आधी रात को घर से नंगे पैर क्यों निकल गए अमिताभ

अमिताभ बच्चन आधी रात को अपने 81वें जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए मुंबई स्थित अपने घर के बाहर एकत्र हुए सैकड़ों फैंस का स्वागत करने के लिए बाहर निकले. जब सुपरस्टार ने अपने हाथ जोड़कर जलसा के बाहर खड़ी भीड़ का अभिवादन किया तो जोरदार जयकारों और तालियों के साथ उनका स्वागत किया गया.

अमिताभ बच्चन अपने फैंस से मिलने के लिए अपने घर के बाहर निकाले रहे हैं. शोले अभिनेता एक ऊंचे मंच पर खड़े थे ताकि हर कोई उनकी एक झलक देख सके. सुरक्षा से घिरे हुए वह मुस्कुराए और अपने फैंस की ओर हाथ हिलाया.

आधी रात को जलसा के बाहर फैंस के साथ मनाया जन्मदिन

अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर, 2023 को 81 वर्ष के हो गए. अभिनेता ने मुंबई स्थित आवास, जलसा के बाहर अद्भूत उपस्थिति ने फैंस को खुश कर दिया, वहीं उनकी बहू ऐश्वर्या राय बच्चन और पोती आराध्या और नव्या भी दिखाई दी. तीनों को अपने फोन से तस्वीरें लेते देखा गया.

 

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ऐश्वर्या राय बच्चन, नव्या और आराध्या को वीडियो लेते और वीडियो कॉलिंग करते हुए देख सकते हैं क्योंकि बिग बी अपने जन्मदिन पर बाहर अपने लाखों फैंस का स्वागत कर रहे हैं. अमिताभ बच्चन ने जाहिर तौर पर अपना 81वां जन्मदिन परिवार के सदस्यों के साथ मनाया. उनकी बेटी श्वेता बच्चन नंदा ने उसी रात की एक तस्वीर पोस्ट की और उन्हें 81वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं.

 

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अमिताभ बच्चन की अपकमिंग फिल्में

81 साल की उम्र में भी बच्चन हमेशा की तरह सक्रिय हैं, जिससे साबित होता है कि उम्र उनके लिए सिर्फ एक नंबर है. उन्हें आखिरी बार सूरज बड़जात्या की फिल्म ऊंचाई में अनुपम खेर, परिणीति चोपड़ा और बोमन ईरानी के साथ देखा गया था. उनके अपकमिंग फिल्में कल्कि 2898 ई., सेक्शन 84 और गणपथ भी रिलीज के लिए तैयार हैं.

Kalki 2898 AD का टीजर रिलीज, प्रभास-दीपिका के लुक से फैंस हुए इंप्रेस

साउथ सिनेमा के सुपरस्टार प्रभास, बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और एक्टर कमल हसन समेत फिल्म कल्की में नजर आने वाले है. इस फिल्म को के प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है.

गुरुवार को एक इवेंट में निर्माताओं ने फिल्म का शीर्षक और टीज़र जारी किया. फिल्म की पहली झलक में अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण और प्रभास भविष्य की दुनिया में फंसे हुए हैं और अंधेरी ताकतों से लड़ रहे हैं. कल्कि 2898 AD साल 2024 में रिलीज होगी.

फैंस प्रभास के लुक से हुए इंप्रेस

‘कल्की 2898 एडी’ फिल्म में प्रभास के लुक ने जहां लोगों को निराश किया था, वहीं फिल्म के टीजर ने दर्शकों को राहत दिलाई है. प्रभास की ‘कल्की 2898 एडी’ का टीजर देखने के बाद लोगों ने इसे ‘ब्लॉकबस्टर’ तक घोषित कर दिया है. टीजर पर आ रहे रिएक्शन को देखकर कहा जा सकता है कि लोग वाकई में इससे इंप्रेस हुए हैं.

‘कल्कि 2898 एडी’ फिल्म  मशहूर नाग अश्विन द्वारा लिखित और निर्देशित है. इस विज्ञान-फाई फिल्म की घोषणा वैजयंती मूवीज की 50वीं वर्षगांठ पर की गई थी. यह फिल्म 600 करोड़ रुपये के भारी बजट पर बनी है, जो इसे अब तक की सबसे महंगी भारतीय फिल्म है.

