फ्लौप क्वीन श्रद्धा कपूर

Shraddha Kapoor: मेकिंग सोशल मीडिया सोशियली रिस्पौंसिबल श्रद्धा कपूर को कौन नहीं जानता. साल 2014 में शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर इंटरनैट पर सर्च की जाने वाली 6 नंबर की सैलिब्रेटी रही हैं लेकिन 2014 से 2023 की तुलना की जाए तो बिरले ही कोई श्रद्धा को इंटरनैट पर सर्च करता होगा. श्रद्धा एक समय अपने क्यूट फेस के चलते काफी चर्चा में थीं.

कुछ सालों में श्रद्धा की फिल्म इंडस्ट्री में मौजूदगी और बौक्सऔफिस पर उन की मौजूदगी का ग्राफ लगातार गिरता रहा है. उन के अभिनय कैरियर की शुरुआत 2010 में आई ‘तीन पत्ती’ से हुई थी. उस के बाद एकआध अच्छी फिल्मों के अलावा उन के पास ऐसी खास एचीवमैंट नहीं रही.

श्रद्धा की शुरुआत

बौलीवुड के विलेन कहे जाने वाले ऐक्टर शक्ति कपूर और शिवांगी कोल्हापुरी के घर 3 मार्च, 1987 को चुलबुली श्रद्धा कपूर का जन्म हुआ. वे लता मंगेशकर और आशा भोंसले की भतीजी हैं. इस साल श्रद्धा कपूर 37वां जन्मदिन सैलिब्रेट करने जा रही हैं.

बोस्टन यूनिवर्सिटी से साइकोलौजी की पढ़ाई बीच में छोड़ कर ऐक्ंिटग में कैरियर को चुनने वाली श्रद्धा, इंग्लिश और हिंदी के अलावा रशियन व ब्रिटिश एक्सैंट भी बढि़या बोल लेती हैं.

फिल्मी सफर

फिल्मी परिवार से आने वाली श्रद्धा को इस का फायदा मिला. उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ डैब्यू किया. 16 साल की उम्र में फिल्म ‘लकी नो टाइम फौर लव’ औफर को ठुकरा देने के बाद श्रद्धा कपूर ने साल 2010 में ‘तीन पत्ती’ से डैब्यू किया. अपनी पहली फिल्म में उन्होंने बौलीवुड के दिग्गज अमिताभ बच्चन और आर माधवन जैसे कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. इस फिल्म के लिए इन्हें फिल्मफेयर का बैस्ट डैब्यू फीमेल अवार्ड के लिए नौमिनेट जरूर किया गया.

2011 में उन्होंने ‘लव का दि ऐंड’ की. जो बुरी तरह फ्लौप रही. उस के बाद उन्होंने ‘आशिकी 2’ की, यहां उन्हें कुछ तारीफें बटोरने का मौका मिला. बौक्सऔफिस पर इस का कलैक्शन अच्छा रहा पर उन की ऐक्ंिटग सामान्य रही. ‘आशिकी’ के नोस्टाल्जिया और फिल्म के गाने चलने की वजह से यह फिल्म हिट हुई.

श्रद्धा कपूर ‘हैदर’, ‘साहो’, ‘एक विलेन’, ‘छिछोरे’ और ‘बागी’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में नजर आ चुकी हैं. इन की सब से ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘स्त्री’ (2018). ‘साहो’ (2019), ‘छिछोरे’ (2019) और ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ रही हैं. लेकिन ऐसी कोई भी फिल्म उन की ऐक्ंिटग का लोहा मनवाने में कामयाब रही हो, नहीं कहा जा सकता. ये सारी फिल्में हीरो के इर्दगिर्द रहीं. जो फिल्म उन्होंने अपने दम पर की, ‘हसीना पार्कर’, वह बुरी तरह फ्लौप हो गई.

बौलीवुड में जहां टौप हीरोइनें 15 से 20 करोड़ रुपए लेती हैं वहीं श्रद्धा एक फिल्म के लिए केवल 5-6 करोड़ रुपए ही लेती हैं, जो कि उन के गिरते ग्राफ को बताता है. बौलीवुड इंडस्ट्री में एक दशक से ज्यादा का समय बिता चुकीं श्रद्धा के पास अभी भी कुछ गिनेचुने प्रोजैक्ट्स हैं जिन की बदौलत वे बौलीवुड में अपनी मौजूदगी दर्ज करा पाती हैं.

श्रद्धा कपूर पिछली बार फिल्म ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ में नजर आई थीं, जिस में उन की जोड़ी पहली बार रणबीर कपूर के साथ दिखी. जो कि वन टाइम मूवी रही. यहां भी एवरेज ऐक्ंिटग के चलते यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. इस फिल्म ने जो बिजनैस किया वह डायरैक्टर लव रंजन के प्रति यूथ का रु?ान है. इस के अलावा इस फिल्म में बौलीवुड के चार्मिंग और टैलेंटेड ऐक्टर रणबीर कपूर थे.

हालांकि, साल 2015 में श्रद्धा कपूर ‘फोर्ब्स इंडिया सैलिब्रेटी 100’ की लिस्ट में भी शामिल रहीं जिस में उन का नंबर 57वां रहा. इस के अलावा वे ‘फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया’ की लिस्ट में भी शामिल रहीं. इस के बावजूद वे अपने कैरियर में कोई खास मुकाम हासिल नहीं कर पाईं.

अफेयर या अफवाह

श्रद्घा का नाम कई बौलीवुड स्टार्स के साथ जोड़ा गया. ‘आशिकी’ के दौरान उन के कोस्टार आदित्य राय कपूर के साथ लिंकअप की खबरें रहीं. तो कुछ समय बाद सैलिब्रिटी फोटोग्राफर रोहन श्रेष्ठा के साथ भी उन का नाम जोड़ा गया.

अक्तूबर 2023 में ऐसी अफवाहें थीं कि श्रद्धा ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ के लेखक राहुल मोदी को डेट कर रही हैं पर वे किसी सीरियस रिलेशनशिप में हैं, ऐसा उन्होंने किसी भी माध्यम से जाहिर नहीं किया है.

सोशल मीडिया पर हैं ऐक्टिव

श्रद्धा की ऐक्ंिटग चाहे जैसी भी हो पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सोशल मीडिया पर उन के फैंस की लिस्ट लंबी है और वे बहुत पौपुलर भी हैं. इंस्टाग्राम पर उन के फौलोअर्स की संख्या 86.9 मिलियन है, तो ट्विटर पर 14.9 मिलियन. सोशल मीडिया पर श्रद्धा को मीम क्वीन कहा जाता है. उन के पोस्ट इतने इंटे्रस्ंिटग होते हैं कि कुछ ही देर में वायरल हो जाते हैं. वे कमैंटबौक्स में लोगों को जवाब भी देती हैं.

Deepika Padukone और रणवीर सिंह ने दी गुड न्यूज, इस महीने में बनेंगे मम्मी-पापा

Deepika Padukone Pregnancy: बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की खबर शेयर की हैं. काफी समय से एक्ट्रेस की प्रेग्नेंसी को लेकर अटकले लगाई जा रही थी, लेकिन अब रणबीर और दीपिका के घर में भी जल्द ही किलकारियां गूंजने वाली है.

इस कपल ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर बताया है कि वे सितंबर में अपने पहले बच्चे का स्वागत करेंगे, उनके इस पोस्ट फैंस और फ्रेंड्स बधाई संदेश दे रहे हैं.

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह सिंतबर में पेरेंट्स बनेंगे. इस कपल ने आज यानी 29 फरवरी को अपने-अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक कार्ड शेयर किया है, आप देख सकते हैं कि इस कार्ड पर बच्चों के कपड़े, जूते, खिलौने बने हुए हैं.

 

इसी के साथ कार्ड पर सितंबर, 2024 भी लिखा है. इस पोस्ट के कैप्शन में फोल्डिंग हैंड की इमोजी डाला है. इस पोस्ट पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज अनुपम खेर, सोनू सूद, सोनाक्षी सिन्हा, कृति सेनॉन, प्रियंका चोपड़ा सहित तमाम स्टार्स ने बधाई दी है. अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, सोनम कपूर, अभिषेक बच्चन ने भी इस जोड़े को बधाई दी है.

