बौडी शेमिंग बना बड़ा सिरदर्द : डौली सिंह

एक पतलीदुबली सांवली सी लड़की जब बौलीवुड की एक्ट्रैस के साथ काम करती है तो जरूर उस में कोई न कोई बात तो होती ही है. हम बात कर रहे हैं एक्ट्रैस, फैशन व्लौगर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर डौली सिंह की. जिस ने ‘थैंक यू फौर कमिंग’ से बौलीवुड में डैब्यू किया था. उस की यहां तक पहुंचने की जर्नी आसान नहीं रही है, क्योंकि उसे अकसर बौडी शेमिंग का सामना करना पड़ा है. इस का जिक्र उस ने कुछ महीने पहले ही अपने इंस्टाग्राम पर किया है.

 

15 मई, 2024 को डौली ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक लंबीचौड़ी पोस्ट शेयर की और बताया कि कैसे उसे अपने वजन को ले कर शर्मिंदा होना पड़ता है. पोस्ट के कैप्शन में डौली ने लिखा, ‘‘मु?ो आशा है कि मैं किसी के लिए सेफ प्लेस हूं’’ वहीं बात करें उस के नोट की तो उस ने अपने नोट में लिखा, ‘‘हर किसी की तरह मेरा वजन भी बढ़ताघटता रहता है, लेकिन मैं आसानी से अपना वजन कम कर लेती हूं, जो वापस बढ़ना मुश्किल होता है. पिछले कुछ महीनों में बढ़ती उम्र और स्ट्रैस की वजह से मेरा वजन कम हुआ है, लेकिन मु?ो इस की कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि मु?ो पता है कि अपनी हैल्दी डाइट और वर्क आउट से मैं दोबारा वजन बढ़ा लूंगी. मु?ो यकीन है कि लोगों के पास मेरे वजन के बारे में कहने के लिए बहुतकुछ होगा, साथ ही वे मु?ो विश्वास दिलाने की कोशिश करेंगे कि मैं ने अपनी चमक खो दी है और मैं अपना ध्यान नहीं रखती हूं.’’

डौली ने अपने इस नोट में अपने बचपन के बौडी शेमिंग के भयानक और भावनात्मक अनुभव का भी जिक्र किया है. उस ने बताया कि 13 साल की उम्र में अपने वजन को ले कर उसे बौडी शेमिंग का दर्द ?ोलना पड़ा. उस ने कहा कि भले ही 30 की उम्र में लोगों के कमैंट्स का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन 13 साल की उम्र में उसे इस तरह की बातों से चोट पहुंचती थी. डौली सिंह ने आगे बताते हुए कहा, ‘‘शुक्र है, इंस्टाग्राम पर मेरे दर्शक मुझे स्वीकार कर रहे हैं. मु?ो अब उतनी ट्रोलिंग नहीं मिलती जितनी पहले मिलती थी. लेकिन, अगर आप का वजन कम हुआ है या बढ़ा है तो आप को दूसरों को बताने की जरूरत नहीं है.’’

इतनी नैगेटिव बातों के बाद डौली ने इस नोट में अपने हैप्पी प्लेस का भी जिक्र किया है और बताया है कि लोगों को भी बिना वजन के बढ़नेघटने की चिंता किए बगैर कंफर्टेबल महसूस करने की जरूरत है.

डौली सिंह काफी क्रिएटिव भी है. उस का ह्यूमर काबिल ए तारीफ है. यही वजह है कि उस के कौमेडी वीडियोज दर्शकों को काफी ज्यादा पसंद आते हैं. वह सोशल मीडिया पर अपने फनी किरदारों के लिए हमेशा ही छाई रहती है. जैसे ही वह कोई कौमेडी वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर पोस्ट करती है वैसे ही उस के व्यूज लाखों में आ जाते हैं.

सोशल मीडिया पर डौली के कुछ फनी कैरेक्टर हैं जो लोगों के बीच काफी पौपुलर हैं- गुड्डी भाभी, राजू की मम्मी,  श्री, साउथ दिल्ली बहू जैसे अलगअलग किरदारों   में वह कंटैंट क्रिएट करती है.

कैसे की शुरुआत?

23 सितंबर, 1993 को जन्मी डौली उत्तराखंड के नैनीताल से है. उस ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय और नैशनल इंस्टिट्यूट औफ फैशन टैक्नोलौजी से पूरी की है. इस के बाद उस ने ‘स्श्चद्बद्यद्य ह्लद्धद्ग ह्यड्डह्यह्य’ के साथ व्लौगिंग स्टार्ट की. इस के अलावा वह ‘द्बष्ठद्ब1ड्ड’ की पौपुलर कंटैंट डेवलपर भी है.

इस के अलावा, सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफौर्म्स जैसे यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर काफी एक्टिव रहती है. इंस्टाग्राम पर उसे 1.4 मिलियन लोग फौलो करते हैं और यूट्यूब पर उस के 6 लाख के करीब सब्सक्राइबर्स हैं.

डौली जिस तेजी से बौलीवुड इंडस्ट्री और सोशल मीडिया में अपनी जगह बना रही है उस से यह कहा जा सकता है कि उस ने बौडी शेमिंग की नैगेटिव अवधारणा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और वह इस से उभरने में कामयाब रही है.

बौडी शेमिंग से हो सकती है यह परेशानी

वैसे इस बात से बिलकुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बौडी शेमिंग एक सीरियस मुद्दा है, जो किसी की भी मैंटल हैल्थ को खराब कर सकता है. कभीकभी इस तरह की चीजें लोगों के डिप्रैशन का कारण तक बन जाती हैं और डिप्रैशन हैल्थ के लिए कितना बुरा है यह तो सभी जानते हैं. इस के अलावा भी बौडी शेमिंग का हमारी हैल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

बौडी शेमिंग की मार झेल रहा इंसान अकेलापन महसूस कर सकता है, उसे अंदर ही अंदर घुटन महसूस हो सकती है, वह शर्मिंदगी और इन्फिरीओरिटी कौम्प्लैक्स महसूस कर सकता है, लगातार बौडी शेमिंग से वह स्ट्रैस या डिप्रैशन का शिकार हो सकता है, वह खुद को फ्रैंड्स और फैमिली से अलग करना शुरू कर देता है. उसे पैनिक अटैक आने के चांसेस होते हैं.

लड़कियां हैं बड़ा शिकार

कुछ महीनों पहले हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा की एक फिल्म आई थी, जिस का नाम था ‘डबल एक्स एल.’ इस फिल्म में बहुत अच्छे से यह दिखाया गया था कि, कैसे लड़कियों को कदमकदम पर बौडी शेमिंग का शिकार होना पड़ता है.

बौडी शेमिंग एक बड़ा मुद्दा रहा है. बौडी शेमिंग का शिकार लड़कों के मुकाबले ज्यादा लड़कियां होती हैं. इन्हें अकसर अलगअलग नामों जैसे काली, नाटी, मोटी से पुकारा जाता है. कई रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों को अपने वजन के आधार पर अधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और इस वजह से उन के साथ ज्यादा छेड़छाड़ की जाती है.

