निवेश से पहले बरतें सावधानी

लोग अक्सर दूसरों की सफलता की कहानियां सुनकर पैसा कमाने के लिए तत्पर हो जाते हैं और इसी चक्कर में गलत जगह निवेश कर देते हैं. गलत निवेश आपके लिए फायदेमंद कम और नुकसानदेह ज्यादा साबित हो सकता है. लोगों को पता नहीं होता है कि उनके निवेश का लक्ष्य क्या है और पैसा लगा देते हैं. आमतौर पर निवेशक ऐसी ही पांच गलतियां करते हैं. आज हम आपको ऐसी ही गलतियों से बचने के टिप्स बता रहे हैं, जिससे आप नुकसान से तो बचेंगे ही साथ ही आपको निवेश का सही तरीका भी पता चल जाएगा.

लक्ष्य पता हो तभी करें निवेश

निवेश का पहला कदम है लक्ष्य को निर्धारित करना. लक्ष्य का मतलब है कि आप किस उद्देश्य से निवेश करना चाहते हैं? जैसे घर खरीदना या बच्चों की पढ़ाई का खर्च इत्यादि. लक्ष्य पता होने पर ही आप तय कर सकते हैं कि भविष्य में आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी. लक्ष्य पता होगा तभी आप सही विकल्प चुन पाएंगे और आपकी जरूरतें पूरी हो पाएंगी.

एक तरह के विकल्प में ना लगाएं पैसा

निवेशक आमतौर पर एक तरह के विकल्प में पैसे लगाने की गलती करते हैं. जैसे कई लोग सारा पैसा बैंक में रखना पसंद करते हैं या फिर प्रॉपर्टी में लगा देते हैं. अगर आपने पैसा एक विकल्प में लगा रखा है तो नुकसान होने की संभावना ज्यादा है. निवेश के जोखिम को कम करने के लिए हमेशा अलग-अलग तरह के एसेट में पैसा लगाना चाहिए. अच्छा पोर्टफोलियो वह होता है, जिसमें सभी तरह के निवेश विकल्पों में पैसा डाइवर्सिफाइ हो.

निवेश से पहले नुकसान का गणित जरूर समक्ष लें

लोग अधिक और जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में जोखिम को भूल जाते हैं और दूसरों की सलाह पर अपना पूरा पैसा लगा देते हैं. निवेश का नियम है कि पहले जोखिम को अच्छे से समझ लें. शेयर बाजार, प्रॉपर्टी, सोना, कमोडिटी सभी के साथ जोखिम जुड़ा है. इसलिए सबसे पहले ये समझ लें कि नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. अगर आप में जोखिम उठाने की क्षमता है तो ही निवेश करें.

घाटे के समय तुरंत बदलें अपना निवेश

लोग अपने निवेश को लेकर भावनात्मक हो जाते हैं, जबकि निवेश से जुड़े फैसले दिमाग से लेने पड़ते हैं, न कि दिल से. अगर आपके निवेश पर घाटा हो रहा है तो आपको जल्द से जल्द अपना पैसा निकाल लेना चाहिए. किसी शेयर में पैसे लगाकर फंस गए हैं तो उछाल लौटने की उम्मीद में शेयर में इतने वक्त के लिए न बने रहें कि आपका सारा पैसा ही डूब जाए. समय रहते बाहर निकलकर आप अपना पूरा पैसा खोने के बजाये कुछ पैसा बचा सकते हैं.

एसआईपी निवेश का सही तरीका

निवेशकों के लिए शेयर बाजार की चाल समझना काफी मुश्किल भरा काम है. तेजी को देखते हुए जबतक निवेशक शेयरों में निवेश करना शुरू करते हैं, तब तक बाजार की चाल बदल जाती है. इसलिए छोटे निवेशकों के लिए सिस्टेमेटिक इन्‍वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का तरीका सबसे अच्छा रहता है.

निवेश से पहले न करें ये 5 गलतियां

अपने कल को बेहतर बनाने के लिए आज से बचत शुरु करने से बेहतर कुछ और नहीं है. एक्सपर्ट्स भी यही मानते हैं कि अपने जीवन की पहली नौकरी लगते ही सेविंग्स शुरु कर देनी चाहिए. अक्‍सर लोग ऐसा करते  भी हैं. लेकिन कई बार हम सेविंग, इंवेस्‍टमेंट के दौरान कई छोटी छोटी गलतियां कर जाते हैं. ऐसा कई बार जानकारी के अभाव में होता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं जो बचत तो कर रहे हैं, मगर उनके जहन में ढेर सारे सवाल है और वह यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि बचत को और कैसे बेहतर किया जा सकता है.

