पति-पत्नी और वो : मसाज पार्लर से आने के बाद प्रीति के साथ क्या हुआ?

मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी कर रही थी. अभी मुझे 2 साल भी नहीं हुए थे. कंपनी का एक बड़ा प्रोजैक्ट पूरा होने की खुशी में शनिवार को फाइव स्टार होटल में एक पार्टी थी. मुझे भी वहां जाना था. मेरे मैनेजर ने मुझे बुला कर खासतौर पर कहा, ‘‘प्रीति, तुम इस प्रोजैक्ट में शुरू से जुड़ी थीं, तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूं. पार्टी में जरूर आना… वहां और सीनियर लोगों से भी तुम्हें इंट्रोड्यूज कराऊंगा जो तुम्हारे फ्यूचर के लिए अच्छा होगा.’’

‘‘थैंक्यू,’’ मैं ने कहा.

सागर मेरा मैनेजर है. लंबा कद, गोरा, क्लीन शेव्ड, बहुत हैंडसम ऐंड सौफ्ट स्पोकन. उस का व्यक्तित्व हर किसी को उस की ओर देखने को मजबूर करता. सुना है वाइस प्रैसिडैंट का दाहिना हाथ है… वे कंपनी के लिए नए प्रोजैक्ट लाने के लिए कस्टमर्स के पास सागर को ही भेजते. सागर अभी तक इस में सफल रहा था, इसलिए मैनेजमैंट उस से बहुत खुश है.

मैं ने अपनी एक कुलीग से पूछा कि वह भी पार्टी में आ रही है या नहीं तो उस ने कहा, ‘‘अरे वह हैंडसम बुलाए और हम न जाएं, ऐसा कैसे हो सकता है. बड़ा रंगीन और मस्तमौला लड़का है सागर.’’

‘‘वह शादीशुदा नहीं है क्या?’’ मैं ने पूछा.

‘‘एचआर वाली मैम तो बोल रही थीं शादीशुदा है, पर बीवी कहीं और जौब करती है. सुना है अकसर यहां किसी न किसी फ्रैशर के साथ उस का कुछ चक्कर रहा है. यों समझ लो मियांबीवी के बीच कोई तीसरी वो. पर बंदे की पर्सनैलिटी में दम है. उस के साथ के लिए औफिस की दर्जनों लड़कियां तरसती हैं. मेरी शादी के पहले मुझ पर भी डोरे डाल रहा था. मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है, सिर्फ सगाई ही हुई है… एक शाम उस के नाम सही.’’

‘‘मतलब तेरा भी चक्कर रहा है सागर के साथ… पगली शादीशुदा हो कर ऐसी बातें करती है. खैर ये सब बातें छोड़ और बता तू आ रही है न पार्टी में?’’

‘‘हंड्रेड परसैंट आ रही हूं?’’

मैं शनिवार रात पार्टी में गई. मैं ने पार्टी के लिए अलग से मेकअप नहीं किया था. बस वही जो नौर्मल करती थी औपिस जाने के लिए. सिंपल नेवी ब्लू कलर के लौंग फ्रौक में जरा देर से पहुंची. देखा कि सागर के आसपास 4-5 लड़कियां पहले से बैठी थीं.

मुझे देख कर वह फौरन मेरे पास आ कर बोला, ‘‘वाऊ प्रीति, यू आर लुकिंग गौर्जियस. कम जौइन अस.’’

पहले सागर ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वाइस प्रैसिडैंट के पास ले जा कर उन से मिलवाया.

उन्होंने कहा, ‘‘यू आर लुकिंग ग्रेट. सागर तुम्हारी बहुत तारीफ करता है. तुम्हारे रिपोर्ट्स भी ऐक्सीलैंट हैं.’’

मैंने उन्हें थैंक्स कहा. फिर अपनी कुलिग्स की टेबल पर आ गई. सागर भी वहीं आ गया. हाल में हलकी रंगीन रोशनी थी और सौफ्ट म्यूजिक चल रहा था. कुछ स्नैक्स और ड्रिंक्स का दौर चल रहा था.

सागर ने मुझ से भी पूछा, ‘‘तुम क्या लोगी?’’

‘‘मैं… मैं… कोल्डड्रिंक लूंगी.’’

सागर के साथ कुछ अन्य लड़कियां भी हंस पड़ीं.

‘‘ओह, कम औन, कम से कम बीयर तो ले लो. देखो तुम्हारे सभी कुलीग्स कुछ न कुछ ले ही रहे हैं. कह कर उस ने मेरे गिलास में बीयर डाली और फिर मेरे और अन्य लड़कियों के साथ गिलास टकरा कर चीयर्स कहा.

पहले तो मैं ने 1-2 घूंट ही लिए. फिर धीरेधीरे आधा गिलास पी लिया. डांस के लिए फास्ट म्यूजिक शुरू हुआ. सागर मुझ से रिक्वैस्ट कर मेरा हाथ पकड़ कर डांसिंग फ्लोर पर ले गया. पहले तो सिर्फ दोनों यों ही आमने-सामने खड़े शेक कर रहे थे, फिर सागर ने मेरी कमर को एक हाथ से पकड़ कर कहा, ‘‘लैट अस डांस प्रीति,’’ और फिर दूसर हाथ मेरे कंधे पर रख कर मुझ से भी मेरा हाथ पकड़ ऐसा ही करने को कहा.

