हिंदी भाषी सिनेमा के विशाल दर्शक वर्ग को देखते हुए हर भाषा का कलाकार हिंदी फिल्मों से जुड़ना चाहता है. मराठी, गुजराती, मलयालम, तमिल, बंगला, पंजाबी सहित हर भाषा के स्टार कलाकार हिंदी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाते आए हैं, कुछ सफल हुए तो कुछ अपनी भाषा के सिनेमा में वापस लौट गए. मराठी और हिंदी भाषी सिनेमा का गढ़ मुंबई में होने की वजह से इन दोनों भाषाओं के कलाकार एक दूसरे की भाषा में अक्सर काम करते आए हैं और कर रहे हैं. डा. श्री राम लागू, सचिन खेड़ेकर, सदाशिव अमरापुरकर सहित कई ऐसे मराठी भाषी कलाकार हैं, जिनकी पहचान हिंदी सिनेमा से ही है. कुछ कलाकार मराठी सिनेमा में अच्छा नाम कमाने के बावजूद बीच बीच में हिंदी सिनेमा में भी अपनी प्रतिभा दिखाते रहते हैं. इसी कड़ी में एक मराठी फिल्मों के व्यस्ततम कलाकार हैं- सिद्धार्थ जाधव, जो कि ‘गोलमाल’, ‘सिटी आफ गोल्ड’ सहित कई हिंदी फिल्मों व कौमेडी सर्कस’’ जैसे टीवी र्कायक्रम का हिस्सा रह चुके हैं. इन दिनों सिद्धार्थ जाधव 28 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘सिंबा’’ में सब इंस्पक्टर संतोष तावड़े का किरदार निभाकर चर्चा में हैं.

आप अपनी सफलता से खुश हैं?

2018 मेरे लिए बहुत ही बेहतर वर्ष रहा. इस वर्ष ‘सिंबा’ मेरी तीसरी फिल्म प्रदर्शित हो रही है. इससे पहले मेरी दो मराठी फिल्में ‘ए रे ए रे पैसा’ व ‘माउली’ प्रदर्शित हुई हैं. ‘ये रे ये रे पैसा’ और ‘माउली’ सुपर डुपर हिट थी. उम्मीद है कि ‘सिंबा’ भी सुपर डुटर हिट होगी. फिलहाल तो मैं 2018 की सफलता का आनंद उठा रहा हूं. सच यह है कि यहां मेरा कोई गौड फादर नही है. मैंने अभिनय की कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. पर मेरे अंदर जो ठहराव है, वह मुझे मेरे परिवार ने दिया है.

18 साल के अभिनय करियर में आप हास्य किरदारों तक ही सीमित होकर रह गए हैं. इसकी क्या वजह है?

ऐसा नही है. आप मुझे देख रहे हैं. मेरे चेहरे की बनावट कैसी है? मैं खूबसूरत नही हूं. दांत भी बाहर रहते हैं. ऐसे में मैं जब किसी हास्य किरदार को निभाता हूं, तो वह लोगों को ज्यादा पसंद आता है. मैंने अपनी पहली फिल्म में तो सिर्फ एक सीन का किरदार निभाया था. पर मेरी हमेशा कोशिश रही कि एक सीन भी यादगार बन जाए. उन दिनों मुझे टीवी सीरियल मिल नहीं रहे थे. टीवी सीरियलों के लिए सुंदर चेहरे ढूंढ़े जाते थे. वास्तव में थिएटर पर मेरे अभिनय को देखकर लोगों को लगा कि यह देखने में भले खराब हो, पर अभिनेता बहुत अच्छा है. तो शुरूआत में मुझे कौमेडी किरदार ही मिले. दर्शकों का बहुत प्यार मिला. मैंने केदार शिंदे की फिल्मों में हीरो का किरदार भी निभाया है. पहली बार महेश मांजरेकर ने मुझे समझाया कि मैं एक अभिनेता हूं, कौमेडियन नहीं. उन्होंने मुझे फिल्म ‘मी शिवाजी राजे भोसले बोलते.’ में एकदम अलग तरह का किरदार निभाने को दिया. उसके बाद उन्होंने मुझे एक फिल्म में विलेन का किरदार दिया. हिंदी फिल्म ‘सिटी औफ गोल्ड’ में हकला का किरदार दिया, जो कि हास्य किरदार नही है. महेश मांजरेकर ने मुझसे अपनी किसी भी फिल्म में कौमेडी नहीं करवायी. मैंने एक फिल्म ‘डीमोल्ड’ में बलात्कारी का किरदार निभाया. इसके लिए 2016 में मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था. मराठी में मैं सिर्फ हास्य कलाकार नही हूं. हर तरह के किरदार निभाए है. मैंने कुछ बहुत ही संजीदा किरदार भी निभाए हैं. मैं अपने आपको खुशनसीब समझता हूं कि मराठी फिल्मों में जिस लड़के को पहले रिजेक्ट किया जाता था, आज उसी को बुलाकर फिल्में दी जा रही हैं. इतना ही नही यदि आप हिंदी फिल्म ‘सिंबा का ट्रेलर देखेंगे, उसमें मेरे किरदार में ह्यूमरस के साथ साथ कुछ अलग अंदाज भी मिलेगा. इसका संवाद है- ‘जब तक रेपिस्ट को पुलिस ठोकती नही है, तब तक कुछ नहीं बदलता.’ तो इसमें एक संजीदगी भी है. मेरा मानना है कि कलाकार के अंदर की संजीदगी को पहचानना एक निर्देशक का काम है. फिल्म ‘सिंबा’ में निर्देशक रोहित शेट्टी ने मेरे अंदर की प्रतिभा को पहचाना, जो कि अब फिल्म में नजर आएगी. तो मैं कौमेडी के परे जाकर भी बहुत काम कर रहा हूं. यह सब निर्देशकों की वजह से संभव हो पा रहा है.