क्या कहता है सर्वे

एक बौडी शेमिंग के सर्वे में कई चौंका देने वाले तथ्य सामने आए. जैसे 84 प्रतिशत महिलाओं के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की बौडी शेमिंग ज्यादा होती है. 90प्रतिशत महिलाओं ने माना कि बौडी शेमिंग एक आम व्यवहार है. 47.5 प्रतिशत महिलाओं को स्कूल और वर्कप्लेस पर बौडी शेमिंग का सामना करना पड़ा. 32.5 प्रतिशत  महिलाओं ने कहा कि दोस्त उन के वजन, शेप, रंग और बालों पर नैगेटिव कमैंट करते हैं. 3 प्रतिशत महिलाओं का मानना था कि आत्मविश्वास के लिए अच्छा दिखना जरूरी है.

चाहे कोई कुछ भी कहे, हमेशा खुद से प्यार करें. चाहे आप का रंग, रूप, हाइट कैसी भी हो, खुद को वैसे ही स्वीकारें. किसी की बातों को खुद पर हावी न होने दें. न ही अपनी तुलना कभी किसी से करें. वहीं आप का फ्रैंड सर्कल कैसा है इस का प्रभाव भी आप की मैंटल हैल्थ पर पड़ता है. इसलिए हमेशा ऐसे लोगों से दोस्ती करें जो आप के टैलेंट से आप को आंकें न कि आप की बौडी से, क्योंकि दोस्तों के द्वारा बौडी शेमिंग करना ज्यादा अखरता है.

बॉडी शेमिंग की शिकार हो चुकी हैं ‘अनुपमा’, ताने कसते थे लोग

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा टाआरपी चार्ट्स में बीते कई हफ्तों से धमाल मचा रहा है. वहीं आज शो के सितारे घर-घर में फेमस हो गए हैं. हालांकि शो में लीड रोल में नजर आ रही अनुपमा यानी रुपाली गांगुली बौडी शेमिंग की शिकार भी हो चुकी हैं, जिसका खुलासा हाल ही में रुपाली गांगुली ने किया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं अनुपमा….

प्रैग्नेंसी के बाद बढ़ा वजन

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) यानी हम सबकी अनुपमा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें भी बॉडी शेमिंग का दर्द झेलना पड़ा है. दरअसल, रुपाली ने बताया कि बेटे रुद्रांश के जन्म के समय उनका वजह 58 किलो से 86 किलो हो गया था, जिसके कारण वह मोटी दिखने लगी. वहीं जब वह टहलने के लिए जाती थी लोग उन्हें आंटी कहकर बुलाने लगते तो कुछ उनकी बॉडी पर तंज कसते रहते थे.

 

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बेटे के लिए हुईं एक्टिंग की दुनिया से दूर

 

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रुपाली ने बताया कि लोग उस समय मुझे मोनिशा के नाम से जानते थे. मुझे देखकर कहते थे कि अरे तुम तो मोनिशा हो कितनी मोटी हो गई हो. एक मां को जज करने का अधिकार किसी का नहीं होता. किसी को यह पता नहीं होता कि अपनी प्रेग्नेंसी के समय एक महिला किन-किन परिस्थितियों से गुजरती है. दरअसल, रुपाली थायरॉयड की समस्‍या झेल रही थीं, जिसमें प्रजनन क्षमता कम हो जाती है. वहीं कई हेल्थ इशु झेल रही रुपाली कई सालों बाद मां बनी, जिसके कारण वह एक्टिंग की दुनिया से दूर रहीं.

 

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बता दें, सीरियल साराभाई वर्सेज साराभाई की मोनिशा से फैंस के दिल में जगह बना चुकीं रुपाली गांगुली कई साल बाद टीवी पर नजर आई हैं. वहीं शो में उनकी एक्टिंग की तारीफ इन दिनों हर कोई करता नजर आ रहा है.

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कही आप भी तो नहीं बॉडी शेमिंग की इन बातों के शिकार

बौडीशेमिंग से हर कोई किसी न किसी रूप से रूबरू होता है. इस से चाहे वह डिप्रैशन में चला जाए या फिर उसे किसी बात पर बुरा लगे पर सच तो सच है. आखिर सच से रूबरू कराने में हर्ज क्या?

इन मोटे गैंडे जैसे पैरों में शौर्ट्स तो बिलकुल अच्छे नहीं लगेंगे

क्या लड़कियों की तरह रो रहा है,

लड़का बन, लड़का

इतनी भारी आवाज है तेरी बिलकुल मर्दों वाली

बेटा, बालों में तेल लगा ले,

वैसे ही चिडि़या का घोंसला लगते हैं

तू क्रौप टौप मत पहना कर, तेरा पेट बाहर लटकता है

बौडीशेमिंग से कौन वाकिफ नहीं है, ‘यार, आज तू बहुत मोटी लग रही है’, ‘तेरा रंग इतना काला क्यों होता जा रहा है’, ‘कल न तू पतली लग रही थी’, यह सब बौडीशेमिंग ही तो है. खैर, कहने वालों को क्या, कौन सा उन्हें फर्क ही पड़ता है. कोई चाहे उन की बातों से अंदर ही अंदर घुट जाए या एंग्जायटी और डिप्रैशन का शिकार हो जाए, वे तो केवल सच बोलते हैं और किसी को सचाई से रूबरू कराने में हर्ज कैसा. मेरी खुद की सुबह ही ‘और हाथी का बच्चा कहां जा रही है’ सुन कर होती है.

दिन में 7-8 लोगों से मुलाकात होती है तो उन में से 4 ‘आज न तू ज्यादा ही फैली हुई लग रही है’ बोल ही जाते हैं, और बाकी 4 को मैं ‘लिपस्टिक लगा ले तेरे होंठ बड़े काले लग रहे हैं’, ‘कुछ खाके आया कर हवा का झोंका आया तो उड़ जाएगी.’ ‘ये कैसा पीला रंग है तुझ पर बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा’, ‘तेरे बाल इतने बेकार से क्यों लग रहे हैं, धो कर नहीं आई क्या’ बोल ही देती हूं. आखिर बोलूं भी क्यों न, सब मुझे भी तो बोलते हैं और अगर मैं ने बोल दिया तो कौन सी बड़ी बात हो गई.

मैं अपने इस ज्ञान का पूरा श्रेय अपने परिवार, दोस्तों, सोशल नैटवर्किंग साइट्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब ब्लौगर्स और बौलीवुड को देती हूं.

बौडीशेमिंग का पहला प्रकार वह है जिस में हम व्यक्ति को यह एहसास दिलाते हैं कि उस में कितनी कमियां हैं, वह कितना गलत रंगरूप ले कर धरती पर आया है.

–  तू पक्का लड़की ही है न? लड़के की तरह क्यों दिखती है?

