अगर आप भी स्वस्थ शरीर का साथ पाना चाहती हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है…

फ्रीज करवाएं एग आमतौर पर महिलाओं में गर्भधारण की वैज्ञानिक उम्र 20 से 30 साल के बीच मानी जाती है लेकिन कैरियर को ध्यान में रख कर आज की महिला जल्दी मां नहीं बनना चाहतीं. लेकिन एक उम्र के बाद मां बनने में कौंप्लिकेशन आ सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर ऐसी कई महिलाएं हैं जो 30+ की उम्र में गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं. ऐसे में वे एग फ्रीज का रास्ता अपना सकती हैं ताकि बाद में उन्हें किसी तरह की प्रौब्लम न आए. एग फ्रीजिंग को मैडिकल भाषा में  क्रायोप्रिजर्वेशन कहते हैं. इस प्रकिया में महिला अपने अंडाणु को 10-15 साल के लिए भी फ्रीज करवा सकती है.

युवा महिलाओं के लिए अपने अंडे फ्रीज करवाना अब आम बात हो गई है. कई फेमस सैलिब्रिटीज जैसे प्रियंका चोपड़ा, तनीषा मुखर्जी, एकता कपूर और राखी सांवत ने अपने एग फ्रीजिंग का रास्ता चुना है.

काया भटनागर जब औफिस जाने के लिए अपनी कार में बैठ रही थी तो अचानक उस की कमर में तेज दर्द हुआ. यह दर्द उसे पहली बार नहीं हुआ, इस से पहले भी 2 बार उसे इस दर्द का सामना करना पड़ा था. लेकिन उस ने इसे इग्नोर किया और अब उस की यह समस्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है. ऐसा नहीं है कि काया की उम्र 40-45 साल है. इसलिए वह यह प्रौब्लम फेस कर रही है. काया अभी महज 35 साल की है और 3 साल के बच्चे की मां है. लेकिन अभी से उसे इस तरह का दर्द होना अपनेआप में चिंता का विषय है.

इस बारे में मणिपाल हौस्पिटल द्वारका में कंसल्टैंट गाइनोकोलौजिस्ट डाक्टर योगिता पाराशर कहती हैं कि 30 के बाद महिलाओं के शरीर में औस्टियोपोरोसिस की समस्या होने लगती है. इस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं जिस से वे आसानी से टूट सकती हैं, इसलिए उन के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है. यह समस्या आमतौर से मेनोपौज के बाद शुरू होती है जब शरीर में ऐस्ट्रोजन का उत्पादन कम हो जाता है.

भरपूर डाइट लें

अगर आप इस से बचना चाहती हैं तो कैल्सियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लें. पौसिबल हो तो सुबह की ताजा भी धूप भी लें. इस के अलावा वजन उठाने वाले काम करने से बचें. स्मोकिंग और शराब को अवौइड करें और साथ ही हड्डियों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए नियमित तौर से बोन डैंसिटी टैस्ट भी करवाती रहें. तभी आप एक स्वस्थ शरीर का साथ पा पाएंगी. सिर्फ औस्टियोपोरोसिस ही एक ऐसी समस्या नहीं है जिस का सामना महिलाओं को 30+ होने के बाद करना पड़ता है. ऐसे बहुत से हैल्थ इशूज हैं जो महिलाएं अपनी लाइफ में 30 की उम्र पार करने के बाद देखती हैं, ये क्या हैं आइए जानते हैं:

इनरैग्युलर पीरियड्स

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन में बदलाव की वजह से महिलाओं की मैंस्ट्रुअल साइकिल भी प्रभावित होता है, जिसे मैडिकल भाषा में पीसीओडी भी कहा जाता है वहीं पीरियड्स के दिन आगेपीछे होने की वजह से कई बार हैवी ब्लीडिंग होने लगती है तो कई बार ब्लीडिंग कम होती है या फिर कई बार पीरियड्स महीनामहीना नहीं होते.

इंडिया में 25त्न महिलाएं इनरैग्युलर पीरियड्स या कई महीने तक पीरियड्स न होने के बाद फिर से पीरियड्स होना, जिसे अमेनोरिया कहते हैं जैसी समस्याओं से जू?ा रही हैं वहीं 30 से 40 साल की उम्र वाली महिलाओं में प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर या पीओएफ के मामले 0.1त्न है.