गौरतलब है कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने साल 2018 में शादी की थी और छह साल बाद ये कपल नए मेहमान के स्वागत की तैयारियों में जुट गए हैं. आपको बता दें कि दीपिका पादुकोण हाल ही में बाफ्टा अवॉर्ड्स फंक्शन में नजर आई थीं. इस अवॉर्ड्स से जुड़ा एक वीडियो फैंस के बीच वायरल हुआ था, जिसे देखने के बाद तमाम यूजर्स ने कयास लगाई थीं कि वह प्रेग्नेंट हैं और उन्होंने अपने बेबी बंप को साड़ी से छिपाया है. अब इस कपल ने यह खुशखबरी सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर भी की है.

बौलीवुड में रहा ऐंटी हीरोज का बोलबाला

हिंदी फिल्मों में एक हीरो की छवि अच्छे इंसान की होती है. फिल्मी इतिहास गवाह है कि फिल्म का हीरो बेहद अच्छा, रिश्तों को निभाने वाला, पौजिटिव, 10 गुंडों को अकेला पीटने वाला, दर्शकों का चहेता होता है और यही दर्शकों का प्यारा हीरो जब गुंडों से मार खाता है तो उस हीरो को प्यार करने वाले दर्शक अपने पसंदीदा हीरो को मार खाते हुए भी नहीं देख पाते. दर्शकों का प्यार ही होता है जो एक हीरो को सुपरस्टार के सफर तक ले जाता है.

लेकिन यही स्टार जिस में अपने अभिनय के जरीए कुछ अलग कर दिखाने की लालसा होती है तो वह अपनी इमेज से बाहर निकल कर खलनायक अर्थात ऐंटी हीरो बन कर भी दर्शकों को लुभाने आ जाता है.

अपने फैवरिट हीरो को खलनायक के रूप में देख कर भी दर्शक उस से नफरत नहीं कर पाते बल्कि एक ऐक्टर के तौर पर अलग तरह का किरदार निभाने के लिए उसे दर्शकों का और ज्यादा प्यार मिलने लगता है. जैसेकि हाल ही में प्रदर्शित रणबीर कपूर और बौबी देओल द्वारा अभिनीत फिल्म ‘ऐनिमल’ में दोनों ही हीरो नैगेटिव भूमिका में थे बावजूद इस के दर्शकों ने बतौर ऐंटी हीरो न सिर्फ रणबीर और बौबी को पसंद किया बल्कि इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर सफलता के सारे रिकौर्ड भी तोड़ दिए.

इस बात में भी कोई दोराय नहीं है कि सच्चा कलाकार वही होता है जो किरदारों में विभिन्नता पेश करे. आज के दौर में कलाकारों में अच्छा किरदार निभाने की होड़ के चलते ज्यादातर हीरोज इमेज की कैद से बाहर निकल गए हैं और अलग तरह का किरदार निभाने के लिए नायक से खलनायक बनने को भी तैयार हैं. जैसेकि शाहरुख खान, संजय दत्त, बौबी देओल, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह आदि कई ऐसे ऐक्टर हैं जिन्होंने नायक से खलनायक बन कर ढेर सारी लोकप्रियता बटोरी है.

पेश है, इसी पर खास नजर:

खलनायक का बोलबाला

अमिताभ बच्चन, संजय दत्त से ले कर शाहरुख खान, रणवीर सिंह, अक्षय कुमार तक ऐंटी हीरो की भूमिका निभाने के आकर्षण से कोई नहीं बच पाया.

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि हीरो का किरदार निभाने में जितना मजा आता है उस से कहीं ज्यादा नैगेटिव किरदार निभाने में मजा आता है. इस के पीछे खास वजह यह है कि ऐंटी हीरो या विलेन के किरदार में ऐक्टर को अपनी अभिनय क्षमता दिखाने का ज्यादा मौका मिलता है जैसेकि अमिताभ बच्चन ने फिल्म ‘डौन’ और ‘सत्ते पर सत्ता,’ ‘अग्निपथ’ फिल्मों में नैगेटिव किरदार निभा कर लोकप्रियता हासिल की थी.

शाहरुख का डर

इसी तरह जब शाहरुख खान ने बतौर ऐंटी हीरो फिल्म ‘बाजीगर’ में अपनी ही हीरोइन को छत से नीचे फेंक कर मौत के घाट उतार दिया था तो लोगों के मुंह से चीख निकल गई थी. शाहरुख खान यहीं नहीं रुके. उन्होंने फिल्म ‘डर’ में बतौर एंटी हीरो जहां जूही चावला को डराया, वही ‘अंजाम’ फिल्म में बतौर एंटी हीरो माधुरी दीक्षित को खून के आसू रुला दिया था. संजय दत्त फिल्म ‘खलनायक’ में नायक से खलनायक बन कर आए तो दर्शकों ने उन के इस रूप को भी बहुत पसंद किया. इस फिल्म के बाद संजय दत्त ने फिल्म ‘अग्निपथ’ में कांचा चीना का किरदार निभाया था जो आज भी लोगों के जेहन में है.

हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘के जी एफ 2’ में भी संजय दत्त खतरनाक विलेन की भूमिका में नजर आए. संजय दत्त की तरह अक्षय कुमार भी ‘2.0,’ ‘बच्चन पांडे,’ ‘ब्लू,’ ‘खिलाड़ी 420’ ‘अजनबी’ में ऐंटी हीरो की भूमिका में नजर आ चुके हैं. इसी तरह रणवीर सिंह बतौर खिलजी ‘पद्मावत’ फिल्म में, मनोज बाजपेई ‘सत्या’ और ‘बैंडिट क्वीन’ में, सैफ अली खान ‘ओमकारा,’ ‘आदि पुरुष,’ शाहिद कपूर फिल्म ‘कमीने’ में, विवेक ओबेराय ‘शूटआउट एट लोखंडवाला’ में. अजय देवगन फिल्म ‘खाकी,’ ‘कंपनी,’ ‘काल,’ में वरुण धवन ‘बदलापुर’ में, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ‘गैंग्स औफ वासेपुर,’ ‘किक,’ ‘साइको रमन,’ ‘हीरोपंती 2’ में, जौन अब्राहम ‘धूम’ और ‘पठान,’ अर्जुन रामपाल ‘धाकड़’ में नैगेटिव किरदार निभा चुके हैं.

दर्शकों की तालियां

कहने का तात्पर्य यह है कि बौलीवुड के ज्यादातर नामीगिरामी ऐक्टरों ने ऐंटीहीरो की नैगेटिव भूमिका निभाई है.

ऐसे में कहना गलत न होगा कि जिस तरह बुराई के बिना अच्छाई को कोई नहीं पहचान सकता उसी तरह किसी भी फिल्म में विलेन के बिना हीरो की कोई अहमियत नहीं है क्योंकि जब बुराई होगी तभी तो अच्छाई का पता चलेगा. जब विलेन को गालियां मिलेंगी तभी तो हीरो को तालियां मिलेंगी.

आने वाली फिल्मों में

सनी देओल जहां फिल्म ‘कसाई’ में नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे वहीं रणबीर कपूर द्वारा अभिनीत ‘रामायण’ फिल्म में साउथ ऐक्टर यश रावण के नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे.

सूत्रों के अनुसार रितिक रोशन ‘ब्रह्मास्त्र पार्ट 2’ में नैगेटिव किरदार देवा के रूप में नजर आएंगे. बौबी देओल आने वाली साउथ फिल्म जो हिंदी में भी बनेगी ‘हरा हरण बीरा मल्लू’ में विलेन के किरदार में नजर आएंगे.

इस फिल्म के साथसाथ साउथ की एक और फिल्म ‘कनबूबा’ है जो एक पीरियड फिल्म है इस फिल्म में भी बौबी देओल नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे. संजय दत्त फिल्म ‘द वर्जनत्री’ में विलेन के किरदार में नजर आएंगे. ‘एनिमल पार्क पार्ट 2’ में ‘ऐनिमल’ के ही विलेन रणबीर कपूर नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे. सैफ अली खान भी फिल्म ‘देवारा’ में नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे. हीरो अर्जुन कपूर भी ‘सिंघम अगेन’ में नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे. मोहित सूरी के डाइरैक्शन में बनी फिल्म ‘साइको’ में अक्षय कुमार नैगेटिव किरदार में नजर आएंगे.   –

सिनेमा आइकन अनिल कपूर की यात्रा, देखें उनके फिल्मों की कुछ रोमांटिक तस्वीरें

सिनेमा आइकन अनिल कपूर ने कुछ प्रतिष्ठित किरदारों के साथ इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. कपूर चार दशकों से अधिक समय से अपना आकर्षण फैलाने के लिए मशहूर हैं. उन्हें अपने पूरे करियर में विभिन्न प्रकार के आकर्षक किरदार निभाने की उनकी क्षमता के लिए प्यार और प्रशंसा मिली है. एनिमल और फाइटर में अपने हालिया दमदार अभिनय के अलावा, कपूर कई फीमेल फैंस के हार्टरॉब थे, जो उनके रोमांटिक अभिनय से बहुत आकर्षित थीं. इस वैलेंटाइन डे पर, आइए यादों की गलियों में चलते हैं और मेगास्टार की कुछ प्रतिष्ठित रोमांटिक भूमिकाओं के बारे में बात करते हैं.

