ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए इन 5 प्लेटफॉर्म पर रखें सावधानी

कोविड के इस दौर में संक्रमण से बचने के लिए नो ह्यूमन टच को प्राथमिकता दी जा रही है जिससे ऑफलाइन या व्यक्तिगत तौर पर किये जाने वाले सभी कार्यों को ऑनलाइन ही किया जा रहा है. एक चॉकलेट के छोटे से पेमेंट से लेकर बिजली, पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, किराना, और सब्जी जैसे सभी पेमेंट आज हम ऑनलाइन ही करना पसन्द करते हैं. वर्क फ्रॉम होम के चलते  अधिकांश मीटिंग्स भी ऑनलाइन ही हो रहीं हैं. साथ ही बच्चों की क्लासेज भी ऑनलाइन ही हैं. जहां ऑनलाइन प्रयोग बढ़ा है वहीं साइबर ठगी भी उतनी ही अधिक मात्रा में होने लगी है. आज हम ऐसे ही कुछ प्लेटफार्म के बारे में बताएंगे जहां से आपको आसानी से ठगी का शिकार बनाया जा सकता है क्योंकि इन सभी प्लेटफार्म का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं. तो आइए जानते हैं वे प्लेटफॉर्म और ठगी से बचने के कुछ उपाय भी-

1. फ़ूड डिलीवरी ऍप्स

आजकल महामारी के कारण लोंगों ने रेस्टोरेंट जाना कम करके घर पर ही खाना मंगवाना प्रारम्भ कर दिया. जिससे आज स्विगी, जोमैटो और फ़ूड पांडा जैसी अन्य अनेकों फ़ूड डिलीवरी एप्स मौजूद हैं ऑनलाइन ऑर्डर लेते समय ये नाम, पता और कार्ड नम्बर आदि मांगतीं है. बार बार न भरना पड़े इसलिए हम अक्सर इसे अपने मोबाइल में सेव कर देते हैं जो कई बार साइबर ठगों के हाथ लग जाती है. इससे बचने के लिए हर ट्रांजिक्शन पर पूरी जानकारी पुनः भरें इससे आपका थोड़ा समय और मेहनत तो लगेगी परन्तु आप फ़्रॉड का शिकार होने से बचे रहेंगे.

ये भी पढ़ें- 5 Tips: हैल्दी Eating पर महंगी नहीं 

2. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

कोरोना के बाद से ऑनलाइन पढ़ाई और वर्क फ्रॉम होम कल्चर का विकास हुआ और घर का एक कोना ही वर्क प्लेस और स्कूल में तब्दील हो गया. लेपटॉप, टैब, वाई फाई और मोबाइल प्रमुख टूल्स बन गए. इन सबके दौरान कैमरा हर समय ऑन रहता है जो साइबर ठगों के लिए मददगार होता है. जब भी आप कैमरा ऑन करें तो इसके दायरे में दिखने वाली प्रत्येक चीज और जगह को चेक करें कि आपकी कोई व्यक्तिगत जानकारी लीक करने वाली चीज तो नहीं कैमरे में नहीं आ रही है.

3. फिटनेस डिवाइसेज

कोरोना में लॉक डाउन के कारण घरों से निकलना ही बंद हो गया जिससे स्वयम को फिट रखने के लिए लोंगों ने ऑनलाइन फिटनेस डिवाइसेज का सहारा लिया. आज इंटरनेट पर अनेकों फिटनेस डिवासेज मौजूद हैं. इन डिवासेज को आप अपने फिटनेस रूटीन की हर बात याद रखने के लिए कहते हैं जो सायबर अटेकर के लिए बहुत मददगार होती हैं. इससे बचने के लिए आप इन डिवासेज में प्रत्येक जानकारी बहुत सोच समझकर ही भरें.

