पीरियड्स अनियमित रहने की प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 वर्ष है. शुरू के 5 सालों में मेरे पीरियड्स अनियमित थे. अब यह समस्या नहीं है. 3 महीने बाद मेरा विवाह है. मेरी चिंता इस बात को ले कर है कि पहले पीरियड्स अनियमित रहने की वजह से कहीं विवाह के बाद मुझे मां बनने में अड़चन तो नहीं आएगी? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप बिलकुल परेशान न हों. किशोर उम्र के शुरू के सालों में जब शरीर सयाना होने लगता है और पीरियड्स शुरू होते हैं, उस समय मासिकधर्म के दिनों में घटतबढ़त होना आम बात है. यह घटतबढ़त शरीर के अंदर टिकटिक कर रही जैविक घड़ी की लय से जुड़ी होती है. यों देखने पर मासिकधर्म की क्रिया चाहे मामूली नजर आती हो, लेकिन उस का 28-30 दिन का लयबद्ध चक्र स्त्री के शरीर के अंदर रचीबसी खासी जटिल कैमिस्ट्री की देन होता है. इस में मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलैमस और पिट्यूटरी ग्लैंड, साथ ही पेल्विस में काम कर रही ओवरीज का सीधा हाथ होता है. उन में बनने वाले कई तरह के हारमोन ही स्त्री के भीतरी संसार की रिद्म तय करते हैं. इसी चक्र के तहत प्रजनन योग्य उम्र में आने के बाद नारी हर माह संतानबीज बीजने की तैयारी करती है और गर्भधारण न होने पर गर्भाशय की मोटी परत मासिक रक्तस्राव के रूप में प्रवाहित कर देती है.

किशोर उम्र में जब मासिकधर्म शुरू होता है, तो पहले 2, 3 या 5 सालों तक मासिकचक्र अपनी लय स्थापित नहीं कर पाता. जैसे किसी भी नए काम में पारंगत होने में समय लगता है, उसी प्रकार शरीर को भी अपनी जैविक धुरी खोजने में थोड़ा समय लगता है. खास बात यह है कि इस मासिकचक्र की अनियमितता को सामान्य शारीरिक प्रक्रिया के रूप में ही लिया जाना चाहिए. इस से विचलित नहीं होना चाहिए. अगर आप तन और मन से स्वस्थ और सामान्य हैं और आप के पति भी तो कोई कारण नहीं कि आप को संतानसुख पाने में दिक्कत हो.

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पीसीओएस यानी पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य हारमोन में अस्थिरता से जुड़ी समस्या है जो महिलाओं की प्रजनन आयु में उन के गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करती है. यह देश में करीब 10% महिलाओं को प्रभावित करती है. पीसीओएस बीमारी में ओवरी में कई तरह के सिस्ट्स और थैलीनुमा कोष उभर जाते हैं जिन में तरल पदार्थ भरा होता है. ये शरीर के हारमोनल मार्ग को बाधित कर देते हैं जो अंडों को पैदा कर गर्भाशय को गर्भाधान के लिए तैयार करते हैं. पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है. इस की अधिक मात्रा के चलते उन के शरीर में पुरुष हारमोन और ऐंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा बढ़ जाती है. अत्यधिक पुरुष हारमोन इन महिलाओं में अंडे पैदा करने की प्रक्रिया को शिथिल कर देते हैं. इस का परिणाम यह होता है कि महिलाएं जिन की ओवरी में पौलीसिस्टिक सिंड्रोम होता है उन के शरीर में अंडे पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है और वे गर्भधारण नहीं कर पातीं.

यह एनोवुलेट्री बांझपन का सब से मुख्य कारण है और यदि इस का शुरू में ही इलाज न कराया जाए तो इस से महिलाओं की शारीरिक बनावट में भी खतरनाक बदलाव आ जाता है. आगे चल कर यह एक गंभीर बीमारी की शक्ल ले लेता है. इन में मधुमेह और हृदयरोग प्रमुख है.

पीसीओएस के लक्षण

मासिकधर्म संबंधी विकार. पीसीओएस ज्यादातर मासिकधर्म अवरुद्ध करता है, लेकिन मासिकधर्म संबंधी विकार भी कई प्रकार के हो सकते हैं. सब से सामान्य लक्षण मुंहासे और पुरुषों की तरह दाढ़ी उगना, वजन बढ़ना, बाल गिरना आदि हैं.