1. बीमा पॉलिसी को टैक्स बचाने के उदेश्य से खरीदना

कई लोग टैक्स बचाने के लिए बीमा पॉलिसी खरीद लेते हैं. उन्हें अपनी इस गलती का एहसास साल के आखिरी में होता है जब उन्हें अपने नियोक्ता को निवेश संबंधित प्रमाण देने होते हैं. बीमा पॉलिसी होना एक अच्छी बात है, लेकिन जीवन बीमा की तुलना में अन्य सभी टैक्स सेविंग विकल्प बेहतर होते हैं. टैक्स सेविंग फंड्स जैसे कि ईएलएसएस कम उम्र के बचत करने वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है.

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2. निवेश से पहले जानकारी का अभाव

जब लोग नियमित रूप से बचत नहीं करते तो बैंक एकाउंट में पड़े पड़े वह खर्च हो जाते है. इससे दो नुकसान होते हैं, पहला छोटी उम्र में निवेश करने के अनुरुप यह आपकी पूंजी को नहीं बढ़ा पाता. और दूसरा इससे बेफिजूल खर्च करने की आदत पड़ जाती है. बचत करने के लिए शुरुआत में अपनी मासिक तनख्वाह का 5 फीसदी से 10 फीसदी तक नियमित रूप से डेट फंड या फिर रेकरिंग डिपॉजिट में निवेश करें.

3. दूसरों को देखकर शेयर बाजार में निवेश करना

ऐसा लोग तब करते हैं जब उनमें स्टॉक्स में निवेश को लेकर कम जानकारी होती है. साथ ही शेयर बाजार में निवेश करते समय लोगों को लगता है कि उनकी निवेश राशि दो गुना हो जाएगी, जबकि ऐसा सोचना गलत है. निवेश करने से पहले अपने दोस्त, रिश्तेदार या सहकर्मी का देख लें कि किसको कितना मुनाफा या नुकसान हुआ है. निवेश करने से पहले स्टॉक से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर लें.

4. हर साल नौकरी बदलना

कई लोग सैलरी बढ़ाने के लिए जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं. जबकि नौकरी तब बदलनी चाहिए जब आप एक जगह काम करके अपनी स्किल्स अच्छी करें. इसके बाद आप जहां भी जाएंगे आपको अच्छी सैलरी का ऑफर दिया जाएगा.

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5. एजुकेशन लोन के बारे में भूल जाना

नौकरी से पहले कई लोग आगे की पढ़ाई के लिए एमबीए जैसे कोर्स में दाखिला लेते हैं. ऐसे में पढ़ाई के खर्चे को उठाने के लिए लोन की आवश्यकता पड़ती है. घर से दूर रहकर नौकरी करने पर लोग अपने बैंक से संपर्क नहीं कर पाते. ऐसे में ब्याज बढ़ता रहता है. इसलिए अपने एजुकेशन लोन के बारे अपना ध्यान केंद्रित करें.

30 की उम्र में कहां करें निवेश

आज का दौर अनिश्चिंतताओं से भरा हुआ है. कभी महामारियों का हमला, तो कभी रोजगार का संकट युवाओं को संपन्न व खुशहाल जीवन जीने के रास्ते में रोड़े अटकाता है. ऐसे में स्मार्ट इनवैस्टमैंट यानी सुरक्षित और मुनाफेदार निवेश ही आप के जीवन की संपन्नता की नींव को मजबूत कर सकता है.

तो आइए फाइनैंशियल कंसल्टैंट राघेंद्र मिश्रा से जानते हैं युवाओं के लिए सब से सुगम, सुरक्षित और सर्वोत्तम निवेश विकल्प क्या है:

स्टैप 1: टर्म इंश्योरैंस

अगर बात करें 30 की उम्र की तो अकसर इस उम्र तक हम अपनी जिम्मेदारियों को सम   झने लगते हैं ऐसे में हमारा पहला और सब से अहम कदम होना चाहिए कि हम टर्म इंश्योरैंस लें क्योंकि जीवन में कब, क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. कब हम जीवन को अलविदा कह दें किसी को पता नहीं होता. ऐसे में टर्म इंश्योरैंस असली जीवन बीमा प्लान है, जो आप के परिवार को आप के जाने के बाद फाइनैंशियल सपोर्ट प्रदान करने का काम करता है.

इस के अंतर्गत पौलिसी की अवधि के दौरान बीमा करवाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने पर यह इंश्योरैंस पौलिसी के अंतर्गत बनाए गए नौमिनी को एकमुश्त राशि प्रदान करता है. इसलिए टर्म इंश्योरैंस आज बेहद जरूरी हो गया है. इस बात का ध्यान रखें कि जितनी जल्दी आप टर्म इंश्योरैंस ले लेंगे उतना ही आप को कम प्रीमियम देना पड़ेगा.

बैस्ट टर्म इंश्योरैंस प्लान कैसे चुनें

–  आप को हमेशा कंपनी का क्लेम सैटलमैंट रेशो देखना चाहिए ताकि आप को ज्ञात हो जाए कि परिवार पर मुसीबत आने पर कंपनी कितने समय में क्लेम सेटलमैंट कर देती है वरना बाद में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

–  आप को कंपनी के ब्रैंड और उस की मार्केट में क्या अहमियत है, इस की जांच जरूर करनी चाहिए.

