REVIEW: जानें कैसी है फरहान अख्तर की स्पोर्ट्स फिल्म ‘Toofan’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः रितेश सिद्धवानी, फरहान अख्तर, राकेश ओमप्रकाश मेहरा

निर्देशकः राकेश ओमप्रकाश मेहरा

कलाकारः फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर, परेश रावल, विजय राज,  मोहन अगाशे, हुसेन दलाल,  दर्शन कुमार, सुप्रिया पाठक, अभिषेक खंडेकर, गगन शर्मा, राकेश ओमप्रकाश मेहरा व अन्य.

अवधिः दो घंटे 42 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम वीडियो

मशहूर धावक स्व.  मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म बना चुके फिल्मकार राकेश ओप्रकाश मेहरा इस बार एक दूसरे स्पोर्ट्स बाक्सिंग पर फिल्म‘‘तूफान’’लेकर आए हैं, जो कि अमेजॉन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है जफर(विजय राज)  के इशारे पर एक रेस्टारेंट के मालिक व उसके गुर्गों की डोंगरी के युवा गैंगस्टर अजीज अली(फरहान अख्तर)  द्वारा पिटाई करने से. उसके बाद अपनी मरहम पट्टी कराने वह अस्पताल जाता है,  जहां डॉं. अनन्या प्रभु(मृणाल ठाकुर )  उसे गैंगस्टर कह कर बाहर बैठने के लिए कह देती है. डॉं.  अनन्या का मानना है कि हर इंसान अपनी पसंद से ही अच्छा या बुरा इंसान बनता है. जबकि नर्स मिसेस डिसूजा(सुप्रिया पाठक ) ऐसा नही मानती. नर्स मिसेस डिसूजा उसके घाव की सफाई करने के बाद डॉ.  अनन्या से उसकी मरहम पट्टी करने के लिए कहती है. डॉं. अनन्या की बातों का अजीज अली पर काफी गहरा असर होता है. वास्तव में अजीज अली अनाथ है और उसे माफिया नेता जफर ने पाला है. अजीज अली, जफर के लिए वसूली करने का काम करता है और जो धन उसे मिलता है, उसे वह एक अनाथालय के बच्चो में खर्च करता रहता है. दूसरी बार वह मशहूर बॉक्सिंग कोच नाना प्रभू(परेश रावल)  के पास बॉक्सिंग सीखने जाता है, तो अजीज अली के एटीट्यूड के चलते उनके बाक्सर से पिटकर पुनः डॉं. अनन्या के पास पहुॅचता है. इस बार डां.  अनन्या कहती है कि उसे तय करना है कि उसे बॉक्सर बनना है या गैंगस्टर.

