परिवार संग खेली होली फिर हुई बेचैनी, 66 साल की उम्र सतीश कौशिक का हार्ट अटैक से निधन

बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक की निधन की खबर ने फैंस को भावुक कर दिया है. सतीश कौशिक का 66 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया है. सतीश कौशिक की निधन की खबर ने बॉलीवुड स्टार्स को दुखी कर दिया है. अब सतीश कौशिक के अंतिम संस्कार से जुड़ी खबर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक का अंतिम संस्कार आज दोपहर 3 बजे के बाद होगा. सतीश कौशिक के निधन के बाद उनके फैंस दुखी नजर आ रहे हैं.

 

 

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पोस्टमॉर्टम के बाद होगा अंतिम संस्कार

सतीश कौशिक के निधन की खबर सामने आने के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है. सतीश कौशिक को बॉलीवुड स्टार्स सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए नजर आ रहे हैं. इसी बीच सतीश कौशिक के अंतिम संस्कार को लेकर खबर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर का आज दोपहर 3 बजे अंतिम संस्कार होगा. अभी उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए दीनदयाल अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद शव को मुंबई लाया जाएगा. जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सतीश के कौशिक के अंतिम दर्शन करने के लिए कई बॉलीवुड स्टार्स पहुंच सकते है.

 

 

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होली सेलिब्रेशन के दौरान हुई दिक्कत

एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक होली सेलिब्रेशन के लिए दिल्ली गए थे. इसी दौरान उन्हें बेचैनी महसूस हुई, जिसके बाद सतीश कौशिक को फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एक्टर सतीश कौशिक के निधन की खबर अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर ट्वीट शेयर की दी थी. सतीश कौशिक ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया था. वो एक डायरेक्टर के साथ-साथ एक जाने-माने एक्टर भी थे. सतीश कौशिक को लेकर आपकी क्या राय है, कमेंट कर के हमें जरूर बताएं. आप सतीश कौशिक को कैसे याद कर रहे हैं.

Holi 2023: सिड-कियारा से लेकर रणबीर-आलिया तक, शादी के बाद पहली होली मनाएंगे ये 5 कपल

देशभर में होली 8 मार्च को धूमधाम से मनाई जाने वाली है, जिसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. होली का यह त्यौहार फिल्म इंडस्ट्री में भी काफी धमाकेदार तरह से मनाया जाता है. खास बात यह है कि इस साल मनोरंजन की दुनिया में कई सेलेब्स शादी के बाद पहली बार अपने पार्टनर के साथ होली मनाते हुए दिखाई देंगे. आज हम आपको ऐसे ही सेलिब्रिटी इसके बारे में बताने वाले हैं, जिनकी यह पहली होली होने वाली है.

1- आलिया भट्ट और रणबीर कपूर

आलिया और रणबीर कपूर ने 14 अप्रैल 2022 को शादी की थी. आलिया की शादी का इंतजार फैंस से लेकर उनके बॉलीवुड के फ्रेंड्स तक को था. यह जोड़ी एक दूसरे को पिछले 5 सालों से डेट कर रही थी, जिसके बाद एक प्राइवेट सेरेमनी में दोनों ने शादी कर ली और यह कपल इस साल अपनी पहली होली मनाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि ये कपल पहली होली अपनी बेटी राहा कपूर के साथ सेलिब्रेट करेगा.

 

 

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2- आथिया शेट्टी और केएल राहुल

सुनील शेट्टी की बेटी और अभिनेत्री आथिया शेट्टी ने जनवरी महीने में मशहूर क्रिकेटर केएल राहुल से शादी की है. आथिया की शादी काफी प्राइवेट थी, जिसकी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं. आथिया और केएल राहुल एक दूसरे को सालों से डेट कर रहे थे. ये कपल भी अब एक साथ होली सेलिब्रेट करने के लिए बेहद उत्साहित हैं और फैंस भी उनकी तस्वीरों का इंतजार कर रहे हैं.

 

 

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3- कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा

कियारा और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर में रॉयल वेडिंग की, जिसके बाद दिल्ली से लेकर मुंबई में उनका ग्रैंड रिसेप्शन भी हुआ है. यह कपल भी एक-दूसरे से फिल्म के सेट पर मिला था और वहीं से प्यार का सिलसिला शुरू हो गया. इस जोड़े को होली सेलिब्रेट करना काफी पसंद है. पहले भी दोनों की साथ में कई तस्वीरें वायरल हो चुकी है और शादी के बाद पहली बार ये कपल आपको एक साथ होली मनाते हुए दिखाई देगा.

 

 

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4- ऋचा चड्ढा और अली फज़ल

बॉलीवुड की बिंदास गर्ल ऋचा चड्ढा ने अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड अली फज़ल से पिछले साल शादी की थी. ऋचा ने अपनी शादी का ग्रैंड रिसेप्शन मुंबई लखनऊ और दिल्ली में भी आयोजित किया था. हालांकि, अभिनेत्री का दावा है कि उन्होंने अली से ढाई साल पहले ही कोर्ट मैरिज कर ली थी. लेकिन, वो इस बात का खुलासा नहीं करना चाहती थी. वहीं, ये कपल भी अपनी शादी के अलाउंसमेंट के बाद पहली बार होली एक साथ मनाएगा.

 

 

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5- हंसिका मोटवानी और सोहेल कथूरिया

‘शाका लाका बूम बूम’ में संजना का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री हंसिका मोटवानी ने भी अपने बिजनेसमैन बॉयफ्रेंड सोहेल कथूरिया से 4 दिसंबर को जयपुर में शादी की थी. हंसिका की शादी एक बेहद ग्रैंड वेडिंग थी, जिसपर एक वेब सीरीज़ भी जल्द अमेज़न प्राइम पर स्ट्रीम होने वाली है। इसमें आपको कपल की रॉयल वेडिंग की कुछ झलकियां दिखाई देंगी . हालांकि, ये कपल भी मार्च में पहली बार साथ में होली सेलिब्रेट करने के लिए बिलकुल तैयार है.

