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विश्वभर में कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है. आज विश्वभर में सबसे ज्यादा मरीज इसकी चपेट में हैं. कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिससे मरने वालों की संख्या AIDS जैसी घातक बीमारी से भी ज्यादा है.

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो जेनेटिक कारणों के अलावा खान-पान और जीवन शैली का भी नतीजा होती है. आज हम आपको ऐसी कुछ खाने की आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कैंसर के लिए खुला निमंत्रण साबित हो सकती हैं..

कैन में पैक्ड फूड: हार्ड प्लास्टिक की केन में जो पैक्ड फूड प्रोडक्ट मार्किट में उपलब्ध हैं उनमें bisphenol-A (BPA) नाम का एक ऐसा तत्व पाया जाता है जो कि कैंसर का एक बड़ा कारक है. हालांकि इस तरह के प्रोडक्ट्स पर अक्सर BPA Free लिखा होता है लेकिन इसके बावजूद भी इस पैकिंग के बाद पैक्ड फूड में इसका पाया जाना सामान्य बात है.

स्मोक्ड फूड्स: इस तरह के सभी खाद्य पदार्थों में नाइट्रेट्स और नाइट्राइट सामान्य से बेहद ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. इनमें बड़ी मात्र में रंग और मसाले भी इस्तेमाल किये जाते हैं. इन्हें जब पकाया जाता है तो नाइट्रेट्स और नाइट्राइट ऐसे कैमिकल कमपाउंड्स में बदल जाते हैं जो कैंसर के रिस्क को और भी बड़ा देते हैं.

फार्म्ड फूड: फूड एंड वाटर वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक तालाब में पाली गई मछलियों में इंसानी शरीर में कैंसर पैदा करने वाले तत्व जंगली मछलियों की अपेक्षा ज्यादा पाए जाते हैं. मछलियों की पैदावार अच्छी करने के लिए भी कुछ ऐसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जो इंसानी शरीर के लिए खास अच्छे नहीं माने जाते.

जेनेटिक मोडिफाइड फूड्स: रिसर्च में पाया गया है कि वो सभी खाद्य पदार्थ जो कि जेनेटिकली मोडिफाइड बीजों के जरिये उगाये जाते हैं उनमें कैसर पैदा करने वाले तत्व प्राकृतिक बीजों के मुकाबले काफी ज्यादा होते हैं. इसके आलावा नॉन आर्गेनिक फूड्स जो कि पेस्टीसाइड के जरिये उगाए जाते हैं वो भी शरीर में कैंसर की संभावनाओं को जन्म देते हैं.

ग्रिल्ड मीट: मीट को लकड़ी या कोयले पर पकाने से उसमें ऐरोमेटिक हाइड्रोकार्बन और PAHs काफी मात्रा में बढ़ जाते हैं जो कि शरीर के लिए काफी हानिकारक साबित होते हैं. मीट में मौजूद फैट आग के सीधे संपर्क में आने से जलकर जो धुंआ बनाता है वो इस तरह के फूड प्रोडक्ट को और भी खतरनाक बना देता है.

हाइड्रोजेनेटेड तेल: हारवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिसर्च में सामने आया है कि हाइड्रोजेनेटेड तेल या ट्रांस फैट प्रोडक्ट्स का कैमिकल स्ट्रक्चर ऐसा होता है जो कि कैंसर सेल्स के लिए प्रेरक का काम करता है. ये शरीर के इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचता है और दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और डायबिटीज के खतरे को भी पहले से कई गुना बढ़ा देता है.

माइक्रोवेव पॉपकोर्न: ऐसे रेडीमेड पॉपकोर्न जो कि माइक्रोवेव के जरिये बनाए जाते हैं उनमें जिस तेल का इस्तेमाल किया जाता है उसे भी वैज्ञानिकों ने सेहत के लिए खतरनाक बताया है.

प्रोसेस्ड फूड: कर्ड मीट जैसे दूसरे प्रोसेस्ड फूड में भी हाई नाइट्रेट्स और नाइट्राइट जैसे तत्व पाए जाते हैं. ये पेट और आतों के कैंसर की प्रमुख वजह होते हैं. इनमें आमतौर पर सफ़ेद आटा, शूगर, तेल, अप्राकृतिक रंग और फ्लेव्रिंग का इस्तेमाल किया जाता है जो कि शरीर के लिए और भी घटक साबित होते हैं.

सोडा और एनर्जी ड्रिंक: सोडा पीना या बाकी एनर्जी/स्पोर्ट्स ड्रिंक्स की न्यूट्रीशियन वैल्यू जीरो होती है लेकिन इनमें मौजूद शुगर और बाकी तत्व शरीर के लिए काफी हानिकारक होते हैं. इनमें भारी मात्रा में कैमिकल्स पाए जाते हैं और शरीर में मौजूद विटामिन बैलेंस को बिगाड़ देते हैं.

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