लौट जाओ शैली: विनीत ने क्या किया था

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लौट जाओ शैली: भाग 3- विनीत ने क्या किया था

लेखिका- विनिता राहुरीकर

विनीत को शैली और आकाश के बारे में कुछ भनक लग गई. शैली जिम की जिम्मेदारी निभाने और लोगों को इंप्रैस कर के जिम जौइन करने के लिए प्रेरित करने में बहुत माहिर थी. विनीत उस के कारण काफी कुछ निश्चिंत था. वह किसी भी कीमत पर शैली को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था. उस ने तुरंत ही शैली पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया. उस के लिए महंगे उपहार लाने लगा, उसे पार्टियों में ले जाने लगा और जिम में ज्यादा से ज्यादा समय उस के साथ गुजारने लगा. उस ने

शैली के घर आनाजाना भी बढ़ा दिया.

शैली जो आकाश के साथ रहते हुए विनीत से दूर होने लगी थी, अब आकाश को छोड़ कर वापस विनीत के साथ इन्वौल्व होने लगी. उस ने आकाश से शादी के लिए साफसाफ मना कर दिया. आकाश ने जिम आना छोड़ दिया और फिर शैली से उस का कोई संपर्क नहीं था. शैली का जीवन वापस उसी ढर्रे पर चलने लगा. अब तो उस की मां ने उस से शादी के लिए पूछना भी छोड़ दिया. पहले तो शैली दीपावली आदि त्योहारों पर घर भी जाती थी, लेकिन लोगों की कानाफूसियों और शादी के लिए की जा रही टोकाटाकी से तंग आ कर उस ने वहां जाना छोड़ दिया.

जिम की ऐनुअल पार्टी में शैली ने फिर विनीत के साथ खूब ऐंजौय किया. बेटे की तबीयत खराब होने की वजह से उस की पत्नी नहीं आ पाई तो शैली और विनीत देर तक डांस करते रहे. उस रात देर तक विनीत शैली के घर में भी रहा. शैली का पिछला सारा मलाल धुल गया.

शैली के विवाह के लिए इनकार करने की बात से थक कर आखिर उस के मातापिता ने उस के छोटे भाई का विवाह तय कर दिया. शैली विवाह में शामिल होने गई तो पहली बार उस के मन में एक कसक सी उठी. दोनों बहनें अपनेअपने पति व बच्चों में व्यस्त थीं. मातापिता, नातीनातिन व दामादों की खातिरदारी और नई बहू को ले कर ही व्यस्त और उत्साहित थे. कुछ वर्षों पहले जब शैली घर आती थी तो सब उस के आसपास मंडराते रहते. चारों ओर उस की पूछ होती रहती. पर आज सब अपने में मस्त और व्यस्त थे. शैली अपनेआप को बहुत उपेक्षित सा महसूस कर रही थी. वह हफ्ते भर के लिए आई थी मगर 3 दिनों में ही वापस चली गई.

दिनमहीने गुजरते गए. 8-10 महीने बाद पूनम की भी शादी हो गई. उस ने जिम की नौकरी छोड़ दी. पूनम उम्र में शैली से छोटी थी. शैली को थोड़ा अखरा. पूनम ने अपनी शादी में किसी को भी नहीं बुलाया था, न ही शादी का कार्ड दिया था. कोई नहीं जानता था कि उस की शादी कहां और किस से हुई है. जिम में शैली की एकमात्र सहेली पूनम ही थी, जो उस की राजदार थी और जिस से वह अपने दिल की बात कह देती थी. अब शैली को अकेलापन सा लगता.

इसी तरह 3 साल और गुजर गए और विनीत इस बीच एक और बेटे का बाप बन गया. उस की पत्नी ने अपने सासससुर को अपने पास बुलवा लिया था और बच्चों को उन के सुपुर्द कर के वह जिम आने लगी थी. धीरेधीरे उस ने चारों जिम का काफी कुछ काम संभाल लिया. जब तक विनीत जिम में होता, उस की पत्नी उस के साथ केबिन में बैठी रहती. अत: शैली को विनीत से बातचीत करने का मौका ही नहीं मिल पाता. उस के और विनीत के बीच बस काम को ले कर औपचारिक बातचीत ही हो पाती थी. विनीत उस के घर भी नहीं आ पाता था. शैली मन मसोस कर रह जाती थी. यों भी वह 32 वर्ष की हो चुकी थी और विनीत की नजरों में अपना आकर्षण खो चुकी थी. कसरत के कारण बदन भले ही चुस्तदुरुस्त था, लेकिन चेहरे पर उम्र का असर दिखाई देने लगा था.