 

 

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होली के बारें में अभिनेत्री श्रद्धा कपूर क्या कहती है, पढ़े इंटरव्यू

मुझे हिंदी फिल्मे देखना सबसे अधिक पसंद है. मेरी फेवोरिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ जैसी फॅमिली टाइप फिल्मे मुझे अधिक पसंद है. मनोरंजन फिल्म की मुख्य पार्ट होनी चाहिए और मैं भी उन्ही फिल्मों को अधिकतर देखती हूँ, जिसमे मनोरंजन अधिक हो. फिल्मे देखने हॉल में जाना और पॉपकॉर्न और परिवार के साथ उसे एन्जॉय करना ही मुझे पसंद है, कहती है, मुंबई की जुहू इलाके में रहने वाली अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, जो शिवांगी कोल्हापुरे और शक्ति कपूर की बेटी है.बचपन से ही फ़िल्मी माहौल में पैदा हुई श्रद्धा कपूर को बचपन से अभिनय का शौक था.

सीखा उतार-चढ़ाव से

उसे पहला ब्रेक फिल्म ‘तीन पत्ती’ से मिला. फिल्म चली नहीं, पर श्रद्धा को तारीफे मिली, इसके बाद ‘लव का दि एंड’ आई, जो सफल नहीं थी.ऐसे में ‘आशिकी 2’ उसके जीवन की टर्निंग पॉइंट बनी और रातों रात उसकी जिंदगी बदल गयी.श्रद्धा शांत स्वभाव की है और सोच समझकर फिल्में चुनती है. फिल्म न चलने पर उसे खुद पर ही गुस्सा आता है. वह हर नए चरित्र को करना पसंद करती है. उन्होंने अपनी 12 साल की जर्नी में बहुत कुछ सीखा है. वह कहती है कि मैने अपने काम को सबसे अधिक प्यार करना सीखा. उतार-चढ़ाव कैरियर में आते है, लेकिन काम से प्यार होने पर उसपर अधिक फोकस होना संभव नहीं. मैं अच्छी फिल्मे और चुनौतीपूर्ण फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूँ.

 

 

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उम्र के साथ बढती है अनुभव

अपनी कामयाबी का श्रेय वह अपने पेरेंट्स को देती है और मानती है कि माता-पिता ने हमेशा उन्हें हर वक्त सहारा दिया है. आज भी श्रद्धा अपने पेरेंट्स के साथ रहती है और अकेले रहना पसंद नहीं करती. हमेशा वह उनके साथ ही रहना चाहती है. श्रद्धा को बागीचा, पौधे. पेट्स बहुत प्रिय है. मसाला चाय उनके जीवन का प्रिय है, जिसे उनके घर पर देसी तरीके से बनाने पर पीती है और अपने जीवन में कभी छोड़ नहीं सकती. जिसे वह एक खास कप में पीती है. श्रद्धा उस कप को सालों से सम्हाल कर रखा है और चाय पीने के बाद खुद धोती है. उम्र श्रद्धा के लिए बहुत खास नहीं होती, एक नंबर होती है, जिसमे व्यक्ति खुद को एक अनुभवी मानने लगता है. वह कहती है कि हर व्यक्ति की एक बायोलॉजिकल और मेंटल ऐज होती है. मुझे कुछ लोग अजीबाई (नानी- दादी) कहते है, जबकि मेरी माँ हमेशा मुझसे पूछती है कि मैं बड़ी कब होउंगी. इस तरह कोई मुझे मेच्योर तो कोई मुझे एकदम बच्ची मानते है. असल में मैं पेरेंट्स को बहुत अधिक ज्ञान देती हूँ.

अभी उनकी फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ रिलीज पर है, जिसे लेकर श्रद्धा बहुत उत्साहित है, क्योंकि इसमें पहली बार उनके साथ अभिनेता रणवीर कपूर है. इसमें श्रद्धा ने किसिंग सीन्स से लेकर बिकिनी सीन्स भरपूर दिए है. साथ ही इसमें उनकी भूमिका फ्रंटफुट लेने वाली आज की लड़की की है, जिसे किसी बात का डर नहीं और बिंदास है. ये चरित्र उनके लिए खास और अलग है. श्रद्धा ने अपनी जर्नी के बारें में बात की जो बहुत रोचक रही.

 

 

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झूठ बोलना है मुश्किल

श्रद्धा ने कई बार झूठ का सहारा लिया है, वह हंसती हुई कहती है कि मैंने एक बार अपनी फ्रेंड से पेपर लेकर एग्जाम दिया और बहुत अच्छे मार्क्स थे, क्योंकि मुझे प्रश्न मालूम थे. टीचर को मेरे इतने अच्छे नंबर देखकर शक हुआ मुझे बुलाया और मैंने सारी बातें उन्हें बता दी. मेरी चोरी पकड़ी जाने पर मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और मैंने मेहनत कर अच्छे मार्क्स आगे लाइ. मैं बहुत बुरी झूठी हूँ, झूठ बोलने पर पसीना आता है. सबको पता चल जाता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ. पेरेंट्स के आगे तो मैं कभी झूठ नहीं बोल पाती हकलाने लग जाती हूँ.