4. वीडियो गेम्स

एक सर्वे के अनुसार महामारी के दौरान ऑनलाइन गेमिंग 39 प्रतिशत तक बढ़ गयी. गेमिंग के दौरान कैमरा, माइक्रोफोन, स्क्रीन शेयरिंग की जाती है जो हैकर्स के लिए बहुत सहायक होते हैं. इसके अतिरिक्त ऑनलाइन गेमिंग के लिए बनाए गए एकाउंट में भी तमाम जानकारी भरी जाती हैं. इससे बचने के लिए अपनी गतिविधियों को वी पी एन(वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) से अवश्य जोड़ें ताकि आपके प्राइवेट नेटवर्क और वाई फाई को सुरक्षित करने का काम करता है.

ये भी पढ़ें- खूबसूरती का खजाना है अंडमान निकोबार

5. सोशल मीडिया

महामारी से पूर्व ही सोशल मीडिया पर लोग अपना काफी समय व्यतीत करते थे परन्तु कोरोना के कारण घरों के अंदर बंद लोगों का सबसे बड़ा सहारा बना सोशल मीडिया. यहां पर अपने जीवन से जुड़ी हर बात को शेयर करते हैं जो ठगों के लिए बहुत मददगार होती है. यहां पर अपनी निजी जानकारियां साझा करने से बचे. सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट को प्राइवेट रखें साथ ही आप जो भी शेयर करें उसे अबाउट सेक्शन में जाकर कंट्रोल अवश्य करें.

#lockdown: औनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका बढ़ाए बैंक

डब्ल्यूएचओ द्वारा कोरोना को एक महामारी घोषित करने के साथ, देश भर के संस्थानों ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने और सामुदायिक एकत्रीकरण को सीमित करने के लिए उपाय करना शुरू कर दिया है. यह समय है जब बैंक सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऐसा करना शुरू कर सकते हैं. शुरुआत के लिए, उन्हें ऑनलाइन स्थानांतरण के लिए बैंक शुल्क और ग्राहकों के लिए आरटीजीएस लेनदेन शुल्क पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए.

संभावित प्रकोप के की शुरूआत के साथ, उन्हें पहले से ही उपाय करना चाहिए ताकि वे भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकें, और लोग महामारी के विपरीत आर्थिक प्रभावों से सुरक्षित रह सकें. वित्तीय क्षेत्र आम जनता और व्यवसायों दोनों को सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और बैंकों को अपने हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए और वायरस के सम्पर्क में आए बिना सेवा लगतार बनाए रखना सुनिश्चित करने के उपाय करने चाहिए.

ये भी पढ़ें- #coronavirus: कोरोना बचा रहा पैसे

ऐसे उपाय किए जाने चाहिए कि लोगों को एटीएम या बैंक शाखाओं तक जाने की नौबत ही न आए, डिजीटल सेवाओं जैसे इंटरने और फोन बैंकिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांसफर के लिए शुल्क माफ करने के अतिरिक्त, ऑनलाइन बिल भुगतान पर अर्जित शुल्क, जिसमें मोबाइल टॉप-अप, यूटिलिटी भुगतान, और शुल्क और करों को बैंकों और पीएसओ द्वारा समान रूप से साझा किया जाना चाहिए. वित्तीय उद्योग को इंटरनेट और फोन बैंकिंग के माध्यम से ऋण चुकाने और शिक्षा शुल्क की सुविधा के लिए भी निर्देश दिया जाना चाहिए.

सभी बैंकों, पीएसओ और पेमेन्ट सिस्टम प्रोवाइडर्स को शिक्षा शुल्क जैसे डिजीटल संग्रह को मजबूत करने और डिजिटल चैनलों के माध्यम से ऋण भुगतान सुविधाओं की पेशकश करने के लिए तत्काल व्यवस्था करनी चाहिए. यह ग्राहकों को अतिरिक्त लागत के बिना इन्टरनेट या फोन बैंकिंग के माध्यम से मनी ट्रांसफर करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. इसके साथ ही बैंकों को चाहिए कि वह अपने ग्राहकों को आॅनलाइन बैंकिंग के उपयोग के बारे में टैक्नोलाॅजिकली शिक्षित करे साथ ही ग्राहकों के फण्ड ट्रांसफर के समय सुरक्षा एवं बचाव को भी सुनिश्चित करे.

