लव आजकल: विनय से शादी क्यों नहीं कर पाई वह

जिम में ट्रेडमिल पर चलतेचलते वैशाली ने सामने लगे शीशे में खुद को देखा. फिर मन ही मन अपने रूपरंग और फिगर पर इतराई कि कौन कहेगा वह इस महीने 35 साल की हो गई है. वह चलने की स्पीड बढ़ाते हुए अब लगभग दौड़ने सी लगी थी. अचानक उसे महसूस हुआ कि उसे कोई देख रहा है. उस ने सामने शीशे में फिर देखा. करीब 25 साल का नवयुवक वेट उठाते हुए उसे चोरीचोरी देख रहा था. वह थोड़ी देर टे्रडमिल पर दौड़ी, फिर साइक्लिंग करने लगी. वह लड़का अब ट्रेडमिल पर था. जिम में हर तरफ शीशे लगे थे. शीशे में ही उस की नजरें कई बार उस लड़के से मिलीं, तो वह अनायास मुसकरा दी. उस की नजरों से शह पा कर वह लड़का भी मुसकरा दिया. दोनों अपनाअपना वर्कआउट करते रहे. अपनी सोसाइटी के इस जिम में वैसे तो वैशाली शाम को आती थी पर शाम को जिस दिन किट्टी पार्टी होती थी, वह जिम सुबह आती थी. अपने पति निखिल के औफिस और 5 वर्ष के बेटे राहुल को स्कूल भेजने के बाद वह आज सुबह 9 बजे ही जिम आ गई थी.

वैशाली ने उस लड़के से आंखमिचौली करते हुए खुद को एक नवयुवती सा महसूस किया. घर आ कर जब तक वह फ्रैश हुई, उस की मेड किरण आ गई, फिर वह काम में व्यस्त हो गई. अगले दिन वैशाली निखिल और राहुल के लिए नाश्ता बना रही थी, तभी अचानक जिम वाला लड़का ध्यान आ गया कि कहीं देखा तो है उसे. कहां, याद नहीं आया. होगा इसी सोसाइटी का, कहीं आतेजाते देखा होगा, फिर सोचा वह लड़का तो सुबह ही होगा. जिम में, शाम को तो दिखेगा नहीं. उस लड़के की तरफ वह पहली नजर में ही आकर्षित हो गई थी. स्मार्ट, हैंडसम लड़का था. वह अपना मन उस से हटा नहीं पाई और निखिल और राहुल के जाने के बाद जिम के लिए तैयार हो गई.

9 बज रहे थे. जा कर देखा, वह लड़का आ चुका था. वैशाली उसे देख कर मुसकरा दी. वह भी मुसकरा दिया. रोज की तरह दोनों अपनीअपनी ऐक्सरसाइज करते रहे. एकदूसरे से जब भी नजरें मिलीं, मुसकराते रहे, कोई बात नहीं हुई. 1 हफ्ता यही रूटीन चलता रहा. दोनों ही एकदूसरे के प्रति आकर्षित थे. वैशाली बहुत खूबसूरत थी, फिगर की उचित देखरेख से बहुत यंग दिखती थी. एक दिन वह लड़का वैशाली के जिम से निकलने पर साथसाथ चलता हुआ अपना परिचय देने लगा. ‘‘मैं विनय हूं, अभीअभी एक कंपनी में जौब शुरू की है.’’

वैशाली ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मैं वैशाली.

विनय बोला, ‘‘मैं जानता हूं, आप मेरे सामने वाली बिल्डिंग में ही रहती हैं.’’

वैशाली चौंकी, ‘‘आप को कैसे पता?’’

‘‘मैं आप की सहेली रेनू का देवर हूं, आप को मैं ने 1-2 बार अपने घर पर देखा भी है, शायद आप ने ध्यान नहीं दिया होगा. आप के बेटे राहुल की मेरी भाभी कभीकभी ड्राइंग में हैल्प करती हैं.’’

वैशाली हंस दी, ‘‘हां, रेनू की ड्राइंग अच्छी है, कई बार चार्ट बनाने में रेनू ने उस की हैल्प की है.’’