म्यूजिक तो फास्ट था, फिर भी उस ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘मुझे स्लो स्टैप्स ही अच्छे लगते हैं. ज्यादा देर तक सामीप्य बना रहता है, कुछ मीठी बातें करने का मौका भी मिल जाता है और थकावट भी नहीं होती है.’’ मैं सिर्फ मुसकरा कर रह गई. वह मेरे बहुत करीब था. उस की सांसें मैं महसूस कर रही थी और शायद वह भी मेरी सांसें महसूस कर रहा था. उस ने धीरे से कहा, ‘‘अभी तुम्हारी शादी नहीं हुई है न?’’

‘‘नहीं, शादी अभी नहीं हुई है, पर 6 महीने बाद होनी है. समरेश मेरा बौयफ्रैंड ऐंड वुड बी हब्बी फौरन असाइनमैंट पर अमेरिका में है.’’

‘‘वैरी गुड,’’ कह उस ने मेरे कंधे और गाल पर झूलते बालों को अपने हाथ से पीछे हटा दिया, ‘‘अरे यह सुंदर चेहरा छिपाने की चीज नहीं है.’’

फिर उस ने अपनी उंगली से मेरे गालों को छू कर होंठों को छूना चाहा तो मैं ‘नो’ कह कर उस से अलग हो गई. मुझे अपनी सहेली का कहा याद आ गया था. उसके बाद हम दोनों 2 महीने तक औफिस में नौर्मल अपना काम करते रहे.

एक दिन सागर ने कहा, हमें एक प्रोजैक्ट के लिए हौंगकौंग जाना होगा.’’

‘‘हमें मतलब मुझे भी?’’

‘‘औफकोर्स, तुम्हें भी.’’

‘‘नहीं सागर, किसी और को साथ ले लो इस प्रोजैक्ट में.’’

‘‘तुम यह न समझना कि यह मेरा फैसला है… बौस का और्डर है यह. तुम चाहो तो उन से बात कर सकती हो.’’

मैं ने वाइस प्रैसिडैंट से भी रिक्वैस्ट की पर उन्होंने कहा, ‘‘प्रीति, बाकी सभी अपनेअपने प्रोजैक्ट में व्यस्त हैं. 2 और मेरी नजर में थीं, उन से पूछा भी था, पर दोनों अपनी प्रैगनैंसी के चलते दूर नहीं जाना चाहती हैं… मेरे पास तुम्हारे सिवा और कोई औप्शन नहीं है.’’

मैं सागर के साथ हौंगकौंग गई. वहां 1 सप्ताह का प्रोग्राम था. काफी भागदौड़ भरा सप्ताह रहा. मगर 1 सप्ताह में हमारा काम पूरा न हो सका. अपना स्टे और 3 दिन के लिए बढ़ाना पड़ा. हम दोनों थक कर चूर हो गए थे. बीच में 2 दिन वीकैंड में छुट्टी थी.

हौंगकौंग के क्लाइंट ने कहा, ‘‘इसी होटल में स्पा, मसाज की सुविधा है. मसाज करा लें तो थकावट दूर हो जाएगी और अगर ऐंजौय करना है तो कोव्लून चले जाएं.’’

‘‘मैं तो वहां जा चुका हूं. तुम कहो तो चलते हैं. थोड़ा चेंज हो जाएगा,’’ सागर ने कहा.

हम दोनों हौंगकौंग के उत्तर में कोव्लून द्वीप गए. थोड़े सैरसपाटे के बाद सागर बोला, ‘‘तुम होटल के मसाज पार्लर में जा कर फुल बौडी मसाज ले लो. पूरी थकावट दूर हो जाएगी.’’

मै स्पा गई. स्पा मैनेजर ने पूछा, ‘‘आप ने अपौइंटमैंट में थेरैपिस्ट की चौइस नहीं बताई है. अभी पुरुष और महिला दोनों थेरैपिस्ट हैं मेरे पास. अगर डीप प्रैशर मसाज चाहिए तो मेरे खयाल से पुरुष थेरैपिस्ट बेहतर होगा. वैसे आप की मरजी?’’

मैंने महिला थेरैपिस्ट के लिए कहा और अंदर मसाजरूम में चली गई.

बहुत खुशनुमा माहौल था. पहले तो मुझे ग्रीन टी पीने को मिली. कैंडल लाइट की धीमी रोशनी थी, जिस से लैवेंडर की भीनीभीनी खुशबू आ रही थी. लाइट म्यूजिक बज रहा था. थेरैपिस्ट ने मुझे कपड़े खोलने को कहा. फिर मेरे बदन को एक हरे सौफ्ट लिनेन से कवर कर पैरों से मसाज शुरू की. वह बीचबीच में धीरेधीरे मधुर बातें कर रही थी. फिर थेरैपिस्ट ने पूछा, ‘‘आप को सिर्फ मसाज करानी है या कुछ ऐक्स्ट्रा सर्विस विद ऐक्स्ट्रा कौस्ट… पर इस टेबल पर नो सैक्स?’’