–  किसी भी कंपनी का प्लान अच्छी तरह चैक

करने के बाद ही टर्म इंश्योरैंस लेना चाहिए. उस में यह भी चैक कर लें कि उस में क्या कवर है और क्या नहीं तथा कितने साल तक का कवर है. इस से पौलिसी के चयन में आसानी होगी.

–  टर्म इंश्योरैंस आप की वार्षिक सैलरी का लगभग 10 गुणा होना चाहिए.

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स्टैप 2: हैल्थ इंश्योरैंस

हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी मुश्किल समय में परिवार पर बिना बो   झ डाले आर्थिक सहायता प्रदान करने का काम करती है. सोचिए अगर आप के परिवार में अचानक कोई अपना बीमार हो जाए और आप ने कोई हैल्थ पौलिसी न ली हो, तो आप सब से पहले बिना सोचेसम   झे उस का इलाज तो करवाएंगे ही, लेकिन इस इलाज के दौरान जो आप को शारीरिक व पैसों के कारण आर्थिक मार    झेलनी पड़ेगी वह आप की कमर तोड़ देगी.

इस से हो सकता है कि आप की फ्यूचर प्लानिंग भी पूरी तरह से बिगड़ जाए. इसलिए जरूरी है समय रहते हैल्थ इंश्योरैंस लेने की ताकि आप के साथसाथ आप का परिवार भी इस में कवर हो जाए और मुसीबत की घड़ी में यह इंश्योरैंस आप के बड़े काम का साबित हो. हैल्थ इंश्योरैंस वैसे तो छोटी उम्र से ही ले लेना चाहिए ताकि कम प्रीमियम देने के साथसाथ आप अपनी और अपनी फैमिली की हैल्थ संबंधित चिंताओं से मुक्त हो जाएं.

लेकिन यदि आप इसे लेने में लेट हो गए हैं तो आप अभी भी इसे ले सकते हैं क्योंकि उम्र के साथ बीमारियों का डर बढ़ सकता है. जान लें कि कुछ बीमारियां पहले साल से ही कवर नहीं होतीं. इन का कुछ वेटिंग पीरियड होता है. ऐसी स्थिति में आप की पौकेट पर बो   झ पड़ सकता है.

नोट: आप को बता दें कि इंश्योरैंस न सिर्फ आप को सुरक्षा देते हैं बल्कि टैक्स सेविंग में भी आप की मदद करते हैं.

काम के हैल्थ इंश्योरैंस

इनडिविजुअल हैल्थ इंश्योरैंस: इस में पौलिसी का लाभ केवल एक व्यक्ति यानी सिंगल व्यक्ति ही उठा सकता है. इसलिए यह पौलिसी आप तभी लें जब आप अकेले हों.

फैमिली हैल्थ इंश्योरैंस: इस में आप अपने साथ अपने परिवार को कवर कर सकते हैं. इस में समइनशोरेड परिवार के सभी सदस्यों पर लागू होता है.

टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस: अगर आप के पास पहले से कोई हैल्थ इंश्योरैंस है तो आप अपना प्रीमियम कवरेज बढ़ाने के लिए टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस भी ले सकते हैं. इस का प्रीमियम हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी के मुकाबले काफी कम होता है क्योंकि इस का इस्तेमाल केवल तभी होगा, जब आप अपनी हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी का पूरा समऐश्योर्ड यूज कर चुके हों. आजकल कुछ हैल्थ पौलिसीज आप को फिटनैस के हिसाब से छूट भी देती हैं. आप अपने हैल्दी लाइफस्टाइल से इन पौलिसीज में प्रीमियम भी बचा सकते हैं.

स्टैप 3: इनवैस्टमैंट के लिए म्यूचुअल फंड

स्टैप 1 और स्टैप 2 जीवन की अनिश्चिंतताओं में आप के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है. लेकिन खुद को फाइनैंशियल स्ट्रौंग बनाने यानी बचत करने के लिए, अपनी छोटीबड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए  म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना आज काफी बेहतर विकल्प है क्योंकि इस में अच्छा व टिकाऊ रिटर्न जो मिल रहा है. ‘सिक्यूरिटी ऐक्सचेंज बोर्ड औफ इंडिया’ ने इस में रिस्क और सेफ्टी के आधार पर 17-18 तरह की कैटेगरी डिवाइड की हैं, जिन में आप अपनी जरूरत, रिटर्न व रिस्क को देखते हुए इंनैस्ट कर सकते हैं.

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आप को बता दें कि सिप यानी सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान के जरीए इस में निवेश करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है क्योंकि इस में आप अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम में रैग्युरली एक निश्चित रकम इनवैस्ट कर सकते हैं. यह आप मंथली, क्वार्टली व सेमीऐनुअली किसी भी मोड़ का चयन कर के आसानी से अपने फाइनैंशियल गोल को पूरा कर सकते हैं.

