हमारे परिवारों में बच्चे को अंधविश्वास के घेरे में पालपोस कर बड़ा किया जाता है. बचपन से बच्चे के दिमाग में बैठा शुभअशुभ का डर उस के जीवन में मजबूती से पकड़ बना कर उसे कमजोर और भाग्यवादी बना देता है. किस दिन किस दिशा की तरफ जाना है, घर से क्या खा कर जाने से शुभ होगा, किस रंग के कपड़े पहनने से हर इच्छा पूरी होगी, इस तरह के अंधविश्वासों के घेरे में जब बच्चा बड़ा होता है तो वह इसे अपने बुजुर्गों की परंपरा समझ पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाता है.

अब प्रश्न उठता है कि एक बेहद अंधविश्वासी बच्चे को जो हर रूढ़ी को बड़ी सख्ती से बचपन से जवान होने तक निभाता है, अपने जीवन में असफलता का सामना क्यों करना पड़ता है? जवाब बहुत ही सहज और सरल है, सफलता और असफलता जीवन के 2 अभिन्न अंग हैं. हम कितने भी जादूटोने व अंधविश्वास अपनाएं सफलताअसफलता, सुखदुख सामान्य रूप से हमारे जीवन में आतेजाते रहेंगे.

कैसे मिलता है अंधविश्वास को बढ़ावा

राजीव का बेटा पिछले साल 12वीं में फेल हो गया था. सभी को काफी बुरा लगा. पढ़ने में एवरेज स्टूडैंट उन का बेटा इस साल काफी मेहनत कर रहा था. बच्चे को गले में एक देवी की आकृति वाला लौकेट पहनाया गया था जिसे कभी न उतारने की उसे सख्त हिदायत दी गई थी. पूछने पर राजीव ने बताया, ‘‘जब से परीक्षा में अच्छे अंक दिलाने वाला लौकेट बेटे को पहनाया है, उस का मन पढ़ने में खूब लग रहा है.’’

सच यह था कि राजीव का बेटा साइंस साइड से नहीं पढ़ना चाहता था. उस का मन आर्ट साइड में था पर राजीव ने प्रैशर में उसे साइंस दिला दी. इस तरह समस्या का मूल कारण जाने बिना किशोर के दिल में बैठ गया कि लौकेट पहनने से वह अच्छे अंकों से पास हो जाएगा. अब वह अपने मित्रों में भी इस लौकेट के चमत्कार को बताएगा और बहुत से उस के साथी इस अंधविश्वास को अपना कर बिना मेहनत के पास होने का भ्रम पाल लेंगे.

इस में कोई शक नहीं कि समाज में अंधविश्वास की जड़ें काफी मजबूती से हमारे दिलोदिमाग में बैठ जाती हैं. बारबार असफल होने पर मन बहुत कमजोर हो जाता है, कमी कहां हुई जो सफलता की राह में रोड़ा बनी उन के कारण जानने के स्थान पर टोनेटोटके, तंत्रमंत्र, गंडेताबीज और भी न जाने कितनी तरह के अंधविश्वासों में फंस जाता है.

कैसे पाएं अंधविश्वास पर काबू

अंधविश्वास का मतलब है किसी पर भी आंख मूंद कर विश्वास करना औैर जब हम किसी के बताए रास्ते पर बिना अपनी बुद्धिविवेक के इस्तेमाल के चल पड़ते हैं, तो वह रास्ता हमें प्रगति के बजाय विनाश की ओर ले जाता है. कुछ समय के लिए ये रास्ते सुखद लग सकते हैं, परंतु अंत में अंधविश्वासी व्यक्ति अपने को लुटा हुआ ही महसूस करता है.

