स्वाद से भरपूर नमकीन गुझिया की रेसिपी

शाम के समय में आपके बच्चो को मन चटपटा खाने का चलता है, ऐसे में बच्चों के लिए क्या बनाए यही चिंता रहती है तो ये रेसिपी आपके लिए है. आइए बताते हैं आपको रेसिपी.

सामग्री

  1. 1.200 ग्राम मैदा
  2. 50 ग्राम रवा
  3. 65 ग्राम घी
  4. 250 ग्राम नवरत्न मिक्स्चर
  5. तलने के लिए तेल
  6. नमक स्वादानुसार.

विधि

मैदा, रवा, घी व नमक को मिला कर अच्छी तरह मसलें. आवश्यकतानुसार पानी डाल कर कड़ा गूंध लें. आधा घंटे के लिए ढक कर रख दें. तैयार मैदे की छोटीछोटी लोइयां बनाएं. प्रत्येक लोई को पतला बेल लें. गुझिया के सांचे पर रख कर किनारों पर पानी लगाएं. नवरत्न मिक्स्चर भरते हुए गुझिया का आकार दें. कड़ाही में तेल गरम कर के मंदी आंच पर गुझिया तल लें.

  1. तिरंगे कटलेट्स

सामग्री

  1. 11/2 कप आलू उबले व मैश किए
  2. 1 कप मटर मैश किए
  3. 1 टुकड़ा पनीर मैश किया
  4. 2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर
  5. 1 छोटा चम्मच हरीमिर्च पेस्ट
  6. 1 छोटा चम्मच अदरक पेस्ट
  7. 1 छोटा चम्मच हलदी पाउडर
  8. 1 छोटा चम्मच गरममसाला
  9. 1 छोटा चम्मच जीरा
  10. चुटकीभर हींग
  11. तलने के लिए तेल
  12. नमक स्वादानुसार.

विधि

पनीर में 1/2 छोटा चम्मच हलदी और नमक मिलाएं और 4 बौल्स बना कर रख लें. पैन में 1 चम्मच तेल गरम कर इस में जीरा, हींग, हरीमिर्च पेस्ट और अदरक पेस्ट डाल कर भूनें. मटर और बाकी मसाले मिला कर भूनें. इस मिश्रण के 4 पेड़े बना कर रख दें. मैश किए आलू में कौर्नफ्लोर और थोड़ा नमक मिला कर 4 पेड़े बना लें. अब मटर के पेड़ों को 1-1 कर हथेली में रख कर फैलाएं और पनीर की 1 बाल बीच में रख कर चारों ओर से बंद कर के कटलेट बना लें. इसी प्रकार आलू के पेड़ों को फैला कर मटर के कटलेट रखें और बंद कर दें. ऐसे ही बाकी कटलेट्स बना लें. फिर कड़ाही में तेल गरम करें और इन्हें सुनहरा होने तक तल लें. 4-4 टुकड़े कर के हरी चटनी के साथ सर्व करें.

जरूरत देश को सुधारने की है

जब भी कोई भारतीय मूल का जब पश्चिमी देशों में किसी ऊंची पोस्ट पर पहुंचता है, हमारा मीडिया जोरशोर से नगाड़ बजाता है मानो भारत ने कोई कमाल कर दिया सपूत पैदा कर के. असल में विदेशों में भारतीय मूल के लोगों को भारत से कोई खास प्रेम नहीं होता. वे भारतीय खाना खाते हों, कभीकभार भारतीय पोशाक पहन लेते हों, कोई भारतीय त्यौहार मना लेते हों वर्ना इन का प्रेम तो अपने नए देश के प्रति ही रहता है और गंदे, गर्म, बदबूदार, गरीब देश से उन का प्यार सिर्फ तीर्थों से रहता है. यह जरूर मानने वाली बात है कि भारतीय नेता तो नहीं पर धर्म बेचने वाले लगातार इन के संपर्क में रहते हैं और पौराणिक विधि से दान दक्षिणा झटक ले आते हैं.

ब्रिटेन के वित्तमंत्री रिथी सुचक की चर्चा होती रहती है पर उस का प्रेम कहां है यह उस का 1 लाख पौंड विचस्टर कालेज को दान देने से साफ है जहां वह पढ़ा था. रिथी के मातापिता ने उसे अमीरों के स्कूलों में भेजा था जहां अब फीस लगभग 50 लाख रुपए सालाना है.