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सवाल-

26 साल की अविवाहिता हूं. मेरी लंबाई 5 फुट 3 इंच है और वजन 70 किलोग्राम. 5 माह पहले मुझे मासिकस्राव नहीं हुआ था. लेकिन अगले महीने हुआ था. उस के 10 दिन बाद मैं ने सुरक्षित यौन संबंध स्थापित किए. उस महीने मुझे पीरियड्स समय से हुआ. लेकिन अब देर से हो रहा है. इस के क्या कारण हो सकते हैं? कुछ लोगों ने बताया कि मुझे थायराइड की जांच करानी चाहिए. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब

अनियमित या देरी से मासिकस्राव होने के कई कारण हैं. अगर आप यौन सक्रिय हैं, तो पहली बात यह कि आप को गर्भावस्था के बारे में निश्चित करना चाहिए. इस के अलावा पैल्विक अल्ट्रासाउंड जांच होनी चाहिए ताकि अंडाशय में सिस्ट या पौलिसिस्टिक ओवरीज की जांच हो सके. ये मासिकस्राव में देरी के कारण हो सकते हैं. अधिक वजन का भी मासिकस्राव पर प्रभाव पड़ता है. आप की लंबाई के हिसाब से आप का वजन 60 किलोग्राम होना चाहिए. आप को अपने आहार नियंत्रण एवं जीवनशैली में परिवर्तन के जरीए वजन कम करना चाहिए. इस से आप के मासिकस्राव के नियमित होने में मदद मिलेगी.

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पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार इस दौरान महिलाओं को बहुत तेज दर्द का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वो दवाइयों का सहारा लेने लगती हैं. पीरियड्स पेन में इस्तेमाल होने वाले पेन किलर्स हाई पावर वाले होते हैं. स्वास्थ पर उनका काफी बुरा असर होता है.

इस खबर में हम आपको पांच घरेलू टिप्स के बारे में बताएंगे जिनको अपना कर आप हर महीने होने वाले इस परेशानी से राहत पा सकेंगी.
तो आइए शुरू करें.

1. तले आहार से करें परहेज

पीरियड्स में आपको अपनी डाइट पर खासा ख्याल रखना होगा. इस दौरान तले, भुने खानों से दूर रहें. अपनी डाइट में हरी सब्जियों और फलों को शामिल करें. ये काफी असरदार होते हैं.

2. तेजपत्ता

तेजपत्ता से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है. पीरियड्स से होने वाली परेशानियों में तेजपत्ता काफी कारगर होता है. महावारी के दर्द को दूर करने के लिए महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- पीरियड्स के ‘बर्दाश्त ना होने वाले दर्द’ को चुटकियों में करें दूर

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पीरियड्स के ‘बर्दाश्त ना होने वाले दर्द’ को चुटकियों में करें दूर

पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार इस दौरान महिलाओं को बहुत तेज दर्द का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वो दवाइयों का सहारा लेने लगती हैं. पीरियड्स पेन में इस्तेमाल होने वाले पेन किलर्स हाई पावर वाले होते हैं. स्वास्थ पर उनका काफी बुरा असर होता है.

इस खबर में हम आपको पांच घरेलू टिप्स के बारे में बताएंगे जिनको अपना कर आप हर महीने होने वाले इस परेशानी से राहत पा सकेंगी.
तो आइए शुरू करें.

1. तले आहार से करें परहेज

पीरियड्स में आपको अपनी डाइट पर खासा ख्याल रखना होगा. इस दौरान तले, भुने खानों से दूर रहें. अपनी डाइट में हरी सब्जियों और फलों को शामिल करें. ये काफी असरदार होते हैं.

2. तेजपत्ता

तेजपत्ता से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है. पीरियड्स से होने वाली परेशानियों में तेजपत्ता काफी कारगर होता है. महावारी के दर्द को दूर करने के लिए महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं.

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3. हौट बैग

पीरियड्स में होने वाले दर्द में हौट बैग काफी कारगर होता है. इसको पेट के उस हिस्से पर रखना होता है जहां दर्द महसूस हो रहा है. ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा.

