भूखे रहने से नहीं, खाने से होगा पेट कम

क्या आप भी बढ़ते वजन, निकलते पेट और कमरा रूपी कमर से परेशान हैं? क्या आप भी अपने पुराने फिगर को मिस कर रही हैं? मोटापा आज के समय की एक बहुत बड़ी समस्या है. यह सिर्फ वयस्कों की ही समस्या नहीं है पर बच्चों और टीनेजर में भी मोटापा फैल रहा है.

मोटापे को कंट्रोल करने के लिए, सबसे पहले आपको अपने डाइट पर नजर रखनी होगी. कुछ महिलायें ये समझती हैं कि मोटापे को नियंत्रित करने के लिए खाना बंद कर देना चाहिए. डाइटिंग का मतलब भूखे रहना नहीं होता है. इसके साथ ही रेगुलर एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. डाइटीशियन की मानें तो सही समय पर सही डाइट से आप अपना वजन कम कर सकती हैं. वजन कम करने के लिए सही मात्रा में फल सब्जियां लेना बहुत जरूरी है. फलों में भरपूर मात्रा में विटामिन और फाइबर होता है. इससे आपकी इम्युनिटी भी बढ़ती है.

इन फलों को खाकर आप मोटापा कम कर सकती हैं:

1. सेब

सेब प्रोपर डाएजेशन के लिए बहुत फायदेमंद हैं. सेब खाने से आपकी भूख भी कंट्रोल में रहती है. सेब लाल और हरे दोनों ही रंगों में पाया जाता है. सेब में कई विटामिन और मिनरल होते हैं. इसमें भरपूर फाइबर भी पाया जाता है.

2. चेरी

चेरी भी वजन कम करने बहुत कारगर है. खाली पेट चेरी खाना स्वास्थय के लिए बेहद फायदेमंद होता है.

3. स्ट्रॉबेरी

स्ट्रॉबेरी न सिर्फ आपके एक्सेस फैट को कंट्रोल करता है बल्की आपकी खूबसूरती को भी निखारता है. प्रतिदिन 5-6 स्ट्रॉबेरी खाना आपको अंदर से फिट और बाहर से कुदरती निखार देगा.

4. अनार

अनार खाने से न सिर्फ आपका पेट कम होगा बल्कि आपके शरीर में खून की मात्रा भी बढ़ेगी. अनार खाने या अनार का रस पीने से आप फिजीकली फिट रहेंगी. जिन महिलाओं को खून की कमी है उनके लिए अनार खाना बहुत फायदेमंद है. दिन भर आपको पूरे घर की देखभाल करनी पड़ती है, वर्किंग महिलाओं के लिए ये और मुश्किल हो जाता है. पर सिर्फ एक अनार खाने से आप अपने शरीर की कुछ हद तक देखभाल कर सकती हैं.

5. प्लम

प्लम के आकार पर मत जाइए. सुबह प्लम खाने से आप पूरे दिन एनर्जेटिक फील करेंगी. कमर घटाने के साथ ही यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है.

ब्लडग्रुप के अनुसार ले डाइट और वजन घटने से रोकें

वजन आज हर उम्र की एक बड़ी समस्या बन गया है. इसी का फायदा उठा कर वजन घटाने का दावा करने वाली हर तरह की आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक दवाओं का बाजार गरम हो गया है. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि ब्लड ग्रुप आधारित डाइट भी आप का वजन घटाने में मदद कर सकती है?

चौंक गए न? दरअसल, यह मामला ब्लड ग्रुप के हिसाब से डाइटिंग के जरीए अपनी काया को छरहरा बनाने का है. यह खास तरह की डाइट ‘ब्लड ग्रुप डाइट’ कहलाती है. क्या है यह ब्लड ग्रुप डाइट? आइए, जानते हैं कोलकाता, यादवपुर स्थित केपीसी मैडिकल कालेज व हौस्पिटल की  न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिशियन, रंजिनी दत्त से.

रंजिनी दत्त का इस संबंध में कहना है कि मैडिकल साइंस में ब्लड ग्रुप डाइट एक अवधारणा है. हालांकि अभी इस अवधारणा को पुख्ता वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है, लेकिन ब्लड ग्रुप आधारित डाइट से बहुतों को फायदा भी हुआ है, यह भी सच है. पश्चिमी देशों में इस अवधारणा को मान कर डाइट चार्ट बहुत चलन में है.

रंजिनी दत्त का यह भी कहना है कि वजन कम करने के इस नुसखे को ‘टेलर मेड ट्रीटमैंट’ कहा जाता है. अब सवाल यह उठता है कि यह काम तो पर्सनलाइज्ड डाईट चार्ट या रूटीन कर ही सकता है. फिर ब्लड ग्रुप डाइट क्यों?

 हर व्यक्ति की पाचन और रोगप्रतिरोधक क्षमता उस के ब्लड ग्रुप पर निर्भर करती है. बाकायदा जांच में यह पाया गया है कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप के व्यक्ति आमतौर पर एग्जिमा, ऐलर्जी, बुखार आदि से ज्यादा पीडि़त होते हैं.

 ‘बी’ ब्लड गु्रप वालों में रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इस ब्लड ग्रुप वाले ज्यादातर थकेथके से रहते हैं. कोई गलत फूड खाने से इन्हें ऐलर्जी हो जाती है, तो ‘एबी’ ब्लड ग्रुप वालों की समस्या अलग किस्म की होती है. इन्हें छोटीछोटी बीमारियां लगभग नहीं के बराबर होती हैं. लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को कैंसर, ऐनीमिया या फिर दिल की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है.