अनिल कपूर अपने अभिनय और बेहतरीन एंग्री यंग मैन की भूमिकाओं के साथ-साथ रोमांटिक हीरो भी हैं. रोमांटिक कॉमेडी “चमेली की शादी” में कपूर ने चंद्रा की भूमिका निभाई है, जो अमृता सिंह द्वारा अभिनीत चमेली से प्यार करने लगता है, जो भारत की जाति व्यवस्था पर एक व्यंग्य है.

anil kapoor

कपूर का “लाडला” में राज “राजू” वर्मा का किरदार और “मिस्टर इंडिया” में श्रीदेवी के साथ उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री, जिसमें उन्होंने अरुण की भूमिका निभाई है, प्रतिष्ठित रोमांटिक पलों के रूप में सामने आते हैं, खासकर रोमांटिक कर देने वाला गाना “काटें नहीं कटते”.

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अनिल कपूर के ट्रैजेक्टरी में टाइमलेस क्लासिक, “1942: ए लव स्टोरी” भी शामिल है, जिसमें “कुछ ना कहो” और “एक लड़की को देखा” जैसी रोमांटिक मेलोडिस शामिल हैं, जिन्हें रेडियो चार्ट पर सराहा गया है. “पुकार” में उनका प्रदर्शन रोमांटिक भूमिकाओं में उनके कौशल को दर्शाता है, विशेष रूप से स्थायी हिट “सुनता है मेरा खुदा” में. कपूर की बहुमुखी प्रतिभा रोमांटिक आकर्षण के साथ कॉमेडी जॉनर का मिश्रण करने में चमकती है. “वेलकम” में मजनू भाई और “हमारा दिल आपके पास है” में एक पति और पिता के रूप में उनकी भूमिकाओं और “बधाई हो बधाई” में एकतरफा प्यार को दर्शाने में झलकती है.

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अपने शानदार करियर में सिनेमा आइकन अनिल कपूर ने प्रतिष्ठित रोमांटिक भूमिकाओं और अभिनय में अपनी बहुमुखी प्रतिभा और आकर्षण का प्रदर्शन किया है. “चमेली की शादी” से लेकर “1942: ए लव स्टोरी” तक, कपूर भारतीय सिनेमा में एक टाइमलेस रोमांटिक आइकन बने हुए हैं, जो स्क्रीन पर अपनी प्रेजेंस से आज भी दर्शकों को एंटरटेन कर रहे हैं.

ऋतिक रोशन की एक्स वाइफ Sussanne Khan बॉयफ्रेंड के साथ हुई कोजी, देखें Video

Sussanne Khan: ऋतिक रोशन की एक्स वाइफ सुजैन खान अक्सर सुर्खियों में छायी रहती है. तलाक के बाद भी दोनों अच्छे दोस्त रहे हैं. सुजैन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, वह अक्सर फोटोज और वीडियोज शेयर करती नजर आती हैं. जिन्हें फैंस खूब पसंद करते हैं.

बॉयफ्रेंड के साथ सुजैन हुई कोजी

अब सुजैन ने वैलेंटाइन डे पर कुछ स्पेशल मोमेंट शेयर किया है. उन्होंने बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी के साथ फोटोज शेयर की है, वो उन पर प्यार लुटाते नजर आ रही हैं. यह काफी रोमांटिक वीडियो है.इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सुजैन खान अपने बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी के साथ कोजी होती नजर आ रही हैं. वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ रोमांटिक पलों को एंजॉय करते नजर आ रही हैं.

वैलेंटाइन डे पर शेयर किया ये वीडियो

इस वीडियो में आप ये भी देख सकते हैं कि सुजैन खान और अर्सलान गोनी कभी बाइक राइड का मजा लेते नजर आ रहे हैं तो कभी कार में चिल करते नजर आ रहे हैं. ये कपल अपने पलों को काफी एंजॉय कर रहे हैं.सुजैन खान ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि ‘मेर प्यार हर दिन वैलेंटाइन डे है… क्योंकि आप मुझे हर दिन अपना जादू दिखाते हैं. Thank You For Everything.

 

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आपको बता दें कि ऋतिक रोशन कथित तौर पर सबा आजाद को डेट कर रहे हैं, तो वहीं सुजैन खान अर्सलान गोनी को डेट कर रही हैं. ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने साल 2000 में शादी की थी.दोनों के दो बच्चे रिहान और रिदान भी हैं. इन्होंने साल 2014 में तलाक भी ले लिया था. हालांकि अभी भी बच्चों के कारण दोनों के अच्छे रिश्ते हैं. ,

सैक्स पर बात करने में शर्म क्यों: यामी गौतम

2008 में टीवी से अपना अभिनय कैरियर शुरू करने वाली यामी गौतम ने 2012 में ‘विकी डोनर’ जैसी हिट फिल्म दे कर बड़े परदे पर अपने कैरियर शुरुआत की थी. उस के बाद यामी ने रितिक रोशन के साथ ‘काबिल’ फिल्म की, जिस में उन्होंने अंधी लड़की की भूमिका निभाई थी. उस के बाद ‘बदलापुर,’ ‘ए थर्सडे,’ ‘लास्ट,’ ‘दसवीं,’ ‘चोर निकल के भागा’ आदि कई फिल्में दे कर अभिनय क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई.

हाल ही में यामी की प्रदर्शित फिल्म ‘ओ माय गौड 2’ मैं वे वकील के किरदार में नजर आईं. ‘ओएमजी 2’ में अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी मुख्य भूमिका में थे, जिन के साथ बतौर वकील यामी गौतम ने कांटे की टक्कर दी. ‘ओएमजी 2’ सैक्स ऐजुकेशन के अहम विषय को ले कर बनाई गई एक सशक्त फिल्म है, जिसे दर्शको द्वारा सराहा गया. यामी के मुताबिक स्कूलों में बच्चों के लिए सैक्स ऐजुकेशन कितनी जरूरी है, अपनी आने वाली फिल्मों को ले कर उन का क्या कहना है, ऐसे ही कई दिलचस्प सवालों के जवाब दिए खूबसूरत यामी अपने खूबसूरत अंदाज में:

‘ओएमजी 2’ की सफलता आप के लिए कितना माने रखती है जबकि काफी टाइम बाद सिनेमा घर में यह आप की हिट फिल्म है?

मुझे खुशी है कि दर्शकों को यह फिल्म पसंद आई. लेकिन मैं अगर अपनी बात करूं तो मेरे लिए हर फिल्म सिर्फ फिल्म है, मैं कोई भी फिल्म ओटीटी यह थिएटर के हिसाब से साइन नहीं करती. यह तो निर्माता तय करते हैं कि फिल्म को ओटीटी पर रिलीज करना है या सिनेमा घर में. मेरी तो सिर्फ यह कोशिश रहती है कि मेरी फिल्म की कहानी और मेरा रोल अच्छा हो. फिल्म थिएटर पर रिलीज करने को ले कर निर्माता का पूरा एक कैलकुलेशन होता है उस में मैं कुछ नहीं कर सकती. दर्शक तो दोनों ही जगह एक हैं. मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती हूं.

‘ओएमजी 2’ में आप का किरदार वकील का था जिस ने सैक्स को ले कर खुल कर बात की है. आप यह किरदार निभाते वक्त कितनी सहज थीं?

मुझे अपना किरदार निभाने में जरा भी असहजता महसूस नहीं हुई क्योंकि मेरे द्वारा बोले गए संवाद या बहस बहुत ही खूबसूरत तरीके से लिखी गई थी और यह एक दायरे में सीमित थी. मैं ने महिलाओं और उन की समस्याओं को ले कर पहले भी कुछ बोला है.

