गुजराती फिल्मों में कौमेडियन की भूमिका निभाने वाले इंद्र कुमार एक निर्माता और निर्देशक हैं. उन्होंने कई फिल्में बनायीं, जिसमें दिल, बेटा, राजा, इश्क, मन, रिश्ते, आशिक, मस्ती, धमाल आदि हैं. वे अभिनेत्री अरुणा ईरानी के भाई और अभिनेत्री श्वेता कुमार के पिता हैं. उन्हें हर तरह की फिल्मों का निर्देशन पसंद हैं, लेकिन इन दिनों उन्हें कौमेडी फिल्में अधिक प्रेरित करती हैं. अभी वे फिल्म ‘धमाल’ के बाद ‘टोटल धमाल’ फिल्म लेकर आये हैं. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार है.

आप कौमेडी बहुत अच्छा बनाते और लिखते हैं और एक बार फिर कौमेडी फिल्म लेकर आये हैं, ऐसे फिल्म बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है?

कौमेडी बनायीं नहीं जाती है, वह व्यक्ति के अंदर में होती है. ‘फनी बोन’ किसी में भी होनी चाहिए और इन सब कलाकारों में यह बात है और फिल्म बन गयी.

पहले फिल्मों में कौमेडी नेचुरली होती थी और लोग हंसते थे,पर आज की फिल्मों में वैसी कौमेडी नहीं मिलती, लोगों को जबरदस्ती हंसाया जाता है, कौमेडी फिल्मों को बनाने में कितनी चुनौती होती है?

मेरी कोशिश रियल हंसी की होती है, पर कई बार ऐसा नहीं हो पाता. अभी मेरी कौमेडी फिल्में चल रही हैं और लोगों को पसंद भी आ रही हैं. कौमेडी फिल्मों में सही टाइमिंग को बनाये रखने की चुनौती होती है.

कौमेडी भी कई तरह की होती है, कुछ कौमेडी ‘बिलो द बेल्ट’ भी होती है, फिल्में बनाते समय आप इसका ध्यान किस तरह रखते हैं, ताकि सभी उसे देख सकें.

जब आप टोटल धमाल जैसी फिल्में बनाते हैं, तो पूरा परिवार उसे साथ बैठकर देख सकता है. मैंने इसे बनाते वक़्त इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि ऐसी कोई बात इस फिल्म में न हो, जिससे व्यक्ति पूरे परिवार के साथ न देख सकें. मुझे इसकी सर्टिफिकेशन भी ‘यू’ मिली है, जो कौमेडी फिल्म के लिए मिलना मुश्किल होता है.

कौमेडी करते समय कई बार लोग ‘हर्ट’ हो जाते है, क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ?

मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि मैंने कभी किसी का मजाक नहीं उड़ाया है. मैं अपने चरित्र का ही मजाक उडाता हूं. वह किसी ऐसी सिचुएशन में पड़ता है, जिसे देखकर आपको हंसी आती है. कोई जाति या व्यक्ति इसमें लिप्त नहीं होता.

आप काफी सालों बाद माधुरी और अनिल कपूर के साथ काम कर रहे हैं, उनमें अभी क्या बदलाव आप पाते हैं?

दोनों सालों बाद भी वैसे ही है. दोनों सुंदर, प्रतिभावान और एक्टिव है. उम्र का उनपर कोई असर नहीं है. एक फर्क ये रहा है कि आज से 26 साल पहले किसी ने सोचा नहीं था कि हम फिर से एक साथ मिलकर काम करेंगे और खूब मजा आया.

‘मल्टी स्टारर’ फिल्म बनाना कितना मुश्किल है?

इसका क्रेडिट लेखक को जाता है. मैंने जिसे भी स्क्रिप्ट सुनाई, उसे दूसरा नैरेशन नहीं देना पड़ा. उसने तुरंत हां कर दी और तकलीफ नहीं आई और आसानी से फिल्म बनी. सबने एक दूसरे को  संवाद बोलने में हेल्प किया, जबकि ऐसा बहुत कम फिल्मों में देखने को मिलता है. सबके रोल डिफाइन थे. झगडे तब होते है, जब आप सुनाते कुछ हैं और सेट पर अलग करने को दिया जाता है. मैंने कई मल्टी स्टारर फिल्में पिछले 15 सालों से बनाई है . कभी मुश्किलें नहीं आई, क्योंकि मैं अपनी स्क्रिप्ट को पूरी तरह से फौलो करता हूं. कभी किसी ने शिकायत नहीं की.

