डिप पाउडर: मैनिक्योर से दें नाखूनों को इंस्टेंट ग्लो

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

जेल और एक्रेलिक नेल्स का जमाना गया . नाखूनों की दुनिया में “डिप पाउडर मैनिक्योर ” एक नया और मजेदार ट्रेंड बनकर उभरा है.  यह मैनिक्योर हर उस लड़की के लिए उपयोगी है, जो अपने नाखूनों को सजाने के तमाम तरीके तलाशती है. यह कुछ अलग तरह से काम करता है. जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह पाउडर के रूप में आता है. इन रंगीन कलर्स को ब्रश की मदद से नाखूनों पर लगाया जाता है. वैसे तो अब तक नाखूनों को मैनिक्योर करने के लिए जेल और साधारण नेल लैकर का इस्तेमाल होता था, लेकिन डिप पाउडर मैनिक्योर रेग्यूलर और एक्रिलिक मेनिक्योर के बीच का मैनिक्योर माना जाता है. इसमें सबसे पहले नाखूनों को ऑयल फ्री किया जाता है. इसके बाद जब ये पूरी तरह से साफ हो जाएं, तो बेस कोट अप्लाई करते हैं. . बेस कोट के ऊपर एक कलर्ड पाउडर की मदद से नाखूनों को कोट किया जाता है. पाउडर को एक नहीं बल्कि कई परतों में नाखूनों पर चढ़ाया जाता है, ताकि ये अच्छे से सेट हो सके. ये डिपिंग प्रोसेस बहुत अच्छा है और लगभग तीन हफ्ते तक इसका असर बना रहता है. डिप पाउडर मैनिक्योर  की सबसे अच्छी बात ये है कि इसका इस्तेमाल करने से नाखूनों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि यह आपके नाखूनों को मजबूत बनाता है. यही वजह है, कि डिप पाउडर मैनिक्योर ने जेल मैनिक्योर की पॉपुलेरिटी को थोड़ा कम कर दिया है. तो आइए जानते क्या हैं डिप पाउडर मैनिक्योर और क्या है इसे करने का सही तरीका.

डिप पाउडर मैनिक्योर करने का सही तरीका

– सबसे पहले नाखूनों को नेल पॉलिश रिमूवर से साफ करें. इसके बाद सुनिश्चित करें, कि आपके नाखून सूखे हों.

– अब अपने नखूनों को सैनेटाइज करने के लिए एंटीसेप्टिक स्प्रे का इस्तेमाल करें. यह किसी भी बैक्टीरिया को नेल पॉलिश में प्रवेश करने से बचाता है.

– नाखूनों पर बेस कोट लगाएं और इसे एक मिनट के लिए सूखने के लिए छोड़ दें.

– अब नाखूनों पर रेसिन ग्लू लगाएं. क्यूटिकल्स के ठीक ऊपर से शुरू करते हुए नेल एज की तरफ बढ़ें.

– इसके सेट होने पर अपनी उंगली को डिप पाउडर में डुबोएं और कुछ सैकंड के लिए चारों तरफ घुमाएं. एक्स्ट्रा पाउडर को हटाने के लिए ब्रश का उपयोग करने से पहले इसे एक मिनट तक सूखने दें.

– अब नाखूनों पर ग्लू का एक अन्य कोट फिर से अप्लाई करें और इसे कलर्ड पाउडर में डुबो दें.

– यदि आप एक गहरा रंग चाहती हैं, तो इस स्टेज को जितना चाहें, उतनी बार दोहरा सकती हैं.

– अब नाखूनों पर एक्टिवेटर अप्लाई करें. इसके बाद फ्रेश टॉप कोट लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें.

– मैनिक्योर को सूखने दें और अपने हाथों को गर्म पानी या क्लींजर से धो लें. इस अवस्था में सादे पानी के अलावा किसी और चीज का उपयोग न करें.

कितना सुरक्षित है डिप पाउडर मैनिक्योर –

वैसे तो डिप पाउडर मैनिक्योर का मैथेड पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन इसे अगर सही तरह न किया जाए, तो यह इंफेक्शन  पैदा कर सकता है. इसे करने के लिए ब्रश का इस्तेमाल करना बेहतर तरीका है. जहां तक संभव हो, सर्टिफाइड पाउडर का ही उपयोग करना चाहिए, इससे नाखूनों के डैमेज होने की संभावना कम हो जाती  है. एक्सपर्ट के अनुसार, डिप पाउडर मैनिक्योर के साथ आपको अपने नाखूनों को हाइड्रेट रखना होगा. इसके अलावा क्यूटिकल ऑयल और हैंड क्रीम का नियमित रूप से उपयोग करते रहें, तो नाखून स्वस्थ बने रहेंगे.

कमजोर नाखूनों के लिए डिप पाउडर मैनिक्योर शानदार विकल्प है. इसे करना भी बेहद आसान है. बेहतर है कि आप अपने ब्यूटी एक्सपर्ट से सलाह लें, वह आपके नाखूनों की स्थिति के हिसाब से इसका उपयोग करने के बारे में बताएंगे.