–  तेरी बौडी में लचक ही नहीं है.

–  क्या लड़कियों की तरह से रो रहा है, लड़का बन लड़का.

–  तुझे अंधेरे कमरे में बिठा दिया न तो तू नजर ही नहीं आएगी.

–  यह लहंगा तेरी जगह मैं पहनती तो दीपिका से कम नहीं लगती.

–  कैसी चाइनीज जैसी आंखें हैं तेरी.

–  यह सारे पकौड़े अकेले खाएगी तो फट जाएगी.

–  यह ड्रैस तुझ पर अच्छी नहीं लगेगी, चर्बी देख अपनी.

–  तू इस के ऊपर बैठ गई तो बेचारा मर जाएगा.

–  तू जहां गिरेगी वहां की तो जमीन ही धंस जाएगी अंदर.

–  तुझ में और उस खंबे में कोई फर्क नहीं है, दोनों ही लंबू हो.

–  तू तो जिराफ को कंपीटिशन दे सकता है.

–  तेरे गाल कैसे पिचके हुए से हैं.

–  तुझ में न, लड़कियों वाली अदाएं ही नहीं हैं.

–  कैसी तीखी आवाज है तेरी, कानो में चुभती है.

–  इतनी भारी आवाज है तेरी बिलकुल मर्दों वाली.

–  कितने बाल हैं तेरे हाथ पर, तुझे तो लड़का होना चाहिए था.

–  तुझ में तो मोटापा भरभरकर दिखने लगा है.

–  कैसे घोड़े की पूंछ से बाल हैं तेरे.

–  बेटा बालों में तेल लगा ले, वैसे ही चिडि़या का घोंसला लगते हैं.

–  कैसी सरकंडे सी टांगे हैं तेरी.

–  इन मोटे गैंडे जैसे पैरों में शौर्ट्स तो बिलकुल अच्छे नहीं लगेंगे.

–  यार तू न सफेद कपड़े मत पहना कर, पूरी ब्लैक ऐंड व्हाइट लगती है.

–  तेरे दांत कैसे हैं टेड़ेमेढे, हंसते वक्त तो बिलकुल अच्छे नहीं लगते.

–  तू ने कभी अफ्रीका में बसने का नहीं सोचा.

–  तू क्रौप टौप मत पहना कर, तेरा पेट बाहर लटकता है.

–  लाल लिपिस्टक मत लगा तेरे होंठ ऐसे ही इतने बड़े हैं, जरा से मुंह पर बस होंठ ही चमकेंगे.

–  इतना मत नाचा कर ऐसा लगता है जैसे कोई हाथी कूद रहा हो.

अब आता है दूसरा प्रकार जिस में हम किसी व्यक्ति के साथ मिल कर किसी तीसरे पर टीकाटिप्पणी करते हैं.

–  इतनी टाइट जींस पहन कर आई है मानो 2 कदम चलेगी तो फट जाएगी.

–  मेरी मम्मी बता रहीं थी कि सुषमा प्रोटीन ले रही है मगर क्या फायदा, लग तो अभी भी झाड़ू की तिल्ली जैसी रही है.

–  ये परकटी हो कर पता नहीं क्यों घूम रही है आजकल.

–  नेहा तू न फेसपैक वगैरह लगाया कर तो तेरा चेहरा भी हम दोनों जैसा निखर जाएगा.

–  वो कितनी अजीब लग रही थी कल.

–  उस का पेट कितनी बुरी तरह से निकला हुआ है.

–  आज न कशिश भी पार्टी में आएगी, मोरों के बीच में एक अकेली भैंस.

–  उस ने स्कर्ट पहनी थी कल लेकिन काले घुटने दिख रहे थे.

–  ऐसे बालों का भी क्या फायदा जो बाल कम और झाड़ ज्यादा लगें.

–  उस का बौयफ्रैंड इतना छोटा सा है और ये इतनी लंबी ऊंट, कोई मैच ही नहीं है.

–  अगर वो इस स्कूटी पर बैठी तो और कोई नहीं बैठ पाएगा.

–  कैसी हब्शी का बच्चा बन कर आई है.

–  पूनम और कोमल बहने तो लगती ही नहीं हैं, एक इतनी गोरीचिट्टी और एक इतनी कालीकलूटी.

–  आप का बेटा कोयले की खदान में काम करता है क्या.

–  बबली तू कैसी गिट्ठी बहू लाई है, बेटे की कदकाठी तो देख लेती.

तीसरा प्रकार सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, इस में हम खुद को बौडीशैम करते हैं. कोई हमें कुछ कह दे तो उसे अपने जेहन में तो उतारते ही हैं लेकिन खुद को बौडीशैम करने का तो मजा ही कुछ और है.

–  मुझे लाल रंग पहनना ही नहीं चाहिए, फुटबौल लगूंगी पूरी.

–  मैं इस ड्रैस में मोटी लग रही हूं क्या.

–  काश मैं इस ब्लौगर जैसी दिख पाती.

–  मेरा मुंह इतना पतला क्यों है.

–  मैं बबलगम खाऊंगी तो शायद मेरे गाल थोड़े पिचक जाएं.

–  इस पाजामी में मेरे पैर कितने मोटे दिख रहे हैं.

–  मेरी आंखें लाइनर में कितनी अजीब दिख रहीं हैं.

–  यह कालेकपड़े पहनूंगी तो मैं नजर ही नहीं आऊंगी.

–  मैं स्टेज पर सुंदर नहीं दिखी तो.

–  हर एंगल से मैं मोटी क्यों दिखती हूं.

–  कितनी फूलती जा रही हूं मैं, आज से दौड़ लगाना चालू.

–  मुझे किसी के सामने कूदना नहीं चाहिए, शरीर हिलेगा तो अच्छा नहीं लगेगा.

–  मुझे किसी के सामने खुल कर हंसना नहीं चाहिए, मेरे दांत जरूरत से ज्यादा टेढ़े हैं.

–  कैसा गुब्बारे जैसा मुंह है मेरा, जोलाइन तक दिखाई नहीं देती.

–  काश मैं माया जैसी दिखती.

कई बार बौडीशेमिंग करने वाले को इस बात का एहसास नहीं होता कि वह अपनी दोस्त, बहन या बेटी की बौडीशेमिंग कर रहा है.

–  तुझे पता है अगर तू थोड़ी सी पतली होती तो क्या सुंदर लगती.

–  उस की बेटी की शक्ल कितनी ज्यादा सुंदर है न, काश तू भी ऐसी होती.

–  सुषमा अपने बेटे को कोयले से नहलाती है क्या.

–  तू कौन सी क्रीम लगाती है, कहीं उसी से और काली तो नहीं हो रही.

–  माना तू गोरी है पर तेरे नैननक्श तो बिलकुल अच्छे नहीं हैं.

–  तू सुंदर है यार पर तेरी नाक न थोड़ी ज्यादा मोटी है.