मेरा किरदार वही बोल रहा था जो सोसाइटी का एक स्ट्रक्चर है, मैं अपनी जगह सही थी और सामने वाला वकील अपनी जगह सही था. हमारी बहस बहुत सहज तरीके से हुई. मुझे वकील का किरदार निभा कर बहुत मजा आया.

आप के मुताबिक आज के समय में स्कूलों में सैक्स ऐजुकेशन कितनी जरूरी है?

आज के जो हालात हैं उन में बच्चों के लिए सैक्स ऐजुकेशन बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि इस से बच्चे गुमराह होने से बचेंगे. सही जानकारी मिलने के बाद वे सतर्क भी रहेंगे. आधीअधूरी जानकारी मिलने से बच्चे गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं और उन के दिमाग पर जो गलत असर होता है वह जिंदगीभर के लिए मुसीबत बन जाता है.

आज सोशल मीडिया पर हर चीज के लिए आप को ज्ञान दिया जाता है. लेकिन सैक्स ऐजुकेशन को ले कर लोग ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते, जबकि सही जानकारी न मिलने पर बच्चों को अपने अंदर कमी नजर आती है और वहीं वे हीनभावना का शिकार हो जाते हैं. फिल्म में भी हम सहीगलत नहीं सम?ा रहे बल्कि सही ज्ञान देने की बात कर रहे हैं. बाकी शिक्षा की तरह अगर सैक्स से संबंधित सही शिक्षा मिलेगी तो नई पीढ़ी के साथ एक बदलाव जरूर आएगा.

‘विकी डोनर’ फिल्म से ‘ओएमजी 2’ तक आप ने काफी सारे सैंसिटिव किरदार निभाए हैं. फिल्मों में अपना किरदार चुनते वक्त आप क्या खास सावधानी बरतती हैं?

मेरी यही कोशिश रहती है कि फिल्म का विषय भले ही हंसाने वाला हो, रुलाने वाला हो या सैंसिटिव हो, लेकिन उस में मुझे अपना किरदार कंफर्टेबल लगना चाहिए. मैं जो रोल करने में सहज महसूस नहीं करती वह फिल्म साइन नहीं करती हूं. फिल्मों में सैंसर से ज्यादा मेरे दिमाग में सैंसर रहता है जो मुझे गाइड करता है कि मुझे क्या करना है और क्या नहीं.

फिल्म ‘थर्सडे’ में आप का किरदार एक सशक्त महिला का किरदार है. इस के अलावा भी आप ने अपने कैरियर में कई अलग किरदार निभाए हैं. शुरुआत से ले कर अब तक आप के अभिनय कैरियर में जो बदलाव आया है उसे कैसे देखती हैं?

यह बदलाव तो मैं हमेशा से देखती आ रही हूं. जब मैं ने कैरियर की शुरुआत की थी तब से ले कर आज तक. शुरुआत में अपनेआप को स्थापित करने में वक्त लगता है. अच्छे रोल मिलना मुश्किल होता है. लेकिन बाद में मुझे जब अच्छे रोल मिलने लगे तो मैं अपने किरदारों को ऐंजौए करने लगी. शुर…

तभी जब पतिपत्नी

स्वतंत्र हों परंपरागत बेडि़यों को तोड़ना आवश्यक है, जब पतिपत्नी दोनों सूझबूझ से काम लें…

रिद्धिमा अकसर बीमार रहने लगी है. मनोज के साथ उस की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए हैं, मगर ससुराल में शुरू के 1 साल ठीकठाक रहने के बाद वह मुर?ाने सी लगी. शादी से पहले रिद्धिमा एक सुंदर, खुशमिजाज और स्वस्थ लड़की थी. अनेक गुणों और कलाओं से भरी हुई लड़की. लेकिन शादी कर के जब वह मनोज के परिवार में आई तो कुछ ही दिनों में उसे वहां गुलामी का एहसास होने लगा. दरअसल, उस की सास बड़ी तुनकमिजाज और गुस्से वाली है.

वह उस के हर काम में नुक्स निकालती है. बातबात पर उसे टोकती है. घर के सारे काम उस से करवाती है और हर काम में तमाम तानेउलाहने देती है कि तेरी मां ने तु?ो यह नहीं सिखाया, तेरी मां ने तु?ो वह नहीं सिखाया, तेरे घर में ऐसा होता होगा हमारे यहां ऐसा नहीं चलेगा जैसे कटु वचनों से उस का दिल छलनी करती रहती है.

रिद्धिमा बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती है मगर उस की सास और ननद को उस के हाथ का बना खाना कभी अच्छा नहीं लगा. वह उस में कोई न कोई कमी निकालती ही रहती है. कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा का राग अलापती है. शुरू में ससुर ने बहू के कामों की दबे सुरों में तारीफ की मगर पत्नी की चढ़ी हुई भृकुटि ने उन्हें चुप करा दिया. बाद में तो वे भी रिद्धिमा के कामों में मीनमेख निकालने लगे.

रिद्धिमा का पति मनोज सब देखता है कि उस की पत्नी पर अत्याचार हो रहा है मगर मांबाप और बहन के आगे उस की जबान नहीं खुलती. मनोज के घर में रिद्धिमा खुद को एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती है और वह भी बिना तनख्वाह की. इस घर में वह अपनी मरजी से कुछ नहीं कर सकती है.

ऐसी सोच क्यों

यहां तक कि अपने कमरे को भी यदि रिद्धिमा अपनी रुचि के अनुसार सजाना चाहे तो उस पर भी उस की सास नाराज हो जाती है और कहती है कि इस घर को मैं ने अपने खूनपसीने की कमाई से बनाया है, इसलिए इस में परिवर्तन की कोशिश भूल कर भी मत करना. मैं ने जो चीज जहां सजाई है वह वहीं रहेगी.

रिद्धिमा की सास ने हरकतों और अपनी कड़वी बातों से यह जता दिया है कि घर उस का है और उस के मुताबिक चलेगा. यहां रिद्धिमा या मनोज की पसंद कोई मतलब नहीं रखती है.

5 साल लगातार गुस्सा, तनाव और अवसाद में ग्रस्त रिद्धिमा आखिरकार ब्लडप्रैशर की मरीज बन चुकी है. इस शहर में न तो उस का मायका है और न दोस्तों की टोली, जिन से मिल कर वह अपने तनाव से थोड़ा मुक्त हो जाए. उस की तकलीफ दिनबदिन बढ़ रही है. सिर के बाल ?ाड़ने लगे हैं. चेहरे पर ?ांइयां आ गई हैं.

सजनेसंवरने का शौक तो पहले ही खत्म हो गया था अब तो कईकई दिन कपड़े भी नहीं बदलती है. सच पूछो तो वह सचमुच नौकरानी सी दिखने लगी है. काम और तनाव के कारण 3 बार मिसकैरिज हो चुका है. बच्चा न होने के ताने सास से अलग सुनने पड़ते हैं. अब तो मनोज की भी उस में दिलचस्पी कम हो गई है. उस की मां जब घर में टैंशन पैदा करती है तो उस की खीज वह रिद्धिमा पर निकालता है.

परंपरा के नाम पर शोषण

वहीं रिद्धिमा की बड़ी बहन कामिनी जो शादी के बाद से ही अपने सास, ससुर, देवर और ननद से दूर दूसरे शहर में अपने पति के साथ अपने घर में रहती है, बहुत सुखी, संपन्न और खुश है. चेहरे से नूर टपकता है. छोटीछोटी खुशियां ऐंजौए करती है. बातबात पर दिल खोल कर खिलखिला कर हंसती है. कामिनी जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही है. अपने घर की और अपनी मरजी की मालकिन है.

उस के काम में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है. अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार अपना घर सजाती है. घर को डैकोरेट करने के लिए अपनी पसंद की चीजें बाजार से लाती है. पति भी उस की रुचि और कलात्मकता पर मुग्ध रहता है. बच्चों को भी अपने अनुसार बड़ा कर रही है. इस आजादी का ही परिणाम है कि कामिनी उम्र में बड़ी होते हुए भी रिद्धिमा से छोटी और ऊर्जावान दिखती है.

