पीरियड्स के दौरान मेरी ब्रैस्ट का साइज हैवी हो जाता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 26 साल की हूं. पीरियड्स के दौरान मेरी ब्रैस्ट का साइज हैवी हो जाता है. ब्रैस्ट कड़ी भी हो जाती है. पीरियड्स के कुछ दिनों बाद तक भी यह समस्या बनी रहती है. इस से सैक्स के दौरान मैं सही फील महसूस नहीं करती. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

पीरियड्स के दौरान ब्रैस्ट हैवी होना कोई गंभीर समस्या नहीं है. ऐसा आमतौर पर सौल्ट रिटैंशन की वजह से होता है. बेहतर होगा कि आप फैमिली डाक्टर से मिलें और उन्हें अपनी परेशानी बताएं. उचित उपचार व खानपान से न सिर्फ इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है, बल्कि आप का सौल्ट रिटैंशन और कंजैशन भी कम हो जाएगा.

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पीरियड्स से पहले होने वाली तकलीफ़, मूड स्विंग्स, पेट में दर्द, क्रैम्प्स (ऐंठन) जैसी समस्याएं यानी पीएमएस की तकलीफें हार्मोन्स के कम या ज़्यादा होने के कारण होती हैं. सच कहें तो हार्मोन्स में बदलाव ही महिलाओं के मासिक धर्म का प्रमुख कारण होता है. लेकिन यदि ये हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं तो ये तकलीफें हद से ज़्यादा बढ़ जाती है.आइये जानते हैं डायटीशियन डॉ स्नेहल अडसुले से कि पीरियड्स के समय , बाद में और पहले क्याक्या चीज़ें खानी चाहिए;

पीरियड्स के पहले

पीरियड्स के पहले यानी मेन्स्ट्रुअल सायकल के 20वें से 30 वें दिन तक आप के अंदर की ऊर्जा कम हो जाती है. आप थोड़ी उदासी भी महसूस कर सकती हैं. दिन में कई बार काफी ज़्यादा भूख महसूस हो सकती है और इसलिए इन दिनों आप के शरीर और मन के लिए सेहतमंद स्नैक्स ज़रुरी होते हैं.

रिफाइन्ड शक्कर, प्रोसेस्ड फूड और अल्कोहल का सेवन जितना संभव हो कम करें. बादाम, अखरोट, पिस्ता जैसे सूखे मेवे यानी हेल्दी फैट का सेवन करें. सलाद में तिल और सूरजमुखी के बीज शामिल करें. सेब, अमरुद, खजूर,पीच जैसे अधिक फायबर वाले फलों को अपने आहार में शामिल करें.

हायड्रेटेड रहें. सोड़ा और मीठे पेय से परहेज़ करें. पर्याप्त मात्रा में पानी पियें. नींबू पानी में पुदिना और अदरक डाल कर पिएं. रात को सोने से पहले शरीर और मन को आराम मिले इसके लिए पेपरमिंट या कैमोमाईल चाय लें.

खून में आयरन सही मात्रा में रहने से आप का मूड और ऊर्जा का स्तर भी अच्छा रहेगा. नट्स, बीन्स (फलियां), मटर, लाल माँस और मसूर जैसे लोहयुक्त खाद्यपदार्थों का आहार में समावेश करें. पेट फूलने या सूजन जैसी समस्या से बचने के लिए नमक का सेवन कम करें.

पीरियड्स के दिनों में (पहले से सातवें दिन तक)

पीरियड्स के दिनों में खास कर पहले दो दिनों में आप को ऐसा लग सकता है जैसे सारी शक्ति चली गई हो. ऊर्जा का स्तर बेहद कम हो जाता है और आप को थकान महसूस हो सकती है. इसलिए इन दिनों ऐसा भोजन करें जिस से आप के शरीर में ऊर्जा का स्तर ऊँचा ऱखने में मदद मिले. अपने आहार में किशमिश, बादाम, मूँगफली, दूध का समावेश करें.

