Reel Culture: अकल बड़ी या भैस यह कहावत अब पुरानी हो चुकी है. आजकल एक नई कहावत ट्रेंड में है- अकल बड़ी या बौडी.

आज जहां एक ओर लड़कियां खेल, विज्ञान, मिलिटरी, टैक्नोलौजी, मैनेजमैंट जैसे क्षेत्रों में गहन अध्ययन कर ऊंचे मकाम हासिल कर रही हैं वहीं कुछ ऐसी भी हैं जो केवल अपने बदन को ऊंचाई हासिल करने का जरीया बना रही है और यह ऊंचाई कोई परिवार या देश का नाम रोशन करने की नहीं है बल्कि ओछेपन और नग्नता में आगे जाने की होढ़ है.

इस का एक बहुत बड़ा उदाहरण है सोशल मीडिया पर छाई हुई कुंठित सोच की हसीन परियां यानी खुद को रील क्रिएटर बोलने वाली लड़कियां. ये परियां न बुद्धिमान हैं और न ही बेफकूफ. ये वे हैं जो खुद को अतिचालाक समझ अपने ही बनाए भ्रम की रंगीन दुनिया में राज कर रही हैं. अपने जिस्म की नुमाइशबाजी में इतना खो चुकी हैं कि वे सहीगलत का तर्क भूल चुकी हैं. इन्हें केवल अपना बदन दिखा वाहवाही बटोरना बहुत बड़ी उपलब्धि लगती है.

यों जिस्म दिखाना आखिर इन्हें क्यों पसंद है, इस के कई कारण हैं जैसे:

कमाने में आसानी: दुनिया में जहां मेहनत कर कमाने में दिनरात जूते घिसने पड़ते हैं वहां केवल बदन दिखा कर ही पैसा बटोर लिया जाए तो क्या हरज है? इसी बात का सत्यापन आप को सोशल मीडिया पर, कुछ क्रिएटर के औनली फैन अकाउंट ऐंड सब्सक्रिप्शन को देख पता चल जाएगा जहां एक क्रिएटर अपने फैन के लिए औनली फैन अकाउंट बनाता और उस अकाउंट का सब्सक्रिप्शन ले फैन क्रिएटर की हर गंदगी देखने के पैसे देता है. औनली फैन अकाउंट पर क्रिएटर की ऐसी तसवीरें और रील्स होती हैं जिन्हें सोशल मीडिया के सोशल प्लेटफौर्म पर सार्वजानिक स्तर पर नहीं डालते. इन क्रिएटर्स लड़कियों को केवल ऐसी तसवीरों से इतना मुनाफा हो जाता है कि कोई और काम या नौकरी करने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

ऐसा नहीं है कि औनली फैन पर सिर्फ ऐसे ओछे क्रिएटर ही रहते है: औनली फैन के जरीए तो लाखों क्रिएटर असली कला, नौलेज, ऐजुकेशन, टिप्स ऐंड ट्रिक लोगों को सिखा भी रहे हैं और उस से पैसे भी कमा रहे हैं. लेकिन कुछ तो सोशल मीडिया के इस प्लेटफौर्म को केवल अपने ओछेपने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

फेमस होने के लिए: बहुत लड़कियां यह रास्ता अपनाती है. उन्हें लगता है कि जिस तरह एक ऐक्ट्रैस अपने बोल्ड फोटोज और रील्स से लोगों की वाहवाही लूट ले जाती है वही वाहवाही उन्हें भी मिलेगी. लेकिन होता कुछ और ही है. माना इन के अंगप्रदर्शन पर बहुत से लोगों ने वाहवाही की हो लेकिन उस तारीफ में और कुछ नहीं केवल हवस और ओछेपन की बू होती है.

खुद को अप्सरा समझने की भूल: इन लड़कियों व महिलाएं को लगता है ये कोई मेनका या उर्वशी हैं और स्क्रीन के दूसरे तरफ के लोग कोई ऋषि, जिन का तप एवं ध्यान इन्हें अपने सौंदर्य से भंग करना है. असल में तो भंग तो इन का अपना मनोबल है. जो अपना नकारापन अपने शरीर के पीछे छिपा, खुद को तीसमार खान समझ रही है. इन्हें कोई समझाए कि जो लोग सोशल मीडिया पर इन की अदाओं और आहों पर मरमिट रहे हैं. अगर उन लोगों को ये वास्तविक रूप में मिल जाए तो क्षणभर में इन का शरीर नोंच खा जाएंगे. फिर न तो ये खयाली अप्सरा रहेंगी और न ही जिंदा इंसान.