रंजिनी दत्त के अनुसार, डाइट थियोरी कहती है कि हम जब खाना खाते हैं तब हमारे खून में एक खास तरह की मैटाबोलिक प्रतिक्रिया या रिएक्शन होता है. दरअसल, हमारे खाए भोजन में मौजूद प्रोटीन और विभिन्न तरह के ब्लड ग्रुप में मौजूद ऐंटीजन में परस्पर प्रतिक्रिया होती है. गौरतलब है कि हर ब्लड ग्रुप का अपना ऐंटीजन तैयार होता है. गलत खाना खाने पर ऐंटीजन में जबरदस्त प्रतिक्रिया होती है. इसलिए अगर हम ब्लड ग्रुप के हिसाब से अपना डाइट चार्ट तैयार करें तो बेहतर होगा. यह डाइट हमें स्लिमट्रिम भी बना सकती है.

ब्लड ग्रुप ‘ओ’

रंजिनी दत्त कहती हैं कि ब्लड ग्रुप की थियोरी के हिसाब से यह ब्लड ग्रुप सब से पुराना माना जाता है. पुराना ब्लड ग्रुप कहने का तात्पर्य यह है कि यह ब्लड ग्रुप प्रागैतिहासिक मानव का ब्लड ग्रुप है. इस ब्लड ग्रुप वालों की पाचन क्षमता बहुत अच्छी होती है. इस ब्लड ग्रुप में हाई स्टमक ऐसिड (आमाशय में मौजूद अम्ल) होने के कारण हाई प्रोटीन को हजम कर पाना आसान होता है.

आमतौर पर जिन का ब्लड ग्रुप ‘ओ’ है उन्हें प्रोटीन से भरपूर आहार लेना चाहिए. वे मांसमछली और किसी भी तरह का सी फूड खा सकते हैं. लेकिन मांसमछली का कैमिकलफ्री होना जरूरी है. हाई प्रोटीन फूड में भी कुछ चीजें वर्जित हैं. अगर इस ब्लड ग्रुप वाले छरहरी काया की चाह रखते हैं, तो उन्हें आटे और मैदा से बनी चीजें कम से कम खानी चाहिए. सब्जी और फल ज्यादा से ज्यादा खाने चाहिए. लेकिन पत्तागोभी, फूलगोभी, सरसों जितना कम खाएं उतना ही अच्छा है. इस के अलावा ड्राईफू्रट, दूध, मक्खन, चीज जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स से भी दूर रहना इन के लिए बेहतर होगा. ब्रोकली, पालक, रैड मीट, सी फूड वजन कम करने में सहायक होते हैं. इस ब्लड ग्रुप के लिए ऐक्सरसाइज बहुत ही जरूरी है.

ब्लड ग्रुप ‘ए’

ब्लड ग्रुप ‘ओ’ की ही तरह ब्लड ग्रुप ‘ए’ का वजूद भी हजारों साल पुराना है, लेकिन प्रागैतिहासकाल जितना नहीं. गुफाओं से निकल कर जब इंसानों ने खेती और पशुपालन का काम शुरू किया, तब से यह ब्लड ग्रुप वजूद में है.

इस ब्लड ग्रुप वालों के लिए ऐनिमल प्रोटीन आमतौर पर अनुकूल नहीं होता है. इसलिए मांसमछली, चिकन और मिल्क प्रोडक्ट्स इन के लिए सही डाइट नहीं है. वह इसलिए कि इन का हाजमा आमतौर पर बहुत अच्छा नहीं होता है. इन्हें खानपान बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए. इन्हें अपने डाइट चार्ट में बादाम, टोफू, बींस की सब्जी, फल जरूर रखने चाहिए. अपने ब्लड ग्रुप के अनुरूप भोजन के साथसाथ कुछ हलकाफुलका व्यायाम भी जरूर करना चाहिए.

ब्लड ग्रुप ‘बी’

ब्लड ग्रुप ‘ओ’ की तरह ही ब्लड गु्रप ‘बी’ के लोगों को भी संतुलित खानपान व व्यायाम की आवश्यकता होती है. गाय व बकरी का दूध लेना इस गु्रप के लोगों के लिए बेहतर माना गया है. मांसाहारी लोगों के लिए मटन, मछली आदि सर्वोत्तम रहता है. पर चिकन का अध्यधिक सेवन नुसानदायक हो सकता है. हरी सब्जियों को आहार में शामिल करते हुए नियमित व्यायाम अच्छा रहता है.

ब्लड ग्रुप ‘एबी’

उपरोक्त ब्लड ग्रुपों की तुलना में यह ‘एबी’ ब्लड ग्रुप काफी आधुनिक किस्म का ब्लड ग्रुप है. इस ग्रुप की अच्छी बात यह है कि इस गु्रप वाले लोग हर तरह का खाना खा सकते हैं. दरअसल, ब्लड ग्रुप ‘ए’ और ‘बी’ दोनों ही ग्रुप का खाना ‘एबी’ ब्लड गु्रप के लिए अनुकूल होता है. मांस, सी फूड, डेयरी प्रोडक्ट्स, फल, सागसब्जी, टोफू वे खा सकते हैं. जिन खाद्यपदार्थों को खाने से बचना चाहिए, वे हैं- रैड मीट, बींस की और कौर्न. इन चीजों में अनन्नास, सागसब्जी, सी फूड, टोफू वजन कम करने में सहायक होते हैं. डाइट के साथ इन्हें थोड़ा पैदल चलने, टहलने के साथ नियमित रूप से तैरना भी चाहिए.