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डॉ.  अनन्या के पिता तथा बॉक्सिंग कोच नाना प्रभू बम विस्फोट में अपनी पत्नी सुमिति को खो चुके हैं. इसलिए उनकी नजर में हर मुस्लिम अपराधी है. फिर भी वह अजीज अली में मौजूद ताकत को देखकर उसे एक गैंगस्टर और बाक्सर के अंतर को समझाते हुए उसे बॉक्ंिसग की कोचिंग देते हैं. अजीज अली राज्य स्तर पर बाक्सिंग में विजेता बनता है और नाना प्रभू उसे तूफान नाम देते हैं. इसी बीच नाना प्रभू को पता चलता है कि उनकी बेटी के साथ अजीज अली उर्फ तूफान शादी करने की सोच रहे हैं, यह बात उन्हे पसंद नहीं आती. वह इसे ‘लव जेहाद’ की संज्ञा देते हैं. मगर पिता के खिलाफ जाकर डां. अनन्या, अजीज अली से शादी करने के लिए घर छोड़ देती है. अनन्या हिंदू है और वह धर्म परिवर्तन नही करना चाहती,  इसलिए मुस्लिम बस्ती में भी किराए का मकान नही मिलता. एक किराए के घर के लिए आठ लाख डिपोजिट और अस्सी हजार मासिक किराया देना है. फिलहाल डॉ.  अनन्या औरतों के होस्टल में रहने लगती है. अजीज अली उर्फ तूफान दिल्ली राष्ट्रीय बौक्सिंग चैंपियन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाता है,  जहां बारह लाख की रकम लेकर बॉक्सिंग रिंग में हार जाता है, मगर उस पर मैच फिक्सिंग का आरोप सही साबित होने के चलते पांच वर्ष का बाक्सिंग खेलने पर प्रतिबंध लग जाता है. इस घटनाक्रम से नाना प्रभू की इज्जत पर भी धब्बा लगता है. डॉ.  अनन्या भी नाराज होकर उससे संबंध खत्म करने का निर्णय लेती है, पर अजीज अली का मैनेजर कहता है कि सारी गलती उसकी है. उसके बाद अजीज अली और डॉ.  अनन्या कोर्ट मैरिज कर लेते हैं. नर्स डिसूजा उन्हे अपना मकान किराए पर रहने के लिए देती है. डॉ. अनन्या एक बेटी को जन्म देती है. अब अजीज अली ने ट्यूरिस्ट का व्यापार शुरू कर दिया है. सब कुछ खुश हैं. नाना प्रभू ने जरुर संबंध खत्म कर दिए हैं. पांच वर्ष बाद अजीज अली पर से प्रतिबंध हट जाता हैलेकिन अजीज अली को अब बाक्सिंग में रूचि नही है. उधर डा. अनन्या उसका बौक्सिंग का लायसेंस लेकर आते समय सड़क  पर बम विस्फोट में मारी जाती हैं. अब पत्नी अनन्या के लिए वह पुनः बौक्सिंग में उतरता है. कहानी में कई मोड़ आते हैं.

लेखन व निर्देशनः

कहानी में कुछ भी नयापन नही है. फिल्म में जिस अंदाज में ‘लव जेहाद’और हिंदू मुस्लिम की बात पिरोयी गयी है, वह कम से कम फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा की शैली से मेल नही खाता. मगर राकेश मेहरा की निर्देशन में जबरदस्त वापसी जरुर कही जा सकती है. फिल्म के दृश्यों को जिस तरह से उन्होने गढ़ा है, वह कमाल के हैं. इतना ही नही राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी चिर परिचित शैली के अनुसार खेल संघों में व्याप्त भ्रष् टाचार पर भी कुठाराघात किया है तो वहीं खेल के प्रति युवाओं की बदलती सोच का भी सटीक चित्रण किया है. फिल्म की लंबाई अखरती है. फिल्म का दूसरा हिस्सा शानदार है. पर फिल्म की लंबाई अखरती है.

कहानी में कुछ नयापन नही है. इस तरह की कहानी कई बार बन चुकी हैं. जिन्होने ‘मैरी कॉम’, ‘दंगल’,  सुल्तान’, ‘साला खड़ूस’देखी है, उन्हे बार बार यही अहसास होगा कि वह एक पुरानी कहानी देख रहे हैं. प्रेमिका से प्रेरणा लेकर जिंदगी बदल लेने वाली कहानियां भी कई फिल्मों में दोहरायी जा चुकी हैं.  मगर दूसरी फिल्मो से इतर फिल्म‘‘तूफान’’एक मुक्केबाज की जिंदगी में सब कुछ खो देने के बाद पुनः वापसी की कहानी है. बहरहाल, राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने ‘तूफान’से साबित कर दिखाया कि एक बेहतरीन पटकथा और बेहतरीन निर्देशन से चिरपरिचित सी लगने वाली कहानी पर भी कितनी बेहतरीन फिल्म बन सकती है.

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अभिनयः

अजीज अली के किरदार में फरहान अख्तर ने बेहतरीन अभिनय किया है. उन्होने मुंबई के डोंगरी इलाके में रहने वाले लड़की की बोलचाल की भाषा और बॉडी लैंगवेज को भी सटीक ढंग से पकड़ा है.  वहीं अनन्या के किरदार में मृणाल ठाकुर अपना प्रभाव छोड़ जाती हैं. बाक्सिंग कोच नाना प्रभू के किरदार में परेश रावल ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है. अजीज अली के दोस्त के किरदार में हुसेन दलाल भी अपने उत्कृष्ट अभिनय से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं. सुप्रिया पाठक, विजय राज और दर्शन कुमार की प्रतिभा को जाया किया गया है.