–  तुझ पर न जंपसूट अच्छा नहीं लगेगा, तेरे नितंब बिलकुल चिपके हुए हैं.

–  तू इतनी फ्लैट है न, मुझे चिंता होने लगती है कि तेरी शादी कैसे होगी.

–  प्रिया देख, इस फोटो में तो तू दिखाई ही नहीं दे रही है, बस तेरे सफेद दांत और आंखें चमक रहीं हैं.

–  जतिन जिम जौइन कर ले, लड़कियों को तेरे जैसे लड़के कम ही पसंद आते हैं.

–  बेटा एक तो वैसे ही तेरे लिए रिश्ते नहीं आ रहे ऊपर से अब तू वजन भी बढ़ाए जा रही है, गिट्ठी थी वह क्या कम था.

–  शोभा रोज सुबह उठ कर एक ग्लास पानी में शहद डाल कर पिया कर, तेरा पेट अंदर हो जाएगा.

–  बालों में तेल लगाया कर थोड़ा, इतने रूखेसूखे चिडि़या के घोंसले जैसे बना कर घूम रही हैं.

–  मोना के घर बेटी हुई है, इतना पक्का रंग है उस का इतना ज्यादा कि लाइट चली जाए तो बच्ची ही न मिले.

–  सर आप डाई क्यों नहीं लगाते, इतने सफेद बाल आप को शोभा नहीं देते.

–  तू मटक कर क्यों चलता है, जनाना जैसे.

–  इतने तो भालू के शरीर पर बाल नहीं होते, जितने तेरे शरीर पर हैं.

–  पूरे गरदन तक के कपड़े पहनने चाहिए तुझे, तेरी गरदन की हड्डी बिलकुल अच्छी नहीं दिखती.

–  इतना कमर लचका कर क्यों चलती है, बहुत बुरी लगती है.

–  तेरी नाभि इतनी ज्यादा बड़ी है, इस में तो एक लीटर पानी जमा हो जाए.

–  तेरे पैर हैं कि फावड़ा.

–  सौरी मैडम आप के साइज की शर्ट नहीं है. इतना लार्ज साइज हम नहीं रखते.

–  हम सब तो बिकिनी पहन रहे हैं, तू क्या पहन रही है. बिकिनी मत पहनियो तू प्लीज. बहुत इंसल्ट हो जाएगी तेरी.

–  दीदी आप ऐसे चंपू सी बन कर क्यों घूमती रहती हो.

–  यार मैं न किसी हौट सी लड़की के साथ पार्टी मैं जाऊंगा, तेरे साथ गया तो समझ कितना ओड लगेगा मुझे.

–  तू सुंदर है यार. बस, तू मेरे टाइप की नहीं है. मैं इतना फिट और तू बिलकुल अपोजिट.

–  बेटा तेरी तो मुझे चिंता होने लगी है, ऊंट सी लंबी लड़की के लिए रिश्ता कहां से आएगा.

–  तू थोड़ा सा गोरा होता तो क्या हीरो जैसा दिखता.

– तेरे होंठ न बहुत पतले हैं तो तू लिपस्टिक थोड़ी आउटलाइन बढ़ा कर लगाया कर.

– इतने मोटेमोटे गाल हैं तेरे, थोड़ा पतले कर ले.

– ऐसे क्यों खड़ा है, थोड़ा सांस अंदर खींच कर खड़ा रह पेट कम दिखेगा.

– इतने स्ट्रैच मार्क्स हैं तेरे, इन्हे ढक कर रखा कर.

– तार लगवा ले दांतों में तो क्या सही दिखेंगे.

– रीमा ये ले बेसन और दही का पेस्ट लगा ले, देखना चेहरे पर कितना निखार आ जाएगा.

– तू हौट या सैक्सी नहीं है, क्यूट है बट हौट नहीं.

– तुझ में सुई घुसा के देखूं,? क्या पता तेरी हवा निकल जाए और तू पतली हो जाए.

– तेरा पाउट इतना गंदा दिखता है, इस से अच्छी तो तू मुस्कराते हुए लगती है.

– तुम थोड़े से लंबे होते न तो मैं तुम से शादी कर लेती.

– मैं तेरी दोस्त नहीं होती न तो शायद तुझ से कोई और दोस्ती भी न करता तेरी शक्ल देख कर.

– अपने आप को ज्यादा इंटैलीजैंट मत बन, दिखने में तो वह रुचि ही तुझ से अच्छी है.

– लाल लिपिस्टक तुझ पर अच्छी नहीं लगती, वो शीतल जैसी गोरी चिट्टी लड़कियों पर लगती है.

– यार किसी डाक्टर को क्यों नहीं दिखाता, अभी से टकला हो जाएगा तो लड़की नहीं मिलेंगी.

इन सभी तरीकों को अपनाया जाना भी बड़ा जरूरी है, हां बताने की जरूरत तो नहीं है कि कैसे हम सभी को बहुत अच्छी तरह से लोगों को बौडीशेम करना आता है.

कोई हमारी इस बौडीशेमिंग के कारण अपना आत्मविश्वास खो दे, डिप्रैशन का शिकार हो जाए, एनरोक्सिया या बुलिमिया नर्वोसा जैसे रोगों की चपेट में आ जाए या फिर अपना अस्तित्व खो कर लोगों की प्रशंसा प्राप्त करने वाला पुतला बन जाए, उस से हमें क्या. इस से हमें क्या फर्क पड़ता है आखिर हमें तो जो दिख रहा है हम वही तो कह रहे हैं. इस में गलत क्या है?

साइज नहीं इन का हौसला है प्लस

प्लस साइज वूमन सुनते ही सभी के जहन में उस लड़की की इमेज बनती है, जो सामान्य से ज्यादा मोटी होती है, जिस की तोंद निकली होती है और शरीर थुलथुला होता है. मांबाप को चिंता होती है कि इस से शादी कौन करेगा, भाईबहन को चिंता होती है कि हमारे हिस्से का भी खा जाएगी और दोस्तों को चिंता होती है कि यह जिस भी फोटो में आएगी उसे बिगाड़ देगी.

बौडी शेमिंग को चिंता का नाम देना कोई नई बात नहीं है. ‘हम तो तेरे भले के लिए ही कहते हैं’ जैसी बातों से बौडी शेमिंग को ढकने की कोशिश पूरी होती है. लेकिन यह बौडी शेमिंग एक व्यक्ति से उस की खुशी, सुखचैन सब छीन लेती है.

गत 30 जून को दिल्ली में मिस प्लस साइज पैजेंट था जिस में भारत के अलग-अलग कोनों से लड़कियों और महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. इस पैजेंट में भारतीय मूल की बिशंबर दास भी आईं, जो ब्रिटिश एशिया की पहली प्लस साइज मौडल और मिस प्लस साइज नौर्थ इंडिया 2017 की ब्रैंड ऐंबैसडर थीं. बिशंबर डर्बी की पहली लड़की हैं, जो 22 वर्ष की उम्र में मजिस्ट्रेट बनीं. लेकिन हर प्लस साइज लड़की की तरह उन का बचपन भी लोगों के तानों और बौडी शेमिंग के बीच गुजरा. बौडी शेमिंग के चलते वे डिप्रैशन में भी रहीं. और बहुत सारी लड़कियों की ही तरह उन्हें भी अपना वजूद बेमानी लगने लगा था. लेकिन हिम्मत हारने के बजाय इस मुकाम पर पहुंच कर उन्होंने एक मिसाल पेश की.