4. कैफीन से रहें दूर

पीरियड्स के दौरान काफीन से दूरी बनाएं रखें. इस वक्त में इसके सेवन से गैस की परेशानी होती है. गैस के कारण कई बार दर्द बढ़ जाता है.

5. एक्सरसाइज को अपनी रूटीन में शामिल करें

डेली रूटीन में एक्सरसाइज को शामिल करने से आपको दर्द में काफी राहत मिलेगी. इससे ब्लौटिंग की परेशानी में भी काफी राहत मिलती है.  ब्लौटिंग की वजह से ही दर्द महसूस होता है. ऐसे में लाइट एक्‍सरसाइज करने से आपकी मसल्‍स रिलैक्‍स महसूस करेंगी.

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6. नमक से भी बना लें दूरी

पीरियड्स में ब्लौटिंग होना एक आम बात है. ऐसे में अगर आप पीरियड्स से कुछ समय पहले ही नमक का सेवन कम कर देती हैं तो आपकी किडनी को अत्यधिक पानी निकालने में मदद मिलने के साथ आपको दर्द में भी राहत मिलेगी.

पीरियड्स की मुश्किलों से कैसे निबटें

कुछ लड़कियां पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग्स का सामना करती हैं तो कुछ लड़कियों को कोई खास बदलाव महसूस नहीं होता है. ऐसे ही कुछ लड़कियां डिप्रैशन और इमोशनल आउटबर्स्ट का शिकार होती हैं. इसे कहते हैं प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम और 90 प्रतिशत लड़कियां वर्तमान में इसे महसूस कर रही हैं.

पीरियड के दौरान अनेक परेशानियां भी आती हैं. महीने में 2 बार पीरियड्स क्यों हो रहे हैं? मसलन, फ्लो इतना ज्यादा या इतना कम क्यों है ? पीरियड्स और लड़कियों के समान क्यों नहीं हैं? अनियमित पीरियड्स क्यों हैं? ये सब प्रश्न अकसर हमारे दिमाग में घर कर लेते हैं.

हमें यह समझने की जरूरत है कि ये सब परेशानियां असामान्य नहीं हैं. हर महिला का मासिकधर्म और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है.

असामान्य माहवारी

पिछले कुछ मासिक चक्रों की तुलना में रक्तस्राव असामान्य होना, पीरियड्स देर से आना, कम से कम रक्तस्राव से ले कर भारी मात्रा में खून बहना आदि असामान्य पीरियड माने जाते हैं. यह कोई बीमारी नहीं है. इसे अलगअलग हर लड़की में देखा जाता है. इस में अचानक मरोड़ उठने लगती है और बदनदर्द होने लगता है. अनियमित और असामान्य पीरियड को एनोबुलेशन से भी जोड़ा जा सकता है. आमतौर पर इस कारण हार्मोंस में असंतुलन हो सकता है.

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प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम हर साल भारत की एक करोड़ से भी ज्यादा लड़कियों में देखा जाता है. यह एक ऐसी समस्या है जो लड़कियों को हर महीने पीरियड से कुछ दिनों पहले प्रभावित करती है. इस दौरान लड़कियां शारीरिक और भावनात्मक रूप से खुद को कमजोर महसूस करती हैं.

मुंहासे, सूजन, थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स इस के कुछ सामान्य लक्षण हैं. सटीक लक्षण और उन की तीव्रता लड़की से लड़की और चक्र से चक्र पर निर्भर करती है.

हार्मोंस में परिवर्तन इस सिंड्रोम का एक महत्त्वपूर्ण कारण है. विटामिन की कमी, शरीर में उच्च सोडियम का स्तर, कैफीन और शराब का अधिक सेवन पीएमएस का कारण बन सकते हैं. पीएमएस 20 से 40 वर्ष की महिलाओं में देखा जा सकता है.

इलाज है जरूरी

माहवारी में आने वाले अनियमित पीरियड्स या पीएमएस जैसी परेशानियों का इलाज बहुत ही सरल है. ऐक्सरसाइज हमेशा से ही पीरियड्स की परेशानी का हल रही है. एक स्त्रोत के अनुसार हफ्ते में 5 दिन 35 से 40 मिनट ऐक्सरसाइज करने से उन हार्मोंस की मात्रा कम हो जाती है जिन के कारण अनियमित माहवारी हो सकती है.

यदि किसी लड़की को पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द हो, भारी रक्तस्राव हो, 7 दिनों? से ज्यादा पीरियड के बीच उल्टियां हों तो अच्छा यही होगा कि तुरंत उसे डाक्टर के पास ले कर जाएं.

क्या खाएं क्या नहीं

–  दोपहर के भोजन में मिक्स दाल, सलाद, पनीर और उबले अंडे शामिल करें. इन के सेवन से शरीर में प्रोटीन की जरूरत पूरी होगी.

–  काले चने, राजमा और फलियां न खाएं तो बेहतर होगा. इन के सेवन से पेट दर्द या मरोड़ की शिकायत हो सकती है जो माहवारी के दर्द को और मुश्किल बना सकती है.

–  इस दौरान खून में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित रख जरूरी है, इसलिए मीठी चीजों का सेवन कम करें.

–  विटामिन बी6 और आयरन की कमी को पूरा करने के लिए ब्रोकली, टमाटर, मक्का इत्यादि खा सकती हैं. साथ ही विटामिन सी ने भरपूर चीजें जैसे नीबू, संतरा इत्यादि भी लें.

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–  माहवारी के दर्द से मैगनिशियम और पोटैशियम युक्त चीजें नजात दिलाने में सहायक हैं. इस के लिए केला, सोया पनीर यानी टोफू और सेम इत्यादि का सेवन कर सकती हैं.

प्रेग्नेंसी के अलावा इन चीजों के कारण होती है पीरियड्स में देरी

पीरियड्स में महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अनियमित पीरियड महिलाओं के लिए सबसे बड़ी परेशानी होती हैं. अगर ये समय पर ना आए तो महिलाएं आशंकित हो उठती हैं. ऐसे में महिलाओं को डर होता है कि कहीं वो गर्भ से तो नहीं हैं ना. ये आम धारणा है कि जैसे ही पीरियड मिस होता है लोग उसे प्रेग्नेंसी से जोड़ते हैं. लोगों में ये सोच मासिकधर्म से जुड़ी आधी अधूरी जानकारी के कारण है.

असल में पीरियड्स में अनियमितता हार्मोंस में आने वाले बदलावों के कारण होता है. कई जानकारों का मानना है कि अगर कोई महिला 3 महीने में अपना एक पीरियड मिस कर देती है तो उसे गंभीर समस्या हो सकती है. इसके अलावा आपके कामकाज और आपके वातावरण के माहौल का भी पीरियड्स पर फर्क पड़ता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि प्रेग्नेंसी के अलावा और किन कारणों से महिलाओं में पीरियड्स की अनियमितता आती है.

तनाव:

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तनाव के कारण महिलाओं के पीरियड्स पर बुरा असर पड़ता है. अगर आप ज्यादा तनाव लेती हैं तो इसका सीधा असर आपके हार्नोंस पर पड़ता है. यही कारण है कि आपके पिरियड्स में देरी होती है.

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शरीर का कम वजन:

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अगर आपका वजन कम है तो इसका सीधा असर आपके पीरियड्स पर होगा. अगर आपका वजन बहुत कम है तो आपके पीरियड्स में अनियमितताएं आएंगी.

अधिक एक्सरसाइज:

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एक्सरसाइज शरीर के लिए बेहद जरूरी है. इससे हमारी सेहत पर काफी सकारात्मक असर पड़ता है. पर अत्यधिक एक्सरसाइज आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसका सीधा असर आपके हार्मोंस पर पड़ता है, और आपके पीरियड्स ठीक समय पर नहीं आते हैं.

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम:

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आजकल की जैसी जीवनशैली हो चुकी है, महिलाओं में पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) की समस्या आम हो गई है. इस बीमरी के कारण महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की शिकायत हो रही है. ना सिर्फ पीरियड्स बल्कि इस बीमारी के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने, बाल झड़ने, चेहरे पर दाग:धब्बे जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

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पीरियड्स के दौरान इन बातों का भी रखें ख्याल

बिजी लाइफस्टाइल में बहुत जरूरी है कि आप पीरियड्स के दौरान अपनी स्वच्छता का पूरा ख्याल रखें क्यों कि अगर ऐसा नहीं किया तो बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसीलिए आज हम आपको बताएंगे की कैसे पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई बनाए रखें और बीमारियों से भी बचे रहें…

1. ब्लीडिंग के दौरान रखें साफ-सफाई

पीरियड्स के दौरान शरीर से ब्लीडिंग होने पर विशेष रूप से अपने प्राइवेट पार्ट्स को साफ रखना महत्वपूर्ण है. इस हिस्से की सफाई के लिए गर्म पानी और इंटिमेट या वैजाइनल वाश का उपयोग करें.

2. कभी भी एक साथ दो पैड का इस्तेमाल न करें

कुछ महिलाएं ज्यादा फ्लो के समय सावधानी वश 2 सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. यह उचित नहीं क्यों कि यह योनि क्षेत्र में संक्रमण का कारण बन सकता है. इसीलिए एक ही पैड का इस्तेमाल करें और यदि फ्लो अधिक हो तो इसे बदलते रहें.

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3. आरामदायक, साफ अंडरवियर पहनें

अपने सैनिटरी पैड को बदलते समय आवश्यक है इन दिनों कुछ आरामदायक अंडरवियर पहने. केवल कौटन या कपड़े से बने अंडरवियर जो आप की स्किन को सांस लेने की अनुमति देते हैं. सिंथेटिक और टाइट अंडरवियर भी संक्रमण को आमंत्रित करते है.

हमेशा प्राइवेट पार्ट्स को आगे से पीछे की तरफ धोएं या पोंछें. यह महत्वपूर्ण है क्यों कि विपरीत दिशा में सफाई, बैक्टीरिया का रास्ता बना सकती है जिस से संक्रमण हो सकता है.

4. अक्सर उत्पादों को बदले

एक सैनिटरी उत्पाद आप के शरीर के संपर्क में जितना लंबा होगा, संक्रमण का खतरा उतना ही अधिक होगा. बहुत लंबे समय तक रहने पर पैड रशेस पैदा कर सकते हैं और संक्रमण भी पैदा कर सकते हैं. आम तौर पर एक पैड का उपयोग 6 घंटे तक किया जा सकता है. टैम्पोन को भी हर 2 से 3 घंटे में बदलने की आवश्यकता होती है.

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पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई न करना हो सकता है खतरनाक

महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रत्येक महीने 4 -5 दिन काफी थकावट वाला और दर्द भरा होता है. यह वक्त है जब उन्हें पीरियड्स के दर्द से जूझना पड़ता है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि तकलीफ की वजह से आप उन दिनों खुद की देखभाल करना छोड़ दें. बल्कि उन दिनों आप के प्राइवेट पार्ट्स को ज़्यादा देखभाल की जरुरत होती है. आइये जानते हैं इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की डॉ. रीता बक्शी से कि पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई क्यों जरुरी है और कैसे रखी जा सकती है-

1. यूरिन इन्फेक्शन्स

पीरियड्स के दौरान खुद को साफ न रखना बहुत सारे बैक्टीरियाज को आमंत्रित करता है जो आगे चल कर यूरिन इन्फेक्शन्स की वजह बन सकते हैं. इस से पेट के निचले हिस्से में दर्द के साथ किडनी भी प्रभावित हो सकती है.

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2. रैशज

यह एक बहुत ही आम समस्या है और लगभग हर दूसरी महिला ने कभी न कभी इस का अनुभव किया है. पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज का मुख्य कारण सैनिटरी नैपकिन को बारबार बदलना नहीं है. आधुनिक समय के नैपकिन बनाने में कंपनियां अच्छी मात्रा में प्लास्टिक और अन्य सामग्री का उपयोग करते हैं जो आप की स्किन के लिए अनुकूल नहीं है. इस के अलावा 4-6 घंटे से अधिक के लिए एक नैपकिन का उपयोग करने से रक्त उस के आसपास के संक्रमण का कारण बन सकता है जिस से स्किन पर चकत्ते और जलन होती है.

3. सफेद डिस्चार्ज

प्राइवेट पार्ट्स से व्हाइट डिस्चार्ज हर बार अस्वस्थ परिस्थितियों की ओर इशारा नहीं करता है. लेकिन पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता आप की योनि में बैक्टीरिया का कारण बन सकती है और परिणामस्वरूप सफेद डिस्चार्ज हो सकता है. इस लिए ज़रूरी है कि इस हिस्से को पीरियड्स के दौरान साफ़ और स्वच्छ रखें.

4. बांझपन की संभावना

पीरियड्स के दौरान अशुद्ध कपड़ों का उपयोग करना या लंबे समय तक एक ही सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन का उपयोग करना बैक्टीरिया के विकास को सुविधाजनक बना सकता है. ये बैक्टीरिया बांझपन की संभावना बढ़ा सकते हैं.

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5. सरवाइकल कैंसर की संभावना

पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता की वजह से कैंसर के विकास की संभावनाएं पैदा हो जाती हैं. महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने पीरियड्स के दौरान न केवल खुद को साफ रखें बल्कि नियमित रूप से अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई कर के हमेशा स्वच्छता बनाए रखें.

पीरियड्स के दिनों में रखें सफाई का खास ख्याल

हम जानते हैं कि हर लड़की और महिला के जीवन में प्रत्येक महीने करीब 4 -5 दिन का समय काफी कठिन और थकावट वाला होता है. यह वो समय है जब आप पीरियड्स से जूझ रही होती हैं, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप उन दिनों के दौरान खुद की देखभाल करना छोड़ दें , बल्कि उन दिनों में आप का शरीर आप से ज्यादा देखभाल और साफ-सफाई मांगता है. पीरियड्स के दौरान सफाई का ख्याल जरूर रखें वर्ण बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

  1. यूरिन इन्फेक्शन का रहता है खतरा

मासिक धर्म के दौरान खुद को साफ न रखना बहुत सारे बैक्टीरिया को आमंत्रित करता है. वे न केवल आप को बाहरी रूप से प्रभावित करते हैं बल्कि यूरिन इन्फेक्शन्स भी पैदा कर सकते हैं. इस से न सिर्फ आप के पेट के निचले हिस्से के लिए  दर्दनाक है बल्कि आप की किडनी को भी प्रभावित करता है.

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  1. रैशेज है नौर्मल प्रौब्लम

यह एक बहुत ही आम प्रौब्लम है और लगभग हर दूसरी महिला कभी न कभी इस का अनुभव करती है. आपके पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज का मुख्य कारण सैनिटरी नैपकिन को बारबार न बदलना है. 4-6 घंटे से अधिक समय तक एक ही नैपकिन का उपयोग करने से रक्त उस के आसपास के इंफेक्शन का कारण बन सकता है जिस से स्किन पर चकत्ते और जलन होती है.

  1. सफेद डिस्चार्ज की प्रौब्लम से बचें

मासिक धर्म के दौरान अस्वच्छता आप की योनि में बैक्टीरिया पनपने का कारण बनती है और बाद में इस से सफेद डिस्चार्ज की प्रौब्लम पैदा होती है. जरूरी है कि योनि को पीरियड्स के दौरान साफ रखें.

  1. बांझपन की होती है संभावना

मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़ों का उपयोग करना या लंबे समय तक एक ही सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन का उपयोग करना बैक्टीरिया पनपने का रास्ता खोलता है. ये बैक्टीरिया अंडाशय तक पहुंच सकते हैं जिससे बांझपन की संभावना बढ़ जाती है.

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  1. सरवाइकल कैंसर का खतरा

पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता की वजह से कैंसर के विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं. महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने पीरियड्स के दौरान न केवल खुद को साफ रखें बल्कि नियमित रूप से अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई कर के स्वच्छता बनाए रखें.

कैसे रखें सफाई

अपने योनि क्षेत्र को साफ रखें. गर्म पानी और इंटिमेट या वैजाइनल वौश का उपयोग कर इसे समय-समय पर साफ करती रहे.

कभी भी एक साथ दो पैड का इस्तेमाल न करें. कुछ महिलाएं हैवी पीरियड्स के समय एक बार में दो सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इस से योनि क्षेत्र में इंफेक्शन हो सकता है.