फैंस ने जमकर की तरीफ

प्रभास की के-प्रोजेक्ट यानी ‘कल्कि 2898 एडी’ का टीजर रिलीज होते ही काफी चर्चाओं में आ गया है. टीजर देखने के बाद लोग जमकर तरीफ कर रहे है. एक यूजर ने प्रभास की अपकमिंग फिल्म ‘सालार’ से इसकी तुलना करते हुए लिखा, “मैं नाग अश्विन पर भरोसा करता हूं. अगर आप मुझसे निजी तौर पर पूछें तो ‘प्रोजेक्ट के’ की पहली झलक ‘सालार’ से ज्यादा दमदार लग रही है. जबरदस्त कॉन्सेप्ट और बड़ा जोखिम.”

दूसरे यूजर ने प्रभास का ‘कल्की 2898 एडी’ से जुड़ा लुक शेयर करते हुए लिखा, “दुनिया को बता दो कि प्रभास वापिस आ चुका है. एक अन्य यूजर ने लिखा, “ये शॉट तो पूरा बाहूबली की वाइब्स दे रहा है. प्रभास ने फैंस को जबरदस्त चीज दी है.

Adipurush: मेकर्स ने बदले डायलॉग, ‘जलेगी तेरे बाप की’ की जगह अब होंगे ये शब्द

प्रभास, कृति सेनॉन और सैफ अली खान स्टारर ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) फिल्म 16 जून को काफी लंबे अरसे के बाद बड़े स्क्रीन पर रिलीज हो गई है. जब से आदिपुरुष मूवी रिलीज हुई तभी से विवादो में आ गई है. दरअसल, ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) के डायलॉग्स को लेकर जमकर बवाल हो रहा है.

मनोज शुक्ला मुंतशिर हुए ट्रोल

फिल्म निदर्शक ओम राउत की ‘आदिपुरुष’ फिल्म में हनुमान ने लंका दहन के दौरान एक डायलॉग बोला था, ‘कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का, आग तेरे बाप की और जलेगी भी तेरे बाप की.’

फिल्म में इस डायलॉग को सुनकर दर्शक बुरी तरह से भड़क गए थे. यहां तक कि लोगों को ‘आदिपुरुष’ के राइटर मनोज शुक्ला मुंतशिर को काफी खरी- खोटी सुनाई. ‘आदिपुरुष’ को लेकर दर्शकों की इस प्रतिक्रिया को देख मेकर्स ने फिल्म के डायलॉग्स के कुछ विवादित डायलॉग्स को बदलने का फैसला लिया था. मनोज शुक्ला मुंतशिर ने दावा किया गया था कि एक हफ्ते के भीतर हनुमान  और रावण द्वारा बोले गए इन आपत्तिजनक डायलॉग्स को बदल दिया जाएगा. अब ‘आदिपुरुष’ के इन डायलॉग्स को बदल दिया गया है.

‘आदिपुरुष’ के बादल गए डायलॉग्स

सोशल मीडिया पर ‘आदिपुरुष’ की वीडियो क्लिप जमकर वायरल हो रहे है. जिसमें देखा जा सकता है कि हनुमान  की पूंछ में आग लगी है और वह मेघनाद से कह रहे हैं, “कपड़ा तेरी लंका का, तेल तेरी लंका का, आग भी तेरी लंका की, जलेगी भी तेरी लंका ही.”

लेकिन वीडियो में देखा जा सकता है कि भले ही फिल्म का डायलॉग बदल गया हो लेकिन हनुमान  की लिपसिंग में अभी भी मैंच नहीं हो रही ऐसे लग रहा है हनुमान जी, ‘बाप’ ही बोल रहे हो. ऐसे में देखना होगा कि ‘आदिपुरुष’ के ये बदले हुए डायलॉग्स दर्शकों को खुश कर पाते हैं या फिर नहीं?

मनोज शुक्ला मुंतशिर ने दी सफाई

मनोज मुंतशिर ने ‘आदिपुरुष’ के डायलॉग्स को लेकर कहा कि, “यह कोई गलती नहीं थी. बजरंगबली और सभी पात्रों के लिए ये डायलॉग्स बहुत ही सोच- समझकर लिखे गए थे. हमने केवल इसे सरल बनाया था क्योंकि हमें एक बात समझनी होगी अगर किसी फिल्म में कई किरदार हैं तो सभी की भाषा एक जैसी नहीं हो सकती.” इसके अलावा मनोज मुंतशिर ने यह भी कहा था कि उन्होंने बेहद ही पवित्रता के साथ इस फिल्म के डायलॉग्स लिखे हैं.

