आज का दौर अनिश्चिंतताओं से भरा हुआ है. कभी महामारियों का हमला, तो कभी रोजगार का संकट युवाओं को संपन्न व खुशहाल जीवन जीने के रास्ते में रोड़े अटकाता है. ऐसे में स्मार्ट इनवैस्टमैंट यानी सुरक्षित और मुनाफेदार निवेश ही आप के जीवन की संपन्नता की नींव को मजबूत कर सकता है.

तो आइए फाइनैंशियल कंसल्टैंट राघेंद्र मिश्रा से जानते हैं युवाओं के लिए सब से सुगम, सुरक्षित और सर्वोत्तम निवेश विकल्प क्या है:

स्टैप 1: टर्म इंश्योरैंस

अगर बात करें 30 की उम्र की तो अकसर इस उम्र तक हम अपनी जिम्मेदारियों को सम   झने लगते हैं ऐसे में हमारा पहला और सब से अहम कदम होना चाहिए कि हम टर्म इंश्योरैंस लें क्योंकि जीवन में कब, क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. कब हम जीवन को अलविदा कह दें किसी को पता नहीं होता. ऐसे में टर्म इंश्योरैंस असली जीवन बीमा प्लान है, जो आप के परिवार को आप के जाने के बाद फाइनैंशियल सपोर्ट प्रदान करने का काम करता है.

इस के अंतर्गत पौलिसी की अवधि के दौरान बीमा करवाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने पर यह इंश्योरैंस पौलिसी के अंतर्गत बनाए गए नौमिनी को एकमुश्त राशि प्रदान करता है. इसलिए टर्म इंश्योरैंस आज बेहद जरूरी हो गया है. इस बात का ध्यान रखें कि जितनी जल्दी आप टर्म इंश्योरैंस ले लेंगे उतना ही आप को कम प्रीमियम देना पड़ेगा.

बैस्ट टर्म इंश्योरैंस प्लान कैसे चुनें

–  आप को हमेशा कंपनी का क्लेम सैटलमैंट रेशो देखना चाहिए ताकि आप को ज्ञात हो जाए कि परिवार पर मुसीबत आने पर कंपनी कितने समय में क्लेम सेटलमैंट कर देती है वरना बाद में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

–  आप को कंपनी के ब्रैंड और उस की मार्केट में क्या अहमियत है, इस की जांच जरूर करनी चाहिए.

–  किसी भी कंपनी का प्लान अच्छी तरह चैक

करने के बाद ही टर्म इंश्योरैंस लेना चाहिए. उस में यह भी चैक कर लें कि उस में क्या कवर है और क्या नहीं तथा कितने साल तक का कवर है. इस से पौलिसी के चयन में आसानी होगी.

–  टर्म इंश्योरैंस आप की वार्षिक सैलरी का लगभग 10 गुणा होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- किराए के घर में सुरक्षा का इस तरह रखें ध्यान

स्टैप 2: हैल्थ इंश्योरैंस

हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी मुश्किल समय में परिवार पर बिना बो   झ डाले आर्थिक सहायता प्रदान करने का काम करती है. सोचिए अगर आप के परिवार में अचानक कोई अपना बीमार हो जाए और आप ने कोई हैल्थ पौलिसी न ली हो, तो आप सब से पहले बिना सोचेसम   झे उस का इलाज तो करवाएंगे ही, लेकिन इस इलाज के दौरान जो आप को शारीरिक व पैसों के कारण आर्थिक मार    झेलनी पड़ेगी वह आप की कमर तोड़ देगी.

इस से हो सकता है कि आप की फ्यूचर प्लानिंग भी पूरी तरह से बिगड़ जाए. इसलिए जरूरी है समय रहते हैल्थ इंश्योरैंस लेने की ताकि आप के साथसाथ आप का परिवार भी इस में कवर हो जाए और मुसीबत की घड़ी में यह इंश्योरैंस आप के बड़े काम का साबित हो. हैल्थ इंश्योरैंस वैसे तो छोटी उम्र से ही ले लेना चाहिए ताकि कम प्रीमियम देने के साथसाथ आप अपनी और अपनी फैमिली की हैल्थ संबंधित चिंताओं से मुक्त हो जाएं.

