Monsoon Special: मौनसून में रखें डाइजेशन का खास ख्याल

बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है. बदलते मौसम के प्रभाव से बौडी इफेक्टअप्रभावित हुए बिना नहीं रहता. मौसम में बदलाव के साथ इम्यून सिस्टम और डाइजेशन में बदलाव होने लगता है. इस दौरान अपच से लेकर फूड पौइजनिंग, डायरिया जैसी कई हेल्थ प्रौब्लम का सामना करना पड़ता है. बरसात में सेहतमंद रहने के लिए विशेष सावधानियां रखनी चाहिए.

हेल्थ पाचन प्रणाली वही है, जो खाना को पचाए, पोषक पदार्थों को बौडी में अवशोषित करे और अवांछित पदार्थों को बौडी से बाहर निकाले. तभी बौडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

हमारे पेट में मौजूद पाचक एंजाइम्स और एसिड खाए गए खाना को तोड़ते हैं. तभी पोषक पदार्थ बौडी में अवशोषित हो पाते हैं जो खाना पेट में पूरी तरह नहीं पचता है वह बौडी के लिए बेकार होता है. खाने के अच्छी तरह पचने की शुरुआत मुंह से होती है. जी हां, सही ढ़ंग से चबाया गया खाना ही अच्छे से पच पाता है, क्योंकि इससे खाना छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट कर लार में मिल जाता है. फिर पेट में ये छोटे-छोटे लार मिले टुकड़े अच्छी तरह टूट जाते हैं और बौडी को पोषण देने के लिए छोटी आंत में पहुंचते हैं.

अत: आपको न केवल सही खाना चुनना होगा, उसे अच्छी तरह चबाना भी होगा और आप का पाचनतंत्र भी इस काबिल होना चाहिए कि वह उसे अच्छी तरह तोड़ कर पोषक पदार्थों को अवशोषित कर सके. अगर हम जल्दीजल्दी में खाना निगलते हैं, हम खाने के साथ पानी भी पीते हैं तो ऐसा करना खाना को पेट में ठीक से टूटने नहीं देगा. ऐसे में बेहतर यही है कि खाना खाने से कम से कम 30 मिनट पहले व 30 मिनट बाद में ही पानी पीएं.

1. डाइजेशन धीमा होना

मौनसून में जठराग्नि मंद पड़ जाती है, जिससे डाइजेशन प्रोसेस प्रभावित होती है. बरसात के पानी और कीचड़ से बचने के लिए लोग घरों में दुबके रहते हैं जिससे शारीरिक सक्रियता कम हो हो जाती है. यह भी पाचनतंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. इससे बचने के लिए हल्के संतुलित और पोषक खाना का सेवन करें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. अगर बारिश के कारण आप टहलने नहीं जा पा रहे हैं या जिम जाने में परेशानी हो रही है तो घर पर ही वर्कआउट करें.

2. मौनसून में इनडाइजेशन होना आम बात

बरसात में डाइजेशन एंजाइमों की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है. इससे भी खाना ठीक प्रकार से नहीं पचता. बरसात में औयली, मसालेदार खाना और कैफीन का सेवन भी बढ़ जाता है. इससे भी इनडाइजेशन की प्रौब्लम हो जाती है. नम मौसम में सूक्ष्म जीव ज्यादा मात्रा में पनपते हैं. इनसे होने वाले संक्रमण से भी अपच की प्रौब्लम अधिक होती है.

 3. खराब पानी से होने वाली बिमारी है डायरिया

डायरिया एक खराब पानी से होने वाली बिमारी है. यह दूषित खाद्य पदार्थों और जल पीने से होता है. वैसे तो यह किसी को कभी भी हो सकता है, लेकिन बरसात में इसके मामले काफी बढ़ जाते हैं. दस्त लगना इस का सब से प्रमुख लक्षण है. पेट में दर्द और मरोड़, बुखार, मल में रक्त आना, पेट फूलना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. फूड पौइजनिंग के कारण भी डायरिया हो जाता है.

4. मौनसून में फूड पौइजनिंग में रखें खास ध्यान

फूड पौइजनिंग तब होती है जब हम ऐसे खाना का सेवन करते हैं जो बैक्टीरिया, वाइरस, दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्त्वों से संक्रमित होता है. बरसात के मौसम में आर्द्रता और कम टैम्प्रेचर के कारण रोगाणुओं को पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण मिल जाता है. इसके अलावा बरसात में कीचड़ और कचरे के कारण जगह-जगह गंदगी फैल जाती है, इस से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यही कारण है कि बरसात में फूड पौइजनिंग के मामले भी बढ़ जाते हैं. इस मौसम में बाहर का खाना खाने या फिर अधिक ठंडे पदार्थों के सेवन से भी फूड पौइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है.