Film review: आदिपुरूष- बेकार डायलॉग और VFX ने किया फिल्म का कबाड़ा

  • रेटिंगः पांच में से आधा स्टार
  • निर्माता:भूषण कुमार और किशन कुमार
  • लेखकः मनोज शुक्ला मुंतशिर
  • निर्देषक: ओम राउत
  • कलाकार: प्रभास,कृति सैनन, सनी सिंह, सैफ अली खान, देवदत्त नागे, वत्सल सेठ, तृप्ति तोरडमल, सोनल चौहान
  • अवधि: लगभग तीन घंटे

पिछले दो वर्ष से सुर्खियों  में बनी रही निर्देषक ओम राउत की  फिल्म ‘‘आदिपुरूष‘’ अंततः 16 जून को सिनेमाघरो में पहुंच चुकी है. गत वर्ष इस फिल्म का टीजर अयोध्या में रिलीज किया गया था, उस वक्त फिल्म के खिलाफ हंगामा बरपा था. फिल्मकार पर कई तरह के आरोप लगे थे. फिल्म में राम व लक्ष्मण के पैरागॉन कंपनी के चमड़े के चप्पल पहनने पर रोष व्यक्त किया गया था. उस वक्त माहौल इतना बिगड़ गया था कि निर्माता ने फिल्म की रिलीज छह माह के टाल दी थी. इन छह माह में फिल्म के लेखक व भाजपा के नजदीकी मनोज मुंतशिर ने काफी मेहनत की और फिल्म के निर्माता भूषण कुमार व निर्देषक ओम राउत को अपने साथ लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (ज्ञातब्य है कि ‘आदिपुरुष’ के टीजर को हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए काफी विरोध किया था,पर अब वह खुश है. जबकि फिल्म में कहीं कोई बदलाव नहीं किया गया.) सहित भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से जाकर मिले और उन्हे फिल्म दिखाकर फिल्म के लिए आशिर्वाद लिया और जब सब कुछ सही हो गया,तब यह फिल्म सिनेमाघर में पहुंचायी गयी.

बौलीवुड में कदम रखने के साथ ही फिल्म के लेखक व गीतकार  अपना नाम मनोज मुतशिर लिखते आए हैं. मगर केंद्र में सरकार बदलने व ‘हिंदूवाद’ व ‘राष्ट्रवाद’ की हवा को देखते हुए उन्होने घोषित कर दिया कि उनका असली नाम मनोज शुक्ला है.

जब पूरा देश राष्ट्रवाद में डूबा हो तो इस फिल्म में विभीषण, राघव(राम) से कहते हैं-‘‘मातृभूमि की रक्षा के लिए विश्वघात सही है.’’ फिल्म को समझने के लिए एक संवाद और देखें-‘‘शेष (लक्ष्मण )को मूर्क्षित करने के बाद इंद्रजीत ,राघव से कहते हैं-‘‘तुम लोगों का बंदर नाच खत्म..अब अपने भाई को उठाओ और वापस जाओ.’

‘रामायण’ की कथा उस काल की है,जब हमारे देश का नाम ‘भारत नही था.पर इस फिल्म में इस भारत ही कहा गया है. इतिहास इतना ही नही काफी बदला गया है.मसलन- शेष (लक्ष्मण) के मूर्क्षित हो जाने पर उनका इलाज करने के लिए श्रीलंका के राजवैद्य सुसैन नही आते हैं,बल्कि विभीषण की पत्नी बजरंग (हनुमान ) से कहती हैं कि संजीवनी बूटी लेकर आओ. बजरंग संजीवनी बूटी का पहाड़ यह कह कर उठाकर लाते हैं कि युद्ध चल रहा है तो इसकी जरुरत दूसरों को भी पड़ेगी और फिर विभीषण की पत्नी संजीवनी बूटी की दवा
बनाकर शेष को पिलाती हैं.