‘‘मुझे आश्चर्य हुआ कि उसे ऐसा कहने की क्या जरूरत थी. मैं ने महसूस किया कि मेरी बगल में भी एक मसाज चैंबर था. दोनों के बीच एक अस्थायी पार्टीशन वाल थी. जैसेजैसे मसाज ऊपर की ओर होती गई मैं बहुत रिलैक्स्ड फील कर रही थी. करीब 90 मिनट तक वह मेरी मसाज करती रही. महिला थेरैपिस्ट होने से मैं भी सहज थी और उसे भी मेरे अंगों को छूने में संकोच नहीं था. उस के हाथों खासकर उंगलियों के स्पर्श में एक जादू था और एक अजीब सा एहसास भी. पर धीरेधीरे उस के नो सैक्स कहने का अर्थ मुझे समझ में आने लगा था. मैं अराउज्ड यानी उत्तेजना फील करने लगी. मुझे लगा. मेरे अंदर कामवासना जाग्रत हो रही है.’’

तभी थेरैपिस्ट ने ‘‘मसाज हो गई,’’ कहा और बीच की अस्थायी पार्टीशन वाल हटा दी. अभी मैं ने पूरी ड्रैस भी नहीं पहनी थी कि देखा दूसरे चैंबर में सागर की भी मसाज पूरी हो चुकी थी. वह भी अभी पूरे कपड़े नहीं पहन पाया था. दूसरी थेरैपिस्ट गर्ल ने मुसकराते हुए कहा ‘‘देखने से आप दोनों का एक ही हाल लगता है, अब आप दोनों चाहें तो ऐंजौय कर सकते हैं.’’

मुझे सुन कर कुछ अजीब लगा, पर बुरा नहीं लगा. हम दोनों पार्लर से निकले. मुझे अभी तक बिना पीए मदहोशी लग रही थी. सागर मेरा हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले गया. मैं भी मदहोश सी उस के साथ चल पड़ी. उस ने रूम में घुसते ही लाइट औफ कर दी.

सागर मुझ से सट कर खड़ा था. मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच रहा था और मैं उसे रोकना भी नहीं चाहती थी. वह अपनी उंगली से मेरे होंठों को सहला रहा था. मैं भी उस के सीने से लग गई थी. फिर उस ने मुझे किस किया तो ऐसा लगा सारे बदन में करंट दौड़ गया. उस ने मुझे बैड पर लिटा दिया और कहा, ‘‘जस्ट टू मिनट्स, मैं वाशरूम से अभी आया.’’

सागर ने अपनी पैंट खोल बैड के पास सोफे पर रख दी और टौवेल लपेट वह बाथरूम में गया. मैं ने देखा कि पैंट की बैक पौकेट से उस का पर्स निकल कर गिर पड़ा और खुल गया. मैं ने लाइट औन कर उस का पर्स उठाया. पर्स में एक औरत और एक बच्चे की तसवीर लगी थी.

मैं ने उस फोटो को नजदीक ला कर गौर से देखा. उसे पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हुई. मैं ने मन में सोचा यह तो मेरी नीरू दी हैं. कालेज के दिनों में मैं जब फ्रैशर थी सीनियर लड़के और लड़कियां दोनों मुझे रैगिंग कर परेशान कर रहे थे. मैं रोने लगी थी. तभी नीरू दी ने आ कर उन सभी को डांट लगाई थी और उन्हें सस्पैंड करा देने की वार्निंग दी थी. नीरू दी बीएससी फाइनल में थीं. इस के बाद मेरी पढ़ाई में भी उन्होंने मेरी मदद की थी. तभी से उन के प्रति मेरे दिल में श्रद्धा है. आज एक बार फिर नीरू दी स्वयं तो यहां न थीं, पर उन के फोटो ने मुझे गलत रास्ते पर जाने से बचा लिया. मेरी मदहोशी अब फुर्र हो चली थी.

सागर बाथरूम से निकल कर बैड पर आया तो मैं उठ खड़ी हुई. उस ने मुझे बैड पर बैठने को कहा, ‘‘लाइट क्यों औन कर दी? अभी तो कुछ ऐंजौय किया ही नहीं.’’

‘‘ये आप की पत्नी और साथ में आप का बेटा है?’’

‘‘हां, तो क्या हुआ? वह दूसरे शहर में नौकरी कर रही है?’’

‘‘नहीं, वे मेरी नीरू दीदी भी हैं… मैं गलती करने से बच गई,’’ इतना बोल कर मैं उस के कमरे से निकल गई.

जहां एक ओर मुझे कुछ आत्मग्लानि हुई तो वहीं दूसरी ओर साफ बच निकलने का सुकून भी था. वरना तो मैं जिंदगीभर नीरू दी से आंख नहीं मिला पाती. हालांकि सागर ने कभी मेरे साथ कोई जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की.

इस के बाद 3 दिन और हौंगकौंग में हम दोनों साथ रहे… बिलकुल प्रोफैशनल की तरह

अपनेअपने काम से मतलब. चौथे दिन मैं और सागर इंडिया लौट आए. मैं ने नीरू दी का पता लगाया और उन्हें फोन किया. मैं बोली, ‘‘मैं प्रीति बोल रही हूं नीरू दी, आप ने मुझे पहचाना? कालेज में आप ने मुझे रैगिंग…’’

‘‘ओ प्रीति तुम? कहां हो आजकल और कैसी हो? कालेज के बाद तो हमारा संपर्क ही टूट गया था.’’

‘‘मैं यहीं सागर की जूनियर हूं. आप यहीं क्यों नहीं जौब कर रही हैं?’’