5. खानपान का रखें खास ध्यान

बरसात में डाइजेशन को दुरुस्त रखने और बीमारियों से बचने के लिए इन बातों का खयाल रखें:

– संतुलित, पोषक और सुपाच्य खाना कासेवन करें.

– कच्चे खा-पदार्थ नमी को बहुत शीघ्रता से अवशोषित कर लेते हैं, इसलिए ये बैक्टीरिया के पनपने के लिए आदर्श स्थान होते हैं. अत: बेहतर यही रहेगा कि कच्ची सब्जियां इत्यादि न खाएं. सलाद के रूप में भी नहीं. इस मौसम में फफूंद जल्दी पनपती है, इसलिए ब्रैड, पाव आदि खाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनमें कहीं फफूंद तो नहीं लगी है.

– सड़क किनारे के ढाबों पर न खाएं, क्योंकि इस तरह के खाना से संक्रमण का खतरा अधिक होता है.

– ऐसा खाना खाएं, जिससे ऐसिडिटी कम से कम हो.

– बारिश के मौसम में मांस, मछली, मीट खाने से फूड पौइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है. इस मौसम में कच्चा अंडा और मशरूम खाने सेभी बचें.

– बरसात में तला खाना खाने को मन तो बहुत करता है लेकिन उस से दूर रहना ही बेहतर है, क्योंकि इस से पाचन क्षमता कम होती है. कम मसाले और तेल वाला खाना पाचन प्रौब्लमओं से बचाता है.

– अधिक नमक वाले खा-पदार्थ जैसे अचार, सौस आदि न खाएं या फिर कम खाएं, क्योंकि ये बौडी में पानी को रोकते हैं जिस से पेट फूलता है.

– फलों और सब्जियों के जूस का भी कम मात्रा में सेवन करें.

– ओवर ईटिंग से बचें. तभी खाएं जब भूख महसूस करें.

– ठंडे और कच्चे खाना के बजाय गरम खाना जैसे सूप, पका खाना खाएं.

तो हाजमा रहेगा सही

अगर पाचनतंत्र ठीक से काम न कर सके तो अपच की समस्या हो सकती है. अपच आमतौर पर कई बीमारियों और जीवनशैली से जुड़े कारकों की वजह से होता है. पाचन संबंधी समस्याओं के लक्षण आमतौर पर कुछ इस तरह होते हैं:

पेट फूलना, गैस, कब्ज, डायरिया, उलटी, सीने में जलन. आहार जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद है

छिलके वाली सब्जियां: सब्जियों में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन के लिए महत्त्वपूर्ण है. फाइबर कब्ज दूर करने में मदद करता है. सब्जियों के छिलके में फाइबर बहुत अधिक होता है, इसलिए अच्छा होगा कि आप पूरी सब्जी खाएं. आलू, बींस और फलियों के छिलकों में फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है.

फल: फलों में फाइबर बहुत अधिक पाया जाता है. इन में विटामिन और मिनरल्स भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जैसे विटामिन सी और पोटैशियम. उदाहरण के लिए सेब, संतरा और केला पाचन के लिए बेहद कारगर हैं.

साबूत अनाज से युक्त आहार: साबूत अनाज भी घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत है. घुलनशील फाइबर बड़ी आंत में जैल जैसा पदार्थ बना लेता है, जिस से पेट भरा महसूस करते हैं और शरीर में ग्लूकोस का अवशोषण धीरेधीरे होता रहता है. अघुलनशील फाइबर कब्ज से बचाने में मदद करता है. फाइबर पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को पोषण भी देता है.

खूब तरल का सेवन करें: त्वचा को स्वस्थ रखने, इम्यूनिटी और ऊर्जा बढ़ाने के लिए शरीर को पानी की जरूरत होती है. पानी पाचन के लिए भी जरूरी है. जिस तरह हमारे पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को होना जरूरी है उसी तरह तरल भी बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है.

अदरक: अदरक पाचन की समस्याओं जैसे पेट फूलना में राहत देती है. सूखा अदरक पाउडर बेहतरीन मसाला है, जो भोजन को बेहतरीन स्वाद देता है. अदरक का इस्तेमाल चाय बनाने में भी किया जाता है. अच्छी गुणवत्ता का अदरक चुनें. चाय के लिए ताजा अदरक लें.

हलदी: हलदी आप की किचन में मौजूद ऐंटीइनफ्लैमेटरी और ऐंटीकैंसर मसाला है. इस में करक्युमिन पाया जाता है, जो पाचनतंत्र के भीतरी स्तर को सुरक्षित रखता है, अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में मदद करता है और बोवल रोगों एवं कोलोरैक्टल कैंसर के उपचार में भी कारगर पाया गया है.

योगहर्ट: इस में प्रोबायोटिक्स होते हैं. ये लाइव बैक्टीरिया और यीस्ट हैं, जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं.