कहानीः

फिल्म की कहानी राघव(प्रभास   ),शेष(सनी सिंह ) व जानकी(कृति सैनन ) के जंगल में पहुंचने से होती है. उधर सुपर्णखा अपने भाई रावण के पास अपनी कटी नाक लेकर पहुंचती है और रावण (सैफ अली खान ) से कहती है कि जानकी जैसी सुंदर औरत तो रावण की पत्नी होनी चाहिए. और यही उसकी कटी नाक का बदला होगा. फिर स्वर्ण मृग को देखकर जानकी कहती है कि इस मृग को हमे अयोध्या लेकर चलना चाहिए. अयोध्या के लोग इसे देखकर खुश होंगें. राघव,मृग के पीछे भागते हैं, शेष की आवाज सुनकर शेष भी उनके पीछे जाते हैं. इधर रावण,जानकी का अपहरण कर लेते हैं. राघव व शेष दोनों पैदल कई किलोमीटर तक रावण के पीछे पैदल भागते हैं,जबकि रावण अपने राक्षसी विमान पर जानकी के साथ उड़ रहा है.फिर जानकी के लिए रावण का वध.

लेखन व निर्देषनः

सात सौ करोड़ की लागत में बनी फिल्म ‘‘आदिपुरूष’’ देखने के बाद अहसास होता है कि यह तो धन की आपराधिक बर्बादी है. फिल्म में निर्देषक की प्रतिभा शून्य नजर आती है. यह फिल्म सिनेमा के नाम पर सबसे बड़ा मजाक है. पूरी फिल्म देखकर यह समझ में नही आता कि फिल्म बनाने का औचित्य क्या है? फिल्मकार कहना क्या चाहते हैं? यह फिल्म किसी की आस्था ही नही बल्कि देश की संस्कृति,इतिहास, तहजीब आदि का मजाक उड़ाती है.

फिल्मकार ने रामायण की जो कहानी है,उसके कुछ दृष्यों को जोड़कर लगभग तीन घंटे की बैलगाड़ी से भी धीमी गति से चलने वाली फिल्म के रूप में पेश कर दिया. कहानी में कहीं भी आपस में कोई तारतम्य नही है. दर्शक भी चौंक जाता है कि यह क्या हो रहा है. वास्तव में एडीटर की भी गलती हैं. बाद वाले दृष्य पहले आ जाते हैं.इसमें न कहीं कोई रिष्ता उभरता है, न कोई संस्कृति,न कोई धर्म,न कोई इतिहास…सब कुछ कूड़ा करकट परोसा गया है. फिल्म में एक भी एक्षन दृष्य नही है, जो कि दर्शक को आकर्षित करे. इससे अच्छे एक्षन दृष्य तो बच्चा मोबाइल पर वीडियो गेम में देख लुत्फ उठाता रहता है. पर फिल्म का बजट सात सौ करोड़ रूपए है, पर वीएफएक्स वगैरह सब कुछ सतही है, तो फिर यह रकम खर्च कहां की गयी? ओम राउट के अनुसार लंका सोने की नही बल्कि काले रंग की थी. फिल्म में लंका काले रंग की ही है. फिल्म के किरदारों की हेअर स्टाइल हूबहू वही है जो वर्तमान समय की नई पीढ़ी की हेअर स्टाइल है. बौलीवुड मसाला फिल्मों की तरह राघव व जानकी प्रेम गीत गाते नजर आती हैं. दो दृष्यों में राघव व जानकी को एक दूसरे की तरफ कम से कम पांच मिनट तक भागते हुए देखकर शाहरुख खान की फिल्म के राज व सिमरन याद आ जाते हैं. निर्देषक ओम राउत का ज्ञान इतना अच्छा है कि उनके राम फिल्म में लोगो से तीर से नही बल्कि हाथपाई करते हैं. लेखक व निर्देषक ने सीता/जानकी की बजाय एक दृष्य में सेक्सी अवतार /सेंसुअल रूप में विभीषण की पत्नी को दिखा दिया.आखिर बौलीवुड मसाला फिल्मों में सेक्स व सेंसुआलिटी नजर आनी चाहिए. जानकी को रावण अशोक वाटिका नहीं, बल्कि काले पत्थर की जमीं वाली जगह पर रखते हैं. इतना ही लोगों को पहली बार पता चलेगा कि रावण व उनके भाई विभीषण  एक साथ बैठकर षराब का सेवन किया करते थे.

ओम राउत ने कुछ दृष्यों को विदेषी फिल्मों ‘‘लार्ड्स आफ द रिंग’ और ‘गेम्स आफ थ्रोन’’ के चुराकर इस फिल्म में पिरो दिए हैं. यह फिल्म देखकर यह स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है कि इन्ही  ओम राउत ने फिल्म ‘‘तान्हाजी’’ का निर्देशन किया था.