‘मैरी कॉम’ फेम दर्शन कुमार को टी-सीरीज  से मिला बड़ा मौका, पढ़ें खबर

‘मैरी कॉम’,‘एनएच10’, ‘सरबजीत’और‘बाघी 2’जैसी बड़े बजट की फिल्मों का हिस्सा रहे अभिनेता दर्शन कुमार 2020 में कोरोना काल के समय ओटीटी प्लेटफार्म  पर वह छाए रहे. वेब सीरीज ‘आश्रम ’ व‘आश्रम 2’ में इंस्पेक्टर उजागर सिंह के किरदार में उन्हें काफी शोहरत मिली. इतना ही नही ‘सोनी लिव’की वेब सीरीज ‘अवरोध’ने भी उन्हे जबरदस्त शोहरत दिलायी. यह एक अलग बात है कि कोरोना व लॉकडाउन की वजह से उनकी फिल्म ‘तूफान’ सिनेमाघरों में नहीं पहुंच पायी, जो कि अब 2021 में सिनेमाघरों में आएगी.

लेकिन इन दिनों दर्शन कुमार अति उत्साहित हैं. इस अति उत्साह की वजह यह है कि टी-सीरीज जैसे दिग्गज फिल्म प्रोडक्शन हाउस ने दर्शन कुमार को अपने प्रोडक्शन हाउस की एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म में अभिनय करने के लिए जोड़ा है. इस संबंध में अभिनेता दर्शन कुमार कहते हैं-“मेरे लिए नए वर्ष की शुरूआत बहुत अच्छी हुई है.   भूषण कुमार ने अपने प्रोडक्शन हाउस ‘टीसीरीज’की सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का हिस्सा बनने का मौका दिया है.  इसका हिस्सा बनकर मैं अति उत्साहित हॅूं. मैंने इस फिल्म की शूटिंग भी शुरू कर दी है.  ”

 

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दर्शन कुमार आगे कहते हैं-‘‘इस फिल्म में आर माधवन व अपारशक्ति खुराना जैसे प्रतिभाशाली कलाकार शामिल हैं. जब आप एक अच्छी पटकथा वाली फिल्म में काम करते हैं,तो यह हमेशा बहुत अच्छा होता है. लेकिन जो बात अनुभव को और समृद्ध बनाता है, वह यह है कि आपके पास उम्दा सह-कलाकार भी हों. आर माधवन हमारी इंडस्ट्री के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक हैं, जो हमेशा आउट-औफ-द-बॉक्स प्रदर्शन करते हैं. मैं वास्तव में एक पैशिनेट अभिनेता के साथ एक ही फ्रेम साझा करने के लिए उत्साहित हूं. मैं अपारशक्ति खुराना के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं, जो की एक अद्भुत अभिनेता हैं. मैंने नवोदित अभिनेत्री खुशाली कुमार के साथ एक दिन की शूटिंग की है. खुशाली कुमार को लेकर कह सकता हूं कि वह एक अद्भुत अभिनेत्री हैं और अपने काम के प्रति आश्वस्त हैं. ’’

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REVIEW: रबड़ की तरह खींची गयी कहानी ‘आश्रम चैप्टर 2-डार्क साइड’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः प्रकाश झा प्रोडक्शन

निर्देशकः प्रकाश झा

कलाकारः बॉबी देओल, चंदन राय सान्याल, अदिति सुधीर पोहणकर,  दर्शन कुमार, अध्ययन सुमन.

अवधिः लगभग छह घंटे दो मिनट,  32 से बावन मिनट के नौ एपिसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः एमएक्स प्लेअर

प्रकाश झा कुछ माह पहले ही वेब सीरीज ‘आश्रम’ के पहले सीजन का भाग एक लेकर आए थे,  जिसे काफी सराहा गया था और लोगों ने भी काफी पसंद किया था. अब उसी का दूसरा भाग लेकर आए हैं, जिसके नौ एपिसोड हैं, जिन्हें देखने के लिए कुल छह घंटे दो मिनट का समय चाहिए. लेकिन पहले के मुकाबले दूसरा भाग थोड़ा सा कमजोर है.

