बॉलीवुड की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है, फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, आइये जानते हैं इस फिल्म से जुड़ी ऐसी कुछ खास बातें जो आपको कोई और नहीं बताएगा…

– मनोज बापजेयी ने अनुराग कश्यप की लिखी सत्या, शूल और कौन में काम किया है लेकिन गैंग्स ऑफ वासेपुर से पहले तक उनकी बात नहीं होती थी. इस फिल्म के लिए अनुराग ने मन बनाकर उन्हें फोन किया. पूछा कि एक स्क्रिप्ट है, करेंगे? मनोज ने कहा, क्यों नहीं! तो वे रात 11.30 बजे अनुराग के पास पहुंचे.

– कुरैशियों से झगड़ा होने के बाद जब शाहिद खान (अहलावत) वासेपुर छोड़ धनबाद आता है तो कोयले की खदान में मजदूरी करने लगता है. एक सीन है जब वो कोयला तोड़ रहा है, बरसात हो रही है और बरसात का पानी अंदर आ रहा है. लेकिन किसी त्रासदी की संभावना में भी सब काम कर रहे हैं और बाहर से गेट बंद है. इसका संदर्भ और इशारा 1975 में धनबाद के पास हुई चसनाला खदान त्रासदी की ओर भी जाता है जब विस्फोट से खदान ढह गई और उसमें भयंकर पानी भर गया. इस त्रासदी में 370 से ज्यादा लोग मारे गए थे. ऐसी कई खदान त्रासदियां हुई हैं.

– विपिन शर्मा ने इस कहानी में कसाई अहसान कुरैशी का रोल किया है. इसके कुछ सीन असल कसाईबाड़े में चित्रित किए गए. जहां जमीन पर पूरा ख़ून और कीचड़ बिखरा था, जानवरों के शरीर के अंग कटे गिरे थे. वहां दृश्यों को शूट करते हुए उन्हें कई बार उल्टी हुई.

– गैंग्स ऑफ वासेपुर में शाहिद खान का किरदार जयदीप अहलावत ने निभाया था. शाहिद खान का बेटा होता है सरदार खान जो रोल मनोज बाजपेयी ने किया है. फिल्म में जयदीप को कास्ट करने का सुझाव अनुराग को मनोज ने ही दिया था.

– फिल्म की टीम लोकेशन हंट करने जब गई तो उन्हें ऐसा घर नहीं मिला जहां सरदार खान को रहते हुए दिखाया जाना था. बाद में अनुराग ने उत्तर प्रदेश में जो लोकेशन चुनी, वो दरअसल वही घर था जहां वे बचपन में रहते थे, और जहां उनके छोटे भाई अभिनव (दबंग के निर्देशक) का जन्म हुआ था. फिल्म के लिए उन्होंने ज्यादातर लोकेशन बनारस, ओबरा, अनपरा, मिर्जापुर वगैरह चुनी जहां उनका बचपन गुजरा या जो पहले से उनके जेहन में थीं.

– इस फिल्म के दो गानों में अनुराग के असिस्टेंट डायरेक्टर भी नजर आते हैं. भूस के ढेर में राई का दाना गाने में वासन बाला दिखते हैं जो अग्ली, बॉम्बे वेलवेट में सह-लेखक रहे हैं और पैडलर्स के निर्देशक. उसी तरह आई एम अ हंटर गाने में श्लोक शर्मा नजर आते हैं जिनकी पहली फिल्म हरामखोर सेंसर ने रोक रखी है. वे भी अनुराग के असिस्टेंट रहे हैं.

– इतने विशाल सेटअप वाली फिल्म में भारी बजट चाहिए होता है लेकिन अनुराग ने पूरी फिल्म को 10 करोड़ से भी कम की लागत में पूरा किया जो रिकॉर्ड है. भाग-2 को मिलाकर इसकी लागत करीब 18 करोड़ से भी कम रही. कश्यप मानते हैं कि उनकी जगह कोई और होता तो ये फिल्म 80 करोड़ से कम में नहीं बनती.

– मेकिंग में अनुराग ने कई स्थान पर चतुराई बरती. जैसे एक सीन में रमाधीर सिंह खड़े हैं और पीछे एक आधा ब्रिज बना दिख रहा है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने कंप्यूटर ग्राफिक्स से वो आधा ब्रिज बनाया. उन्होंने मौजूदा दौर में बने हुए ब्रिज को सीजीआई से अलग-अलग जगह से मिटा दिया जिससे ये लगने लगा कि ये कुछ दशक पहले का दौर है जब ब्रिज निर्माणाधीन अवस्था में था.

– फिल्म में पीयूष मिश्रा नासिर का रोल निभाते हैं और तिग्मांशु धूलिया रमाधीर सिंह का. बताया जाता है कि अनुराग ने इन दोनों को ये दोनों रोल ऑफर किए थे और उन्हीं पर छोड़ा था कि वे कौन सा किरदार करना चाहते हैं.

21. कहानी में एक जगह सरदार खान का मुकाबला करना रमाधीर सिंह (तिग्मांशु धूलिया) के लिए मुश्किल हो जाता है तो मंदिर में एक आदमी रमाधीर से मिलता है और कहता है, “मुसलमानों से लड़ना है तो मुसलमानों को जोड़ लो साथ में”. इसके बाद रमाधीर सुल्तान कुरैशी (पंकज त्रिपाठी) को अपने साथ मिलाता है. इस आदमी की शक्ल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मिलती-जुलती है. असल में ये पात्र चंद्रशेखर पर ही आधारित बताया जाता है. दरअसल रमाधीर का पात्र धनबाद जिले के झरिया से विधायक रहे सूरज देव सिंह पर आधारित है. इन सूरज देव को राजनीति में गाइड करने वाले चंद्रशेखर ही थे. फिल्म में यहां यूं दोनों का रिश्ता दिखाया जाता है.

– गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 के अंत में फैजल खान मारा जाता है. लेकिन जिस फहीम खान पर नवाज का ये रोल आधारित है वो आज भी जिंदा है और धनबाद की जेल में बंद है.

– जब भाग-2 में फैजल खान के घर पर हमला होता है और वो छत के रास्ते से होते हुए निकलता है तो इस सीन में पहले आठ बार कोशिशें ज़ाया गईं. इसमें नवाजुद्दीन के वायर बांधे गए थे जिस वजह से उन्हें एक छत से दूसरी पर कूदने और फिर काफी नीचे तक उतरने में दिक्कत होती है. फिर नवाज ने कहा कि वे इसके बिना वायर कर सकते हैं. नौवीं कोशिश में उन्होंने बिना किसी वायर के ये किया और एक ही टेक में शॉट ओके हो गया.

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