 

बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्याएं और आत्मविश्वास की कमी

युवाओं और बच्चों में तेजी से फैलती फास्ट फूड की संस्कृति ने घर के खाने से मिलने वाले पोषक तत्वों को उनसे छीन लिया है, जिससे युवाओं और बच्चों में स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएँ हो रही हैं. कुछ दशकों पहले की तुलना में आजकल बच्चों और किशोरों में मोटापा एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है. इसके अलावा, महामारी ने पहले से मौजूद कठिन परिस्थति को और भी बढ़ाने का काम किया है. वायरस को बढ़ने से रोकने के लिये घरों में रहने के आदेश ने गंभीर रूप से लोगों के बाहर निकलने को सीमित कर दिया और परिवारों के लिये कई सारी परेशानियाँ लेकर आया, जिनमें मोटापा और ज्यादा वजन शामिल है, खासकर बच्चों में. स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई होने से बच्चों के खानपान, एक्टिविटी और सोने के पैटर्न पर काफी प्रभाव पड़ा.

डॉ. निशांत बंसल, कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा का कहना है कि खाने-पीने की पैकेटबंद चीजें और सुविधाजनक खाने से भी वजन में अस्वास्थ्यकर वृद्धि हो रही है. बच्चों में मोटापे के लिये पेरेंट्स का खाना नहीं बना पाना या सेहतमंद खाना नहीं पका पाना, इसका बहुत बड़ा कारक रहा. ज्यादातर बच्चे शरीर और दिमाग पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को जाने बिना, कैंडीज और सॉफ्ट ड्रिंक्स के रूप में काफी सारा शक्कर लेते हैं.

समय की कमी-

बच्चों के मोटापे में शारीरिक गतिविधि और खेलने के समय में कमी का भी योगदान है. यदि कोई व्यक्ति कम ऐक्टिव है तो उनका वजन बहुत तेजी से बढ़ जाता है, चाहे वे किसी भी उम्र के हों. एक्सरसाइज करने से कैलोरी जलाकर सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद मिलती है. मैदान पर खेलने का समय और बाकी एक्टिविटीज से बच्चों को ज्यादा कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है, लेकिन यदि आप ऐसा करने के लिये प्रेरित नहीं करते हैं तो हो सकता है वे ऐसा नहीं करें. वर्तमान दौर में बच्चे आमतौर पर कंप्यूटर, टेलीविजन या गेमिंग स्क्रीन पर अपना समय बिताते हैं, क्योंकि समाज कहीं ज्यादा असक्रिय हो गया है. पहले के दिनों की तुलना में अब बहुत कम बच्चे ही साइकिल चलाकर स्कूल जाते हैं.

मनोवैज्ञानिक समस्या-

एक और महत्वपूर्ण कारण जिसे अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है, वह यह है कि कुछ बच्चों का मोटापा मनोवैज्ञानिक समस्याओं के कारण भी हो सकता है. बच्चे और किशोर जो ऊब गए हैं, चिंतित हैं, या परेशान हैं, वे अपनी नकारात्मक भावनाओं से निपटने में मदद के लिये अधिक खाना खा सकते हैं.

शारीरिक रूप से सक्रिय रहे-

खाने के साथ बच्चों का यह हानिकारक रिश्ता उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों को प्रभावित करता है. छोटे बच्चों में अक्सर बीमारियाँ होने की काफी अधिक संभावनाएं होती है, जोकि आगे चलकर उनकी जिंदगी को प्रभावित करती हैं. मोटे या ओवरवेट बच्चों को अक्सर अपने व्यक्तिगत जीवन में संघर्ष करना पड़ता है. उनका निम्न आत्मविश्वास उनके शरीर के बढ़े हुए वजन के कारण हो सकता है. वे बदमाशी या मजाक का केंद्र बन सकते हैं. ऐसा हो सकता है कि वे शारीरिक गतिविधि नहीं कर पाएँ और अपने वजन को लेकर शर्म महसूस करें.

अपने बच्चे का सेहतमंद वजन बनाए रखने और उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखने के लिये, कई ऐसे उपाय हैं जो किए जा सकते हैं. अपने बच्चे के बढ़े वजन के पीछे के मुख्य कारण को जानना भी जरूरी है. कई ऐसे तरीके हैं जिससे बचपन में होने वाले मोटापे से वजन बढ़ने से रोका जा सके और चाइल्डहुड ओबिसिटी का इलाज किया जा सकता है. इसके साथ ही, समस्या पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों को रोकना भी जरूरी है. शक्कर और स्टार्च युक्त स्नैक्स की जगह सेहतमंद विकल्प, हेल्दी लंच पैक करना और लो-फैट, हाई-फाइबर वाला डिनर बच्चे की संपूर्ण सेहत को बेहतर बना सकता है और बार-बार लगने वाली भूख को शांत कर सकता है.

ऐक्टिविटीज में हिस्सा ले-

बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिये अनुकूल सुरक्षित माहौल प्रदान करना, जैसे कि बाइक रूट, खेल का मैदान और ऐक्टिव रहने के लिये सुरक्षित जगहें, बच्चे के पूरे स्वास्थ्य के लिये जरूरी हैं. बच्चों को ऐक्टिव रहने के लिये प्रेरित करने का एक सबसे मजेदार तरीका है कि पेरेंट्स का ऐक्टिव रहना और शारीरिक गतिविधि में शामिल होना. पेरेंट्स को थोड़ा वक्त निकालकर और बच्चों के साथ उनकी पसंदीदा ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेना चाहिए, इससे पेरेंट-बच्चे का रिश्ता बेहतर होगा. साथ ही उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और खुद को देखने का बच्चे का नजरिया भी बेहतर होगा.

