घर आप के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है. ऐसे में अगर घर का इंटीरियर आप के मनमुताबिक हो तो क्या कहने! दिन भर थक-हारकर जब आप घर पहुंचती हैं, तो सब से पहले आप की नजर पूरे घर पर होती है. अगर सब कुछ ठीक और करीने से हो तो आप खुशी महसूस करती हैं. लेकिन वहीं अगर घर बिखरा पड़ा हो तो आप मायूस होती हैं. इसलिए आजकल हर कोई घर खरीदते ही उस के इंटीरियर पर खास ध्यान देने लगता है. घर चाहे किराए का हो या अपना 2 पल चैन के व्यक्ति वहीं बिता सकता है.

‘वर्ल्ड इंटीरियर डे’ पर एशियन पेंट्स की वर्कशौप में आईं प्रोडक्शन डिजाइनर श्रुति गुप्ते कहती हैं, ‘घर का इंटीरियर सही हो यह जरूरी है. घर की साज-सज्जा से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का भी पता चलता है. मैं अपने घर में हमेशा ध्यान रखती हूं कि कहां पर बैठ कर मुझे अच्छा लगता है, कहां से मुझे क्या देखने की इच्छा हो रही है और फिर उसी के अनुसार इंटीरियर करती हूं. इंटीरियर में वाल का न्यूट्रल होना आवश्यक है. घर के कुशन, परदे, फ्रैश फ्लौवर्स आदि सभी आप के घर का लुक बदल सकते हैं.’

इंटीरियर में रोशनी का अधिक महत्त्व होता है, जो घर की सुंदरता बढ़ाती है. श्रुति कहती हैं कि सफेद लाइट घर के लिए सही नहीं. सफेद लाइट औफिस आदि के लिए ही अच्छी होती है, क्योंकि वहां काम करना होता है. सफेद लाइट कठोर होती है, इसलिए वे हमेशा वार्म लाइट से घर सजाने की सलाह देती हैं. कई कंपनियां आजकल आकर्षक रोशनी के लिए बल्ब बनाती हैं. इन बल्बों की रोशनी घर की काया पलट सकती है. बैडरूम में ब्लू कलर की दीवारें और बल्ब की लाइट बहुत ही शांत दिखती है.

घर सजाना एक कला है, जो व्यक्ति की खुद के अवलोकन पर आधारित होती है. इस के लिए किसी इंटीरियर डिजाइनर की आवश्यकता नहीं होती, जो करने के बाद आप कंफर्टेबल अनुभव करें वही आप के घर की सही सजावट होती है. अगर आप के पास कोई आइडिया न हो तो, जो जानती हैं उसी हिसाब से इंटीरियर करें. कुशन, कारपेट, कर्टन, फ्लावर में जो रंग पसंद हों उन्हीं से घर सजाएं.

श्रुति कहती हैं कि एशियन पेंट्स से जुड़ने की वजह इन की बहुत बड़ी कलर रेंज है. जिन का आप अपने मनमुताबिक प्रयोग कर सकती हैं. मधुबनी, वार्ली सभी के डिजाइन मिलते हैं, जिन का प्रयोग उन्होंने सैट डिजाइन करने के दौरान किया है.

घर के और सैट के इंटीरियर में कितना फर्क होता है? पूछने पर श्रुति का कहना है कि हर काम चुनौतीपूर्ण होता है, फिर बात सैट के इंटीरियर की हो या घर के इंटीरियर की. सैट थोडे़ दिनों के लिए होता है, जिस में रियल कुछ नहीं होता. हर चीज आर्टिफिशियल होती है. सैट अधिकतर कपड़े और लकड़ी के बनते हैं. कहीं पर वालपेपर का भी प्रयोग किया जाता है.

सैट का निर्माण लोकेशन, स्टोरी, स्क्रिप्ट, निर्देशक, परफौर्मैंस, ऐक्टर आदि के आधार पर किया जाता है, जबकि घर का इंटीरियर कम से कम 3 साल तक के लिए होता है. इसलिए उसे सोचसमझ कर करना पड़ता है. सैट की डिजाइनिंग में अगर सैट छोटा है, तो 3 दिन और बड़ा है तो एक से डेढ़ महीने तक का समय लगता है. दोनों के लिए पहले प्लेन स्कैच तैयार करना पड़ता है.

गरमी और मौनसून में घर के इंटीरियर के कुछ टिप्स

– मौसम के आधार पर परदों में बदलाव काफी लाभदायक होता है.

– औलिव, पेल ब्लू, न्यूट्रल कलर आदि रंग के परदों, बेडशीट्स, कुशन कवर से घर की सजावट की जा सकती है.

– अगर घर के कमरे छोटे हैं, तो दीवारों का रंग औफव्हाइट या हलका हो.

– फर्नीचर में गहराई लाने के लिए फ्लौर लैंप, टेबल लैंप आदि का प्रयोग करें.

– गरमी के मौसम में थिक परदे लगाएं. नीचे शियर कर्टन लगाना न भूलें. इस से बाहर की रोशनी कमरे में कम आएगी.

– मौनसून में बाहर अंधेरा होता है, ऐेसे में शियर कर्टन का प्रयोग अच्छा रहता है.

– रोशनी का प्रयोग कमरे के आकार के अनुसार करें.

– बच्चों का कमरा उन के अनुसार सजाएं, उन के कमरे की एक तरफ की दीवार खाली रखें ताकि वे अपनी कल्पना का खुल कर प्रयोग कर सकें.

– ऐसा जरूरी नहीं कि लड़कियों का कमरा पिंक और लड़कों का ब्लू हो. बचपन से ही उन्हें न्यूट्रल कलर से पहचान करवाएं.

– बच्चों की कल्पनाएं उम्र के साथ बदलती हैं, इसलिए बदलाव उन के कमरों में हमेशा रहना चाहिए.

इंटीरियर में ये मिस्टेक्स न हों

– छोटे घर में भारी फर्नीचर रखना.

– फ्रैश हाउस प्लांट्स का न रखना.

– हर खिड़की को एकसमान समझना.

– छोटी खिड़कियों में भारी परदे लगाना.

– छोटे घर की दीवारों में गहरे रंगों का प्रयोग करना. इस से कमरा और छोटा लगता है.

– दूसरे के इंटीरियर की कॉपी करना.

VIDEO : जियोमेट्रिक स्ट्राइप्स नेल आर्ट

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