Serial Story: फटे नोट का शेष हिस्सा (भाग-1)

‘‘प्रेमवह नहीं है जो किताबों, किस्सेकहानियों में पढ़ते हैं, जो फिल्मों में देखते हैं या जो गीतोंगजलों में सुनते हैं. प्रेम तो वह है जो हम खुद महसूस करते हैं, जीते हैं. और भोगते हैं. प्रेम विज्ञान का नियम या गणित का सूत्र नहीं है. इस की परिभाषा तो हरेक प्रेमी के लिए भिन्न होती है… किसी को देखते ही आप की आंखों की चमक, होंठों की मुसकान और दिल की धड़कनें बढ़ जाएं तो समझ लीजिए कि आप को प्यार हो गया…’’  इशिता माइक पर बोलती जा रही थी और पूरा हौल एकाग्रचित हो कर उसे सुन रहा था. अवसर था कालेज में होने वाली वादविवाद प्रतियोगिता का और इशिता एक प्रतिभागी के रूप में इस में हिस्सा ले रही थी.

प्रोफैसर अयान के लिए ये बहुत ही अचरज का विषय था कि मैडिकल जैसे नीरस विषयों की पढ़ाई करने वाले युवा प्रेम के कोमल एहसास को इतनी गहराई से महसूस करते होंगे. हालांकि इशिता के बारे में वे ऐसा सोच सकते थे, क्योंकि वह अकसर ही ऐसा कुछ कर गुजरती जिस की कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता था, लेकिन उस के चुलबुलेपन की हवा धीरेधीरे आंधी में बदलती हुई पूरे मैडिकल कालेज पर बवंडर सी छा जाएगी यह कल्पना उन्होंने नहीं की थी.

इशिता की ही पहल पर मैडिकल कालेज में यह सांस्कृतिक और खेलकूद सप्ताह मनाया जा रहा था. हालांकि कालेज में छात्र संगठन जैसा कुछ भी नहीं था लेकिन इशिता ने अपने जैसे कुछ छात्रों का एक गु्रप बना रखा था जो अकसर कालेज प्रशासन के सामने छात्रों की मांगे रखता था. उन्हीं में से एक मांग यह भी थी कि कालेज में पढ़ाई के साथसाथ छात्रों के लिए कुछ रचनात्मक, मनोरंजक और स्वास्थ्यवर्धक गतिविधियां भी होनी चाहिए ताकि उन की एकरसता टूटे और वे अधिक क्षमता और जोश के साथ पढ़ाई में जुट सकें.

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अयान को इस सत्र की फ्रैशर पार्टी का वह सीन याद आ गया जब औडीटोरियम में परिचय का दौर चल रहा था. हर नया स्टूडैंट एक झिझक और डर के साथ स्टेज पर आ कर अपना संक्षिप्त परिचय दे रहा था. स्वर की घबराहट कभीकभी हकलाहट में बदल जाती तो हौल ठहाकों से गूंज उठता और ये गूंज फ्रैशर को और भी नर्वस कर देती.

तभी इशिका पूरे आत्मविश्वास के साथ आई और माइक को स्टैंड से निकाल कर हाथ में थाम लिया. अदा से बालों को झटका और थोड़ा आगे को झुकते हुए गुनगुना उठी, ‘‘मेरा नाम है चमेली… मैं हूं मालन अलबेली… चली आई मैं अकेली बीकानेर से…

‘‘जी हां, मैं हूं इशिता और मैं बीकानेर से आई हूं… आज मैं अपना परिचय खुद दे रही हूं लेकिन मेरा दावा है कि एक दिन वक्त मेरा परिचय खुद देगा…’’ इशिता के कहते ही पूरा हौल तालियों और सीटियों की आवाज से गूंज उठा. तभी अयान ने उसे नोटिस किया था.

यह अलग बात है कि इस के बाद इशिता को पूरे कालेज में लोग चमेली के नाम से बुलाने लगे. कुछ तो मजाक में उसे ‘चिकनी चमेली’ भी कह देते थे. इशिता भी मुसकरा देती थी. उस दिन के बाद आज फिर उस का ध्यान इशिता ने अपनी तरफ खींच लिया था.

