6 Tips: माइग्रेन के दर्द से पाएं छुटकारा

आमतौर पर लोग सिर के दर्द को सामान्य सी तकलीफ समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन इसे नजरंदाज करना ठीक नहीं है, क्योंकि लंबे वक्त के बाद ये काफी तकलीफदेह साबित हो सकता है. बारबार सिर में होने वाला दर्द माइग्रेन कहा जाता है. यह उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो सकता है.

माइग्रेन से होने वाले सिरदर्द को कुछ आसान घरेलू उपायों से दूर किया जा सकता है. ये उपाय पूरी तरह से साइड इफेक्ट से रहित हैं और आपको किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते. आइए, जानते हैं कि कौन से घरेलू उपाय आपको इस समस्या से निजात दिलाने में मददगार हो सकते हैं.

अंगूर का रस

ताजा अंगूर के रस को ब्लेंड कर लें. इसमें थोड़ा पानी मिलाएं और पी जाएं. इससे माइग्रेन के दर्द से राहत मिलती है. बेहतर परिणाम के लिए इस ड्रिंक का दिन में दो बार सेवन करें. अंगूर डाइटरी फाइबर, विटामिन ए, सी और कार्बोहाइड्रेड से भरपूर होता है. माइग्रेम के लिए यह बेहतरीन घरेलू नुस्खा है.

अदरक

अदरक शरीर के किसी भी भाग में दर्द से निजात दिलाने में लाभकारी है. चाहे वह दर्द माइग्रेन का ही क्यों न हो. इसके लिए आप अदरक की चाय पी सकते हैं. या फिर अदरक के जूस में थोड़ा सा नींबू का रस मिला लें और सेवन करें. इसके अलावा आप अदरक के पाउडर का पेस्ट बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

दालचीनी

दालचीनी सिर्फ आपके खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता है. बल्कि यह माइग्रेन के लिए बेहतरीन औषधि है. दालचीनी पाउडर में थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें. इस लेप को माथे पर लगाकर 30 मिनट तक रहने दें. बाद में गर्म पानी की मदद से हटा लें. माइग्रेन से काफी राहत मिलेगा.

व्यायाम

नियमित रूप से व्यायाम माइग्रेन से राहत देता है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से भी माइग्रेन की समस्या से निजात मिलती है. हरी शाक-सब्जियों के नियमित सेवन से भी माइग्रेन की समस्या से निजात मिलती है.

थोड़ी सी कौफी

माइग्रेन में दर्द से राहत पाने के लिए कैफीन का भी सहारा लिया जा सकता है. कौफी से दर्द को कम किया जा सकता है.

ज्यादा प्रकाश से बचें

माइग्रेन को रोगी प्रकाश में देर तक न बैठें. इससे दर्द काफी बढ़ सकता है. बेहतर होगा कि प्रकाश के संपर्क में ज्यादा न रहें. अगर रहें भी तो आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं.

माइग्रेन सताए तो करें ये उपाय

30 वर्षीय रेहाना पब्लिशिंग हाउस में ऐडिटर हैं. उन्हें भयंकर सिरदर्द रहता है, लेकिन उन्होंने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया. शुरुआती वर्षों में यह सिरदर्द भयंकर तो था, लेकिन कभीकभी ही उभरता था. मगर फिर सप्ताह में 3 बार उभरने लगा. कई बार तो दर्द बरदाश्त से बाहर हो जाता. फिर जब वे डाक्टर से मिलीं तो उन्होंने बताया कि आप क्रोनिक माइगे्रन से पीडि़त हैं. माइग्रेन के सिरदर्द की सही वजह तो नहीं बताई जा सकती, लेकिन माना जाता है कि मस्तिष्क की असामान्य गतिविधियां स्नायु के सिगनल्स को प्रभावित करती हैं. मस्तिष्क की रक्तनलिकाएं इसे और तीव्र कर सकती हैं. यह डिसऔर्डर लगातार स्थिति बिगाड़ने वाला होता है, जिस से प्रभावित व्यक्ति की जिंदगी अस्तव्यस्त हो जाती है. इस के बावजूद बहुत सारे लोग चिकित्सकीय सलाह नहीं लेते.

क्रोनिक माइग्रेन की स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए. चिकित्सकीय सहायता, पौष्टिक खानपान व लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से माइग्रेन की स्थिति पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.