रोहित शेट्टी के साथ आपने 12 साल बाद फिल्म सिंबा की. बीच में कोई फिल्म नहीं की?

रोहित शेट्टी ने ‘गोलमाल’ के बाद अपनी हर फिल्म के लिए याद किया. लेकिन तारीखों की समस्या के चलते मैं कर नहीं पाया. क्योंकि मैं मराठी फिल्मों में बहुत व्यस्त हूं. मुझे मजबूरन उन्हें ‘सिंघम’ व ‘दिलवाले’ के लिए भी मना करना पड़ा था.

फिल्म सिंबा के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

इस फिल्म में मैंने सब पुलिस इंस्पेक्टर संतोष तावड़े का किरदार निभाया है, जो कि सिंबा यानी कि रणवीर सिंह की टीम का हिस्सा है. पूरी फिल्म में वह सिंबा के साथ है और जो कुछ होता है, उसका एकमात्र गवाह संतोष तावड़े ही है. इससे अधिक जानकारी देकर दर्शकों की उत्सुकता खत्म नहीं करना चाहता. मेरा किरदार इस बात को रेखांकित करता है कि जब तक पुलिस के लोग कुछ ठोस कदम नही उठाएंगे, तब तक समाज में बदलाव नही आएगा. ट्रेलर देखकर लोगों ने मुझे बहुत अच्छे संदेश भेजे हैं. पूरी फिल्म में मेरा यह संजीदा किरदार सरप्राइज फैक्टर है.

मराठी की तरह हिंदी फिल्मों में आप कम नजर आते हैं?

देखिए, बहुत कुछ तकदीर पर निर्भर करता है. मैंने कुछ हिंदी की फिल्में की हैं, जो कि अब तक सिनेमाघरो में नहीं पहुंच पायी. मसलन, विश्राम सावंत निर्देशित हिंदी फिल्म ‘‘शूटर’’ की है, जिसमें रणदीप हुड्डा भी हैं. पर यह फिल्म अब तक प्रदर्शित नहीं हुई. मैंने भाषा की बजाय कहानी और किरदारों को ही महत्व दिया है. मैं मराठी में तो बहुत विविध तरह के किरदार निभा रहा हूं और बहुत व्यस्त हूं. मैं मराठी में हीरो भी बन रहा हूं. आइटम नंबर भी कर रहा हूं. तो वहीं ‘माउली’ जैसी फिल्म में हीरो का दोस्त बन जाता हूं.

हिंदी फिल्मों में यदि आप हीरो के दोस्त बनते हैं, तो फिर हीरो के किरदार मिलने मुश्किल हो जाते हैं ?

मैं यह सब नहीं मानता. मेरे लिए काम काम होता है. मैंने किरदार की लंबाई के बजाय किरदार की ताकत पर भरोसा किया. मैंने फिल्म ‘फास्टर फैनी’ में तीन सीन का किरदार निभाया था, जिसके लिए मुझे सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार का पुरस्कार मिला था. मैं तो अच्छा काम करने में यकीन करता हूं. कलाकार के तौर पर मैं दूसरे कलाकारों के साथ भी अपनी तुलना नहीं करता.

इन दिनों मराठी फिल्मों की जो स्थिति है, उसको लेकर क्या कहना चाहेंगे?

बहुत अच्छा दौर चल रहा है. अच्छी कहानी पर फिल्में बन रही हैं. ‘श्वास’ के बाद मराठी फिल्मों में जो परिवर्तन का दौर शुरू हुआ, वह कमाल का रहा. अब तो मराठी सिनेमा कंटेंट प्रधान हो गया है. इस तरह का बेहतरीन सिनेमा हिंदी में भी नही बन रहा है. मराठी सिनेमा की प्रतिस्पर्धा विश्व सिनेमा के साथ है. मराठी सिनेमा में बहुत अच्छे प्रयोग हो रहे हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मैं ऐसे सिनेमा का हिस्सा हूं. इन दिनों हिंदी से ज्यादा सफलता मराठी भाषा की फिल्में बटोर रही हैं.

2019 में आपकी कौन सी फिल्म आने वाली हैं?

मेरी मराठी की तीन फिल्में लगभग पूरी हैं. 2019 में ‘सर्व लाइन व्यस्त आहे’ सहित मेरी तीन फिल्में रिलीज होंगी. इसके अलावा मैं हिंदी के बहुत बड़े निर्देशक की मराठी फिल्म कर रहा हूं, जिसके बारे में अभी कुछ बता नहीं सकता. इस फिल्म की शूटिंग 20 जनवरी से शुरू होगी.

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