असंतृप्त वसा: इस तरह की वसा यानी फैट शरीर को विटामिनों के अवशोषण में मदद करते हैं. इन के साथ फाइबर पाचन को आसान बनाता है. पौधों से मिलने वाले तेल जैसे जैतून का तेल अनसैचुरेटेड फैट का अच्छा स्रोत है, लेकिन वसा का इस्तेमाल हमेशा ठीक मात्रा में करें. एक वयस्क को रोजाना अपने आहार में 2000 कैलोरी की जरूरत होती है, जिस में वसा की मात्रा 77 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए.

क्या न खाएं

कुछ खाद्य एवं पेयपदार्थों के कारण पेट फूलना, सीने में जलन और डायरिया जैसी समस्याएं होती हैं. उदाहरण के लिए:

तेलीय/वसा युक्त आहार: तले और मसालेदार भोजन के सेवन से बचें, क्योंकि यह आप के पाचनतंत्र के लिए कई समस्याओं का कारण बन सकता है. ऐसे आहार को पचने में ज्यादा समय लगता है. इस कारण कब्ज, पेट फूलना या डायरिया जैसी समस्याएं होती हैं. तले खाद्यपदार्थों के सेवन से ऐसिडिटी और पेट फूलना जैसी समस्याएं होती हैं.

मसालेदार भोजन: मसालेदार भोजन पेट में दर्द या मलत्याग करते समय असहजता का कारण बन सकता है.

प्रोसैस्ड फूड: अगर आप को पाचन संबंधी समस्याएं हैं. प्रोसैस्ड खाद्यपदार्थों का सेवन न करें, इस तरह के आहार में फाइबर कम मात्रा में होता है, जबकि कृतिम चीनी, कृत्रिम रंग, नमक एवं प्रीजरर्वेटिव बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो आप की पाचन संबंधी समस्याओं को और बदतर बना सकते हैं, साथ ही फाइबर न होने के कारण इस तरह के भोजन को पचाने के लिए शरीर के ज्यादा काम करना पड़ता है और यह कब्ज का कारण बन सकता है.

रिफाइंड चीनी, सफेद रिफाइंड चीनी इनफ्लैमेटरी कैमिकल बनाती है और पाचनतंत्र में डिसबायोसिस को बढ़ावा देती है. इस से पाचनतंत्र में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है. इस तरह की चीनी हानिकर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है.

शराब: शराब के सेवन से डीहाइड्रेशन हो जाता है, जो कब्ज और पेट फूलने का कारण बन सकता है. यह पेट एवं पाचनतंत्र के लिए नुकसानदायक है और लिवर के मैटाबोलिज्म में बदलाव ला सकती है. शराब ऐसिडिक होती है, इसलिए स्टमक यानी आमाशय के भीतरी अस्तर को नुकसान पहुंचा सकती है.

कैफीन: कैफीन, चाय, कौफी, चौकलेट, सौफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, बेक्ड फूड, आईसक्रीम में पाया जाता है. यह पाचनतंत्र के मूवमैंट को तेज करता है, जिस से पेट जल्दी खाली हो जाता है. इस से पेट दर्द और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

कार्बोनेटेड पेय: इन में मौजूद गैस पेट फूलना जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है. इस का असर आमाशय के भीतरी स्तर पर भी पड़ता है. साथ ही इस तरह के पेयपदार्थों में चीनी बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है, जो पाचन की समस्याओं को और बढ़ा सकती है. कार्बोनेटेड पेय, शरीर में इलैक्ट्रोलाइट के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिस से शरीर डीहाइड्रेट हो सकता है.

बेड टी की आदत हो सकती है खतरनाक, जानिए नुकसान

ज्यादातर लोगों को सुबह उठते ही चाय पीने की लत होती है. इसे बेड टी भी कहते हैं. लोगों की ये लत काफी खतरनाक और हानीकारक होती है. सुबह की चाय की आदत हमारे शरीर और दांतों के लिए ठीक नहीं है. आपके मुंह की साफ सफाई पर आपका स्वास्थ्य निर्भर करता है. जरूरी है कि आप सुबह में चाय या कौफी पीने से पहले अपने दांत और मुंह साफ करें. बेड टी क्यों नहीं लेनी चाहिए इसके कुछ कारण बताएंगे हम.

1. दांतों और मसुड़ों के लिए है खतरनाक

बिना मुंह धोए चाय पीने से मुंह में मौजूद बैक्टीरिया शुगर में आ जाते हैं, इससे मुंह में एसिड लेवल बढ़ जाता है और यह इनामेल या दांतों के बाहरी आवरण को खराब कर देता है. कैवीटी पैदा होने का यह सबसे मुख्य कारण है.

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2. पाचन पर होता है बुरा असर

बिना मुंह धोए जब आप चाय पीती हैं तो, मुंह के सारे बैक्टीरिया पेट में पहुंचते हैं, इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है.

3. इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है

सुबह उठते ही चाय पीने की आदत अलसर के खतरे को बढ़ा देती है. इससे पेट में सूजन हो सकती है और इससे इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है.

4. बढ़ता है एसिडिटी का लेवल

रात में सोने के बाद आपके मुंह में हजारों बैक्टीरिया पैदा होते हैं. शरीर पर इसका बुरा असर होता है. सुबह उठते ही चाय पीने से ये सारे बैक्टीरिया पेट में चले जाते हैं. इससे आपके पेट में एसिड लेवल बढ़ सकता है और कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

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5. शरीर में बढ़ता है टौक्सिन लेवल

जानकारों का मानना है कि सोने के बाद शरीर में काफी टौक्सिक पदार्थ पैदा होते हैं. उन्हें खत्म करने के लिए जागते ही एक ग्लास पानी पीना चाहिए. सुबह उठते ही चाय पीने से आपके रक्त में जहरीले पदार्थ बढ़ सकते हैं. इससे आपके लिवर, फेफड़े और किडनी को टौक्सिन के कारण खतरा हो सकता है.

बेहतर डाइजेशन के लिए क्या खाएं क्या नहीं

पाचनतंत्र भोजन को इस तरह पचाता है कि शरीर इस से मिले पोषक पदार्थों और ऐनर्जी का इस्तेमाल कर सके. कुछ प्रकार के भोजन जैसे सब्जियां और योगहर्ट पचाने में आसान होते हैं. विशेष प्रकार का भोजन खाने या अचानक आहार में कुछ बदलाव लाने से पाचनतंत्र की समस्याएं हो सकती हैं.

अगर पाचनतंत्र ठीक से काम न कर सके तो अपच की समस्या हो सकती है. अपच आमतौर पर कई बीमारियों और जीवनशैली से जुड़े कारकों की वजह से होता है. पाचन संबंधी समस्याओं के लक्षण आमतौर पर कुछ इस तरह होते हैं:

पेट फूलना, गैस, कब्ज, डायरिया, उलटी, सीने में जलन.

आहार जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद है

छिलके वाली सब्जियां: सब्जियों में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन के लिए महत्त्वपूर्ण है. फाइबर कब्ज दूर करने में मदद करता है. सब्जियों के छिलके में फाइबर बहुत अधिक होता है, इसलिए अच्छा होगा कि आप पूरी सब्जी खाएं. आलू, बींस और फलियों के छिलकों में फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है.

फल: फलों में फाइबर बहुत अधिक पाया जाता है. इन में विटामिन और मिनरल्स भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जैसे विटामिन सी और पोटैशियम. उदाहरण के लिए सेब, संतरा और केला पाचन के लिए बेहद कारगर हैं.

साबूत अनाज से युक्त आहार: साबूत अनाज भी घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत है. घुलनशील फाइबर बड़ी आंत में जैल जैसा पदार्थ बना लेता है, जिस से पेट भरा महसूस करते हैं और शरीर में ग्लूकोस का अवशोषण धीरेधीरे होता रहता है. अघुलनशील फाइबर कब्ज से बचाने में मदद करता है. फाइबर पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को पोषण भी देता है.

खूब तरल का सेवन करें: त्वचा को स्वस्थ रखने, इम्यूनिटी और ऊर्जा बढ़ाने के लिए शरीर को पानी की जरूरत होती है. पानी पाचन के लिए भी जरूरी है. जिस तरह हमारे पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को होना जरूरी है उसी तरह तरल भी बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है.

अदरक: अदरक पाचन की समस्याओं जैसे पेट फूलना में राहत देती है. सूखा अदरक पाउडर बेहतरीन मसाला है, जो भोजन को बेहतरीन स्वाद देता है. अदरक का इस्तेमाल चाय बनाने में भी किया जाता है. अच्छी गुणवत्ता का अदरक चुनें. चाय के लिए ताजा अदरक लें.

हलदी: हलदी आप की किचन में मौजूद ऐंटीइनफ्लैमेटरी और ऐंटीकैंसर मसाला है. इस में करक्युमिन पाया जाता है, जो पाचनतंत्र के भीतरी स्तर को सुरक्षित रखता है, अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में मदद करता है और बोवल रोगों एवं कोलोरैक्टल कैंसर के उपचार में भी कारगर पाया गया है.

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योगहर्ट: इस में प्रोबायोटिक्स होते हैं. ये लाइव बैक्टीरिया और यीस्ट हैं, जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं.

असंतृप्त वसा: इस तरह की वसा यानी फैट शरीर को विटामिनों के अवशोषण में मदद करते हैं. इन के साथ फाइबर पाचन को आसान बनाता है. पौधों से मिलने वाले तेल जैसे जैतून का तेल अनसैचुरेटेड फैट का अच्छा स्रोत है, लेकिन वसा का इस्तेमाल हमेशा ठीक मात्रा में करें. एक वयस्क को रोजाना अपने आहार में 2000 कैलोरी की जरूरत होती है, जिस में वसा की मात्रा 77 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए.