कहानीः

भाग एक की कहानी जहां खत्म हुई थी, उसके आगे से ही भाग दो यानीकि ‘आश्रमःद डार्क साइड’ की कहानी शुरू होती है. पहले भाग के अंतिम एपीसोड में बाबा काशीपुर वाले ने परमिंदर उर्फ पम्मी(अदिति पेाहणकर) के भाई सत्ती  सिंह(तुशार पांडे) का शुद्धिकरण यानीकि आपरेशन कर उसे नपुंसक बनाकर एक फैक्टरी का कमांडर बनाकर भेज दिया था. इधर बाबाजी ने रात के अंधेरे में शक्ति की पत्नी बबिता(त्रिधा चैधरी) को बुलाकर ड्ग्स मिले लड्डू खिलाकर शारीरिक संबंध बनाए थे. अब दूसरे भाग की कहानी बबिता(त्रिधा चैधरी) से शुरू होती है. वह अपने कमरे में बैठे रो रही है, तभी पम्मी उसके पास आकर रोने की वजह पूछती है, तो वह कह देती है कि शक्ति से उसका झगड़ा हो गया था. फिर रेणु व पम्मी के बीच कुश्ती का दंगल होता है, दोनो एक दूसरे की जानी दुश्मन है. वहीं बाबाजी ने हुकुमसिंह(सचिन श्राफ ) के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री सुंदरलाल के साथ भी सॉंठ गांठ कर ली है. पॉप गायक टीका सिंह का संगीत सत्संग कार्यक्रम होता है, जिसमें बाबाजी के साथ ही हुकुम सिंह भी मौजूद रहते हैं. इससे मुख्यमंत्री संुदरलाल(अनिल रस्तोगी) को लगता है कि बाबाजी(बॉबी देओल ) तो हुकुमसिंह का साथ दे रहे हैं. वह बाबाजी से मिलने आते हैं. काशीपुर वाले बाबा, भोपा(चंदन रॉय सान्याल) की मौजूदगी में मुख्यमंत्री सुंदरलाल से कहते हैं-‘मेरा इतिहास मत खोदो. अपना पिछवाड़ा बचाओ. हम तो नंगे खड़े हैं. ’’तब मुख्यमंत्री सुंदरलाल,  बाबाजी के सामने हुकुम सिंह जितनी रकम दे रहे हैं, उसकी दो गुनी रकम देने का प्रस्ताव रखते हुए 51 सीट पर जीत का वरदान मांगते हैं. इधर बबिता ने एक योजना बना ली है, वह बाबाजी से अपनी इच्छा से मिलती है, यह बात साध्वी माता (परिणीता सेठ ) को पसंद नही आती. पर बाबाजी, रात के अंधेरे में बबिता से मिलते हैं, इस बार बबिता उनके हाथ से लड्डू खाने से इंकार कर देती है. वह कहती है कि होश में सेक्स करने का मजा ही अलग है. फिर बबिता के साथ बाबाजी शारीरिक संबंध बनाते हैं.

दूसरे एपीसोड में साध्वी माता से आरती का हक छीनकर बाबाजी बबिता को दे देते हैं. टिंका(अध्ययन सुमन ) का संगीत सत्संग कार्यक्रम संपन्न होता है. बबिता, बाबाजी की महानता का बखान करती है. उधर इंस्पेक्टर उजागर सिंह (दर्शन सिंह) और उनका सहायक साधु (विक्रम कोचर)रूप बदलकर ड्ग्स के आदि होने का नाटक कर आश्रम के ‘नशामुक्ति केंद्र’में प्रवेश पा जाते हैं. दूसरे दिन डाक्टर नताशा रूप बदकर आश्रम में प्रवेश कर उजागर को वीडियो कैमरा दे जाती हैं. उधर सोहनी की अदालत में पेशी होनी है, इसलिए पत्रकार अक्की(राजीव सिद्धार्थ) उसे अपने गांव के मकान में छिपा देता है, मगर एक पुलिस इंस्पेक्टर से भोपा को सच पता चल जाता है, तब शामी व मंगल वहां पहुंचकर अक्की की मां व सोहनी की हत्या कर देते हैं. अब बदला लेने के लिए अक्की सरदार का रूप धर कर ईलेक्ट्रीशियन तेजेंद्र बनकर आश्रम में नौकरी पा जाता है. अब उजागर, साधू व अक्की तीनों मिलकर बाबा के खिलाफ सारे सबूत इकट्ठा करने में लग जाते हैं.