हुआ अनुभव हार्ट ब्रेक का

जिंदगी में मक्कार बॉयफ्रेंड मिलने के बारें में पूछे जाने पर श्रद्धा कहती है कि हर किसी को एक मक्कार बॉयफ्रेंड लाइफटाइम में अवश्य मिलता है, हार्ट ब्रेक का अनुभव हर किसी को हुआ होगा, ऐसे में फ्रेंड से मिलना, परिवार से बातचीत करना, काम पर लग जाना आदि करना पड़ता है, सबसे अधिक खुद की शोल्डर होती है, जिसमे खुद को ही समझाना पड़ता है, फिर इससे निकलना आसान होता है.

विरासत में मिली संगीत

श्रद्धा कपूर एक गायिका भी है, यह उन्हें परिवार से विरासत में मिला है. वह कहती है कि एक्टिंग मेरा पैशन है, लेकिन जब मुझे पता चला कि मैं गाना भी गा सकती हूँ, तो बहुत ख़ुशी हुई. मेरी माँ गाती है और लता मंगेशकर मेरी मासी है. म्यूजिक मेरे परिवार में है. बचपन से मैंने माँ और मासी को गाते हुए भी देखा है. मैं आज भी किसी अवसर पर गाना पसंद करती हूँ और आगे मैं संगीत पर भी कुछ करने की इच्छा रखती हूँ.

 

 

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चैलेंजेस है कई

श्रद्धा कहती है कि मेरी जर्नी में चुनौतियां बहुत है और ये अच्छा होता है. ये हर किसी के जीवन का हिस्सा होती है,पर इसे कैसे आप लेते है,यह आप पर निर्भर करता है. इससे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है. आज मैने समझ लिया है कि असफलता से घबराना नहीं है. मेरे शुरू की दो फिल्में फ्लॉप रही,लेकिन ‘आशिक़ी 2’ की सफलता की वजह से मैं लोगो की पसंदीदा बनी. असफल फिल्मों की दौर से निकलने में मुझे कुछ समय लगा था. हर फिल्म हमेशा सफल हो ये संभव नहीं होता,लेकिन फिल्म के बनने की प्रोसेस को मैंने हमेशा से एन्जॉय किया है.मेहनत पूरी करती हूँ, दर्शकों को फिल्म पसंद नहीं आती,तो ख़राब लगता है. श्रद्धा कपूर मानती है कि उनके परिवार ने उन्हें जो कुछ दिया है, उसकी भरपाई संभव नहीं , लेकिन वह जितना हो सके उन्हें खुश रखने की कोशिश करती है. इंडस्ट्री ने बहुत कुछ दिया है. मेरे सपने सच इस इंडस्ट्री की वजह से हुआ है. इसके अलावा मेरे पूरे परिवार ने मुझे हमेशा किसी भी परिस्थिति में मेरा साथ दिया है.

मजेदार त्यौहार है होली

होली के बारें में श्रद्धा का कहना है कि होली एक मजेदार त्यौहार है और अभी मैं अधिक रंग नहीं खेलती, पर बचपन की यादें बहुत मजेदार है. ललित मोदी का बंगला मेरे बिल्डिंग के नीचे थी, मैं ऊपर से रंग वाले वाटर बैलून अपने फ्रेंड के साथ मिलकर उनके स्विमिंग पूल और घर पर फेंकती थी. पूल लाल कर देती थी. वहां पार्टी होती थी, मुझे वहां जाने की इच्छा होती थी. इस अवसर पर पूरनपोली बनाई जाती है, जो मुझे पसंद है. इस त्यौहार पर शरीर और चेहरे से रंग निकालना एक मुश्किल बात होती है.

 

 

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महिलाओं के लिए मेसेज

वह कहती है कि बनावटी चीजो पर अधिक ध्यान न दे, इससे आपका आत्मविश्वास कम होता है. खूबसूरती के अलावा जो आपकी खूबी है, उसे हमेशा निखारे,अपने आप को कभी कमतर न समझे.सुंदर दिखने के अलावा बहुत सारे दूसरे फैक्टर्स है, जो आपको सुंदर बना सकते है. रंग,कद-काठी ये सब सुन्दरता की परिभाषा नहीं हो सकती.

Holi 2023: हां सीखा मैं ने जीना- भाग 3

नवनी और कुंतल ने सैमिनार से एक दिन पहले दिल्ली पहुंचना तय किया ताकि कुछ समय वे एकांत में बिता सकें. तय कार्यक्रम के अनुसार कुंतल दिल्ली पहुंच चुका था जबकि नवनी की ट्रेन 2 घंटे की देरी से चल रही थी. कुंतल से इंतजार का समय काटे नहीं कट रहा था. वह बारबार कभी फोन तो कभी मैसेज करकर के नवनी से ट्रेन की स्थिति की जानकारी ले रहा था. उस की बेचैनी पर नवनी निहाल हुई जा रही थी.

‘तुम क्या करने जा रही हो नवनी? क्या यह अनैतिक नहीं?’ नवनी के विचारों ने अचानक अपना रुख बदल लिया.

‘प्यार नैतिक या अनैतिक नहीं सिर्फ प्यार होता है… हम दोनों एकदूसरे का साथ पसंद करते हैं तो इस में अनैतिक क्या हुआ?’ नवनी ने तर्क किया.

‘क्या यह दिव्य से बेवफाई नहीं होगी? सौम्या को पता चलेगा तो उस के सामने तुम्हारी क्या इज्जत रह जाएगी?’ फिर एक प्रश्न उभरा,’नहीं, किसी से कोई बेफवाई नहीं… मेरी निगाहों में यह मेरी अपनेआप से वफा है. वैसे भी दिव्य मेरे शरीर पर अपना हक जता सकता है लेकिन मेरे मन पर नहीं… रही बात सौम्या की… तो वह भी नारी है… देरसवेर मेरी भावनाओं को समझ जाएगी… जिस तरह मैं सब की खुशी का खयाल रखती हूं उसी तरह क्या खुद को खुश रखना मेरी जिम्मेदारी नहीं? और वैसे भी हम सिर्फ अकेले में 2 घड़ी मिल ही तो रहे हैं. इस में इज्जत और बेइज्जती की बात कहां से आ गई?’ नवनी ने प्रतिकार किया.