‘‘मैं भी इस के लिए कोशिश कर रही हूं. उम्मीद है जल्द ही वहां ट्रांसफर हो जाएगा.’’

‘‘हां दी, जल्दी आ जाइए, मेरा भी मन लग जाएगा,’’ और मैं ने फोन बंद कर दिया. हौंगकौंग के उस कमजोर पल की याद फिर आ गई, जिस से मैं बालबाल बच गई थी और वह भी सिर्फ एक तसवीर के चलते वरना अनजाने में ही पति-पत्नी के बीच मैं ‘वो’ बन गई होती.

पति-पत्नी और वो: साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

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पति-पत्नी और वो: भाग 3- साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

तीनों की कुछ सम झ में नहीं आया.

‘‘एक गुरुमंत्र है बेटा, अपनी सास को खुश कर लो, बीवी फ्री में खुश रहेगी और बोनस में अपनी सास को खुश रखेगी. हो गए न एक तीर से तीन निशाने.’’

‘‘वह कैसे? मतलब कि हम क्या करें,’’ तीनों को साहिल के कहे में काफी गहरा रहस्य दिखाई पड़ रहा था.

साहिल ने तीनों के साथ सिर जोड़ कर अपनी बात सम झाई तो तीनों को

सम झ में आ गई.

‘‘और तब भी बात न बनी तो?’’ तीनों ने शंका जाहिर की.

‘‘तो कौन सा भूचाल आ जाएगा, जो चल रहा है वह तो चल ही रहा है.’’

‘‘तेरी बात कुछकुछ सम झ में आ रही है यार. उन से और उन की बातों से पलायन करने के बजाय क्यों न सामना किया जाए,’’ तीनों ने अपनेअपने ढंग से यह बात कही.

‘‘मगर प्यार से,’’ साहिल ने बात में

संशोधन किया.

तीनों दोस्त एकदूसरे की गलबहियां करते घर की तरफ प्रस्थान कर गए.

रूपम घर पहुंचा तो रास्ते से सासूमां की पसंद की पेस्ट्री खरीद कर ले जाना नहीं भूला. जैसे ही अंदर पहुंचा सासूमां के दर्शन लाबी में ही हो गए. वे टीवी पर अपना मनपसंद सीरियल देख रही थीं. आज रूपम उन को अनदेखा कर बैडरूम में जाने के बजाय उन की बगल में सोफे पर बैठ गया. चेहरे पर मनभावन मुसकान खिंची थी. सासूमां तो सासूमां, रिमी भी हैरान…

‘‘जल्दी कैसे आ गए? तुम तो बोल

कर गए थे कि देर से आऊंगा?’’ रिमी आश्चर्य

से बोली.

‘‘हां जल्दी काम खत्म हो गया. सोचा वर्किंग डेज में तो मम्मीजी के साथ बैठने का टाइम ही नहीं मिल पाता, आज छुट्टी का दिन उन के साथ बिताया जाए. मम्मीजी लीजिए आप की पसंद की पेस्ट्री लाया हूं.’’

‘‘मेरी पसंद, पता है तुम्हें?’’ मम्मीजी की आवाज आश्चर्य से भरी थी.

‘‘हां क्यों नहीं, कई बार बताया रिमी ने,’’ वह प्लेट में पेस्ट्री रख मम्मीजी को देता हुआ बोला.

प्लेट लेते हुए मम्मीजी की आंखों में अनायास ही तरलता घुल गई थी. अब उन की जबान नहीं सिर्फ आंखें बोल रही थीं.

‘‘और रिमी जल्दी से तैयार हो जाओ,

बाहर चलते हैं… जब से मम्मीजी आई हैं, उन्हें ठीक से कहीं घुमाया भी नहीं है. आज डिनर भी बाहर ही करेंगे.’’

‘‘अरे नहीं बेटा, इस की कोई जरूरत नहीं. आज छुट्टी का दिन… तुम्हें भी तो आराम की जरूरत है.’’

पर रूपम ने मम्मीजी को जबरदस्ती कर तैयार होने भेज दिया. रिमी उसे घायल करने वाली मुसकान से देख रही थी.

सौरभ जब घर पहुंचा तो उस की सासूमां डाइनिंगटेबल पर बैठी मटर छील रही थीं. आज सौरभ कुरसी खींच कर उन के सामने बैठ गया. बैंक से रिटायर्ड सास के हर समय पैसे बचाने के तरीकों पर भाषण सुनने से बचते सौरभ को मस्त अंदाज में सामने बैठते देख सौरभ की सासूमां प्रफुल्लित हो गईं.

‘‘मम्मीजी सोचता हूं, आज आप से उन स्कीमों की जानकारी ले ही लूं इत्मीनान से. आप सही कहती हैं, हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. मु झे तो कुछ ठीक से याद रहता नहीं, आप जिया को इस बार ठीक से सम झा दीजिए, फिर विचार करते हैं, एक दिन बैठ कर,’’ सौरभ साथ में मटर छीलता हुआ बोला.

सासूमां चारों खाने चित्त. हर समय उन के उपदेशों से भागने वाला सौरभ खुद ही यह टौपिक उठा लाया था. बोलीं, ‘‘नहीं बेटा मैं क्या बताऊंगी भला, तुम तो खुद ही बहुत सम झदार हो.’’