यह क्या जताता है. यही कि इन भारतीय मूल के लोगों को अपनी जन्मभूमि से कोई प्रेम नहीं है. वे इंग्लैंड में पैदा हुए, वहीं पले और वहीं की सोच है. स्किन कलर से कोई फर्क नहीं पड़ता. धर्म का असर भी सिर्फ रिचुअल पूरे करने में होता है क्योंकि गोरे उन्हें खुशीखुशी ईसाई भी नहीं बनाते. हिंदू कट्टरों की तरह ईसाई कट्टरों की भी कमी नहीं है क्योंकि हिंदू मंदिरों की तरह ईसाई चर्चों के पास भी अथाह पैसा है और धर्म के नाम पर पैसा वसूलना एक आसान काम है. भगवा कपड़े पहन कर मनमाने काम कर के आलीशान मकानों में रहना भारत में भी संभम है, ब्रिटेन में भी, अमेरिका में भी. रिथी का इन अंधविश्वासों का कितना साया है पता नहीं भारत प्रेम न के बराबर है, यह साफ है. उसी मंत्रिमंडल में गृहमंत्री प्रीति पटेल भी इसी गिनती में आती है और अमेरिका की कमला हैरिस व निक्की हैली भी.

अपने भारतीय होने की श्रेष्ठता का ढिंढ़ोरा ज्यादा न पीटें जरूरत तो देश को सुधारने की है ताकि चीन जापान की तरह लोग अपनेआप आदर दें पर यहां तो हम सब कुछ मंदिर के नाम पर नष्ट करने में  लगे हैं.

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जब सैंया भए कोतवाल

यदि राजघराने का युवा खौलता खून एक राजा के मुख्यमंत्री के हैलीकौप्टर में जीप से टक्कर मार दे तो उस देश में क्या होता है? उस युवक को पकड़ा नहीं जाएगा, उस की भी हत्या ही कर दी जाएगी.

1985 में राजस्थान के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हैलीकौप्टर को भरतपुर के राजा किशन सिंह के बेटे मान सिंह ने अपने 2 साथियों के साथ किसी विवाद में टक्कर मार दी तो मुख्यमंत्री ने राजाओं की तरह उसे सजा के तौर पर मारने का हुक्म दे दिया.

एक पुलिस एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों ने मान सिंह व उस के 2 साथियों को ऐसे ही मार डाला जैसे कानपुर के विकास दुबे को मारा गया था. दिखावे के लिए पुलिस पर मुकदमा चला पर पहली अदालत का फैसला 35 साल बाद आया है. तब के डिप्टी पुलिस सुपरिंटैंडैंट कान सिंह भाटी को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई है. 10 और को भी सजा मिली है.

तो क्या ये अब जेल जाएंगे? हरगिज नहीं, अभी तो उच्च न्यायालय बाकी है. वह 5-7 साल लेगा. फिर सुप्रीम कोर्ट है. वह8-10 साल लेगा. कान सिंह भाटी अब 82 साल के हैं. जब तक मामला अंतिम चरण में पहुंचेगा लगभग सभी गुनहगार बिना सजा काटे मर चुके होंगे. न्याय कहां है, यह आप ढूंढ़ते रहें.

अगर देश में गुंडों का राज चलता है तो इसलिए कि वे गुंडे असल में पुलिस की वरदी के बिना जैसा व्यवहार करते हैं. वे जानते हैं कि पुलिस उन का कुछ नहीं बिगाड़ेगी जैसेकि कानून पुलिस का कुछ नहीं बिगाड़ पाता.

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साधारण नागरिकों को जेलों ठूंस देने वाली अदालतें जमानतें देने में भी ढेरों आनाकानियां करती हैं. आमतौर पर हमारे यहां मजिस्ट्रेट की पहली अदालत पुलिस विभाग का काम करती है. पुलिस ने कहा कि जमानत न दो तो जमानत नहीं मिलेगी. यदाकदा उच्च न्यायालयव सर्वोच्च न्यायालय यह उपदेशदेते रहते हैं कि बेल नौट जेल भारत के कानून का मूल तत्त्व है पर सैकड़ों औरतें जो बहू प्रताड़ता से कर वेश्यावृत्ति के नाम पर जेलों में बंद हैं और 3-4 सालों तक उन के मुकदमे तक शुरू नहीं होते, गवाह हैं कि यहां तो राजा का हुक्म चलता है, प्रजा या कानून का नहीं.

शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री के हैलीकौप्टर में टक्कर मार देना कोई हंसीठट्ठा नहीं है पर फिल्मी तर्ज पर उस अपराधी को गोलियोंसे भून देना भी सही नहीं है. जनता आमतौर पर भय के कारण इस तरह के पुलिस एनकाउंटरों में चुप रहती है तो काफी लोग पुलिस को सही मानते हैं. वे हर बात पर कहते हैं कि अपराधी को तो देखते ही गोली मार देनी चाहिए बिना यह सोचेसमझे कि कौन अपराधी है. यह भी तो अदालत ही तय करेगी न. जब आप पुलिस पर ही सबकुछ छोड़ दोगे तो विकास दुबे जैसे कांड होंगे ही.ये रोज होते हैं, हर जगह होते हैं और देश को अराजकता की देते हैं. इसी का शिकार औरतेंलड़कियां होती हैं, क्योंकि जिन गुंडों के सैंया कोतवाल होते हैं उन का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

गाजियाबाद में एक पत्रकार विकास जोशी की एनकाउंटर की तरह ही गोली मार कर बेटी के सामने हत्या कर दी गई, क्योंकि ने अपनी भतीजी को छेड़े जाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की थी. गुंडों और पुलिस की मिलीभगत ऐसी ही थी जैसी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर और डिप्टी सुपरिंटैंडैंट भाटी की 1985 में. हम से जो टकराएगा हम उसे चूरचूर कर देंगे. भारतपुलिस, शासक और गुंडे यह साफ संदेश दे रहे हैं. अगर आप भजनकीर्तन में यह संदेश सुनाई नहीं दे रहा है तो गलती आप की ही है.

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यह कुटिल चाल है

छोटे रेस्तराओं और छोटे हलवाइयों का बिजनैस चौपट कर के एकछत्र राज कायम करने की तरकीब में फूड डिलिवरी प्लैटफौर्म स्वीगी और जोमैटो कोई सेवा नहीं कर रहे. यह एक कुटिल चाल है. पहले लोगों को समय पर खाना पहुंचा कर कैशबैक का औफर दे कर घर बैठे गरमगरम खाना भिजवा कर वह भी सस्ते में इन छोटे रेस्तराओं और हलवाइयों का दिवाला निकलवाया जाएगा और फिर टैलीकौम सेवाओं की तरह दाम बढ़ा दिए जाएंगे.

स्वीगी को 2018-19 में ₹2,364 करोड़ का घाटा हुआ और जोमैटो को ₹2,026 करोड़ का. यह भुगतान वे विदेशी कंपनियां कर रही हैं जो घरों पर कब्जा करने के लिए, लोगों के खाने में बदलाव लाने के लिए नए सिरे से टेस्ट बड तैयार करने के लिए सस्ते में सुलभ खाना दे रही हैं.

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स्वीगी आज देश के 500 शहरों में खाना सप्लाई करती है. 1 साल में 50 करोड़ और्डर लेती है. कौन सा रेस्तरां और हलवाई इस तरह के टैंकों की फौज का मुकाबला कर सकता है? हर रेस्तरां, हर हलवाई, हर घरेलू खाना बनाने वाली को कब्जे में ले कर, उन पर अपनी शर्तें थोप कर एक तरफ वे उन्हें लूटेंगी और जब कंपीटिशन नहीं रहेगा तो ग्राहकों को लूटेंगी.

बैंकों ने कै्रडिट कार्डों में यही किया है. पहले बड़े लुभावने विज्ञापन दिए कि क्रैडिट कार्ड के फायदे ही फायदे हैं. करोड़ों ने क्रैडिट कार्ड ले लिए, अब उन्होंने सरकार को भी फांस लिया जिस ने भुगतान क्रैडिट कार्ड से ही जबरदस्ती कराना शुरू कर दिया. एक बार क्रैडिट कार्ड की आदत पड़ी नहीं कि उन्होंने शर्तें थोपनी शुरू कर देती हैं. ₹10 कम रह जाएं तो ₹50 रुपए का जुरमाना वसूल कर लेती हैं क्रैडिट कार्ड कंपनियां.

इसी तरह स्वीगी और जोमैटो कंपनियां अब ग्राहकों को मजबूर करेंगी कि उन का बेस्वाद, ठंडा, न जाने कहां का बना खाना खाओ जो सस्ता पड़े पर शानदार पैकिंग में हो. वे सप्लायर्स का पैसा दबा लेंगी. डिलिवरी बौयज को कहेंगी कुछ देंगी कुछ. धुआंधार प्रचार का मारा ग्राहक कल को यही कहेगा कि भई खाना तो स्वीगी और जोमैटो का ही अच्छा है जैसे वह कीचड़ भरे गंगा के पानी में डुबकी लगाने के बाद कहता है कि उस के 3 जन्मों के पाप तर गए. यह दिमागी दीवालिएपन का एक नमूना है. पहले धर्म के दुकानदार ही बेवकूफ बनाते थे अब और बहुत से आ गए हैं जो तर्क और आदमी के अपने जजमैंट को पूरी तरह किल कर देते हैं.

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