माइग्रेन का दौरा

माइग्रेन का दर्द बढ़ाने में कई कारक जिम्मेदार होते हैं. मसलन, हारमोनल बदलाव, नींद की कमी, अनियमित खानपान, ऐसिडिटी, अवसाद और धूप में रहना. कुछ महिलाओं को हारमोनल कारणों से मासिकधर्म के समय माइग्रेन का दौरा पड़ता है, जबकि कुछ लोगों को तेज रोशनी, ट्रैफिक के शोरशराबे और तीखी गंध के कारण इस स्थिति से गुजरना पड़ता है. खानेपीने की कुछ चीजों से भी माइगे्रन की संभावना बढ़ती है.

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तनाव और माइग्रेन

माइग्रेन की समस्या मस्तिष्क के स्नायु से शुरू होती है. मस्तिष्क में किसी तरह का बड़ा दबाव मस्तिष्क की गतिविधियों को सक्रिय करते हुए सिरदर्द की स्थिति में ला सकता है. अत: तनाव से यथासंभव बचना चाहिए ताकि हमारे शरीर और मस्तिष्क पर उस का कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े. महिलाओं को अकसर कई तरह की जिम्मेदारियां एकसाथ पूरी करनी पड़ती हैं. अपने कैरियर से जुड़े कामकाज के अलावा उन्हें परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है. ऐसी स्थिति में वे बहुत ज्यादा काम के दबाव की स्थिति से गुजरती हैं, इसलिए माइगे्रन उन में ज्यादा पाया जाता है.

नींद का अभाव, भोजन से वंचित रहना, चिंता आदि कारणों से भी तनाव बढ़ता है और यह माइग्रेन के सिरदर्द का कारण बनता है. कई बार दर्दनिवारक दवा के ज्यादा इस्तेमाल से भी बारबार सिरदर्द उभरता है. कुछ समय बाद ये दर्दनिवारक दवाएं दर्द मिटाने में बेअसर हो जाती हैं. इस के अलावा लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाओं का इस्तेमाल सिरदर्द के साथसाथ किडनी, लिवर और पेट पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालने लगता है.

उपचार

शुरुआती स्तर के दर्द से नजात दिलाने के लिए डाक्टर अकसर माइगे्रन के बचावकारी इलाज पर ध्यान देते हैं और माइग्रेन के दौरे से उन्हें दूर रखते हैं. स्ट्रैस की स्थिति को बचावकारी उपायों से ही प्रबंधित किया जा सकता है. इस के समाधान में पौष्टिक भोजन सप्लिमैंट, व्यायाम, लाइफस्टाइल में बदलाव माइगे्रन के दौरे को टालने के उपाय हैं. यदि आप धूप के प्रति संवेदनशील हैं तो तेज धूप में न निकलें. कुछ लोगों पर ये उपचार पद्धतियां कारगर होती हैं और इन से उन के जीवन में व्यापक बदलाव आ जाता. हालांकि क्रोनिक माइग्रेन से पीडि़त कुछ लोगों पर ऐसी परंपरागत पद्धतियों का कोई असर नहीं होता. ऐसे लोगों के लिए ओनाबोटुलिनम टौक्सिन टाइप ए का इंजैक्शन ही राहत देता है. ऐसे वयस्क मरीजों को रोग से नजात दिलाने के लिए इस दवा को अमेरिकी फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मिली है. जो महीने में 15 या इस से अधिक दिनों तक सिरदर्द की समस्या से पीडि़त रहते हैं, उन्हें यह दवा गंभीर दर्द से राहत दिलाने में कारगर है.

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यह दवा स्नायु के उन संकेतकों को अस्थायी रूप से अवरुद्ध करने का काम करती है, जिन से बेचैनी और दर्द बढ़ाने वाले रसायन प्रवाहित होते हैं. इस दवा का असर कई महीनों तक रहता है. 3 महीनों के अंतराल पर नियमित रूप से इस का इंजैक्शन लेने वाले मरीजों में आश्चर्यजनक सुधार आ सकता है. ओनाबोटुलिनम टौक्सिन टाइप ए इंजैक्शन सिर के पास के कुछ खास बिंदुओं पर लगाए जाते हैं और ये निपुण चिकित्सकों द्वारा ही लगाए जाते हैं. स्ट्रैस मैनेजमैंट भी एक महत्त्वपूर्ण उपाय है, जिसे बेहद तनावपूर्ण जीवनशैली जीने वालों को अपनाना चाहिए. सक्रिय रहें, पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी से तनाव और बढ़ता है. तनाव से राहत दिलाने में व्यायाम की भी अहम भूमिका होती है. आराम दिलाने वाले व्यायाम करने की प्रक्रिया अपनाएं, जिन से आप को तनाव से मुकाबला करने में मदद करेगी.       