दरअसल, महिलाओं के स्वास्थ्य, सुंदरता, गुण और कला के विकास के लिए शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहना ही ठीक है. सास, ससुर, देवर, जेठ, ननदों से भरे परिवार में उन की स्वतंत्रता छिन जाती है.  हर वक्त एक अदृश्य डंडा सिर पर रहता है. उन पर घर के काम का भारी बोझ होता है. काम के बोझ के अलावा उन के ऊपर हर वक्त पहरा सा लगा रहता है.

हर वक्त पहरा क्यों

सासससुर की नजरें हर वक्त यही देखती रहती हैं कि बहू क्या कर रही है. अगर घर में ननद भी हो तो सास शेरनी बन कर बहू को हर वक्त खाने को तैयार रहती है. बेटी की तारीफ और बहू की बुराइयां करते उस की जबान नहीं थकती. ये हरकतें बहू को अवसादग्रस्त कर देती हैं. जबकि पति के साथ अलग रहने पर औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है. वह अपने निर्णय स्वयं लेती है. अपनी रुचि से अपना घर सजाती है.

अपने अनुसार अपने बच्चे पालती है और पति के साथ भी रिश्ता अलग ही रंग ले कर आता है. पतिपत्नी अलग घर में रहें तो वहां काम का दबाव बहुत कम होता है. काम भी अपनी सुविधानुसार और पसंद के अनुरूप होता है. इसलिए कोई मानसिक तनाव और थकान नहीं होती.

बच्चों पर बुरा असर

घर में ढेर सारे सदस्य हों तो बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है. उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सहीगलत की राय देता है, जिस से वे कन्फ्यूज हो कर रह जाते हैं. वे अपनी सोच के अनुसार सहीगलत का निर्णय नहीं ले पाते. एकल परिवार में सिर्फ मातापिता होते हैं जो बच्चे से प्यार भी करते हैं और उसे समझते भी हैं, तो बच्चा अपने फैसले लेने में कन्फ्यूज नहीं होता और सहीगलत का निर्णय कर पाता है.

लेकिन जहां ससुराल में सासबहू की आपस में नहीं बनती है तो वे दोनों बच्चों को 2 एकदूसरे के खिलाफ भड़काती रहती हैं. वे अपनी लड़ाई में बच्चों को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं.

इस से बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. उन का विकास प्रभावित होता है. देखा गया है कि ऐसे घरों के बच्चे बहुत उग्र स्वभाव के, चिड़चिड़े, आक्रामक और जिद्दी हो जाते हैं. उन के अंदर अच्छे मानवीय गुणों जैसे मेलमिलाप, भाईचारा, प्रेम और सौहार्द की कमी होती है. वे अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते.

अपना घर तो खर्चा कम

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अपने घर में रहें तो खर्च कम होने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होता है. मनोज का ही उदाहरण लें तो यदि किसी दिन उस को मिठाई खाने का मन होता है तो  सिर्फ अपने और पत्नी के लिए नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार के लिए मिठाई खरीदनी पड़ती है.

पत्नी के लिए साड़ी लाए तो उस से पहले मां और बहन के लिए भी खरीदनी पड़ती है. पतिपत्ती कभी अकेले होटल में खाना खाने या थिएटर में फिल्म देखने नहीं जाते क्योंकि पूरे परिवार को ले कर जाना पड़ेगा. जबकि कामिनी अपने पति और दोनों बच्चों के साथ अकसर बाहर घूमने जाती है. वे रेस्तरां में मनचाहा खाना खाते हैं, फिल्म देखते हैं, शौपिंग करते हैं. उन्हें किसी बात के लिए सोचना नहीं पड़ता.

ऐसे अनेक घर हैं जहां 2 या 3 भाइयों की फैमिली एक ही छत के नीचे रहती है. वहां आए दिन ?ागड़े और मनमुटाव होती है. घर में कोई खाने की चीज आ रही है तो सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि भाइयों के बच्चों के लिए भी लानी पड़ती है. सभी के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. यदि परिवार में कोई कमजोर है तो दूसरा ज्यादा खर्च नहीं करता ताकि उसे बुरा महसूस न हो.

मनोरंजन का अभाव

ससुराल में आमतौर पर बहुओं के मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. उन्हें किचन और बैडरूम तक सीमित कर दिया जाता है. घर का टीवी अगर ड्राइंगरूम में रखा है तो उस जगह सासससुर और बच्चों का कब्जा रहता है. बहू अगर अपनी पसंद का कोई कार्यक्रम देखना चाहे तो नहीं देख सकती है.

अगर कभी पतिपत्नी अकेले कहीं जाना चाहें तो सब की निगाहों में सवाल होते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कब तक आओगे? इस से बाहर जाने का उत्साह ही ठंडा हो जाता है.

ससुराल में बहुएं अपनी सहेलियों को घर नहीं बुलातीं, उन के साथ पार्टी नहीं करतीं, जबकि पतिपत्नी अलग घर में रहें तो दोनों ही अपने फ्रैंड्स को घर में बुलावे करते हैं, पार्टियां देते हैं और खुल कर ऐंजौए करते हैं.

जगह की कमी

एकल परिवारों में जगह की कमी नहीं रहती. वन बैडरूम फ्लैट में भी पर्याप्त जगह मिलती है. कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है. बहू खाली वक्त में ड्राइंगरूम में बैठे या बालकनी में, सब जगह उस की होती है, जबकि सासससुर की उपस्थिति में बहू अपने ही दायरे में सिमट जाती है. बच्चे भी दादादादी के कारण फंसाफंसा अनुभव करते हैं. खेलें या शोरगुल करें तो डांट पड़ती है.

स्वतंत्रता खुशी देती है

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अलग घर ले कर रहें तो वहां हर चीज, हर काम की पूरी आजादी रहती है. किसी की कोई रोकटोक नहीं होती. जहां मन चाहा वहां घूम आए. जो मन किया वह बनाया और खाया. पकाने का मन नहीं है तो बाजार से और्डर कर दिया. जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनें.

सासससुर के साथ रहने पर नौकरीपेशा महिलाएं उन की इज्जत का खयाल रखते हुए साड़ी या चुन्नी वाला सूट ही पहनती हैं, जबकि स्वतंत्र रूप से अलग रहने वाली औरतें सुविधा और फैशन के अनुसार जींसटौप, स्कर्ट, मिडी सब पहन सकती हैं. घर में पति के साथ अकेली हैं तो नाइट सूट या सैक्सी नाइटी में रह सकती हैं.

Republic Day 2024: सारा खान से लेकर मोनिका सिंह तक, इस बार ऐसे मनाएंगे गणतंत्र दिवस

इस वर्ष 2024 में भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है, जो अपने आप में एक बड़ी बात है. इसी दिन वर्ष 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था. इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी हिंदी मनोरंजन की दुनिया के सेलेब्स इस दिन को अच्छी तरह से मना रहे हैं, क्या कहते हैं, जानें

किरण खोजे

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फिल्म हिंदी मीडियम फेम अभिनेत्री किरण खोजे कहती हैं कि मैं भारत की नागरिक होने पर गर्व महसूस करती हूं. यह एक ऐसा देश है, जहां हर प्रकार की संस्कृति है, जिसमे कई प्रकार के उत्सव, डांस, संगीत का आनंद लिया जा सकता है. इस देश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जहाँ हर तरह की प्राकृतिक सुन्दरता देखने को मिलती है. ये देश बहुत अनोखा है, यहां हर प्रकार के फ़ूड खाने को मिलते है, जो और कहीं मिल नहीं सकता. हर 10 से 15 किलोमीट पर फ़ूड और पहनावे में यहाँ एक नया एक्सपीरियंस होता है. यहां की इतनी सारी अलग भाषाएँ सुनना मुझे बहुत पसंद होता है, लेकिन एक चीज जो मुझे यहां की पसंद नहीं होती, वह है भ्रष्टाचार, जो एक यूनिवर्सल इशू है, इसे अगर ठीक किया जा सकता है, तो इस देश से अच्छी और सुकून भरी जिंदगी कही नहीं मिल सकती.

सचिन पारिख

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अभिनेता सचिन पारिख कहते है कि इस दिन केवल मैं ही नहीं मेरा पूरा परिवार कही बाहर घूमने जाना पसंद करते है. मुझे ख़ुशी इस बात से होती है कि इस देश की प्राकृतिक सुन्दरता बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ हर प्रकार के लैंडस्केप मिलते है. पहाड़ और वर्फ से लेकर मरुस्थल हर स्थान पर एक अलग दृश्य देखने को मिलता है. इस बार गणतंत्र दिवस डायमंड जुबली मनाने जा रहे है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैं देश का नागरिक हूँ. हालांकि देश ने काफी प्रगति की है, लेकिन आगे और अधिक होने की उम्मीद कर रहा हूँ.