रोजाना पीएं ग्रीन कॉफी, वजन होगा कम

सुबह चाय या कॉफी की एक घूंट आपकी पूरी थकान दूर कर देती है आपको दिनभर के लिए एनर्जी दे देती है. आप ग्रीन टी के बारे में अच्छी तरह से जानते होंगे. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. शायद आप इसका सेवन भी करते होंगे, लेकिन कभी आपने ग्रीन कॉफी के बारे में सुना है या फिर इसका सेवन किया है. इसका सेवन करने से आप कई बीमारियों से निजात पा सकते है. कैफीन के कारण कई लोग इसे पीना सही नहीं मानते हैं. लेकिन इससे आप अपना वजन आसानी से कम कर सकते हैं.

जानिए, क्या है ग्रीन कॉफी?

ग्रीन टी के चलन के साथ ही ग्रीन कॉफी को लेकर भी बहुत चर्चाएं की जाने लगी हैं. यह असल में कच्चे, बिना सिके हुए कॉफी के बीज होते हैं. इन्हें इसी स्वरूप में पीसकर काम में लाया जाता है. चूंकि ये प्राकृतिक और कच्चे रूप में काम में लिए जाते हैं, इसलिए इसे ग्रीन कॉफी कहा जाता है.

शोध में सामने आई ये बात

कई शोध कोलोरोजेनिक एसिड के मेटाबॉल्जिम पर पड़ने वाले साकारत्मक प्रभावों की पुष्टि करते हैं. ग्रीन कॉफी के ऊपर एक शोध किया गया जिसमें प्रतिभागियों को दो सप्ताह तक ग्रीन कॉफी की काफी मात्रा, दो सप्ताह कम मात्रा और दो सप्ताह तर प्लेसबो का सेवन करने के लिए कहा गया. हर डोज के बीच दो सप्ताह का ब्रेक दिया गया. जिसके परिणामस्वरूप ये बात सामने आई कि ग्रीन कॉफी वजन कम करने में काफी फायदेमंद है. इसके साथ ही बॉडी मॉस इंडेक्स और बॉडी फैट परसेंटेज में भी काफी गिरावट आई थी.

अगर आप इसका सेवन खाली पेट रोजाना करें तो आपका वजन आसानी से कम हो सकता है. आमतौर में माना जाता है कि खाली पेट चाय या कॉफी पीने से आपको एसिडिटी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं.

शोध के अनुसार अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं और डाइट फॉलों नहीं करना चाहते हैं, तो आप ग्रीन कॉफी का सेवन करें.

इसका सेवन करने से आप एक माह में कम से कम 2 किलों वजन कम कर लेगें.

अगर आप इसका सेवन करेगें तो इसमें मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देगा. जिससे कारण फैट आसानी से जल्दी से खत्म हो जाता है.

इसमें मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपके मूड को अच्छा बना देती है. साइको फॉर्मेसी में एक शोध सामने आई. साल 2012 में एक शोध किया गया जिसके मुताबिक कैफीनयुक्त और कैफीन रहित दोनों ही कॉफी जिनमें इसमें मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड होता है. वह आपके मूड को सकारात्मक बनाने में मदद करता है. खासतौर में अधिक उम्र वालों को जरूर फायदा करता है.

14 Tips: तो नहीं बढ़ेगा वजन

बढ़ता वजन आप के माथे पर सिकुड़नों को बढ़ाता होगा, तो दिनबदिन बढ़ती चरबी आप को लोगों के सामने नहीं खुद अपनी नजरों में भी शर्मिंदा करती होगी. ऐसा चाहे डिलिवरी के बाद हुआ हो या अचानक यों ही, आप ने अपने वजन को घटाने के लिए व्यायाम, जिम, कार्डियो ऐक्सरसाइज वगैरह क्या कुछ नहीं किया लेकिन याद रखिए कि वजन घटाने का मतलब यह नहीं कि आप क्रैश डाइटिंग कर के एकदम से छरहरे बदन की हो जाएं. ध्यान रहे कि ऐसा करने से स्टैमिना कमजोर हो जाता है, तो न काम में मन लगता है और न दैनिक कार्यों के लिए ऐनर्जी रहती है. आप हैल्दी फूड के साथसाथ नियमित ऐक्सरसाइज व व्यायाम से ही अपना वजन मैंटेन कर सकती हैं.

आप का नाश्ता बिलकुल सही हो और थोड़ीथोड़ी देर बाद आप कुछ न कुछ खाती रहें. लेकिन डाइट में कैलोरी की मात्रा कम होनी चाहिए. तलेभुने और फास्ट फूड से दूर रहें. रात का खाना 8 बजे तक कर लें ताकि खाने को पचने का पर्याप्त समय मिल जाए और रात का खाना आप के पूरे दिन के खाने में सब से हलका होना चाहिए.

कुल मिला कर डाइट संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए और डाइट में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए. एक आम इनसान को प्रतिदिन 2,500 कैलोरी की डाइट लेनी चाहिए. तभी हमारा शरीर स्वस्थ व छरहरा रह सकता है. आप अपने लिए डाइट प्लान इस तरह करें:

1. दिन में 3 बार की जगह 5 बार मील्स लें. इस में साबूत अनाज (ब्राउन राइस, व्हीट ब्रैड, बाजरा, ज्वार आदि) अवश्य शामिल करें. नौनरिफाइंड व्हाइट प्रोडक्ट्स (व्हाइट ब्रैड, व्हाइट राइस, मैदा आदि) को डाइट से पूरी तरह हटा दें.

2. डाइट में टोंड दूध से बना दही, पनीर व दाल, मछली आदि शामिल करें.