बैंको को यह कदम उठा कर सुनिश्चिता प्रदान करनी चाहिए कि उनके हैल्पलाइन/काॅल सेन्टर्स चैबीसों घण्टे ग्राहकों के समर्थन में उपलब्ध रहें. जहां तक संभव हो सके वित्तीय संस्थानों को विभिन्न चैनल्स के माध्यम से जागरूकता अभियान चला कर ग्राहकों को इंटरनेट और फोन बैंकिंग, भौतिक मुद्रा के उपयोग की सीमाएं तथा बैंकों तक जाने सीमितता के बारे में भी बताना चाहिए. डिजिटल लेनदेन में होने वाली किसी भी धोखाधड़ी से बचने के लिए, उद्योग को डिजिटल चैनलों पर अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए और साइबर खतरों से बचने के लिए निगरानी बढ़ानी चाहिए.

ये भी पढ़ें- #coronavirus: कोरोना मुक्ति दवाई बनाने में जुटे वैज्ञानिक!

कोरोना वायरस का प्रकोप विश्व स्तर पर दैनिक जीवन को चुनौती दे रहा है और देश समाधान खोजने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं. अब हमारा, मुख्य दृष्टिकोण रक्षात्मक उपाय करना रहा है. उपरोक्त सुझावों को, यदि लागू किया जाता है, तो ग्राहकों को उनकी नियमित वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. यह बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे हितधारकों के साथ काम करें और सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार के लिए सभी संभव उपाय करें.

केवल कपूर, डायरेक्टर एण्ड क्रिएटिव स्टरटेजिक, चाई क्रिएटिव एण्ड रिटर्न औफ मिलियन स्माइल्स 

बिना पिन डाले करें पेमेंट, जानिए इस नई तकनीक को

एटीएम कार्डों की तकनीक में 1 जनवरी से एक बड़ा बदलाव हुआ है. अब बैंक कौंटेक्टलेस एटीएम कार्ड भी जारी करेंगे. इन कार्ड्स की खासियत है कि इनसे पेमेंट करने के लिए पीओएस पर आपको पिन डालने की जरूरत नहीं है. बस पीओएस पर कार्ड को टच करने की जरूरत है और आपका पेमेंट हो जाएगा. आपको बता दें कि इस तकनीक से आप

2000 रुपये तक का पेमेंट कर सकती हैं. इससे ज्यादा का भुगतान करने के लिए पिन डालने की जरूरत होगा.जानकारों की माने तो सुरक्षा के मामले में ये बेहद कमजोर है. अगर आपका कार्ड खो जाता है तो बिना पिन जाने कोई भी आपके कार्ड से खरीदारी कर भुगतान कर सकता है. एक्सपर्ट्स की माने तो इस दिशा में लोगों को और अधिक जागरुक करने की जरूरत है.  ग्राहकों को भी इस कार्ड का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए. आपको बता दें कि इस  मामले में मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं हैं.

कार्ड चोरी होने या गिरने की स्थिति में ग्राहक को साबित करने में परेशानी होगी कि कौंटेक्टलेस फीचर का इस्तेमाल कर उसने पेमेंट नहीं किया है.एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में होने वाले कुल वित्तीय लेन-देन में 60% दो हजार रुपए से कम का होता है. इसे आसान बनाने के लिए कौंटेक्टलेस कार्ड का आइडिया इस्तेमाल किया जा रहा है.

