Valentine’s Day 2024: फैसला- आभा के प्यार से अविरल ने क्यों मोड़ा मुंह

लेखक- डा. कृष्णकांत

अविरल टैक्सी से उतर कर तेज कदमों से चलता हुआ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में दाखिल हुआ. सुबह के 7.35 बज चुके थे. वह प्लेटफार्म नं. 1 पर खड़ी शताब्दी एक्सप्रेस के एसी चेयरकार के अपने डब्बे में घुस गया और अपनी सीट पर बैठ गया. उस की बीच के रास्ते के साथ वाली सीट थी.

उसे कल शाम को ही सूचना मिली कि आज पंजाब सरकार के अधिकारियों के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग है, इसलिए उसे सुबहसुबह चंडीगढ़ के लिए रवाना होना पड़ा. शाम को ही उस ने आभा को फोन करने का विचार किया. उस के घर में बेकार का बवाल न खड़ा हो जाए, यह सोच कर उस ने इस विचार को त्याग दिया.

‘आप का शताब्दी एक्सप्रेस पर जो दिल्ली से पानीपत, कुरुक्षेत्र, अंबाला, चंडीगढ़ होते हुए कालका जा रही है, स्वागत है…’ उद्घोषणा हुई.

उसी समय चाय और बिस्कुट की सेवा शुरू हो गई. चाय पीने के बाद अविरल ने आंखें बंद कर लीं. आंखें बंद करते ही उस के सामने आभा का मुसकराता हुआ चेहरा आ गया. वह आभा के बारे में सोचने लगा, जब उस ने आभा को पहली बार देखा था.

आभा से उस की पहली मुलाकात 6 माह पहले अचानक एक पार्टी में हुई थी. उन दिनों उस की पत्नी सुधा बीमार थी. चूंकि यह उस के बौस राहुल साहब की लड़की की शादी की पार्टी थी, इसलिए उसे जाना पड़ा था. आभा भी अकेली आई थी.

बाद में मालूम हुआ कि उस के पति को पार्टियों से नफरत है. आभा एक कंपनी में निदेशक थी. चूंकि उस की कंपनी के राहुल साहब की कंपनी के साथ व्यावसायिक संबंध थे, इसलिए उसे भी औपचारिकतावश आना पड़ा था.

‘‘आप अकेली हैं?’’ अविरल ने आभा के पास जा कर पूछा.

‘‘अब नहीं हूं. आप जो आ गए हैं.’’ आभा ने मुसकरा कर कहा.

कुछ ही देर में वे ऐसे घुलमिल गए, जैसे बरसों से एकदूसरे को जानते हों. पार्टी के बाद अविरल उसे घर छोड़ने गया. विदा लेते समय आभा ने धीरे से उस का हाथ दबा कर कहा, ‘‘शुक्रिया, मैं आशा करती हूं कि यह हमारी आखिरी मुलाकात नहीं होगी.’’

उस रात अविरल के जेहन में आभा छाई रही. ‘मैं आशा करती हूं कि यह हमारी आखिरी मुलाकात नहीं होगी’ उस का यह वाक्य उस के मन में बारबार कौंधता रहा.

एक सप्ताह बाद वह उसे अपने आफिस के गलियारे में मिल गई. पूछने पर बताया कि वह किसी मीटिंग में आई थी. दोपहर के खाने का समय हो रहा था. अविरल ने उसे खाने का आमंत्रण दिया तो वह तुरंत तैयार हो गई.

अविरल को लगा कि आभा उस की ओर आकर्षित है. उस की बातों से आभास हुआ कि पति की अधिक उम्र होने के कारण वह अपने पारिवारिक जीवन से असंतुष्ट है. वे दोनों अकसर आफिस के बाहर मिलने लगे.

एक दिन शाम को लोदी गार्डन में बैठेबैठे आभा ने अविरल के कंधे पर सिर रख दिया और आंखें बंद कर लीं. अविरल ने उस के अधरों पर अपने अधर रख दिए. वह उस से लिपट गई.

‘‘तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे, मेरा साथ दोगे न?’’

‘‘जरूर,’’ अविरल ने कहा.

‘अब हम पानीपत रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं. यह स्थान इतिहास में 3 लड़ाइयों के लिए प्रसिद्ध है…’ उद्घोषणा हुई.

अविरल ने आंखें खोल कर घड़ी में देखा.

9 बज चुके थे. यानी गाड़ी 15 मिनट विलंब से चल रही है. उस ने आभा को फोन किया.

‘‘क्या कर रही हो?’’

‘‘अभीअभी आफिस आई हूं.’’

‘‘मैं इस समय शताब्दी से चंडीगढ़ जा रहा हूं. तुम्हारी याद आ रही है.’’

‘‘अचानक चंडीगढ़ कैसे?’’

‘‘पंजाब सरकार के अधिकारियों के साथ मीटिंग अचानक तय हुई. मैं आज देर रात तक लौटूंगा. इसलिए आज के बजाय कल शाम को मिलते हैं.’’

‘‘मैं ने कल रात सपने में देखा कि हम शादी के बाद गोवा जा रहे हैं. मैं इस सपने को साकार करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं. और तुम?’’

‘‘मैं भी,’’ अविरल ने कहा.

‘‘मैं शाम को 6.00 बजे बात करूंगी. अभी मीटिंग में जाना है. मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूं,’’ कह कर आभा ने फोन काट दिया.

अविरल ने मुसकरा कर अपना सैल फोन बंद किया.

उसे अचानक लगा कि किसी ने धक्का दिया है. उस ने मुड़ कर देखा कि एक वृद्ध सज्जन और एक महिला बहुत ही धीरेधीरे चल कर रास्ते के दूसरी ओर वाली 2 सीटों पर बैठ गए. उसे वृद्ध का मुंह टेढ़ा सा लगा. ध्यान से देखा तो पाया कि उन्हें एक ओर का पक्षाघात है.

‘‘माफ कीजिएगा,’’ महिला ने अविरल से कहा.

‘‘कोई बात नहीं.’’

‘‘तुम बेकार के लिए यह सब कर रही हो. कुछ नहीं होने वाला,’’ वृद्ध ने महिला से कहा.