फिल्म के कुछ संवाद ऐसे हैं,जिन्हे सुनकर मनोज मुंतशिर के ज्ञान,उनकी भाषा व उनकी तहजीब पर तरस आता है. संवादों में गरिमा, उत्कृष्टता व मर्यादा होनी चाहिए, पर ऐसा कुछ नही है. संवाद सुनकर लेखक का दीमागी दिवालियापन ही सामने आता है. मसलन-रावण का बेटा बजरंग यानी हनुमान से कहता है-‘‘यह तेरी बुआ का बगीचा है,जो हवा खाने चला आया.’’

पूंछ में आग लगाई जाने के बाद हनुमान,रावण के बेटे से कहते हैं-‘‘कपड़ा तेरे बाप का,तेल तेरे बाप का,अग्नि तेेरे बाप की,अब जलेगी तेरे बाप की लंका..’’

जानकी उर्फ सीता,हनुमान से-‘‘राघव ने मुझे पाने के लिए षिव धनुष तोड़ा था,अब उन्हे रावण का घमंड तोड़ना होगा.’’अंगद का संवाद-‘‘जो हमारी बहन को हाथ लगाएगें, हम उनकी लंका लगाएंगे.’ कई संवाद तो ऐसे हैं,जिन्हें हम अक्सर सास बहू मार्का टीवी सीरियलों में अक्सर सुनते आए हैं.

अभिनयः

अफसोस फिल्म में किसी भी कलाकार ने ऐसा अभिनय नही किया है जिसकी चर्चा की जाए. हर कलाकार ‘रोबोट’ की तरह है,जो कि रिमोट कंट्रोल से संचालित होता रहता है. किसी के भी चेहरे पर कोई भाव नहीं.ज्यादा तर कलाकारों को संवाद तक ठीक से बोलना नही आया. हॉ! विभीषण की पत्नी का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री ने जरुर सही ढंग से संवाद बोले हैं.

अंत मेंः यूं तो मैं किसी भी फिल्म  के लिए नहीं कहता कि आप उसे न देखे. क्योंकि फिल्म के सफल होने पर हजारों परिवारो का पेट पलता है. मगर ‘‘आदिपुरूष’ फूहड़ फिल्म है. यह सिर्फ निराश ही नही करती बल्कि इतना सिरदर्द पैदा करती है कि कहना पड़ रहा है कि इस फिल्म को देखकर अपना पैसा व समय न बर्बाद करें. वैसे भी फिल्मकार ने फिल्म की शुरूआत में ही डिस्क्लेमर दिया है कि जिन्हे राम या रामायण की कहानी समझनी हो वह इस फिल्म को देखने के बाद बाल्मीकी रामायण को जाकर पढ़ें.हमने इंटरवल में कुछ लोगों को फिल्म छोड़कर जाते हुए देखा भी.

REVIEW: पैन इंडिया सिनेमा के नाम पर सिर दर्द है ‘राधे श्याम’

रेटिंगः आधा स्टार

निर्माताः यू वी क्रिएशंस और टीसीरीज

लेखक व निर्देशकः राधा कृष्णा कुमार

कलाकारः प्रभास, मुरली शर्मा, सचिन खेड़ेकर, भाग्यश्री, पूजा हेगड़े जगापति बाबू, सत्यराज व अन्य.

अवधिः दो घंटा बाइस मिनट

फिल्मकार राधा कृष्णा कुमार की 11 मार्च को हिंदी के अलावा तेलगू व तमिल भाषा में सिनेमाघरों में पहुॅची फिल्म ‘राधे श्याम ’’ देखकर समझ में आ जाता है कि पिछले कुछ समय से जो हो हल्ला मचाया जा रहा था कि ‘बौलीवुड खत्म हो गया’ और दक्षिण का सिनेमा बौलीवुड पर कब्जा कर रहा है. . ’’ उसकी हवा निकल चुकी है. यह हो हल्ला भी महज जुमला ही साबित हुआ. ‘राधे श्याम’से यह बात साबित हो गयी कि बौलीवुड पर दक्षिण के सिनेमा का कब्जा नही हो सकता. इससे पहले ‘साहो’,  ‘मास्टर’, ‘खिलाड़ी’का हिंदी वर्जन,  ‘वालीमाई’ का हिंदी वर्जन बुरी तरह से असफल हुए हैं. इसी के चलते ‘विमलाबाई’ का हिंदी वर्जन आने से पहले ही बंद कर दिया गया.  अब ‘‘राधे श्याम’’ का हिंदी वर्जन देखकर लोग दक्षिण सिनेमा को हिंदी में लेकर नही आएंगे.

