दीपिका ने घर आ कर सब से पहले अपने 2 साल के बेटे शंकुल को डिटौल के पानी से नहला कर दूध पिलाया और सुला दिया. फिर कंप्यूटर खोल कर अपनी कंपनी को ई-मेल से इस्तीफा भेजा और पति रवि को फोन कर जल्दी घर आने के लिए कहा. इतना करने के बाद वह सोफे पर बैठ गई तथा विचारों में खो गई.

लगभग 4 साल पहले उस ने तथा रवि ने इलाहाबाद से एम.टेक की डिगरी ली थी तथा कैंपस में ही दोनों का चयन हो गया था. गुड़गांव में अपना आफिस खोल कर भारत में काम करने वाली एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से दोनों को 5-5 लाख रुपए का पैकेज मिला था. नौकरी की शुरुआत करते हुए दोनों ने शादी का फैसला लिया तो उन के घर वाले इस अंतर्जातीय विवाह के लिए तैयार नहीं थे. आखिर दोनों ने अपने परिवार वालों से हमेशा के लिए संबंध तोड़ कर कोर्ट में शादी कर ली थी.

पतिपत्नी दोनों को अच्छा वेतन मिल रहा था, इसलिए उन के सामने किसी तरह की आर्थिक समस्या नहीं थी लेकिन समस्या समय की जरूर थी. उन के आफिस जाने का समय तो निश्चित था, लेकिन घर वापस आने का नहीं. कंपनी अच्छे वेतन के बदले उन से जम कर काम लेती थी. वह और रवि दोनों एक ही कंपनी के अलगअलग दफ्तरों में काम कर रहे थे. रवि अकसर टूर पर बाहर जाता था लेकिन वह केवल दफ्तर में कार्य करती और वापस घर आ जाती.

शादी के साल भर बाद ही उन्होंने एक फ्लैट खरीद लिया. जाहिर है हर पतिपत्नी का एक सपना होता है कि अपना घर हो, उन का सपना पूरा हो गया. फ्लैट खरीदा तो घर में काम आने वाली दूसरी वस्तुएं भी खरीद लीं. मकान व सामान के लिए उन्होंने बैंक से जो लोन लिया था वह दोनों के वेतन से कट जाता था.

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