‘‘मैं आप की जीवनसंगिनी हूं. मरते दम तक आशा नहीं छोड़ूंगी. सुना है कि साधु बाबा में बड़ी शक्ति है. बाबा बस, 2 दिनों के लिए अंबाला आ रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि आप जरूर ठीक हो जाएंगे,’’ महिला ने अपने पति के मुंह को आराम से पोंछते हुए कहा.

‘अच्छा तो ये पतिपत्नी हैं. किसी साधु बाबा से पक्षाघात का इलाज कराने जा रहे हैं. इस 21वीं सदी में भी ये लोग इन बातों को मानते हैं. हैं न बेवकूफ,’ अविरल ने सोचा.

इसी समय ट्रेन पानीपत से चल पड़ी.

अविरल का सैल फोन बज उठा. अविरल ने फोन उठाया. अक्षय का फोन था, जो उस का सेके्रटरी था.

‘‘हैलो सर, मैं अक्षय बोल रहा हूं.’’

‘‘बोलो अक्षय.’’

‘‘सर, मेरी पत्नी की तबीयत बहुत खराब हो गई है. मैं एक सप्ताह नहीं आऊंगा. डाक्टरों ने जवाब दे दिया है. कहते हैं कि कैंसर पूरे शरीर में फैल गया है.’’

‘‘अक्षय, तुम्हारे घर में यदि कोई देखभाल करने वाला है तो बेकार में छुट्टियां बरबाद मत करो.’’

‘‘सर, ऐसे में उस का साथ नहीं दूंगा तो कब दूंगा?’’

‘‘ठीक है,’’ अविरल ने अक्षय से बहस करने के बजाय कहा और फोन काट दिया. ‘ये लोग कभी व्यावहारिक नहीं होंगे,’ उस ने सोचा.

इसी समय जलपान सेवा प्रारंभ हो गई. अविरल ने देखा कि महिला पति को अपने हाथ से खिला रही है. शायद उस के शरीर का दायां भाग पक्षाघात से ग्रस्त था.

अविरल का सैल फोन फिर बज उठा.

‘‘हैलो पापा, मैं निशा बोल रही हूं. हमारी आज से ही दशहरे की एक हफ्ते की छुट्टियां हैं. स्कूल बच्चों को नैनीताल ले जाने का प्रोग्राम बना रहा है, लेकिन मैं नहीं जा रही.’’

‘‘क्यों बेटा? तुम्हें जरूर जाना चाहिए.’’

‘‘नहीं पापा, मैं छुट्टियों में मम्मी के साथ समय बिताना चाहती हूं. मम्मी आप से बात करना चाहती हैं.’’

‘‘हैलो, मैं सुधा बोल रही हूं. सुबह आप मुझ से बिना बताए चले गए. मुझ से नाराज हैं क्या?’’

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. तुम सो रही थीं. तुम्हें जगाना उचित नहीं समझा.’’

‘‘मैं ने देखा है कि आप कई दिनों से चुपचाप रहते हैं. ठीक से बात भी नहीं करते. यदि कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ कर दीजिए,’’ सुधा सुबकसुबक कर रोने लगी.

अविरल ने फोन काट दिया और आंखें बंद कर लीं. उस ने निश्चय किया कि तलाक के बाद भी वह सुधा और निशा की पूरी मदद करेगा. उन की सारी जरूरतें पूरी करेगा. आखिर उन का तो कोई दोष नहीं है.

‘अब हम कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं…’ उद्घोषणा हुई. अविरल ने घड़ी में देखा. 10 बज चुके थे.

‘‘यानी ट्रेन 30 मिनट विलंब से चल रही है,’’ उस ने सोचा.

उस ने बगल में देखा. वृद्ध सज्जन आंखें बंद किए सो रहे थे. उस की नजरें महिला से मिलीं. वह थोड़ा सा मुसकरा दीं.

‘‘इन को कब से ऐसा है?’’

‘‘2 साल पहले एकाएक इन्हें पक्षाघात हो गया. कई जगह इलाज कराया, परंतु कुछ नहीं हुआ. सुना है कि अंबाला में कोई चमत्कारी बाबा आ रहे हैं.’’

‘‘आप मानती हैं यह सब?’’ अविरल के मुंह से निकल गया.

‘‘जब उम्मीद के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तब कुछ भी मानने को मन करता है. मैं ने हिम्मत नहीं हारी है. अंत तक साथ दूंगी और कोशिश करती रहूंगी.’’

ट्रिन, ट्रिन, ट्रिन…

‘‘हैलो,’’ अविरल ने कहा.

‘‘हैलो, यार मैं कुमार बोल रहा हूं.’’

कुमार अविरल का साथी था, जो हैड आफिस में था.

‘‘बोलो कुमार, कैसा चल रहा है?’’

‘‘यार, तेरे लिए खुशखबरी है. बताता हूं पर पहले पार्टी का वादा कर.’’

‘‘जरूर, यार.’’

‘‘तेरा प्रमोशन हो गया है. बौस ने अभी फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं.’’

‘‘तेरी पार्टी पक्की. मैं कल आफिस आ रहा हूं. फिर पार्टी का प्रोग्राम बनाते हैं.’’

कुमार ने फोन काट दिया.

अविरल के मन में आया कि आभा को फोन कर के बताए. परंतु वह तो मीटिंग में व्यस्त होगी. शाम तक इंतजार करने की सोची.

‘अब हम अंबाला रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं…’ उद्घोषणा हुई.

वृद्ध सज्जन और महिला उठ कर धीरेधीरे पीछे जाने लगे. महिला ने एक ओर से अपने पति को संभाला हुआ था. बीच में वृद्ध सज्जन थोड़ा सा लड़खड़ाए, परंतु महिला ने उन्हें जोर से पकड़ कर संभाल लिया. वह धीरे से स्टेशन पर उतर गए और ट्रेन चल पड़ी.

अविरल ने आंखें बंद कर लीं और सोने की कोशिश करने लगा. अचानक उसे लगा कि उस ने वृद्ध सज्जन का स्थान ले लिया है. वह पक्षाघात से ग्रस्त है. गिर रहा है, लड़खड़ा रहा है, परंतु उस के बगल में कोई संभालने वाला नहीं था.

‘आभा कहां है?’ उस ने सोचा.

