वर्कप्लेस को ऐसे बनाएं खास

पहला भाग पढ़ें- जौब से करेंगे प्यार तो सक्सेस मिलेगी बेशुमार

औफिस में काम करने के लिए जरूरी है कि हम अपने बर्ताव पर ध्यान देना चाहिए ताकि हमारी लाइफ स्मूदली चलती है. इसीलिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप औफिस में अपने मूड स्विंग्स को कंट्रोल करते हुए एक अच्छा वर्कप्लेस बनाएंगे. तो आइए जानते हैं वर्क स्पेस से जुड़ी बातें…

1. सबसे पहले पसंदीदा काम करें

सुबह की शुरुआत 15 मिनट पहले करें. इस समय का इस्तेमाल उन कामों के लिए करें जो आप को ऊर्जावान बनाते हों. सुबह की शुरुआत सही होगी, तो पूरा दिन अच्छा गुजरेगा.

2. नापसंद काम लंच से पहले करें

कई काम पसंद तो नहीं होते, लेकिन उन्हें करना आप की जिम्मेदारी होती है. जैसे, किसी चिड़चिड़े ग्राहक से बात करना, किसी घिसीपिटी, असफल फाइल पर पत्राचार करना या उलझा हुआ हिसाबकिताब फिर से जांचना आदि. इन कामों को लंच से पहले कर डालें, ताकि लंच करने के बाद आप फ्रैश मूड में काम कर सकें.

 3. किसी के लिए अच्छा करें

दिन का ऐसा समय चुनें जब आप सब से ज्यादा थके हुए या नाखुश हों. इस समय औफिस में किसी कलीग की बिना अपेक्षा के मदद करें. इस का पौजिटिव असर होगा. मदद करने से जीवन में खुशियां आती हैं, साथ ही उन में आप के प्रति अच्छी भावना भी आएगी.

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4. कृतज्ञता जताना सीखें

आप को जो काम करने का मौका मिला है, उस के लिए धन्यवाद कहें. किसी भी काम को इस तरह से पूरा करें कि वह आप को अपने मकसद के थोड़ा और करीब ले जाए. खुद को मिली आजादी और मौके के लिए कृतज्ञ रहें. आप गौर करें कि आभार जताते समय दुखी नहीं रहा जा सकता. जीवन को महसूस करने की कोशिश करें.

वर्कप्लेस पर खुशियां ढूंढ़ें ताकि आप खुश रहें. बौस के गलत व्यवहार और विफलताओं को भुला कर आगे बढ़ें. नैगेटिव खयाल आप को कुछ नहीं देते. आप को जिन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है उन्हें खुशीखुशी पूरा करें.

औफिस में इन 5 चीजों को करें इग्नोर

अक्सर कुछ ऐसी बातें या कुछ मैटर होते रहते हैं ऑफिस में जिस पर आपका ध्यान जाता रहता है लेकिन आप इन चीजों को इग्नोर करें. क्योंकि ऐसी चीजें आपका ध्यान काम से भटकाती हैं और काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है.ऑफिस में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आपको पीछे करना चाहते हैं और अगर आप आगे बढ़ रहे हैं तो वो आपसे आगे निकलने की होड़ में आपको दूसरों की नजरों में गिरा भी सकते हैं..लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें आपको वर्किंग प्लेस पर इग्नोर करना चाहिए यही आपके लिए बेहतर होगा.

1. किसी के दबाव में काम ना करें

कभी भी किसी के दबाव में आकर कोई काम ना करें.अक्सर कुछ सीनियर आपको जबरदस्ती कहते हैं ये काम करो लेकिन अगर वो काम आपका है ही नहीं तो सीधा मना करें लेकिन वो भी सलीके से ताकि सामने वाले को बुरा भी ना लगे.अक्सर कुछ बॉस आप पर दबाव बनाना चाहते हैं लेकिन फिर भी आप उनकी बातों को इग्नोर करें आपना काम करें ऐसा करें कि आपके काम को लेकर कोई आपर उंगली ना उठा सके.

2. दूसरे की गॉसिप से दूर रहें

अक्सर कुछ लोग दूसरों की बातें करते हैं उन्हें दूसरों की गॉसिप्स में बड़ा मज़ा आता है.लेकिन ये चीजें आपको भारी पड़ सकती हैं और आपकी जॉब पर भी खतरा पड़ सकता है.क्योंकि कब कौन आपकी बातें कहां पहुंचा दें ये कोई जानता और कब आपकी कही हुई बात आप पर ही भारी पड़ जाए तो सावधान रहें.