कहानीः

फिल्म की कहानी सत्तर के दशक की है. मशहूर हस्तरेखा ज्योतिषी विक्रमादित्य उर्फ आदित्य( प्रभास), प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी का हाथ देखकर आपातकाल की भविष्य वाणी करते हैं. इसके बाद उन्हे भारत छोड़कर विदेश यानी कि रोम में जाकर बसना पड़ता है. रोम ही नही पूरे यूरोप में उनके हस्तज्योतिष के चमत्कारों की खूब चर्चा हो रही है. विक्रमादित्य एक पोलीटीशियन का हाथ देखकर भविष्य वाणी करते है कि वह सफल राजनेता नही सफल उद्योगपति बनने वाले हैं. यहां तक कि वह जिस तारीख की बात करते हैं, वह भी सच साबित होता है. वह ट्ेन के एक्सीडेंट और उसके यात्रियों की मौत की भविष्यवाणी करते हैं. यानी कि उनकी हर भविष्यवाणी सच साबित होती है. फिर नाटकीय अंदाज में वह एक अस्पताल में डॉ प्रेरणा(पूजा हेगड़े) से टकराते हैं और उनसे उन्हे प्यार हो जाता है. हस्तरेखाविद् विक्रमादित्य उर्फ आदित्य (प्रभास) भाग्य में यकीन करते हैं, जबकि डॉक्टर प्रेरणा (पूजा हेगड़े) की अलग मान्यता है. डॉ.  प्रेरणा  विज्ञान और तर्क के नियमों में यकीन करती हैं. लेकिन उनका प्यार सभी तर्कों को धता बताता है.

डॉ.  प्रेरणा को पता है कि उनकी जिंदगी के चंद माह ही बचे हैं. क्योंकि वह दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर नुमा कैंसर रोग से पीड़ित हैं. डॉ.  प्रेरणा के चाचा(सचिन खेड़ेकर), जो चालिस वर्ष से डाक्टरी पेशे में हैं, जिनका अपना एक नाम है, वह भी मानते हैं कि मेडीकल साइंस में डॉ.  प्रेरणा की बीमारी का कोई इलाज नही है. मगर डां.  प्रेरणा के प्यार में आकंठ डूबे विक्रमादित्य उनका हाथ देखकर 74 वर्ष तक जीने की भविष्यवाणी करते हैं. पर उन्हे यह नही पता चलता कि डॉं प्रेरणा कैंसर की मरीज है. जब प्रेरणा के चाचा डॉ. आदित्य को बताते हैं कि प्रेरणा की बीमारी का मेडिकल साइंस में कोई इलाज नही है, तब आदित्य कहते हैं कि मेडिकल साइंस बेकार है. प्रेरणा 74 साल तक जिएंगी. इतना ही नहीं मृत लोगों के हाथों के कागज पर प्रिंट देखकर उनकी उम्र, पुरूष या स्त्री, मौत का कारण वगैरह बताते हैं. फिर अपने अपने प्यार को जीतने की बात होती है. इसके बाद कहानी एक अलग ढर्रे पर चलती है.

लेखन व निर्देशनः

जिन्हे मनोरंजन की बजाय सिर दर्द मोल लेकर क्रोसीन या अन्य सिर दर्द की दवा का सेवन करना हो, उन्हे ही ‘बाहुबली’ फेम अभिनेता प्रभास की फिल्म ‘‘राधे श्याम ’’ देखनी चाहिए. फिल्म की धीमी गति और कहानी के चलते यह अति बोरिंग व सिरदर्द वाली फिल्म है. फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी पटकथा है.  इसमें हस्तज्योतिष को महान बताने के लिए विज्ञान को ही नेस्तानाबूद कर डाला गया. इतना ही नही हस्तरेखाविद् विक्रमादित्य उर्फ आदित्य (प्रभास) भाग्य में यकीन करते हैं, जबकि डॉक्टर प्रेरणा (पूजा हेगड़े) की अलग मान्यता है. डॉ.  प्रेरणा  विज्ञान और तर्क के नियमों में यकीन करती हैं. लेकिन प्यार को जिताने के चक्कर में फिल्मकार आदित्य व प्रेरणा के विरोधाभासी यकीन को नजरंदाज कर पूरी फिल्म को तहस नहस कर डाला. फिल्मकार अपने किसी भी तर्क ्रपर टिके ही नहीं. पूरी फिल्म देखकर यह सोचना भी मूर्खता ही होगी कि फिल्म का नाम ‘राधे श्याम’ क्यों है?