दोनों बातें करतेकरते अपनी बिल्डिंग तक पहुंच गए थे. वैशाली घर आ कर भी विनय के खयालों में डूबी रही… कितनी अच्छी स्माइल है, कितना स्मार्ट है और मुझ जैसी 1 बेटे की मां को पसंद करता है, यह उस की आंखों से साफ महसूस होता है. विनय को भी वैशाली अच्छी लगी थी. कहीं से एक बच्चे की मां नहीं लगती. जिम में वर्कआउट करते हुए तो एक कालेज गोइंग गर्ल ही लगती है. दोनों ही एकदूसरे के बारे में सोचने लगे थे. अब वैशाली शाम की जगह सुबह 9 बजे ही जिम जाने लगी थी, जहां अब मुख्य आकर्षण विनय ही था और यही हाल विनय का भी था. पहले वह कभीकभार जिम से छुट्टी भी कर लेता था पर जब से वैशाली से दोस्ती हुई थी, उसे देखने के चक्कर में कतई छुट्टी नहीं करता था. और अब तो दोनों के मोबाइल फोन के नंबरों का भी आदानप्रदान हो चुका था. सोमवार को जिम बंद रहता था. उस दिन दोनों बेचैनी से एकदूसरे से फोन पर बात करते. निखिल अपनी पत्नी की हरकतों से अनजान अपने काम और परिवार की जिम्मेदारियों को हंसीखुशी निभाने वाले एक सभ्य पुरुष थे. वैशाली के जोर देने पर विनय अब वैशालीजी की जगह वैशाली पर आ गया था. 2 साल पहले ही निखिल का ट्रांसफर दिल्ली से मुंबई हुआ था पर उन्हें अकसर किसी न किसी काम से दिल्ली जाना पड़ता रहता था.

एक दिन निखिल 3-4 दिनों के लिए दिल्ली गए तो वैशाली ने राहुल के स्कूल जाने के बाद विनय को घर बुलाया. जिम से दोनों ने छुट्टी कर पहली बार अपने रिश्ते को एक कदम और आगे बढ़ा दिया. विनय पहली बार वैशाली के घर आया था. दोनों के बीच पहली बार शारीरिक संबंध भी बन गए.

विनय ने कहा, ‘‘सौरी वैशाली, शायद मुझे नहीं आना चाहिए था.’’

‘‘कोई बात नहीं विनय, बस अब मेरा साथ कभी न छोड़ना.’’

‘‘पर वैशाली, तुम्हारे पति को कभी भनक लग गई तो?’’

‘‘नहींनहीं, यह नहीं होना चाहिए, बहुत गड़बड़ हो जाएगी, बहुत संभल कर रहना होगा.’’

वैसे भी महानगरों में कौन क्या कर रहा है, इस बात से किसी को मतलब नहीं होता है और फिर किसी के पास समय ही कहां होता है. उस के बाद दोनों अकसर अकेले में मिलते रहते थे. वैशाली तनमन से विनय के प्यार में डूबी थी. विनय अकसर औफिस से हाफडे लेता था, दोनों के संबंधों के 6 महीने कब बीत गए, दोनों को ही पता न चला. वैशाली मशीनी ढंग से अपनी घर की जिम्मेदारियां पूरी करती और विनय के खयालों में डूबी रहती. एक दिन वैशाली किट्टी पार्टी में गई थी. वहां रेनू भी थी. रेनू ने उत्साहपूर्ण स्वर में सब को बताया, ‘‘बहुत जल्दी एक गुड न्यूज दूंगी तुम लोगों को.’’

सब पूछने लगीं, ‘‘जल्दी बताओ.’’

रेनू हंसी, ‘‘अभी नहीं, डेट तो पक्की होने दो.’’

अनीता ने पूछा, ‘‘कैसी डेट? बता न.’’

‘‘विनय के लिए लड़की देखी है, सब को पसंद आ गई है, बहुत अच्छी है, बस शादी की डेट फिक्स करनी बाकी है.’’

वैशाली को गहरा झटका लगा, ‘‘क्या? विनय के लिए?’’

‘‘हां भई, अब तो अच्छीखासी जौब कर रहा है… उस की जिम्मेदारी भी पूरी कर दें.’’

रेखा ने पूछा, ‘‘वैसे तो आजकल लड़के खुद ही लड़की पसंद कर लेते हैं. उस ने कोई लड़की खुद नहीं पसंद की?’’

‘‘नहीं भई, मेरा देवर तो बहुत ही प्यारा है, मांपिताजी ने कई बार पूछा, उस ने हमेशा यही कहा, आप लोग जहां कहोगे मैं कर लूंगा.’’