– डाक्टर राजशेखर रेड्डी 
मैक्स हौस्पिटल, नई दिल्ली

क्या Migraine आपकी Daily Life को Effect कर रहा है?

अगर आपको तेज सिरदर्द, मतली और प्रकाश और ध्वनि के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता है, तो आपका यह सिरदर्द मामूली नहीं है. दरअसल यह सिरदर्द माइग्रेन हैं, जो न केवल आपको पूरी तरह से बिस्तर पर पहुंचा सकता हैं बल्कि आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों को भी बाधित कर सकता हैं.द लाइफकार्ट .इन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ प्रवीण जैकब के मुताबिक यह एक सामान्य स्थिति है, जिसका  अनुमानित वैश्विक प्रसार 14.7% है अर्थात यह 7 लोगों में से लगभग 1 को होता है. जब माइग्रेन अटैक होता है, तो माइग्रेन से पीडित व्यक्ति कष्टदायी दर्द से छुटकारा पाने के लिए लगभग हर संभव तरीके को अपनाते हैं. दवा दर्द को कम करने में मदद कर सकती है, और एंटीडिपेंटेंट्स और बीटा-ब्लॉकर्स एपिसोड को रोकने में मदद कर सकते हैं. हालांकि इन सभी दवा की विधियों में मतली, अनिद्रा, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक सहित संभावित साइड इफेक्ट होते हैं. क्लीनिकल स्टडी से पता चला है कि सामान्य देखभाल की तुलना में घरेलू उपचार दर्द से राहत दिलाने में ज्यादा प्रभावी साबित हुआ है.

इस समस्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि पहले यह जान जाएं कि यह समस्या किस वजह से हो रही है. जिन चीजों से यह समस्या ज्यादा होती है उनमे मुख्य रूप से  हाई ब्लड प्रेशर, गर्दन या कंधे की मांसपेशियों में अकड़न, भावनात्मक तनाव, कुछ विशेष दवाएं, एडिटिव्स, या कुछ खाद्य पदार्थ शामिल है. हेलिकोबैक्टर पाइलोरी को आमतौर पर एच-पाइलोरी बैक्टीरिया के रूप में जाना जाता है, यह माइग्रेन, अल्सर और अन्य गैस्ट्रिक समस्याओं को पैदा करने के लिए जाना जाता है. माइग्रेन के लक्षणों को जांचने के लिए  प्राकृतिक उपचारों को अपनाना एक दवा-मुक्त तरीका है. ये घरेलू उपचार माइग्रेन को रोकने में मदद कर सकते हैं या इसकी गंभीरता और इससे पीड़ित होने के समय को कम से कम करने में मदद कर सकते हैं.

1. हाइड्रेशन बहुत जरूरी है 

बिना दवा के माइग्रेन का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ढेर सारा पानी या इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक  को पिएँ. यह देखा गया है कि डीहाइड्रेशन होने से सिरदर्द होता है. सुनिश्चित करें कि जिस इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक को आप पी रहे हो उसमे  चीनी या रंग न मिलाहो क्योंकि इससे सिरदर्द और ज्यादा बढ़ सकता हैं. विटामिन सी युक्त ड्रिंक पीना सबसे बढ़िया होता है. अगर व्यक्ति को डायबिटीज है तो ड्रिंक में कितनी चीनी है, इसको जरूर जांच लेना चाहिए.

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2. नियमित रूप से योग करें

रिसर्च से पता चला है कि योग करने से सिरदर्द को कम करने में मदद मिल सकती है. योग एक बहुत पुरानी परंपरा है, जिसमे सांस लेने की तकनीक और आसन के माध्यम से दर्द से  छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है. इन आसनों और प्राणायामों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. एक प्रमाणित ट्रेनर के मार्गदर्शन में हर दिन दो बार करने से माइग्रेन के दर्द की गंभीरता कम हो जाएगी और भविष्य के माइग्रेन अटैक  के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी.

3. एक्यूपंक्चर

एक्यूपंक्चर एक ऐसी  वैकल्पिक चिकित्सा तकनीक है जिसमे शरीर के प्रेशर पॉइंट की पहचान करके सुइयों को चुभा करके दर्द और माइग्रेन के अन्य लक्षणों को सही करने में मदद की जाती है. स्टडी ने एक्यूपंक्चर को पुराने सिरदर्द से पीड़ित लोगों के लिए दर्द से छुटकारा पाने के लिए सबसे  विश्वसनीय वैकल्पिक चिकित्सा तकनीक मानी गयी है. यहां तक कि थ्रोबिंग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित मरीज को एक्यूपंक्चरिस्ट के साथ सेशन करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि एक्यूपंक्चरिस्ट भी एक्यूपंक्चर से माइग्रेन के दौरान दर्द से राहत पाने के लिए सबसे सुरक्षित बिना दवा के इस विकल्पों को अपनाने की सलाह देंगे.