‘‘मु झ में इतनी सम झ कहां मम्मीजी, इतना व्यस्त रहता हूं कि किसी बात का ध्यान ही नहीं रहता. आप इस बार जिया को ठीक से सम झा कर जाना सबकुछ और खाने में क्या बना रही हैं आप आज आप के बनाए मटरपनीर का तो जवाब नहीं. अपने जैसी कुकिंग जिया को भी सिखा दीजिए, आप के जैसी सुघड़ता नहीं है आप की बेटी में,’’ सौरभ मंदमंद मुसकराता हुआ बोला.

मम्मीजी फूल कर कुप्पा हो गईं और जिया,  झूठमूठ के गुस्से वाली मीठी मुसकराहट से उसे निहार रही थी.

सुमित घर पहुंचा तो मांबेटी सिर जोड़े अपनी ही गुफ्तगू में व्यस्त थीं ‘पता

नहीं क्या साजिश चल रही है मेरे खिलाफ,’ सुमित ने सोचा पर प्रत्यक्ष में मुसकराहट बिखेर दी.

‘‘अरे तुम कैसे जल्दी आ गए?’’ शानिका उसे देख आश्चर्य से बोली.

‘‘क्यों क्या मैं जल्दी नहीं आ सकता, क्यों मम्मीजी? आखिर मम्मीजी के लिए भी तो मेरा कोई फर्ज बनता है. सोचता हूं 2 दिन का प्रोग्राम आसपास का घूमने का बना लेते हैं, अच्छी आउटिंग हो जाएगी.’’

‘‘क्या?’’ शानिका आश्चर्यचकित रह गई. मम्मीजी अपरोक्ष व वह परोक्ष रूप से जानती थी कि मम्मीजी के नाम पर सुमित घर से दूर रहने की कोशिश करता है.

‘‘हां… हां… कितनी मुश्किल से आ पाती है मम्मीजी, मैं तब तक फ्रैश हो कर आता हूं, तुम मम्मीजी के साथ मिल कर डिसाइड करो कि कहां चलना है,’’ कह कर उन्हें आश्चर्यचकित छोड़ सुमित बैडरूम की तरफ चला गया.

तीनों दोस्तों ने अगले कुछ दिन समस्या से भागने के बजाय समस्या का सामना कर अपनीअपनी सासूमां को खुश कर रुखसत किया.

तीनों की बीवियां एकदम प्रसन्नचित्त थीं अपनेअपने पति के बदले अंदाज पर और उन की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी:

‘‘बहुत दिनों से मम्मीजी नहीं आई हैं, आप को तो कुछ ध्यान ही नहीं रहता उन का. अब मैं ही बात करती हूं उन से किसी दिन.’’

‘‘अरे पर मम्मीजी तो अभीअभी रह कर गई हैं. अभीअभी कैसे आएंगी?’’ तीनों दोस्त अनजान भोले बन कर कह रहे थे.

‘‘मैं आप की सास की नहीं अपनी सास की बात कर रही थी,’’ कहते हुए उन की बीवियों ने समस्त चाशनी अपने स्वरों में उंडेल दी थी.

सुन कर अगले दिन तीनों दोस्त फूलों का गुलदस्ता ले कर साहिल से मिलने चले गए.

‘‘मान गए… अब जब भी पतिपत्नी के बीच किसी की भी सास ‘वो’ के रूप में फंसेगी, तब तुम्हारे ही बताए नक्शेकदम पर चलेंगे,’’ तीनों एकसाथ बोल पड़े.

तीनों सिर  झुकाए साहिल के सामने खड़े थे और वह हाथ बढ़ा कर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था.

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पति-पत्नी और वो: भाग 2- साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

तीनों दोस्त बढ़चढ़ कर अपनीअपनी सास की बुराई में मशगूल थे कि रात के 9 बज गए.

‘‘मैं चला…’’ रूपम हड़बड़ा कर उठता हुआ बोला, ‘‘वरना मेरी बीवी मेरी सास की ही तो बेटी है,’’ कह कर वह बाहर निकल गया.

‘‘हमारी भी तो…’’ कह कर सौरभ, सुमित भी पीछेपीछे निकल गए.

नियत दिन तीनों की सासूमांएं पहुंच गईं.

रूपम की सास अघ्यापिका के पद से रिटायर हुईं थीं. इसलिए उन की बातचीत हमेशा उपदेशात्मक रहती थी. वे अपनी बेटी व रूपम को हमेशा नादान बच्चा ही सम झती थीं. बेटी को तो आदत थी पर रूपम जबतब  झल्ला जाता.

‘‘जब मेरे मांबाप हमें कुछ नहीं बोलते तो तुम्हारी मम्मी क्यों हमेशा उपदेश देने के मूड में रहती हैं?’’

‘‘ठीक से बोलो रूपम, वे तुम्हारी भी मां हैं… हमारे भले के लिए ही बोलतीं हैं. इस में बुरा मानने वाली कौन सी बात है?’’ रिमी धीमी आवाज में सम झाती.

‘‘तो क्या इस बात पर भी सम झाएंगी कि मु झे अपनी पत्नी के साथ कैसे बात करनी चाहिए, उसे टाइम देना चाहिए, उस के साथ घूमना चाहिए, काम में हाथ बंटाना चाहिए, अब बच्चा पैदा कर लेना चाहिए? तुम्हें है कोई शिकायत मु झ से? अपनी शिकायतें हम खुद निबटा लेंगे.’’