‘तुम्हें क्या लगता है? क्या अकेले में कुंतल खुद पर काबू रख पाएगा? कहीं तुम ही फिसल गई तो?’ मन था कि लगातार प्रश्नजाल फैला कर उसे उलझाने की कोशिश में जुटा था. किसी को चाहने के बाद उसे पाने की लालसा होती ही है… और किसी को पूरी तरह से पाने की अनुभूति यदि शारीरिक मिलन से होती है तो फिर…’ नवनी ने अपने वितर्क को जानबूझ कर अधूरा छोड़ दिया और इस के साथ ही आप से किए जा रहे तर्कवितर्क को जबरदस्ती विराम दे दिया. शायद वह इन जलते हुए प्रश्नों का सामना कर के अपने मिलन के आनंद को कम नहीं करना चाहती थी.

सैमिनार में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों और मेहमानों के ठहरनेखाने की व्यवस्था आयोजकों द्वारा एक होटल में की गई थी. कुंतल का कमरा तीसरी मंजिल पर और नवनी को छठी मंजिल पर ठहराया गया था. नवनी स्टैशन से कैब कर के होटल आ गई. अभी सामान एक तरफ रख के बिस्तर पर पसरी ही थी कि रूम की बेल बजी.

कम इन…” अटेंडैंट होगा सोच कर नवनी ने पड़ेपड़े ही जोर से कहा. दरवाजा खुला तो सामने कुंतल खड़ा था. नवनी हड़बड़ा कर उठने को हुई लेकिन कुंतल ने उसे इतना मौका ही नहीं दिया. नवनी कुछ कहने को हुई लेकिन कुंतल ने उस के होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए. कुछ ही पलों में मन में बहने वाला भावनाओं का झरना तन से गुजरता हुआ शांत नदी सा बहने लगा. सांसों का शोर मधुर संगीत सा लयबद्ध हो गया. अब न कान कुछ सुन रहे थे और न ही आंखें कुछ देख रही थीं. रोमरोम सक्रिय हो गया था.

“कुंतल, आज हमारे पहले मिलन पर एक वादा करोगे मुझ से?” नवनी ने कुंतल की छाती के बालों से खेलते हुए कहा.

“बोलो,” कुंतल ने उसे थोड़ा सा और कस लिया. वह मिलन के हर लमहे को जी लेना चाहता था.

“जिन होंठों से तुम ने मुझे छुआ है, उन से किसी और को मत छूना,” नवनी भावुक हो उठी.

“मैं तुम्हारी भावनाओं को समझता हूं, नवनी लेकिन प्रेम किसी बंधन का नाम नहीं है. यह तो तुम भी बेहतर समझती हो वरना आज तुम यहां मेरी अंकशायिनी नहीं होती. प्रेम तो पूरी तरह से इमोशंस पर टिका हुआ होता है. अगर दिल मिले तो घड़ीभर में मिल जाए… न मिले तो जिंदगीभर साथ रह कर भी न मिले… मैं नहीं जानता कि हमारे रिश्ते का कल क्या होगा लेकिन हमें तो आज में जीना चाहिए न… और आज यह कहता है कि मैं ने तुम्हें और तुम ने मुझे अपनी मरजी से छुआ…अब चलो, उठो तैयार हो जाओ. डिनर के लिए कहीं बाहर चलते हैं. कल से तो फिर सब कुछ यहीं सब के साथ करना होगा,” कुंतल ने उस के बाल सहलाए.

दूसरे दिन सेमिनार में नवनी के साथ कुंतल का व्यवहार एकदम व्यावसायिक था. कुंतल ने एक प्रखर वक्ता की तरह से अपना वक्तव्य  दिया. सामने बैठी नवनी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही कुंतल है जो कल रात आतुर प्रेमी सा उस की बांहों में था. लंच और डिनर के समय भी कुंतल ने उस से एक निश्चित दूरी बना के रखी थी. उस का यह दूसरा रूप देख कर नवनी मन ही मन मुसकरा रही थी.

रात के 11 बजते ही कुंतल फिर से उस की बांहों में था. अगले दिन दोपहर बाद सब एकदूसरे से संपर्क में रहने का वादा करते हुए विदा हो गए. नवनी और कुंतल भी अपनेअपने गंतव्य की ओर चल दिए. उनींदी सी नवनी अभी बिस्तर में पड़ी अंगड़ाईयां ही तोड़ रही थी कि वाइब्रैंट मोड पर रखा मोबाइल घरघराया. कुंतल का फोन था. एक सहज मुसकान होंठों पर तैर गई. नवनी ने पास में लेटे दिव्य की तरफ देखा और मोबाइल उठा कर रसोई में आ गई.

“ओहो, लगता है रातभर नींद नहीं आई जनाब को भी,” नवनी धीरे से फुसफुसाई.

“इश्क नचाए जिस को यार… वह फिर नाचे बीच बाजार,” दूसरी तरफ कुंतल भी अंगड़ाई ले रहा था.

“बाबू… खुद पर रखो काबू… ज्यादा रोमांटिक होने की जरूरत नहीं है… जानते हो न, लोग चेहरे पढ़ लेते हैं… अब फोन रखो, रोमांस बाद में कर लेना,” नवनी ने उसे प्यार से डांटा.