मोनिका सिंह

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एक्ट्रेस मोनिका सिंह कहती है कि मुझे देश की इतने सारे पर्व, फ़ूड और पहनावे की वैरायटी बहुत पसंद है. यहाँ हर जगह के खाने में एक अलग तरह का प्यार झलकता है, जो वहां के लोगों के रहन – सहन को बताती है, लेकिन यहां कचरे का अच्छी तरह से मैनेजमेंट अभी भी नहीं हो पाया है, जिसे करने पर देश अधिक अच्छा बन सकेगा.

गुरप्रीत सिंह

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टीवी शो चांद जलने लगा में अभिनय कर रहे अभिनेता गुरप्रीत सिंह कहते है कि इतनी सारी संस्कृति के साथ इस देश में रहते हुए मैं बहुत प्राउड फील करता हूँ. खुद के भावनाओं की अभिव्यक्त करने की आजादी के इस पर्व को मैं सेलिब्रेट करना हर साल पसंद करता हूँ, लेकिन अभी भी हमारे देश में कुछ खामियां है, जिसे ठीक करना बहुत जरुरी है, जिसमे यूथ के लिए अधिक जॉब क्रिएट करना, सभी रास्तों को दुरुस्त बनाना आदि कई चीजे है, जिसे ठीक करने पर देश की जनता अच्छी रह सकती है. इसके अलावा भ्रष्टाचार को ख़त्म करना और लीगल सिस्टम में तेजी लाने से ही सकारात्मक बदलाव देश में अधिक दिख सकेगा.

यशाश्री मासुरकर

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खूबसूरत अदाकारा यशाश्री मासुरकर कहती है कि देश का इतिहास और संस्कृति मुझे एक प्राउड इंडियन फील कराती है. हमारे देश के लोग किसी का आदर सत्कार करना बहुत अच्छी तरह से जानते है, लेकिन एक बात जो मुझे यहाँ की पसंद नहीं वह है, अनुसाशन. हालाँकि अभी हमारे देश में उचित संसाधनों की कमी है, लेकिन अगर लोग डिसिप्लिन में रहे, तो हमारी लाइफ अधिक बेहतर हो सकती है.

सारा खान

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अभिनेत्री सारा कहती है कि मैं ऐसे देश में रहती हूँ जहाँ की संस्कृति और परंपरा बहुत अच्छी है. यहाँ की सुरक्षा और बचाव की प्रक्रियां पहले से काफी सुधर चुकी है. इसके आगे मेरा कहना है कि देश के हर नागरिक के माइंड सेट को बदलने की आवश्यकता है, जिसमे देश की उन्नति, सबके प्रति सम्मान और समान भाव बनाये रखने की भावना होनी चाहिए.

फिल्मों में इंटिमेट सीन्स का क्या है राज

आज की फिल्मों या वैबसीरीज में किसिंग सीन या इंटिमेट सीन्स का होना कोई बड़ी बात नहीं है. सभी स्टार्स प्यार को दर्शाने के लिए किसिंग सीन को नौर्मल मानते हैं और इसे करने में वे हिचकिचाते नहीं क्योंकि उन्हें लगता है कि इस दृश्य के न होने पर फिल्म की कहानी अधूरी लगेगी.

एक इंटरव्यू में अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने कहा है कि जब पहली बार उन्हें एक इंटिमेट बैड सीन करने के लिए कहा गया, तो उन्हें बहुत अजीब सी फीलिंग हुई थी और उस दृश्य को करने के लिए उन्होंने कुछ समय मांगा और बाद में किया, लेकिन उन की शर्त यह रही कि निर्देशक को एक बार में दृश्य को शूट करना है. वह रीटेक नहीं देगी.

दर्शक इन दृश्यों को पैसा वसूल मानते आए हैं. आज लगभग हर फिल्म में किसिंग सीन तो देखते ही होंगे और जब फिल्म इमरान हाशमी की हो, तो इस में बिना किस के फिल्म पूरी ही नहीं होती, लेकिन सवाल यह उठता है कि फिल्म में ये सीन कैसे शूट किए जाते हैं. डाइरैक्टर और क्रू मैंबर्स के सामने अभिनेत्रियां कैसे आसानी से किसिंग या बैड सीन दे देती हैं. आइए, जानते हैं:

डबल बौडी का प्रयोग

ऐसे अंतरंग दृश्यों के बारे में निर्देशक पहले से ही अभिनेत्री को बता देते हैं ताकि वह भी मानसिक रूप से तैयार रहे. अगर कोई ऐक्ट्रैस इसे करने से मना करती है तो डबल बौडी का प्रयोग किया जाता है, जिस की तैयारी निर्देशक पहले से ही कर लेते हैं ताकि शूटिंग में किसी प्रकार की बाधा न हो. इस के अलावा इंटिमेट सीन्स की शूटिंग के लिए निर्देशक इंटिमेसी स्पैशलिस्टों की सेवाएं लेने और वर्कशौप करने से ले कर शूटिंग के समय सुरक्षित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ताकि कलाकारों को किसी तरह की असहजता महसूस न हो.

कलाकारों में अच्छी कैमिस्ट्री

फिल्म निर्माता अलंकृता श्रीवास्तव और सिनेमाटोग्राफर जय ओ?ा ने फिल्म ‘मेड इन हैवेन’ की शूटिंग के दौरान कलाकारों के बीच विश्वास का भाव पैदा करने और बारबार रीटेक से बचने के बारे में विस्तार से कलाकारों से बातचीत की, उन के बीच में एक कैमिस्ट्री तैयार की ताकि सीन्स को फिल्माते वक्त वे असहज न हों. ‘मार्गरीटा विद ए स्ट्रा’ की शूटिंग से पहले निर्देशक शोनाली बोस ने तय कर लिया था कि उन के कलाकार खुद को सुरक्षित महसूस करें. इसलिए कल्कि और सयानी गुप्ता ने बोस के साथ इंटिमेसी वर्कशौप की. जिस दिन सयानी गुप्ता को अपनी शर्ट उतारनी थी, उस समय सैट पर कुछ महिलाएं ही थीं. बोस ने भी शर्ट उतार दी और कमर पर एक तौलिया बांधा. इस से दोनों के बीच में हिचकिचाहट में कमी आई और सीन शूट करना आसान हुआ.

नहीं होता आसान

अभिनेत्री अनुप्रिया गोयंका से इंटिमेट सीन्स की सहजता के बारे में पूछने पर बताया कि कोई भी इंटिनेट सीन को शूट करना आसान नहीं होता, उस में अंतरंगता की फीलिंग लानी पड़ती है, जिस के लिए इंटिमेसी स्पैशलिस्ट होते हैं, जो उस सीन की कोरियोग्राफी करते हैं, जिस से उस सीन को फिल्माना आसान होता है. इन सीन्स को फिल्माते वक्त अधिकतर एक छोटी टीम होती है ताकि कलाकार को असहजता महसूस न हो. केवल एक्ट्रैस ही नहीं ऐक्टर भी कई बार ऐसे सीन्स करने में सहम जाते हैं.

अभिनेत्री तापसी पन्नू की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ में तापसी, विक्रांत मेसी और हर्षवर्धन के साथ इंटिमेट सीन्स करती हुई दिखी थीं, जिस में दोनों ऐक्टर सहमे हुए थे कि ये दृश्य वे कैसे शूट करेंगे, लेकिन तापसी ने उन्हें बातचीत कर सहज किया और दृश्य को फिल्माया गया.

रजामंदी जरूरी

हिंदी फिल्म निर्देशक अशोक मेहता कहते हैं कि फिल्म की कहानी को बताते हुए ऐक्ट्रैस को पहले से सीन के बारें में बताया जाता है. अगर उस ने उसे करने से मना किया तो डबल बौडी का प्रयोग होता है, जिस में एक लैटर लिख कर अभिनेत्री और डबल बौडी करने वाले के साइन कराए जाते हैं ताकि बाद में ऐक्ट्रैस आरोप न लगाए कि उस दृश्य के बारे में उसे पता नहीं था. अगर कोई ऐक्ट्रैस अधिक समस्या करती है तो उस सीन को हटा भी दिया जाता है. फिल्मों से अधिक यह समस्या ओटीटी पर होती है.