3. कब्ज व पेट की मरोड़ से बचने के लिए खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं. इस के लिए सप्लिमैंट्स के बजाय प्राकृतिक फाइबर लें. फाइबर के प्रमुख स्रोत हैं, साबूत अनाज, होम मेड सूप, दलिया, फल आदि. इन से फाइबर के साथसाथ कई मिनरल्स व विटामिंस भी मिलेंगे.

4. हड्डियों की मजबूती के लिए डाइट में कैल्सियम की मात्रा बढ़ाएं. इस के प्रमुख स्रोत हैं- दूध, मछली, मेवा, खरबूज के बीज, सफेद तिल आदि. याद रहे कि पतले होने के फेर में कैल्सियम को डाइट से नदारद किया तो गठिया आप को जकड़ सकता है.

5. वजन कम करने के लिए आप फैट इनटेक (वसा की मात्रा) कम करना चाहते हैं, तो डाइट से फैट्स एकदम हटाने की जरूरत नहीं. डाइटिशियन के अनुसार, ऐनर्जी लैवल को बनाए रखने, टिशू रिपेयर और विटामिंस को बौडी के सभी हिस्सों तक पहुंचाने के लिए खाने में पर्याप्त मात्रा में फैट्स होने जरूरी हैं. इसलिए डाइट से फैट्स को पूरी तरह हटाने के बजाय आप मक्खन जैसे सैचुरेटेड फैट्स को अवौइड करें और इस की जगह औलिव औयल इस्तेमाल में लाएं.

6. दिन की शुरुआत जीरा वाटर, अजवाइन वाटर, मेथी वाटर या आंवला जूस से करनी चाहिए. इस से मैटाबोलिक रेट बढ़ता है.

7. बहुत ज्यादा देर तक खाली पेट न रहें. इस से आप एक बार में अधिक भोजन करेंगी. बेहतर होगा कि आप बीचबीच में कम वसा वाले स्नैक्स या फिर फल, सूप जैसी चीजें लेती रहें.

8. रामदायक लाइफस्टाइल अपनाने के बजाय कुछ परिश्रम भी करें. याद रहे कि वजन तभी बढ़ता है, जब खाने से मिलने वाली कैलोरी पूरी तरह बर्न नहीं होती.

9. वजन कम करने का अनहैल्दी तरीका है क्रैश डाइटिंग. इस से न सिर्फ वजन कम होता है, बल्कि मसल्स व टिशूज पर भी इस का बुरा असर पड़ता है.

10. दिन में 8-10 गिलास पानी पीएं.

11. आप के खाने में सोडियम की मात्रा कम होनी चाहिए. सोडियम शरीर से पानी सोखता है और ब्लडप्रैशर बढ़ाता है, इसलिए दिन भर में नमक बस 1 या 11/2 चम्मच ही लें.

12. कोलैस्ट्रौल लैवल कंट्रोल करने के लिए फैट की मात्रा पर ध्यान दें.

13. पानी वाले फलसब्जी (मौसंबी, अंगूर, तरबूज, खरबूजा, खीरा, प्याज, बंदगोभी आदि) रैग्युलर लें.

14. कम से कम चीनी व नमक का प्रयोग करें.

कामकाजी लोग क्या करें

कामकाजी लोगों का ज्यादातर समय औफिस की कुरसी पर बैठेबैठे ही बीत जाता है. ऐसे में वजन बढ़ाना तो आसान होता है पर एक बार बढ़ जाए तो घटाना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे लोगों को अपने खाने के प्रति काफी सतर्क रहना चाहिए. वे कुछ निश्चित नियमों का पालन कर के ही अपने वजन को काबू में रख सकते हैं. औफिस में कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें बाहर निकाल कर या कैंटीन में खाना आम बात होती है और उन्हें खा कर बैठे रहना वजन ही बढ़ाता है. ऐसा न हो, इस के लिए घर का बना टिफिन आप की काफी मदद करेगा.

जब उम्र कम हो

बेवजह का खानपान और असमय भोजन लेने की आदत ऐसे लोगों के वजन को बढ़ाने का काम करती है. फास्ट फूड पर निर्भरता भी इस उम्र के लोगों में औरों की अपेक्षा ज्यादा ही होती है. इसलिए दिन भर में 2 बार का भोजन और सुबह का प्रोटीनयुक्त नाश्ता दिन भर आप को चुस्त रखेगा और आप का वजन भी नियंत्रित करेगा. साथ ही खाने में सलाद का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें तो बेहतर होगा. कम उम्र में वजन बढ़ जाने से बुरा और कुछ नहीं हो सकता. ऐसा न हो इस के लिए जरूरी है कि पहले फास्ट फूड से बचें. इस उम्र में सब से ज्यादा ताकत की आवश्यकता होती है, इसलिए प्रोटीन से भरपूर भोजन लें. कार्बोहाइड्रेट को नाश्ते में जरूर शामिल करें.

बुजुर्गों की डाइट

अगर आप 60 की उम्र पार कर चुके हैं, तो सेहत के प्रति ज्यादा सजग होंगे. इस उम्र में पाचन क्रिया के साथसाथ हड्डियां और मांसपेशियां दोनों ही कमजोर हो जाती हैं. बुजुर्गों के लिए बेहतर है कि कम खाएं पर कई बार खाएं. साथ ही व्यायाम को भी अपने दिन के प्लान में जरूर शामिल करें. दिन में 1 बार 20 मिनट टहलने से आप खुद को काफी तरोताजा रख पाएंगे. -दीप्ति अंगरीश डाइटिशियन, शिखा शर्मा से की गई बातचीत पर आधारित

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खाने से जुड़े मिथक और सचाई

95 फीसदी से ज्यादा बीमारियां पोषक तत्त्वों की कमी और शारीरिक श्रम में कमी होने के चलते होती हैं. आइए, भोजन से जुड़े कुछ मिथकों की सचाई के बारे में जानते हैं.