वैशाली ने अपनी कांपती आवाज पर नियंत्रण रखते हुए पूछा, ‘‘उस ने हां कर दी है?’’

‘‘और क्या?’’

वैशाली ने फिर पूछा, ‘‘उस ने देख ली लड़की?’’

‘‘हां भई, हम सब गए थे लड़की के घर. सब तय हो गया है. बस डेट फिक्स करनी है, 2-3 महीने के अंदर शादी हो जाएगी.’’

वैशाली के दिल पर गहरी चोट लगी. वह मन ही मन फुफकार रही थी. फिर, ‘‘कुछ जरूरी काम है,’’ कह कर वह किट्टी पार्टी से उठ कर बाहर निकल आई और फिर तुरंत विनय को फोन मिलाया, ‘‘मुझे तुम से मिलना है, विनय, अभी इसी वक्त.’’

‘‘कल जिम में मिलते हैं न सुबह.’’

‘‘नहीं, अभी, फौरन मुझ से मिलो.’’

‘‘क्या हुआ, अभी मुश्किल है, मैं औफिस में हूं.’’

‘‘ठीक है, जिम में सुबह मिलते हैं.’’

रात वैशाली ने जैसे जाग कर गुजारी, एक पल भी उसे नींद नहीं आई. निखिल ने उसे बेचैन सा देखा, तो कई बार उस का माथा सहलाया, पूछा, ‘‘तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘हां, ऐसे ही,’’ कह कर वह मन ही मन छटपटाती रही, पति के स्नेहिल स्पर्श से भी उसे चैन नहीं मिला. जिस विनय के प्यार में रातदिन डूब कर उसे अपना सब कुछ सौंप दिया और उस ने उसे कुछ बताया भी नहीं, इतना बड़ा धोखा…

सुबह निखिल और राहुल के जाते ही वैशाली जिम पहुंच गई. वहां अकेले एक कोने में पहुंच कर वैशाली गुर्रा पड़ी, ‘‘यह क्या सुना मैं ने कल? तुम विवाह कर रहे हो?’’

‘‘हां, मैं बताने वाला था पर मौका नहीं मिला, फिर मैं भूल गया, सौरी.’’

‘‘तुम्हें शर्म नहीं आई विवाह के लिए हां कहते हुए?’’

‘‘शर्म कैसी वैशाली?’’

‘‘हमारे बीच जो संबंध है उस के बाद भी यह पूछ रहे हो? धोखा दे रहे हो मुझे?’’ वैशाली का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था.

आतेजाते लोगों की नजरें उन पर न पड़ें, यह सोच कर विनय ने कहा, ‘‘अभी मैं तुम्हारे घर आता हूं, वहीं बात करते हैं, यहां ठीक नहीं रहेगा.’’ वैशाली उसी समय घर चली गई.

विनय भी थोड़ी देर में पहुंच गया. बोला, ‘‘क्या हो गया? इतना गुस्सा क्यों कर रही हो?’’

‘‘तुम किसी से विवाह करने की सोच भी कैसे सकते हो? हमारा जो रिश्ता है…’’

विनय ने बीच में ही बात काटी, ‘‘हमारा जो रिश्ता है, वह रहेगा न, परेशान क्यों हो?’’

‘‘कैसे रहेगा? कल तुम्हारी पत्नी होगी, कैसे रहेगा रिश्ता?’’

‘‘तुम्हारे भी तो पति हैं, तुम ने रखा न मुझ से रिश्ता?’’

‘‘नहीं, मैं यह नहीं सहन करूंगी, तुम शादी नहीं कर सकते किसी से.’’

‘‘यह तो गलत बात कर रही हो तुम.’’

‘‘नहीं, तुम सोचना भी मत यह वरना…’’

विनय को भी गुस्सा आ गया, ‘‘धमकी दे रही हो? मेरा परिवार है, मातापिता हैं… वे जहां कहेंगे, मैं विवाह करूंगा.’’

वैशाली जैसे फुफकार उठी, ‘‘मैं देखती हूं कैसे मेरे साथ रंगरलियां मना कर तुम कहीं और रिश्ता जोड़ते हो.’’