तकनीक का प्रयोग

तकनीक का प्रयोग भी ऐसे सीन्स के लिए किया जाता है, जिस में डबल बौडी के साथ उसे शूट कर उस में अभिनेत्री का फेस लगा दिया जाता है.

अशोक मेहता कहते हैं कि कई बार ऐक्ट्रैस पहले इंटिमेट सीन्स को शूट तो कर लेती है, लेकिन बाद में परिवार वालों या बौयफ्रैंड के पूछने पर साफ इनकार भी कर देती है कि उस ने ये सीन्स नहीं दिए हैं और निर्मातानिर्देशक पर आरोप लगाती है, जिस से समस्या आती है. बड़े प्रोडक्शन हाउस को इस से अधिक फर्क नहीं पड़ता, लेकिन छोटे निर्माता, निर्देशक को कोर्ट तक जाना पड़ता है, जिस का सैटलमैंट अधिक पैसे से करना पड़ता है या सीन को हटाना पड़ता है.

इंडस्ट्री में आई नई या 2-3 फिल्में कर चुकी ऐक्ट्रैस के साथ अधिकतर ऐसी समस्या है. कई बार कुछ इंटिमेट सीन्स की जरूरत खास कहानी के लिए होती है. मसलन, फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में ?ारने के पानी में मंदाकिनी का नहाना और बच्चे को स्तनपान कराने वाले दृश्य की वजह से फिल्म हिट हुई. लोग उसी को देखने हौल तक अधिक गए. तब जमाना अलग था. आज के समय में इंडियन फिल्म इंडस्ट्री इंटिमेट सीन्स के मामले में वास्तविकता के बेहद करीब पहुंच गई है. ‘मेड इन हेवन,’ ‘फोर मोर शौट्स प्लीज’ और ‘सैक्रेड गेम्स’ आदि वैबसीरीज और ‘जिस्म,’ ‘मर्डर’ जैसी फिल्मों में यह देखा जा सकता है. फिल्म इंडस्ट्री में सभी इसे खुले दिल से स्वीकार कर रहे हैं और इसे हिट भी करवा रहे हैं.

इल्यूजन को करते हैं क्रिएट

आज अगर कोई अभिनेता या अभिनेत्री बोल्ड सीन्स करने से मना कर दे, तो कई बार टीम के क्रू को इल्यूजन क्रिएट करना पड़ता है यानी ब्यूटी शौट्स से काम चलाना पड़ता है. सिनेमैटोग्राफी की कुछ ऐसी तकनीक का प्रयोग करना पड़ता है, जिस से बिना कुछ हुए भी दर्शकों को लगता है कि बहुत कुछ हुआ है. ब्यूटी शौट्स यानी हग करना, किस करना, हाथों में हाथ डालना या फिर कैमरा ऐंगल ऐसे रखना, जिस के जरीए बौडी पार्ट्स को कवर किया जा सके. ये सभी सिनेमैटोग्राफी तकनीक होती हैं, जिसे वे रियल लुक देती हैं. बैड पर साटिन की बैडशीट्स यूज की जाती हैं और उन से ढक कर केवल इल्यूजन क्रिएट किया जाता है.

लेते हैं क्रोमा शौट्स

अगर कोई भी अभिनेता या अभिनेत्री ऐसे सीन्स करने में असहज फील करते हैं, तो निर्देशक क्रोमा शौट्स भी लेते हैं. क्रोमा यानी नीले या हरे रंग का कोई कवर जिसे बाद में गायब कर दिया जाता है जैसे ऐक्टर और ऐक्ट्रैस को किसिंग सीन से आपत्ति है तो उन के बीच सब्जी जैसे लौकी या कद्दू रख दिया जाता है. ग्रीन कलर होने के कारण लौकी क्रोमा का काम करती है. दोनों लौकी को किस करते हैं और पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान उसे गायब कर दिया जाता है.

रखनी पड़ती है शारीरिक दूरी

इस के अलावा कोई भी बोल्ड या इंटिमेट सीन शूट करते वक्त इस बात का पूरा खयाल रखा जाता है कि मेल और फीमेल के प्राइवेट पार्ट्स आपस में टच न हों और न ही कुछ अधिक रिविल हो क्योंकि करोड़ों की लगत से बनी हर फिल्म को बनाते वक्त कलाकारों के स्टेटस को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है. शूटिंग के समय असमंजस की स्थिति पैदा होने से बचने के लिए क्रिकेट खिलाडि़यों की तरह ऐक्टर के लिए लोगार्ड या कुशन या फिर एअर बैग का इस्तेमाल किया जाता है, जो दोनों के बीच गैप रखता है. वहीं ऐक्ट्रैस के लिए पुशअप पैड्स, पीछे से टौपलैस दिखाना हो, तो आगे पहनने वाले सिलिकौन पैड का यूज किया जाता है. किसी भी इंटिमेट सीन को शूट करने के लिए सब से जरूरी अभिनेता या अभिनेत्री की आपसी एडजस्टमैंट होना जरूरी होता है. शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए कई बार प्रौप का भी सहारा लेना पड़ता है, जो आर्टिस्ट की पसंद के आधार पर होता है. प्रौप में सौफ्ट पिलो, स्किन कलर ड्रैस, मोडेस्टी गारमैंट्स आदि कुछ चीजें शामिल होती हैं.

Rakul Preet Singh इस दिन बॉयफ्रेंड संग लेंगी सात फेरे ! सामने आई शादी की सारी डिटेल

Rakul Preet-Jackky Bhagnani Marriage : साल 2023 में जहां कई बॉलीवुड सेलेब्स शादी के बंधन में बंधे हैं. तो वहीं वर्ष 2024 में भी कई अभिनेता-अभिनेत्री सात फेरे लेने वाले हैं. जनवरी 2024 में जहां आमिर खान की बेटी इरा खान अपने बॉयफ्रेंड नुपुर शिखरे संग सात फेरे लेंगी. तो वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह भी अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड जैकी भगनानी संग शादी करने वाली हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिनेत्री रकुल और अभिनेता जैकी इसी साल फरवरी के महीने में सात फेरे लेंगे. हालांकि दोनों की शादी की खबर को लेकर अभी आधिकारिक पुष्टी नहीं हुई है.

 

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फरवरी में होगी शादी

आपको बता दें कि, रकुल प्रीत सिंह और जैकी भगनानी (Rakul Preet-Jackky Bhagnani Marriage) 22 फरवरी को शादी के बंधन में बंधेगे. दोनों अपने परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में गोवा में सात फेरे लेंगे. कहा जा रहा है कि स्टार्स अपनी शादी को बहुत ज्यादा प्राइवेट रखना चाहते हैं. इसलिए वह इसकी आधिकारिक घोषणा भी नहीं करेंगे.

हालांकि इससे पहले भी दोनों की शादी की खबरों को लेकर रूमर्स उड़ी थी. कहा जा रहा था कि पिछले साल ही दोनों शादी करेंगे. लेकिन बाद में एक्ट्रेस ने इससे इनकार कर दिया था.

बैचलर पार्टी एंजॉय कर रहे हैं जैकी

इसके अलावा कहा तो ये भी जा रहा है कि इस वक्त एक्टर जैकी भगनानी (Jackky Bhagnani) अपनी बैचलर पार्टी एंजॉय कर रहे हैं. वहीं एक्ट्रेस रकुल, (Rakul Preet) फिल्मों से ब्रेक लेकर थाईलैंड में अपना क्वालिटी टाइम एन्जॉय कर रही हैं.

 

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रकुल-जैकी का वर्क फ्रंट

आपको बताते चलें कि, एकट्रेस रकुल, (Rakul Preet) एक्टर कमल हासन के साथ फिल्म इंडियन 2 में नजर आएंगी, जिसमें कमल एक वृद्ध स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका निभाएंगे. जो भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का फैसला करते है. तो वहीं दूसरी तरफ जैकी (Jackky Bhagnani) के प्रोडक्शन तले बनी फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ रिलीज होने को पूरी तरह से तैयार है. जो इसी साल ईद के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

जिंदगी में पैसा ही सबकुछ है अलीजेह अग्निहोत्री

बौलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान की भानजी और ऐक्टर अतुल अग्निहोत्री की बेटी अलिजेह अग्निहोत्री खान ने निर्देशक सोमेंद्र पाधी की फिल्म ‘फर्रे’ के जरीए बौलीवुड में डेब्यू किया है. सलमान खान प्रोडक्शन द्वारा निर्मित इस फिल्म की कहानी स्कूल और कालेज में पढ़ने वाले 4 दोस्तों के जीवन पर केंद्रित है. सलमान खान की बड़ी बहन अलवीरा की बेटी अलिजेह ने मुंबई में शिक्षा ग्रहण करने के बाद लंदन की यूनिवर्सिटी से बीए की डिगरी ली है.

