Mother’s Day 2024: मदर्स डे gift idea

मां एक ऐसा शब्द जिसमें बच्चों की पूरी दुनिया समाहित होती है. मां वो है जो हर कष्ट सहती है पर बच्चों पर कोई आंच नहीं आने देती. आने वाले रविवार को मदर्स डे है. इस दिन पर मां को स्पेशल फील कराने के लिए क्या गिफ्ट दें इसको लेकर हम सब कंफ्यूज हो जाते हैं. तो आज हमारे पास आपके लिए कुछ आइडियाज है. मां को गिफ्ट करें ये गिफ्ट्स

1) बुके के साथ केक– इस दिन आप फूलों का गुलदस्ता और केक देकर मां को स्पेशल फील करा सकते हैं. फूल ऐसा तोहफा है जो सदाबहार है और हमेशा ट्रेंड में रहेगा.


2) पसंदीदा कपड़े- अगर आपकी मां को अलग-अलग तरीके के कपड़े पहनने का शौक है तो आप उन्हें उनके पसंद की साड़ी, सूट या कोई स्पेशल ड्रेस तोहफे में दे सकते हैं.


3) मेकअप किट- अगर मां को सजने संवरने का शौक है तो उन्हें मेकअप का किट गिफ्ट कर सकते हैं. इसमें आप लिपस्टिक, कॉम्पैक्ट, नेल पॉलिश, काजल,पर्फ्यूम आदि रख सकते हैं.


4) पर्स- अगर आपकी मां वर्किंग हैं या हाउसवाइफ भी हैं तो आप उन्हें पर्स या हैंड बैग तोहफे में दे सकते हैं. यह एक ऐसी चीज है जो उनके हमेशा काम आएगा. वो हमेशा जब इसे इस्तेमाल करेंगी तो आपको याद करेंगी.


5) जेवर- अगर आपकी मां को ज्वेलरी पहनने का शौक है तो उन्हें आप अंगूठी, कान की बालियां या फिर चेन, कंगन इत्यादि गिफ्ट में दे सकते हैं. यह उनकी खूबसूरती बढ़ाने में मदद करेगा.


6) घड़ी- अगर आपकी मां को असेसरीज का शौक है तो उन्हें आप अपनी पसंद की घड़ी तोहफे में दे सकते हैं. आजकल बाजार में कई तरह की घड़ियां उपलब्ध हैं. स्मार्ट वॉच से लेकर ब्रेसलेट वॉच. आप इनमें से किसी भी प्रकार की घड़ी ले सकते हैं.


7) फोटो कोलाज- इस कोलाज में आप मम्मी के बचपन से लेकर यंग ऐज के दिनों और फिर उनके रीसेंट फोटोज का एक कोलाज बनाकर गिफ्ट कर सकते हैं. यह फोटो सिलसिलेवार तरीके से होना चाहिए. इसे इस तरह लगाएं कि हर फोटो अपने आप में एक कहानी कहती हो.


8) डायरी और पेन – अगर आपकी मम्मी को लिखना पसंद है तो आप उन्हें डायरी तोहफे में दे सकते हैं. जिसमें वो अपने रोज के खर्च, हिसाब-किताब, उनकी कुछ कविताएं, शेर-शायरी आदि लिख सकती हैं.


9) फोन – अगर मां को गैजेट्स का शौक है तो आप उन्हें तोहफे में स्मार्टफोन गिफ्ट कर सकते हैं. यह आजकल के समय की एक बहुत ज़रूरी चीज हो गई है और बाजार में हर तरह के फोन उपलब्ध हैं.


10) लैपटॉप- अगर आपकी मम्मी वर्किंग हैं तो आप उन्हें लैपटॉप गिफ्ट कर सकते हैं. इससे उन्हें उनका काम करने में आसानी हो जाएगी. वो अपने रुके हुए असाइंमेंट्स कही से भी कर सकती हैं.

  यंग मदर्स के हैल्थ इशूज

अगर आप भी स्वस्थ शरीर का साथ पाना चाहती हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है…

फ्रीज करवाएं एग आमतौर पर महिलाओं में गर्भधारण की वैज्ञानिक उम्र 20 से 30 साल के बीच मानी जाती है लेकिन कैरियर को ध्यान में रख कर आज की महिला जल्दी मां नहीं बनना चाहतीं. लेकिन एक उम्र के बाद मां बनने में कौंप्लिकेशन आ सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर ऐसी कई महिलाएं हैं जो 30+ की उम्र में गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं. ऐसे में वे एग फ्रीज का रास्ता अपना सकती हैं ताकि बाद में उन्हें किसी तरह की प्रौब्लम न आए. एग फ्रीजिंग को मैडिकल भाषा में  क्रायोप्रिजर्वेशन कहते हैं. इस प्रकिया में महिला अपने अंडाणु को 10-15 साल के लिए भी फ्रीज करवा सकती है.

युवा महिलाओं के लिए अपने अंडे फ्रीज करवाना अब आम बात हो गई है. कई फेमस सैलिब्रिटीज जैसे प्रियंका चोपड़ा, तनीषा मुखर्जी, एकता कपूर और राखी सांवत ने अपने एग फ्रीजिंग का रास्ता चुना है.

काया भटनागर जब औफिस जाने के लिए अपनी कार में बैठ रही थी तो अचानक उस की कमर में तेज दर्द हुआ. यह दर्द उसे पहली बार नहीं हुआ, इस से पहले भी 2 बार उसे इस दर्द का सामना करना पड़ा था. लेकिन उस ने इसे इग्नोर किया और अब उस की यह समस्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है. ऐसा नहीं है कि काया की उम्र 40-45 साल है. इसलिए वह यह प्रौब्लम फेस कर रही है. काया अभी महज 35 साल की है और 3 साल के बच्चे की मां है. लेकिन अभी से उसे इस तरह का दर्द होना अपनेआप में चिंता का विषय है.

इस बारे में मणिपाल हौस्पिटल द्वारका में कंसल्टैंट गाइनोकोलौजिस्ट डाक्टर योगिता पाराशर कहती हैं कि 30 के बाद महिलाओं के शरीर में औस्टियोपोरोसिस की समस्या होने लगती है. इस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं जिस से वे आसानी से टूट सकती हैं, इसलिए उन के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है. यह समस्या आमतौर से मेनोपौज के बाद शुरू होती है जब शरीर में ऐस्ट्रोजन का उत्पादन कम हो जाता है.

भरपूर डाइट लें

अगर आप इस से बचना चाहती हैं तो कैल्सियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लें. पौसिबल हो तो सुबह की ताजा भी धूप भी लें. इस के अलावा वजन उठाने वाले काम करने से बचें. स्मोकिंग और शराब को अवौइड करें और साथ ही हड्डियों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए नियमित तौर से बोन डैंसिटी टैस्ट भी करवाती रहें. तभी आप एक स्वस्थ शरीर का साथ पा पाएंगी. सिर्फ औस्टियोपोरोसिस ही एक ऐसी समस्या नहीं है जिस का सामना महिलाओं को 30+ होने के बाद करना पड़ता है. ऐसे बहुत से हैल्थ इशूज हैं जो महिलाएं अपनी लाइफ में 30 की उम्र पार करने के बाद देखती हैं, ये क्या हैं आइए जानते हैं:

इनरैग्युलर पीरियड्स

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन में बदलाव की वजह से महिलाओं की मैंस्ट्रुअल साइकिल भी प्रभावित होता है, जिसे मैडिकल भाषा में पीसीओडी भी कहा जाता है वहीं पीरियड्स के दिन आगेपीछे होने की वजह से कई बार हैवी ब्लीडिंग होने लगती है तो कई बार ब्लीडिंग कम होती है या फिर कई बार पीरियड्स महीनामहीना नहीं होते.