1. मिथक: चीनी की जगह शहद से अपने खाने को मनचाहे तरीके से मीठा कर सकत हैं.

सचाई: रासायनिक लिहाज से शहद और चीनी बिलकुल बराबर हैं. यहां तक कि नियमित चीनी के सेवन के मुकाबले शहद में ज्यादा कैलोरी हो सकती है. इसलिए बिलकुल चीनी की ही तरह शहद का भी कम मात्रा में ही इस्तेमाल करें.

2. मिथक: किसी वक्त का भोजन न करने पर अगले भोजन में उस की कमी पूरी हो जाती है.

सचाई: किसी भी समय का भोजन मिस करना ठीक नहीं माना जाता है और इस की कमी अगले वक्त का भोजन करने से पूरी नहीं होती. 1 दिन में 3 बार संतुलित भोजन लेना जरूरी होता है.

3. मिथक: यदि खाने के पैकेट पर ‘सब प्राकृतिक’ लिखा हो तो वह खाने में सेहतमंद होता है.

सचाई: अगर किसी चीज पर ‘सब प्राकृतिक’ का लेबल चस्पा हो तो भी उस में चीनी, असीमित वसा या फिर दूसरी चीजें शामिल होती हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकती हैं. ‘सब प्राकृतिक’ लेबल वाले कुछ स्नैक्स में उतनी ही वसा शामिल होती है जितनी कैंडी बार में. पैकेट के पिछले हिस्से पर लिखी हिदायतों को पढ़ना जरूरी होता है जो आप से सब कुछ बयां कर देती है.

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4. मिथक: जब तक हम प्रत्येक दिन विटामिन का सेवन कर रहे हों, हम क्या खा रहे हैं उस के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है.

सचाई: कुछ पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि विटामिन की गोलियां लेना अच्छी बात है, लेकिन ये गोलियां हर उस चीज को पूरा कर देंगी जिस की लंबे समय से आप को जरूरत है, जरूरी नहीं. सेहतमंद खाना आप को रेशे, प्रोटीन, ऊर्जा और बहुत सारी ऐसी जरूरी चीजें मुहैया कराता है जो विटामिन की गोलियां नहीं करा सकतीं. इसलिए विटामिन और चिप्स का 1 बैग अभी भी एक खतरनाक लंच है. इस की बजाय आप को संतुलित और पोषक तत्त्वों वाले भोजन की जरूरत है.

5. मिथक: अगर वजन जरूरत से ज्यादा नहीं है तो अपने खाने के बारे में परवाह करने की जरूरत नहीं है.

सचाई: अगर आप को अपने वजन से समस्या नहीं है तो भी हर दिन सेहतमंद भोजन का चुनाव करना जरूरी होता है. अगर आप अपने शरीर को एक मशीन की तरह से देखते हैं तो यह भी जानते होंगे कि मशीन को पूरी मजबूती के साथ चलाने के लिए अच्छे ईंधन का इस्तेमाल करना होता है. जंक फूड से दूर रहने का भी यही मकसद है. अगर आप खराब खाने की आदतें विकसित कर लेंगे तो आप को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

6. मिथक: विटामिन और खनिज की जरूरत को पूरा करने के लिहाज से ऐनर्जी बार सब से बेहतर रास्ता हैं.

सचाई: ऐनर्जी बार कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के बेहतर स्रोत हो सकते हैं. लेकिन दूसरे खाने की तरह उन का भी बेजा इस्तेमाल हो सकता है. उन्हें ज्यादा खाने का मतलब है आप अपने शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचा रहे हैं जितना कैंडी, केक और कूकी के खाने से होता है.

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7. मिथक: चीनी आप को ऊर्जा देती है. अगर आप को दोपहर या फिर खेल खेलने से पहले ऊर्जा बढ़ाने की जरूरत है तो एक कैंडी बार खाइए.

सचाई: चौकलेट, कूकी, कैंडी और केक जैसी खाद्य सामग्री में चीनी की सामान्य मात्रा पाई जाती है जो यकीनन आप के खून में शर्करा बढ़ा ला देगी और फिर इस के जरीए आप के शरीर की प्रणाली में जल्द ही ऊर्जा के संचार का एहसास होगा. लेकिन बाद में ब्लड शुगर में बहुत तेजी से गिरावट आती है और फिर आप को ऐसा महसूस होगा कि शुरू के ऊर्जा के स्तर में भी कमी आ गई है.

8. मिथक: कार्बोहाइड्रेट आप को मोटा करता है.

सचाई: अगर आप औसत और संतुलित मात्रा में इस का सेवन करते हैं तो आप के शरीर के लिए ये सब से बेहतर ऊर्जा के स्रोत साबित हो सकता है.                    

– डा. नीलम मोहन
पीडिएट्रिक गैस्ट्रोऐंटरोलौजिस्ट और यकृत प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, मेदांता मैडिसिटी

मिलिट्री डाइट क्या है और जानें इसके फायदे

मिलिट्री डाइट का सेना से कोई संबंध नही. इस आहार से लाभ लेने के लिए हमे सहनशक्ति और अनुशासन की जरूरत है इसलिए इसे मिलिट्री डाइट कहा जाता है. यह आहार समय के साथ विकसित हुआ है इसलिए यह मिलिट्री डाइट के रूप में भी जाना जाता है.