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3. स्मार्ट वर्क

मेहनत तो बहुत लोग करते हैं लेकिन आपको स्मार्ट वर्क करना चाहिए ताकि लोग आपके काम की तारीफ करें उसकी सराहना करें.मेहनत तो हर कोई करता है जो पैसे कमाना चाहता हैं ऑफिस में भी कुछ लोग लगे रहते हैं इसी तरह लेकिन अगर आप स्मार्टनेेस के साथ काम करेंगे तो लोग आपके काम को देखेंगे ये नहीं कि आपने कितने घंटे दिए हैं ऑफिस में इसलिए स्मार्ट वर्क पर ज्यादा ध्यान दें फालतू की मेहनत को इग्नोर करें.

4. दूसरों के काम में ना पड़ें

हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि कभी भी दूसरों के काम में ज्यादा उंगली ना करें.उसकी मदद करना अलग बात होती है लेकिन उसके काम में पड़ना अलग बात होती है.क्योंकि कई बार ऐसा भी होता कोई गलती हो जाती है तो सामने वाला आप पर ही इल्जाम लगा सकता है कि आपने मेरा काम बिगाड़ा.इसलिए कोशिश करें कि आपको जो काम दिया जाए जो काम असाइन किया जाए वहीं करें.

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5. दूसरों की बातों को इग्नोर करें

यहां पर दूसरों की बातों को इग्नोर करने का मतलब ये है कि लोग आपके बारें में क्या कह रहें हैं ये क्या सोच रहें हैं इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि बहुत से लोग आपके बारे में बहुत कुछ बोलते हैं अगर आप उनपर ध्यान देंगे तो आप अपने काम में मन नहीं लगा पाएंगे इसलिए सिर्फ अपना काम करें लेकिन साथ ही ऐसा काम करें कि लोगों को आपके बारें में कुछ बोलने का मौका ही ना मिले.

औफिस में रखें इन बातों का ध्यान

घर के बाद औफिस मतलब आपको वर्क प्लेस एक ऐसा स्थान होता है जहां आप सबसे ज्यादा समय व्यतीत करती हैं. वहां पर आपके रिश्ते अपने कलिग्स से पौजिटिव होने चाहिए, लेकिन अक्सर ऐसा होता है जब आप किसी औफिस में काम करती हैं और आपकी कुछ लोगों से अच्छी बनने लगती है….आप कोई भी औफिस की प्रौबलम हो उस व्यक्ति  से शेयर करती हैं. उसके साथ लंच पर जाती हैं,अक्सर चाय पीने भी चली जाती हैं,आपको उससे बात करना अच्छा लगता है. वो आपके औफिस का सबसे अच्छा दोस्त बन जाता है. आप हंसी-खुशी के पल उसके साथ शेयर करते हैं. लेकिन कभी-कभी ऐसे रिश्ते लोगों की आंखों में खटकने लगते हैं.

लोग तुरन्त ये सोचने लगते हैं कि जरूर इसका उसके साथ कोई चक्कर चल रहा है.आपस में बात करते हैं कि कुछ तो गड़बड़ है…देखो तो जब देखो उसी के साथ दिखती  है हमेशा.ऐसी बहुत सी बातें हैं जो लोग कहते हैं. अगर आपकी बौस के साथ अच्छी बनती है और आपका उसी बीच प्रमोशन होता है तो लोग ये कहने से बिल्कुस पीछे नहीं हटते की इसने सोर्स लगाया है और क्योंकि हम महिलाओं की बात कर रहे हैं तो उनके लिए तो ये तक बोल दिया जाता कि जरूर इसका बौस के साथ कुछ चक्कर है तभी तो देखो कैसे इसका प्रमोशन हो गया.

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लोग ये नहीं देखते की आप काम अच्छा कर रहे हैं बस आपके खिलाफ औरों को भड़काने का काम करते हैं, लेकिन आप बिल्कुल भी इन बातों पर ध्यान मत दीजिए क्योंकि ये औफिस है औफिस में ये सब लगा रहता है दूसरों के लिए कभी भी अपने रिश्तों को छोड़ने की आवश्यकता नहीं है. अगर आप सही हैं तो कोई कुछ भी कहे आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. आप अपने काम पर फोकस करें ,अगर किसी से अच्छी बनती है तो उसको बना कर रखें.