और वैसे भी अब विनीत का मन रंजना नाम की नई लड़की से लगा हुआ था. रंजना 22 साल की चंचल, शोख, चुलबुली और आकर्षक युवती थी. विनीत उस के साथ वही कहानी दोहरा रहा था जो उस ने कभी शैली के साथ रची थी. शैली को रंजना को देख कर अफसोस होता. तरस आता कि इस का भी वही हश्र होगा जो मेरा हुआ. पर उसे पता था कि अगर वह रंजना को समझाने की कोशिश करे तो भी उसे कुछ समझ में नहीं आएगा. उस को भी तो उस समय कुछ समझ में नहीं आया था. चमकदमक से भरी ग्लैमरस लाइफ में उलझी यह उम्र ही ऐसी होती है. लेकिन शैली को बहुत दुख होता जब विनीत उस के काम में गलतियां निकालता, उसे झिड़क देता. शैली टूट जाती. तभी एक दिन मां का फोन आया कि उन्होंने बहू की ससुराल तरफ से किसी लड़के का फोटो कूरियर से उसे भेजा है. लड़का 38 साल का है और तलाकशुदा है. पर अच्छा यह है कि कोई बालबच्चा नहीं है. मां ने साफसाफ शब्दों में उसे कह दिया कि अब भी अगर उस ने शादी के लिए मना कर दिया तो वे उस से कोई रिश्ता नहीं रखेंगी, न ही उस के विवाह के लिए प्रयत्न करेंगी.

तीसरे दिन शैली को लड़के का फोटो मिल गया. साधारण नैननक्श वाला, सीधासाधा सा कुछ स्थूल सा आदमी था. शैली ने फोटो टेबल पर रख दिया. अब यही बचा है उस की किस्मत में.

दूसरे दिन शैली किसी काम से बाजार गई तो अचानक पीछे से आवाज आई, ‘‘अरे शैली तुम?’’

शैली ने पीछे देखा तो पूनम को देख कर एक सुखद आश्चर्य में डूब गई. फिर उस से बोली, ‘‘कितने सालों बाद मिली हो. तुम तो मुझे एकदम भूल ही गईं.’’

‘‘क्या करूं घरगृहस्थी में उलझ गई थी. और तुम कैसी हो? जिम में सब कैसे हैं?’’ पूनम ने कहा.

‘‘सब ठीक है…,’’ शैली कहतेकहते अचानक रुक गई. सामने से अचानक आकाश एक छोटे बच्चे को गोद में ले कर आया और शैली पर एक उपेक्षित सी उचटती हुई निगाह डाल कर पूनम से बोला, ‘‘जरा इसे पकड़ो, मैं सामान गाड़ी में रख दूं. यह और घूमने की जिद कर रहा है, मैं इसे ले जाता हूं…’’

कहते हुए आकाश ने बच्चे को पूनम की गोद में दिया और पास खड़ी चमचमाती गाड़ी का गेट खोल कर सामान की थैलियां रख कर बच्चे को ले कर वापस चला गया. अब शैली को समझ में आया कि पूनम ने अपनी शादी में किसी भी जिम वाले को क्यों नहीं बुलाया था.

‘‘मैं जानती हूं कि तुम्हारे मन में कई सवाल उठ रहे होंगे. आकाश का रिश्ता मेरे मौसाजी के भाई ले कर आए थे मेरे लिए. तुम ने उसे छोड़ने का निर्णय बड़ी जल्दी लिया शैली. आकाश की बहनों को अच्छे नंबरों की वजह से स्कौलरशिप मिल गई और साथ ही उन्होंने पार्ट टाइम नौकरी कर के अपनी पढ़ाई का खर्च स्वयं ही उठाया. पढ़ाई पूरी होने पर अपने कालेज में पढ़ने वाले अपनी पसंद के लड़कों से उन का विवाह हो गया. आज वे सुखी संपन्न हैं. हम ने उन की पढ़ाई और दहेज के लिए रखे रुपयों के अलावा कुछ लोन ले कर एक घर खरीद लिया और 2 गाडि़यां भी. आज मेरे पास प्यार करने वाले पति, स्नेह लुटाने वाले सासससुर और प्यारे से बेटे के अलावा घर, गाड़ी, संपन्नता सब कुछ है. आकाश तो मुझे जान से ज्यादा प्यार करता है,’’ पूनम ने बताया.