“अच्छा, तो समाजसेवा के नाम पर यह सब चल रहा है… शर्म नहीं आई तुम्हें एक जवान होती बेटी की मां हो कर यह सब करते हुए…” दिव्य नवनी पर चिल्लाया. कुंतल से बातचीत में नवनी इतनी खो गई थी कि उसे दिव्य की आहट भी सुनाई नहीं दी. एक बार तो नवनी के चेहरे का रंग उड़ गया लेकिन अगले ही पल वह सामान्य हो गई. दिव्य उस के हाथ से मोबाइल छीन कर देखने लगा.

“पीओ कुंतल… अब मैं समझा कि तुम्हारे प्रोजैक्ट लगातार पास कैसे हो रहे हैं… रिश्वत में खुद को जो परोस रही हो…” दिव्य का गुस्सा 7वें आसमान पर था लेकिन नवनी ने चुप्पी साध ली.

“अगर तुम्हें यहां मेरे घर में रहना है तो यह सब छोड़ना होगा… समझी तुम?” नवनी की चुप्पी ने आग में घी का काम किया. नवनी दिव्य के सामने से हट गई और अपनी सामान्य दिनचर्या में व्यस्त हो गई. कई दिन घर में अबोला रहा. एक तरफ दिव्य का पुरुषोचित अहम आहत हुआ था तो दूसरी तरफ नवनी को इस में सफाई देने लायक कुछ लगा नहीं. सौम्या अलग मुंह फुलाए घूम रही थी.

“मैं 15 दिनों के लिए एक ट्रैनिंग प्रोग्राम में दिल्ली जा रही हूं… तुम्हारे पास पूरा समय है सोचने के लिए… तुम चाहोगे तो ही मैं वापस इस घर में आऊंगी, नहीं तो वूमंस होस्टल में चली जाऊंगी. वैसे, तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि कुंतल भी इस ट्रैनिंग में आ रहा है,” एक रोज नवनी ने दिव्य से कहा.

15 दिन क्या दिव्य और सौम्या को 5 दिन में ही नवनी की अहमियत का अंदाजा हो गया था. अस्तव्यस्त घर और लगातार बाहर के खाने ने दोनों को ही चिड़चिड़ा बना दिया था.

‘हम भी तो अपने दोस्तों के साथ मौजमस्ती करते हैं… यदि मां कुछ समय अपनी पसंद के साथी के साथ बिताती हैं तो हमें बुरा नहीं लगना चाहिए,’ सौम्या के सोचने की दिशा ने करवट बदली.

‘नवनी इस घर और मुझे पूरा समय देती है… अगर वह कुछ समय अपनेआप को भी देती है तो मुझे इस तरह से रिएक्ट नहीं करना चाहिए… पंछी पूरे दिन चाहे आकाश में उड़े लेकिन सांझ ढले तो आखिर अपने घोंसले में ही आता है न…’ दिव्य को सिंक में झूठे बरतनों का ढेर देख कर उबकाई सी आ गई.

उधर कुंतल को जब पता चला कि उसे ले कर नवनी के घर में तनाव चल रहा है तो वह भी परेशान हो गया.

“सौरी यार, मेरी वजह से तुम परेशानी में पड़ गईं… लेकिन प्लीज… हमारे रिश्ते को ले कर कभी गिल्ट फील मत करना… यह सचमुच दिल से जुड़ा हुआ फैसला था… फिर भी… तुम जो फैसला करोगी, मैं तुम्हारे साथ हूं,” कुंतल ने कहा.

“नहीं… मुझे कोई गिल्ट नहीं… जो कुछ हुआ वह हमारी आपसी सहमति से ही हुआ न… और यह भी तो सच है कि तुम से मिलने के बाद ही मैं ने लीक पर चल रही जिंदगी से हट कर खुद अपने लिए जीना सीखा… अब चलो भी… सेशन का टाइम हो गया,” नवनी ने कुंतल को धकियाते हुए कहा.

“तुम सचमुच कमाल हो यार… टूट कर प्यार करने लायक… मैं ने तुम्हें चुन कर कोई गलती नहीं की… लब्बू…” कुंतल हौल की तरफ चल दिया.

“मां, तुम्हारी ट्रैनिंग कैसी चल रही है? मैं और पापा दोनों आप को मिस कर रहे हैं…” मोबाइल पर सौम्या का मैसेज पढ़ कर नवनी के दिल से सारा बोझ उतर गया.

“हां सीखा मैं ने जीना… जीना… हमदम…” गुनगुनाती हुई नवनी भी कुंतल के पीछेपीछे हौल में घुस गई.

धीरेधीरे वक्त ने अपने कदम बढाए. 40 की नवनी 50 को पार कर गई. सौम्या शादी के बाद ससुराल चली गई. दिव्य, सौम्या, कुंतल और नवनी… सब अपनेअपने दायरों में रह कर अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे थे. बदली हुई परिस्थितियों को स्वीकार करने में दिव्य को जरूर थोड़ा वक्त लगा था लेकिन अकेलेपन की भयावह कल्पना ने उसे भी मौन समझौता करने की हिम्मत दे दी. सब ने अपने लिए समय चुरा कर जीना सीख लिया था.

Holi 2023: हां सीखा मैं ने जीना- भाग 2

नवनी ने जब पिकनिक की बात पति दिव्य और बेटी सौम्या को बताई तो दोनों ने मुंह बिचका दिए.

“पिकनिक और वह भी उन गंवारू औरतों के साथ? मौम प्लीज… अपने बोरिंग प्रोग्राम्स से मुझे तो कम से कम दूर ही रखा करो… वैसे भी मैं फ्रैंड्स के साथ मूवी देखने जा रही हूं… प्लीज… सौरी…” सौम्या ने अपना फैसला सुना दिया.