आपके औफिस के लोग भी उस समाज की तरह ही होते हैं…उनका काम ही है कड़वा बोलना. वो सुना तो होगा ही आपने कि लोगों का काम है कुछ कहना….कुछ तो लोग कहेंगे.ये सब कहने का मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपने रिश्तों को बाकी कलिग्स से बिगाड़ लें…आप उनको समझे और कोशिश करें कि उनको समझाये और इतनी शालीनता से कि उनको बुरा भी न लगे. बेवजह की बातें मत करिए अपने काम से काम रखिए साथ ही उनको और उनकी बातों को सम्मान दें.

अगर आपको कोई परेशानी है तो उनकी मदद भी लें इससे आपके रिश्ते अच्छे बनेंगे.कभी-कभी कुछ लोगों को ज्यादा सम्मान देने पर वो आपकी हरकतों को गलत वे में ले लेता है इसलिए कोशिश करें कि आप उसको वैसा मौका ही न दें. साथ ही दूसरों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहें.बस इन सारे तरीकों से आप अपने वर्क प्लेस पर अपनी अच्छी छवि बनेगी.

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जौब से करेंगे प्यार तो सक्सेस मिलेगी बेशुमार

क्या आप अपनी नौकरी, व्यापार या पेशे के लिए बोझिल मन से जाते हैं? वर्कप्लेस पर जाने का टाइम हो गया, इसलिए अब जाना ही पड़ेगा, ऐसा सोचते हैं? क्या जौब पर जाते समय आप की मनोदशा उस बकरे जैसी होती है जिसे कोई कसाई काटने के लिए घसीट कर ले जाता है या फिर उस बच्चे जैसी जिसे उस की मां घसीट कर स्कूल ले जाती है?

अगर इन सवालों का जवाब हां में है, तो समझ लीजिए कि आप जौब या प्रोफैशन में दिन ही बिता सकते हैं, कभी सफल नहीं हो सकते. अगर आप को सफलता चाहिए, तो अपनी जौब से प्यार करना सीखना होगा और वर्कप्लेस पर खुशियां ढूंढ़नी होंगी ताकि आप रोज प्रसन्नमन से अपने वर्कप्लेस पर जाएं और वहां पूरी ऊर्जा व तनमन से कामकाज करें. इस के लिए आप को अपनाने होंगे कुछ छोटेछोटे उपाय.

अपनी इमेज मल्टी डायमैंशनल बनाएं

पहचानें कि आप कौन हैं, आप खुद को किस रूप में देखते हैं. अगर आप की सैल्फ इमेज सिर्फ आप की नौकरी या प्रोफैशन से जुड़ी हुई है, तो आप को समस्या हो सकती है. अगर खुद को सिर्फ अकाउंटैंट, सैल्स पर्सन, वकील या सीईओ के रूप में पेश करते हैं तो यकीन मानिए कि आप खुद को प्रोफैशनल दायरे से बाहर नहीं निकाल पाए हैं.

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अपनी ऐसी पहचान बनाएं जो सैल्फ इमेज को मल्टी डायमैंशनल बना सके. यदि आप एक अच्छे लेखक, संगीतकार, गायक या शेफ हैं तो वर्कप्लेस पर लोगों को इस बात की जानकारी दें, ताकि वे आप को एक सम्मानित व्यक्ति के तौर पर पहचानें. इस से औफिस में आप के प्रति पौजिटिव वातावरण बनेगा. लोग आप की कद्र करेंगे तो आप को भी अच्छा महसूस होगा. सकारात्मक माहौल में काम करने का मजा ही कुछ और है.

नैगेटिव बातों को दरकिनार करें

कई बार वर्कप्लेस पर ऐसे लोगों से वास्ता पड़ता है जो हर वक्त अपनी मुसीबतों का ही रोना रोते रहते हैं. कई बार उन की बातें सुन कर मन वाकई कमजोर पड़ जाता है. लेकिन, दूसरों की बातें सुन कर परेशान न हों. उन की नैगेटिव बातचीत को इग्नोर करें. यह आसान नहीं है, फिर भी आप को इस पर अमल करना होगा.