शैली के अंदर छन्न से कुछ टूट गया. उस ने गौर से पूनम को देखा. कीमती सूट, हाथ में हीरे की अंगूठी, हीरे के टौप्स, सोने की चूडि़यां और चेहरे का लावण्य उस के सुखी होने की गवाही दे रहा था. सचमुच 7 साल में उसे उम्र छू भी नहीं पाई थी. वह और अधिक निखर गई थी. आकाश भी तो पहले से अधिक निखरा और आकर्षक लग रहा था और उस का बेटा… शैली के कलेजे में एक हूक सी उठी. वह मूर्खता नहीं करती तो वह प्यारा सा बच्चा आज उस का होता. वह थोड़ा धीरज रखती, सामंजस्य करती तो आज यह सारा ऐश्वर्य उस का होता.

‘‘तुम्हारी स्थिति देख कर लगता है कि तुम ने अभी भी विवाह नहीं किया है. कब तक ऐसी रहोगी? इस से पहले कि सब कुछ हाथ से निकल जाए, शैली, लौट जाओ,’’ और पूनम उस से विदा ले कर अपने बच्चे और आकाश के पास चली गई. शैली भौचक्की सी थोड़ी देर तक खड़ी रही. फिर थकी हुई सी घर लौट आई. उस की आंखों के सामने रहरह कर पूनम और आकाश के सुखीसंतुष्ट चेहरे घूम जाते. बिस्तर पर लेटी वह देर तक रोती रही. शाम को जब थोड़ी संयत हुई तब उस ने मां को फोन लगाया, ‘‘मां, मैं घर वापस आ रही हूं. तुम उस लड़के को हां कह दो. मैं शादी करने को तैयार हूं.’

लौट जाओ शैली: भाग 2- विनीत ने क्या किया था

लेखिका- विनिता राहुरीकर

सच तो यह था कि शैली अब यह महसूस करने लगी थी कि विनीत जीवन में उसे क्या दे पाएगा? वह उस से शादी तो करेगी नहीं. ऐसे वह सिर्फ उस की प्रेमिका बन कर कैसे सारी उम्र गुजार दे? विनीत के साथ उस का क्या भविष्य होगा? आकाश दिखने में अच्छा है और अच्छी नौकरी भी है. अच्छी कार में आता है तो जाहिर है पैसे वाला ही होगा. शैली भी आकाश में अपनी खुली दिलचस्पी दिखाने लगी. हां, वह यह ध्यान जरूर रखती कि ये सारी बातें विनीत की जानकारी में न आ जाएं, क्योंकि वह आकाश के बारे में सब कुछ जानने और उस की तरफ से पक्का आश्वासन मिलने तक विनीत के मन में अपने प्रति व्यर्थ का कोई संशय पैदा नहीं करना चाहती थी.

मौका देख कर शैली आकाश के साथ बाहर भी जाने लगी. अब शैली को इंतजार था आकाश के प्यार का इजहार करने और शादी का वादा करने का.

अब उसे दोपहर में विनीत का इंतजार नहीं रहता था, बल्कि विनीत के आ जाने से उसे कोफ्त ही होती थी. अकसर वह दोपहर और रात में आकाश के साथ उस की कार या बाइक पर घूमती या दोनों किसी दूर और एकांत जगह पर जा कर बैठे रहते. विनीत के पूछने पर वह यह बहाना बना देती कि किसी सहेली के साथ गई थी. आकाश से एकांत में मिलने पर शैली का मन मचलने लगता था, लेकिन आकाश का मर्यादित व्यवहार देख कर उसे अपने ऊपर संयम रखना पड़ता था. आकाश कभी उसे हाथ तक न लगाता. अत: शैली को भी अपनी उच्छृंखल मनोवृत्तियों को काबू में रखना पड़ता ताकि आकाश के मन में उसे ले कर कोई गलत धारणा न बैठ जाए. वह नहीं चाहती थी कि किसी भी तरह से आकाश के मन में उस के उन्मुक्त आचरण को ले कर कोई संशय उभरे और वह उसे छोड़ दे. इसलिए आकाश के सामने वह अपनेआप को सौम्य, शालीन और मर्यादा में रहने वाली दिखाने की हर संभव चेष्टा करती.