क्या न खाएं

कुछ खाद्य एवं पेयपदार्थों के कारण पेट फूलना, सीने में जलन और डायरिया जैसी समस्याएं होती हैं. उदाहरण के लिए:

तेलीय/वसा युक्त आहार: तले और मसालेदार भोजन के सेवन से बचें, क्योंकि यह आप के पाचनतंत्र के लिए कई समस्याओं का कारण बन सकता है. ऐसे आहार को पचने में ज्यादा समय लगता है. इस कारण कब्ज, पेट फूलना या डायरिया जैसी समस्याएं होती हैं. तले खाद्यपदार्थों के सेवन से ऐसिडिटी और पेट फूलना जैसी समस्याएं होती हैं.

मसालेदार भोजन: मसालेदार भोजन पेट में दर्द या मलत्याग करते समय असहजता का कारण बन सकता है.

प्रोसैस्ड फूड: अगर आप को पाचन संबंधी समस्याएं हैं. प्रोसैस्ड खाद्यपदार्थों का सेवन न करें, इस तरह के आहार में फाइबर कम मात्रा में होता है, जबकि कृतिम चीनी, कृत्रिम रंग, नमक एवं प्रीजरर्वेटिव बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो आप की पाचन संबंधी समस्याओं को और बदतर बना सकते हैं, साथ ही फाइबर न होने के कारण इस तरह के भोजन को पचाने के लिए शरीर के ज्यादा काम करना पड़ता है और यह कब्ज का कारण बन सकता है.

रिफाइंड चीनी, सफेद रिफाइंड चीनी इनफ्लैमेटरी कैमिकल बनाती है और पाचनतंत्र में डिसबायोसिस को बढ़ावा देती है. इस से पाचनतंत्र में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है. इस तरह की चीनी हानिकर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है.

शराब: शराब के सेवन से डीहाइड्रेशन हो जाता है, जो कब्ज और पेट फूलने का कारण बन सकता है. यह पेट एवं पाचनतंत्र के लिए नुकसानदायक है और लिवर के मैटाबोलिज्म में बदलाव ला सकती है. शराब ऐसिडिक होती है, इसलिए स्टमक यानी आमाशय के भीतरी अस्तर को नुकसान पहुंचा सकती है.

कैफीन: कैफीन, चाय, कौफी, चौकलेट, सौफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, बेक्ड फूड, आईसक्रीम में पाया जाता है. यह पाचनतंत्र के मूवमैंट को तेज करता है, जिस से पेट जल्दी खाली हो जाता है. इस से पेट दर्द और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

कार्बोनेटेड पेय: इन में मौजूद गैस पेट फूलना जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है. इस का असर आमाशय के भीतरी स्तर पर भी पड़ता है. साथ ही इस तरह के पेयपदार्थों में चीनी बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है, जो पाचन की समस्याओं को और बढ़ा सकती है. कार्बोनेटेड पेय, शरीर में इलैक्ट्रोलाइट के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिस से शरीर डीहाइड्रेट हो सकता है.

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पाचन को बेहतर बनाने के लिए अच्छी आदतें

चबाना: खाने को हमेशा अच्छी तरह चबा कर खाएं. आगे भोजन का पचना आसान हो जाता है, क्योंकि हारमोन इस पर बेहतर काम कर पाते हैं.

टेबल पर खाएं: खाते समय आप का ध्यान खाने पर हो, टेबल पर आराम से बैठ कर खाएं. खाते समय स्क्रीन के सामने न रहें.

रिलैक्स हो कर आराम से खाएं: अकसर हम काम की भागदौड़ में जल्दबाजी में खाते हैं, कभीकभी हम खाने का आनंद नहीं लेते. लेकिन जब हम रिलैक्स हो कर खाना खाते हैं, तो यह अच्छी तरह पचता है. अगर हम तनाव में होंगे, तो शरीर पचाने पर कम ध्यान देगा.

सब के साथ मिल कर खाएं: इस से न केवल खाना पचाने में मदद मिलती है, बल्कि आपस में प्यार भी बढ़ता है और हम अपने वजन को भी नियंत्रित रख पाते हैं. परिवार में एकसाथ मिल कर खाना खाने से बच्चों और किशोरों को फायदा होता है. उन का आत्मविश्वास बढ़ता है, उग्र व्यवहार, खाने की समस्याओं, नशे की लत, अवसाद, आत्महत्या जैसे खयालों में कमी आती है.

-डा. सुधा कंसल, रैसपिरेटरी स्पैश्यलिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल, दिल्ली.   

पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए ये 5 सुपर फूड डाइट में करें शामिल

आमतौर पर लोग एसिडिटी, गैस, बदहजमी जैसी पेट से जुड़ी तमाम दिक्कतों से परेशान रहते हैं. इन समस्याओं को दूर करने के लिए संतुलित आहार की सलाह दी जाती है. कुछ खास फूड्स एसिडिटी और गैस की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार हो सकते हैं. ऐंटीऔक्सीडेंट्स से भरपूर फूडस गैस की समस्या को दूर तो करते ही हैं साथ ही शरीर के लिए जरूरी पोषण भी प्रदान करते हैं. तो आइए जानते हैं इन सुपरफूडस के बारे में विस्तार से.

1. तरबूज का सेवन

तरबूज में लाइकोपिन नामक तत्व पाया जाता है, जो त्वचा की चमक को बरकरार रखने में मदद करता है. तरबूज के सेवन से कब्ज की समस्या भी दूर होती है. तरबूज में 90 प्रतिशत पानी होता है, जो गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाता है. तरबूज का लेप बना कर लगाने से सिरदर्द भी दूर होता है.

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2. ठंडा दूध

अगर आप एसिडिटी की समस्या से परेशान हैं तो ठंडे दूध का सेवन करें. ठंडा दूध पेट में होने वाली जलन को दूर करता है. दूध में पाए जाने वाला लेक्टिक एसिड एसिडिटी की समस्याओं में राहत पहुंचाता है.

3. केला का सेवन

अपच और गैस की समस्या से नजात पाने के लिए केला एक रामबाण औषधि की तरह इस्तेमाल में लाया जाता है. केले में पाए जाने वाला ऐंटीऔक्सीडेंट्स और पोटेशियम गैस की समस्या को दूर करते हैं. वहीं केले में मौजूद ट्राइप्टोफान एमिनो एसिड तनाव को कम करता है. केले के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है.

4. नारियल पानी

एसिडिटी की समस्या को दूर करने में नारियल पानी काफी कारगर साबित होता है. नारियल पानी पीने के तुरंत बाद ही इस समस्या में राहत मिलने लगती है। वहीं नारियल पानी में फाइबर की अधिक मात्रा होने से पाचनक्रिया भी दुरुस्त रहती है.

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5. खीरे का सेवन

एसिडिटी और पेट से संबंधित बीमारियों में खीरा भी रामबाण की तरह काम करता है. खीरा जहां एक ओर आप को डिहाइड्रेशन से बचाता है, वहीं खाना पचाने में भी मदद करता है. खीरे के सेवन से एसिड बनना कम होता है.

हाजमा सही तो सेहत सही

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए केवल पौष्टिक भोजन लेना ही जरूरी नहीं है, बल्कि भोजन का सही पाचन भी जरूरी होता है. भोजन के सही पाचन से ही शरीर तंदुरुस्त रहता है, क्योंकि भोजन और पेयपदार्थों के पाचन से शरीर को ऊर्जा और पोषण मिलता है. पाचनतंत्र कमजोर होने से भोजन की ऊर्जा में बदलने की क्षमता कमजोर होती है और भोजन बिना पचे मल के रूप में निकल जाता है, जिस से कब्ज, गैस, ऐसिडिटी जैसी समस्याएं सामने आती हैं. मतली आना, पेट दर्द, पेट में सूजन, अपच, गैस आदि खराब डाइजैशन यानी पाचनक्रिया के सही न होने का संकेत है.

विशेषज्ञों की मानें तो डाइजैशन सही न होना कई खतरनाक बीमारियों को न्योता देना है. पेट की समस्याओं की प्रमुख वजह आजकल का खराब लाइफस्टाइल है.

हमारे शरीर का पाचनतंत्र भोजन को पचाने का काम करता है. भोजन के पाचन में दांत, मुंह, लार ग्रंथियां, छोटी आंत, आहार नाल, बड़ी आंत सभी प्रमुख भूमिका निभाते हैं. भोजन के मुंह में आते ही दांतों द्वारा उसे चबाने से मुंह की लार में उपस्थित ऐंजाइम्स भोजन को पचाने में मदद करते हैं. मुंह के बाद भोजन आहार नली से होते हुए आमाशय में पहुंचता है.

आमाशय की दीवारों से स्रावित होने वाले ऐसिड भोजन को छोटेछोटे कणों में तोड़ कर अर्द्ध ठोस के रूप में बदल देते हैं. इस के बाद यह भोजन छोटी आंत में पहुंचता है. छोटी आंत की ग्रंथियां भोजन से 90 फीसदी पोषक तत्त्वों का अवशोषण कर लेती हैं. छोटी आंत से हो कर भोजन बड़ी आंत में आता है जहां पर पानी को सोख लेने के बाद अवशेष मल के रूप में मल द्वार में जमा हो जाता है.

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क्यों होती है पाचन की दिक्कत

आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली और अनियमित खानपान भोजन के सही पाचन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. चिकित्सकों का मानना है कि एक जगह बैठ कर काम करने वालों का पाचन की समस्या ज्यादा होती है. बैठ कर काम करने से भोजन को पचाने वाली आंतों की गति मंद पड़ने के कारण यह दिक्कत आती है.

मिर्चमसालेदार खा-पदार्थों के आवश्यकता से अधिक सेवन से आमाशय में जलन होने लगती है, क्योंकि मिर्चमसालों की तीक्ष्णता आमाशय से निकलने वाले गैस्टिक ऐसिड के असर को कम कर देती है. इसी प्रकार अत्यधिक चाय पीने या भोजन के पहले और तुरंत बाद चाय पीने से आयरन व कुछ सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को अवशोषित करने की क्षमता घट जाती है.

लंबे समय तक ऐंटीबायोटिक दवाओं का सेवन भी पाचनतंत्र को प्रभावित करता है. आमाशय और आंतों में उपस्थित पाचन में सहयोगी कुछ अच्छे बैक्टीरिया को ये दवाएं मार देती हैं. अत्यधिक तनाव के कारण भी आंतों का संचालन ठीक ढंग से नहीं हो पाता और पाचनतंत्र प्रभावित होने लगता है. पाचनतंत्र के खराब होने से हम जो कुछ भी खाते हैं, उसे सही ढंग से पचा नहीं पाएंगे. परिणामस्वरूप शरीर को जरूरी विटामिंस और मिनरल्स नहीं मिल पाएंगे और फिर हमारा शरीर बीमारियों से भर जाता है. धीरेधीरे हमारा इम्यून सिस्टम भी काम करना बंद कर देता है.

इन बातों का रखें ध्यान

– भोजन के सही पाचन के लिए नियमित रूप से व्यायाम, सही समय पर सोना और उठना बेहद जरूरी है. दिन में 4-5 बार भोजन करें. भोजन को जल्दबाजी में करने के बजाय देर तक चबाने की आदत डालें. भोजन के पाचन में

2-3 घंटे का समय लगता है. भोजन के बाद टहलने से शरीर सक्रिय रहता है और पाचनक्रिया की गति बढ़ जाती है.

– भोजन करने के 2-3 घंटे के बाद ही सोना चाहिए. संतुलित व ताजे भोजन के साथ ही रात में हलका और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए. रेशेदार फलसब्जियों के साथ भोजन में सलाद का प्रयोग, जंकफूड से दूरी, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी पाचन के लिए कारगर उपाय साबित हो सकते हैं.

– खाने में ज्यादा से ज्यादा फलों का इस्तेमाल करना चाहिए. फलों में बेल, पपीता, अनार, आम, अंजीर, अमरूद, नाशपाती और संतरे का सेवन करना बेहतर रहेगा. इन में फाइबर होता है, जो पेट साफ करने का काम करता है और पाचनतंत्र को दुरुस्त करता है.

– हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, मेथी, टमाटर व नीबू बेहतर पाचनतंत्र के लिए सर्वोत्तम हैं. ये कब्ज जैसी समस्या को जड़ से खत्म करने का काम करते हैं और शरीर में आवश्यक पोषक तत्त्वों की भरपाई भी करते हैं. अंकुरित चने, मूंग, गेहूं और जौ के आटे से बनी रोटी खाने से फायदा होगा. भोजन के तुरंत बाद अधिक मात्रा में पानी नहीं पीना चाहिए. भोजन करने के लगभग 40 मिनट बाद पानी पीना पाचन के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इस अवधि में पीया गया पानी पाचनक्रिया की गति को मंद कर देता है.

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– खाने को सही से पचाने के लिए कुछ घरेलू नुसखों का प्रयोग किया जा सकता है. सलाद में टमाटर, काला नमक और नीबू का सेवन पाचन में फायदेमंद रहता है. अपच होने पर अजवाइन, जीरा और काला नमक बराबर मात्रा में मिला कर 1 चम्मच पानी के साथ लेने से फायदा होता है.

– अजवाइन को पानी में उबाल कर उस का पानी पीने से भी पाचनतंत्र सही रहता है. अदरक के टुकड़े को नीबू में भिगो कर चूसने से पाचन दुरुस्त रहता है. खाने में सौंफ और कालीमिर्च का सेवन करना भी फायदेमंद रहता है.

– कब्ज रहने पर कुनकुना पानी पीना चाहिए और रात में सोते समय हर्र, बहेड़ा और आंवले से बने त्रिफला चूर्ण का सेवन करना चाहिए.

पाचन की है समस्या तो इन 5 चीजों से बना लें दूरी

जैसा हमारा खानपान हो गया है धिकतर लोगों को पेट की समस्याएं होने लगी हैं. बहुत से लोगों को परेशानी रहती है कि उनका पेट साफ नहीं रहता. अगर आपका पेट साफ नहीं रहता है तो पूरा दिन खराब जाता है. इसके अलावा आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

इस खबर में हम आपको पांच चीजों के बारे में बताएंगे जिनसे दूरी बना कर आप अपने पेट को हेल्दी रख सकती हैं.