जीवन में कई बार ऐसा होता है जब आप अपने सपनों को सिर्फ इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि आप दूसरों के बारे में विचार करने लग जाते हैं. जीवन में दूसरे कभी यह तय नहीं कर सकते कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. अगर आप कुछ पसंद करते हैं, तो सीधेतौर पर उस काम को करने की कोशिश करें. कई काम आप की अपेक्षा के विपरीत होते हैं. कभी किसी सहकर्मी, बौस या ग्राहक से कहासुनी हो जाती है और मूड औफ हो जाता है, ऐसे में बुरी बातों को सिर पर ढो कर टैंशन न लें. बीते समय के बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं होता.

हर सुबह एक नई शुरुआत होती है. आप के पास जो है, उस में खुश रहें और बाकी बातें भूल जाएं. आप बौस के गलत व्यवहार और विफलताओं को भुला कर आगे बढ़ें. नैगेटिव खयाल आप को कुछ नहीं देते, बस दुखी करते हैं.

अपनी जिम्मेदारी को प्लान करें

जब आप छोटी सी पिकनिक पर भी पूरी प्लानिंग के साथ जाते हैं, तो फिर वर्कप्लेस पर बस हाथ में बैग टांग कर और लंचबौक्स ले कर क्यों चल देते हैं? वर्कप्लेस पर आप को जिन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है या जिन स्थितियों को आप कंट्रोल करते हैं, उन की लिस्ट बनाएं. यह आप की टीम का आउटपुट, आप का सैल्स रूट, दिनभर के कार्यों का क्रम, सप्लाइज की खरीद, लोगों से मिलना, डैस्क को सहेजना कुछ भी हो सकता है. इन कार्यों को सही तरह से पूरा करने की प्लानिंग करें. इन्हें इस तरह पूरा करें कि आप जो भी प्रयास करें, उन से खुशी मिले. यह सब सिर्फ बौस को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि काम को सही ढंग से अंजाम देने के लिए होना चाहिए.

कार्य की शैड्यूलिंग करें

आप वर्कप्लेस के अपने बोरिंग रूटीन को गेम्स की सीरीज में तबदील कर सकते हैं. इस के लिए आप सब से मशहूर गेम कैंडी क्रश पर गौर कर सकते हैं. इस गेम में हर लैवल पर मुश्किलें बढ़ती चली जाती हैं. यहां आप की मौजूदा मास्टरी पता चलती है. आप के दिमाग की निर्णय लेने की क्षमता सीमित है, इसीलिए पूरे दिन काम करतेकरते दिमाग थक जाता है. आप को औटोमैटिक रूटीन तैयार करना चाहिए, रोज लेने वाले फैसलों की संख्या में कमी लानी चाहिए और कार्यों की शैड्यूलिंग भी करनी चाहिए. रोज साधारण लक्ष्य बनाएं. जैसे, दिन में कितनी कौल करनी हैं, ईमेल के लिए कितना समय देना है, प्रैजेंटेशन पूरा करने में कितना समय लगाना है आदि.

– कैरियर काउंसलर, गौतम दुगड़ से बातचीत पर आधारित.

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औफिस में करें प्यार पर छुप छुप कर

उस दिन शमशेर सिंह धीरे से नेहा चौहान के पीछे आकर फुसफुसाया, ‘आज लंच के लिए मेरे केबिन में आइये.’ नेहा ने पहले तो उसको घूर कर देखा और अगले ही क्षण वह पूरे स्टाफ के सामने उस पर बरस पड़ी. तेरी हिममत कैसे हुई… तूने मुझे समझ क्या रखा है… अपनी शक्ल देखी है कभी आइने में… जब से मैंने ये औफिस ज्वाइन किया है उल्लू की तरह आंखें फाड़-फाड़ कर घूरता रहता है… पहले कोई लड़की नहीं देखी क्या तूने…? मजनूं की औलाद, यौन उत्पीड़न का केस कर दूंगी तुझ पर… समझ क्या रखा है तूने मुझे? वगैरह वगैरह. शमशेर सिंह तो उस दिन मारे शर्म के चूहा सिंह बन गये.