मिलिट्री डाइट हमारे लिए वजन घटाने के लिए बहुत मददगार है. हम बिना किसी कठिन व्यायाम किए वजन को आसानी से कम कर सकते हैं. इस आहार का इस्तेमाल करके हम एक सप्ताह में 10 पौंड तक वजन घटा सकते हैं. इसमें क्या खा सकते हैं क्या नही कैसे वजन कम कर सकते हैं , जानते हैं.

 व्यायाम

सप्ताह में पांच दिन आपको कम से कम 30 मिनट तक रोजाना चलना है और संतुलित आहार लेना है. अगर आपको व्यायाम करने के बाद  कमजोरी महसूस होती है तो आपको व्यायाम थोड़ा कम कर देना चाहिए.

 मिलिट्री डाइट के फायदे

मिलिट्री डाइट हमारी कैलोरी को नियंत्रित करती है.  हमारा वजन कम कर हमे फिट रखने में भी हमारी मदद करती है. जिस से हम कोई भी ड्रेस पहनते है तो वो अच्छी लगती है.लम्बे समय तक यह हमारा वजन घटाने में हमारी मदद करती है. इस से मिलने वाली कैलोरी की गुणवत्ता अच्छी होती है .कैलोरी की गुणवत्ता हमारे वजन कम करने में ही नही बल्कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को भी बढ़ाती है और बीमारियों से लड़ने में भी हमारी मदद करती है.

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 तीन दिनों का मिलिट्री डाइट प्लान

पहला दिन

सिर्फ 1400 कैलोरी लेनी है

नाश्ता

1 टोस्ट, 2 चम्मच पीनट बटर, आधा ग्रेपफ्रूट और एक कप चाय या कॉफी लें.

लंच

एक स्लाइस टोस्ट, एक कप स्प्राउट्स, एक कप चाय या कॉफी.

डिनर

80 ग्राम पनीर या मीट, एक कप ग्रीन बीन्स, एक  सेब, एक केला, एक कप कस्टर्ड या वनीला आइसक्रीम.

 दूसरा दिन

दूसरे दिन सिर्फ 1200 कैलोरी इनटेक.

नाश्ता- एक टोस्ट, आधा केला, एक उबला हुआ अंडा और एक कप चाय या कॉफी.

लंच- एक उबला हुआ अंडा, एक कप कॉटेज चीज, 5 नमक वाले क्रैकर, चाय या कॉफी.

डिनर- बिना घी की दो रोटी, आधा कप गाजर और ब्रोकली,  केला और आधा कप कस्टर्ड ,या आइसक्रीम

 तीसरा दिन

तीसरे दिन 110 कैलोरी का सेवन करें.

नाश्ता- 28 ग्राम  चीज, 5 नमकीन क्रैकर, एक छोटा सेब, एक कप चाय या कॉफी.

लंच- टोस्ट एक स्लाइस, एक स्क्रैम्बल्ड अंडा (उबला या ऑमलेट आप जैसे भी खाना चाहें), एक कप चाय या कॉफी इच्छा हो तो.

डिनर- एक कप मिक्स दाल,1 केला, लस्सी या वनीला शेक

 शेष 4 दिन

इन चार दिनों में आपकी डाइट यही रहती है. स्नैक्स का सेवन अभी भी करने से बचें. आप कैलोरी की मात्रा बढ़ाकर 1500 कैलोरी कर सकते हैं.

मिलिट्री डाइट में क्या ना खाएं

फलों में आम और कटहल ना खाएं.

डेयरी प्रोडक्ट्स में फुल फैट मिल्क, फुल फैट योगर्ट और फुल फैट क्रीम.

फैट्स और ऑयल में वेजीटेबल ऑयल, बटर, मायोनीज.

सॉफ्ट ड्रिंक्स, पैकेज्ड फ्रूट जूस, पैकेज्ड कोकोनट वाटर और एल्कोहल.

सॉस में टोमैटो सॉस, बार्बेक्यू सॉस, स्वीट चिली सॉस, चिली सॉस और मायोनीज.

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 मिलिट्री डाइट के नुकसान क्या हैं ?

जल्दी वजन घटाना हो तो ये डाइट पैटर्न ठीक है .लेकिन इसको ज्यादा दिनों के लिए फॉलो करना सेहत से खिलवाड़ करना है. असल में जब आप वेट कम करने के लिए मिलिट्री डाइट प्लान फॉलो करते हैं, तो इस से वेट जितनी तेजी से कम होता है, उतनी ही तेजी से छोड़ने पर वजन फिर से बढ़ सकता है. ऐसे में आपको खुद से वजन कम करने के सही तरीके जैसे हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज, वर्काउट आदि करने होंगे.

मिलिट्री डाइट प्लान फॉलो करने से पहले डॉक्टर से बात जरूर कर ले.

लाइफस्टाइल में बदलाव कर वजन बढ़ाएं और दुबलेपन को कहें बाय-बाय

सामान्य से कम वजन वाले यानी दुबले लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर करने की कोशिश तो करते हैं लेकिन तंदुरुस्त नहीं हो पाते क्योंकि वे कुछ गलत आदतों के आदी होते हैं.

मौजूदा भागदौड़भरी लाइफस्टाइल में खुद को फिट बनाए रखना हर लिहाज से जरूरी है.

दुबलेपन को दूर करने और कमजोर शरीर को तंदुरुस्त बनाने के लिए लोग दवाओं से ले कर तरहतरह के हैल्थ सप्लीमैंट्स लेते हैं. लेकिन फिर भी अधिकतर लोगों का शरीर कमजोर और दुबलापतला ही रहता है.

दुबलेपतले शरीर के कारण किशोरों, युवाओं और अधेड़ पुरुषों को क्रमश: स्कूल, कालेज और औफिस या बिजनैस प्रतिष्ठानों तक में शर्मिंदगी  झेलनी पड़ती है. वजन बढ़ाने के लिए लड़की न जाने क्याक्या करती है, खाती है, लेकिन वजन नहीं बढ़ता और शरीर जस का तस ही बना रहता है.

क्यों नहीं बनती सेहत

वजन न बढ़ने और तंदुरुस्त न होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इन कारणों में कुछ ऐसी गलत आदतें भी शामिल होती हैं, लोग जिन के शिकार हो जाते हैं. ऐसी आदतें न केवल शरीर को बाहरी तौर पर नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि शरीर को भीतर से भी नुकसान पहुंचाती हैं.

आप उन में से हैं जो खाते तो बहुत हैं लेकिन उन के शरीर में लगता नहीं है,

तो वे गलतियां न करें जिन का जिक्र यहां किया जा रहा है. आप अगर चाहते हैं

कि आप तंदुरुस्त रहें और आप की पर्सनैलिटी दूसरों की तरह

चमके तो इन गलत आदतों को बायबाय कह दें.

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भूख लगने पर खाना न खाने की आदत

व्यस्त जीवनशैली में अधिकतर लोग अपने शैड्यूल के चक्कर में सही समय पर खाना नहीं खाते हैं. कोई ऐसा अगर नियमित रूप से करता है तो उस की सेहत पर बुरा असर पड़ना शुरू हो जाता है. दरअसल, ऐसा करने से भूख मर सी जाती है,

भूख लगना बंद हो जाती है. सही समय पर खाना नहीं खाने से शरीर पर विपरीत असर पड़ता है.

किसी भी इंसान की यह गलत आदत उस के शरीर को तंदुरुस्त नहीं होने देती.

रोज एक सी ऐक्सरसाइज करने की आदत

फिट रहने और शरीर के वजन को बढ़ाने के लिए रोजाना ऐक्सरसाइज करना अनिवार्य है. सुबह की सैर पर जाना, किसी मैदान या पार्क में थोड़ीबहुत कसरत या उछलकूद करने से सेहत बेहतर होती है. इस के लिए अधिकतर पुरुषों ने जिम को एक आसान विकल्प सम झा हुआ है.

लोग बौडी बनाने के चक्कर में दवाएं और हैल्थ सप्लीमैंट्स ले लेते हैं, जो उन्हें भले ही मसल्स बनाने में मदद करते हैं लेकिन इस के साइड इफैक्ट बाद में सामने आते हैं. दूसरों को बौडी बनाता देख नए लड़के भी वही करने लग जाते हैं और रोजाना एक ही ऐक्सरसाइज करने लगते हैं. तंदुरुस्त न होने के पीछे एक वजह यह भी है. बहुत से लोग जिम जा कर रोजाना एक ही तरह की ऐक्सरसाइज करते हैं. रोजाना एक ही तरह की ऐक्सरसाइज करने से शरीर के अंग कमजोर होने लग जाते हैं और फिर बौडी नहीं बन पाती.

दरअसल, अगर ऐक्सरसाइज कर रहे हैं तो उसे ट्रेनर के निरीक्षण में करें क्योंकि उस का एक साइंस होता है. जिम ट्रेनर इंसान के शरीर के मुताबिक ऐक्सरसाइज करने का चार्ट बना देते हैं, जिस में हफ्ते के 6 दिनों का ब्योरा होता है कि किस दिन कौनकौन सी ऐक्सरसाइज करनी हैं. जिम ट्रेनर के निरीक्षण में ऐक्सरसाइज करने से शरीर फिट रहने के साथ वजन बढ़ कर आदर्श लैवल पर बना रहता है.

पानी कम पीने की आदत

24 घंटे के रातदिन के दौरान इंसान को भरपूर पानी पीना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में पानी

पीने से शरीर को भीतर व बाहर दोनों तरफ से फायदा मिलता है.

यह शरीर के वजन को बढ़ाने व शरीर की स्किन और बालों को पोषण प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है.

देशविदेश के वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान को अपनेआप को हाइड्रेट रखने और शरीर से टौक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी या कोई तरल पदार्थ पीना चाहिए. इंसान चाहे तो नारियल पानी और ताजे फलों का जूस भी पी सकता है. सो, अगर कोई कम पानी पीता है

तो उसे यह आदत छोड़नी होगी.

सोने में कंजूसी की आदत

ऊर्जावान और स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि इंसान नियमित रूप से पूरी नींद ले. नींद न पूरी होने से सिर भारी रहने के साथ शरीर का ब्लडप्रैशर यानी बीपी बढ़ सकता है. नींद न पूरी होने की वजह से थकान के साथसाथ चिड़चिड़ाहट भी महसूस होती है और बातबात पर गुस्सा आता है. मैडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कम से कम 7 घंटे की नींद लेनी जरूरी है.

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पूरी नींद लेने से इंसान स्वस्थ महसूस करने के साथ ऊर्जावान बना रहता है. यह इंसान की फिटनैस और आदर्श वजन के लिए भी बेहद जरूरी है. ऐसे में जो लोग रात में सोने में कंजूसी करते हैं वे अपनी इस आदत को छोड़ दें.

यानी, सेहतमंद जीवन के लिए जरूरी होती हैं अच्छी आदतें. ये इंसान को खुश रखने के साथ ऊर्जा से भरपूर भी रखती हैं.

यही नहीं, ये इंसान को बीमारियों से काफी हद तक दूर भी रखती हैं. तो, गलत आदतों को त्याग कर कोई भी

तंदुरुस्त होने के साथ आइडियल वजन हासिल कर सकता है.

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