आरामदायक, साफ अंडरवियर पहनें. केवल कौटन या कपड़े से बने अंडरवियर जो आप की स्किन को सांस लेने की अनुमति देते हैं उन्हीं को पहने. सिंथेटिक और टाइट अंडरवियर भी इंफेक्शन को आमंत्रित करते है.

इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की डौ. रीता बक्शी से बातचीत पर आधारित.

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पीरियड पैंटी रखे उन दिनों में टैंशन फ्री

कहते हैं मां सब जानती है और औफिस के लिए निकली अभिलाषा जब घर वापस आई तो मां को बात समझने में जरा भी देर ना लगी और टैंशन में देख अभिलाषा को बौडीकेयर पीरियड पैंटी थमा कर बोली अब टैंशन की नहीं है बात जब पीरियड पैंटी हो साथ, क्योंकि ऐसे समय पर बहुत सारे प्यार व केयर के साथ आपको जरूरत है एक ऐसी पैंटी की जो इन खास दिनों में भी आपकी उड़ान को कम न होने दे. अगर आप भी किसी ऐसी ही पैंटी की तलाश में हैं, तो अब बाजार में ऐसी पैंटी मौजूद है.

1. पीरियड पैंटी क्या है

पीरियड पैंटी महिलाओं के लिए खासतौर पर तैयार की गई पैंटी है, जिसे बनाने में बौडीकेयर ने लीकेज और गंध रहित कपड़े का प्रयोग किया है जिसे पौलीयुरेथेन लैमिनेशन लाइनिंग के नाम से जाना जाता है. यह पैंटी महिलाओं को उन दिनों में सहज रखने का एक शानदार तरीका है.

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2. पीरियड पैंटी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है

आमतौर पर बौडीकेयर पीरियड पैंटी कई किस्म की होती हैं लेकिन प्रत्येक पीरियड पैंटी का इस्तेमाल करने का तरीका एक जैसा होता है. आइए, जानते हैं कि पीरियड पैंटी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है:

– सबसे पहले आप यह जांच लें कि आपको भारी रक्तस्राव हो रहा है या फिर हल्का.

– उसके बाद आप पीरियड फैंटी में पैड को लगा लें और इसको पहन लें. इसके बाद आप आराम से अपने सभी काम करें.

– पीरियड पैंटी पहनने के बाद आपको आम पैंटी की तरह ही एहसास होगा और पैड खिसकने की चिंता नहीं रहेगी.

– पीरियड पैंटी पहनने के बाद आप सुविधाजनक पीरियड की अवधि बिता सकती हैं.

3. आइए जानें इसके फायदे

आमतौर पर पीरियड हर महिला के लिए किसी परेशानी से कम नहीं होते हैं. ज्यादातर स्कूल एवं कौलेज जाने वाली लड़कियां एवं कामकाजी महिलाएं इस बात से डरती हैं कि कहीं पीरियड का खून रिस कर उनके कपड़े में न लग जाए. लेकिन पीरियड पैंटी आपकी इस चिंता को दूर करन में बेहद फायदेमंद है. आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में.

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4. दुर्गंध से बचाव: पीरियड के दौरान आने वाली गंध से लड़ने में मदद मिलती है. इस पैंटी को इस प्रकार बनाया जाता है कि माहवारी की गंध पैंटी से बाहर न जाए.

5. है लीकेज फ्री: भारी मात्रा में माहवारी होने से कपड़ों पर दाग लगने का डर रहता है, लेकिन बौडीकेयर की पीरियड पैंटी को खास कपड़े से बनाया गया है, जिसमें लीकेज का कोई डर नहीं होता.

6. जब करना हो सफर: पीरियड पैंटी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लगाया हुआ पैड खिसकता नहीं है जिसके कारण यात्रा के दौरान आपको कोई भी परेशानी नहीं होगी क्योंकि यह लंबे समय तक एक ही जगह पर रहती है.

7. बार-बार इस्तेमाल करें: पीरियड पैंटी को आप धो कर दोबारा भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

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8. आरामदायक है: इस पैंटी का कपड़ा बहुत ही आरामदायक फैब्रिक से बना है इसलिए इस को पीरियड के दौरान पैड लगा कर प्रयोग करने के बाद भी आपको कुछ अजीब महसूस नहीं होता और आप अपने रोज के काम आराम से कर सकती हैं.

Edited by Rosy

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