‘‘तुम इतनी छोटीछोटी बातों को दिल से क्यों लगाते हो? मां ही तो हैं, बोल दिया तो क्या हुआ?’’

‘‘तो फिर बारबार क्यों बोलतीं हैं? उन के पास बैठना ही मुश्किल है. तुम्हें तो तब पता चले जब मेरी मां तुम्हें हर समय उपदेश देती रहें. जरा सा भी नहीं सुन पाती हो उन का बोला हुआ… और सही कहें या गलत… तुम सुनो,’’ उस की आवाज ऊंची होने लगती.

उधर सौरभ की सास बैंक से रिटायर्ड. सौरभ की पत्नी जिया उसे जब भी ठेलठाल कर मम्मीजी के सामने बैठने को कहती तो वे अपना वही टौपिक शुरू कर देतीं, ‘‘बेटा, प्राइवेट नौकरी है, जरा हाथ दबा कर खर्च किया करो तुम लोग. आज नहीं बचाओगे तो रिटायरमैंट के बाद क्या खाओगे? कई स्कीमों के बारे में बता सकती हूं मैं तुम्हें. उन में पैसा इन्वैस्ट करो. हमें तो कोई बताने वाला नहीं था, तुम्हें तो बताने वाली मैं हूं. फालतू का खर्च करते हो. शीना तो नौकरी और छोटे बच्चे के साथ व्यस्त रहती है, पर तुम तो मेड के साथ मिल कर किचन संभाल सकते हो. कपड़ेजूतों से अलमारी भरी है, फिर भी खरीदते रहते हो. जरूरतों को जितना बढ़ाओ, बढ़ती हैं और शौक जितने कम करो कम हो जाते हैं.’’

‘‘सही कहती हैं मम्मीजी, यह सादा जीवन उच्च विचार वाला फलसफा इस बार जिया को रटवा देना,’’ कह कर सौरभ पतली गली से अपना बचाव करता हुआ बिना कारण बताए घर से बाहर निकल जाता और बेमतलब इधरउधर टाइम पास कर घर आ जाता. उसे 1 महीना बिताना पहाड़ जैसा लग रहा था.

उधर सुमित भी अपनी सास से बचने के लिए औफिस से घर जाने में जानबू झ कर देर करता और फटाफट खाना खा कर सो जाता.

मगर खाना खातेखाते भी मम्मीजी अपनी बात कहने से बाज नहीं आतीं, ‘‘कितना दुबला और थका हुआ लग रहा है बेटा… इतनी जान मारने की क्या जरूरत है? तुम लोग तो वहीं आ जाओ, जो भी नौकरी मिले वहीं कर लो… आखिर शानिका हमारी इकलौती बेटी है. तुम्हें तो गर्व होना चाहिए जो उन्हें इतनी सुंदर, सुगड़ और योग्य पत्नी मिली है, जो इतनी धनसंपत्ति की अकेली वारिश भी है… फिर हमारे प्रति भी तो तुम्हारा कुछ फर्ज बनता है.’’

सुमित का दिल करता कि कहे मम्मीजी ये सब पता होता तो शानिका के सलोने मुखड़े, पर फिदा होने से पहले 10 बार सोचता. पर प्रत्यक्ष

में कहता, ‘‘मम्मीजी, आप की उम्र में इतनी देर भूखा रहना ठीक नहीं, आप जल्दी खा कर सो जाया कीजिए.’’

‘‘कैसे सो जाऊं बेटा, तुम से बात किए बिना दिल ही नहीं मानता. हमारे सबकुछ तुम्हीं तो हो, थोड़ा जल्दी आ जाया करो,’’

सुन कर सुमित कुढ जाता. कहना चाहता कि आप की बेटी तो मेरे मातापिता की कुछ भी नहीं बन पा रही, मैं कैसे बन जाऊं आप का सबकुछ. फिर कहता, ‘‘ठीक है मम्मीजी कल से जल्दी आने की कोशिश करूंगा.’’

उधर साहिल बीवी के साथ विदेश भ्रमण पर था और बेहद रोमांटिक अंदाज के

फोटो फेसबुक पर अपलोड कर देता. कभी कुछ फोटो व्हाट्सऐप पर भी भेज देता. तीनों दोस्त अपना गुस्सा अपना मोबाइल पटक कर निकालते.

साहिल तीनों को जलाजला कर खुश होता. सुबह बड़ी प्यारी गुड मौर्निंग भेजता और रात में हालचाल पूछना न भूलता. तीनों दोस्तों का दिल करता कि उस की सासूमां का भी टिकट कटा कर उसी के पास भेज दें.

ऐसे ही वे किसी तरह दिन निकाल रहे थे. एक दिन तीनों समुद्र किनारे बैठे सासूपुराण में फिर व्यस्त थे और काफी चर्चा के बाद अब थक कर गहन सोच में डूबे समुद्र की लहरें गिन रहे थे.

‘‘अभी तो आधे ही दिन बीते हैं, मु झे तो घर और बीवी दोनों ही पराए लगने लगे हैं,’’ रूपम खिन्न स्वर में बोला.

‘‘यार अब सम झ में आ रहा है कि बहुएं अपनी सासों से क्यों भागा करती हैं. बेसिरपैर की बातें और बिन मौके के उपदेश भला किसे अच्छे लगते हैं,’’ सौरभ ने विश्लेषण दिया.