एपीसोड तीन में टिंका सिंह का संगीत सत्संग समता नगर में होता है, जहां सुंदरलाल मौजूद रहते हैं. उधर आश्रम में सनोबर के पीछे शामी पड़े हुए हैं. कुश्ती प्रतियोगिता में रेणु को पम्मी हराकर अपने लिए राष्ट्रीय कुश्ती चैंम्पियन में जाने की राह बना लेती है. बाबा काशीपुर वाले वहां मौजूद रहते हैं और उसे आशिर्वाद देने के बाद उसके साथ कुश्ती लड़ते हैं. कुश्ती में पम्मी, बाबाजी को हरा देती है. मगर बाबाजी,  पम्मी की देह पर मोहित हो जाते हैं.

चैथे एपीसोड में पम्मी को बाबाजी के संग कुश्ती के दृश्य याद आते हैं. उधर शक्ति फोन कर पम्मी को बधाई देता है. बाबाजी, पम्मी की तरक्की कर उसे अलग से रूम दिलाते हैं. उधर बाबाजी भी पम्मी संग कुश्ती वाले दृश्य भूल नही पा रहे हैं. टिंका का संगीत सत्त्संग होता है. पर वहां भी बाबाजी, पम्मी की ही याद में खोए नजर आते हैं. अंततः बाबाजी के आदेश पर साध्वी खीर में ड्ग्स मिलाकर पम्मी को खिलाकर बेहोश कर देती है. रात में बेहोश अवस्था में पम्मी को बाबाजी के भवन पर मलंग व भोपा ले जाते हैं. बाबाजी, बेहोश पम्मी संग शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे उसके कमरे में भिजवा देते हैं. सुबह पम्मी की समझ में नही आता कि यह दुश्कर्म उसके साथ किसने किया. टिंका के संगीत सत्संग बाबाजी के साथ हुकुम सिंह मौजूद रहते हैं, मगर मुख्यमंत्री जी दिलावर के संग मिलकर ऐसी हरकत करते हैं कि संगीत का कार्यक्रम बीच में रूक जाता है. भोपा बताता है कि यह सारा खेल दिलावर का है, तो बाबाजी कहते हैं कि ‘दिलावर तो प्यादा है. राजनीति तो वजीर खेलते हैं.

पांचवे एपीसोड में उजागर के सामने कविता रहस्य उजागर करती है कि बाबा मनसुख ने समाधि ली, तब बाबा निराला को गद्दी नसीब हुई थी. यह भी बात सामने आती है कि सनोबर, ईश्वरनाथ की बेटी है. पंत नगर के संगीत सत्संग में हुकुम नारायण व सुंदरलाल दोनो आपस में टकराते हैं. उजागर ने चाल चली और गुप्त खजाने से कई अहम सबूत जमा किए. पर अक्की उर्फ तेजेंद्र के हाथों शामी की हत्या हो गयी. उधर फिर बेहोश पम्मी के साथ बाबाजी दुश्कर्म करते हैं.

छठे एपीसोड में भोपा, शामी के हत्यारे की तलाश सख्ती से शुरू करते हैं, पर बाबा उसे समझाते है कि  इससे भक्तों में डर व दहशत का माहौल हो जाएगा, इसलिए शामी की मौत को आत्महत्या घोषित कर दो. आश्रम से निकलकर उजागर सिंह व साधु एक गुप्त स्थान पर नताशा से मिलकर सारे सबूतों की जांच पड़ताल करते हैं, तो पता चलता है कि आश्रम की जमीन के मालिक तो ईश्वरनाथ है, जिन्हे पुलिस रिकार्ड में मृत बताया जा चुका है. उजागर व साधु , ईश्वरनाथ का पता लगाते हैं, जो कि भारत व नेपाल सीमा पर बाबा के डर से छिपे हुए हैं. चुनाव प्रचार शुरू हो जाते हैं. पम्मी को रात में अपने साथ दुश्कर्म करने वाले का धुंधला चेहरा नजर आता है. कविता उसे सलाह देती है कि वह आश्रम से दूर चली जाए, परपम्मी को बाबाजी पर भरोसा है.

