प्लस साइज वूमन सुनते ही सभी के जहन में उस लड़की की इमेज बनती है, जो सामान्य से ज्यादा मोटी होती है, जिस की तोंद निकली होती है और शरीर थुलथुला होता है. मांबाप को चिंता होती है कि इस से शादी कौन करेगा, भाईबहन को चिंता होती है कि हमारे हिस्से का भी खा जाएगी और दोस्तों को चिंता होती है कि यह जिस भी फोटो में आएगी उसे बिगाड़ देगी.

बौडी शेमिंग को चिंता का नाम देना कोई नई बात नहीं है. ‘हम तो तेरे भले के लिए ही कहते हैं’ जैसी बातों से बौडी शेमिंग को ढकने की कोशिश पूरी होती है. लेकिन यह बौडी शेमिंग एक व्यक्ति से उस की खुशी, सुखचैन सब छीन लेती है.

गत 30 जून को दिल्ली में मिस प्लस साइज पैजेंट था जिस में भारत के अलग-अलग कोनों से लड़कियों और महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. इस पैजेंट में भारतीय मूल की बिशंबर दास भी आईं, जो ब्रिटिश एशिया की पहली प्लस साइज मौडल और मिस प्लस साइज नौर्थ इंडिया 2017 की ब्रैंड ऐंबैसडर थीं. बिशंबर डर्बी की पहली लड़की हैं, जो 22 वर्ष की उम्र में मजिस्ट्रेट बनीं. लेकिन हर प्लस साइज लड़की की तरह उन का बचपन भी लोगों के तानों और बौडी शेमिंग के बीच गुजरा. बौडी शेमिंग के चलते वे डिप्रैशन में भी रहीं. और बहुत सारी लड़कियों की ही तरह उन्हें भी अपना वजूद बेमानी लगने लगा था. लेकिन हिम्मत हारने के बजाय इस मुकाम पर पहुंच कर उन्होंने एक मिसाल पेश की.

तानों से उभर कर

बिशंबर बताती हैं, ‘‘मैं बचपन से ही बहुत खाती थी. मेरी फैमिली के लोग भी मेरा मजाक उड़ाते थे. जो लोग मुझे नहीं जानते थे वे भी मेरी मम्मी से आ कर कहते कि आप की लड़की की शक्ल तो बहुत अच्छी है पर यह बहुत मोटी है. इस से कौन शादी करेगा. मुझे बारबार याद दिलाया जाता था कि मैं प्लस साइज हूं.

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