अगले चार दिन तक औफिस से गायब रहे. बाद में औफिस आये तो पूरे वक्त अपने केबिन में ही बंद रहने लगे. अपमान, शर्म और तिरस्कार के तीर खाकर उनके प्रेम का उफान पूरी तरह ठंडा पड़ चुका था. कहां गलती हो गयी? शायद जल्दबाजी कर दी मैंने? उसको समझ नहीं पाया? ऐसे ही सवाल उनके दिमाग में चक्कर मारते रहते थे. काम में मन ही नहीं लग रहा था. उधर बौस तक बात पहुंचने से नौकरी पर भी तलवार लटक रही थी. जो तीन-चार दोस्त लंच टाइम में उनके केबिन में आकर साथ खाना खाते थे, वह भी नहीं आ रहे थे, कि कुछ सफाई पेश कर पायें. औफिस में बड़ी अटपटी सी स्थिति हो गयी थी. पहले वो औफिस में नेहा को घूरते रहते थे अब पूरा स्टाफ उन्हें घूर-घूर कर देखता है.

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दरअसल शमशेर सिंह को नेहा चौहान से प्रेम हो गया था. नेहा ने यह औफिस कोई महीना भर पहले ही ज्वाइन किया था. देखने में सुन्दर थी. काम में भी तेज. शमशेर तो देखते ही रीझ गया था. लगा कि कोई उनकी जीवनसंगिनी अगर बन सकती है तो वह बस नेहा ही है. वे दिन-रात उसके सपने में खोये रहते. बिना इस बात को समझे कि नेहा उनके बारे में कुछ पौजिटिव सोचती भी है या नहीं. नेहा ज्यादा किसी से बात नहीं करती थी, हर वक्त बस अपने काम में ही व्यस्त दिखती थी. मगर उसको इस बात का अहसास था कि शमशेर उसको घूरता रहता है. वह अक्सर सामने पड़ने पर नजरें झुका लेती थी. इस बात को शमशेर ने उसकी शर्म समझ ली. मन ही मन शर्मीली लजीली नेहा की कल्पनाएं करता बार-बार अपने केबिन से निकल कर उसकी कुर्सी के आसपास मंडराने लगा. उस दिन मौका पाते ही लंच का औफर दे दिया और तब पहली बार उसने नेहा का असली रूप देखा और अपने बारे में उसके विचार जाने.

शमशेर का प्यार एकतरफा था. वह न तो नेहा को अच्छी तरह जानता था और न ही उसने इस बात की कोई तस्दीक की थी कि नेहा के दिल में उसके लिए कुछ है भी या नहीं? नेहा की छठी इन्द्री ने उसको शमशेर के प्रति पहले ही सचेत कर दिया था. वह जानती थी कि यह व्यक्ति उस पर लगातार नजरें जमाये हुए है. उसको इस बात से शमशेर से चिढ़ हो गयी थी. इसलिए वह उसके सामने पड़ने पर उसे इग्नोर करने के इरादे से नजरें झुका लेती थी. मगर शमशेर ने इसका गलत अर्थ निकाल लिया. औफिस में एकतरफा रोमांस की ऐसी सजा शमशेर को मिली कि वह अवसादग्रस्त हो गया.

वहीं, अभिमन्यु और आरिफा का औफिस -रोमांस ऐसा परवान चढ़ा कि आज न सिर्फ वे अच्छे कलीग हैं, बल्कि अच्छे पति-पत्नी भी हैं. मगर जब तक दोनों की शादी नहीं हो गयी, तब तक उनके औफिस में किसी को भनक तक नहीं लगी कि डेढ़ साल से दोनों का औफिस में रोमांस चल रहा था. डेढ़ साल के लम्बे समय में दोनों ने एकदूसरे को बखूबी जांचा-परखा मगर दूसरों की नजरों से छुप-छुप कर. वे अलग-अलग औफिस आते. लंच टाइम पर अपने-अपने दोस्तों के साथ अलग-अलग खाना खाते. कभी एकदूसरे से बात भी करते थे तो ‘सर’ या ‘मैडम’ के सम्बोधन के साथ, जैसे कि औफिस में अन्य लोग करते थे. छुट्टी के वक्त भी अलग-अलग निकलते मगर दोनों के मिलने की जगह फिक्स थी. औफिस के बाहर वह लम्बे समय तक एक-दूसरे के साथ रहते. वीकेंड साथ बिताते और दो-तीन दिन की छुट्टियां पड़तीं तो आसपास किसी पिकनिक स्पाट या हिल स्टेशन पर चले जाते थे. मगर औफिस टाइम में अगर उन्हें कोई पर्सनल बात करनी होती थी तो वह मोबाइल मैसेज या इंटरनेट चैट के जरिये ही करते थे कभी एक-दूसरे के पास आकर निजी बातें करते उन्हें किसी ने नहीं देखा था.