चिप्स

जो लोग चिप्स का सेवन अधिक करते हैं उन्हें अपच की समस्या होती है. जिन लोगों को पहले से अपच की परेशानी है उन्हें इससे दूरी बनानी चाहिए. आलू में वसा की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण इसे पचने में काफी वक्त लगता है. पेट की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि तली और भुनी हुई चीजों का अधिक सेवन करने से बचें.

दूध से बने उत्पाद

दूध से बना उत्पाद गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आते हैं. इसके पाचन में काफी समय लगता है. इन उत्पादों में  फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है और वसा की मात्रा अधिक होता है. यही कारण है कि इसका अधिक सेवन करने से पेट की बहुत सी समस्याएं होती हैं.

केला

आमतौर पर पाचन में केला काफी मददगार होता है पर कच्चा केला इसके ठीक उलट प्रभाव डालता है. पेट की सेहत के लिए जरूरी है कि कच्चे केले से दूर रहें.

फ्रोजन खानों से रहें दूर

फ्रोजन खानों से दूर रहें. ज्यादा दिनों तक रखें खाद्य पदार्थ आपकी पेट की सेहत के लिए अच्छे नहीं होते. कोशिश करें कि हरी साग सब्जियों का सेवन करें.

बिस्कुट

बिस्कुट और कुकिड में मैदा की मात्रा अधिक होती है. पेट के लिए ये काफी हानिकरक होता है. पेट की सेहत के लिए जरूरू है कि इनके अधिक सेवन से बचें.

स्टमक फिट तो आप फिट

जीवनशैली और खानपान में बदलाव का नतीजा है कि किशोर और युवाओं में पेट के अल्सर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सामान्य भाषा में कहें तो पेट में छाले व घाव हो जाने को पेप्टिक अल्सर कहा जाता है.

क्यों होता है पेप्टिक अल्सर: पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड के तीखेपन से बचाती है. इस ऐसिड और म्यूकस परतों के बीच तालमेल होता है. इस संतुलन के बिगड़ने पर ही अल्सर होता है.

कारण है एच. पायलोरी बैक्टीरिया: पेप्टिक अल्सर का सबसे प्रमुख कारण एच. पायलोरी बैक्टीरिया है. वर्ष 1982 में एक औस्ट्रेलियाई डाक्टर बेरी जे. मार्शल ने एच. पायलोरी (हेलिकोबेक्टर पायलोरी) नामक बैक्टीरिया का पता लगाया था. इस बैक्टीरिया  को बिस्मथ के जरिए जड़ से मिटाने में सफल होने की वजह से 2005 का नोबेल पुरस्कार भी उन्हें मिला. उन्होंने माना था कि सिर्फ खानपान और पेट में ऐसिड बनने से पेप्टिक अल्सर नहीं होता, बल्कि इसके लिए एक बैक्टीरिया भी दोषी है. इसका नाम एच. पायलोरी रखा गया. एच. पायलोरी का संक्रमण मल और गंदे पानी से फैलता है.

अल्सर के लक्षण: अल्सर के लक्षणों में ऐसिडिटी होना, पेट फूलना, गैस बनना, बदहजमी, डायरिया, कब्ज, उलटी, आंव, मितली व हिचकी आना प्रमुख हैं.

पेप्टिक अल्सर होने पर सांस लेने में भी दिक्कत होती है. यदि पेप्टिक अल्सर का जल्दी उपचार न किया जाए और यह लंबे समय तक शरीर में बना रहे तो यह स्टमक कैंसर का कारण भी बन जाता है.

आंतरिक रक्तस्राव होने के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है. पेट या छोटी आंत की दीवार में छेद हो जाते हैं, जिससे आंतों में गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

क्या न करें: पेप्टिक अल्सर से बचना है तो धूम्रपान, तंबाकू युक्त पदार्थों, मांसाहार, कैफीन तथा शराब  से दूर रहें.

क्या करें: पेट की समस्याओं से बचने और पाचनतंत्र को सही रखने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

  • पुदीना पेट को ठंडा रखता है. इसे पानी में उबाल कर या मिंट टी के रूप में लिया जा सकता है.
  • अजवाइन पेट को हलका रखती है और दर्द से भी राहत दिलाती है.
  • बेलाडोना मरोड़ और ऐंठन से राहत दिलाता है.
  • स्टोमाफिट लिक्विड और टैबलेट पेट को फिट रखने में लाभकारी है. इस में मौजूद पुदीना, अजवाइन, बेलाडोना और बिस्मथ विकार को बढ़ने से रोकने के साथसाथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है. डाक्टर की सलाह से इस का सेवन किया जा सकता है.
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