कैसेकैसे म्यूचुअल फंड्स

डेब्ट्स फंड: ये ऐसे फंड्स होते हैं , जो एक निश्चित इनकम रिटर्न देते हैं.

गिल्ट फंड: यहे फंड आप का पैसा सिर्फ गवर्नमैंट सिक्युरिटीज में ही इनवैस्ट करते हैं, जिस से रिस्क न के बराबर होता है.

लिक्विड फंड्स: ये ऐसे फंड्स होते हैं, जिन्हें किसी भी समय यानी जरूरत पड़ने पर बंद करवाए जा सकते हैं. यह काफी सेफ तरीका है.

इक्विलिटी फंड: इस में रिस्क ज्यादा है तो रिटर्न भी ज्यादा मिलता है क्योंकि इस में आप का पैसा स्टौक मार्केट में लगता है. म्यूचुअल फंड में इनवैस्टमैंट के जरीए आप अपने गोल्स जैसे गाड़ी खरीदना, घर खरीदना, बच्चे की हायर स्टडीज के लिए पैसे जमा करना, बच्चों की मैरिज के लिए या फिर रिटायरमैंट तक के लिए इस में निवेश कर के बड़ी आसानी से गोल प्लानिंग कर सकते हैं.

स्टैप 4: रिटायरमैंट प्लानिंग

वैसे 30 की उम्र में अगर रिटायरमैंट की बात करें तो दूर की कल्पना प्रतीत होती है. लेकिन कब हम जिम्मेदारियों से घिर कर 30 से 50 के हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. ऐसे में अगर 50 की उम्र में रिटायरमैंट प्लानिंग के बारे में सोचेंगे तब तक काफी देर हो चुकी होगी.

इसलिए जरूरी है 30 में ही इस के बारे में विचार कर निवेश शुरू कर देना ताकि 60 के बाद आप ठाटबाट से रह सकें वरना पैसे की तंगी बुढ़ापे में आप का सुखचैन छीन कर रख देगी क्योंकि कम उम्र में निवेश करने पर आप को ज्यादा रिटर्न जो मिलता है. इस के लिए आप निम्न प्लान में इनवैस्ट कर सकते हैं:

म्यूचुअल फंड : अगर आप प्राइवेट नौकरी में हैं तो आप को छोटी उम्र से ही रिटायरमैंट के लिए एक सिस्टेमैटिक वे में म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना शुरू कर देना चाहिए. इस के लिए आप अपने अनुमानित खर्चों के हिसाब से रिटायरमैंट के बाद कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी उस का टारगेट बना कर छोटीछोटी सिप में इनवैस्टमैंट कर के सेफली पैसा जमा कर सकते हैं. इस में आप अपनी सुविधा के हिसाब से तारीख का चयन कर के निवेश कर सकते हैं.

पीपीएफ: आप प्रौविडैंट फंड में भी निवेश कर सकते हैं. यह भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जिस का उद्देश्य रिटायरमैंट के बाद सभी को सिक्योर जीवन प्रदान करना है. इस के तहत आप साल में कम से कम 500 रुपए और ज्यादा से ज्याद डेढ़ लाख रुपए जमा कर सकते हैं.

पैंशन फंड: यह एक तरह की पैंशन योजना है, जो लंबी अवधि तक लागू रहती है. यह पैंशन योजना तुलनात्मक रूप से मैच्योरिटी पर बेहतर रिटर्न प्रदान करती है.

यूलिप: इसे यूनिट लिंक्ड इंश्योरैंस प्लान कहा जाता है. इस में लाइफ कवर के साथसाथ कंपनीज निवेश का भी मौका देती हैं.

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स्टैप 5: इमरजैंसी फंड भी है जरूरी

पिछले 2 साल में दुनिया ने ऐसा समय देखा है, जिस की हम ने कभी कल्पना भी नहीं की थी, जिस के कारण बहुत से लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं, अपनों को खोया और यहां तक कि अपनों को बचाने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़े. इसलिए आज के समय की जरूरत है इमरजैंसी फंड की, जो आप की आकस्मिक जरूरतों में आप की बैकबोन का काम करेगा. इस के लिए आप के पास कम से कम 6 महीने से 1 साल तक के सभी जरूरी खर्चों के बराबर का फंड होना चाहिए.

इस के लिए आप अपने पैसों को लिक्विड फंड, हाई इंटरैस्ट सेविंग अकाउंट में इनवैस्ट कर सकते हैं और इमरजैंसी की स्थिति में आप इस फंड का इस्तेमाल कर के लोन लेने से भी बच सकते हैं. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि इमरजैंसी की स्थिति में ही इस फंड का इस्तेमाल करें.