बेबी स्किन केयर स्मार्ट टिप्स

साक्षी उस दिन स्कूल से रोती हुई घर लौटी. मां ने वजह पूछी तो 8 साल की साक्षी रोते हुए बोली, ‘‘मां मैं क्या भालू की बेटी हूं? तुम मु?ो चिडि़याघर से लाई थीं?’’

‘‘नहीं मेरी प्यारी गुडि़या… तुम मेरी बेटी हो… किस ने कहा कि तुम भालू की बेटी हो?’’ मां ने बच्ची के आंसू पोछते हुए पूछा.

‘‘सब बोलते हैं. आज तो हिंदी की टीचर ने भी बोला कि मैं भालू जैसी दिखती हूं,’’ साक्षी सुबकते हुए बोली.

‘‘क्यों? ऐसा क्यों बोली वे?’’

‘‘मेरे हाथपैर पर इतने बाल जो हैं. सब को मैं भालू लगती हूं,’’ साक्षी मां के सामने अपने दोनों हाथ फैलाते हुए बोली.

मां साक्षी की बात सुन कर परेशान हो गई. दरअसल, साक्षी के पूरे शरीर और चेहरे पर घने रोएं हैं. इस के कारण उस का रंग भी दबा हुआ है. अब इतनी कम उम्र में उसे पार्लर ले जा कर वैक्सिंग भी नहीं करवा सकते हैं. साक्षी पढ़ने में अच्छी है. डांस और ऐक्टिंग भी बढि़या करती है, मगर स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उसे मौका नहीं मिलता है. अगर टीचर्स डांस बगैरा में ले भी लें तो अच्छा डांस करने के बाद भी उस को पीछे की लाइन में रखा जाता है. वजह है उस का रोयों से भरा चेहरा और हाथपैर. जिन्हें मेकअप में भी छिपाया नहीं जा सकता.

1- शरीर मजबूत और साफ होता है

दरअसल, साक्षी के पैदा होने के बाद उस के शरीर की जो मालिश होनी चाहिए थी वह कभी हुई नहीं. अकसर नवजातों के शरीर पर जन्म से ही कुछ रोएं होते हैं जो लगातार मालिश से साल 6 महीने में साफ हो जाते हैं. अकसर देखा होगा कि गांवदेहात की महिलाएं अपने नवजातों को अपने पैरों पर लिटा कर सरसों के तेल, हलदी और बेसन के उबटन से उन की मालिश करती हैं.

शहरी मांएं कई तरह के बेबी औयल से अपने उन की मालिश करती हैं जिस से बच्चों का शरीर मजबूत और साफ होता है. मालिश से उन के शरीर में रक्तसंचार भी बढि़या होता है और ऊर्जा प्राप्त होती है. मगर साक्षी के जन्म के बाद उस की मां को पैरालिसिस का अटैक पड़ा और वे करीब 2 साल बिस्तर पर रहीं. उन का आधा शरीर लकवाग्रस्त हो गया. लंबे इलाज और थेरैपी के बाद अब वे चलनेफिरने के काबिल हुई हैं.

जन्म के बाद से करीब 4 साल तक साक्षी अपनी नानी के पास रही. नानी काफी बुजुर्ग थीं. लिहाजा साक्षी की उस तरह अच्छी देखभाल नहीं हो पाई जो आमतौर पर नवजातों की होती है. उस के शरीर की कभी ठीक से मालिश भी नहीं हुई. यही वजह है कि उस के शरीर पर जन्म के समय जो बाल थे वे उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा घने और कड़े हो गए और अब उसे भद्दा बनाते हैं.

2- बच्चों का सही विकास

शिशुओं के शरीर की मालिश कई वजहों से बहुत जरूरी होती है. मालिश से न केवल अनचाहे बालों से शरीर मुक्त होता है बल्कि इस से हड्डियों को मजबूती मिलती है और पूरे शरीर में बढि़या रक्तसंचार होने से बच्चे का ठीक तरीके से विकास होता है.

शिशुओं की त्वचा फूल जैसी कोमल होती है और इसीलिए उन की त्वचा को खास देखभाल की जरूरत होती है. यहां पर यह सम?ाना भी जरूरी है कि शिशुओं की त्वचा की देखभाल का मतलब सिर्फ उन के चेहरे की त्वचा की देखभाल करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे शरीर की त्वचा की देखभाल करने से जुड़ा है.

बच्चे में मालिश की आवश्यकता को देखते हुए बाजार में तरहतरह के बेबी केयर प्रोडक्ट्स मौजूद हैं. मालिश के लिए इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आज शहरी मांएं ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की मांएं भी खूब करने लगी हैं.

3- प्रोडक्ट्स खरीदने से पहले

मगर अपने बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए प्रोडक्ट खरीदने से पहले जानकारी प्राप्त करना और सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है.