“तुम भी न यार, उड़ते तीर लेती फिरती हो… पता नहीं कहां से यह समाजसेवा का भूत सवार हुआ है… अरे भई, सप्ताह का एकमात्र दिन जब मुझे घोड़े बेच कर सोने को मिलता है… वह भी मैं तुम्हारे सिरफिरे कार्यक्रम की भेंट चढ़ा दूं… इतना बेवकूफ मैं बेशक दिखता हूं लेकिन हूं नहीं…” दिव्य ने भी उसे टका सा जवाब दे कर हमेशा की तरह जमीन दिखा दी. लेकिन आज नवनी निराश नहीं हुई. कुंतल का मुसकराता हुआ चेहरा उसे प्रोत्साहित कर रहा था. वह तैयारी में जुट गई.

महीने के लास्ट संडे को शहर के शोरशराबे से दूर एक फौर्महाउस में पिकनिक पर जाना निश्चित किया गया. संस्था से जुडी महिलाओं के लिए एक बड़ी बस किराए पर ली गई. नवनी और कुंतल ने कुंतल की गाड़ी से जाना निश्चित किया.

संडे को जब सब पिकनिक जाने के लिए औफिस के कंपाउंड में जमा हुए तो नवनी देखती ही रह गई. संस्था की यूनिफार्म से बिलकुल अलग, विभिन्न तरह के रंगों में सजी महिलाएं काफी खूबसूरत लग रही थीं. कुछ खुद के ओढ़े हुए और कुछ परिवारसमाज के बांधे हुए बंधनों से आजाद पहली बार यों बेफिक्री से सिर्फ खुद के लिए जीने के एहसास मात्र से सब के चेहरे खिले हुए थे. सब को टटोलती हुई उस की आंखें सीधे जा कर कुंतल पर टिक गईं. आसमानी रंग की टीशर्ट और काली जींस में वह काफी कूल दिख रहा था. नवनी कुंतल की तरफ बढ़ गई.

“आइए नवनीजी, आप ही का इंतजार हो रहा था. आप के परिवार वाले दिखाई नहीं दे रहे… कहां हैं? मिलवाइए न…” कुंतल ने अपनी चिरपरिचित मुसकान बिखेरी.

“जी वे लोग नहीं आए… लेकिन मैं हूं न… सब की कमी पूरी कर दूंगी… लेकिन दिखाई तो आप भी अकेले दे रहे हैं… मैडम कहां हैं?” नवनी ने प्रश्न के जवाब में प्रश्न उछाल दिया.

“परिवार से दूर हूं इसलिए तो यहां परिवार तलाश रहा हूं,” कुंतल ने भी नहले पर दहला मारा और दोनों खिलखिला दिए. गाड़ियां गंतव्य की ओर चल दीं. नवनी और कुंतल गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे थे. रास्तेभर दोनों ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जुड़े मुद्दों और सरकारी लाभ से वंचितों की दशादुर्दशा पर गंभीर बातचीत में लगे रहे. तभी अचानक एक ब्लाइंड मोड़ पर गाड़ी घूम गई. लापरवाही से बैठी नवनी लुढ़क कर कुंतल के सीने से जा लगी.

“जरा संभाल कर गाड़ी चलाओ यार, मैडम को लग जाती तो?” कुंतल अपने ड्राइवर पर नाराज हुआ.

“कोई बात नहीं… उस ने भी कहां जानबूझ कर ऐसा किया है… हो जाता है कभीकभी…” नवनी ने उसे शांत रहने का इशारा किया. ड्राइवर ने आगे चलती बस के रुकते ही गाड़ी रोक दी.

“ओसम, नेवर सीन बीफोर…” कुंतल ने गाड़ी से बाहर निकलते ही मौसम को देख कर अपनी प्रतिक्रिया दी. नवनी सिर्फ मुसकरा दी. बारिश तो नहीं हुई लेकिन आसमान में अच्छेखासे काले बादलों की आवाजाही थी. ठंडीठंडी हवा शरीर को सिहरा कर अपने होने का एहसास दिला रही थी. महिलाओं ने शुरुआती संकोच के बाद इतनी मस्ती करनी शुरू की कि सारा वातावरण उन्मुक्त खिलखिलाहटों से गूंज उठा. तरहतरह के आंचलिक खेलों और गीतसंगीत ने समां बांध दिया. उस के बाद लंच के लिए जब सब ने अपनीअपनी पोटलियां खोलीं तो छप्पन भोग का नजारा साकार हो उठा. सब ने ठेठ देसी व्यंजनों का जीभर कर लुत्फ उठाया. कुंतल तो कितनी ही देर तक नवनी को मोहक नजरों से ताड़ता हुआ अपनी उंगलियां चाटता रहा. वह आंखों ही आंखों में उसे इस सफल आयोजन के लिए बधाई दे रहा था.

वापसी में थकी हुई नवनी कुंतल के कंधे पर लुढ़क गई. उस के बालों की लापरवाह लटें कुंतल के चेहरे से अठखेलियां करने लगी. तभी एक ढीठ लट कुंतल के नाक में सरसराई. कुंतल जोर से छींक पङा. नवनी ने हड़बड़ा कर आंखें खोलीं और “सौरी” कहते हुए अपनेआप को दुरुस्त किया. ऐसी परिस्थिति में भी कुंतल को मसखरी ही सूझ रही थी.

नवनी ने पिकनिक पर कुंतल की विभिन्न मुद्राओं को चुपकेचुपके अपने कैमरे में कैद कर लिया था. उस ने कुछ पिक्स छांट कर उसे व्हाट्सऐप पर भेजे.

“इन में से किसी को डीपी पर लगाइए न,” एक मनुहार भरा टैक्स्ट भी लिखा.