6 टिप्स: पैसा रखें नहीं, निवेश करें

मौजूदा दौर में पैसों को सैकंड गौड कहा जाता है. यानी, पैसा है तो आप के पास काफीकुछ है. सैकंड गौड और काफीकुछ होने के बावजूद इसे रखे न रहें, वरना घाटे में रहेंगे. इसे निवेश करेंगे, तो ही फायदे में रहेंगे.

पैसों के रखने से मतलब सिर्फ घर में रखने से नहीं है, बैंक आदि में भी रखे रहने से है. चौंकिए नहीं, बचत खाते में पैसों के जमा रहने का मतलब रखा रहना ही होता है जबकि निवेश का मतलब और.

निवेश या विनियोग यानी इन्वैस्टमैंट का मतलब होता है अपने पैसों को ऐसी जगह लगाना जिस से कि लगाए हुए पैसों से भविष्य में अधिक पैसे मिल सकें. इन्वैस्ट करने वाले को जितने पैसे अधिक मिलते हैं, उन्हें निवेश पर प्राप्त प्रौफिट यानी लाभ कहा जाता है. और जो निवेश करता है उसे निवेशक या इन्वैस्टर कहा जाता है.

आप के पास पैसा है, कमाया हुआ है, बचत किया हुआ है या कहीं से मिला है और उस को इन्वैस्ट करना चाहते हैं तो इस के कई विकल्प मौजूद हैं. यहां देश की श्रेष्ठ 6 निवेश योजनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है.

ये ऐसी योजनाएं हैं जो दीर्घकालिक निवेश व बेहतर लाभ के लिए अच्छी तरह जानी जाती हैं.

1. सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) :

मातापिता को अपनी बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई. यह योजना वर्ष 2015 में देश के प्रधानमंत्री द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत शुरू की गई थी. यह योजना नाबालिग बालिकाओं की ओर लक्षित है.

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एसएसवाई खाता जन्म से ले कर 10 वर्ष की आयु से पहले किसी भी समय लड़की के नाम से खोला जा सकता है. इस योजना के लिए न्यूनतम निवेश राशि 1,000 रुपए से अधिकतम 1.5 लाख रुपए सालाना है. सुकन्या समृद्धि योजना 21 वर्षों तक संचालित होती है.

2. राष्ट्रीय पैंशन योजना (एनपीएस) :

केंद्र सरकार की महत्त्वपूर्ण योजनाओं में से एक राष्ट्रीय पैंशन योजना या एनपीए है. यह सभी भारतीयों के लिए एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, लेकिन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है. एनपीएस का उद्देश्य भारत के नागरिकों को सेवानिवृत्ति आय प्रदान करना है. 18 से 60 आयुवर्ग के भारतीय नागरिक और अनिवासी भारतीय इस योजना के लिए सदस्यता ले सकते हैं.

एनपीएस योजना के तहत आप अपने फंड को इक्विटी, कौर्पोरेट बौंड, सरकारी प्रतिभूतियों में आवंटित कर सकते हैं. 50,000 रुपए तक का निवेश आयकर कानून की धारा 80 सीसीडी (1 बी) के तहत कटौती के लिए उत्तरदायी हैं. आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1,50,000 रुपए तक का अतिरिक्त निवेश कटौतीयोग्य है.

3. सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) :

सरकार द्वारा शुरू की गईं सब से पुरानी योजनाओं में से एक सार्वजनिक भविष्य निधि या पीपीएफ है. इस योजना में निवेश की गई राशि, अर्जित ब्याज और निकाली गई राशि सभी को कर से छूट प्राप्त है. इस प्रकार, सार्वजनिक भविष्य निधि योजना न केवल सुरक्षित है, बल्कि एक ही समय में करों को बचाने में आप की मदद कर सकती है. योजना की मौजूदा ब्याजदर 7 फीसदी है. पीपीएफ में निवेश करने वाला कोई भी आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1,50,000 रुपए तक की कटौती का दावा कर सकता है.

4. राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) :

भारतीयों में बचत की आदत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र या एनएससी को शुरू किया. इस योजना के लिए न्यूनतम निवेश राशि 100 रुपए है और अधिकतम निवेश राशि की सीमा नहीं है. एनएससी की ब्याजदर हर साल बदलती है. आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए की करकटौती का दावा किया जा सकता है. केवल भारत के निवासी इस योजना में निवेश करने के लिए पात्र हैं.

5. अटल पैंशन योजना (एपीवाई) :

असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई अटल पैंशन योजना या एपीवाई एक सामाजिक सुरक्षा योजना है. एक वैध बैंकखाते के साथ 18-40 वर्ष की आयु का भारतीय नागरिक एपीवाई के लिए आवेदन करने के लिए पात्र है.

कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को पैंशन का विकल्प देने को प्रोत्साहित करने के लिए अटल पैंशन योजना शुरू की गई है, जिस से उन्हें वृद्धावस्था के दौरान लाभ होगा. यह योजना किसी के द्वारा भी ली जा सकती है. यह स्वनियोजित है. कोई बैंक या डाकघर में एपीवाई के लिए नामांकन कर सकता है. हालांकि, इस योजना में एकमात्र शर्त यह है कि योगदान 60 वर्ष की आयु तक किया जाना चाहिए.

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6. प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) :

सौफीसदी देशवासियों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू की. सरकार ने समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्गों को बचत और जमा खाते, प्रेषण, बीमा, क्रेडिट, पैंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने का लक्ष्य रखा है.

नाबालिग के लिए इस योजना में न्यूनतम आयुसीमा 10 वर्ष है. अन्यथा, 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय निवासी इस खाते को खोलने के लिए पात्र है. एक व्यक्ति केवल 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद इस योजना से बाहर निकल सकता है.

कुल मिला कर, निवेश आने वाले समय के लिए, भविष्य के लिए बहुत ही फलदायी होता है. आड़े वक्त में परिवार को इस से महत्त्वपूर्ण मदद मिलती है. निवेश कर के इंसान अपनी जरूरतों को खुद ही पूरी करने के साथसाथ अपने बुढ़ापे को सुरक्षित भी रख सकता है. सो, निवेश करना हरेक के लिए अनिवार्य है.

इन्वैस्टमैंट जानकारी: बेहतर कौन- एफडी या आरडी

फाइनैंशियल सिक्योरिटी यानी वित्तीय सुरक्षा हर इंसान की ज़रूरत है. इस के लिए घरेलू खर्चों के बाद कुछ पैसा भविष्य के लिए बचाया जाता है. समाज का वह वर्ग क्या करे जिस की स्थिति रोज़ कुआं खोदो रोज़ पानी पियो जैसी है. इस तबके की तो कोई सुनने वाला ही नहीं.

समाज बदला है, परिवर्तन आया है, शिक्षा पर जोर भी है. लेकिन फिर भी ज़्यादातर लोगों में जानकारी का अभाव है. हमारे गरीब देश भारत में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए भी स्कीम्स हैं. बता दें कि पोस्ट औफिस में हर महीने 10 रुपए जमा करने के लिए रेकरिंग डिपौजिट (आरडी) यानी आवर्ती जमा खाता खुलवाया जा सकता है.

सुरक्षित भविष्य के लिए बचत कर उसे निवेश करना हर इंसान के लिए अनिवार्य है. समाज के निम्नवर्ग, निम्नमध्यवर्ग, मध्यवर्ग और छोटे वेतनभोगियों को भविष्य की फाइनैंशियल सिक्योरिटी के लिए निवेश यानी इन्वैस्ट करने के 2 अतिलोकप्रिय रास्ते हैं – एफडी (फिक्स्ड डिपौजिट) यानी सावधि जमा और आरडी (रेकरिंग डिपौजिट) यानी आवर्ती जमा.

जान लें कि एफडी में एकमुश्त रकम जमा करनी होती है जबकि आरडी में आमतौर पर एक निश्चित रकम हर महीने जमा करनी होती है. और यह भी जान लें कि फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही स्कीम्स में इनकम टैक्स के नियम एकजैसे ही हैं. अब सवाल यह है कि एफडी और आरडी में बेहतर कौन है?

यह स्वाभाविक हकीकत है कि हर व्यक्ति अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न चाहता है. अगर निवेश के 2 विकल्पों में रिटर्न एकसमान हो तो आप अपनी पूंजी की ज्यादा सुरक्षा वाले विकल्प को पसंद करेंगे.

पूंजी की सुरक्षा के साथ निश्चित अंतराल पर नियमित आय के लिए लोग लंबे समय से फिक्स्ड डिपौजिट को निवेश का बेहतर विकल्प मानते हैं. लेकिन, अगर आप के पास निवेश के लिए एकमुश्त रकम नहीं है और आप मासिक आमदनी से बचत कर संपत्ति बनाना चाहते हैं, तब रेकरिंग डिपौजिट निवेश का अच्छा विकल्प है.

दोनों में क्या है समानता :

फिक्स्ड डिपौजिट हो या रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही बैंकों और पोस्टऔफिस द्वारा औफर किए जाने वाले फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट हैं. अगर आप किसी बैंक या पोस्टऔफिस में इन दोनों डिपौजिट्स में से कोई भी खाता खुलवाते हैं तो पोस्टऔफिस या बैंक आप को पहले से तय ब्याजदर के हिसाब से नियमित अंतराल पर या मैच्योरिटी पर निश्चित ब्याज देते हैं.

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टर्म यानी अवधि पूरी होने पर आप की ओर से निवेश की गई रकम और उस पर लागू ब्याज आप को मिल जाता है. दूसरे बैंकिंग उत्पादों पर मिलने वाला ब्याज लगभग हर तिमाही बदलता है, लेकिन फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट खुलवाते वक्त जो ब्याजदर तय की जाती है, वही आप को मिलती है. ब्याजदर स्कीम के अंत तक जारी रहती है.

टैक्स देनदारी में दोनों में क्या है अंतर :

फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही स्कीम्स में इनकम टैक्स के नियम एकजैसे ही हैं. दोनों ही स्कीम पर मिलने वाले ब्याज को आप की कुल आय में जोड़ दिया जाता है और उस पर आप को अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है.

यदि आप अपनी आमदनी के हिसाब से 30 फीसदी वाले टैक्स स्लैब में हैं तो एफडी और आरडी पर मिलने वाले ब्याज पर भी 30 फीसदी की दर से ही टैक्स लगेगा.

टैक्स डिडक्शन के मामले में आरडी थोड़ा बेहतर है. एफडी पर सालाना ब्याज अगर 10,000 रुपए से अधिक मिलता है तो बैंक टीडीएस  काट लेता है, लेकिन रेकरिंग पर कोई डिडक्शन नहीं होता. यह एक ऐसा फीचर है जिस के चलते निवेशकों का रुझान आरडी की ओर बढ़ा है.

किस में मिलता है बेहतर रिटर्न : 

यदि आप इन दोनों योजनाओं की तुलना करें तो फिक्स्ड डिपौजिट में आप को अधिक रिटर्न मिलता है. इस की वजह यह है कि एफडी  में आप एकमुश्त रकम जमा करते हैं जिस पर ब्याज उसी दिन से चालू हो जाता है. जबकि, रेकरिंग डिपौजिट, वास्तव में, मासिक आमदनी से थोड़ीथोड़ी रकम जोड़ कर संपत्ति बनाने का माध्यम है.

इसे ऐसे समझिए – मान लीजिए कि आप ने प्रति महीने 2,000 रुपए की दर से साल में 24,000 रुपए रेकरिंग डिपौजिट में जमा किए. इस में अगले साल से आप को कुल 24,000 रुपए के निवेश पर ब्याज मिलेगा. जिस साल आप ने निवेश शुरू किया उस साल में आप ने पहले महीने 2000 रुपए ही बैंक में जमा किए हैं.

अगर सिर्फ एक साल के हिसाब से बात करें तो रेकरिंग डिपौजिट की 2,000 रुपए की पहली किस्त पर आप को उस साल के 11 महीने,  दूसरी किस्त पर 10 महीने, तीसरी किस्त पर 9 महीने और चौथी किस्त पर सिर्फ 8 महीने का ही ब्याज मिलेगा.

अगर आप ने साल की शुरुआत में 24,000  रुपए एफडी में लगा दिए तो इस निवेश पर ब्याज पहले दिन से ही शुरू हो जाएगा. दोनों ही स्कीम्स पर एकसमान तिमाही चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है. अगर हम यह मान लें कि आप के निवेश पर ब्याज दर 9 फीसदी है तो एफडी में एक साल के अंत में आप कुल 26,324 रुपए पाएंगे जबकि आरडी में आप को कुल 25,195  रुपए ही मिलेंगे.

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ध्यान रखें :

यह ध्यान रखें कि एफडी  में आप ने बैंक में शुरुआत में ही 24,000 रुपए जमा कर दिए जबकि आरडी  में आप हर महीने 2,000 रुपए जमा कर रहे हैं, सो, ब्याज में जो अंतर है वह इसी वजह से है. सो, रुपए कमाइए, खर्च में से बचाइए, निवेश कर बढ़ाइए और फिर आर्थिकतौर पर सुरक्षित रहिए.

बच्चे के लिए कैसे बनाएं निवेश की योजना

जिस पल कोई महिला मां बनती है, तो उस का बच्चा उसी पल से उस के संसार की धुरी बन जाता है. रोजाना अपने बच्चे की छोटीछोटी जरूरतों से ले कर उस के सुरक्षित भविष्य तक के लिए वह उसे सबकुछ बेहतरीन देना चाहती है. वैसे भी अब बच्चे को अच्छी शिक्षा और अच्छा भविष्य देने की जिम्मेदारी केवल पिता की ही नहीं रही है, मां भी इस में अपना पूरा सहयोग दे रही है.

इस संदर्भ में अनिता सहगल नामक महिला का उदाहरण लेते हैं. उन की उम्र 35 साल है और वे अपने पति तथा 2 बच्चों के साथ पुणे में रहती हैं. उन का बड़ा बेटा 12 और छोटा 6 साल का है. वर्तमान समय में एक ही बच्चे के पालनपोषण में होने वाले खर्च की सूची भयभीत कर देती है, तो ऐसे में अनिता को अभी से अपने बच्चों की शिक्षा को ले कर योजना बनाने की जरूरत है.

भारत में शिक्षा पर खर्च बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है. उच्च शिक्षा के खर्च में महंगाई दर काफी अधिक है. यह वित्तीय वर्ष 2012 से 2018 के दौरान औसतन 6.42% रही पर अब सालाना 10% है. हम अगले 20 वर्षों में 7% की अपरिवर्तित दर को ले कर भी विचार करें तो 4 वर्षीय बीटैक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम जिस का वर्तमान खर्च लगभग क्व8 लाख आता है, वह भी क्व30 लाख में बदल सकता है. इसी तरह वर्तमान में एमबीए कोर्स पर कुल मिला कर करीब क्व12 लाख खर्च होते हैं, लेकिन आने वाले 20 वर्षों में यह खर्च अंदाजन क्व46 लाख हो जाएगा. इसे ध्यान में रखते हुए अनिता जैसी हर महिला के लिए जल्द से जल्द अपने बच्चे की शिक्षा की योजना बनाना अनिवार्र्य हो गया है.

निवेश की योजना बनाएं

सब से जरूरी यह है कि अनिता अपने लक्ष्यों को लिख लें ताकि इस बात का एहसास हो जाए कि कब, किन मदों पर और कितना खर्च करना होगा. उदाहरण के लिए प्री प्राइमरी ऐजुकेशन के खर्च के लिए उच्च शिक्षा की तुलना में कम निवेश की दरकार होगी. इसी तरह स्नातक स्तर के मुकाबले स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए ज्यादा पैसे लगेंगे. ट्यूशन फीस को ही ध्यान में रखने के बजाय एक मां को होस्टल फीस, स्टेशनरी व प्रिंटिंग आदि से जुड़े खर्चों पर भी विचार करने की जरूरत है. उसे यह भी तय करने की जरूरत है कि बच्चे की शिक्षा भारत में होगी या विदेश में.

इन तमाम बातों को चार्ट में लिख लेने से आवश्यक लक्षित धनराशि की पहचान करने और उस के मुताबिक निवेश करने में मदद मिलेगी. उसे बजट की एक ऐसी बुनियादी योजना तैयार करने की भी जरूरत है जो अवांछित खर्चों को कम करने और अतिरिक्त पैसे बचाने में सहायक हो. ये अतिरिक्त पैसे बच्चे के लक्ष्य के लिए निवेश किए जा सकते हैं.

बच्चे के जन्मदिन और त्योहारों पर रिश्तेदारों से उपहार में मिलने वाले पैसों का एकमुश्त निवेश किया जाना चाहिए. जब भी बच्चे को पैसे मिलें, उन के उपयोग पर विचार करते हुए निवेश को सब से ऊपर रखें.

निवेश का असरदार रास्ता

बच्चे से जुड़े लक्ष्य के लिए निवेश करने की कई राहें हैं. 8.5% की ब्याज दर (वित्तीय वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही) देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना या एक समय में 9-10% रिटर्न पैदा कर सकने वाला यूनिट लिंक्ड इन्वैस्टमैंट प्लान (यूलिप) आदर्श निवेश हो सकता है. बहरहाल, एक डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड निवेश का सब से असरदार रास्ता होगा. एक समय अवधि में यह छोटी बचत योजनाओं की अपेक्षा ज्यादा बड़ी राशि बनाने में सहायक होती है.

किसी बच्चे की उच्च शिक्षा एक दीर्घकालिक लक्ष्य है, इसलिए रिश्तेदारों से 20 साल तक सालाना क्व10 हजार भी मिलें तो वे लगभग क्व17 लाख की धनराशि बन सकते हैं. म्यूचुअल फंड में लगाया गया पैसा 18% दे तो यह संभव है. इसलिए अनिता जैसी ज्यादा से ज्यादा महिलाएं दीर्घकालिक लाभ को ध्यान में रख कर अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश कर सकती हैं और काफी रुपए जमा कर सकती हैं.

लंबे समय तक किया जाने वाला निवेश

परिवार से कभीकभार जो पैसा मिलता है, उस के अलावा भी उन्हें एसआईपी जैसी इक्विटी योजनाओं में अपनी बचत का निवेश करते रहना चाहिए. नियमित रूप से लंबे समय तक किया जाने वाला यह निवेश भी अच्छीखासी धनराशि दे सकता है.

उदाहरण के लिए

15 साल तक एसआईपी में हर माह क्व15 हजार लगाए जाने पर सालाना रिटर्न 18% मानें, तो अंत में करीब क्व40 लाख इकट्ठा हो सकते हैं.

आखिरी बात, नियमकायदों और संचालन से जुड़ी अनावश्यक परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि हर महिला अपने नाम निवेश करे. बच्चे को नौमिनी बनाया जा सकता है.

एक अच्छी मां बनने के लिए अपने बच्चे को उज्जवल भविष्य देने वाली हर जिम्मेदारी को पूरा करना शामिल है. आप को यह जिम्मा लेना ही होगा कि आप की जिंदगी जैसी है अपने बच्चे को उस से बेहतर जिंदगी देंगी.

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