इन प्रोडक्ट्स में अनेक प्रकार के रसायन, खुशबू वाली चीजें, कपड़ों को रंगने में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ, डिटर्जैंट या कोई अन्य शिशु उत्पाद, नवजात की सेहत के साथसाथ उस की त्वचा

में दाग, चकत्ते, दरदरापन, जलन और खुशकी पैदा कर सकते हैं, इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि बेबी स्किन केयर प्रोडक्ट्स का चुनाव करते समय किन बातों का ध्यान रखा जाए.

आमतौर पर शिशु के शरीर की देखभाल के लिए जिन चीजों का सब से ज्यादा जरूरत होती है वे हैं- बेबी क्रीम, शैंपू, बेबी सोप, हेयर औयल, मसाज औयल, पाउडर और शिशु को पहनाए जाने वाले कपड़े.

शिशुओं की स्किन बहुत नाजुक होती है. अगर उन की स्किन केयर में जरा भी लापरवाही हुई तो स्किन पर रैशज और दानें निकल आते हैं. इन की जलन से शिशु असहज महसूस करते हैं और रातदिन रोते हैं. ऐसे में अगर आप पहली बार पेरैंट्स बने हैं तो आप को अपने बच्चे की स्किन का खास खयाल रखना सीखना जरूरी है.

4- मां के लिए जानना जरूरी

जन्म के बाद शुरुआती समय में बच्चे की स्किन और बालों में लगातार बदलाव आता है. न्यू बौर्न बेबीज के शरीर से कई दिनों तक सफेद रंग की पपड़ी निकलती है जोकि एक नौर्मल प्रक्रिया है. इसे वेरनिक्स कहा जाता है. हलके हाथों से बच्चे के शरीर की तेल मालिश से यह पपड़ी पूरी तरह हट जाती है, साथ ही अनावश्यक बाल भी निकल जाते हैं.

पर कुछ लोग इसे जल्दी हटाने के लिए बच्चे को अत्यधिक रगड़ कर नहलाने या स्क्रब करने की कोशिश करते हैं जो सही तरीका नहीं है. शिशुओं की स्किन केयर के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह जानना एक नई मां के लिए बहुत जरूरी है.

5- त्वचा को पोषण दें

शिशु की त्वचा को पोषण की जरूरत होती है. इस के लिए दिन में 2 समय उस की मालिश कर सकती हैं. मालिश के लिए कोई भी असली तेल जैसे नारियल का तेल, बादाम तेल, औलिव औयल आदि ले सकती हैं. ध्यान रहे कि बेबी औयल के नाम से बिकने वाले उन तेलों से दूर रहें जिन में तेज खुशबू, तेज रंग और कैमिकल्स होते हैं.

6- माइल्ड साबुन करें इस्तेमाल

शिशु की त्वचा पर कैमिकल वाले प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से सूखेपन या रैशेज की समस्या हो जाती है इसलिए बाल और स्किन के लिए हमेशा माइल्ड शैंपू और साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए.

7- ज्यादा पाउडर न लगाएं

शिशु की त्वचा पर पाउडर का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. नहलाने के बाद त्वचा को अच्छी तरह से सूती मुलायम कपड़े से सुखाएं और उस के बाद ही पाउडर लगाएं. ध्यान रहे पाउडर अच्छी कंपनी का और ऐसा लें जिस में ज्यादा खुशबू न हो. जरूरत न होने पर पाउडर का इस्तेमाल न करें.

8- धुले कपड़े पहनाएं

बच्चे को कपड़े हमेशा धुले हुए ही पहनाएं. गंदे कपड़ों से त्वचा पर रैशेज, रूखापन, खुजली या अन्य कोई समस्या हो सकती है.

9- नाखूनों को रखें साफ

शिशुओं के नाखून तेजी से बढ़ते हैं और अगर इन्हें न काटा जाए तो उन के चेहरे पर चोट लग सकती है.

10- कौटन नैपी पहनाएं

डायपर के इस्तेमाल से बच्चे को रैशेज की समस्या होती है और गीला होने के कारण बच्चे को खुजली, रैशेज और रैडनैस की समस्या हो सकती है. ऐसे में बच्चे को कम डायपर पहनाएं और बेहतर होगा कि कौटन का नैपी ही पहनाएं.

11- अंधविश्वासी टोटकों से बचें

बच्चों की त्वचा बहुत कोमल होती है. उन पर व्यर्थ में काजल, सिंदूर, हलदी, चंदन आदि न लगाएं. इन उत्पादों में न जाने किसकिस तरह के कैमिकल्स मिले हो सकते हैं.

12- सनबर्न से बचाएं

कभी अपने बच्चे को तेज धूप में डाइरैक्ट न रखें. शिशुओं के लिए सुबह की धूप सब से अच्छी होती है. अगर शिशु की स्किन पर रैश आ या लाल चकत्ते हो रहे हैं तो उसे तुरंत डाक्टर को दिखाएं. यह ऐलर्जी भी हो सकती है.

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