“वह भी आप ही सिलैक्ट कर दीजिए,” कुंतल चुहल का कोई मौका नहीं छोड़ता था.

“तो फिर इसे लगाइए,” नवनी ने भी मजाक को आगे बढ़ाते हुए खुद की एक पिक भेज कर कहा.

“कभी मौका मिला तो आप की यह इच्छा भी अवश्य पूरी करेंगे,” कुंतल ने आंख दबाती हुई इमोजी के साथ टैक्स्ट भेजा तो नवनी ने चैट बंद करने में ही भलाई समझी.

दिन बीत रहे थे. नवनी अपनी संस्था में बने उत्पाद सब से पहले क्वालिटी चैक करने के लिए कुंतल को टैस्ट करवाती थी. उस के पास करने के बाद ही वह मार्केट में बिक्री के लिए जाते थे. नतीजन, उत्पादों की गुणवत्ता में निरंतर सुधार होने लगा और इस के साथ ही संस्था को मिलने वाले और्डर्स में भी बढ़ोत्तरी हो रही थी. सरकारी अनुदान और अन्य सोर्स से मिलने वाली सहायता राशि में भी कुंतल उस की भरपूर मदद करता था.

एक तरफ जहां कुंतल के सहयोग और मार्गदर्शन से नवनी की संस्था ने अपना एक खास मुकाम बना लिया था, वहीं दूसरी तरफ औपचारिक ‘हायहैलो’ से शुरू हुई उन की चैटिंग भी धीरेधीरे अंतरंग होने लगी. हालांकि सार्वजनिक रूप से मिलने पर दोनों का आपसी व्यवहार बहुत ही संयमित और व्यावसायिक होता था लेकिन मोबाइल पर उन की छेड़छाड़ लगातार जारी रहती थी. हर बार एक कदम आगे बढ़ जाती नवनी सोचती थी कि बस, अब और नहीं… अब उसे अपने कदम रोक लेने चाहिए लेकिन दिल्लगी तो धीरेधीरे दिल की लगी में बदलती जा रही थी. कमोवेश यही हाल कुंतल का भी था. किसी रोज यदि नवनी का मैसेज न आए तो उसे बेचैनी होने लगती थी. बारबार मोबाइल चैक करता कुंतल आखिर झुंझला कर उसे मैसेज करता तो नवनी अपनेआप पर इतरा उठती. और फिर यों ही एक दिन फोन पर ही प्रेम का इजहार और इकरार भी हो गया.

बेचैनी, बेकरारी और तड़प दोनों से ही सही नहीं जा रही थी. 2 बेताब दिल एकांत में मिलने के बहाने तलाशने लगे. “अगले महीने के लास्ट संडे को दिल्ली में एक सैमिनार है. वैसे तो उस में प्रोजैक्ट औफिसर और ब्लौक अधिकारी लैवल के लोग ही शामिल होंगे लेकिन कुछ एनजीओ संचालकों को भी आमंत्रित किया जाएगा. क्या आप आना चाहेंगी?” एक दिन कुंतल ने नवनी को मैसेज किया.

“आप कहें और हम न आएं… ऐसे तो हालात नहीं…” नवनी ने अपनी आदत के अनुसार गाने की पंक्तियों से उसे रिप्लाई दिया.

“तो ठीक है… 2 दिन का प्रोग्राम है… पूरी तैयारी के साथ आइएगा… और हां, आज के बाद मेरे नाम के साथ यह जी जी… वाला पुछल्ला मत लगाना प्लीज,” कुंतल ने टैक्स्ट के साथ आंखें दबाती इमोजी भेजी.

“वह तो ठीक है लेकिन आयोजक तो मुझे जानते तक नहीं, फिर मुझे वहां क्यों बुलाया जाएगा?” नवनी ने मन में उभरे सवाल को साझा किया.

तुम्हें आम खाने हैं या पेड़ गिनने? इनविटेशन तुम तक पहुंच जाएगा. तुम तो बस मिलने की तैयारी करो,” कुंतल ने उस के सारे सवालों को एक ही जवाब में समेट दिया.

“तो ठीक है साब, वैसे भी हमें तो सिर्फ आप से ही… सौरीसौरी, आम से ही मतलब है.”

“तो क्या यह आम इस बंदे को भी चूसने मिलेंगे?” कुंतल शरारत के मूड में था.

“धत्त, बेशर्म कहीं के…” नवनी लाज से गड़ गई और चैट बंद कर दी लेकिन दिल तो मिलन की कल्पना से ही गुदगुदा उठा था.

Holi 2023: हां सीखा मैं ने जीना- भाग 1

‘हां, सीखा मैं ने जीना… जीना कैसे जीना… हां, सीखा मैं ने जीना मेरे हमदम…’ नवनी एक प्रोजैक्ट रिपोर्ट में आंकड़े भर रही थी. पास ही रखे मोबाइल में बजते गाने पर उस के पांव भी ताल दे रहे थे. तभी अचानक गाना रुका और व्हाट्सऐप पर कुंतल का मैसेज का आया. लिखा था, ‘लब्बू.’ नवनी के होंठों पर मुसकान तैर गई. ‘लव यू’ को कुंतल ‘लब्बू’ ही लिखता है.