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या का एक मुख्य कारण है. इस की वजह से बनने वाले सिस्ट का अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह आगे चल कर कैंसर का रूप ले सकता है. भारत में आज करीब 10त्न महिलाएं किशोरावस्था में ही पीसीओएस की प्रौब्लम का सामना कर रही हैं.

फाइब्रौयड्स की प्रौब्लम

फाइब्रौयड्स आजकल महिलाओं की सब से आम समस्या बन गई है. आमतौर पर यह 30 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में होता है. इस से पीडि़त कुछ महिलाएं अपने फाइब्रौयड्स से अज्ञान होती हैं, जबकि कुछ फाइब्रौयड्स को अल्ट्रासाउंड या अन्य जांचों से पता लगाया जाता है. इसलिए समयसमय पर अपने मैडिकल टैस्ट करवाती रहें ताकि समय रहते बीमारी का इलाज किया जा सके.

मोटापे को कहें न

इस के अलावा 30+ की उम्र की महिलाओं में ऐंड्रौइड ओबेसिटी की समस्या भी देखने को मिलती है. इस समस्या में पेट के आसपास चरबी जमा होने लगती, जिसे आम भाषा में बैली फैट भी कहते हैं. होता यह है कि 30 साल की उम्र के बाद फीमेल हारमोन में कमी आने लगती है, जिस की वजह से यह प्रौब्लम होने लगती है. अगर आप अपने पेट के आसपास फैट नहीं चाहतीं तो आप खुद को मोटापे से बचाए रखें. इस के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट से चावल, मैगी, जंक फूड, ब्रैड और बेकरी से बने प्रोडक्ट्स से दूरी बनाएं और प्रोटीन, विटामिन सी, ई, बी12 को डाइट में शामिल करें.

डायबिटीज का बढ़ सकता है खतरा

30+ की उम्र में अगर लाइफस्टाइल और खानपान को सही नहीं रखा जाए तो डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. डायबिटीज की बीमारी होने पर उस के साइन बौडी में दिखने लगते हैं. ये साइन हैं- ज्यादा थकान होना, नजर का धुंधला होना, बहुत प्यास लगना, पेशाब ज्यादा आना, वजन कम होना, मसूड़ों में परेशानी होना. ये लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर से मिलें.

हड्डियों की बिगड़ सकती है सेहत

30+ होते ही महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्सियम और विटामिन डी को भरपूर मात्रा में लेना चाहिए. इस उम्र को पार करने के बाद हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है. हारमोंस में चेंज की वजह से शरीर के ढांचे पर असर पड़ता है. जोड़ों में पुराना दर्द, भंगुर हड्डियां खराब होने का ही एक लक्षण हैं. इससे बचाव के लिए आप कैल्सियम से भरपूर खाद्यपदार्थ अपनी डाइट में शामिल करें जैसे दूध, पनीर और अन्य डेयरी खाद्यपदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली, गोभी और भिंडी आदि, सोया सेम, मछली.

ताकि न बनें हार्ट पेशैंट

30 साल के बाद महिलाओं में दिल की समस्याओं जैसे हार्ट अटैक एक खास समस्या बन कर उभरती है. इस की वजह में हाई ब्लड प्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल, मोटापा और स्मोकिंग शामिल हैं. डाइटिशियन का मानना है कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहिए. इस के लिए उन्हें रैग्युलर ऐक्सरसाइज करनी चाहिए और डाइट में सैचुरेटेड फैट्स व ट्रांस फैट्स कम मात्रा में लेने चाहिए.  इस के अलावा डाक्टर से समयसमय पर ब्लड प्रैशर और कोलैस्ट्रौल की जांच भी करवाते रहना चाहिए.

मैंटल हैल्थ भी है जरूरी 30 साल की उम्र के बाद हमारे लाइफस्टाइल और कुछ गलत आदतों की वजह से हम खुद को ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन से घिरा हुआ पाते हैं. आलसपन में बिस्तर पर पड़े रहना, पोषक आहार की कमी, देर रात तक पार्टीज, शराब इन सब का असर हमारी फिजिकल हैल्थ के साथसाथ मैंटल हैल्थ पर भी पड़ता है. ऐसे में खुद को इन समस्याओं से बचाने के लिए हमें हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना चाहिए जिस में ऐक्सरसाइज से लेकर हैल्दी फूड तक शामिल है.

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