डिंपल यादव

महिला नेता

राजनीति के साथसाथ घरपरिवार और बच्चों की देखभाल करना बेहद कठिन होता है. इस की वजह यह होती है कि राजनीति में समय निकालना आसान नहीं होता, क्योंकि नेता को अपने परिवार से अधिक जनता का ध्यान रखना पड़ता है. डिंपल यादव समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की पत्नी हैं. अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. एक दौर वह भी था जब अखिलेश और डिंपल दोनों ही लोक सभा में एकसाथ सांसद रहे. राजनीति के साथसाथ घरपरिवार और बच्चों का भी ध्यान रख कर सचमुच डिंपल यादव ने खुद को सुपर मौम साबित किया. पेश हैं, डिंपल यादव से हुई मुलाकात के कुछ खास अंश:

राजनीति के साथसाथ घर और बच्चों को कैसे संभाल लेती हैं?

2012 में जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तो मैं ने घर की पूरी जिम्मेदारी खुद संभाल रखी थी. उस समय हर कार्यकर्ता खासकर महिलाओं का बहुत खयाल रखती थी. हमारी 2 बेटियां अदिति, टीना और 1 बेटा अर्जुन है. घरपरिवार और जनता के साथसाथ अपने बच्चों का भी ध्यान रखना पड़ता है, जो बड़ा मुश्किल होता है. हर मां की तरह मैं भी अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखती हूं.

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आज के समय में बच्चों को सही दिशा देनी जरूरी है. केवल व्यवहार ही नहीं डाइट और ऐक्सरसाइज के हिसाब से भी बच्चों को जागरूक रखना चाहिए. फास्टफूड और सोशल मीडिया के दौर में मैदान के खेलों में बच्चों की रुचि बढ़ानी चाहिए ताकि उन का शारीरिक विकास सही हो सके. पढ़ाई में बच्चों के होमवर्क पर जरूर नजर रखनी चाहिए.

आप की पढ़ाई-लिखाई कहां से हुई है?

मैं मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हूं. मेरा पालनपोषण ज्यादातर लखनऊ में ही हुआ. पिता एससी रावत सेना में कर्नल थे और मां चंपा रावत गृहिणी थीं. मैं फौजी अनुशासन में पलीबढ़ी हूं. पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल से शुरू हुई. विश्वविद्यालय स्तर की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से की. यहां से एमए की डिगरी हासिल की. यहीं पढ़ाई के दौरान मेरी मुलाकात अखिलेश यादव से हुई. पहले दोस्ती फिर 24 नवंबर, 1999 को अखिलेश यादव से शादी हुई.

शादी के बाद पूरे 10 साल गृहस्थ जीवन में गुजारने के बाद 2009 में पहली बार फिरोजाबाद लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. यहां कांग्रेस के राजबब्बर को हरा कर सांसद बनी. इस के बाद 2012 में कन्नौज लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. बिना किसी विरोध के सांसद बनी. मैं बड़े राजनीतिक परिवार की बहू हूं. ऐसे में बात चाहे चुनावी मंच पर भाषण देने की हो या फिर लोक सभा में अपनी बात रखने की, मैं ने कभी अपनी सौम्यता को दरकिनार नहीं किया.

खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं?

मु झे खाली समय में किताबें पढ़ने और पेंटिंग करने का शौक है. इस के अलावा गृहिणी की तरह स्वादिष्ठ खाना भी बनाती हूं. मैं इंडियन और चाइनीज दोनों तरह का खाना बनाने में माहिर हूं. अपने बच्चों का भी पूरा खयाल रखती हूं. अब बच्चे बड़े हो गए हैं तो उन्हें सम झा कर काम करना पड़ता है.

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मैं ने शुरू से ही समय पर काम करना सीखा है, जिस से मु झे कभी कोई परेशानी नहीं आई. बच्चों को समय देना वैसे भी मु झे पसंद है. बच्चे देश का भविष्य हैं. उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने में मां की भूमिका सब से अहम होती है. मां को बच्चों को बहुत ही धैर्यपूर्वक संभालना चाहिए ताकि वे सही राह पर चल कर देश और समाज का भला कर सकें.

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