विनय उसे शांत करने की कोशिश में खुद को असफल होता देख बोला, ‘‘अभी मैं जा रहा हूं, कल मिलता हूं, जिम नहीं जाएंगे, यहीं बैठ कर बात करेंगे.’’ दिन में कई बार वैशाली ने विनय को फोन पर बुराभला कहा, उसे धमकी दी… पूरा दिन विनय को वैशाली के बिगड़े तेवर परेशान करते रहे. वैशाली का रौद्र रूप, उस का धमकी देना उसे बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करता रहा. विनय बहुत तेज दिमाग का लड़का था. वह पूरी स्थिति को अच्छी तरह सोचतासमझता रहा. पहले की मोहिनी, गर्विता सुंदरी वैशाली एक घायल नागिन की तरह फुफकारती विनय को अपना नया रूप दिखा गई थी.

अगले दिन विनय वैशाली से मिलने नहीं जा पाया. उसे औफिस जल्दी जाना था. वैशाली फोन पर चिल्लाती रही. शाम को विनय घर पहुंचा तो हंसीखुशी का माहौल था. अगले महीने की डेट फिक्स हो चुकी थी. 10 दिन बाद सगाई थी. विनय को वैशाली का क्रोधित रूप याद आता रहा. वह मन ही मन बहुत परेशान था. अगली सुबह विनय ने वैशाली के फ्लैट की डोरबैल बजाई. उतरा मुंह लिए वैशाली ने दरवाजा खोला, विनय को दुख हुआ. अब कुछ भी हो रहा हो, दोनों ने इस से पहले काफी समय प्यार भरा बिताया था. उस ने वैशाली के कंधे पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा, ‘‘क्यों टैंशन में हो? मैं कहीं भागा तो नहीं जा रहा… हम मिलते रहेंगे.’’

‘‘नहीं, तुम विवाह के लिए मना कर दो, मैं तुम्हारी पत्नी को सहन नहीं करूंगी.’’

‘‘क्यों? मैं ने कभी तुम्हारे पति को कुछ कहा है?’’

वैशाली गुर्राई, ‘‘वह सब मैं नहीं जानती, तुम ने विवाह किया तो मुझ से बुरा कोई न होगा.’’

विनय चुपचाप पैंट की जेब में हाथ डाल कर खड़ा हो गया, बोला, ‘‘मैं कुछ नहीं कर सकता अब… 10 दिन बाद सगाई है मेरी.’’

‘‘तो ठीक है, मैं भी देखती हूं कैसे विवाह करते हो तुम?’’

‘‘क्या करोगी?’’

‘‘मैं सब को बताऊंगी कि तुम ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. अभी इसी समय चिल्लाऊंगी, बदनाम कर दूंगी तुम्हें, इतने दिन मेरे साथ मौजमस्ती कर तुम आराम से किसी और के साथ घर नहीं बसा सकते.’’ वैशाली गुस्से में चिल्लाए जा रही थी.

अचानक विनय ने कहा, ‘‘ठीक है, फिर अब मैं चलता हूं और तुम्हें नेक सलाह देना चाहता हूं, कोई गलत हरकत करने की स्थिति में तुम नहीं हो इसलिए मेरे बारे में कुछ गलत कहनेकरने की सोचना भी मत.’’

‘‘मतलब? क्या कर लोगे?’’

‘‘चाहता तो नहीं था यह सब पर तुम्हारी धमकियां और गुस्सा यह सब करने पर मजबूर कर गया, लो सुनो,’’ कह कर विनय ने पैंट की जेब से अपना फोन निकाला और बटन औन करते ही वैशाली की गुस्से से भरी आवाज कमरे में गूंज गई, ‘इतने दिन मेरे साथ मौजमस्ती…’

यह सुनते ही वैशाली के चेहरे का रंग उड़ गया. विनय कह रहा था, ‘‘यह सब मैं करना नहीं चाहता था पर अगर तुम ने मुझे बदनाम किया तो तुम्हारे पति भी यह सुनेंगे. जो भी हमारे बीच हुआ, अच्छाबुरा, उस का जिम्मेदार मैं अकेला नहीं हूं. दोस्त बन कर हम हमेशा साथ रह सकते थे पर तुम ने धमकियां देदे कर इस की गुंजाइश भी नहीं छोड़ी. अब तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते,’’ और फिर विनय चला गया. वैशाली चोट खाई नागिन की तरह उसे जाते देख फुफकारती रह गई.