आखिर करीब 3 महीने साथसाथ कुछ समय बिता लेने के बाद आकाश ने शैली के प्रति अपनी चाहत का इजहार कर ही दिया. शैली उस दिन बहुत खुश थी. आकाश के दिए लाल गुलाब को हाथ में लिए वह देर तक अपने सुनहरे भविष्य के सपनों में खोई रही. अब उसे विनीत की ‘कीप’ बनी रहने की कोई जरूरत नहीं है, अब वह आकाश की ब्याहता पत्नी बनेगी.

अगले दिन आकाश उसे अपने मातापिता से मिलवाने ले जाने वाला था. उस ने अपने मातापिता को शैली के बारे में बताया था. वे और आकाश की दोनों बहनें शैली से मिलने के लिए अत्यंत उत्सुक थीं. शैली उस दिन बहुत अच्छी तरह से तैयार हुई. वह आकाश के सामने किसी भी कीमत पर उन्नीस नहीं दिखना चाहती थी. वह आकाश के परिवार पर अपना पूरा प्रभाव जमाना चाहती थी कि वह आकाश से किसी माने में कम नहीं है.

शैली आकाश को बाइक पर आते देख कर ताला लगा कर नीचे उतर आई. उसे बाइक पर आया देख शैली को थोड़ा अखर गया कि आज तो इसे कार से आना चाहिए था.

‘‘आज तुम कार से नहीं आए. अपनी होने वाली पत्नी को तो तुम्हें अपने मातापिता से मिलवाले कार से ले जाना चाहिए था न,’’ शैली ने ठुनकते हुए आकाश से कहा.

‘‘अरे वह कार तो अनिल की है. अपनी सवारी तो यही है मैडम,’’ आकाश हंसते हुए बोला, ‘‘दरअसल, मुझे ड्राइविंग का बहुत शौक है, इसलिए उस की कार हमेशा मैं ही चलाता हूं. अभी तो मेरे पास कार नहीं है पर तुम चिंता क्यों करती हो. हम दोनों मिल कर जल्दी ही कार भी ले लेंगे,’’ आकाश ने सहज रूप से कहा पर शैली का मन बुझ गया. हालांकि आकाश ने अपने बारे में कभी कुछ बढ़ाचढ़ा कर नहीं बताया तब भी शैली मान कर चली थी कि वह बहुत पैसे वाला और कारबंगले वाला है.

10 मिनट में ही वे दोनों आकाश के घर पहुंच गए. घर देख कर शैली का मन और खराब हो गया. वह तो सोच रही थी कि आकाश हाईफाई लग्जूरियस बंगले में रहता होगा, लेकिन यहां तो एक अत्यंत साधारण सा, पुराना सा मकान है. कालोनी भी पौश नहीं थी, साधारण मध्यवर्गीय लोगों के ही घर थे चारों ओर.

शैली भारी मन और बोझिल कदमों से आकाश के साथ घर में गई. ड्राइंगरूम की साजसज्जा अत्यंत साधारण थी. फर्नीचर भी पुराना था. वह जिस चमकदमक और ग्लैमर की उम्मीद लगाए बैठी थी, स्थिति उस से बिलकुल विपरीत थी. आकाश के घर वाले, मातापिता और दोनों बहनें उस से अत्यंत उत्साह से मिलीं. उन्होंने मन लगा कर शैली की आवभगत की, लेकिन शैली पूरे समय अपनी बातों का सिर्फ हांहां में जवाब देती रही. उस का दम घुट रहा था उस परिवेश में. वह जल्द से जल्द वहां से निकल जाना चाहती थी.

2 घंटे बाद आकाश उसे ले कर चला और उसे उस के घर छोड़ने से पहले एक रैस्टोरैंट ले गया. आकाश के घर से निकल कर शैली ने खुली हवा में आ कर ऐसे चैन की सांस ली जैसे वह जेल से छूटी हो. दोनों एक कोने वाली टेबल पर जा कर बैठ गए.

‘‘कैसा लगा तुम्हें मेरा परिवार, मम्मीपापा और बहनें?’’ आकाश ने उत्साह से शैली से पूछा और शैली उस की बात का कुछ जवाब देती इस से पहले ही वह बताने लगा कि उस के मातापिता और बहनें कितने अच्छी हैं. उसे कितना प्यार करते हैं सभी और शैली को भी कितने प्यार से रखेंगे वगैरह.

शैली अंदर ही अंदर कसमसा रही थी. वह आकाश से प्यार भी करती थी और उस के पुराने घर में बुझी हुई मध्यवर्गीय जिंदगी भी जीना नहीं चाहती थी. अजीब सी कशमकश में घिरी थी वह. आकाश ने भी भांप लिया कि उस के परिवार से मिल कर शैली खास खुश नहीं है.

‘‘आकाश, तुम तो इतना पैसा कमाते हो फिर ऐसे पुराने घर में क्यों रहते हो और अपनी कार क्यों नहीं खरीदते?’’ आखिर शैली के मन की बात उस की जबान पर आ ही गई.

‘‘ओहो इतनी सी बात को मन में पकड़ कर बैठी हो. खरीद लेंगे डियर वे दोनों चीजें. दरअसल, साल भर हुआ है पापा की बाईपास सर्जरी हुए. उस में काफी पैसा खर्च हुआ. मेरी पढ़ाई में भी बहुत पैसा लग गया और अब एक बहन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है और दूसरी पूना के प्रतिष्ठित कालेज से एमबीए करना चाह रही है. इन दोनों का खर्च कुल मिला कर क्व8-10 लाख हो जाएगा. फिर दोनों का विवाह करना है. पर तुम क्यों चिंता करती हो, हम दोनों मिल कर सब ठीक कर लेंगे. घरगाड़ी सब आ जाएगा. हां, कुछ साल लगेंगे,’’ आकाश ने बड़े प्यार और विश्वास से शैली की ओर देखते हुए कहा.

उस दिन शैली ने बात आगे नहीं बढ़ाई और घर आ गई. दूसरे दिन उस ने सारी बात पूनम को बताई.

‘‘आकाश जिस तरह से हर चीज खरीदने में ‘हमहम’ कह रहा था उस से तो साफ जाहिर है कि वह मेरे पैसों का उपयोग अपना घर चलाने में करना चाहता है,’’ शैली ने कहा.

‘‘मेरा से तेरा मतलब क्या? शादी के बाद तो वह तुम दोनों का होगा न?’’ पूनम ने सहज स्वर में कहा.

‘‘कम औन यार, अगर पैसा मैं उसे दे दूं घर या कार खरीदने के लिए तो मेरे पास क्या बचेगा? मैं क्या अपनी लाइफ ऐंजौय कर पाऊंगी?’’ शैली का स्वर तल्ख था.

‘‘ये क्या तेरामेरा कर रही है. घर तो तेरा ही होगा. कार में भी तो तू ही घूमेगी न,’’ पूनम ने उसे समझाया.‘‘क्यों उस का बड़ा कुनबा नहीं है क्या? अगर मैं अपने पैसों से घर खरीद भी लूं तो मुझे उस घर में क्या मिलेगा एक कमरा और क्या?’’ शैली ने भुनभुनाते हुए कहा.

‘‘इतनी स्वार्थी न बन शैली. अफसोस है कि तू इतनी संकीर्ण विचारों की है. दरअसल, तुझे उन्मुक्त जीवनशैली की आदत हो गई है, इसीलिए बस अपना सुख चाहिए घरपरिवार और रिश्ते नहीं. लेकिन एक वक्त आएगा जब तुझे परिवार और रिश्तों की तीव्र जरूरत महसूस होगी और तेरे पास कोई नहीं होगा. उस के पहले संभल जा. पैसावैसा सब ठीक है, लेकिन इस के लिए आकाश जैसे अच्छे लड़के को छोड़ देना अक्लमंदी नहीं है,’’ पूनम के स्वर में शैली के लिए तिरस्कार का भाव था.

‘‘मैं अपना पैसा उस के पिताजी की दवाओं या बहनों की पढ़ाई और शादीब्याह में खर्च कर दूं, तो बता मेरे पास जीवन का आनंद लेने के लिए क्या बचेगा? शादी को ले कर मेरे भी तो कुछ अरमान हैं वे दिन बीत जाने के बाद वापस थोड़े ही आएंगे,’’ शैली ने अपना तर्क रखा.

‘‘जैसी तेरी मरजी. सच तो यही है कि विनीत के साथ रहते हुए तू बस अपने लिए जीना सीख गई है. तुझे जीवन में और किसी से कोई लेनादेना नहीं रहा है. लेकिन विनीत पर अधिक भरोसा मत रखना. वह शादीशुदा है, अपनी पत्नी को छोड़ कर तुझे तो अपनाने से रहा. आकाश तुझे सच्चे मन से चाहता है. क्या हुआ अगर उस के साथ शुरुआती सालों में तू चकाचौंध भरी जिंदगी नहीं जी पाएगी. पर उस का भविष्य तो उज्ज्वल है,’’ पूनम ने कहा और उठ कर अपनी सीट पर वापस आ कर अपना काम करने लगी. वह जानती थी शैली की आंखों पर ग्लैमर की पट्टी चढ़ी हुई है. वह संघर्षपूर्ण जीवन या सामंजस्य के लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं होगी.

आगे पढ़ें- शैली जो आकाश के साथ रहते हुए….

लौट जाओ शैली: भाग 1- विनीत ने क्या किया था

लेखिका- विनिता राहुरीकर

‘‘पूनम, राज को फोन कर के बता दो कि जिम का केबल टूट गया है और कोने वाली ट्रेडमिल की मोटर जल गई है. और राज आए तो क्रौस ट्रेनर के नटबोल्ट कसने को भी बोल देना. बहुत आवाज कर रहा है,’’ शैली ने कहा.

‘‘अच्छा मैं अभी फोन कर देती हूं,’’ कह कर फ्रंट डैस्क पर बैठी पूनम राज को फोन लगाने लगी. राज जिम का नियमित सर्विसमैन है. जब भी जिम के उपकरणों में कोई खराबी होती है वही आ कर ठीक करता है.

तभी जिम का मालिक विनीत आ गया. विनीत को देख कर शैली के चेहरे पर चमक आ गई. वह विनीत के केबिन में जा कर उस से बातें करने लगी. विनीत के शहर में 4 जिम थे. शैली फिजियोथेरैपिस्ट थी और ट्रेनर भी. वह विनीत को उस दिन के काम का ब्योरा देने लगी और नए ऐडमिशन के बारे में बताने लगी. विनीत प्रसन्न हो गया, क्योंकि शैली ने पिछले हफ्ते में 8 नए ऐडमिशन करवाए थे. विनीत ने उस के काम की तारीफ की तो शैली खुश हो गई. थोड़ी देर बातें करने के बाद विनीत शैली को साथ ले कर अपने दूसरे जिम की ओर चला गया. दूसरे जिम में सब जगह चक्कर लगाने के बाद विनीत और शैली केबिन में जा कर बैठ गए. विनीत घर से नाश्ता ले कर आया था. दोनों बैठ कर नाश्ता करने लगे. 1 घंटा बाद विनीत तीसरे जिम में चला गया. शैली वहीं रह गई और लोगों को ऐक्सरसाइज करने की ट्रेनिंग देने लगी. जिम बंद होने के बाद शैली घर चली गई. वह एक छोटे से बैडरूम वाले फ्लैट में किराए पर रहती थी. शैली कपड़े बदल कर सो गई क्योंकि जिम जाने के लिए वह सुबह साढ़े 4 बजे उठती थी. शाम को वह फिर जिम में चली जाती थी.

शैली सागर की रहने वाली है. उस के पिता एक स्कूल में अध्यापक हैं. शैली 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर पर है. उस से बड़ी 2 बहनें और 1 छोटा भाई है. चारों बच्चों के पालनपोषण और पढ़ाईलिखाई का खर्च उस के पिता जैसेतैसे चला रहे थे. वे शाम को ट्यूशन भी पढ़ाते. दरअसल, 2 बड़ी बहनों का विवाह करने में वे गले तक कर्ज में डूब गए थे. शैली फिजियोथेरैपिस्ट की पढ़ाई करने भोपाल आ गई. उस के पिता उस की पढ़ाई और रहने का खर्च उठाने में समर्थ नहीं थे, लेकिन महत्त्वाकांक्षी शैली ने उस तंगहाली से बाहर निकलने के लिए कमर कस ली. थोड़े पैसे ले कर वह भोपाल आ गई. यहां पार्टटाइम नौकरी कर ली और वर्किंग विमंस होस्टल में रह कर अपनी पढ़ाई भी करती रही. पढ़ाई पूरी होने के बाद शैली ने कई जगह नौकरी के लिए कोशिश की. उसी दौरान अपनी एक सहेली के साथ वह विनीत के जिम आई.

जिम के एक ट्रेनर से ही शैली को पता चला था कि विनीत को एक फिजियोथेरैपिस्ट की जरूरत है. शैली विनीत से मिली. खूबसूरत, स्मार्ट शैली के बात करने के अंदाज से विनीत काफी प्रभावित हुआ. उस ने शैली को अपने जिम में बतौर फिजियोथेरैपिस्ट नियुक्त कर लिया. चतुर और महत्त्वाकांक्षी शैली ने बहुत जल्द ही विनीत की नजरों में अपनी साख बना ली. साल भर में ही वह विनीत के चारों जिम के कई महत्त्वपूर्ण काम संभालने लगी. उस ने अपने लिए एक स्कूटी खरीद ली और होस्टल छोड़ कर यह फ्लैट किराए पर ले लिया.

विनीत अपने बहुत कुछ काम शैली को सौंप कर निश्चिंत था. कुशाग्र बुद्धि शैली बहुत जल्द मशीनों के बारे में और ट्रेनिंग के बारे में भी सीख गई. जिम पर ही नहीं उस ने विनीत के दिल पर भी कब्जा कर लिया. पहले साथ में गाड़ी में घूमना, बाहर खाना खाना. फिर एक के बाद एक सीमाएं टूटती गईं और जिस दिन शैली ने होस्टल छोड़ कर फ्लैट में शिफ्ट किया, उस दिन के बाद से तो दोनों के बीच की सारी वर्जनाएं समाप्त हो गईं. यह फ्लैट भी बहुत कम किराए पर विनीत ने ही उसे दिलवाया था. यहां दोपहर में और रात में भी विनीत का आनाजाना प्रारंभ हो गया.

लेकिन जिम की ऐनुअल पार्टी में शैली को यह जान कर गहरा धक्का लगा कि विनीत न सिर्फ शादीशुदा है वरन जल्द ही बाप भी बनने वाला है. शैली उस दिन खूब रोई. 4 दिन तक वह जिम भी नहीं गई. उस ने सागर लौट जाने का फैसला कर लिया, लेकिन तभी विनीत ने अपनी पत्नी को डिलिवरी के लिए अपने मातापिता के पास भेज दिया और छोटे बच्चे की देखभाल के बहाने उसे महीनों अपने पास रखा. इस बीच उस ने शैली को अपनी मीठी बातों से मना लिया. ‘‘मेरी किस्मत का दोष है कि तुम मुझे पहले नहीं मिलीं. प्यार तो मैं तुम से ही करता हूं. तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी तो मैं कैसे जिऊंगा. अगर तुम मेरे जीवन में पहले आ जातीं, तो मैं तुम से ही शादी करता. मेरा सच्चा प्यार तो तुम्हीं हो शैली,’’ वह बारबार बोला तो शैली भावनाओं में बह गई. वैसे भी वह विनीत के साथ शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत गहराई से जुड़ गई थी.

शैली की मां ने उसे बहुत बार वापस बुलाया कि पढ़ाई खत्म हो चुकी है अब वापस आ जाओ, लेकिन बड़ा शहर उस पर विनीत से रिश्ता. और इन सब से ऊपर जिम का आधुनिक व उन्मुक्त ग्लैमरस वातावरण जिन के आकर्षण में वह ऐसी फंस गई कि घर वापस जाने को तैयार नहीं होती थी. फिर दिनबदिन वह चारों जिम की जिम्मेदारियों में उलझती गई. 2 साल बाद विनीत ने अपने दोस्त की सैकंड हैंड कार शैली को दिलवा दी. अब शैली कार से आतीजाती.