बहुत से परिवारों में बरसों पुराने ऐसे ही अंधविश्वास चलते रहते हैं. बिना लौजिक जाने घरपरिवार में बेतुके बिना सिरपैर के अंधविश्वास इसलिए चलाए जाते हैं, क्योंकि बुजुर्गों ने इन्हें शुरू किया था. ऐसे अंधविश्वासों को छोड़ना ही समझदारी है, लेकिन बच्चों के मन में इन का इतना डर बैठा होता है कि वे सोचते हैं अगर हम ने कुछ नया किया तो परिवार के साथ कुछ न कुछ बुरा हो जाएगा. पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरावादी रूढि़यों को एकदम से तोड़ना भी आसान नहीं है परंतु प्रयास करने से बहुत कुछ किया जा सकता है. आइए, देखें कैसे बच्चे इन प्रगतिबाधक अंधविश्वासों पर काबू पा सकते हैं :

मेहनत और लगन से करें काम : किशोरावस्था नए जोश और हौसले का दूसरा नाम है. किशोरों को खुद भी अंधविश्वास का बहिष्कार करना चाहिए और अपने परिजनों से भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस खोखली परंपरा से होने वाले नुकसान पर बात करनी चाहिए. संभव हो तो अपने आसपास के मित्रों को भी बताएं कि मेहनत ही एक ऐसी सीढ़ी है जो सफलता तक पहुंचा सकती है. अंधविश्वास पर निर्भरता इंसान को बुजदिल और आलसी बनाती है, जो किशोरों के पूरे व्यक्तित्व को कुंठित कर देता है.

सकारात्मक सोच को दें वरीयता :  नकारात्मक विचारों के लोग ही अंधविश्वास में ज्यादा विश्वास करते हैं. सुखसुविधाओं में पले लोग जरा सी परेशानी आते ही टोनेटोटकों या किसी जादुई शक्ति में विश्वास करने लगते हैं. जहां नकारात्मक विचार होंगे वहां अंधविश्वास लंबे समय तक पैर जमा कर अपना राज करता है. पंडेपुजारियों, पूजापाठ और तंत्रमंत्र पर पैसा व वक्त बरबाद होता है. अत: सकारात्मक विचारों को वरीयता दें. कई बार हमारे प्रयास और मेहनत में कोई कमी नहीं होती, परंतु दिशा ठीक न होने के कारण बारबार असफलता का मुंह देखना पड़ता है. अगर मन को मजबूत कर तथ्यहीन अंधविश्वासों को त्याग कर सही दिशा में सकारात्मक प्रयास करें तो आप को सफलता अवश्य मिलेगी.

एक अन्वेषक की तरह जागरूक बनें : एक जागरूक अन्वेषक की तरह हर समय यह विश्लेषण करें कि अंधविश्वास हमें कितना नुकसान पहुंचा रहा है. उस पर अमल कर के घरपरिवार का कितना भला हो रहा है. अपनी कमियों पर बारीकी से विचार करें, संभव हो तो परिजनों के साथ बैठ कर अपने सफलअसफल कार्यों की लिस्ट बनाएं और उस पर ध्यान दें.

कैरियर के लिए प्रयास कर रहे युवाओं के लिए यह फौर्मूला बहुत उपयोगी है. इस के बाद उन्हें किसी जादुई ताबीज या अंधविश्वास की जरूरत नहीं रहेगी.

अंत में हम कह सकते हैं कि अंधविश्वास हमारी बुद्धि, विद्या और बल को बाधित करते हैं और जीवन में उन्नति के सारे दरवाजे बंद कर देते हैं.

अपनी कड़ी मेहनत और लगन का पूरा श्रेय किसी ताबीज, टोनेटोटके या तंत्रमंत्र को देना ठीक नहीं. कैरियर में सफलता चाहिए या परीक्षा में अच्छे अंक तो सही दिशा में मेहनत करें. कदमकदम पर अंधविश्वास की दुकानें खोले ढोंगी बाबातांत्रिक मौके का फायदा उठाते हैं. अत: किशोर हर समय जागरूक रहें, समझदार बनें और अंधविश्वास से बचें.   

– पुनीता सिंह               

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