कालेज का पहला साल खत्म हो गया. नए साल के ऐडमिशन हो चुके थे. अब समय था जूनियर्स के विधिवत स्वागत का. इस बार की फ्रैशर पार्टी का जिम्मा इशिता और उस की टीम ने लिया था. पार्टी बहुत ही दोस्ताना माहौल में चल रही थी. सभी नए स्टूडैंट्स अपने सीनियर्स से घुलमिल रहे थे. किसी के चेहरे पर रैगिंग का डर या तनाव नहीं दिख रहा था.

‘‘सुनिए, सुनिए, सुनिए… सब लोग कृपया यहां पोडियम की तरफ आ जाएं… एक बहुत ही मजेदार गेम खेला जाने वाला है… गेम का नाम है- फटे नोट का शेष हिस्सा…’’ माइक पर इशिता की आवाज गूंजी तो सब उस ओर मुड़ गए.

‘‘यह गेम हमारे प्रोफैसर्स और छात्रों के बीच खेला जाएगा… यहां इस बौक्स में नोटों के फटे हिस्से रखे हैं और वहां दूसरे बौक्स में इन के शेष हिस्से. हरेक प्रतिभागी यहां से एक हिस्सा ले कर जाएगा और प्रोफैसर दूसरा. दोनों को अपने फटे नोट का शेष हिस्सा तलाशना होगा. जो प्रतिभागी सब से पहले सही हिस्से ले कर आएगा वही विजेता होगा. उसे स्टेज पर डांस भी करना होगा… जिसे यह शर्त मंजूर हो, वह ही आगे आए. प्रोफैसर्स को कोई छूट नहीं हैं… सभी को भाग लेना होगा,’’ इशिता ने गेम और उस के नियम समझाए तो सभी इस मजेदार खेल के बारे में सोच कर मंदमंद मुसकराने लगे.

एकएक कर सब ने फटे नोट के हिस्से ले लिए. अब सभी को नोट का शेष हिस्सा खोजना था. इशिता अपना फटा नोट ले कर सीधे अयान के पास गई.

‘‘अपना फटा नोट दिखाइए. शायद आप ही हैं मेरे फटे नोट का शेष हिस्सा,’’ इशिता ने कहा.

‘‘तुम इतने यकीन से कैसे कह सकती हो?’’ अयान को आश्चर्य हुआ.

‘‘यकीन से नहीं… बल्कि दिल से कह रही हूं. दरअसल, मेरा आप के साथ डांस करने का मन हो रहा है इसलिए चांस ले रही हूं. कौन जाने कुदरत मुझ पर मेहरबान हो ही जाए…’’ इशिता अपनी आदत के अनुसार खिलखिला दी. अयान उस की इस बेबाकी पर भौंचक था. शायद कुदरत आज इशिता पर कुछ मेहरबान ही था, क्योंकि अयान के पास ही उस के फटे नोट का शेष हिस्सा निकला.

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‘‘हम जीत गए… मैं ने ढूंढ़ लिया अपने फटे नोट का शेष हिस्सा…’’ इशिता जोर से चिल्लाई. उस की खुशी देखते ही बनती थी. निर्णायक ने दोनों हिस्से मिला कर चैक किए और उन्हें विजेता घोषित कर दिया. इशिता अयान का हाथ पकड़ कर स्टेज पर ले आई. म्यूजिक पर एक मीठी सी रोमांटिक धुन बजी और इशिता ने अयान के हाथ अपनी कमर के इर्दगिर्द लिपटा लिए. उस की आंखों में आंखें और गले में हाथ डाल कर झूमने लगी. अयान का यह पहला मौका था जब उस ने अपनी पत्नी के अलावा किसी और की कमर में हाथ डाला था. वह शर्म से गड़ा जा रहा था और हौल सीटियों से गूंज रहा था.

इस के बाद इशिता अयान से कुछ और ज्यादा खुल गई.

आगे पढ़िए- आखिर ऐसा क्या हुआ अयान और इशिता की जिंदगी में

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