‘आभा तो अपने वर्तमान पति को इसलिए छोड़ना चाहती है, क्योंकि उस की उम्र ज्यादा है. फिर वह उस के अपंग होने पर उस का साथ क्यों देगी,’ उस ने सोचा.

‘सुधा तो है न?’

‘सुधा को तो वह तलाक दे चुका है. वह यहां उस का साथ देने के लिए कैसे हो सकती है?’

अविरल को पसीना आ गया. उस ने आंखें खोलीं.

‘अच्छा हुआ कि यह सपना था,’ उस ने सोचा.

‘अब हम चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं. यह स्थान राक गार्डन के लिए विश्व में प्रसिद्ध है…’ उद्घोषणा हुई.

अविरल अपना बैग ले कर उतर गया. कंपनी के अतिथिगृह में जा कर वह तैयार हुआ और मीटिंग के लिए रवाना हो गया.

दिन भर मीटिंग में व्यस्त रहने के बावजूद वह अनमना सा रहा. उस की आंखों के सामने बारबार एक ही दृश्य आता ‘महिला अपने पक्षाघातग्रस्त वृद्ध पति को संभाल रही है.’

‘मैं ने हिम्मत नहीं हारी है. अंत तक साथ दूंगी और कोशिश करती रहूंगी,’ महिला का स्वर था.

‘सर, मैं ऐसे में साथ नहीं दूंगा तो कब दूंगा,’ अक्षय का स्वर भी गूंज उठा.

‘क्या आभा उस का कठिनाइयों में साथ देगी?’ वह सोचता रहा.

वह मीटिंग खत्म कर के शाम को 5.30 बजे चंडीगढ़ स्टेशन पहुंच गया, जिस से वह शाम को 6.00 बजे वाली शताब्दी एक्सप्रेस से दिल्ली जा सके.

यदि कभी आप शाम को चंडीगढ़ स्टेशन जाएं, तो पाएंगे कि पूरा स्टेशन चिडि़यों की आवाज से गूंज रहा है. प्लेटफार्म की भीतरी छत पर लगी लोहे की जालियों में चिडि़यां रैन बसेरा करती हैं. यह इस स्टेशन की विशेषता है.

अविरल कुछ देर तक चिडि़यों की आवाज सुनता रहा. उसे लगा कि दिन चाहे कहीं भी बीते, शाम को हर पक्षी लौट कर अपने घर आता है. यहां ये अपना दुखसुख बांट कर कितने खुश हैं. उसे अपने प्रश्न का उत्तर खुदबखुद मिल गया. उस ने आभा को फोन किया.

‘‘मैं तुम्हें फोन करने ही वाली थी.’’

‘‘मैं ने तुम्हें यह कहने के लिए फोन किया है कि मैं अपनी पत्नी और बच्ची को किसी भी हालत में नहीं छोड़ पाऊंगा.’’

‘‘तो क्या तुम्हारा प्यार झूठा था?’’ आभा के स्वर में गंभीरता थी.

‘‘शायद वह एक सपना था, जो टूट गया.’’

‘‘क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ आभा ने पूछा.

‘‘हां, मैं तुम्हें दोस्त होने के नाते सलाह दूंगा कि तुम किसी मृगतृष्णा में मत पड़ो और अपना बना बनाया घर बरबाद मत करो.’’

‘‘मुझे तुम्हारी सलाह की जरूरत नहीं है,’’ कह कर आभा ने फोन काट दिया.

अविरल ने सुधा को फोन किया.

‘‘हैलो,’’ सुधा के स्वर में उदासी थी.

‘‘सुनो सुधा, एक खुशखबरी है. मेरा प्रमोशन होने वाला है. निशा की एक सप्ताह की छुट्टियां हैं. तुम और निशा कल शताब्दी से चंडीगढ़ आ जाओ. हम हफ्ता भर साथ बिताएंगे फिर शिमला वगैरह चलेंगे.’’

‘‘सच?’’ सुधा के स्वर में आश्चर्य एवं खुशी थी.

‘‘हां, मैं अपने आफिस फोन कर के छुट्टी ले रहा हूं. कल मैं तुम्हें स्टेशन पर मिलूंगा. तुम से एक बात बहुत दिनों से नहीं कही मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं.’’

अविरल अपनेआप को बहुत हलका महसूस कर रहा था. ठीक चहचहाती हुई चिडि़यों की तरह. वह थोड़ी देर तक और चिडि़यों की चहचहाहट सुनता रहा फिर वह अपना टिकट रद्द करा के अतिथि गृह के लिए रवाना हो गया. अगले दिन उसे भी अपने परिवार से मिलना था.

Mother’s Day Special: फैसला-बेटी के एक फैसले से टूटा मां का सपना

Mother’s Day Special: फैसला- भाग 3- बेटी के एक फैसले से टूटा मां का सपना

 मुल्क राज ग्रोवर

ये सब सुन कर मेरी मम्मी का मन फिर डोलने लगा. अमेरिका सैटल्ड लड़के के साथ मेरे रिश्ते का लालच फिर उन के मन में प्रबल हो उठा.

आंटी ने जैसे ही फोन रखा, मम्मी मेरे पास आ कर बैठ गईं. वे देखना चाहती थीं कि आंटी की बातें सुन कर मुझे कितना अच्छा लगा है. मम्मी चाहती थीं कि मैं समीर से शादी कर के अमेरिका सैटल हो जाऊं. मम्मी की यह चाह कैसे पूरी होगी, मैं नहीं जानती, लेकिन मैं हैरान हूं कि मम्मी हमेशा यह क्यों भूल जाती हैं कि हमारी सगाई पर दिए गए तोहफों को ले कर समीर की मम्मी ने उन्हें कैसे फटकारा था और कैसे झूठ बोल कर हम पर रोब जमाने की कोशिश करती रही थीं. तब मेरी मम्मी से कह रही थीं कि तनवी ने प्रपोजल दिया तो हम नेहा को देखने आ गए, जबकि उन्होंने समीर के लिए और भी लड़कियां देखी थीं.

आंटी के फोन के 2 दिन बाद समीर का फोन आया. फोन मैं ने ही उठाया, मम्मी के पूछने पर मैं ने बताया कि समीर का फोन है. समीर का नाम सुनते ही उन की आंखों में चमक आ गई. वे पहले मेरे नजदीक खड़ी रहीं, फिर दूर जा कर हमारी बातें सुनने की कोशिश करती रहीं.