लेकिन यदि आप इसे लेने में लेट हो गए हैं तो आप अभी भी इसे ले सकते हैं क्योंकि उम्र के साथ बीमारियों का डर बढ़ सकता है. जान लें कि कुछ बीमारियां पहले साल से ही कवर नहीं होतीं. इन का कुछ वेटिंग पीरियड होता है. ऐसी स्थिति में आप की पौकेट पर बो   झ पड़ सकता है.

नोट: आप को बता दें कि इंश्योरैंस न सिर्फ आप को सुरक्षा देते हैं बल्कि टैक्स सेविंग में भी आप की मदद करते हैं.

काम के हैल्थ इंश्योरैंस

इनडिविजुअल हैल्थ इंश्योरैंस: इस में पौलिसी का लाभ केवल एक व्यक्ति यानी सिंगल व्यक्ति ही उठा सकता है. इसलिए यह पौलिसी आप तभी लें जब आप अकेले हों.

फैमिली हैल्थ इंश्योरैंस: इस में आप अपने साथ अपने परिवार को कवर कर सकते हैं. इस में समइनशोरेड परिवार के सभी सदस्यों पर लागू होता है.

टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस: अगर आप के पास पहले से कोई हैल्थ इंश्योरैंस है तो आप अपना प्रीमियम कवरेज बढ़ाने के लिए टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस भी ले सकते हैं. इस का प्रीमियम हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी के मुकाबले काफी कम होता है क्योंकि इस का इस्तेमाल केवल तभी होगा, जब आप अपनी हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी का पूरा समऐश्योर्ड यूज कर चुके हों. आजकल कुछ हैल्थ पौलिसीज आप को फिटनैस के हिसाब से छूट भी देती हैं. आप अपने हैल्दी लाइफस्टाइल से इन पौलिसीज में प्रीमियम भी बचा सकते हैं.

स्टैप 3: इनवैस्टमैंट के लिए म्यूचुअल फंड

स्टैप 1 और स्टैप 2 जीवन की अनिश्चिंतताओं में आप के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है. लेकिन खुद को फाइनैंशियल स्ट्रौंग बनाने यानी बचत करने के लिए, अपनी छोटीबड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए  म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना आज काफी बेहतर विकल्प है क्योंकि इस में अच्छा व टिकाऊ रिटर्न जो मिल रहा है. ‘सिक्यूरिटी ऐक्सचेंज बोर्ड औफ इंडिया’ ने इस में रिस्क और सेफ्टी के आधार पर 17-18 तरह की कैटेगरी डिवाइड की हैं, जिन में आप अपनी जरूरत, रिटर्न व रिस्क को देखते हुए इंनैस्ट कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- 6 Tips: गर्मियों में ऐसे रहेगा आपका आशियाना ठंडा

आप को बता दें कि सिप यानी सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान के जरीए इस में निवेश करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है क्योंकि इस में आप अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम में रैग्युरली एक निश्चित रकम इनवैस्ट कर सकते हैं. यह आप मंथली, क्वार्टली व सेमीऐनुअली किसी भी मोड़ का चयन कर के आसानी से अपने फाइनैंशियल गोल को पूरा कर सकते हैं.

कैसेकैसे म्यूचुअल फंड्स

डेब्ट्स फंड: ये ऐसे फंड्स होते हैं , जो एक निश्चित इनकम रिटर्न देते हैं.

गिल्ट फंड: यहे फंड आप का पैसा सिर्फ गवर्नमैंट सिक्युरिटीज में ही इनवैस्ट करते हैं, जिस से रिस्क न के बराबर होता है.

लिक्विड फंड्स: ये ऐसे फंड्स होते हैं, जिन्हें किसी भी समय यानी जरूरत पड़ने पर बंद करवाए जा सकते हैं. यह काफी सेफ तरीका है.