इतने सालों तक आपने कई कलाकारों के साथ काम किया हैं, किस कलाकार के साथ काम करने में मुश्किलें आई?

किसी के साथ भी कोई समस्या नहीं आई, पर अभिनेता रितेश देशमुख बहुत शरारती हैं. उसका ह्यूमर बहुत अच्छा है.

कौमेडी के अलावा और क्या करने की इच्छा है?

इस बारें में अभी सोचा नहीं है. मैं हर तरह की फिल्म बनाना चाहता हूं.

इंडस्ट्री में सबसे अधिक समस्या क्या है?

सबसे अधिक समस्या पाइरेसी की है, जो कैंसर से भी अधिक खतरनाक है. ये सबसे बड़ी चोरी है, जिसका समाधान अभी तक भी नहीं हो पा रहा है और इसका हर्जाना इंडस्ट्री भुगत रही है. फिर भी फिल्म लाइन जिन्दा है. यहां लोग काम, पैसे से अधिक प्यार से करते हैं. साहूकार बनेंगे, तो फिल्म नहीं बना पायेंगे. मेरी फिल्म कई बार पाइरेसी का शिकार हो चुकी है. अभी सरकार इस बारें में सोच रही है, जो अच्छी बात है, लेकिन लागू होना मुश्किल है. इसके लिए कड़े कानून बनाने चाहिए. फिल्में पैसे से बनती है और इसकी चोरी कोई करता है, तो उसे दंड मिलनी चाहिए और अगर ऐसा हुआ, तो 5 साल के अंदर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी हौलीवुड की तरह बड़ी बजट की फिल्म बना सकती है. सरकार को इस दिशा में कारगर पहल करनी चाहिए, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगी.

आपके दिल के करीब कौन सी फिल्म है?

फिल्म ‘बेटा’ मेरे दिल के बहुत करीब है.

आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना रहा ?

परिवार के सहयोग के बिना आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते .मेरी बहन अरुणा ईरानी ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद मेरी शादी हुई और मेरी पत्नी ने मेरे घर को संभाला. मेरी कामयाबी में मेरी पत्नी का बहुत बड़ा हाथ है. पत्नी की सहयोग को लोग अधिक महत्व नहीं देते, पर मैं उसे पूरी क्रेडिट देता हूं.

कई बार किसी कलाकार का नाम आपकी फिल्मों में अभिनय के लिए आता है, फिर बाद में वह नहीं होता, ऐसी स्थिति में आप क्या करते हैं?

‘मल्टी स्टारर’ फिल्म में उनके पार्ट को काटना पड़ता है, नहीं तो फिल्म बनानी मुश्किल होती है. मैंने इस फिल्म में आमिर खान और संजय दत्त के रोल को काटा है. मैं किसी से झगड़ा नहीं करता, उसे ‘कट’ कर देता हूं.

क्या कोई सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बनाने की इच्छा है?

पाइरेसी पर फिल्म बनाने की इच्छा है.

क्या आपको किसी कलाकार के साथ काम न करने का मलाल है?

अमिताभ बच्चन के साथ काम करने की इच्छा है. पहले एक मौका मिला भी था, पर मैं ही नहीं कर पाया था. मैंने उनकी साइनिंग अमाउंट भी लौटाई थी. मेरे लाइफ का ये रिग्रेट है.

आपकी बेटी अभिनय में कामयाब नहीं हो पायी, इसकी वजह क्या रही?

‘दिया तले हमेशा अंधेरा’ होता है. कई बड़े-बड़े लोगों के बच्चे सफल नहीं होते. वह एक अच्छी कलाकार हैं, उसके साथ मैं एक फिल्म बनाउंगा. उसकी पहली फिल्म नहीं चली, मेरा निर्णय सही नहीं था, मुझे उस फिल्म को उसे करने नहीं देना चाहिए था.

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