इस शब्द के पीछे भी एक बहुत रोचक घटना जुङी हुई है. हुआ यों कि एक रोज नवनी अपने एनजीओ के संयोजन में चल रहे कुटीर उद्योग में बने चने के स्पैशल पापड़ कुंतल को टैस्ट करवा रही थी. कुंतल चटखारे ले कर पापड़ खा रहा था और हाथ के इशारे से बता रहा था कि लाजवाब लग रहा है. तभी नवनी ने पापड़ का आखिरी टुकड़ा कुंतल के हाथ से छीन कर अपने मुंह में डाल लिया. कुंतल ने मजाकमजाक में उस से कहा था, “इस गुस्ताखी पर आप को सजा मुकर्रर की जाती है… 10 बार फटाफट बोलो… कच्चा पापड़… पक्का पापड़…” उस ने भी कुंतल के चैलेंज को स्वीकार कर के फटाफट “कच्चा पापड़ पक्का पापड़…” बोलना शुरू कर दिया था. 7वीं बार दोहराते समय जब उस के मुंह से “कच्छा पकड़ कच्छा पकड़…” निकलने लगा था तब कुंतल कितना जोर से खिलखिला कर हंसा था.

नवनी ने झूठमूठ मुंह फुलाने का नाटक किया था. कुंतल ने उसे प्यार से मनाते हुआ कहा था, “सौरी बेबी, आई लव यू.”

“ठीक है… तो फिर अब तुम फटाफट 10 बार इसे दोहराओ… “लव यू लव यू…” नवनी ने नाराजगी से मुंह घुमाते हुए कहा.

“लव यू लव यू…” के शब्द 10वीं बार दोहरातेदोहराते “लब्बू-लब्बू..” हो गए थे. अब खिलखिलाने की बारी नवनी की थी.

“शैतान कहीं की,” कुंतल ने मुसकराते हुए उस का नाक खींच दिया था. बस, उस दिन के बाद जब भी कुंतल को उस पर प्यार आता है, वह उसे ‘लब्बू’ लिख कर मैसेज कर देता है.

कुंतल से मिलने के बाद नवनी की जिंदगी सचमुच प्रेम के नए क्षितिज छूने लगी थी. 40 साल की नवनी, जो एक युवा होती बेटी की मां भी है, की जिंदगी में प्रेम नहीं रहा होगा यह कहना जरा मुश्किल है लेकिन प्रेम जैसा जो कुछ भी था वह सही मायने में प्रेम ही था यह तय करना भी आसान नहीं है क्योंकि गणित के सूत्रों की तरह प्रेम की कोई निश्चित परिभाषा तो होती नहीं… यह तो 2 दिलों के बीच की कैमिस्ट्री होती है जो भौतिक परिभाषाओं और बायोलोजिकल गुणसूत्रों को दरकिनार करते हुए धीरेधीरे पूरे वजूद को अपने आगोश में ले लेती है.

प्रेम जब हलकी फुहारों सा बरसता हुआ धीरेधीरे मुसलाधार बारिश में परिवर्तित हो जाता है तब 7 अलगअलग रंग मिल कर धनक का रूप धर लेते हैं और फिर हर ओर उत्सव सा छा जाता है. दिन इमली से चटपटे और रातें अमिया सी रसभरी हो जाती हैं. कुछ इसी तरह की खट्टीमीठी लहरों में आजकल नवनी डूबउतर रही थी.

नवनी से कुंतल की मुलाकात अनायास ही नहीं हुई थी. जी हां, यह लव ऐट फर्स्ट साइड यानी कि पहली नजर का प्यार नहीं था. यह सुरूर तो नशे जैसा था जो धीरेधीरे गहराता गया और मजे की बात यह कि खुद उन दोनों को ही इस बात से इनकार था कि वे इस नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं.

नवनी एक एनजीओ चलाती है और प्रोजैक्ट औफिसर कुंतल पिछले दिनों ही उन के एनजीओ द्वारा संचालित होने वाली योजनाओं के निरीक्षण के लिए आया था. दोनों की पहली औपचारिक मुलाकात वहां के ब्लौक अधिकारी ने करवाई थी. नवनी को कुंतल पहली मुलाकात में काफी मिलनसार लगा था. हालांकि वह देखने में काफी धीरगंभीर लग रहा था लेकिन उस की तिरछी चितवन के पीछे छिपा चंचल स्वभाव उस की चुगली कर रहा था.

“कोई भी संस्था एक परिवार की तरह होती है. आप को काम के साथसाथ महीने में कम से कम 1 बार कोई फन ऐक्टिविटी संस्था में करवानी चाहिए जिस से यहां काम करने वाले लोगों में आपसी जुड़ाव पैदा हो. एक फैमिली बौंडिंग की तरह…” कुंतल ने वहां का माहौल देखने के बाद नवनी से कहा था.

“वाह, इंप्रैसिव… आदमी दिलचस्प लगता है…” नवनी उस से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी.

“बहुत अच्छा विचार है सर… इस माह मैं एक पिकनिक का आयोजन करती हूं,” नवनी ने कुंतल के प्रस्ताव पर सहमति जताई.

“वैरी नाइस,” कुंतल ने अंगूठा दिखाते हुए उस के प्रस्ताव की सराहना की. नवनी मुसकरा दी.

कुंतल एक युवा और ऐनर्जी से भरपूर औफिसर था. नवनी ने पहली ही मुलाकात में महसूस कर लिया था कि कुंतल आधुनिक तकनीक में विश्वास रखने वाला टैक्नो फ्रैंड व्यक्ति है जो हर बाधा को पार कर आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति रखता है.

“सर, महीने के लास्ट संडे पिकनिक का प्रोग्राम रखा है. आप को तो आना ही है, फैमिली भी साथ लाएंगे तो हमें बहुत अच्छा लगेगा,” नवनी ने कुंतल को मैसेज किया.

“मैं खुद के लिए कोशिश कर सकता हूं लेकिन फैमिली की कोई गारंटी नहीं…” 2 स्माइली इमोजी के साथ कुंतल ने रिप्लाई दिया. नवनी ने भी 2 अंगूठे दिखाते हुए चैट को विराम दे दिया.

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