इक्विलिटी फंड: इस में रिस्क ज्यादा है तो रिटर्न भी ज्यादा मिलता है क्योंकि इस में आप का पैसा स्टौक मार्केट में लगता है. म्यूचुअल फंड में इनवैस्टमैंट के जरीए आप अपने गोल्स जैसे गाड़ी खरीदना, घर खरीदना, बच्चे की हायर स्टडीज के लिए पैसे जमा करना, बच्चों की मैरिज के लिए या फिर रिटायरमैंट तक के लिए इस में निवेश कर के बड़ी आसानी से गोल प्लानिंग कर सकते हैं.

स्टैप 4: रिटायरमैंट प्लानिंग

वैसे 30 की उम्र में अगर रिटायरमैंट की बात करें तो दूर की कल्पना प्रतीत होती है. लेकिन कब हम जिम्मेदारियों से घिर कर 30 से 50 के हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. ऐसे में अगर 50 की उम्र में रिटायरमैंट प्लानिंग के बारे में सोचेंगे तब तक काफी देर हो चुकी होगी.

इसलिए जरूरी है 30 में ही इस के बारे में विचार कर निवेश शुरू कर देना ताकि 60 के बाद आप ठाटबाट से रह सकें वरना पैसे की तंगी बुढ़ापे में आप का सुखचैन छीन कर रख देगी क्योंकि कम उम्र में निवेश करने पर आप को ज्यादा रिटर्न जो मिलता है. इस के लिए आप निम्न प्लान में इनवैस्ट कर सकते हैं:

म्यूचुअल फंड : अगर आप प्राइवेट नौकरी में हैं तो आप को छोटी उम्र से ही रिटायरमैंट के लिए एक सिस्टेमैटिक वे में म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना शुरू कर देना चाहिए. इस के लिए आप अपने अनुमानित खर्चों के हिसाब से रिटायरमैंट के बाद कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी उस का टारगेट बना कर छोटीछोटी सिप में इनवैस्टमैंट कर के सेफली पैसा जमा कर सकते हैं. इस में आप अपनी सुविधा के हिसाब से तारीख का चयन कर के निवेश कर सकते हैं.

पीपीएफ: आप प्रौविडैंट फंड में भी निवेश कर सकते हैं. यह भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जिस का उद्देश्य रिटायरमैंट के बाद सभी को सिक्योर जीवन प्रदान करना है. इस के तहत आप साल में कम से कम 500 रुपए और ज्यादा से ज्याद डेढ़ लाख रुपए जमा कर सकते हैं.

पैंशन फंड: यह एक तरह की पैंशन योजना है, जो लंबी अवधि तक लागू रहती है. यह पैंशन योजना तुलनात्मक रूप से मैच्योरिटी पर बेहतर रिटर्न प्रदान करती है.

यूलिप: इसे यूनिट लिंक्ड इंश्योरैंस प्लान कहा जाता है. इस में लाइफ कवर के साथसाथ कंपनीज निवेश का भी मौका देती हैं.

ये भी पढ़ें- कैसे चुनें सही एअरकंडीशनर

स्टैप 5: इमरजैंसी फंड भी है जरूरी

पिछले 2 साल में दुनिया ने ऐसा समय देखा है, जिस की हम ने कभी कल्पना भी नहीं की थी, जिस के कारण बहुत से लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं, अपनों को खोया और यहां तक कि अपनों को बचाने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़े. इसलिए आज के समय की जरूरत है इमरजैंसी फंड की, जो आप की आकस्मिक जरूरतों में आप की बैकबोन का काम करेगा. इस के लिए आप के पास कम से कम 6 महीने से 1 साल तक के सभी जरूरी खर्चों के बराबर का फंड होना चाहिए.

इस के लिए आप अपने पैसों को लिक्विड फंड, हाई इंटरैस्ट सेविंग अकाउंट में इनवैस्ट कर सकते हैं और इमरजैंसी की स्थिति में आप इस फंड का इस्तेमाल कर के लोन लेने से भी बच सकते हैं. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि इमरजैंसी की स्थिति में ही इस फंड का इस्तेमाल करें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...