तानों से उभर कर

बिशंबर बताती हैं, ‘‘मैं बचपन से ही बहुत खाती थी. मेरी फैमिली के लोग भी मेरा मजाक उड़ाते थे. जो लोग मुझे नहीं जानते थे वे भी मेरी मम्मी से आ कर कहते कि आप की लड़की की शक्ल तो बहुत अच्छी है पर यह बहुत मोटी है. इस से कौन शादी करेगा. मुझे बारबार याद दिलाया जाता था कि मैं प्लस साइज हूं.

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‘‘लोगों की जबान तलवार जैसी होती है. वे ऐसीऐसी बातें कह देते हैं जो सामने वाले को किस हद तक प्रभावित कर सकती है, इस का उन्हें अंदाजा नहीं होता. मैं बौडी शेमिंग से डिप्रैशन में आ गई थी. सब ने नोटिस किया कि मेरा वजन बढ़ रहा है, लेकिन किसी ने यह नहीं पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है. मैं मजिस्ट्रेट बन गई थी, फिर भी जिन की जौब मुझ से कम थी उन्होंने भी मुझे शादी के लिए रिजैक्ट कर दिया. मेरी शिक्षा अच्छी थी, नौकरी अच्छी थी, लेकिन सबकुछ मेरी आउटर अपीयरैंस के आगे छोटा पड़ गया. हम सामने वाले को खुश करने के लिए खुद को क्यों बदलें? आज उसे हमारा मोटा होना पसंद नहीं आ रहा, कल वह कहेगा कि तुम्हारी नाक टेढ़ी है तो क्या नाक की सर्जरी कराएं? फिर कल को बोलेगा बाल सही नहीं हैं, फिर क्या बाल शेव कर देंगे? ये सब बातें और व्यवहार ही आगे चल कर मेरी प्रेरणा बना.’’

जब बिशंबर से यह पूछा गया कि वे इस बड़े मुकाम तक कैसे पहुंचीं तो इस पर वे बताती हैं, ‘‘जब मैं बचपन से अपने जैसे किसी मोटी लड़की को टीवी पर देखती थी तो मुझे लगता था कि मैं जैसी हूं अच्छी हूं. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. मैं ने अपने जैसी लड़की नहीं देखी, न कमर्शियल फील्ड में, न फिल्मों में और न मैगजीन में किसी मौडल की तरह. जिन चीजों से मैं गुजरी उस का सब से बड़ा कारण था कि मेरा कोई रोल मौडल नहीं था. मुझे और मुझ जैसी हर लड़की को एक रोल मौडल की जरूरत थी, इसलिए मैं ने फैसला किया कि मैं ब्यूटी पैजेंट में भाग लूंगी.’’

जब परिवार साथ हो

प्लस साइज होना और बौडी शेमिंग का शिकार होना कोई नई बात नहीं रही है. असल में तो ये दोनों ही शब्द एकदूसरे के पूरक हैं, लेकिन बिशंबर और उस जैसी प्लस साइज लड़कियां बौडी शेमिंग को अपनी सफलता में आड़े नहीं आने देतीं. इसी पंक्ति में एक नाम है मोना वेरोनिका कैंपबेल का. मोना पहली ट्रांसजैंडर प्लस साइज भारतीय मौडल हैं. वे लैक्मे फैशन वीक जैसे बड़ेबड़े प्लेटफौर्मों पर वाक कर चुकी हैं. मोना का कहना है कि उन की सफलता का श्रेय उन के परिवार को जाता है. जब उन्होंने अपने परिवार को अपने ट्रांसजैंडर होने के बारे में बताया तो उन्होंने उन का तिरस्कार करने के बजाय उन का साथ दिया.

अपने प्लस साइज मौडल होने के विषय में वे कहती हैं, ‘‘ज्यादातर महिलाएं अपने बौडी वेट को ले कर असुरक्षित महसूस करती हैं. यहां तक कि उन के मातापिता भी उन पर वजन कम करने के लिए प्रैशर डालते हैं. यह कोई बीमारी नहीं है, यह नैचुरल है. लोगों को यह समझना चाहिए. खूबसूरती हमारे अंदर होती है. जब मैं सुबह उठती हूं तो खुद से कहती हूं कि तुम स्ट्रौंग हो और सुंदर हो.’’

मोना का प्लस साइज और ट्रांसजैंडर होना दोनों ही मौडल बनने की राह में किसी चुनौती से कम नहीं थे. इन सब के बावजूद पारिवारिक सहयोग और आत्मविश्वास के साथ मोना आगे बढ़ीं. उन्होंने साबित कर दिया कि लोगों के ताने उन के कुछ कर गुजरने की जिद से ज्यादा बड़े नहीं थे.

खुद की नजर में उठना

इस प्लस साइज इवेंट में भारत के अलगअलग कोनों से लड़कियों और महिलाओं ने हिस्सा लिया. ये सभी प्लस साइज थीं और साथ ही इन के हौसले भी प्लस साइज थे. ये सभी पढ़ीलिखी थीं, अच्छी नौकरी कर रही थीं और खुद को किसी से कम नहीं समझती थीं.

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रैंप वाक करते समय इन्हीं में से दिल्ली की एक प्रतिभागी नीतिका चोपड़ा कहती हैं, ‘‘आखिर हर महिला खुद पर प्राउड क्यों न हो?’’ एक अन्य प्रतिभागी ने कहा, ‘‘माई वेट इज नौट माई वर्थ.’’

इन प्रतिभागियों का कौन्फिडैंस देख कर एक बात साफ थी कि बौडी शेमिंग से दब कर उसे अपनी सचाई बना लेना ठीक नहीं है. उस का डट कर सामना करने की जरूरत होती है.

बदलाव जरूरी है

जब बचपन से ही लड़कियों के लिए खूबसूरती के पैमाने तय कर दिए जाते हैं तो उन में अपने शरीर, अपनी छवि को बदलने की ललक जाग उठती है. जब टीवी पर एक दूसरी अभिनेत्री उन्हें बला की खूबसूरत, जीरो साइज फिगर में नजर आती है तो उस फिगर को वे भी पाना चहती हैं. यहीं से शुरू होता है खुद के साथ उन का स्ट्रगल. इस स्ट्रगल को डिप्रैशन और ऐंग्जाइटी में बदलने का काम उन का परिवार और आसपास के दोस्त करते हैं. मोटी, थुलथुल ऐसेऐसे नाम दे कर उन के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी जाती है, जो हमेशा बनी रहती है.