4. मेडिटेशन

माइंडफुल मेडिटेशन में बिना किसी निर्णय वाले दिमाग के साथ वर्तमान समय पर ध्यान केंद्रित करना शामिल होता है. मेडिटेशन एक तरह से तनाव को कम करने में मदद करता है, जैसा कि सभी को पता है कि माइग्रेन को बढ़ाने में तनाव सबसे बड़ा कारण है. मन-तन की तकनीक जैसे मेडिटेशन और कुछ समय के लिए आराम करने से  तनाव को कम करके सिरदर्द को दूर  करने में मदद मिल सकती है.

5. एक्सरसाइज

नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से माइग्रेन अटैक होने की संख्या  और  गंभीरता  को कम करने में मदद करता है. लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि ज्यादा मेहनत वाली एक्सरसाइज करने से माइग्रेन के लिए हानिकारक हो सकता है. एक्सरसाइज वास्तव में तनाव से बचाव में मदद करता है, तनाव होना एक सामान्य माइग्रेन ट्रिगर होता है. जब हम एक्सरसाइज करते हैं तो हम फील-गुड हार्मोन रिलीज करते हैं, इन हार्मोन को शरीर के प्राकृतिक दर्द निवारक और एंटी- डिस्पेरेंट भी माना जाता है. अगर आप  माइग्रेन दर्द से पीड़ित हैं तो एक्सरसाइज न करें क्योंकि इससे आपकी स्थिति और खराब हो जाएगी.

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6. ख़ुद से मसाज करना मददगार हो सकता है

टेम्पल्स, कंधों और सिर के पिछले हिस्से के आसपास खुद से मालिश करने से तनाव से होने वाले सिरदर्द में राहत मिल सकती है. खुद से मालिश करने या किसी मालिश चिकित्सक के साथ काम करने से क्रोनिक  गर्दन के दर्द को हल किया जा सकता है और कंधे का तनाव को कम किया जा सकता है, इससे सिरदर्द नहीं होगा. यह हमेशा सलाह दी जाती है कि प्रेशर पॉइंट पर दबाव I-4 पर दबाव डाला जाए, इस पॉइंट को हेगू भी कहा जाता है, यह आपके अंगूठे और तर्जनी के आधार के बीच स्थित होता है. इससे आपको दर्द और सिरदर्द से राहत पाने में मदद मिलेगी.

7. अपने पेट के स्वास्थ्य को  बेहतर रखें

पेट और दिमाग के बीच एक मजबूत संबंध होता है. इसका मतलब है कि अगर हमारे पेंट का स्वास्थ्य सही है तो  इसका असर माइग्रेन की समस्या पर भी पड़ेगा. यही कारण है कि जीआई डिसऑर्डर, जैसे इरिटेबल बोवेल

सिंड्रोम और इन्फ्लेमेटरी बोवेल की बीमारी, और माइग्रेन अक्सर व्यक्ति द्वारा एक साथ अनुभव किया जाता है. अस्वास्थ्यकर खानपान की आदतों और एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा सेवन में वृद्धि होने से  मानव शरीर में एच-पाइलोरी बैक्टीरिया की संख्या (मानव-आंत के अंदर) अच्छे और महत्वपूर्ण बैक्टीरिया को कम कर देते है, जिससे पेट की समस्या होती है और परिणामस्वरूप माइग्रेन होता है.

8. प्राकृतिक माइग्रेन रिलीफ किट

इन स्टेप्स का पालन करने के बाद भी अगर राहत नहीं मिलती है, तो प्राकृतिक माइग्रेन रिलीफ किट को आजमा सकते हैं. ये सभी किट ऑनलाइन उपलब्ध हैं और माइग्रेन और सिरदर्द से लड़ने तथा ठीक करने के लिए 100% प्राकृतिक इलाज प्रदान करती हैं. ये हर्बल प्रोबायोटिक किट देशी जड़ी बूटियों से बनाई जाती हैं जिनमें काला जीरा, जीरा, चाँद की पत्ती, अदरक, और पुदीना शामिल हैं जो आपके पेट में इंटेस्टिनल फ़्लोरा (आंतों के वनस्पतियों) को पनपने की अनुमति देकर सिरदर्द और दर्द को हल करने में मदद करते हैं.

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