असल जिंदगी का प्यार फिल्मों से बहुत अलग होता है- सारा अली खान

बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म ‘लव आजकल’ के प्रमोशन में बिजी हैं, डायरेक्टर इम्तियाज अली की इस फिल्म में सारा अपने लॉन्ग टाइम क्रश और बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन के साथ रोमांस करती नजर आएंगी. ये फिल्म वेलेनटाइंस डे के मौके पर 14 फरवरी को रिलीज होगी. हाल ही में हमने सारा से एक खास मुलाकात की, जिसमें उन्होंने प्यार, फिल्मों और अपने दैनिक जीवन के बारें में बात की है. तो क्या है प्यार के लिए सारा के ख्याल आइये जाने उन्हीं से.

प्र. इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

ये फिल्म आज की यूथ और उसकी सोच को बताती है. आज का यूथ अपने करियर को लेकर जागरूक हो चुका है. आज औरते भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी है, इसलिए वे आगे बढ़कर रिलेशनशिप में वो मांग रही है जो वो सालों से मांगना चाहती थी, क्योंकि समाज महिलाओं को वो आजादी अब तक नहीं दे पाया है, जिसे महिलाएं चाहती थी. ये बदली है और रिलेशनशिप भी आज काफी बदल चुका है.

प्र. आपकी नज़र में प्यार क्या है?

प्यार को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. ये एक फीलिंग है, जिसे व्यक्ति अनुभव कर सकता है. इसे समझने में सालों लग जाते है, जबकि ये एक फिल्म है, जिसमें हमारी कोशिश ये रहती है कि ढाई घंटे में उस अनुभव को दर्शकों तक ला सकूं. प्यार क्या होता है इसे बता पाना मेरे लिए असंभव है. प्यार को इज़हार करने का तरीका समय के साथ बदलता है पर उसकी प्रकृति एक ही रहती है. प्यार के बिना जिंदगी जीने का मज़ा ही नहीं होता.

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प्र. कार्तिक आर्यन के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

कार्तिक काम को आसान बनाता है और काम करने के उत्साह को जगाता है, जिससे किसी भी दृश्य को करना मेरे लिए आसान था.

प्र. फिल्मों में आना एक इत्तेफाक था या बचपन से सोचा था?

बचपन में मैं काफी पढ़ाकू थी. मुझे पहले लगा था कि मैं इतिहास या कानून की पढ़ाई कर लूंगी या कुछ और करुंगी. मैं कॉलेज भी गयी और हर अलग-अलग विषय को पढ़ा, उसमें रुचि दिखाई, लेकिन कॉलेज के दौरान नाटकों में काम करने में मुझे बहुत मज़ा आया. मुझे एक एनर्जी महसूस हुई और मैंने तब निश्चय कर लिया था कि मुझे इसी फील्ड में ही काम करना है. कोलंबिया जैसी यूनिवर्सिटी में पढ़ने के बावजूद मुझे अभिनय करने की ही इच्छा बनी रही और इसी में आगे बढ़ना चाहती हूं.

प्र. हिंदी फिल्मों में लव स्टोरी की बहुत सारी फिल्में बनती है, क्या किसी फिल्म का आपके जीवन पर प्रभाव पड़ा?

फिल्मों का दैनिक जीवन पर असर जरूर पड़ता है. लव के बारें में आज तक मैंने जो भी जाना है वह फिल्मों के जरिये ही जान पायी हूं. एक कलाकार के रूप में मेरी ये दूसरी लव स्टोरी है, पर रियल लाइफ में प्यार बहुत अलग होता है. मुझे अभी तक हुआ नहीं है और मुझे उसके बारें में पता भी नहीं है. मैंने निर्देशक इम्तियाज अली से भी इस बारें में एक बार मजाक में कहा थी कि आपकी वजह से युवा पीढ़ी बिगड़ गयी है, वे प्यार को लेकर अलग-अलग सपने देखते है, जबकि रियल लाइफ में ऐसा नहीं होता. आप लोग ऐसी कहानियां लिखते और दर्शाते है. असल में दर्शक कल्पनायुक्त कहानियों को थोड़ी देर के लिए देखना पसंद करते है, जो लार्जर देन लाइफ होती है.

प्र. क्या आपने लव स्टोरी वाली किसी किताब को पढ़ा है?

मैंने बुक से अधिक प्ले पढ़ा है, पर मुझे शेक्सपियर का प्ले रोमियो और जुलियट सबसे ज्याजा पसंद है. मुझे लव स्टोरी देखना बहुत पसंद है, फिल्म ‘अंखियों के झरोखे से’, ‘सदमा’ आदि मेरी फेवरेट पसंद है, जो आउट ऑफ़ द बॉक्स वाला प्यार हो.

