअसल जब एक महिला खुद को किचन से दूर रखकर अपने रिश्ते के अन्य पहलुओं और अपने करियर पर ज्यादा ध्यान देती है तो वह ज्यादा खुश रहती है और अपने पति के साथ खुशनुमा समय बिता पाती है, जिससे उसे रिश्ते में खुशी महसूस होती है. परिणामस्वरूप: वह अपने जीवन में ज़्यादा दिलचस्प, ज़्यादा खुश और ज्यादा संतुष्ट रहती है.
आत्मसंतुष्टि भी मिलेगी
खुद से कोई काम करके या म्हणत करके बनाये गए खाने में कोई कमी भी नज़र नहीं आती और साथ ही बच्चों और पत्नी को आये दिन नए व्यंजनों का स्वाद चखा कर आत्मसंतुष्टि की अनुभूति भी कर सकते हैं, तरीफ मिलेगी सो अलग.
पति क्यूँ ना बने आत्मनिर्भर
जब पत्नी मायके जाती है तो अक्सर पति परेशां हो जाते हैं कि इतने दिन वे किचन का काम कैसे मैनेज करेंगे. रोज रोज बहार से खाना लाएं तो वह भी सेहत के लिए ठीक नहीं है. ऐसे में अगर पति को खाना बनाना आता हो तो पतियों में आत्मनिर्भरता भी आएगी. वे कभी मजबूर महसूस नहीं करेंगे. किसी भी परिस्थिति में मनचाहा भोजन बना कर मजे उड़ा सकते हैं.दोस्तों को बुला कर नाना प्रकार के व्यंजन बना कर परोसने पर वे खुश होंगे और उनके बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई जा सकती है. पाक कला में माहिर होना कोई आसान नहीं है अतः दोस्त इस कला में माहिर होने के कारण आपको अलग सम्मान की नजर से देखते हैं.
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