इंडिया में 25त्न महिलाएं इनरैग्युलर पीरियड्स या कई महीने तक पीरियड्स न होने के बाद फिर से पीरियड्स होना, जिसे अमेनोरिया कहते हैं जैसी समस्याओं से जू?ा रही हैं वहीं 30 से 40 साल की उम्र वाली महिलाओं में प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर या पीओएफ के मामले 0.1त्न है.

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या का एक मुख्य कारण है. इस की वजह से बनने वाले सिस्ट का अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह आगे चल कर कैंसर का रूप ले सकता है. भारत में आज करीब 10त्न महिलाएं किशोरावस्था में ही पीसीओएस की प्रौब्लम का सामना कर रही हैं.

फाइब्रौयड्स की प्रौब्लम

फाइब्रौयड्स आजकल महिलाओं की सब से आम समस्या बन गई है. आमतौर पर यह 30 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में होता है. इस से पीडि़त कुछ महिलाएं अपने फाइब्रौयड्स से अज्ञान होती हैं, जबकि कुछ फाइब्रौयड्स को अल्ट्रासाउंड या अन्य जांचों से पता लगाया जाता है. इसलिए समयसमय पर अपने मैडिकल टैस्ट करवाती रहें ताकि समय रहते बीमारी का इलाज किया जा सके.

मोटापे को कहें न

इस के अलावा 30+ की उम्र की महिलाओं में ऐंड्रौइड ओबेसिटी की समस्या भी देखने को मिलती है. इस समस्या में पेट के आसपास चरबी जमा होने लगती, जिसे आम भाषा में बैली फैट भी कहते हैं. होता यह है कि 30 साल की उम्र के बाद फीमेल हारमोन में कमी आने लगती है, जिस की वजह से यह प्रौब्लम होने लगती है. अगर आप अपने पेट के आसपास फैट नहीं चाहतीं तो आप खुद को मोटापे से बचाए रखें. इस के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट से चावल, मैगी, जंक फूड, ब्रैड और बेकरी से बने प्रोडक्ट्स से दूरी बनाएं और प्रोटीन, विटामिन सी, ई, बी12 को डाइट में शामिल करें.

डायबिटीज का बढ़ सकता है खतरा

30+ की उम्र में अगर लाइफस्टाइल और खानपान को सही नहीं रखा जाए तो डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. डायबिटीज की बीमारी होने पर उस के साइन बौडी में दिखने लगते हैं. ये साइन हैं- ज्यादा थकान होना, नजर का धुंधला होना, बहुत प्यास लगना, पेशाब ज्यादा आना, वजन कम होना, मसूड़ों में परेशानी होना. ये लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर से मिलें.

हड्डियों की बिगड़ सकती है सेहत

30+ होते ही महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्सियम और विटामिन डी को भरपूर मात्रा में लेना चाहिए. इस उम्र को पार करने के बाद हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है. हारमोंस में चेंज की वजह से शरीर के ढांचे पर असर पड़ता है. जोड़ों में पुराना दर्द, भंगुर हड्डियां खराब होने का ही एक लक्षण हैं. इससे बचाव के लिए आप कैल्सियम से भरपूर खाद्यपदार्थ अपनी डाइट में शामिल करें जैसे दूध, पनीर और अन्य डेयरी खाद्यपदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली, गोभी और भिंडी आदि, सोया सेम, मछली.

ताकि न बनें हार्ट पेशैंट

30 साल के बाद महिलाओं में दिल की समस्याओं जैसे हार्ट अटैक एक खास समस्या बन कर उभरती है. इस की वजह में हाई ब्लड प्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल, मोटापा और स्मोकिंग शामिल हैं. डाइटिशियन का मानना है कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहिए. इस के लिए उन्हें रैग्युलर ऐक्सरसाइज करनी चाहिए और डाइट में सैचुरेटेड फैट्स व ट्रांस फैट्स कम मात्रा में लेने चाहिए.  इस के अलावा डाक्टर से समयसमय पर ब्लड प्रैशर और कोलैस्ट्रौल की जांच भी करवाते रहना चाहिए.

मैंटल हैल्थ भी है जरूरी 30 साल की उम्र के बाद हमारे लाइफस्टाइल और कुछ गलत आदतों की वजह से हम खुद को ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन से घिरा हुआ पाते हैं. आलसपन में बिस्तर पर पड़े रहना, पोषक आहार की कमी, देर रात तक पार्टीज, शराब इन सब का असर हमारी फिजिकल हैल्थ के साथसाथ मैंटल हैल्थ पर भी पड़ता है. ऐसे में खुद को इन समस्याओं से बचाने के लिए हमें हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना चाहिए जिस में ऐक्सरसाइज से लेकर हैल्दी फूड तक शामिल है.

Mother’s Day 2024: मुंबई का मसालेदार स्वाद ‘बेक्ड वड़ा पाव’

मदर्स डे के मौके पर अगर आप अपनी मां या बच्चों के लिए टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो मुंबई की फेमस डिश वड़ा पाव की रेसिपी ट्राय करें. ‘बेक्ड वड़ा पाव’ आसान और टेस्टी डिश है, जिसे आप अपनी फैमिली के लिए आसानी से बना सकती हैं.

सामग्री ब्रैड की

–  2 छोटे चम्मच सूखा खमीर

–  1 बड़ा चम्मच पिसी चीनी

–  1/4 कप कुनकुना पानी

–  2 कप मैदा

–  1 बड़ा चम्मच मिल्क पाउडर

–  1/2 कप कुनकुना दूध

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

–  2 चम्मच तेल

–  1 चुटकी हींग

–  1/2 छोटा चम्मच जीरा

–  1/2 छोटा चम्मच सरसों

–  1 छोटा चम्मच साबूत धनिया दरदरा कुटा हुआ

–  8-10 करीपत्ते

–  1 बड़ा चम्मच अदरक व लहसुन बारीक कटा हुआ

–  1 हरीमिर्च बारीक कटी हुई

–  4 आलू उबले और मसले हुए

–  1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

–  1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

–  2 बड़े चम्मच धनिया पत्ती कटी हुई

–  1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

एक कटोरी में सूखा खमीर, चीनी और कुनकुना पानी डाल कर मिलाएं. 20 मिनट एक तरफ रख दें. जब इस में झाग आ जाए तब इस में नमक, मैदा और मिल्क पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. थोड़ाथोड़ा कुनकुना दूध डालते हुए नर्म आटा गूंध लें. अब इसे ढक कर किसी गरम जगह पर तब तक रखें जब तक कि यह फूल कर डबल न हो जाए.