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प्र. फिल्म केदारनाथ की सफलता के बाद आप अपने आपको कितना सुरक्षित महसूस कर रही है?

यहां सुरक्षित कभी कोई महसूस नहीं कर सकता. फिल्म केदारनाथ से पहले ही मुझे बहुत प्यार मिल चुका था. मैंने कुछ ऐसा किया भी नहीं था, पर सबका प्यार मिला. मुझे मौके मिलते जाय और अच्छा काम कर अपने आपको सिद्ध कर सकूं, बस यही तमन्ना है. जिंदगी बदलती नहीं है, काम करने का तरीका बदलता जाता है.

 

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Rahenge Hum Nahi ❤️

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प्र. आप स्पष्टभाषी है, इसका नुकसान क्या कभी आपको हुआ?

काम के दौरान मैंने अलग-अलग भूमिका निभाई है, ऐसे में कितनी भी स्ट्रोंग पर्सनालिटी हो, आपको उससे निकलकर भूमिका करनी पड़ती है, जो बहुत मुश्किल होता है.

प्र. ये इनर स्ट्रेंथ आपमे कैसे आई ?

हर चीज जो मैं जानती या करती हूँ वह मेरी मां की देन है. वह बहुत ही स्ट्रोंग और आत्मनिर्भर महिला है. उन्होंने अकेले मुझे और मेरे भाई की परवरिश की है. उनकी वजह से आज मैं यहां हूं.

प्र. स्ट्रोंग सारा के अंदर एक सिंपल और सॉफ्ट सारा भी रहती है, उसे क्या पसंद होता है?

मैं अपनी भावनाओं को लेकर बहुत सिंपल और सॉफ्ट हूं, लेकिन मैंने ये समझा है कि सॉफ्टनेस को सोच समझकर ही आगे लाने में भलाई है. मैं कोमल और रोमांटिक भी हूं, लेकिन इसे अपनी जिंदगी में तब लाना चाहती हूं जब कोई इसके लायक हो. मैं बाहर से भी सारी भावनाओं को जीना चाहती हूं, इसलिए इसका सही फैसला लेना जरूरी है, क्योंकि यही चीज आपको घुटन और आज़ादी दोनों दिला सकती है.

 

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प्र. आपको कई सारे उतार-चढ़ाव के साथ जिन्दगी गुजारनी पड़ी है, ऐसे में आपने अपनी मां का साथ कैसे दिया?

मैं मां को देख-देखकर ही बड़ी हुई हूं. मैंने देखा है कि जीवन में हर पल मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अपनी ताकत को कायम रखना बहुत जरुरी होता है. मैंने बहुत जल्दी ये भी जान लिया है कि जितनी जल्दी उतार होते है उतनी ही जल्दी चढ़ाव भी होते है. जब चीजे अधिक मुश्किल होती है तो मेरी मां मेरे साथ रहती है और मुझे उससे ही प्रेरणा मिलती है.

भाई को भी पढ़ाई छोडकर सब चीजो का शौक है. वह क्रिकेट भी खेलता है. फिल्में भी उसे पसंद है.

प्र. तनाव को कैसे दूर करती है?

तनाव होने पर एक घंटा जिम कर लेती हूं. जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों को कूल महसूस होता है.

प्र. आगे आने वाली फिल्में कौन सी है?

मैंने 5 फिल्मों को साइन किया है और हर फिल्म के साथ-साथ मेरी एक जर्नी शुरू होती है, जिसे मैं एन्जॉय कर रही हूं.

सच्चा प्यार मिलना आजकल काफी मुश्किल है– कार्तिक आर्यन

बचपन से फिल्मों और नाटकों का शौक रखने वाले कार्तिक आर्यन ग्वालियर के है. कॉलेज के ज़माने से उन्होंने पढाई के साथ-साथ अभिनय के लिए ऑडिशन देना शुरू कर दिया था. पढाई समाप्त कर वे मुंबई आयें और तीन साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें पहली फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’ मिली, जिसमें उनके अभिनय की काफी तारीफ की गयी. इसके बाद से उन्हें पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. वे सोशल मीडिया पर खासा एक्टिव है और उनके फोलोवर्स भी बहुत हैं. आज उनका नाम सफल कलाकारों की सूची में गिना जाता है. हंसमुख स्वभाव के कार्तिक की फिल्म ‘लव आजकल’ रिलीज पर है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल. आपने कई सफल फिल्में दी है, इसे करने में कितनी मेहनत की है?

ये मेरे करियर की सबसे मुश्किल फिल्म है, ऐसा किरदार मैंने कभी नहीं निभाएं है. इसमें मेरी दो भूमिका है. दोनों ही भूमिकाएं मुश्किल है. ये चुनौतीपूर्ण फिल्म है. ये मेरे पहली इंटेंस रोमांटिक फिल्म है. निर्देशक इम्तियाज अली ने मुझपर भरोसा कर ये मौका दिया है. उम्मीद है दर्शक मुझे इस भूमिका में पसंद करेंगे.

 

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#HaanMainGalat ❤️ . . Out tomorrow #LoveAajkal ?????

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सवाल. आपकी नजर में प्यार क्या है? आजकल का प्यार इमोशनल से अधिक फिजिकल हो चुका है, आपकी राय क्या है?

लव की परिभाषा मेरे लिए बताना मुश्किल है, लेकिन ये एक एहसास है, जिसे अनुभव कर सकते है. वह किसी भी फॉर्म में हो सकता है और मैं उनकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं. बिना कुछ उम्मीद किए अगर मैं कर पाऊं, तो वही मेरे लिए सच्चा प्यार है. लोग आज भी इमोशनल हैं. सही प्यार मिलना आजकल मुश्किल होता है, जिसे सभी ढूंढते हैं. इमोशन वाला प्यार कभी खत्म नहीं हो सकता.

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सवाल. दोनों भूमिकाये निभाना कितना मुश्किल था?

वीर की भूमिका ऐसी है, जिसमें वह जो सोचता है उसे बिंदास कह देता है, अधिक सोचता नहीं. उसका सिद्दांत यही है और उसी दिशा में आगे बढ़ता है. जो लोगों को अजीब लग सकता है. उसे करना मेरे लिए मुश्किल था. दूसरा चरित्र रघु फ़िल्मी चरित्र है जो 90 के दशक का चरित्र है, जिसे फिल्मों का शौक है. ये भी मुश्किल था.


सवाल. सारा के साथ काम करने का अनुभव कैसा था?

सारा के साथ काम करना मजेदार था. मैंने सारा के अभिनय के कॉन्फिडेंस को देखा है और मुझे उसके साथ काम करने की इच्छा थी, वह हमें मिला. दर्शकों को भी शायद हम दोनों की जोड़ी पर्दे पर पसंद आयेगी.

सवाल. आपका नाम सारा के साथ जोड़ा जाता है, इसमें कितनी सच्चाई है?

ये बातें बहुत पुरानी हो चुकी है. हम एक अच्छे दोस्त है. जब भी हम दोनों कही जाते है, एक न्यूज़ बन जाती है. एक शो में जब सारा ने मेरी बात कही थी, तब से लोगों ने उसे एक अलग रूप दे दिया है. फिल्म के प्रमोशन का इससे कुछ लेना देना नहीं होता, अगर कहानी अच्छी हो और दर्शको को पसंद आये तो चलेगी.

सवाल. आप अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट हैं?

जैसा मेरा करियर ग्राफ जा रहा है उससे मैं बहुत खुश हूं. मैं चाहता हूं कि ये चलता रहे. मैंने सफलता और असफलता देखकर बहुत कुछ सीखा है. उसी के अनुभव को मैं पर्दे पर दिखाने की कोशिश करता हूं, इसलिए दर्शक मुझसे अपने आपको जोड़ पाते हैं. मैं डरता हूं कि ये जुड़ाव चला न जाए. इसलिए इसे रिफ्रेश करता रहता हूं.

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सवाल. इंडस्ट्री में बाहर से आने वालों के लिए क्या मेसेज देना चाहते हैं?

मैं अपने संघर्ष को लेकर गर्वित हूं, मैंने शुरू से अपनी टर्म पर खुद की सोच से फिल्में की है. इसके लिए मेहनत बहुत की है. मैं इसी रास्ते पर था और इसी में मेहनत की है. सबसे बड़ी बात मेरे लिए खुद पर विश्वास का होना था. इस दौरान मैंने कई रिजेक्शन भी देखे हैं पर मैं टूटा नहीं. इसी से मैं आगे बढ़ा. धैर्य और आत्मविश्वास कभी जाना नहीं चाहिए.

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