मोटी असामी पकड़ने की चाह: अपनी पोस्ट और रील्स के जरीए ये न केवल फेमस होना चाहती हैं बल्कि पुरुषों को अपनी ओर खींचना भी चाहती हैं. आप इस तरह की किसी भी हुस्नपरी का अकाउंट चैक करें आप को उस के 90% फौलोअर पुरुष ही मिलेंगे जो उस की हर रील पर बालटी भरभर के अपना प्यार उड़ेल रहे होंगे. इन में से कई अकल से पैदल उस का बौयफ्रैंड या पति बनने की इच्छा भी रखते होंगे और इन्हीं किसी में एक या कुछ को वह अपना साथी बना भी ले लेकिन चुनेगी उसे जो दिमाग से भले खाली हो लेकिन बैंकबैलेंस से भरपूर ताकि पूरा जीवन एक बेबीडौल बन पैसों की बारिश में खुद की पंपरिंग करा सके.

जो दिखता है वह बिकता है: यह विचारधारा मार्केटिंग का मूल मंत्र है लेकिन जब मार्केटिंग वस्तुओं की हो न कि इंसानी. लेकिन अपने स्वार्थ के लिए, चकाचौंध के लिए ये लड़कियां स्वयं को ही बाजार में उतारने को तैयार हैं या कहें उतार चुकी हैं. आज ये अपने अंगों को सोशल मीडिया पर दिखादिखा कर उन की तसवीरें और अपने अभद्र वीडियो बेच रही हैं.

फैशन या फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने की चाह: इन लड़कियों को लगता है कि ऐसे बौडी ऐक्स्पोसिंग के जरीए उन्हें कोई फैशन मौडलिंग या फिल्म का औफर मिल जाएगा जोकि उन की बहुत बड़ी गलतफहमी है. भला कौन निर्माता या डिजाइनर उन लड़कियों को अपना आइकन बनाएगा जो किसी कला के दम पर नहीं बल्कि छिछोरी हरकतों के लिए जानी जाती हो.

ऐंपावरमैंट के नाम की धज्जियां: ये लड़कियां वूमन ऐंपावरमैंट के नाम पर गंदगी फैला रही हैं. जहां एक ओर ऐंपावरमैंट का असली अर्थ समझते हुए देश की कई बेटियां मिलिटरी में नाम रोशन कर रही है, स्पोर्ट्स में मैडल जीत रही हैं, साइंस और टैक्नोलौजी में आविष्कार कर रही हैं ये लड़कियां वूमन राइट्स और पावर का मजाक बनाए हुए हैं और यह मजाक केवल इन के लिए ही नहीं बल्कि समाज की बाकी लड़कियों के लिए भी भारी पड़ेगा. कल को इन्हीं लड़कियों के तर्क पर बहुत सी लड़कियों को आंका जा सकता है.

बराबरी करने के चलते नीचे गिरती जा रही हैं: अब इन लड़कियों को अगर कोई यह कहे कि लड़कियों को यह शोभा नहीं देता तो ये फट जवाब देंगी कि जब लड़के अपनी बौडी ऐक्स्पोज कर सकते हैं तो लड़कियां क्यों नहीं? आखिर फ्रीडम लड़कों को ही क्यों मिली है? अब इन्हें कोई सम?ाए कि यह फ्रीडम की नहीं बौडी स्ट्रक्चर और मैंटालिटी की बात है.

जहां लड़के अपने सिक्स पैक ऐब्स और बाइसैप्स दिखा रहे हैं, वहां ये लड़कियां अपनी जांघें और स्तन. अगर बौडी ऐक्स्पोजर की बराबरी करनी ही है तो वे क्यों नहीं अपनी बौडी बिल्डिंग और बौडी लिफ्टिंग के जरीए बौडी ऐक्स्पोज करतीं लेकिन नहीं उन्हें तो अपने गुप्त अंगों को गुप्त रखे बिना ही तारीफ लूटनी है जो वास्तविक रूप में कोई तारीफ नहीं बल्कि किसी आदमी की एक कामुक अभिव्यक्ति होती है.

दूसरी रही मैंटली की बात तो इन लड़कियों का पोस्ट और पोस्ट पर आए इन के फौलोअर के कमैंट्स इन की मानसिकता अच्छे से बता जाते हैं. इन की अधनंगी पोस्ट और रील पर लड़के तारीफ के पीछे अपनी कामुकता का बखान करते हैं. ये कमैंट्स साफतौर पर लोगों की गंदी सोच का साफ उदाहरण हैं. लेकिन फिर भी ये लड़कियां इसी बात की दुहाई देते नजर आएंगी कि लड़के करें तो कूल और वे करें तो बेशर्मी. उन्हें यह दिखता ही नहीं कि अगर लड़के अपनी कोई अश्लील तसवीर या रील डाल भी देते हैं तो उन्हें कोई वाहवाही नहीं मिलती बल्कि अधिकांश संख्या में वूमन यूजर ही उन की निंदा करती हैं.