आपको बता दें कि वीजा ने देश में पहली बार 2015 में कौंटेक्टलेस कार्ड जारी किए थे. तब से अब तक यह 2 करोड़ से ज्यादा ऐसे कार्ड जारी कर चुका है. विभिन्न बैंकों की बिना पिन/ओटीपी के ट्रांजैक्शन सीमा की बात की जाए तो एसबीआई, एक्सिस और यूनियन बैंक ने एक दिन में अधिकतम 5 कौंटेक्टलेस ट्रांजैक्शन की सीमा तय कर रखी है. कई बैंकों ने कौंटेक्टलेस तकनीक से एक दिन में 10,000 रुपये का प्रावधान किया है.

कैश से बेहतर है डिजिटल लेनदेन

देशभर में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ऐसे में सरकार भी इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर लग के काम कर रही है. इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है यूपीआई. सरकार लोगों को डिजिटल पेमेंट के लिए लोगों को जागरुक भी कर रही है. जागरुकता फैलाने के लिए सरकार विज्ञापनों की फेहिस्त लाई है, इनके सहारे वो जनता को डिजिटल ट्रांजेक्शन के फायदों के बारे में बता रही है. इसके साथ ही कैश को छोड़ डिजिटल मनी की ओर रुख करने की जानकारी लोगों को दी जा रही है.

इसी क्रम में हम आपको बताने वाले हैं कि डिजिटल लेनदेन क्यों जरूरी है, क्यों लोगों को कैश से इतर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना चाहिए.

सुरक्षित होता है डिजिटल लेनदेन

कैश रखना सुरक्षित नहीं माना जात. आए दिनों पर्स का चोरी होना, चोरी, लूट मार जैसी चीजें आम हो गई हैं. ऐसे में ई-मनी एक सुरक्षित स्थान है. डिजिटल ट्रांजेक्शन करने के लिए आपके पास पैसा फिजिकल स्टेट में होने की जरूरत नहीं है. बैंक खाते से सीधे आपके मनमुताबिक जगह पर पैसा जा सकता है.  अगर आपका कार्ड गुम हो जाता है तो इसे तुरंत ब्लौक भी कराया जा सकता है. इसके अलावा अपने लेनदेन पर आप दावा भी कर सकती हैं. अगर किसी तरह की गड़बड़ी हुई है तो उस पैसे के लिए आप दावा भी ठोंक सकती हैं.

सुविधाजनक है डिजिटल ट्रांजेक्शन

डिजिटल लेनदेन बेहद सुविधाजनक है, इससे लेनदेन बेहद आसान हो जाता है. कैश का टेंशन दूर हो जाता है और लेनदेन का पूरा रिकार्ड सुरक्षित रहता है.

कई वित्तीय लाभ मिलते हैं

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बहुत से बैंक्स और पेमेंट कंपनियां अगल अगल और आकर्षक औफर्स के साथ बाजार में मौजूद हैं. इन औफर्स में से पेमेंट करने पर पेट्रोल खरीदने पर छूट, रेल टिकट पर छूट, बीमा खरीदने जैसे कई छूट शामिल हैं. ई-वालेट कंपनियां कैशबैक औफर, रिवार्ड पौइंट्स भी देती हैं.

जानिए क्यों हमें कैश छोड़ डिजिटल पेमेंट को अपना लेना चाहिए

आजकल देशभर में कैशलेस ट्रांजेक्शन को काफी बढ़ावा दिया जा रहा. सरकार भी डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार प्रसार में लगी है. लोगों को इस बारे में जागरुक करने के लिए टीवी, अखबार जैसे माध्यमों पर विज्ञापनों की लंबी फेहिस्त लगी है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के क्या फायदे होते हैं. और क्यों हमें कैश ट्रांजेक्शन से अधिक डिजिटल लेनदेन करनी चाहिए.

अच्छी सुविधा है डिजिटल ट्रांजेक्शन

डिजिटल ट्रांजेक्शन बेहद ही सुविधाजनक और आसान तरीका है लेनदेन का. इस माध्यम से सारे लेनदेन काफी आसानी से होते हैं. आप कहीं भी जाएं कैश की टेंशन से दूर रहें. इसके माध्यम से पेमेंट और बिल प्राप्त करना सब आसान हो जाता है.

