अंदर और बाहर हमारा शरीर नुकसानदायक बैक्टीरिया और वायरस के निरंतर निर्दयी प्रवाह के कारण असुरक्षित रहता है. ये हमारे स्वास्थ्य को चुनौती देते हैं. हालांकि हमारा शरीर पलट कर इन का मुकाबला करता है, लेकिन फिर भी ये हमें अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं. खासतौर से बच्चे इन के आसानी से शिकार हो जाते हैं. नवजात शिशुओं सहित छोटे बच्चों का भी प्रतिरक्षातंत्र विकसित हो रहा होता है, अत: उन के बीमार पड़ने की संभावना अधिक होती है.
क्या आप ने कभी सोचा है कि इस का संबंध ठीक उस समय से है जब हम पैदा हुए थे? हमारा स्वास्थ्य हमारे पेट में बसने वाले बैक्टीरिया के साथ जुड़ा हो सकता है? बारबार बीमार पड़ते रहने वाला एक नवजात शिशु मातापिता का चैन खो देता है. हम बारबार की बीमारियों से अपने बच्चे की रक्षा किस तरह कर सकते हैं?
बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए उन के प्रतिरक्षातंत्र को मजबूत बनाना जरूरी है, इस का राज पाचनतंत्र के अंदर गहराई में छिपा है.
विज्ञान ने उजागर किया है कि मानव शरीर 100 खरब से अधिक अतिसूक्ष्म जीवाणुओं का घर है और वे हर जगह मौजूद हैं, हमारी जीभ से ले कर बाल, त्वचा और खून तक में. और हमारी पाचन नली की गहराई में बसने वाले लगभग
500 विभिन्न किस्म के बैक्टीरिया ही हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अद्भुत कारनामे करते हैं. हमारे लाभदायक यानी अच्छे बैक्टीरिया छोटी आंत में रहते हैं और जब हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले नुकसानदायक सूक्ष्मजीवों से उन का सामना होता है तो ये उन का डट कर मुकाबला करते हैं. शरीर के अच्छे बैक्टीरिया खराब बैक्टीरिया से भी लड़ते हैं. वास्तव में, आंत में अच्छे और खराब बैक्टीरिया के बीच संतुलन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है.
सामान्य प्रसव के दौरान जन्म नाल के माध्यम से नवजात शिशु को उस की मां से अच्छे बैक्टीरिया की खुराक मिलती है. ये अच्छे बैक्टीरिया स्तन के दूध में मौजूद होते हैं. सिर्फ स्तनपान करने वाले नवजात शिशुओं में इन बैक्टीरिया की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है. ये अच्छे बैक्टीरिया सैनिकों की तरह होते हैं जो रक्षा पंक्ति की किलाबंदी बनाते हैं. ऐसा कर के वे आंत की दीवार की रक्षा करते हैं और शत्रु (नुकसानदायक बैक्टीरिया) को शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं. अच्छे बैक्टीरिया ऐसे रसायन पैदा करने के लिए जाने जाते हैं जो नुकसानदायक सूक्ष्मजीवों को शरीर में उन के वास्तविक प्रवेश से पहले मार देते हैं. ये आंत की दीवार का कवच बनने वाला एक भौतिक अवरोधक बनाने और शरीर में नुकसानदायक सूक्ष्मजीवों के मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए भी जाने जाते हैं.
अच्छे बैक्टीरिया कैसे फूलेंफलें
शरीर में अच्छे बैक्टीरिया के फूलनेफलने में प्रोबायोटिक्स की विशेष भूमिका है. आमतौर पर खाद्यपदार्थों में मिलाए जाने वाले प्रोबायोटिक्स की किस्म छोटी आंत में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया जैसी होती है. ये सुरक्षित हैं और इन के फायदों को पूरी दुनिया में स्वीकार किया जाता है. स्तनपान करवाए जाने वाले नवजात शिशु को ये प्रोबायोटिक्स स्तन के दूध के जरीए अपनी मां से प्राप्त होते हैं. इसलिए रोजाना प्रोबायोटिक्स का सेवन आंत में अच्छे बैक्टीरिया की सघनता को बढ़ाता है तथा प्रतिरक्षातंत्र का निर्माण करने में मदद करता है. साथ ही, जब हम संक्रमणों का मुकाबला करने के लिए ऐंटीबायटिक लेते हैं तब हम अनजाने में सभी किस्म के बैक्टीरिया को मार देते हैं. यहीं पर प्रोबायोटिक्स का गहरा प्रभाव पड़ता है, न केवल पाचन नली के स्वास्थ्य पर बल्कि बच्चे के समग्र स्वास्थ्य पर भी.
डा. अरुण फोतेदार के अनुसार, ‘‘जन्म के बाद 2 साल का समय शिशुओं के रक्षा (प्रतिरक्षा) तंत्र को आकार देने का अवसर माना जाता है. निश्चित तौर पर इसी कारण पूरी दुनिया के डाक्टर प्रोबायोटिक्स के निवारक लाभों के लिए इस पर भरोसा करते हैं.’’
VIDEO : न्यूड विद ब्लैक कैवियर नेल आर्ट
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.