औफिस में इश्क परवाना चढ़ने के किस्से अक्सर सुनने को मिलते हैं और अब एक सर्वेक्षण के जरिए भी यह बात सामने आयी है. इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब 85 फीसदी लोगों को अपने सहकर्मी के साथ रोमांस में कोई झिझक नहीं है, बशर्ते दोनों के काम जुदा हों. किसी ने ठीक ही कहा है कि प्यार पर किसी का जोर नहीं चलता. प्यार कभी भी, कहीं भी, किसी से भी हो सकता है. लेकिन अगर ये प्यार अपने औफिस के ही किसी कलीग से हो जाए तो ये समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि उसके साथ औफिस में कैसा व्यवहार किया जाए.

आज का खुले दिल-दिमाग वाला युवा अपनी पसन्द और स्टेटस के अनुसार अपना जीवनसाथी चुनना चाहता है. घर-परिवार की पसन्द से होने वाली अरेंज मैरिज का सिस्टम अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है. अब तो जोड़ियां कौलेज या औफिस में ही बनने लगी हैं. हर औफिस में आपको दीवाने भी मिल जाएंगे और फ्लर्टी भी, जो हर समय लड़कियों से फ्लर्ट करने से नहीं चूकते. वहीं ऐसी लड़कियां भी मिलेंगी जो लड़कों को और खासतौर पर अपने युवा बौस को अपनी अदाओं से रिझाने में लगी रहती हैं. दफ्तरों में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपना भावी जीवनसाथी तलाशते रहते हैं. पेशेवर लोगों के 9 से 10 घंटे औफिस में गुजरते हैं. ऐसे में सहकर्मी के प्रति लगाव होना आम बात है. रोमांस करना बुरी बात नहीं है, लेकिन जब बात हो औफिस में रोमांस करने की तो थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. अकसर औफिस में रोमांस के दौरान लोग कई ऐसी बातों को भूल जाते हैं जिसका उन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

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वहीं अगर आप अपने रिश्ते को लेकर गम्भीर हैं तो कोशिश करें कि जब तक आप और आपका पार्टनर शादी के निर्णय तक न पहुंच जायें,  किसी को इस बात की खबर ना लगे. आप युवा हैं, शादी लायक हैं, आपको अपने औफिस में ही कोई पसन्द आ रहा है तो औफिस में रोमांस जरूर करिये, मगर कुछ सावधानी के साथ और दूसरों की नजरों से बच कर. हम आपको बताते हैं कि आप अपने कलीग, जिससे आपको प्यार हो गया है, के साथ औफिस में कैसा बर्ताव करें जिससे आप और आपके प्यारे साथी को लोगों के सामने शर्मिंदा न होना पड़े.

इन बातों का रखें ख्याल

आइये जानते हैं कि आफिस में किस तरह से रोमांस किया जाए कि वहां पर मौजूद किसी दूसरे इंसान को जरा सा भी शक ना हो पाए.

–  सबसे जरूरी बात यह जानने की है कि आप जिसे पसन्द करते हैं, वह भी आपको पसन्द करता है कि नहीं. रोजाना की मुलाकात में उसका आपके प्रति व्यवहार, आकर्षण, बात करने का तरीका इस बात का इशारा कर देता है कि वह आपके बारे में क्या धारणा रखता है.

–   औफिस में अपने प्रेमी से चैटिंग या रोमांटिक बातचीत करने के लिए कभी भी कम्पनी द्वारा दिये गये ई-मेल आई डी का प्रयोग ना करें क्योंकि कम्पनी को कभी भी आप पर शक हो सकता है और वह आपसे आपका अकाउंट खुलवा कर कुछ भी चेक कर सकती है.

–  छोटे औफिस में रोमांस करना बड़ा रिस्क होता है. वहां बातें तेजी से फैलती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आपके प्रेम के चर्चे किसी तीसरे के कान में न पड़ें.