जंक और प्रोसेस्ड फूड में सोडियम और रिफाइन्ड कार्ब्ज प्रचुर मात्रा में होते हैं. इन्हें खाने से बचें. शीतल पेयों में रिफाइन्ड शक्कर भारी मात्रा में होती है जिस के कारण क्रैम्प्स (ऐंठन) आने की मात्रा और पीड़ा बढ़ सकती है. शीतलपेय या सोड़ा के बजाय नींबूपानी, ताजा फलों का रस या हर्बल टी लें.

क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे पीरियड्स पहले या बाद में हो?

सवाल-

मैं 26 साल की युवती हूं. मेरा 2 महीने बाद विवाह होने वाला है. मेरा मासिकचक्र बिलकुल नियमित है. गिनती करने पर मुझे लगता है कि जिस महीने मेरा विवाह होने वाला है उस महीने मासिकधर्म और विवाह की तारीख एकदूसरे से मिल जाएं. क्या कोई ऐसा उपाय है जिस से मासिकधर्म पहले या बाद में हो?

जवाब-

आप बहुत आसानी से मासिकधर्म को आगेपीछे कर सकती हैं और यह निर्णय आप अभी से ले लें तो बेहतर होगा. अपनी फैमिली डाक्टर से मिल कर आप अभी से गर्भनिरोधक कौंट्रासेप्टिव पिल्स लेना शुरू कर दें.

इन का नियम बिलकुल सरल है. जिस तारीख को आप पीरियड्स शुरू होने की इच्छा रखती हैं, उस से 3-4 दिन पहले कौंट्रासेप्टिव पिल्स बंद कर दें. पीरियड्स के 5वें दिन से दोबारा कौंट्रासेप्टिव पिल्स लेना शुरू कर दें. आमतौर पर ये पिल्स अगले 21 दिनों तक लेनी होती हैं. पर विशेष स्थितियों में जब पीरियड्स अधिक दिन तक विलंबित करने होते हैं तो कौंट्रासेप्टिव पिल्स अधिक दिनों तक भी जारी रखी जा सकती हैं. उन्हें बंद करने के 3-4 दिनों बाद पीरियड्स आ जाता है. इस हिसाब से डाक्टर से चर्चा कर आप मासिकधर्म जितने दिन चाहें, उतने दिन आगे खिसका सकती हैं.

कौंट्रासेप्टिव पिल्स लेने से आप विवाह के शुरू के दिनों में गर्भवती होने से भी बची रहेंगी. पर यह ध्यान रखें कि कौंट्रासेप्टिव पिल्स शुरू करने से पहले फैमिली डाक्टर से एक बार सलाह जरूर ले लें.

जिन स्त्रियों को मिरगी, माइगे्रन, डायबिटीज या हाई ब्लडप्रैशर हो या फिर जो धूम्रपान करती हों, जिन्हें मासिक ठीक से न होता हो, जिन के खून में कोलैस्ट्रौल अधिक मात्रा में हों, जिन्हें पहले कभी खून का थक्का बना हो, उन्हें कौंट्रासेप्टिव पिल्स नहीं दी जातीं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पीरियड्स अनियमित रहने की प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 वर्ष है. शुरू के 5 सालों में मेरे पीरियड्स अनियमित थे. अब यह समस्या नहीं है. 3 महीने बाद मेरा विवाह है. मेरी चिंता इस बात को ले कर है कि पहले पीरियड्स अनियमित रहने की वजह से कहीं विवाह के बाद मुझे मां बनने में अड़चन तो नहीं आएगी? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप बिलकुल परेशान न हों. किशोर उम्र के शुरू के सालों में जब शरीर सयाना होने लगता है और पीरियड्स शुरू होते हैं, उस समय मासिकधर्म के दिनों में घटतबढ़त होना आम बात है. यह घटतबढ़त शरीर के अंदर टिकटिक कर रही जैविक घड़ी की लय से जुड़ी होती है. यों देखने पर मासिकधर्म की क्रिया चाहे मामूली नजर आती हो, लेकिन उस का 28-30 दिन का लयबद्ध चक्र स्त्री के शरीर के अंदर रचीबसी खासी जटिल कैमिस्ट्री की देन होता है. इस में मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलैमस और पिट्यूटरी ग्लैंड, साथ ही पेल्विस में काम कर रही ओवरीज का सीधा हाथ होता है. उन में बनने वाले कई तरह के हारमोन ही स्त्री के भीतरी संसार की रिद्म तय करते हैं. इसी चक्र के तहत प्रजनन योग्य उम्र में आने के बाद नारी हर माह संतानबीज बीजने की तैयारी करती है और गर्भधारण न होने पर गर्भाशय की मोटी परत मासिक रक्तस्राव के रूप में प्रवाहित कर देती है.

किशोर उम्र में जब मासिकधर्म शुरू होता है, तो पहले 2, 3 या 5 सालों तक मासिकचक्र अपनी लय स्थापित नहीं कर पाता. जैसे किसी भी नए काम में पारंगत होने में समय लगता है, उसी प्रकार शरीर को भी अपनी जैविक धुरी खोजने में थोड़ा समय लगता है. खास बात यह है कि इस मासिकचक्र की अनियमितता को सामान्य शारीरिक प्रक्रिया के रूप में ही लिया जाना चाहिए. इस से विचलित नहीं होना चाहिए. अगर आप तन और मन से स्वस्थ और सामान्य हैं और आप के पति भी तो कोई कारण नहीं कि आप को संतानसुख पाने में दिक्कत हो.

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पीसीओएस यानी पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य हारमोन में अस्थिरता से जुड़ी समस्या है जो महिलाओं की प्रजनन आयु में उन के गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करती है. यह देश में करीब 10% महिलाओं को प्रभावित करती है. पीसीओएस बीमारी में ओवरी में कई तरह के सिस्ट्स और थैलीनुमा कोष उभर जाते हैं जिन में तरल पदार्थ भरा होता है. ये शरीर के हारमोनल मार्ग को बाधित कर देते हैं जो अंडों को पैदा कर गर्भाशय को गर्भाधान के लिए तैयार करते हैं. पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है. इस की अधिक मात्रा के चलते उन के शरीर में पुरुष हारमोन और ऐंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा बढ़ जाती है. अत्यधिक पुरुष हारमोन इन महिलाओं में अंडे पैदा करने की प्रक्रिया को शिथिल कर देते हैं. इस का परिणाम यह होता है कि महिलाएं जिन की ओवरी में पौलीसिस्टिक सिंड्रोम होता है उन के शरीर में अंडे पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है और वे गर्भधारण नहीं कर पातीं.

यह एनोवुलेट्री बांझपन का सब से मुख्य कारण है और यदि इस का शुरू में ही इलाज न कराया जाए तो इस से महिलाओं की शारीरिक बनावट में भी खतरनाक बदलाव आ जाता है. आगे चल कर यह एक गंभीर बीमारी की शक्ल ले लेता है. इन में मधुमेह और हृदयरोग प्रमुख है.

पीसीओएस के लक्षण

मासिकधर्म संबंधी विकार. पीसीओएस ज्यादातर मासिकधर्म अवरुद्ध करता है, लेकिन मासिकधर्म संबंधी विकार भी कई प्रकार के हो सकते हैं. सब से सामान्य लक्षण मुंहासे और पुरुषों की तरह दाढ़ी उगना, वजन बढ़ना, बाल गिरना आदि हैं.

बेटी को जरूर बताएं पीरियड्स से जुड़ी ये बातें

ज्यादातर मांएं पीरियड्स के बारे में बेटी से खुल कर बात नहीं करतीं. यही कारण है कि इस दौरान किशोरियां हाइजीन के महत्त्व पर ध्यान नहीं देतीं और कई परेशानियों का शिकार हो जाती हैं. पीरियड्स को लेकर जागरूकता का न होना भी इन परेशानियों की बड़ी वजह है. पेश हैं, कुछ टिप्स जो हर मां को अपनी किशोर बेटी को बतानी चाहिए ताकि वह पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों से निबट सकें:

1. कपड़े के इस्तेमाल को न कहें 

आज भी हमारे देश में जागरूकता की कमी के चलते माहवारी के दौरान युवतियां कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. ऐसा करना उन्हें गंभीर बीमारियों का शिकार बना देता है. कपड़े का इस्तेमाल करने से होने वाली बीमारियों के प्रति अपनी बेटी को जागरूक बनाना हर मां का कर्तव्य है. बेटी को सैनिटरी पैड के फायदे बताएं और उसे अवगत कराएं कि इस के इस्तेमाल से वह बीमारियों से तो दूर रहेगी ही, साथ ही उन दिनों में भी खुल कर जी सकेगी.

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2. पैड बदलने के बारे में बताएं

हर मां अपनी बेटी को यह जरूर बताए कि आमतौर पर हर 6 घंटे में सैनिटरी पैड बदलना चाहिए. इस के अलावा अपनी जरूरत के अनुसार भी सैनिटरी पैड बदलना चाहिए. हैवी फ्लो के दौरान आप को बारबार पैड बदलना पड़ता है, लेकिन अगर फ्लो कम है तो बारबार बदलने की जरूरत नहीं होती. फिर भी हर 4 से 6 घंटे में सैनिटरी पैड बदलती रहे ताकि इन्फैक्शन से सुरक्षित रह सके.

3. इनर पार्टस की करें नियमित सफाई

पीरियड्स के दौरान गुप्तांगों के आसपास की त्वचा में खून समा जाता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है. इसलिए गुप्तांगों को नियमित रूप से धो कर साफ करने की सलाह दें. इस से वैजाइना से दुर्गंध भी नहीं आएगी.

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4. इन चाजों से दूर रहने की दें सलाह

वैजाइना में अपने आप को साफ रखने का नैचुरल सिस्टम होता है, जो अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखता है. साबुन योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है. इसलिए इस का इस्तेमाल न करने की सलाह दें.

5. धोने का सही तरीके बारे में बताएं

बेटी को बताएं कि गुप्तांगों को साफ करने के लिए योनि से गुदा की ओर साफ करे यानी आगे से पीछे की ओर. उलटी दिशा में कभी न धोए. उलटी दिशा में धोने से गुदा में मौजूद बैक्टीरिया योनि में जा सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं.

6. सैनिटरी पैड के डिस्पोजल की दें जानकारी

इस्तेमाल किए गए पैड को सही तरीके से और सही जगह फेंकने को कहें, क्योंकि यह संक्रमण का कारण बन सकता है. पैड को फ्लश न करें, क्योंकि इस से टौयलेट ब्लौक हो सकता है. नैपकिन फेंकने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना भी जरूरी है.

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7. रैशेज से कैसे बचें इसके बारे में भी बताएं

पीरियड्स में हैवी फ्लो के दौरान पैड से रैश होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब पैड लंबे समय तक गीला रहे और त्वचा से रगड़ खाता रहे. इसलिए बेटी को बताएं कि नियमित रूप से पैड चेंज करे. अगर रैश हो जाए तो नहाने के बाद और सोने से पहले ऐंटीसैप्टिक औइंटमैंट लगाए. इस से रैश ठीक हो जाएगा. अगर औइंटमैंट लगाने के बाद भी रैश ठीक न हो तो उसे डाक्टर के पास ले जाएं.

8. एक ही तरह का सैनिटरी प्रोडक्ट का करें इस्तेमाल

जिन किशोरियों को हैवी फ्लो होता है, वे एकसाथ 2 पैड्स या 1 पैड के साथ टैंपोन इस्तेमाल करती हैं या कभीकभी सैनिटरी पैड के साथ कपड़ा भी इस्तेमाल करती हैं यानी कि ऐसा करने से उन्हें लंबे समय तक पैड बदलने की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे में बेटी को बताएं कि एक समय में एक ही प्रोडक्ट इस्तेमाल करे. जब एक-साथ 2 प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जाते हैं तो जाहिर है इन्हें बदला नहीं जाता, जिस कारण इन्फैक्शन की संभावना बढ़ जाती है.

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Edited by Rosy

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