भरावन की विधि

कड़ाही में 2 चम्मच तेल गरम कर हींग, जीरा, सरसों और धनिया डाल कर चटकने दें. अब इस में अदरक व लहसुन डाल कर भून लें. फिर इस में नमक, लालमिर्च, धनिया पाउडर व हलदी पाडर डाल कर 1 मिनट भूनें. अब इस में आलू, हरीमिर्च डाल कर अच्छी तरह मिला लें. 5 मिनट बाद आंच बंद कर दें. नीबू का रस और धनियापत्ती डाल कर मिला लें और फिर ठंडा होने दें. आटे से लोईयां तोड़ें और थोड़ा मोटा और गोल बेल के बीच में

2-3 चम्मच भरावन (आलू का मिक्सर) रखें. इसे बंद कर गोल आकार दे दें. बेकिंग ट्रे पर रख कर किसी गरम जगह पर तब तक रखें जब तक कि यह फूल न जाए. फिर 180 डिग्री पर पहले से गरम ओवन में 10 मिनट बेक कर लें. बेक होने के बाद ऊपर मक्खन लगाएं और गरमगरम सर्व करें.

  • व्यंजन सहयोग: रीटा अरोड़ा

Mother’s Day 2024: शैंपू करते समय न करें ये गलतियां

आज के समय में चारों तरफ इतना प्रदूषण बढ़ गया है कि सेहत के साथ-साथ स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. खाने-पीने की समस्याओं की बात करें तो हम कुछ भी खाकर अपनी भूख तो मिटा लेते हैं. लेकिन वो खाना स्वास्थ्य के लिए सही है या गलत इस बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते हैं. जिसके कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और कई बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं.

पोषक तत्वों की कमी से शरीर का हार्मोनिक संतुलन बिगड़ जाता है. जिसके कारण बालों संबंधी कई समस्या हो जाती है. जिससे बालों का झड़ना और रुसी होना आम समस्या है. यह हर दूसरे व्यक्ति की समस्या है. इससे निजात पाने के लिए हम कई तरह के प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं कि इस समस्या से निजात पा लें. हम कई तरह के शैंपू भी इस्तेमाल करते हैं.

ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल महिलाओं को हो बल्कि पुरुष भी समस्या से बच नहीं पाए हैं. जिसके कारण पुरुष भी अपने बालों पर अधिक ध्यान देते हैं. कई लोग बाल गिरने के कारण इतने परेशान हो जाते हैं कि तनाव में आ जाते हैं.

इसी समस्या के कारण हम अधिक समय तक एक शैंपू का इस्तेमाल नहीं करते हैं. जिसके कारण ये समस्या और बढ़ जाती है. कई बार हम शैंपू करते समय ऐसी गलतियां कर देते है जो कि हमारे बालों के लिए हानिकारक साबित होती हैं. साथ ही सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती हैं.  जानिए ऐसी कौन सी गलतियां है जो शैंपू करते समय कभी नहीं करनी चाहिए.

  1. हमेशा बालों में शैंपू करने के बाद कंडीशनर जरुर करना चाहिए. इससे बाल रुखे नहीं होंगे.
  2. बालों को रुखापन से बचाना है तो हमेशा बालों की लंबाई के बजाय जड़ों की सफाई करें.
  3. कभी भी अधिक शैंपू का यूज नहीं करना चाहिए. इससे आपके बाल रुखे हो जाते हैं.
  4. बालों में केमिकल वाला शैंपू का इस्तेमाल न करें, क्योंकि बाल रुखे हो जाते हैं और चमक चली जाती है.
  5. हमेशा सही शैंपू का चुनाव करें. जिससे आपके बालों में किसी भी तरह की समस्या न हो.

Mother’s Day 2024 : सेलेब्स के जीवन में मां की एड्वाइस है कितना जरूरी, पढ़ें यहां

मां मुझे अपने आंचल में छुपा ले, गले से लगा लें…. ये गाना शायद हर छोटे बच्चे के दिल की ख्वाहिश अपने मां के लिए होती है, क्योंकि मां निर्मल, कोमल, अविरल, शीतल और ममता की मूरत होती है, मां तो आखिर मां होती है. जिसका जन्म से नौ महीने पहले बच्चे से रिश्ता जुड़ता है. यही वजह है कि एक बच्चे की परवरिश में मां की भूमिका सबसे बड़ी होती है. इसे बच्चा बड़ा होकर भी अनुभव करता है, क्योंकि जब तक मां है, बच्चा हमेशा बच्चा ही रहता है.

हमारे सेलेब्स के जीवन में भी मां की भूमिका बहुत बड़ी है और इस दिन को वे केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन मनाना पसंद करते है, क्योंकि मां द्वारा दिए गए एड्वाइस आज भी उनके जीवन में बड़ी भूमिका निभाते है. यही वजह है कि उन्होंने मां के साथ इस स्पेशल बान्डिंग को शेयर किया है, क्या कहते हैं वे आइए जानें.

सानंद वर्मा

भाभी जी घर पर हैं में “अनोखेलाल सक्सेना” की पोपुलर जुमला ‘आई लाइक इट’ सबको याद है, इस यादगार भूमिका को निभा चुके अभिनेता सानंद वर्मा कहते है कि मेरी मां से बेहतर दुनिया में मेरे लिए कोई नहीं है. मैंने मेरे बंगलों का नाम मेरी मां के नाम पर वीना भवन रखा है. आज जो मैं हूं वह उनके दिशा निर्देश से ही कर पा रहा हूं. मेरी मां ने हमेशा अच्छा काम करने, खुद को कमतर न समझने और हमेशा खुश रहने की सलाह दी है. मुझे मेरी मां से बहुत स्नेह है, वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त है. मैं हमेशा उनके आशीर्वाद लेता हूं. जिनके पास मां है, वे दुनिया में सबसे लकी पर्सन होते है.

आदेश चौधरी

ससुराल सिमर का फेम अभिनेता आदेश चौधरी कहते है कि मैँ अपने मां के बहुत करीब हूं, सुबह उठकर मैं उनसे हर रोज बात करता हूं, इससे मुझे पूरे दिन काम करने की उत्साह बना रहता है. मां ने हमेशा किसी को हर्ट न करने,धोखा न देने और अच्छा व्यवहार करने की सलाह दी है. इन्हे मैं हमेशा अपने जीवन में उतारने की कोशिश करता रहता हूं.

वर्षा हेगड़े

एक रियलिटी शो की विनर वर्षा हेगड़े कहती है कि मदर्स डे मेरे लिए बहुत खास है, क्योंकि जब मैं 19 साल की थी, तब मैं मां बनी थी. मैं टीन एज में मां बन चुकी थी, ऐसे में मेरी मां की बहुत बड़ी भूमिका मेरे जीवन में रही. मेरी मां ने मुझे डांस से परिचय करवाया है. उन्होंने मेरे हर काम में हमेशा साथ दिया है. उनकी वजह से मैं एक अच्छी वुमन और मां बन पायी हूं. उनकी जितनी भी तारीफ की जाय, वह कम ही होगी, क्योंकि मां का प्यार और ममता को किसी भी बच्चे के लिए कह पाना बहुत मुश्किल होता है.