बौडी ऐक्स्पोज की रेस में ये लड़कियां इनती समझ भी नहीं रखतीं कि सौंदर्य प्रदर्शन और नग्नता में बहुत भारी अंतर होता है.

भविष्य क्या है? अंधकार एवं तिरस्कार और कुछ नहीं. अपने पेशे से ये लड़कियां पहले ही सभ्य लोगों की नजरों में अपने लिए एक विश्वास और सम्मान खो चुकी होती हैं. तो इन के साथ कोई भी सम्मानित व्यक्ति उठनाबैठना तो चाहेगा नहीं और अगर कोई इन्हें एक बार मौका दे भी दे तो हमेशा एक शंका से घिरा रहेगा और यह शंका आगे जा कर न इन का घर बसने देगी और न परिवार बनने.

कल को ये शादी भी करती हैं तो हां लड़का कुछ दिन बड़े उत्साह में फिरता रहेगा कि क्या हसीन लड़की उसे मिली है. मगर कुछ दिन बाद ही यही लड़का अपने को कोसता दिखेगा भी क्योंकि लोगों की जगहंसाई और तानों को आप कितने दिन नजरअंदाज कर पाएंगे.

और कल को जब आप के बच्चे होंगे तो क्या वे अपनी मां का जलवा देख खुश होंगे या दोस्तों के बीच मजाक का पात्र बनेंगे? इन लड़कियों को दिखाई ही नहीं दे रहा कि अपने ऊलजलूल कामों से वे कोई नाम नहीं कमा रहीं बल्कि ऐसा शाप कमा रही हैं जो जीवनभर उन्हें पारिवारिक और सामाजिक असंतोष देगा.

चार दिन की जवानी और फिर रोता बुढ़ापा: ये लड़कियां कुछ ऐसा काम तो कर नहीं रहीं, जिस की पैंशन इन्हें बुढ़ापे में मिले. तो फिर जब इन का सौंदर्य से भरपूर शरीर सिर्फ हाड़मांस का पुतला रह जाएगा तो तब ये क्या करेंगी?

और बुढ़ापे तक क्यों जाएं: अरे इन का सौंदर्य तो बुढ़ापा आने से पहले ही इन का साथ छोड़ देगा. किसी भी यौवन की उम्र ज्यादा से ज्यादा 10 वर्ष की होती है. तो आज जो लड़की अपने 18-20 साल की उम्र में लोगों को रिझारिझा कर घटिया फेम और पैसे कमा रही है. 10 वर्ष बाद उसे एक 30 साल की महिला को देख इतने लोग आहें भरेंगे? अरे उस समय तो इस की जगह कई नई जवान लड़कियां इस के सोशल प्लेटफौर्म पर मौजूद होंगी जहां आज यह है. तो फिर एक जवान लड़की के आगे एक अधेड़ महिला को कौन देखेगा?

इन लड़कियों की दुकान तो बंद हो जाएगी और पैसा कमाने का रास्ता भी. तो उस समय ये क्या करेंगी क्योंकि इन में न कोई कौशल है और न कोई स्किल जो ये कोई और काम या रोजगार अपना कर जीवन जी सकें. जिस उम्र में इन्हें पढ़नालिखना चाहिए था, कोई स्किल सीखनी चाहिए थीं तब तो ये सब अपने सीने से पल्लू गिरा लोगों को नाच दिखा रही थीं और नाच से जो पैसा कमाया होगा, वह भी उड़ा चुकी होंगी क्योंकि बिना बुद्धि के तो भविष्य के लिए धन भी संचय नहीं किया जा सकता.

तो बुद्धि से किए जाने वाला काम तो इन्हें मिलेगा नहीं. तो ये करेंगी क्या? साफसफाई या चाकरी क्योंकि इन्हीं कामों में किसी विशेष कौशल व बुद्धिमत्ता की जरूरत नहीं होती. सिर्फ हाथों की रगडाई काम आती है. तो जिन हाथों को ये कोमल कलाई बना इतरा रही थीं, अब उन्हीं कलाइयों से घिसाई करेंगी.

जिस तन प्रदर्शन को वे एक वरदान समझने की भूल कर रही हैं वह असल में एक अभिशाप है. बहरहाल, इन्हें अभी पैसों के आकर्षण में सचाई दिख नहीं रही. मगर एक दिन यही आकर्षण इन के गले की ऐसी फांस बन जाएगा जो न इन्हें चैन की सांस लेने देगा और न सांस छोड़ने.

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