‘समीर का फोन आने की मुझे उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं जानती थी कि मैं उसे कोई भाव देने वाली नहीं थी. मेरे हैलो करने पर जैसे ही उस ने ‘हैलो, मैं समीर… अमेरिका से,’ बोला, मैं ने अपने अंदर भरे आक्रोश को उगलना शुरू कर दिया, ‘ओह समीर… नहीं…नहीं… सैमी… हिंदुस्तानी नाम तो आप को पसंद नहीं. आप सैमी कहते, तब भी मैं पहचान लेती. क्योंकि मेरी आप से सगाई हो चुकी है.

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कब से शादी के सपने देख रही हूं, क्यों न देखूं आखिर सगाई के बाद अगला कदम शादी ही है न. मिस्टर सैमी आप रहते अमेरिका में हैं, लेकिन पत्नी हिंदुस्तानी चाहिए क्योंकि वह तेजतर्रार नहीं होती, बड़ों का मानसम्मान करना जानती है, मुश्किलों में साथ निभाती है जबकि अमेरिकी लड़कियां जराजरा सी बात पर तलाक के कागज भेजने की धमकी दे देती हैं.’

‘प्लीज डोंट मिसअंडरस्टैंड मी. वैन वी टौक, आई वाज टैरिबली अपसैट… इनफैक्ट आई वाज इन ए वैरी बैड मूड…’

‘क्या आप अपनी मम्मी की तरह हमेशा बैड मूड में ही रहते हैं. कुछ दिन पहले आप की मम्मी ने इसी बैड मूड के लिए मेरी मम्मी से सौरी कहने के लिए फोन किया था और आज उन के बेटे ने…’

‘आप इतनी नाराज क्यों हो रही हैं…’

‘शायद आज मैं बैड मूड में हूं… इसलिए.’

‘आई एम रियली सौरी. आप जो चाहे मुझे सजा दें. बट…बट प्लीज डोंट स्पौयल…’

‘मिस्टर सैमी, आप और आप की मम्मी दोनों इस रिश्ते को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार हैं. मेरी मम्मी तो आज भी आप की मम्मी के बेहद रूखे और डांटडपट वाले व्यवहार को भूल कर इस रिश्ते को स्वीकार करने के लिए तैयार बैठी हैं, लेकिन मिस्टर सैमी अब ऐसा कभी नहीं हो पाएगा.’

‘प्लीज डोंट से दैट. आई विल बी डिसअपौइंटेड…’

‘आप डिसअपौइंट क्यों हो रहे हैं. आप को हिंदुस्तानी लड़की से ही शादी करनी

है, बड़े शौक से करिए. यहां आप कुछ और लड़कियां देख गए थे. चुन लीजिए, उन में से कोई. मेरी मम्मी की तरह अमेरिका भेजने के लालच में कोई और मातापिता आप को अपनी बेटी देने के लिए तैयार हो जाएंगे.’

‘आई कैन अंडरस्टैंड योर ऐंगर. आई स्वीयर इन फ्यूचर नथिंग लाइक दिस विल हैपन.’

‘आप के स्वीयर करने या सौरी कहने से क्या हमारी तकलीफें कम हो जाएंगी? हाऊ मच वी हैव सफर्ड, यू कांट इमैजिन. मैं दुआ करती हूं कि आप को जल्दी एक हिंदुस्तानी लड़की मिल जाए और आप की मम्मी को उन के दिए गए तोहफों की पूरी वैल्यू न मिलने पर खरीखोटी सुनाने का मौका एक बार फिर मिल जाए,’ कह कर मैं ने फोन रख दिया.

जैसे ही मैं ने फोन रखा, मम्मी गुस्से से घूरती हुई मुझे डांटने लगीं, ‘नेहा

बेटे, यह कैसा तरीका है समीर से बात करने का.’

‘क्यों मम्मा, क्या मैं कहती कि समीरजी कब से हम आप का इंतजार कर रहे थे. आप कब सेहरा बांध कर हमारे घर आओगे. जिन राहों से आप आने वाले थे, उन पर हम ने अब भी फूल बिछा रखे हैं वगैरा…वगैरा… ‘

मम्मी का गुस्सा अब भी बरकरार था, ‘बसबस बेटा, जो तुम ने किया वह ठीक नहीं था. उसे बहुत बुरा लगा होगा.’

‘बुरा लगा हो… जरूर लगे. हमें कोई परवा नहीं. अब हम क्या चाहते हैं, यह समीर की समझ में आ गया होगा. मम्मी आप की बेटी अब अमेरिका जाने वाली नहीं. वह यहीं रहेगी आप के आसपास. अब आप समीर का नाम हमेशा के लिए भूल जाएं. मम्मी, मैं आप को विश्वास दिलाती हूं, राहुल के साथ मेरी जिंदगी बड़े मजे में कटेगी. मैं खुश रहूंगी और आप भी निश्चिंत रहेंगे. आप राहुल को जानती हैं, कालेज के दिनों में वह 2 बार हमारे घर आ चुका है. जब आप उसे देखेंगी, एकदम पहचान लेंगी. कालेज के दिनों से हमारी आपस में खूब जमती थी.’

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लगभग 5 साल बाद राहुल से मेरी मुलाकात बड़े अजीब तरीके से हुई. समीर के साथ रिश्ता खत्म होने के बाद मैं ने पापा से जौब करने की अनुमति ले ली थी. जिस कंपनी में मुझे जौब मिली थी, राहुल वहां सीनियर पोस्ट पर था. जौब जौइन करने के पहले दिन जब मैं औफिस में ऐंटर कर रही थी तो उसी वक्त राहुल भी औफिस पहुंच रहा था. गार्ड ने जैसे ही दरवाजा खोला, राहुल ने मुझे पहले अंदर जाने के लिए इशारा किया. मैं ने उस की ओर देखा. मुझे उस का चेहरा कुछ जानापहचाना सा लगा. राहुल ने दोबारा मेरी ओर देखा और हैरानी से बोला, ‘नेहा… मैं राहुल…’

‘ओ, राहुल…, कैसे हो, कहां हो.’

‘ठीक हूं, यहीं तुम्हारे शहर में हूं. इसी कंपनी में जौब कर रहा हूं. तुम ने सोचा, राहुल दुनिया से गया… अभी इतनी जल्दी नहीं है… अभी बहुत कुछ करना है. शादी करनी है, बच्चे होंगे… पापापापा बुलाएंगे… फिर उन के बच्चे…’

इतने सालों बाद मिलने पर भी राहुल सबकुछ इतना सहज कह गया, मुझे हैरानी हुई, लेकिन मैं ने सावधानी बरतते हुए तपाक से कह दिया, ‘तुम नहीं बदलोगे राहुल, उसी तरह मस्तमौला, शरारती.’

‘और बताओ नेहा जौब क्यों, तुम्हें तो वर्किंग वूमन नहीं बनना था, वाए चेंज औफ माइंड?’ राहुल ने पूछा.

इसी तरह बातें करतेकरते हम औफिस में ऐंटर कर गए.

कालेज के दिनों की लाइफ में कितनी बेफिक्री और मौजमस्ती थी. हम एकदूसरे को चाहते थे, ऐसा कुछ नहीं था. राहुल कभी मेरा हाथ थाम लेता, कभी अजीब नहीं लगता. अब 5 साल बाद मिलने पर उस तरह की सहजता इतनी जल्दी नहीं आ पाई, लेकिन धीरेधीरे हम पहले की तरह घुलनेमिलने लगे. कईर् बार वह मुझे अपनी बाइक पर घर ड्रौप कर देता.

पिछले 3-4 महीने में राहुल कई बार हमारे घर चायकौफी पर आया था. हम दोनों कितनी बार रैस्टोरैंट में बैठे गपशप कर चुके थे. एक दिन लंच टाइम में राहुल ने पूछा, ‘क्या आज शाम हम कौफी पीने जा सकते हैं?’

‘हां… क्यों नहीं,’ मैं सोच में पड़ गई. कई बार पहले भी हम जा चुके हैं. आखिर आज क्या कुछ नया है. हम उसी रैस्टोरैंट में जा बैठे जहां आमतौर पर जाया करते थे. वेटर कौफी और सैंडविच टेबल पर रख गया. अभी हम ने कौफी पीनी शुरू नहीं की थी कि राहुल ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया. मुझे हलका कंपन हुआ. पहले कितनी बार राहुल ने मेरा हाथ थामा होगा,  लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा, जैसा आज… मुझे लगा हमारे बीच आज कुछ नया घटता जा रहा है, जो पहले से बहुत अलग है.

राहुल कुछ कहना चाहता था, लेकिन नहीं कह सका. कौफी पीने के बाद राहुल ने मुझे घर ड्रौप कर दिया. वह बिना कुछ बोले बाय कर हाथ हिला कर चला गया. अगले दिन औफिस आते समय राहुल की बाइक तेज गति से आती कार से टकरा गई. उसे गंभीर चोटें आईं. उस की सर्जरी हुई और टांग में रौड डाली गई.

एक हफ्ते बाद राहुल को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. जब राहुल औफिस आया  तो उसे देख कर मुझे अच्छा लगा लेकिन उस के हंसमुख चेहरे पर हलकी उदासी देख कर मुझे चिंता भी हुई, ‘राहुल, तुम्हें इतना बुझाबुझा पहले कभी नहीं देखा.’

राहुल की उदासी दूर करने के लिए मैं उस जैसे शरारती अंदाज में उसे ‘बकअप’ करने लगी, ‘राहुल भूल गए, तुम ने कहा था शादी करनी है, बच्चे होंगे, पापापापा बुलाएंगे. फिर उन के बच्चे…’

राहुल का शरारती चेहरा अपने असली रंग में आ गया. चंचल, मौजमस्ती वाला. मुझे लगा राहुल का असली रूप कितना लुभावना है.

राहुल ने चुटकी बजा कर मुझे सचेत किया. वह मेरी ओर देख रहा था… लगातार… उस की आंखों में एक प्रश्न था, जिस का उत्तर वह मुझ से मांग रहा था.

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मैं ने ‘हां’ में सिर हिला कर उस के प्रश्न का उत्तर दे दिया. मुझे लगा हमारे बीच नए रिश्ते की नन्ही सी, प्यारी सी कोंपल फूट आई है.

मेरी मम्मी कमरे के आसपास थीं. उन्हें बुला कर मैं ने कह दिया, ‘मैं ने फैसला कर लिया है मम्मी, समीर से कह दो वह यहां किसी उम्मीद से न आए. मैं ने राहुल को अपना बनाने का फैसला कर लिया है, लेकिन अफसोस मम्मी, अब आप यह नहीं कह सकेंगी कि आप की बेटी अमेरिका में सैटल्ड है और न ही आप सालछह महीने में अपनी बेटी के पास अमेरिका जा पाएंगी.

मेरी शरारत भरी चुटकी मम्मी को पसंद आई कि नहीं, नहीं जानती, लेकिन मेरा फैसला उन्हें अच्छा नहीं लगा.

Mother’s Day Special: फैसला- भाग 2- बेटी के एक फैसले से टूटा मां का सपना

 मुल्क राज ग्रोवर

आंटी ने कहा, ‘जल्दी किसी बड़े होटल में सगाई समारोह करना होगा. आज… या ज्यादा से ज्यादा कल तक.’

अगले ही दिन एक शानदार होटल में बड़ी धूमधाम से समीर के साथ मेरी सगाई हो गई. समीर के परिवार में सभी को बहुत महंगे तोहफे दिए गए. डायमंड की अंगूठियां व महंगी घडि़यों से ले कर डिजाइनर साडि़यां व सूट आदि सभी तोहफे बहुत महंगे थे.

मेरी मम्मी बहुत खुश थीं. पापा को भी सब ठीक लग रहा था. मम्मी की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी. आखिरकार उन की बेटी अब अमेरिका चली जाएगी. वे भी सालछह महीने में एक बार वहां हो आएंगे.

अमेरिका में सैटल्ड लड़के के साथ मेरी सगाई की बधाइयां अभी भी आ ही रही थीं कि अमेरिका लौटने के अगले ही दिन समीर की मम्मी का फोन आ गया, ‘मिसेज रजनी, आप ने जो तोहफे दिए हैं, वे हमारे किस काम के. यहां अमेरिका में कौन पहनेगा इतनी हैवी साडि़यां और डै्रसेज. डायमंड ऐंड गोल्ड ज्वैलरी इज ओके बट वट टु डू विद दीज हैवी सारीज ऐंड सिल्ली ड्रैसेज. ये सब हमारे लिए बेकार हैं. यही पैसे आप ने समझदारी से खर्च किए होते… इट वुड हैव गिवन सम वैल्यू टु अस.’

समीर की मम्मी का ऐसा रूखा व्यवहार देख कर मम्मी ने अपनी गलती मान ली, ‘शिखाजी, हम से गलती हो गई. आप बुरा न मानें. आगे हम ध्यान रखेंगे.’

मम्मी ने स्वीकार कर लिया ताकि वे नाराज न हो जाएं और आगे सावधानी बरतने का विश्वास भी उन्हें दिला दिया. मुझे समीर की मम्मी का व्यवहार और अपनी मम्मी का गलती मान लेना अच्छा नहीं लगा, लेकिन मैं चुप रही.

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‘मिसेज रजनी, हम डायमंड ज्वैलरी और वे गिफ्ट जो हमें ठीक लगे, साथ ले आए हैं, बाकी सब वहीं तनवी के पास छोड़ आए हैं. आप मंगवा लेना, शायद आप के किसी काम आ जाएं.’ मिसेज शिखा ने मम्मी को खूब खरीखोटी सुनाई. मम्मी जीजी करती उन की बेतुकी डांट चुपचाप सुनती रहीं.

सगाई के बाद अमेरिका लौट कर समीर की मम्मी का यह पहला फोन था. मम्मी उम्मीद कर रही थीं कि सगाई की रस्म कम वक्त में इतने बढि़या तरीके से करने पर वे उन का थैंक्स कहेंगी और हमारे दिए तोहफों के लिए आभार जताएंगी, लेकिन इतने करीबी और नएनए जुड़े रिश्ते का भी खयाल न रखते हुए उन्होंने जिस तरह मम्मी के साथ व्यवहार किया, उन्हें उस की जरा भी उम्मीद नहीं थी.

कुछ दिन तक मम्मी बहुत परेशान रहीं. पापा को सारी बात न बता कर इतना बताया कि हमारे तोहफे उन्हें पसंद नहीं आए, इसलिए शादी के वक्त हमें ध्यान रखना होगा. रिश्तों की गरिमा को ताक पर रख कर समीर की मम्मी के कड़वे बोलों ने उन्हें चिंता में डाल दिया था.

अपनी चिंता आंटी से शेयर करने के लिए मम्मी ने उन के भाई के घर फोन किया. वहां से पता चला कि वे अमेरिका लौट गई हैं. उन्होंने उसी वक्त आंटी को अमेरिका फोन कर दिया. आंटी ने मम्मी को विश्वास दिलाया, ‘चिंता की कोई बात नहीं. वे उन लोगों से बात कर के हमें वापस फोन करेंगी.‘

सगाई के बाद जब भी समीर से मेरी बात हुई, वह बेहद फीकी रही. न रोमांचक, न रोचक. जब भी मैं ने कुछ पूछा, उस ने हमेशा सधा सा जवाब दे दिया, ‘जब मैं वहां पहुंचूंगी, सब जान लूंगी.’ कई बार तो बात बस हां और ना पर ही खत्म हो जाती. समीर का इस तरह अनमना व्यवहार मुझे अच्छा नहीं लगा. मैं ने मम्मीपापा को समीर के रूखे व्यवहार के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा. मैं चुप रही. मम्मी के लिए एक और चिंता खड़ी करने से अच्छा है, चुप रहना.

मैं मम्मी को किसी नई चिंता में उलझने से कहां तक बचा पाती, क्योंकि अगले दिन तनवी आंटी का फोन आ गया. उन्होंने जो बताया, उस से हमारा सारा उत्साह फीका पड़ गया.

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‘भाभी, यहां कुछ ठीक नहीं लग रहा. आप जानती हैं अमेरिका में मंदी आने से बिजनैस पर असर पड़ा है और बिजनैस मंदी की वजह से बुरे दौर से गुजर रहा है. वे लोग भी परेशान हैं. मुझे यह भी पता चला है कि वे लोग इंडिया वापस आने की भी सोच रहे हैं.

पिछली बार इंडिया आने का उन का मकसद यहां सही अवसर देखने के साथ समीर के लिए लड़की देखना भी था. उन्होंने नेहा के अलावा और भी 3-4 लड़कियां देखी थीं. मिसेज शिखा ने तब झूठ बोला

था कि वे मेरे कहने पर नेहा को देखने आ गए थे. यहां आ कर जो कुछ मुझे पता चला है, मैं ने आप को बता दिया. अब आप जैसा ठीक समझें.’

तनवी आंटी ने जो बताया, वह मम्मीपापा के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया. वे लोग वापस इंडिया लौटने की सोच रहे हैं. नेहा के अलावा उन्होंने और लड़कियां भी देखीं. मिसेज शिखा कह रही थीं, तनवी ने प्रपोजल दिया, इसलिए हम आ गए.

मम्मी अपना गुस्सा समीर की मम्मी पर निकालने लगीं, ‘वाह शिखाजी, डायमंड ज्वैलरी और महंगे तोहफे तो साथ ले गईं. बाकी यहां छोड़ गईं. ऐसा सामान देते जिस की हमें वैल्यू मिलती. वैल्यू की बड़ी पहचान है आप को.’

मेरे पापा पहले ही उन से नाराज बैठे थे. कुछ दिन पहले समीर के पापा ने अमेरिका से फोन कर अपने लिए होटल बुक करवाने के लिए कहा था और होटल का बिल हमारे नाम करवा कर चले गए. अमेरिका लौट कर फोन पर सौरी कह कर अपनेआप को बचा लिया.

कुछ दिन घर में उदासी छाई रही. मम्मीपापा दोनों परेशान थे. मैं भी असमंजस की स्थिति में थी. इसी उधेड़बुन में 3 महीने से ज्यादा निकल गए. इस बीच न उधर से कोई फोन आया, न ही हम ने उन से बातचीत करने की पहल की. जो भी हुआ हम उसे भुलाने की कोशिश में थे कि अचानक तनवी आंटी का अमेरिका से फोन आ गया. आंटी समीर की मम्मी के पास बैठ कर वहीं से फोन कर रही थीं. उन्होंने मम्मी को बताया कि शिखा ने फोन पर उन्हें जो बुराभला कहा था, उस के लिए वे मेरी मम्मी को सौरी कहना चाहती हैं.

आंटी ने फोन समीर की मम्मी को दे दिया, ‘मिसेज रजनी, मैं शिखा, समीर की मम्मी. दैट डे आई वाज इन ए वैरी बैड मूड. मेरा मकसद आप का दिल दुखाने का नहीं था. आई एम रियली सौरी. नेहा हमें बड़ी अच्छी लगी. शी इज ए लवली गर्ल और हम उसे अपनी बहू बनाना चाहते हैं. आई होप यू विल नौट डिसअपौइंट अस. आप मेरी बात मान लीजिए. मैं आप को फिर एक बार सौरी बोल रही हूं’.

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‘शिखाजी, आप ऐसा न कहिए, आप को सौरी बोलने की जरूरत नहीं. आप लोग हमें बड़े अच्छे लगे. आप जैसे लोगों से रिश्ता जोड़ने में हमें कोई प्रौब्लम नहीं है. मैं नेहा के पापा से बात कर के आप को…’

समीर की मम्मी बीच में ही बोल पड़ीं, ‘मिसेज रजनी आप को अपनी बेटी के बारे में फैसला लेने का पूरा हक है. नेहा के पापा आप से क्यों असहमत होने लगे. नाऊ ऐवरीथिंग इज क्लीयर बिटवीन अस. आप जब कहेंगे, हम इंडिया आ जाएंगे. लीजिए, आप तनवी से बात कीजिए,‘ और उन्होंने फोन आंटी को दे दिया.

आंटी फिर उन की वकालत करने लगीं, ‘उन का बिजनैस अब अच्छा चल रहा है. वे लोग 2 और स्टोर खोल रहे हैं. समीर के लिए अलग से घर खरीद लिया है. भाभी, आप जानती हैं अमेरिका में बच्चे बड़े होने पर मांबाप के साथ नहीं रहते. वे अलग रहना पसंद करते हैं, इसलिए समीर शादी के बाद अपने अलग घर में शिफ्ट हो जाएगा.‘

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 मुल्क राज ग्रोवर

मेरे सामने आज ऐसी समस्या आ खड़ी हुई है, जिस का हल मुझे अभी  निकालना है. मम्मी मेरे कमरे में कई बार झांक कर जा चुकी हैं, लेकिन मैं अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाई हूं. अगर मैं ने जल्दी अपना फैसला न सुनाया तो मम्मी आ कर कहेंगी, ‘नेहा, बेटे तुम ने क्या सोचा. देखो, वे लोग अमेरिका से आ कर हमारे फैसले के इंतजार में बैठे हुए हैं. वे चाहते हैं तुम समीर से शादी के लिए हां कर दो.’

हम एक बार रिश्ता खत्म कर चुके हैं, फिर दोबारा उसे जोड़ने की जिद क्यों. मम्मी सोचती हैं कि समीर अच्छा लड़का है, अमेरिका में जमाजमाया बिजनैस है. वे यह क्यों भूल जाती हैं कि समीर की मम्मी ने हमारी सगाई पर दिए गए तोहफों को ले कर उन्हें कैसी खरीखोटी सुनाई थी. क्या हम यह भी भूल गए हैं कि समीर के पापा होटल का बिल चुकाए बिना अमेरिका लौट गए थे और बिल पापा को चुकाना पड़ा था. इस तरह की  गलती को कोई कैसे अनदेखा कर सकता है. फिर इस बात की क्या गारंटी है कि आगे ऐसा कुछ नहीं दोहराया जाएगा. अगर कभी ऐसा हुआ तो उस का अंजाम क्या होगा? मैं कहीं की नहीं रहूंगी.

अपनी बेटी को अमेरिका भेजने के लालच में कोई और मांबाप समीर को बेटी दे देंगे. वरना तब तक मैं राहुल को खो चुकी होउंगी. मैं राहुल को खोना नहीं चाहती, मां.

पिछले साल इन्हीं दिनों समीर से मेरी सगाई हुई थी. मेरी एक आंटी अमेरिका से आईर् हुई थीं, उन्होंने यह रिश्ता बताया था. जब भी मेरी शादी की बात चलती, मम्मीपापा आह भर कर कहते, ‘काश, हमारी बेटी की शादी भी इंगलैंड या अमेरिका में हो जाती.’ पड़ोस में किसी के बेटे की शादी इंगलैंड से हुई है तो किसी की बेटी अमेरिका में सैटल्ड है. मेरे मम्मीपापा भी चाहते थे कि उन की बेटी भी विदेश में सैटल हो जाए, तब वे भी गर्व से कह सकेंगे कि उन की बेटी अमेरिका में रहती है, बहुत बड़ा बंगला है, बड़ीबड़ी गाडि़यां हैं और तो और घर में स्विमिंग पूल भी है.

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बस, इसी लालच के चलते जैसे ही अमेरिका में रहने वाले लड़के का औफर आंटी ने दिया, मम्मी इस रिश्ते के लिए आंटी पर जोर डालने लगीं. आंटी ने कहा कि जब वे अमेरिका लौटेंगी, तब बात कर लेंगी. लेकिन मम्मी को सब्र कहां. आंटी से जिद कर के अमेरिका फोन करवा दिया. वे लोग इंडिया आने वाले थे, लेकिन अभी उन का कार्यक्रम रीशैड्यूल हो रहा है. 2 दिन में आने की डेट बता देंगे.

मम्मी ने 2 दिन बाद ही फिर आंटी से अमेरिका फोन करवा दिया. वे लोग 21 तारीख को आ रहे हैं. इंडिया में 2 हफ्ते तक रुकेंगे. मम्मी ने गिनती कर ली, आज 7 तारीख है, 2 हफ्ते बाद इंडिया आ जाएंगे. मम्मी ने आंटी से कह दिया कि यहां बात पक्की हो जाए तो नेहा अमेरिका शिफ्ट हो जाएगी. हम भी सालछह महीने में चक्कर लगा लिया करेंगे.