अलिजेह ने अभिनय कैरियर चुनने से पहले क्या कोई और योजनाएं भी बनाई थीं? क्या पहले से ही उन का इरादा ऐक्टिंग लाइन में आने का था? फिल्म ‘फर्रे’ में अपना किरदार निभाने के लिए उन्होंने क्याक्या तैयारी की थी, ऐसे ही कई दिलचस्प सवालों के जवाब दिए अलिजेह अग्निहोत्री खान ने अपने खास अंदाज में:

 

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आप की फिल्म ‘फर्रे’ हाल ही में रिलीज हुई. अपनेआप को परदे पर देख कर आप की पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

मिलीजुली प्रतिक्रिया थी. एक तरफ जहां बहुत ज्यादा खुशी थी वहीं दूसरी तरफ थोड़ा सा ऐंग्जाइटी भी थी यह सोच कर कि फिल्म को पता नहीं कैसा रिस्पौंस मिलेगा. हम सभी ने फिल्म में काफी मेहनत की है. काफी सारी वर्कशौप की. शूटिंग के दौरान इतनी घबराहट नहीं थी. लेकिन जैसेजैसे प्रमोशन शुरू हुआ और फिल्म की रिलीज डेट नजदीक आई तो टैंशन भी हो रही थी और खुशी भी. सच कहूं तो मुझे अपनेआप को परदे पर देख कर बहुत खुशी हुई.

सलमान खान की भानजी होने के आप के लिए क्या फायदेनुकसान थे?

बड़ा फायदा बहुत यह था कि मैं एक ऐसे स्टार की भानजी हूं जिसे सब प्यार करते हैं. लिहाजा, मुझे फिल्म इंडस्ट्री में अच्छा वैलकम मिला. मगर इस के साथ लोगों की मेरे से अपेक्षाएं भी बहुत ज्यादा हैं जिन पर खरे उतरना मेरी जिम्मेदारी हो गई है.

आप के पिता अतुल अग्निहोत्री भी अच्छे ऐक्टर हैं भले ही उन का ऐक्टिंग पीरियड बहुत लंबा नहीं था फिर भी उन्होंने जितनी भी फिल्में की दर्शकों ने उन फिल्मों में आप के डैडी को बहुत पसंद किया. ऐसे में जब आप ने फिल्मों में पदार्पण किया तो उन की तरफ से आप को क्या हिदायत मिली?

आप पहली पत्रकार हैं जिन्होंने मुझ से मेरे डैडी के बारे में बात की वरना अभी तक किसी ने ऐसा नहीं किया. मेरे डैडी ने मुझे यही कहा कि जब उन्होने अपना कैरियर शुरू किया था उस वक्त वे पैसों के लिए काम कर रहे थे. इसलिए अभिनय में अपना शतप्रतिशत नहीं दे पाए. आज के समय में हमें पैसे की किल्लत नहीं है. इसलिए मैं अपना पूरा ध्यान ऐक्टिंग कैरियर की तरफ दूं और अच्छी ऐक्ट्रैस कहला कर अपने पिता का अधूरा सपना पूरा करूं.

और अगर सलमान खान की बात करें तो उन्होंने अपनी भानजी से ऐक्टिंग कैरियर को ले कर क्या सलाह दी?

मामा का यही कहना है की जिंदगी में चाहे जो हो खुशी हो गम हो, कितने ही उतारचढ़ाव आएं लेकिन अपने काम पर पूरा ध्यान दो. ऐक्टिंग में अपना शतप्रतिशत दो. तभी आप ऐक्टिंग कैरियर में आगे बढ़ पाओगे क्योंकि बतौर ऐक्टर दर्शकों को आप की पर्सनल लाइफ में कोई इंटरैस्ट नहीं है. दर्शक सिर्फ आप का काम देख कर ही आप को जज करते हैं. इसलिए अगर आप का काम अच्छा होगा तो दुनिया की कोई ताकत आप को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएगी. सफल होने के लिए यही गुरु मंत्र उन्होंने मुझे दिया.

आप की फिल्म में दिखाया गया है कि परीक्षा के दौरान नकल करने के लिए स्टूडैंट नएनए तरीके अपनाते हैं. क्या आप ने कभी अपने स्कूल मैं परीक्षा के दौरान नकल की थी?

नहीं नकल तो नहीं की, लेकिन एक बार नकल करने की कोशिश जरूर की थी. परीक्षा के दौरान मैं चिट ले कर गई थी. लेकिन डर के मारे मैं वह चिट निकाल ही नहीं पाई कि कहीं पकड़ी न जाऊं.

क्या आप शुरू से ही ऐक्टिंग लाइन में आना चाहती थीं?

नहीं शुरू में तो मैं ने सोचा था कि मैं डाइरैक्शन या ऐडिटिंग लाइन में कैमरे के पीछे काम करूंगी. मुझे निर्देशन और फोटोग्राफी का बहुत शौक है. इसलिए मैं ने सोचा था कि मैं कैमरे के पीछे ही काम करूंगी. लेकिन बाद में मेरा ध्यान ऐक्टिंग की तरफ जाने लगा. लिहाजा, मैं ने ऐक्टिंग सीखने के लिए कई सारी वर्कशौप कीं, ऐक्टिंग करते हुए रील बनाई और कई सारे प्रोडक्शन हाउस में मैं ने अपनी रील भेजी. फिल्म ‘फर्रे’ के लिए भी मैं ने औडिशन दिया था. उस के बाद मुझे इस फिल्म में काम करने का मौका मिला. पहले यह फिल्म ओटीटी के लिए बन रही थी लेकिन बाद में सलमान मामा ने बोला कि इसे सिनेमाघर में ही रिलीज करेंगे.

जब किसी हिट कलाकार का बेटा, बेटी या रिश्तेदार फिल्मों में शुरुआत करता है तो उसे नैपोटिजम, स्टार किड के टैग से गुजरना पड़ता है. आप इस के लिए कितनी तैयार हैं?

कहते हैं न कि मारने वाले का हाथ पकड़ सकते हैं लेकिन बोलने वाले का मुंह नहीं पकड़ सकते. लिहाजा, मेरा लक्ष्य सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना है, अच्छा अभिनय करना है और अपने आप को साबित करते हुए अपने खानदान का नाम रोशन करना है. अगर मेरे सामने ऐसा कोई सवाल आता है तो उस का जवाब भी मैं शालीनता से दूंगी. फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने के बाद हमें हर चर्चा को स्वीकार करना होगा.

‘फर्रे’ फिल्म में काम करने के पीछे सब से खास वजह क्या थी?

इस फिल्म का कंटैंट बहुत अच्छा है. यह स्कूल के जीवन पर आधारित है जिस ने मुझे आकर्षित किया. इस फिल्म में काम करना मेरी खुद की पसंद है क्योंकि इस फिल्म में बहुत अच्छे ऐक्टर और डाइरैक्टर हैं. यहां मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है. यह एक कमर्शियल फिल्म है. लेकिन मेरी कोशिश अपने किरदार को दिलचस्प बनाने की थी.

आप ने फिल्म में नियति नामक लड़की का किरदार निभाया है. असल जिंदगी में आप नियति से अपनेआप को कितना रिलेट करती हैं?

मैं नियति बहुत कुछ जैसी ही हूं. मैं एक लड़की से मिली थी जो बिलकुल नियति की तरह थी. मेरे यानी नियति और उस लड़की में ज्यादा फर्क नहीं है. उसे भी दोस्तों के साथ मजाक करने में, दुनिया देखने में दिलचस्पी थी मेरी भी कुछ वैसी ही है. वह अपने मांबाप को खुश देखना चाहती है मैं भी अपने मांबाप की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं. लेकिन नियति के साथ जो फिल्म में हुआ है वह अलग है, वही मैं ने अपने किरदार में प्रस्तुत किया है. मेरे किरदार को लगता है कि जिंदगी में पैसा ही सबकुछ है और उसी पैसे के लिए वह मुसीबत में फंस जाती है.

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