बौडी शेमिंग से बचना लगभग मुश्किल है, पर इसे अनसुना कर आगे बढ़ना बेहद जरूरी है. बदलाव खुद हम से शुरू होता है. खुद को खूबसूरत मानें, अपने आसपास की लड़कियों और महिलाओं को उन के खूबसूरत होने का एहसास दिलाएं. जरूरी नहीं कि खूबसूरती हमेशा वही हो जो अन्य लोगों की नजरों को भाए. लोग बौडी शेमिंग करते हैं, क्योंकि वे आप के बाहरी रूप को ज्यादा महत्त्व देते हैं और जो लोग आप के बाहरी रूप को ज्यादा महत्त्व देते हैं, उन की आप को अपने जीवन में कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए.

अपने शरीर को अपनी पहचान पर हावी न होने दें. समाज को नए उदाहरणों की जरूरत है, खूबसूरती के नए पैमानों की जरूरत है. प्लस साइज लड़कियों को खुद को एक रोल मौडल बनाने की जरूरत है न कि यहांवहां रोल मौडल ढूंढ़ने की.

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किसी अपराध से कम नहीं बौडी शेमिंग, सेलेब्रिटी भी हो चुकें है शिकार

हाल ही में फिटरेटेड द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक 93% महिलाओं और 83% पुरुषों ने स्वीकार किया कि वे कभी न कभी बौडी शेमिंग का शिकार हो चुके हैं. 2016 में किए गए एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को लंबे समय तक बौडी शेमिंग सहनी पड़ती है. 14 की हों या 84 साल की, हर उम्र में अपनी शारीरिक बनावट को ले कर कमैंट्स सुनने पड़ते हैं, जबकि पुरुष समय के साथ अपनी बौडी को ले कर अधिक कौन्फिडैंट हो जाते हैं.

बौडी शेमिंग यानी आप की शारीरिक खामियों पर लोगों द्वारा की गई टिप्पणी और उस की वजह से खुद को ले कर आप के अंदर उत्पन्न शर्मिंदगी की भावना. बचपन में घर वालों से शुरू हुई इस तरह की टीकाटिप्पणियों का सिलसिला स्कूलकालेज में बुलिंग के रूप में और फिर सोशल मीडिया के बढ़ते हस्तक्षेप की वजह से जिंदगीभर टिप्पणियों के रूप में जारी रहता है.

बौडी शेमिंग मुख्यतया वजन, रंगरूप, पहनावा, शारीरिक आकर्षण और नैननक्श को ले कर की जाने वाली आलोचनाएं हैं. इस के शिकार मानसिक रूप से इतने आहत हो जाते हैं कि वे उम्रभर हीनभावना से ग्रस्त रहते हैं.

कैसे समझें कि आप हो रहीं शिकार

आप को कितनी दफा लोगों ने कहा कि आप मोटी और बेडौल दिखती हैं या आप का चेहरा आकर्षक नहीं. आप बेहद पतली हैं या

आप को गोरा दिखने के लिए ज्यादा पाउडर लगाना चाहिए. अगर आप के साथ भी ऐसा हुआ है तो आप यकीनन बौडी शेमिंग की शिकार बन चुकी हैं. यदि आप लोगों के सामने खुद की उपस्थिति को नकारात्मक मानती हैं तो यह बौडी शेमिंग है.

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दूसरों के फिट शरीर को देख कर खुद के बारे में नकारात्मक विचार आना, अपनी बौडी शेप, वेट या साइज को ले कर शर्मिंदगी महसूस करना और इस वजह से लोगों के बीच जाने से बचना बौडी शेमिंग है.

आप कोई खूबसूरत ड्रैस पहनती हैं और आप को महसूस होता है जैसे आप इस ड्रैस में अच्छी नहीं लग रहीं, यह ड्रैस आप पर फिट नहीं बैठ रही है या कोई और इसे पहन कर ज्यादा खूबसूरत दिखेगी, यह सोच इस बात का इशारा करती है कि आप जानेअनजाने बौडी शेमिंग का शिकार हो रही हैं.

आप को यह लगता हो कि बेडौल शरीर या खूबसूरत न होने के कारण ही आज तक आप सिंगल हैं और आप को भविष्य में भी मनचाहा साथी नहीं मिलेगा तो यह भी बौडी शेमिंग का ही लक्षण है.

फोर्टिस हैल्थकेयर ने देशभर के 20 शहरों जिन में दिल्ली, एनसीआर, मुंबई, बैंगलुरु, हैदराबाद,चेन्नई, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, मोहाली आदि शामिल थे, की 15 से 65 वर्ष की आयुवर्ग की 1,244 महिलाओं पर सर्वे किया ताकि बौडी इमेज को ले कर उन के रवैए और सोच को समझा जा सके, साथ ही इस का यह पता लगाना भी मकसद था कि बौडी शेमिंग का मनोवैज्ञानिक असर उन पर कैसा पड़ता है.

बौडी शेमिंग का असर

बौडी शेमिंग हमारी सैल्फ  इमेज पर अटैक करती है. बचपन से हमारे बारे में जो बोला जाता है उन बातों का असर हमारी सबकौंशस पर पड़ता है. इन्हीं बातों के आधार पर हमारे मन में अपनी एक इमेज बन जाती है. समय के साथ दूसरों की टिप्पणियों की वजह से यह अच्छी या बुरी बनती जाती है. मान लीजिए किसी बच्चे को बारबार कहा जाए कि तुम बेवकूफ  हो तो धीरेधीरे उस के मन में यह बात अनजाने ही बैठती जाएगी कि वह वाकई किसी काम का नहीं. उस का आत्मविश्वास कम होता जाएगा और अनजाने ही वह बौडी शेमिंग का शिकार बनता जाएगा.

हीनभावना

समाज द्वारा रिजैक्शन मिलने की वजह से बौडी शेमिंग के शिकार व्यक्ति को महसूस होता है जैसे वह किसी लायक नहीं. उस के अंदर हीनभावना बैठने लगती है और धीरेधीरे वह अपना आत्मविश्वास खो बैठता है. इस तरह काबिलीयत होने के बावजूद वह कुछ अच्छा या ऊंचा करने का हौसला गंवा बैठता है.

ऐसा बहुत कम होता है कि बौडी शेमिंग का शिकार व्यक्ति इस से बाहर निकलने और फिर से मजबूत होने की कोशिश करे, क्योंकि उसे पता ही नहीं होता कि वह इस का शिकार हो चुका है. वह या तो जिंदगी से हार जाता है या फिर मानसिक बीमारियों का शिकार बन जाता है. समय के साथ और भी ज्यादा कुंठित हो कर अपनी जिंदगी बरबाद कर लेता है.

कई बार दूसरों की नजरों में अपनी छवि सुधारने और बौडी शेमिंग के जंजाल से उबरने के लिए लोग तरहतरह के प्रयास करने लगते हैं. वजन घटाने के लिए बहुत कम खाने से ले कर आकार सही करने के लिए सर्जरी कराने, लोगों के बीच निकलने से बचने, आत्महत्या का प्रयास करने जैसे कदम भी उठाने लगते हैं. वे सामाजिक स्वीकृति की चाह में जिंदगी जीना भूल जाते हैं. जैसे हैं वैसा खुद को स्वीकार नहीं कर पाते और सारी उम्र डिप्रैशन में गुजार देते हैं.

क्यों की जाती है बौडी शेमिंग

बौडी शेमिंग की घटनाएं भी दूसरे सामाजिक अपराधों की तरह हैं. यह एक तरह का सामाजिक शोषण है. इस का मकसद सामने वाले की कीमत कम करना है. समाज का एक बड़ा तबका समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों के मुताबिक अनफिट पाए गए लोगों पर गलत और नकारात्मक टिप्पणियां करता है. उन के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है ताकि उन्हें अपने हिसाब से चला सके, दबा कर रख सके.

यह समाज में बढ़ते वर्गविभेद का ही एक प्रकार है. इस में दूसरे को नीचा दिखाया जाता है. ऐसा करने वाले स्वयं कमजोर और हारे हुए होते हैं. वे दूसरों को गिरा कर खुद उठना चाहते हैं. यह एक तरह का अकारण बैर है अमीर का गरीब से, ताकतवर का कमजोर से और उच्च जाति का निम्न जाति से. यह एक तरह से गु्रपिज्म का आधार है. अपनी लौबी बनाने के लिए दूसरे को जलील किया जाता है.

धर्म की भूमिका

इस मनोवृत्ति के विकास में धर्म की अहम भूमिका होती है. ज्यादातर धर्मग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि आप की समृद्धि, खूबसूरती, जाति आदि पूर्वजन्म के कर्मों का प्रतिफल है. सर्वोत्तम लोगों पर भगवान की असीम कृपा होती है तभी उन्हें खूबसूरत शरीर, गौर वर्ण और उच्च जाति में जन्म मिला है, जबकि बदसूरती या शारीरिक कमियों को देव प्रकोप का नाम दिया जाता है. खूबसूरती, रंग और समृद्धि के आधार पर समाज में आप का स्थान निर्धारित किया जाता है.

जन्म से ही इस तरह की तमाम घुट्टियां पिला दी जाती हैं और फिर सारी उम्र व्यक्ति इसी आधार पर दूसरों या खुद को आंकने का काम करता है.

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धार्मिक ग्रंथों में भेदभाव का आदेश

प्राचीनकाल से भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार कायम रहा है. सती प्रथा, देवदासी प्रथा, बाल विवाह जैसी कितनी ही कुप्रथाएं स्त्रियों की जिंदगी बदतर बनाने के लिए काफी थीं.

यदि विधवा होने पर किसी स्त्री का दोबारा विवाह नहीं होता था तो उस के सिर के बाल काट दिए जाते थे. यह बात अथर्ववेद (14-2-60) में साफतौर पर लिखित है. इस तरह से बाल काट कर उस का अपमान ही किया जाता था वरना पति के मरने का स्त्री के सिर के बालों से क्या संबंध हो सकता है? जाहिर है कि इस तरह बदसूरत बना कर उसे खुद के प्रति शर्मिंदगी महसूस कराने का प्रयास किया जाता था. उसे बौडी शेमिंग का शिकार बनाया जाता था.

ऐसी स्त्रियां किसी समारोह में नहीं जा सकती थीं. किसी अच्छे काम में मौजूद नहीं हो सकती थीं. उन के वजूद पर अशुभ और कुरूप होने का ठप्पा लगा दिया जाता था. किसी स्त्री का पति चल बसा यानी वह अपने पति को खा गई. इस का मतलब वह अंदर से कुरूप है तो फिर बाहर से भी उसे बदसूरती का जामा पहनना चाहिए और शर्मिंदगी के साथ जीवन बिताना चाहिए.

इसी तरह मनुस्मृति जैसे धर्मग्रंथों में विवाह के लिए उपयुक्त लड़कियों की शारीरिक खूबियों का वर्णन मिलता है. कई ऐसी शारीरिक कमियों का भी जिक्र है, जिन की वजह से स्त्री को नीचा दिखाया गया है. ऐसी स्त्रियों से विवाह न करने की हिदायत दी गई है.

मनुस्मृति के अध्याय 3, श्लोक 8 के अनुसार ललाई लिए भूरे रंग वाली, अधिक (या कम) अंग वाली जैसे 6 या फिर 3-4 उंगलियों वाली, ज्यादा बालों वाली या फिर बिना बालों वाली, ज्यादा बोलने वाली और भूरी आंखों वाली कन्या से विवाह न करें.

तीसरे अध्याय के ही 9वें श्लोक में कहा गया है कि बहुत मोटी, बहुत दुबलीपतली, बहुत लंबी, बहुत नाटी, किसी अंग से हीन और झगड़ा करने वाली कन्या से विवाह न करें.

श्लोक संख्या 10 के मुताबिक, जो किसी अंग से हीन न हो, सुंदर नाम वाली हो, हंस तथा हाथी के समान चलने वाली हो, सूक्ष्म रोम तथा पतलेपतले दांतों वाली और सुकुमार शरीर वाली हो, ऐसी कन्या से विवाह करें.

इसी तरह सामुद्रिक शास्त्र में भी लड़कियों की शारीरिक खूबियों और खूबसूरती के मानदंड के आधार पर उन के स्वभाव और भविष्य का आकलन किया गया है-

पूर्णचंद्रमुखी या च बालसूर्य समप्रभा।

विशालनेत्रा विंबोष्ठी सा कन्या लभते सुखम्।1।

या च कांचनवर्णाभ रक्तपुष्परोरुहा।

सहस्त्राणां तु नारीणां भवेत् सापि पतिव्रता।2।

अर्थात् जिस कन्या का मुख चंद्रमा के समान गोल, शरीर का रंग गोरा, आंखें थोड़ी बड़ी और होंठ हलकी सी लालिमा लिए हुए हों तो वह कन्या अपने जीवनकाल में सभी सुख भोगती है.

जिस स्त्री के शरीर का रंग सोने के समान हो और हाथों का रंग कमल के समान गुलाबी हो वह हजारों पतिव्रताओं में प्रधान होती है.

ललनालोचने शस्ते रक्तांते कृष्णतारके।

गोक्षीरवर्णविषदे सुस्निग्धे कृष्ण पक्ष्मणी।1।

राजहंसगतिर्वापि मत्तमातंगामिनि।

सिंह शार्दूलमध्या च सा भवेत् सुखभागिनी।2।

अर्थात् जिस के दोनों नेत्र प्रांत (आंखों के ऊपरनीचे की त्वचा) हलकी लाल, पुतली का रंग काला, सफेद भाग गाय के दूध के समान तथा बरौनियों (भौंहों) का रंग काला हो वह स्त्री सुलक्षणा होती है.

जो स्त्री राजहंस तथा मतवाले हाथी के समान चलने वाली हो और जिस की कमर सिंह अथवा बाघ के समान पतली हो वह स्त्री सुख भोगने वाली होती है.

बचने के लिए क्या करें

खुद को स्वीकार करें

खुद से प्यार करें. चाहें लोगों ने आप की कितनी भी बुरी इमेज बना दी हो पर आप जैसे हैं खुद को वैसा स्वीकार करें. समयसमय पर खुद को सराहें. अपनी अच्छाइयों और खूबियों को पहचानें और उन में निखार लाने का प्रयास करते हुए आगे बढ़ें. अपना विश्वास मजबूत करें. जिन चीजों को सुधारा जा सकता है उन्हें सुधारें. जिन के लिए कुछ नहीं कर सकते उन्हें वैसा ही स्वीकार करें ताकि दूसरों की फुजूल बातों का असर आप पर न पड़े. यदि आप की तारीफ  आप के दोस्त या घर वाले नहीं कर रहे हैं तो खुद अपनी तारीफ  करें और खुद को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखें.

सैल्फ  हैल्प

इस संदर्भ में साइकोलौजिस्ट डा. कनक पांडेय बताती हैं कि यदि आप 16 साल तक वह नहीं बन पाए जो आप बनना चाहते थे तो आप अपने पेरैंट्स को दोष दे सकते हैं. मगर यदि आप 60 साल तक भी न बन पाए तो इस के लिए सिर्फ  आप जिम्मेदार हैं. इसलिए हारने से पहले एक बार खुद का मूल्यांकन करें और खुद से यह सवाल करें कि क्या आप सचमुच ऐसे हैं तो बहुत सी गांठें खुलने लगेंगी.

आप भले ही खूबसूरत नहीं पर अपनी इंटैलिजैंस का प्रयोग कर ऊंचा मुकाम तो पाया ही जा सकता है. आप को ले कर लोग उलटेसीधे कमैंट करें तो उन पर बिलकुल ध्यान न दें. अपनी सफलता से आप सब का मुंह बंद कर सकती हैं. अपने जीवन का एक मकसद निर्धारित करें और उसे गंभीरता से पाने का प्रयास करें.

किसी फिट और अच्छे व्यक्ति को अपना आदर्श बनाएं और उस के जैसा शरीर पाने की कोशिश करें. अपने अंदर यह विश्वास लाएं कि चाहे कुछ भी हो जाए आप वैसी बन कर दिखाएंगी.

गौसिप का हिस्सा न बनें: यदि आप अपने बारे में बात करने से दूसरों को नहीं रोक सकते तो कम से कम दूसरों के बारे में की जा रही गौसिप का हिस्सा भी न बनें. जब आप किसी की बुलिंग करने में दूसरों की मदद करते हैं तो उस का मतलब है आप खुद ऐसा कर रहे हैं.

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अपने परिजनों और दोस्तों से बात करें. उन्हें बताएं कि जब कोई शारीरिक बनावट की वजह से आप को नीचा दिखाता है तो आप कैसा महसूस करते हैं. उन्हें ऐसा करने से मना करें. बौडी शेमिंग का अर्थ है अपने शरीर को ले कर आप को बुरा महसूस कराना, क्योंकि आप समाज द्वारा निर्धारित खूबसूरती के पैमानों पर खरा नहीं उतरते.

याद रखें आप का व्यक्तित्व और व्यवहार आप की खूबसूरती को दर्शाता है न कि शारीरिक बनावट. अत: बिंदास रहें और खुद को मोटीवेट करती रहें.

सैलिब्रिटी भी इस के शिकार

सैलिब्रिटीज, जिन्हें हम परफैक्ट मानने लगते हैं, वे भी अकसर बौडी शेमिंग का शिकार बनते हैं. एक आम लड़की से विश्व सुंदरी, फिर बौलीवुड और अब हौलीवुड का हिस्सा बन चुकी प्रियंका चोपड़ा ने अपनी काबिलीयत के बल पर एक अलग मुकाम पाया है. प्रियंका चोपड़ा ने हाल ही में अमेरिकी शो ‘द व्यू’ में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं पर चर्चा की. प्रियंका ने बताया कि ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत में उन्हें बौडी शेमिंग का शिकार होना पड़ा था.

प्रियंका ने शो में बताया कि जब वे ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत करने के लिए एक फिल्म प्रोड्यूसर के पास गईं तो उस ने उन का काफी मजाक बनाया और कहा कि तुम्हारी नाक ठीक नहीं है. बौडी की शेप भी अच्छी नहीं है. इस तरह उस वक्त प्रियंका को बौडी शेमिंग का शिकार होना पड़ा था.

विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय की खूबसूरती का दीवाना हरकोई है पर इन्हीं ऐश्वर्या को उस वक्त बौडी शेमिंग से जुड़ी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा जब आराध्या के जन्म के बाद वे बढ़े हुए वजन के साथ नजर आईं. उन के वजन पर कमैंट किए गए. मगर वे खामोश रहीं. उन के पति अभिषेक ने जरूर मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि भले ही ऐश एक पब्लिक फिगर है, मगर यह न भूलें कि वह एक औरत है और अब एक मां भी है. अपनी सीमा रेखा पार न करें.

जरीन खान और विद्या बालन को भी अकसर अपने वजन की वजह से कमैंट्स सुनने को मिलते हैं. मगर दोनों ने कभी इन बातों पर ध्यान नहीं देतीं और हमेशा खुद को खूबसूरती से पेश करती हैं.

इसी तरह टैनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स, सिंगर लेडी गागा, जेनिफर लोपेज जैसी हस्तियों पर भी उन की बौडी शेप और बढ़ते वजन की वजह से कमैंट्स किए जाते रहे हैं. यदि आप अपनी बौडी को ले कर कंफर्टेबल नहीं हैं तो जरूर इसे बेहतर बनाने का प्रयास करें. मगर यदि आप कंफर्टेबल हैं तो किसी और को आप पर कोई कमैंट करने का हक नहीं है.

दीपिका पादुकोण को भी कई दफा दुबलेपन की वजह से कमैंट्स सुनने पड़े हैं मगर वे शांत रह कर अपने काम करती रहीं और सफलता की बुलंदियां छूती रहीं.

‘‘समाज द्वारा रिजैक्शन मिलने की वजह से बौडी शेमिंग के शिकार व्यक्ति को महसूस होता है जैसे वह किसी लायक नहीं. उस के अंदर हीनभावना बैठने लगती है और फिर धीरेधीरे अपना आत्मविश्वास खो बैठता है…’’

‘‘समाज का एक बड़ा तबका समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों के मुताबिक अनफिट पाए गए लोगों पर गलत और नकारात्मक टिप्पणियां करता है. उन के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है ताकि उन्हें अपने हिसाब से चला सके, दबा कर रख सके…’’

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