तनवी आंटी ने बताया कि समीर अच्छा लड़का है. उन का वहां सालों से जमा हुआ बिजनैस है. शहर में 4 बड़े स्टोर हैं. आंटी ने बढ़चढ़ कर उन की तारीफ कर दी. मम्मी को यह सुन कर अच्छा लगा.

‘यहीं बात पक्की हो जाए तो नेहा की तरफ से हम निश्चिंत हो जाएंगे,’ मम्मी ने आंटी से कह दिया, ‘जैसे ही वे लोग इंडिया आएं, अगले दिन हमारे यहां चाय पर बुला लेना. नेहा को देख कर कोई कैसे मना कर सकता है. रंगरूप में कोईर् कमी नहीं, गोरीचिट्टी, स्लिम और स्मार्ट. हम शादी में कोई कसर छोड़ने वाले नहीं. फाइव स्टार होटल में शादी करेंगे. लेनदेन में भी कोई कमी नहीं रखेंगे.’

जिस दिन वे लोग इंडिया पहुंचे, आंटी ने अगले ही दिन उन्हें चाय पर बुला लिया. मम्मी ने मुझे अच्छी तरह तैयार होने के लिए पहले से ही कह दिया था. आंटी के कहने पर समीर और उस के मम्मीपापा हमारे घर पहुंचे. आंटी ने उन का परिचय करवाया, ‘मीट मिसेज शिखा, मिस्टर हरीश और इन का बेटा समीर.’

समीर की मम्मी ने आंटी को झट टोक दिया, ‘समीर नहीं तनवी, सैमी, इसे हिंदुस्तानी नाम बिलकुल पसंद नहीं.’

‘सैमी… औल राइट,’ शिखा ने जिस सख्ती से विरोध किया, तनवी आंटी ने उतनी ही सहजता से उन की बात मान ली.

‘सौरी मिसेज शिखा, मैं खास व्यक्ति से तो इंट्रोड्यूस करवाना भूल ही गई,‘ आंटी मुझे आते देख उठ खड़ी हुईं. ‘मीट द मोस्ट चार्मिंग गर्ल, नेहा.’ आंटी ने मेरी कमर में हाथ डाल कर बड़े दुलार से उन के आगे मुझे पेश कर दिया, जैसे मैं कोई बड़ी नायाब चीज हूं.

‘नेहा बड़ी होनहार लड़की है, वैरी स्मार्ट, ब्यूटीफुल ऐंड औफकौर्स वैरी वैल ऐजुकेटेड’, आंटी ने मेरे गुणों का बखान कर दिया.

आंटी हमारे बारे में अच्छी बातें बता कर उन्हें प्रभावित कर रही थीं. ‘मिसेज शिखा, नेहा अच्छे संस्कारों वाली लड़की है, इसे अपनी बहू बना लोगी तो हमेशा मेरी आभारी रहोगी.’

आंटी ने उन्हें आश्वस्त कर दिया. शादी में किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी. फाइव स्टार होटल में शादी होगी… वगैरा…वगैरा…

समीर की मम्मी स्वभाव से घमंडी लग रही थीं, अमेरिका में रहती हैं न, शायद इसीलिए. समीर के पापा ज्यादा नहीं बोले, बस पत्नी की ओर देखते रहे, जैसे कहना चाहते हों, ‘श्रीमतीजी, अब बोलिए.’

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समीर की मम्मी ने जब सारे घर का अच्छी तरह मुआयना कर लिया, तब मेरी मम्मी से कहा, ‘देखिए, मिसेज रजनी, हमारा इंडिया आने का मकसद समीर के लिए लड़की देखने का नहीं था. तनवी ने जब यह प्रपोजल दिया तो हम ने सोचा, देख लेते हैं. उस के कहने पर हम आप के घर आ गए. नेहा हमें पसंद है, लेकिन हम आप को जल्दी में कोई जवाब नहीं दे सकेंगे. हमें एक हफ्ते का समय चाहिए, वी विल टेक सम टाइम टु डिसाइड, आई होप यू कैन अंडरस्टैंड,’ कहते हुए वे खड़ी हो गईं और साथ ही समीर और उस के पापा भी खड़े हो गए.

‘ओके, मिसेज रजनी, नाइस टु मीट यू औल. तनवी तुम अमेरिका कब लौट रही हो?

‘अभी कुछ दिन यहीं इंडिया में हूं. मेरे भतीजे की शादी है. यहां बहुत से रिश्तेदार हैं. सब से मिलना है. आप अचानक उठ क्यों गए, बैठिए न. चाय तो लीजिए प्लीज,’ आंटी ने कहा.

‘नहीं तनवी, अब चलेंगे. तुम्हारे कहने पर आ गए… ओके…‘ बायबाय कर के वे तीनों बाहर निकल गए.

‘तनवी, लगता है उन्हें बात जमी नहीं. ठीक से चाय भी नहीं पी. मैं ने इतनी अच्छी तैयारी की थी,‘ मेरी मम्मी ने अपनी चिंता जताई.

‘भाभी, आप चिंता न करें,’ शिखा का व्यवहार ही ऐसा है. मैं उन से बात कर के पता लगाऊंगी.

5 दिन गुजर गए, उन की तरफ से कोई खबर नहीं आई. मम्मी आंटी को फोन करने की सोच रही थीं कि तभी आंटी आ पहुंचीं. ‘2 दिन के लिए कानपुर चली गई थी, छोटी बहन के पास. भाभी, मैं अभी मिसेज शिखा से बात कर के आई हूं. कह रही हैं शाम तक बताएंगे.’

शाम तक कोई खबर नहीं आई. रात 9 बजे आंटी का फोन आया. मेरी मम्मी खुशी से उछल पड़ीं. जरूर अच्छी खबर होगी.

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‘मिसेज शिखा ने कहा है कि हम सोच रहे हैं.’ आंटी ने बताया, ‘पौजिटिव हैं.’ अगले दिन मैसेज आ गया कि उन्हें रिश्ता मंजूर है.

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