जिम के दूसरे ट्रेनर और पुराने कस्टमर शैली और विनीत के रिश्ते के बारे में जानने लगे मगर दोनों को ही कोई कुछ कहता नहीं था. विनीत की प्रतिष्ठा देख कर उसे तो कोई कुछ कहने की हिम्मत करता नहीं था, लेकिन ट्रेनर लोग आपस में बातें करते समय शैली को विनीत की ‘कीप’ यानी रखैल कहते थे. पूनम जो जिम में शैली की अच्छी सहेली थी, उस ने ही यह बात उसे बताई थी. सुन कर शैली को बहुत बुरा लगा मगर करती भी क्या, बात कोई गलत तो थी नहीं, इसलिए खून का घूंट पी कर रह गई. एक दिन शैली की मां का फोन आया, ‘‘बेटा, बहुत अच्छा रिश्ता आया है. लड़का दिखने में भी बहुत अच्छा है और घरपरिवार, रुपयापैसा सब अच्छा है. बस अब तू यहां आ जा.’’

‘‘मां मैं ने कितनी बार कहा है कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती. अभी मेरी उम्र ही क्या है. अभी मुझे पढ़ने और काम करने दो प्लीज,’’ शैली ने उकताहट भरे स्वर में कहा.

‘‘अरी अभी नहीं तो क्या बुढ़ापे में शादी करेगी?’’ शैली की मां झल्ला कर बोलीं.

‘‘ओहो तुम भी मां… आजकल क्या लड़कियां इतनी जल्दी शादी करती हैं? शादी के बाद तो घरगृहस्थी में फंसे रहना है. कम से कम अभी तो मुझे चैन से और अपने मन की जिंदगी जीने दो. 2-4 साल बाद जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करूंगी,’’ शैली हर बार अपनी शादी की बात को 2-4 साल के लिए टाल कर अपनी मां को निरुत्तर कर देती.

दूसरे दिन दोपहर में शैली जिम से घर आई और नहाने गई. नहा कर वह गैलरी में खड़ी हो कर बाल सुखा रही थी कि तभी नीचे पोर्च में विनीत की कार आ कर रुकी. शैली खुश हो गई, क्योंकि आज उस ने जिम में जब पूछा तो विनीत ने मना कर दिया था आने के लिए. विनीत के बैल बजाने से पहले ही शैली ने दरवाजा खोल दिया.

‘‘क्या बात है डार्लिंग, आज तो नहाधो कर फ्रैश हो कर हमारे स्वागत के लिए खड़ी हो?’’ विनीत ने दरवाजा खुलते ही शैली की कमर में अपनी बांह का घेरा डालते हुए कहा.

‘‘चलो हटो. तुम तो आज आने वाले नहीं थे न ?’’ शैली ने बड़ी अदा से कहा.

‘‘अरे जानेमन, हम ने सोचा कि चलो आप को सरप्राइज दें. हम आप के लिए एक तोहफा लाए हैं,’’ कह कर विनीत ने नीचे जा कर 2 आदमियों की सहायता से एक टीवी ऊपर ला कर ड्राइंगरूम में रखवा दिया.

उन आदमियों के जाने के बाद विनीत ने शैली को बांहों में लेते हुए कहा, ‘‘कल मैं इस का कनैक्शन करवा दूंगा. देखा मैं तुम्हारा कितना खयाल रखता हूं. अब तुम भी मेरा थोड़ा खयाल रखो,’’ और विनीत शैली को बैडरूम में ले गया. एक दिन जिम में 2 लड़के आए. उन्होंने 3 महीने का पैकेज लिया. शैली ने दोनों का ऐडमिशन करवा लिया. एक लड़के का नाम आकाश और एक का नाम अनिल था. दूसरे दिन से अनिल और आकाश नियमित रूप से जिम आने लगे. शैली ही उन लोगों को ट्रेनिंग देती. धीरेधीरे शैली को लगने लगा कि आकाश उस में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहा है. वह कुछ भी पूछने या सिखाने के बहाने शैली को अपने आसपास ही बनाए रखता. शैली को भी आकाश अच्छा लगने लगा. वह भी उस के आसपास रहना पसंद करने लगी, क्योंकि आकाश था बहुत हैंडसम. विनीत के अलावा यदि किसी अन्य युवक ने शैली को अपनी ओर आकर्षित किया तो वह आकाश ही था.

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