सुरक्षित होता है डिजिटल ट्रांजेक्शन

अगर आप कैश रखती हैं और आपका पर्स गुम हो जाता है तो उसका वापस मिलना नामुंकिन होता है. जबकि डिजिटल पेमेंट में ऐसा नहीं है. अगर आपका कार्ड खो जाए तो आप उसे ब्लौक करा सकती हैं. या फिर कोई ऐसा लेनदेन जिसमें आपसे गलती से शुल्क लिया गया है उस पर आप दावा भी ठोक सकती हैं. यदि आपके साथ धोखाधड़ी हुई है और आप समय पर इसकी रिपोर्ट करते हैं, तो वापस आपको वह राशि मिलने की संभावना रहती है.

 

मिलते हैं वित्तिय लाभ 

 

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कैशबैक जैसे कई औफर्स दिए जा रहे हैं. जैसे कार्ड से पेमेंट करने पर पेट्रोल खरीदने पर छूट, रेल टिकट पर छूट, बीमा खरीदने जैसे कई छूट मिलते हैं. ई-वालेट कंपनियां कैशबैक औफर, रिवार्ड पौइंट्स भी देती हैं.

 

नहीं होता फाइनेंशियल खतरा

 

भारत जैसे देश में जहां हर छोटे बड़े काम के लिए अधिकारियों को पैसा खिलाना पड़ता है. योजनाओं के लाभ का भी आधे से ज्यादा पैसा सरकारी अधिकारी खा जाते हैं. ऐसे में डिजिटल ट्रांजेक्शन की सुविधा लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) से लाभार्थी तक पहुंचने वाले पैसे में भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं रह जाती है.

जानिए वीजा और रुपे कार्ड में अंतर

आपके पास एटीएम कार्ड होगा. उसपर आपको मास्टर कार्ड, वीजा कार्ड या रुपे कार्ड लिख दिखता होगा. हाल ही में नैशनल पेमेंट्स कौरपोरेशन औफ इंडिया (एनपीसीआई) ने  रुपे कार्ड लौन्च किया है.  इसके बाद लोगों में इस बात की दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ गई कि ये कार्ड वीजा कार्ड से कैसे अलग है. हम आपकी इस दुविधा को दूर करेंगे और बताएंगे कि इन दोनों में क्या अंतर है और आप खुद तय कर सकते हैं कि आपके लिए कौन सा कार्ड बेहतर है.

प्रोसेसिंग फीस 

वीजा कार्ड की तुलना में रुपे कार्ड कि प्रोसेसिंग फी काफी कम है. इसके लिए इसका भारतीय उत्पाद होना भी बड़ा कारण है. चूकि वीजा डेबिट कार्ड की प्रोसेसिंग विदेशों में होती है  इसलिए ये तुलनात्मक रुप से महंगे होते हैं.

difference between visa and rupay card

सेफ्टी 

इस मामले में रुपे कहीं ज्यादा सेफ माना जा सकता है क्योंकि इसमें दूसरे देश के सर्वर से यूजर इंफार्मेशन शेयर नहीं करना पड़ता.

फीस स्ट्रक्चर 

रुपे कार्ड धरकों से बैंक कोई फीस चार्ज नहीं करते, बल्कि वीजा कार्ड के लिए तीन महीने के हिसाब से बैंक चार्ज कटता है.

difference between visa and rupay card

तेज ट्रांजेक्शन 

रुपे की प्रोसेसिंग भारत में होती है इसलिए थोड़ा जल्दी होती है. इसके मुकाबले वीजा की प्रोसेसिंग थोड़ी धीमे होती है और इसलिए तेज ट्रांजेक्शन होता है.

कार्ड 

हाल रुपे अब तक केवल डेबिट कार्ड ही दे रहा है. जबकी वीजा डेबिट और क्रेडिट कार्ड दोनों औफर करते हैं. रुपे डोमेस्टिक है और वीजा इंटरनैशनल कार्ड है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें