क्या आप अपनी नौकरी, व्यापार या पेशे के लिए बोझिल मन से जाते हैं? वर्कप्लेस पर जाने का टाइम हो गया, इसलिए अब जाना ही पड़ेगा, ऐसा सोचते हैं? क्या जौब पर जाते समय आप की मनोदशा उस बकरे जैसी होती है जिसे कोई कसाई काटने के लिए घसीट कर ले जाता है या फिर उस बच्चे जैसी जिसे उस की मां घसीट कर स्कूल ले जाती है?

अगर इन सवालों का जवाब हां में है, तो समझ लीजिए कि आप जौब या प्रोफैशन में दिन ही बिता सकते हैं, कभी सफल नहीं हो सकते. अगर आप को सफलता चाहिए, तो अपनी जौब से प्यार करना सीखना होगा और वर्कप्लेस पर खुशियां ढूंढ़नी होंगी ताकि आप रोज प्रसन्नमन से अपने वर्कप्लेस पर जाएं और वहां पूरी ऊर्जा व तनमन से कामकाज करें. इस के लिए आप को अपनाने होंगे कुछ छोटेछोटे उपाय.

अपनी इमेज मल्टी डायमैंशनल बनाएं

पहचानें कि आप कौन हैं, आप खुद को किस रूप में देखते हैं. अगर आप की सैल्फ इमेज सिर्फ आप की नौकरी या प्रोफैशन से जुड़ी हुई है, तो आप को समस्या हो सकती है. अगर खुद को सिर्फ अकाउंटैंट, सैल्स पर्सन, वकील या सीईओ के रूप में पेश करते हैं तो यकीन मानिए कि आप खुद को प्रोफैशनल दायरे से बाहर नहीं निकाल पाए हैं.

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अपनी ऐसी पहचान बनाएं जो सैल्फ इमेज को मल्टी डायमैंशनल बना सके. यदि आप एक अच्छे लेखक, संगीतकार, गायक या शेफ हैं तो वर्कप्लेस पर लोगों को इस बात की जानकारी दें, ताकि वे आप को एक सम्मानित व्यक्ति के तौर पर पहचानें. इस से औफिस में आप के प्रति पौजिटिव वातावरण बनेगा. लोग आप की कद्र करेंगे तो आप को भी अच्छा महसूस होगा. सकारात्मक माहौल में काम करने का मजा ही कुछ और है.

नैगेटिव बातों को दरकिनार करें

कई बार वर्कप्लेस पर ऐसे लोगों से वास्ता पड़ता है जो हर वक्त अपनी मुसीबतों का ही रोना रोते रहते हैं. कई बार उन की बातें सुन कर मन वाकई कमजोर पड़ जाता है. लेकिन, दूसरों की बातें सुन कर परेशान न हों. उन की नैगेटिव बातचीत को इग्नोर करें. यह आसान नहीं है, फिर भी आप को इस पर अमल करना होगा.

जीवन में कई बार ऐसा होता है जब आप अपने सपनों को सिर्फ इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि आप दूसरों के बारे में विचार करने लग जाते हैं. जीवन में दूसरे कभी यह तय नहीं कर सकते कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. अगर आप कुछ पसंद करते हैं, तो सीधेतौर पर उस काम को करने की कोशिश करें. कई काम आप की अपेक्षा के विपरीत होते हैं. कभी किसी सहकर्मी, बौस या ग्राहक से कहासुनी हो जाती है और मूड औफ हो जाता है, ऐसे में बुरी बातों को सिर पर ढो कर टैंशन न लें. बीते समय के बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं होता.

हर सुबह एक नई शुरुआत होती है. आप के पास जो है, उस में खुश रहें और बाकी बातें भूल जाएं. आप बौस के गलत व्यवहार और विफलताओं को भुला कर आगे बढ़ें. नैगेटिव खयाल आप को कुछ नहीं देते, बस दुखी करते हैं.

अपनी जिम्मेदारी को प्लान करें

जब आप छोटी सी पिकनिक पर भी पूरी प्लानिंग के साथ जाते हैं, तो फिर वर्कप्लेस पर बस हाथ में बैग टांग कर और लंचबौक्स ले कर क्यों चल देते हैं? वर्कप्लेस पर आप को जिन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है या जिन स्थितियों को आप कंट्रोल करते हैं, उन की लिस्ट बनाएं. यह आप की टीम का आउटपुट, आप का सैल्स रूट, दिनभर के कार्यों का क्रम, सप्लाइज की खरीद, लोगों से मिलना, डैस्क को सहेजना कुछ भी हो सकता है. इन कार्यों को सही तरह से पूरा करने की प्लानिंग करें. इन्हें इस तरह पूरा करें कि आप जो भी प्रयास करें, उन से खुशी मिले. यह सब सिर्फ बौस को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि काम को सही ढंग से अंजाम देने के लिए होना चाहिए.

कार्य की शैड्यूलिंग करें

आप वर्कप्लेस के अपने बोरिंग रूटीन को गेम्स की सीरीज में तबदील कर सकते हैं. इस के लिए आप सब से मशहूर गेम कैंडी क्रश पर गौर कर सकते हैं. इस गेम में हर लैवल पर मुश्किलें बढ़ती चली जाती हैं. यहां आप की मौजूदा मास्टरी पता चलती है. आप के दिमाग की निर्णय लेने की क्षमता सीमित है, इसीलिए पूरे दिन काम करतेकरते दिमाग थक जाता है. आप को औटोमैटिक रूटीन तैयार करना चाहिए, रोज लेने वाले फैसलों की संख्या में कमी लानी चाहिए और कार्यों की शैड्यूलिंग भी करनी चाहिए. रोज साधारण लक्ष्य बनाएं. जैसे, दिन में कितनी कौल करनी हैं, ईमेल के लिए कितना समय देना है, प्रैजेंटेशन पूरा करने में कितना समय लगाना है आदि.

– कैरियर काउंसलर, गौतम दुगड़ से बातचीत पर आधारित.

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