Women Health Tips : 35 की उम्र के बाद फैमिली प्लानिंग कर सकते हैं?

Women Health Tips : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी उम्र 26 साल है. पिछले महीने ही मेरी शादी हुई है. मुझे पिछले कुछ सालों से फायब्रौयड्स की समस्या है. क्या इस से मुझे गर्भधारण करने में परेशानी आएगी?

जवाब

फायब्रौयड्स की समस्या महिलाओं में आम है. अगर हम 10 महिलाओं का अल्ट्रासाउंड करते हैं तो उन में 5 महिलाओं में यह समस्या होती है. दरअसल, फायब्रौयड्स के आकार, संख्या और स्थिति पर निर्भर करता है कि गर्भधारण करने में कितनी परेशानी आएगी. अगर फायब्रौयड्स छोटे हैं और संख्या कम है तो आप को उपचार की कोई जरूरत नहीं है. आप सामान्य रूप से गर्भधारण कर सकती हैं. लेकिन अगर फायब्रौयड्स का आकार बड़ा है तो उन का उपचार कराना जरूरी हो जाता है. लैप्रोस्कोपिक तकनीक ने फायब्रौयड्स के उपचार को आसान बना दिया है. उपचार के पश्चात ऐसी स्थिति में भी सामान्य रूप से गर्भधारण करना संभव है.

सवाल

मुझे पीरियड्स को लेकर काफी समस्या है. 2-3 महीनों में एक बार पीरियड्स आते हैं. शादी को 7 साल हो गए, लेकिन मेरी कोई संतान नहीं है. क्या मैं कभी मां नहीं बन पाऊंगी?

जवाब

2-3 महीनों में एक बार पीरियड्स आना पीसीओडी (पौलिसिस्टिक ओवरी डिसऔर्डर) की ओर संकेत देता है. यह आज एक आम समस्या है. खानपान व जीवनशैली में बदलाव और मोटापा इस के सब से प्रमुख कारण हैं. लेकिन इस का उपचार भी बहुत आसान है. आप रोज वर्कआउट करें, ताजा फल, सब्जियां खाएं, कार्बोहाइड्रेट (रोटी, चावल, ब्रैड) का सेवन कम करें, रिफाइंड शुगर का सेवन बंद कर दें और अपना वजन सामान्य बनाए रखें. इन बदलावों से आप की माहवारी सामान्य हो जाएगी. लेकिन इस के बाद भी अगर गर्भधारण करने में परेशानी आ रही है तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. दवा, इंजैक्शन आदि उपचारों के द्वारा पीसीओडी के मामलों में आसानी से गर्भधारण किया जा सकता है.

सवाल

मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है. 2 महीने बाद मेरी शादी है. क्या इस वजह से मुझे गर्भधारण करने में समस्या आएगी?

जवाब

ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है. यह समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सर्वाधिक प्रभावित करती है, क्योंकि गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने में गर्भाशय की सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐंडोमिट्रिओसिस के

4 ग्रेड होते हैं, मिनमल, माइल्ड, मौडरेट और सीवियर. ज्यादातर कोई परेशानी होती है, पहले वाली 2 स्थितियों में गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन अगर समस्या 3 और 4 ग्रेड तक पहुंच गई है तो गर्भधारण मुश्किल हो सकता है. शादी के बाद 6 महीनों तक प्रयास करें. अगर आप गर्भधारण नहीं कर पाएं तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. उपचार कराने में देरी न करें.

सवाल

मेरी उम्र 34 साल है. अगले 5 सालों तक मैं और मेरे पति दोनों कैरियर पर फोकस करना चाहते हैं. कहीं बढ़ती उम्र बांझपन का कारण तो नहीं बन जाएगी और हम अपनी प्रजनन क्षमता कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?

जवाब

34 साल महिलाओं के लिए प्रजनन क्षमता के हिसाब से एक महत्त्वपूर्ण उम्र है, क्योंकि हर महिला एक निश्चित संख्या में अंडों के साथ जन्म लेती है, जिसे ओवेरियन रिजर्व कहते हैं. उम्र के साथ यह रिजर्व घटता जाता है और 35 के बाद ये ओवेरियन रिजर्व तेजी से कम होने लगते हैं. इसलिए 35 के पहले ही फैमिली प्लानिंग कर लेनी चाहिए. बहुत देर नहीं करनी चाहिए. लेकिन आज कई लोग बहुत सारे कारणों से35 के बाद फैमिली प्लानिंग करते हैं.

ऐसी स्थिति में हमारे पास कई विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे एग फ्रीजिंग और ऐंब्रयो फ्रीजिंग आदि. अगर आप यह विकल्प नहीं चुनना चाहती हैं, तो एएमएच ब्लड टैस्ट करा लें, जिस से आप को पता चल जाएगा कि आप की प्रजनन क्षमता कैसी है और आप कितना डिले कर सकती हैं. इस के अलावा आप अपने खानपान पर ध्यान दें. अपनी डाइट में फल, सब्जियां, सूखे मेवे, खजूर आदि शामिल करें. ये सेहत के लिए जरूरी हैं और अंडाशय और गर्भाशय की सेहत के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं. अपनी प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाए रखने के लिए शराब और धूम्रपान से दूर रहें, क्योंकि इन का सीधा प्रभाव अंडों और गर्भाशय पर पड़ता है.

मैं 32 साल की कामकाजी महिला हूं. मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं. मेरे गर्भाशय की लाइनिंग बहुत पतली है. डाक्टरों का कहना है कि मैं मां नहीं बन सकती?

जब गर्भाशय की सब से अंदरूनी परत जिसे ऐंडोमिट्रिओसिस कहते हैं, बहुत पतली हो तो गर्भधारण करने में ज्यादातर परेशानी आती है. लेकिन आज बहुत सारी तकनीकें हैं, जिन से इस का उपचार संभव है. अगर आप को माहवारी सही समय पर आती है और फ्लो भी ठीक है तो दवा, इंजैक्शन, स्पेम सैल और पीआरपी (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा-ग्रोथ फैक्टर) तकनीक के  द्वारा गर्भाशय की लाइनिंग, जिसे ऐंडोमिट्रियल थिकनैस कहा जाता है को मोटा किया जा सकता है. आजकल ऐंडोमिट्रियल थिकनेस को बढ़ाने में पीआरपी का इस्तेमाल बहुत अधिक किया जा रहा है.

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