सातवें एपीसोड में पम्मी फिर से कुश्ती लड़ने का निर्णय लेती है. उधर नताशा व उजागर, बाबा के खिलाफ सारे सबूत एसपी करण ढांडा को सौंप देते हैं. इधर इस बार ड्ग्स मिली खीर पम्मी नही खाती है, पर बेहोश व नींद होने का नाटक करती है और पम्मी को सच पता ल जाता है कि जिसे वह भगवान मान रही थी, वही उसके साथ दुश्कर्म कर रहा था. पम्मी व बाबा के बीच लंबी बहस होती है. पम्मी धमकी देकर वहां से निकलती है. पर आश्रम से बाहर नही जा पाती. उसे कैद कर दिया जाता है. इधर एसपी ढांडा, बाबाजी की फाइल मुख्यमंत्री को सौंपकर अपना तबादला दिल्ली करवाने में सफल हो जाते हैं. मुख्यमंत्री व बाबा के बीच टशन बढ़ जाती है. भोपा, पम्मी के पिता का एक्सीडेंट करवाकर उन्हे आश्रम के अस्पताल में भर्ती करवाते हैं.

आठवें एपिसोड में दिलावर सिंह, सुंदरलाल का साथ छोड़कर अपने भाई हुकुम सिंह के पास वापस आ जाते हैं. गुस्से में मुख्यमंत्री सुंदरलाल,  बाबा के आश्रम में विजलेंस का छापा डलवाते हैं, तब बाबा और सुंदरलाल में समझौता हो जाता है. फिर बाबाजी व सुंदरलाल की मौजूदगी में टिंका सिंह का संगीत सत्संग होता है. उधर भोपा कह देते हैं कि पम्मी के पिता का इलाज बंद कर दें.

नौंवे एपीसोड में पम्मी एक कठोर निर्णय लेती है. आश्रम में कुछ लोगो की हत्या कर वह वहां से भागने में सफल होती है. पर भोपा व पुलिस तंत्र उसके पीछे है. उधर बाबा ने रातोंरात एक फैसला लिया, जिसके चलते हुकुम सिंह की पार्टी विजेता बन गयी. आरै हुकुम सिंह मुख्यमंत्री बन गए.

लेखन व निर्देशनः

प्रकाश झा फिल्म निर्देशक बनने से पहले सीरियल निर्देशित करते रहे हैं, इसलिए उन्हे बाखूबी पता है कि कहानी को एक ही जगह स्थिर रखकर कैसे उसे रबड़ की तरह खींचा जाए. ‘आश्रम’का पहला भाग जितना बेहतर था, उतना ही खराब यह दूसरा चैप्टर है. कहानी को नौ एपीसोड में छह घंटे से अधिक अवधि तक खींचने में दृश्यों का दोहराव भी है. इस बार बाबा के पास हर दिन संभोग करने और राजनीतिक गेम खेलने के अलावा कोई काम नहीं रहा. कई दृश्य बड़े अजीब से लगते हैं. संगीत सत्संग के नाम पर बहुत ही घटिया प्रस्तुति है और लगभग हर एपीसोड में दोहराव है. ‘आश्रम चैप्टर 2’पर बतौर निर्देशक प्रकाश झा अपनी पकड़ खो चुके हैं. इस बार कमजोर पटकथा के चलते   बाबा ही नहीं बल्कि भोपा, नताशा,  उजागर सिंह व साधू के किरदार भी कमजोर हो गए हैं. सिर्फ वीडियोग्राफर कम पत्रकार अक्की के किरदार को थोड़ा सा विस्तार दिया गया है. कुछ दृश्य तो बड़े अजीबोगरीब हैं.

अभिनयः

अभिनय में हर कलाकार  पहले भाग की आपेक्षा कमतर ही रहा. इस बार टिंका सिंह के किरदार में अध्ययन सुमन काफी निराश करते हैं.

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