–  अगर आप नये-नये आफिस में आये हैं, तो कोशिश करिये कि कुछ महीने तक अपना बेस्ट बिहेवियर ही दिखाएं. इसी तरह अगर औफिस में आयी किसी नई लड़की से आपको इश्क हो गया है तो पहले कुछ महीने तक उसके बिहेवियर और पसन्द को समझने और जानने की कोशिश करिये. अगर वह आपमें इंटरेस्टेड होगी तो कोई न कोई संकेत जरूर करेगी. इसके बाद ही आप उससे अपने प्रेम का इजहार करें.

–   औफिस में एक दूसरे से बात करने की बजाये आप दोनों औफिस के बाहर कोई जगह निश्चित कर लें, जहां आप दोनों रोजाना मिल पाएं.

–   औफिस में आपके दूसरे दोस्त भी काम करते हैं, इसलिए यह जरूरी नहीं कि आप हर समय अपने प्रिय साथी के ही पास चिपके बैठे रहें. अन्य साथियों को भी समय दें और अपने काम पर भी उतना ही फोकस करें.

–  अगर आप उससे सीनियर हैं, जिससे आप प्यार करने लगे हैं तो औफिस में उससे एक सीनियर की तरह ही व्यवहार करें. दूसरों के सामने उससे ज्यादा घुलना-मिलना या हंस-हंस कर बात करना ठीक नहीं है, इससे लोगों को शक हो जाएगा और आप दोनों को लेकर अनेक कहानियां  औफिस में सुनायी देने लगेंगी, जो आप दोनों के करियर के लिए ठीक नहीं होगा. एक दूसरे के सम्मान का बराबर ख्याल रखें.

–  अपनी प्यार भरी बातों के लिए किसी तीसरे को मीडिएटर ना बनाएं यानी किसी तीसरे व्यक्ति से अपनी बातें साझा ना करें बल्कि सीधे अपने पार्टनर से बात करें.

–  अपने प्रेम प्रसंग को गलती से भी बॉस तक न पहुंचने दें क्योंकि इससे उन्हें लगेगा कि आप दोनों औफिस के काम के लिए सीरियस नहीं हैं.

–  अच्छा होगा कि औफिस में आप अपने पार्टनर से ज्यादा बात ना करें. साथ ही ब्रेकफास्ट, लंच और टी ब्रेक में भी उनके साथ जाने से बचें.

–   औफिस में जरूरी नहीं कि हर समय आप अपने पार्टनर को सपोर्ट करें. यदि आप ऐसा बार-बार करते हैं तो अन्य सहकर्मी आपके खिलाफ हो जाएंगे या आप दोनों के बारे में बातें बनाने लगेंगे.

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–  भले ही आप दोनों एक दूसरे के प्यार में हो, लेकिन औफिस के माहौल को बनाकर रखें. औफिस में आपका रोमांस और लोगों को परेशानी दे सकता है.

–  आप चाहे काम के प्रति कितने भी सीरियस हैं, लेकिन आपका रोमांस आपकी परफॉरमेंस बिगाड़ सकता है. इसलिए औफिस के दौरान सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें.

–   औफिस के कैफेटेरिया में आप दोनों अकेले बैठने के बजाय ग्रुप में साथ बैठें. इससे आप दूसरों को भी बराबर समय दे पाएंगे.

–  आपने कई बार अनुभव किया होगा कि कुछ लोग फ्लर्टिंग के चक्कर में डबल मीनिंग मजाक करते हैं, ऐसे में आप ध्यान रखें कि ना ही आप किसी से ऐसे मजाक करें और अगर कोई आप से करे तो उसे कोई प्रतिक्रिया ना दें या फिर असहमति जाहिर कर दें. इससे सामने वाला व्यक्ति समझ जाएगा कि आपको उसका मजाक बुरा लगा है. अगर आप पुरुष हैं तो किसी भी महिला से इस तरह के मजाक न करें. इससे आपका अपना किरदार खराब साबित होगा.

–  कलीग से प्यार हो जाए तो औफिस आने का उत्साह दस गुना बढ़ जाता है. वहां अच्छा काम करके तारीफ हासिल करना भी लक्ष्य बन जाता है, क्योंकि इससे आप अपने पार्टनर की नजर में भी चढ़ते हैं, मगर इस अतिउत्साह में अगर आपके प्रेम का पर्दाफाश हो जाए तो बाकी लोग बेकार की गौसिप करने लगते हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव आपके रिश्ते, व्यवहार और काम पर पड़ने लगता है. इसलिए औफिस में रोमांस जरूर करें, मगर चोरी-चोरी, चुपके-चुपके.

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