‘‘असल में हर पुरानी पीढ़ी अपनी नई पीढ़ी को नादान सम झती है और अपनी सम झ के अनुसार उपदेश देती रहती है और हर नई पीढ़ी को लगता है पुरानी पीढ़ी को कोई सम झ नहीं. वह क्या जाने नए जमाने की बातें,’’ आवाज सुन कर तीनों दोस्तों ने चौंक कर पीछे देखा तो साहिल खड़ा मुसकरा रहा था.

‘‘अरे तू कब आया?’’

‘‘मेरा ट्रिप तो 2 हफ्ते का ही था, सुबह ही पहुंचा हूं. आज छुट्टी थी, मु झे पता थार दोस्त लोग यहां पर गुप्त मंत्रणा कर रहे होंगे.’’

‘‘अरे इस की सोच यार. एक तरफ अपनी सास और दूसरी तरफ अपनी बीवी और बीवी की सास, खूब पिसेगा अब बाकी दिन बेचारा. सारी छुट्टियों की मस्ती निकल जाएगी,’’ सुमित ठहाका लगाता हुआ बोला.

‘‘मैं तुम्हारी तरह समस्याओं से पलायन नहीं करता,’’ साहिल दार्शनिक अंदाज में बोला, ‘‘जैसे सम झदार व सहनशील बहू होती है, वैसे ही मैं सम झदार व सहनशील अच्छे वाला दामाद हूं. बस थोड़ा ‘हैंडल विद केयर’ की जरूरत पड़ती है, आखिर मां तो मां ही होती है फिर चाहे बीवी की हो या अपनी,’’ साहिल रहस्यात्मक तरीके से मुसकराया.

आगे पढ़ें- साहिल ने तीनों के साथ…

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पति-पत्नी और वो: भाग 1- साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

‘‘साहिल,सुमित, सौरभ और रूपम चारों एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊंचे ओहदों पर कार्यरत थे और कंपनी में महत्त्वपूर्ण ब्रैंड्स को हैंडल कर रहे थे. चारों में अच्छी दोस्ती थी. कंपनी मार्केटिंग व सेल्स से संबंधित अपने कर्मियों को इन्सैंटिव ट्रिप के नाम पर वर्ल्ड टूर पर भेजती थी और इस तरह कंपनी में कार्यरत कर्मचारी विदेशों के कई देशों में भ्रमण कर चुके थे.

इस बार भी इन्सैंटिव ट्रिप पर जाने की खबर गरम थी. औफिस में खलबली मची हुई थी. बीवीबच्चों से अलग, परिवार की चिंता से दूर, दोस्तों सहकर्मियों के साथ विदेश भ्रमण का कुछ अलग ही मजा होता है, जिस का लुत्फ हरकोई उठाना चाहता था.

सभी को उत्सुकता थी कि इस बार कहां जाना फाइनल होता है. रूपम को तो जरूर ही जाना पड़ता था क्योंकि अकसर पूरे ट्रिप के प्रबंधन का कार्यभार उस के कंधों पर आ पड़ता था. एक दिन चारों दोस्त औफिस के बाद इसी ऊहापोह व उत्सुकता भरे वार्त्तालाप में मशगूल थे कि बहुत देर से चुप साहिल बोल पड़ा, ‘‘यार मैं तो शायद इस बार नहीं जा पाऊंगा…’’

‘‘क्यों?’’ तीनों दोस्त एकसाथ चौंके.

‘‘क्योंकि वर्तिका का कहना है कि बहुत समय से हम साथ में कहीं नहीं गए… उस की छुट्टियां बहुत मुश्किल से मंजूर हुईं हैं… दोनों बच्चों को छोड़ कर इस बार उस के साथ जाना पड़ेगा… इसलिए दोनों मम्मियों को बुलाया है.’’

‘‘लेकिन दोनों की मम्मियों को क्यों? एक से काम नहीं चल रहा था?’’ सुमित ठहाका मारते हुए बोला.

‘‘नहीं… उस ने अपनी मम्मी को फोन किया और मैं ने अपनी मम्मी को… और दोनों आने को तैयार हो गईं,’’ साहिल कुढ़ कर बोला.

‘‘मतलब कि दोनों की सास… एक की ही सास को  झेलना मुश्किल हो जाता है… जिस की सास आती है, वही औफिस से देर से घर जाता है,’’ सौरभ भी ठहाका मार कर हंसता जा रहा था.

‘‘हां यार सही कह रहा है और जिस की मम्मी आती है वह अच्छे बच्चे की तरह टाइम से घर चला जाता है,’’ रूपम भी वार्त्तालाप का आनंद लेता हुआ बोला.

‘‘तुम तीनों मस्ती करना, थोड़ाथोड़ा मु झे भी याद कर लेना. मेरी नजरों से भी नजारे देख लेना,’’ साहिल लंबी आह भरते हुए बोला.

साहिल के विवाह को 7 साल हो गए थे. शेष तीनों दोस्तों के विवाह को अभी 2 से 4 साल ही हुए थे. सब मस्ती के मूड में तो थे ही, पर पीछे छोड़ कर जा रहे परिवारों की चिंता भी थी. इसलिए वे भी घर से किसी न किसी को बुलाने की सोच रहे थे.

‘‘पहले ट्रिप फाइनल हो जाए फिर मैं भी मम्मी को बुला लूंगा…’’ रूपम बोला.

‘‘अरे मम्मी को नहीं… सास को बुला सास को ताकि बीवी बिना बड़बड़ाए और नानुकुर के तु झे ट्रिप पर जाने दे,’’ साहिल ने राह सु झाई.

‘‘हां, कह तो सही रहा है, अपनीअपनी सास को बुला लेते हैं, बीवियां भी खुश और हम भी इत्मीनान से ट्रिप पर जा सकेंगे,’’ सौरभ हां में हां मिलाता हुआ बोला.

‘‘हां यही ठीक रहेगा,’’ तीनों दोस्तों ने तय कर लिया कि आज ही यह खुशखबरी घर में सुना कर अपनीअपनी सास का फ्लाइट टिकट बुक करवा कर पत्नियों को इंप्रैस कर देंगे.

घर पहुंच कर तीनों ने पहली खुशखबरी अपनीअपनी सास को बुलाने की सुनाई, दूसरी इन्सैंटिव ट्रिप पर जाने की. ट्रिप पर पतियों के मस्ती मारने की बात सोच कर व्यथित तीनों की पत्नियां, मांओं के आने की बात सुन कर पुलकित हो गईं. तीनों ने पत्नियों की अतिरिक्त खुशी का फायदा उठाया. ट्रिप तो अभी फाइनल नहीं हुआ था पर अपनीअपनी सास का एयर टिकट बुक करवा कर तीनों ने बीवियों को खुश कर एहसान मढ़ दिया.

तीनों अपनी प्लानिंग पर फूले नहीं समा रहे थे कि सिर मुंडाते ओले पड़ गए. कंपनी ने मंदी के चलते, कंपनी के आर्थिक हालात से निबटने हेतु कंपनी के खर्चों में कटौती के मद्देनजर इन्सैंटिव ट्रिप कैंसिल करने का निर्णय ले लिया. तीनों को जैसे सांप सूंघ गया. सासूमांओं के टिकट तो नौनरिफंडेबल थे, ऊपर से बीवियों को क्या कह कर उन के टिकट कैंसिल करवाते.

तीनों दोस्त औफिस के बाद मिल कर साहिल को भलाबुरा कह रहे थे. उसे लानतें भेज रहे थे. दिल की भड़ास निकाल रहे थे.

‘‘तूने ही उकसाया हमें, यह प्लानिंग तेरी ही थी. मैं तो अपनी मम्मी को बुला रहा था,’’ रूपम बोला.

‘‘अरे मैं ने क्या किया, मैं ने थोड़े न कहा था इतनी जल्दी बीवियों को खुश करने के लिए सासों के टिकट बुक करवा दो… अब भुगतो,’’ साहिल दुष्टता से मुसकराया, ‘‘मैं कम से कम बीवी के साथ ही सही विदेश तो घूमूंगा, पर तुम तीनों अपनीअपनी सास के साथ ऐंजौय करो…’’

तीनों उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहे थे.

पहली पीढ़ी तक बहुएं अपनी सासों से जितनी घबराती थीं, नई पीढ़ी के

दामाद अपनी सासों से उस से ज्यादा घबराते नजर आते हैं. मतलब कि पतिपत्नी के बीच ‘वो’ यानी सास हमेशा तनाव का कारण बनी रही, फिर सास चाहे किसी की भी हो. साहिल हंसता हुआ यह कह कर बाहर निकल गया कि ट्रिप पर जाने की तैयारी करनी है. तुम अपनी समस्या का कुछ हल सोचो वरना ऐंजौय विद यौर सासूमां.

तीनों का मन कर रहा था जाते हुए साहिल को दबोच कर दिल की सारी कसक निकाल लें…

‘‘अब?’’ रूपम ठुड्डी पर हाथ रखता हुआ बोला, ‘‘ट्रिप तो मात्र 10 दिन का ही था, पर मेरी सासूमां का ट्रिप तो 20 दिन का है. विदेश घूमने की खुशी में मैं ने मंजूर कर लिया था. सोचा था, आने के बाद पैंडिंग काम निबटाने का बहाना कर देर से घर जा कर बाकी के 10 दिन काट लूंगा. मेरी सास तो टीचर रह चुकी है, मु झे भी विद्यार्थी सम झ कर कई पाठ पढ़ाती रहती हैं. जिंदगी के प्रति उन के नजरिए को सम झतेसम झते तो मैं अपना नजरिया भूल जाऊंगा.’’

‘‘और मेरी सास बैंक से रिटायर्ड, हर वक्त पैसे बचाने की बात करेंगी और सैलरी के बारे में तो ऐसे पूछती हैं जैसे 1-1 पैसे का हिसाब लगा कर रट्टा लगाना हो,’’ सौरभ भी बड़बड़ाया.

‘‘यह तो कुछ भी नहीं, जो मेरी सास करती हैं. जब तक रहेंगी, तब तक जताती रहेंगी कि मैं ने पत्नी के रूप में उन की लाड़ली, सुयोग्य, इकलौती, फूल जैसी बेटी को पाया, जो उन की संपत्ति की इकलौती वारिस है. उन का मु झ पर पूरा हक है और मेरा उन के प्रति फर्ज ही फर्ज, अपने मातापिता के प्रति हो न हो…’’ सुमित ने भी दिल की भड़ास निकाली.

आगे पढ़ें- रूपम की सास अघ्यापिका के…

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