गौरव मुकेश

अभिनेता गौरव मुकेश कहते है कि मां ने हमेशा मुझे कुछ अच्छे एड्वाइस दिए है और आज भी दे रही है. एक बार उन्होंने कहा था कि जीवन एक किताब है, जिसमें हर नए पन्ने पर एक नई कहानी, नया प्लॉट और एक नई जानकारी होती है, जिसे पढ़ना और समझना जरूरी होता है. जीवन में हर दिन में घटने वाली परिस्थिति से सीखना और समझना पड़ता है. जैसे हर किताब की एक अहमियत होती है, वैसे ही हर जीवन की एक वैल्यू होती है. अपने जीवन को एक किताब की तरह बनाओ, ताकि उसे पढ़ने वाला इंसान आपकी प्रसंशा के साथ – साथ कुछ सीख भी लें सकें. आपकी चरित्र इतनी अच्छी होनी चाहिए, जिसे पढ़ने वाला आपको एक अच्छी किताब की तरह याद रखे.

अनुपमा सोलंकी

अभिनेत्री अनुपमा सोलंकी का कहना है कि मां तो मां ही होती उसकी तुलना विश्व में किसी से नहीं की जा सकती. मैं मां की एड्वाइस हमेशा फॉलो करती हूं, उनसे मैंने हार्ड वर्क और ईमानदारी से काम करना सीखा है. जैसे पूरे विश्व के बारें में कुछ कह पाना संभव नहीं होता, वैसे ही एक शब्द में मां का वर्णन करना भी संभव नहीं. मां के बिना किसी का रह पाना बहुत कठिन होता है.

Mother’s Day 2024: एक्सपायर हुए कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को करें रिजेक्ट

जैसे ही किसी प्रोडक्‍ट की एक्‍सपॉयरी डेट आती है, उसे तुंरत फेंक देना चाहिए. लेकिन कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो ढ़ेर सारे कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को खरीद लाती हैं और फिर उन्‍हें नियमित रूप से इस्‍तेमाल नहीं करती हैं जिसके कारण वो रखे-रखे ही खराब हो जाते हैं. फाउंडेशन, मस्‍कारा, आईलाइनर आदि को कोई भी डेली नहीं लगाता है, अगर वो वर्किंग नहीं है. मेकअप प्रोडक्‍ट को रखने के लिए उनकी गाइडलाइन को अवश्‍य फॉलो करें और उनकी एक्‍सपायरी डेट भी जरूर देख लें. साथ ही आपको यह जानकारी भी रखनी चाहिए कि कौन से प्रोडक्‍ट को कितने समय तक अधिकतम, अपने मेकअप किट में रखा जा सकता है. सालों तक प्रोडक्‍ट को किट में रखने से वो सही नहीं बने रहते हैं और न ही उनके इस्‍तेमाल से त्‍वचा स्‍वस्‍थ रहेगी. बल्कि ऐसे उत्‍पाद, त्‍वचा पर बुरा असर छोड़ देते हैं.

1. मस्‍कारा : तीन महीने तक ही एक मस्‍कारा को इस्‍तेमाल करें. उसके बाद इसके इस्‍तेमाल करने से पलकें झड़ सकती हैं और आंखों में लालामी आ सकती है. साथ ही संक्रमण होने का डर भी बना रहता है.

2. फाउंडेशन: फाउंडेशन को एक साल से ज्‍यादा इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे हाथों से भी नहीं लगाना चाहिए वरना इंफेक्‍शन होने का डर बना रहता है. साथ ही इसे कूल और ड्राई स्‍थान पर रखना चाहिए.

3. आईलाइनर: लिक्विड आईलाइनर हो या पेंसिल आईलाइनर; दोनों को ही अधिकतम 8 महीने तक इस्‍तेमाल करना चाहिए. जब यह हल्‍का सा ड्राई हो जाता है तो इसका यूज करना बंद कर दें, वरना आंखों में भारीपन लगता है.

4. कंसीलर: कंसीलर को कोई भी नियमित इस्‍तेमाल करना नहीं चाहता है. इसे खरीदने के बाद अधिकतम 12 से 18 महीने तक ही मेकअप में रखें. बाद में इसे हटा दें, वरना आपकी त्‍वचा पर पैचेस भी पड़ सकते हैं.

5. ब्‍लश और ब्रोंजर: ब्‍लश और ब्रोंजर को आप 2 साल तक मेकअप किट में रख सकती हैं. लेकिन इसे ड्राई एंड कूल प्‍लेस पर रखना चाहिए. अगर यह सूख जाता है तो इसे तुरंत हटा दें. इसके ब्रशों को गंदा न होने दें, गंदे पर उन्‍हें तुरंत बदल दें.

6. लिपस्टिक: लिपस्टिक को एक साल तक रख सकते हैं लेकिन अगर आप इसे सीधे होंठो पर न लगाकर कॉटन बॉल से लगाती हैं तो इसे काफी लम्‍बे समय तक स्‍टोर किया जा सकता है.

7. आईशैडो: अगर पाउडर आईशैडो है तो दो साल तक स्‍टोर कर सकते हैं और क्रीम शैडो को एक साल तक स्‍टोर कर सकते हैं. इनके ब्रशों को बिल्‍कुल क्‍लीन रखें, ताकि आपको बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन न होने पाएं.

8. लिप ग्‍लॉस: लिप ग्‍लॉस को 6 महीने में ही बदल दें. वरना होंठ काले पड़ सकते हैं या उनमें कोई और समस्‍या आ सकती है.

 

Mother’s Day 2024- अधूरी मां: क्या खुश थी संविधा

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Mother’s Day 2024: बिट्टू: नौकरीपेशा मां का दर्द

‘‘आज बिट्टू ने बहुत परेशान किया,’’ शिशुसदन की आया ने कहा. ‘‘क्यों बिट्टू, क्या बात है? क्यों इन्हें परेशान किया?’’ अनिता ने बच्चे को गोद में उठा कर चूम लिया और गोद में लिएलिए ही आगे बढ़ गई.

बिट्टू खामोश और उदास था. चुपचाप मां की गोद में चढ़ा इधरउधर देखता रहा. अनिता ने बच्चे की खामोशी महसूस की. उस का बदन छू कर देखा. फिर स्नेहपूर्वक बोली, ‘‘बेटे, आज आप ने मां को प्यार नहीं किया?’’ ‘‘नहीं करूंगा,’’ बिट्टू ने गुस्से में गरदन हिला कर कहा.

‘‘क्यों बेटे, आप हम से नाराज हैं?’’ ‘‘हां.’’

‘‘लेकिन क्यों?’’ अनिता ने पूछा और फिर बिट्टू को नीचे उतार कर सब्जी वाले से आलू का भाव पूछा और 1 किलो आलू थैले में डलवाए. कुछ और सब्जी खरीद कर वह बिट्टू की उंगली थामे धीरेधीरे घर की ओर चल दी. ‘‘मां, मैं टाफी लूंगा,’’ बिट्टू ने मचल कर कहा.

‘‘नहीं बेटे, टाफी से दांत खराब हो जाते हैं और खांसी आने लगती है.’’ ‘‘फिर बिस्कुट दिला दो.’’

‘‘हां, बिस्कुट ले लो,’’ अनिता ने काजू वाले नमकीन बिस्कुट का पैकेट ले कर 2 बिट्टू को पकड़ा दिए और शेष थैले में डाल लिए. अनिता बेहद थकी हुई थी. उस की इच्छा हो रही थी कि वह जल्दी से जल्दी घर पहुंच कर बिस्तर पर ढेर हो जाए. पंखे की ठंडी हवा में आंखें मूंदे लेटी रहे और अपने दिलोदिमाग की थकान उतारती रहे. फिर कोई उसे एक प्याला चाय पकड़ा दे और चाय पी कर वह फिर लेट जाए.

लेकिन ऐसा संभव नहीं था. घर जाते ही उसे काम में जुट जाना था. महरी भी 2-3 दिन की छुट्टी पर थी. यही सब सोचते हुए अनिता घर पहुंची. साड़ी उतार कर एक ओर रख दी और पंखा पूरी गति पर कर के ठंडे फर्श पर लेट गई. बिट्टू ने अपने मोजे और जूते उतारे और उस के ऊपर आ कर बैठ गया.

‘‘मां…’’ ‘‘हूं.’’

‘‘कल से मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘कहां?’’

‘‘वहीं, जहां रोज तुम मुझे छोड़ देती हो. मैं सारा दिन तुम्हारे पास रहूंगा,’’ कहते हुए बिट्टू अपना चेहरा अनिता के गाल से सटा कर लेट गया. ‘‘फिर मैं दफ्तर कैसे जाऊंगी?’’ अनिता ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘मत जाइए,’’ बिट्टू ने मुंह फुला लिया. ‘‘फिर मेरी नौकरी नहीं छूट जाएगी?’’

‘‘छूट जाने दीजिए…लेकिन कल मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘मत जाना,’’ अनिता ने झुंझलाते हुए कह दिया.

‘‘वादा,’’ बिट्टू ने बात की पुष्टि करनी चाही. ‘‘हां…देखूंगी,’’ कह कर अनिता अतीत में खो गई.

नौकरी करने की अनिता की बिलकुल इच्छा नहीं थी. वह तो घर में ही रहना चाहती थी. और घर में रह कर वह ऐसा काम जरूर करना चाहती थी, जिस से कुछ आर्थिक लाभ होता रहे. शुरू में उस ने अपनी यह इच्छा अजय पर जाहिर की थी. सुन कर वे बेहद खुश हुए थे और वादा कर लिया था कि वे कोशिश करेंगे कि उसे जल्दी ही कोई काम मिल जाए.

बिट्टू डेढ़ साल का ही था, जब एक दिन अजय खुशी से झूमते हुए आए और बोले, ‘आज मैं बहुत खुश हूं.’

‘क्या हुआ?’ अनिता ने आश्चर्य से पूछा. ‘तुम्हें नौकरी मिल गई है.’

‘क्या?’ उस का मुंह खुला रह गया, ‘लेकिन अभी इतनी जल्दी क्या थी.’ ‘क्या कहती हो. नौकरी कहीं पेड़ों पर लगती है कि जब चाहो, तोड़ लो. मिलती हुई नौकरी छोड़ना बेवकूफी है,’ अजय अपनी ही खुशी में डूबे, बोले जा रहे थे. उन्होंने अनिता के उतरे हुए चेहरे की तरफ नहीं देखा था.

‘लेकिन अजय, मैं अभी नौकरी नहीं करना चाहती. बिट्टू अभी बहुत छोटा है. जरा सोचो, भला मैं उसे घर में अकेले किस के पास छोड़ कर जाऊंगी.’ ‘तुम इस की चिंता मत करो,’ अजय ने अपनी ही रौ में कहा.

‘क्यों न करूं. जब तक बिट्टू बड़ा नहीं हो जाता, मैं घर से बाहर जा कर नौकरी करने के बारे में सोच भी नहीं सकती.’ ‘कैसी पागलों जैसी बातें करती हो.’

‘नहीं, अजय, तुम कुछ भी कहो, मैं बिट्टू को अकेले…’ ‘मेरी बात तो सुनो, आजकल कितने ही शिशुसदन खुल गए हैं. वहां नौकरीपेशा महिलाएं अपने बच्चों को सुबह छोड़ जाती हैं और शाम को वापस ले जाती हैं,’ अजय ने मुसकराते हुए कहा.

‘नहीं, मैं अपने बच्चे को अजनबी हाथों में नहीं सौपूंगी,’ अनिता ने परेशान से स्वर में कहा. ‘बिट्टू वहां अकेला थोड़े ही होगा. सुनो, वहां तो 3-4 महीने तक के बच्चे महिलाएं छोड़ जाती हैं. क्या उन्हें अपने बच्चों से प्यार नहीं होता?’ अनिता के सामने कुरसी पर बैठा अजय उसे समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘लेकिन…’ ‘लेकिन क्या?’ अजय ने झुंझला कर कहा.

अनिता अभी भी असमंजस में पड़ी थी. भला डेढ़ साल का बिट्टू उस के बिना सारा दिन अकेला कैसे रहेगा. यही सोचसोच कर वह परेशान हुई जा रही थी. ‘तुम देखना, 4-5 दिन में ही बिट्टू वहां के बच्चों के साथ ऐसा हिलमिल जाएगा कि फिर घर आने को उस का मन ही नहीं करेगा,’ अजय ने कहा.

लेकिन अनिता का मन ऊहापोह में ही डूबा रहा. वह अपने मन को व्यवस्थित नहीं कर पा रही थी. बिट्टू को अपने से सारे दिन के लिए अलग कर देना उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था. जब पहले दिन अनिता बिट्टू को शिशुसदन छोड़ने गई थी तो वह इस तरह बिलखबिलख कर रोया था कि अनिता की आंखें भर आई थीं. अजय उस का हाथ पकड़ कर खींचते हुए वहां से ले गए थे.

दफ्तर में भी सारा दिन उस का मन नहीं लगा था. उस की इच्छा हो रही थी कि वह सब काम छोड़ कर अपने बच्चे के पास दौड़ी जाए और उसे गोद में उठा कर सीने से लगा ले. कितना वक्त लगा था अनिता को अपनेआप को समझाने में. शुरूशुरू में वह यह देख कर संतुष्ट थी कि बिट्टू जल्दी ही और बच्चों के साथ हिलमिल गया था. लेकिन इधर कई दिनों से वह देख रही थी कि बिट्टू जैसेजैसे बड़ा होता जा रहा था, कुछ गंभीर दिखने लगा था.

वह जब भी दफ्तर से लौटती तो देखती कि बिट्टू सड़क की ओर निगाहें बिछाए उस का इंतजार कर रहा होता. अपने बेटे की आंखों में उदासी और सूनापन देख कर कभीकभी वह सहम सी जाती.

दरवाजे की घंटी बजी तो अनिता की तंद्रा टूटी. बिट्टू उस के चेहरे पर ही अपना चेहरा टिकाए सो गया था. उसे धीरे से उस ने बिस्तर पर लिटाया और जल्दी से गाउन पहन कर दरवाजा खोला तो अजय ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी थकीथकी सी लग रही हो?’’ ‘‘नहीं, ऐसे ही कुछ…तुम बैठो मैं चाय लाती हूं,’’ अनिता ने कहा और रसोई में आ गई. लेकिन रसोई में घुसते ही वह सिर पकड़ कर बैठ गई. वह भूल ही गई थी कि महरी छुट्टी पर है. सारे बरतन जूठे पड़े थे. उस ने जल्दी से कुछ बरतन धोए और चाय का पानी चढ़ा दिया.

‘‘बिट्टू क्या कर रहा है?’’ चाय का घूंट भरते हुए अजय ने पूछा. ‘‘सो रहा है.’’

‘‘इस समय सो रहा है?’’ सुन कर अजय को आश्चर्य हुआ. ‘‘हां, शायद दोपहर में सोया नहीं होगा,’’ अनिता ने कहा और फिर दो क्षण रुक कर बोली, ‘‘सुनो, आज बिट्टू बहुत परेशान था. उस ने मुझ से ठीक से बात भी नहीं की. बहुत गुमसुम और गंभीर दिखाई दे रहा था.’’

‘‘क्यों?’’ अजय ने हैरानी से पूछा. ‘‘कह रहा था कि मुझे वहां अच्छा नहीं लगता. मैं घर पर ही रहूंगा. दरअसल, वह चाहता है कि मैं सारा दिन उस के पास रहूं,’’ अनिता ने झिझकते हुए कहा.

अजय थोड़ी देर सोचते रहे, फिर बोले, ‘‘तुम खुद ही उस से चिपकी रहना चाहती हो.’’ ‘‘क्या कहा तुम ने?’’ अनिता के अंदर जैसे भक्क से आग जल उठी, ‘‘मैं उस की मां हूं, दुश्मन नहीं. फिर तुम्हारी तरह निर्दयी भी नहीं हूं, समझे.’’

‘‘शांत…शांत…गुस्सा मत करो. जरा ठंडे दिमाग से सोचो. इस के अलावा और कोई हल है इस समस्या का?’’ ‘‘खैर, छोड़ो इस बात को. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. साहब के लड़के के जन्मदिन पर देने के लिए कोई तोहफा खरीदना है.’’

‘‘तुम चले जाओ, आज मैं नहीं जा पाऊंगी,’’ अनिता उठते हुए बोली. ‘‘तुम्हारी बस यही आदत मुझे अच्छी नहीं लगती. जराजरा सी बात पर मुंह फुला लेती हो. उठो, जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

‘‘नहीं, अजय, मुंह फुलाने की बात नहीं है. काम बहुत है. महरी भी छुट्टी पर है. अभी कपड़े भी धोने हैं.’’ ‘‘अच्छा फिर रहने दो. मैं ही चला जाता हूं.’’

अनिता चाय के बरतन समेट कर जाने लगी तो अजय ने फिर पुकारा, ‘‘अरे, सुनो.’’ ‘‘अब क्या है?’’ उस ने मुड़ कर पूछा.

‘‘जरा देखना, कोई ढंग की कमीज है, पहनने के लिए.’’ ‘‘तुम उस की चिंता मत करो,’’ अनिता ने कहा और अंदर चली गई. अजय ने चप्पलें पैरों में डालीं और फिर बिना हाथमुंह धोए ही बाहर निकल गया. अनिता ने बिट्टू को उठा कर नाश्ता कराया और फिर उसे खिलौनों के बीच में बैठा दिया.

घर भर के काम से निबट कर अनिता खड़ी हुई तो देखा, घड़ी 12 बजा रही थी. कमरे में आई तो देखा कि अजय और बिट्टू दोनों फर्श पर गहरी नींद में डूबे हुए हैं. वह भी बत्ती बुझा कर बिट्टू के बगल में लेट गई. शीघ्र ही गहरी नींद ने उसे आ घेरा. सुबह शिशुसदन जाने के लिए तैयार होते वक्त बिट्टू फिर बिगड़ने लगा, ‘‘मैं वहां नहीं जाऊंगा. मैं घर में ही रहूंगा. बगल वाली चाची को देखो, सारा दिन घर में रहती हैं बबली को वह हमेशा अपने पास रखती हैं. और तुम मुझे हमेशा दूसरों के पास छोड़ देती हो. तुम गंदी मां हो, अच्छी नहीं हो. मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’

‘‘हम आप के लिए बहुत सारी चीजें लाएंगे. जिद नहीं करते बिट्टू. फिर तुम अकेले तो वहां नहीं होते. वहां कितने सारे तुम्हारे दोस्त होते हैं. सब के साथ खेलते हो. कितना अच्छा लगता होगा,’’ अनिता ने समझाने के लहजे में कहा. ‘‘नहीं, मुझे अच्छा नहीं लगता. मैं वहां नहीं जाऊंगा. आया डांटती रहती है. कल मेरी निकर खराब हो गई थी. मैं ने जानबूझ कर थोड़े ही खराब की थी.’’

‘‘हम आया को डांट देंगे. चलो, जल्दी उठो. देर हो रही है. जूतेमोजे पहनो.’’ ‘‘मैं यहीं लेटा रहूंगा?’’ बिट्टू जमीन पर फैल गया.

अनिता को अब खीझ सी होती जा रही थी, ‘‘बिट्टू, जल्दी से उठ जा, वरना पिताजी बहुत गुस्सा होंगे. दफ्तर को भी देर हो रही है.’’ ‘‘होने दो,’’ बिट्टू ने चीख कर कहा और दूसरी तरफ पलट गया. अनिता बारबार घड़ी देख रही थी. उसे गुस्सा आ रहा था, पर वह गुस्से को दबा कर बिट्टू को समझाने की कोशिश कर रही थी.

‘‘अरे भई, क्या बात है, कितनी देर लगाओगी?’’ बाहर से अजय ने पुकारा. ‘‘बस, 2 मिनट में आ रही हूं,’’ अनिता ने चीख कर अंदर से जवाब दिया और बिट्टू से बोली, ‘‘देख, अब जल्दी से उठ जा, नहीं तो मैं तुझे थप्पड़ मार दूंगी.’’

‘‘नहीं उठूंगा,’’ बिट्टू चिल्लाया. ‘‘नहीं उठेगा?’’

‘‘नहीं…नहीं…नहीं जाऊंगा…तुम जाओ…मैं यहीं रहूंगा.’’ ‘तड़ाक.’ अनिता ने गुस्से से एक जोरदार तमाचा उस के गाल पर दे मारा, ‘‘अब उठता है कि नहीं, या लगाऊं दोचार और…’’

अनिता का गुस्से से भरा चेहरा देख कर और थप्पड़ खा कर बिट्टू सहम गया. वह धीरे से उठ कर बैठ गया और डबडबाई आंखों से अनिता की ओर देखने लगा. फिर चुपचाप उठ कर जूतेमोजे पहनने लगा. अनिता उस का हाथ पकड़ कर करीबकरीब घसीटते हुए बाहर आई. दरवाजे पर ताला लगाया और स्कूटर पर पीछे बैठ गई. हमेशा की तरह बिट्टू आगे खड़ा हो गया.

शिशुसदन में छोड़ते वक्त अनिता ने बिट्टू को प्यार किया और अपना गाल उस की तरफ बढ़ा दिया पर बिट्टू ने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया और आगे बढ़ गया. ‘‘अच्छा बिट्टू,’’ अनिता ने हाथ हिलाया पर बिट्टू ने मुड़ कर भी नहीं देखा.

अनिता को आघात लगा, ‘‘बिट्टू,’’ उस ने फिर पुकारा.

‘‘अब चलो भी. पहले ही इतनी देर हो गई है,’’ अजय ने अनिता का हाथ पकड़ कर लगभग घसीटते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा कोई भी काम समय से नहीं होता,’’ स्कूटर स्टार्ट करते हुए उस ने अनिता की ओर देखा. वह अभी भी बिट्टू को जाते हुए देख रही थी.

‘‘अब बैठो न, खड़ीखड़ी क्या देख रही हो. तुम औरतों में तो बस यही खराबी होती है. जराजरा सी बात पर परेशान हो जाती हो,’’ अजय ने झल्लाते हुए कहा. पर अनिता अब भी वैसे ही खड़ी थी, मानो उस ने अजय की आवाज को सुना ही न हो.

‘‘तुम चलती हो या मैं अकेला चला जाऊं?’’ अजय दांत पीसते हुए बोला. लेकिन अनिता जैसे वहां हो कर भी नहीं थी. उस की आंखों में बिट्टू का सहमा हुआ चेहरा और उस की निरीह खामोशी तैर रही थी. वह सोच रही थी, बिट्टू छोटा है, हमारे वश में है. क्या इसी लिए हमें यह अधिकार मिल जाता है कि हम उस के जायज हक को भी इस तरह ठुकरा दें.

‘‘सुना नहीं…मैं ने क्या कहा?’’ अजय ने चिल्लाते हुए कहा तो अनिता चौंक गई. ‘‘नहीं…मैं कहीं नहीं जाऊंगी,’’ अनिता ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए कहा.

‘‘क्या? तुम्हारा दिमाग तो सही है.’’ ‘‘हां, बिलकुल सही है,’’ अनिता ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘सुनो, हम ने उसे पैदा कर के उस पर कोई एहसान नहीं किया है. अपने सुख और अपनी खुशियों के लिए उसे जन्म दिया है. क्या हमारा यह फर्ज नहीं बनता कि हम भी उस की खुशियों और उस के सुख का ध्यान रखें?

‘‘अजय, मैं घर पर ही रहूंगी. मैं नहीं चाहती कि अभी से उस के दिल में मांबाप के प्रति नफरत की चिंगारी पैदा हो जाए और फिर मांबाप का प्यार पाना उस का हक है. मैं नहीं चाहती कि उस के कोमल मनमस्तिष्क पर कोई गांठ पड़े. मैं उतने पैसे में ही काम चला लूंगी जितना तुम्हें मिलता है पर बिट्टू को उस के अधिकार मिलने ही चाहिए.’’ ‘‘तो तुम्हें नहीं जाना?’’

‘‘नहीं,’’ अनिता ने दृढ़ स्वर में कहा. अजय ने स्कूटर स्टार्ट किया और तेजी के साथ दूर निकल गया. अनिता धीमे कदमों से वापस लौट गई. उस का मन अब बेहद शांत था. उसे अपने निर्णय पर कोई दुख नहीं था.

Mother’s Day 2024: स्नैक्स में बनाएं स्वादिष्ट पनीर और आम के रोल्स

अगर आप भी बच्चों के लिए कोई नई हेल्दी और टेस्टी रेसिपी की तलाश कर रही हैं तो पनीर आम रोल्स की रेसिपी आप के लिए परफेक्ट है. पनीर आम रोल्स आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जो आपको प्रोटीन का अच्छा सोर्स साबित होगा.

हमें चाहिए

– 1 दशहरी आम पका

– 50 ग्राम पनीर

– 1 बड़ा चम्मच बादाम फ्लैक्स

– 2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

– 1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– थोड़ी सी स्ट्राबेरी लंबे पतले कटे टुकड़े

– थोड़ा सा बारीक कटा पिस्ता.

बनाने का तरीका

आम को छील कर लंबाई में स्लाइस कर लें. 7 स्लाइस बनेंगे. पनीर को हाथ से मसल कर इस में चीनी पाउडर, इलायची चूर्ण व बादाम के फ्लैक्स मिला दें. प्रत्येक स्लाइस पर थोड़ा सा पनीर वाला मिश्रण रख कर रोल कर दें. पिस्ता व स्ट्राबेरी से सजा कर सर्व करें.

इकलौती संतान की पेरेंट्स ऐसे करें देखभाल

आजकल लोगों की औसत आयु बढ़ गई है. लोग ज्यादा जीने लगे हैं. देश में बुजुर्गों की संख्या 1961 से लगातार बढ़ रही है और 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13.8 करोड़ पार हो गई है. 2031 में उन की कुल आबादी 19.38 करोड़ होने का अनुमान है. ‘नैशनल स्टैटिक्स औफिस’ की एक स्टडी में यह बात सामने आई. वैसे तो यह सुकून की बात है. लेकिन इन की आबादी बढ़ने से एक नई समस्या भी खड़ी हो गई है.

दरअसल, आज के समय में अकसर घरों में एक ही संतान होती है. बच्चों की जिम्मेदारी उठाना और उन की पढ़ाई का खर्च इतना महंगा हो गया है कि लोग एक से ज्यादा बच्चे अफोर्ड नहीं कर पाते. यही नहीं कामकाजी महिलाएं और सिंगल परिवार होने की वजह से भी बहुत से लोग एक से ज्यादा बच्चों के बारे में सोच नहीं पाते. ऐसे में समस्या तब आती है जब बच्चे बड़े होते हैं और मांबाप बूढ़े हो जाते हैं.

उम्र के इस दौर में पेरैंट्स को बच्चों के सहारे की जरूरत पढ़ती है. मगर उन की देखभाल करने के लिए घर में कोई नहीं रह जाता क्योंकि अकसर पढ़ाई या नौकरी के लिए लड़के मैट्रो सिटीज में चले जाते हैं या फिर अगर बेटी है तो उसे ससुराल जाना पड़ता है. अगर बेटा उसी शहर में नौकरी करता है या अपना बिजनैस है तो मांबाप के साथ रहता है, वरना दूर चला जाता है. मुसीबत तब आती है जब पेरैंट्स में से एक यानी माता या पिता की मौत हो जाती है. तब दूसरा शख्स घर में बिलकुल अकेला रह जाता है.

बड़ी जिम्मेदारी

जब कोई लड़का या लड़की अपने मां-बाप की इकलौती संतान होती है तो उस पर अपना कैरियर बनाने के साथसाथ पेरैंट्स की देखभाल की भी जिम्मेदारी होती है. उसे कई बार इस वजह से समझौता भी करना पड़ता है क्योंकि उस के अलावा पेरैंट्स का कोई और सहारा नहीं होता. पेरैंट्स अपनी जिंदगी में कमाई हुई सारी दौलत और अपना पूरा प्यार अपने इकलौते बच्चे के नाम करते हैं.

ऐसे में बच्चे का भी दायित्व बनता है कि वह अपने पेरैंट्स के लिए कुछ करे. ज्यादातर बच्चे अपने पेरैंट्स की देखभाल करना भी चाहते हैं, मगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं होतीं.

आइए, जानते हैं किस परिस्थिति में आप किस तरह अपने पेरैंट्स की देखभाल कर सकते हैं:

जब बेटी इकलौती संतान है

29 साल की दिव्या अपने मांबाप की इकलौती संतान है. उसे एक बेटा और एक बेटी है. वह एक स्कूल में टीचर है. वैसे उस का पति विशाल उस से बहुत प्यार करता है और उस का खयाल भी रखता है, घर में किसी चीज की कमी नहीं है, मगर दिव्या अपने मम्मीपापा को ले कर परेशान रहती है क्योंकि विशाल अपने ससुराल से ज्यादा संबंध नहीं रखता.

दिव्या के पापा को 2 बार हार्ट अटैक आ चुका है. मां से उन की देखभाल ठीक से नहीं होती. उन की आमदनी का पैंशन के अलावा कोई और साधन नहीं. जो रुपए जमा थे वे बेटी की पढ़ाई और शादी में खर्च हो गए. ऐसे में आर्थिक समस्याएं भी पैदा हो जाती थीं. कभीकभार दिव्या उन को पैसे दे देती तो विशाल को अच्छा नहीं लगता क्योंकि दिव्या के घर वालों से उसे बिलकुल लगाव नहीं था.

कभी दिव्या के मांबाप आते तो भी उन के साथ विशाल नौर्मल बातचीत नहीं करता. इस बात से वह बहुत दुखी रहती. दिव्या को इस बात की टैंशन रहती है कि अपने बूढ़े हो चुके मांबाप का खयाल कैसे रखे. उन का खयाल रखने के लिए और कोई नहीं है. इकलौती संतान होने के नाते वह उन के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझती है, मगर कुछ कर नहीं पाती क्योंकि वह अपने पति से भी झगड़ा लेना मोल नहीं चाहती है.

उसका पति सास-ससुर की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. वह कभीकभी तलाक लेने की बात सोचती है, मगर बच्चों की तरफ देख कर चुप रह जाती है. उस के मांबाप भी उसे ऐसा करने से साफ मना करते हैं.

ऐसे हालात में आखिर एक दिन दिव्या ने अपने पति विशाल से सवाल किया, ‘‘यदि मेरे मातापिता के स्थान पर तुम्हारे मातापिता होते तो भी क्या तुम ऐसा ही करते? जिस तरह से तुम्हारे बूढ़े मातापिता की जिम्मेदारी हम दोनों मिल कर उठाते हैं वैसे ही मेरे मातापिता का खयाल भी तो दोनों को ही रखना चाहिए. उन की मेरे सिवा कोई औलाद नहीं. मेरी पढ़ाई और शादी में उन्होंने सारे रुपए लगा दिए. ऐसे में उन्हें कभी डाक्टर को दिखाना हो या आर्थिक मदद करनी हो तब तुम पीछे क्यों हट जाते हो?’’

इस सवाल पर विशाल कोई जवाब नहीं दे सका. उस रात दिव्या ने देखा कि उस के सासससुर विशाल को कुछ समझ रहे हैं. अगली बार जब दिव्या मां को डाक्टर को दिखाने जा रही थी तब विशाल खुद आगे आया और कहने लगा कि चलो साथ चलते हैं. यह सुन दिव्या को अपने पति पर बहुत प्यार आया.

कोई सहारा नहीं

दरअसल, शादी के बाद पतिपत्नी जीवनसाथी बन जाते हैं. जीवन की राह में आने वाले हर सुखदुख में उन्हें एकदूसरे का साथ देना चाहिए. इस काम में केवल स्त्री के पति को ही नहीं बल्कि उस के सासससुर को भी खयाल रखना चाहिए कि यदि बहू की मां या बाप को कोई परेशानी है तो वे अपनी बहू की सहायता करें और उस का साथ दें, उस के पति यानी अपने बेटे को समझएं.

मगर हमारी सोसाइटी में स्थिति बहुत अलग रहती है. हमारे देश में लड़की की शादी करने के बाद लड़की के घर जाना या उस के घर खाना और रहना भी परंपराओं के अनुसार वर्जित माना गया है. घर में बेटा बहू हो तो यह रिवाज चल सकता है. लेकिन अगर वह पुत्री इकलौती संतान है और मांबाप का उस के सिवा कोई और सहारा नहीं है तो ऐसे में क्या पुत्री के दिल में यह सवाल नहीं उठेगा कि वह अपने बूढ़े मांबाप का सहारा क्यों नहीं बन सकती? खासकर जब मां या पिताजी में से कोई अकेला रह जाता है तब बेटी उन्हें अपने घर रखना चाहती है. पर अकसर ऐसे में उसे ससुराल वालों और खुद अपने पति की भी नाराजगी सहनी पड़ती है.

पेरैंट्स का सम्मान अपेक्षित

मुश्किल घड़ी में मांबाप का पुत्री के घर जा कर रहने में कोई हरज नहीं होना चाहिए. महत्त्वपूर्ण बात यह है कि के दामाद और उन के रिश्तेदार पेरैंट्स के साथ सम्मान से पेश आएं. सामान्यतया यह देखा जाता है कि माता या पिता का बेटी के घर जा कर रहने पर कुछ दिन तो बेटी के घर वाले उन का सम्मान करते हैं, लेकिन बाद में धीरेधीरे उन के व्यवहार में परिवर्तन आता जाता है. ऐसे में लड़की के मातापिता में हीनभावना उत्पन्न होने लग जाती है.

जब बेटा दूसरे शहर या विदेश में रहता हो

अकसर बच्चों को अच्छी पढ़ाई या फिर नौकरी के लिए अपना शहर छोड़ना पड़ता है. बाद में कई बार बच्चे विदेश या मैट्रो सिटीज में नौकरी मिलने पर शादी कर के वहीं सैटल भी हो जाते हैं. ऐसे में पुराने घर में मांबाप अकेले रह जाते हैं. अपने कैरियर के लिए बच्चे वापस लौटने का जोखिम नहीं उठाना चाहते, मगर वे ओल्ड पेरैंट्स के प्रति अपने दायित्व से भी मुंह नहीं मोड़ सकते. कई बार मां या बाप अकेले रह जाते हैं तब स्थिति ज्यादा खराब होती है. ऐसी स्थिति में बेटा अपने मांबाप की देखभाल के लिए कुछ इस तरह के तरीके अपना सकता है:

–  अपने पेरैंट्स के घर के पास रहने वाले किसी दोस्त को यह जिम्मेदारी दे सकता है कि रोज शाम में एक बार औफिस से लौटते हुए वह आप के पेरैंट्स से मिलता जाए ताकि किसी तरह की सेहत से जुड़ी परेशानी की जानकारी आप को समय रहते मिल जाए और अर्जेन्सी होने पर आप का दोस्त उन्हें अस्पताल पहुंचा सके. इस के बदले में आप अपने दोस्त की किसी और तरह से हैल्प कर सकते हैं.

–  अपने पेरैंट्स के साथ एक विश्वसनीय नौकरानी को पूरे दिन के लिए रख दें. वह खाना बनाने और साफसफाई के अलावा बुजुर्ग पेरैंट्स की देखभाल भी कर ले जैसे दवा देना, मालिश करना, टहलाना, बाल धोना, फल काटना जैसे छोटेमोटे कामों में भी मदद कर दे.

–  समय रहते उन का मैडिक्लेम जरूर करा लें.

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