अफसोस की बात यह है कि फिल्मकार को यही नही पता कि वह हस्त ज्योतिष को महान,  मेडीकल साइंस को बेकार  बताना चाहते हैं अथवा टाइटैनिक वाली प्रेम कहानी बताना चाहते हैं या हाथ की रेखाएं नही बल्कि कर्म से तकदीर बनती है. आखिर उन्हे दर्शकांे को कौन सी कहानी बतानी है, यही नही पता. पूजा हेगड़े और प्रभास के बीच जो रोमांस फिल्माया गया है, वह दो ंइंसानों की बजाय दो लकड़ियों की कठपुतली का रोमांस नजर आता है. पूजा और प्रभास के बीच कोई केमिस्ट्ी ही नजर नही आती. फिल्म में पूजा हेगड़े का परिचय वाला शुरूआती दृश्य हूबहू उस स्टंट की नकल है,  जो कि चलती लोकल ट्ेन में नई पीढ़ी के लड़के व लड़कियां करते नजर आने पर पुलिस उन पर जुर्माना लगाकर सजा देती है. और हमारे फिल्मकार उसी स्टंट का महिमा मंडन करते हुए युवा पीढ़ी को गलत राह पर ढकेलने का काम किया है. अफसोस तो इस बात का है कि जिसे भारतीय रेलवे गैर कानूनी मानता है, उस स्टंट को सेंसर बोर्ड ने पारित कर दिया. इतना ही नहीं विक्रमादित्य अपने ज्योतीषीय ज्ञान से देख लेता है कि ट्ेन का एक्सीडेंट होगा और सभी यात्री मारे जाएंगे, फिर वह बाहुबली बनकर पेड़ को उखाड़कर फेंकते हुए तेज गति से भाग रही ट्ेन का एक्सीडेंट रोकने के लिए भागता है, जबकि ट्ेन का एक्सीडेंट हो जाता है. यह पूरा दृश्य ही अति बनावटी है. इस तरह के दृश्य कहानी को मजबूती प्रदान नही करते.

फिल्म का क्लायमेक्स अति घटिया है. अस्पताल के अंदर दो मिनट के ‘डेथ प्रैक्टिस’ के दृश्य न सिर्फ घटिया हैं, बल्कि सेंसर बोर्ड पर सवाल उठाते हैं कि उसने ऐसे दृश्य को पारित कैसे कर दिया?

फिल्म में सारा वीएफएक्स  बहुत घटिया है. माना कि कैमरामैन मनोज परमहंस ने इटली और जॉर्जिया के भव्य स्थानों और गलियों को सबसे असाधारण तरीके से कैद किया है. प्रत्येक दृश्य एक दृश्य तमाशा है, जो दर्शकों को इसकी पृष्ठभूमि से मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां तक कि फिल्म के मुख्य किरदारों के घर और बेडरूम भी आलीशान हैं. काश इतना ही ध्यान इसकी पटकथा लेखन पर भी दिया गया होता.

फिल्म के अंतिम दृश्य के साथ अमिताभ बच्चन की आवाज में संवाद गूंजता है-‘किस्मत तुम्हारे हाथों की लकीरें नहीं,  तुम्हारे कर्मों का नतीजा है. ’तो सवाल उठता है कि फिल्मकार सवा दो घंटे से भी अधिक समय तक दर्शकों को क्या मूर्ख  बना रहे थे.

350 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘राधे श्याम’ को लेकर लंबे समय से ‘साइंस फिक्शन’ के नाम पर जो हौव्वा खड़ा किया गया था, इसमें वैसा कुछ भी नही है.

अभिनयः

‘राधे श्याम’ में प्रभास के अति स्तरहीन अभिनय को देखकर यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि प्रभास ने ही ‘बाहुबली’ में अभिनय किया था. ‘बाहबुली’ में प्रभास का जो करिश्माई व्यक्तित्व, अभिनय स्टाइल वगैरह नजर आया था, वह सब इस फिल्म में शून्य है. प्रभास की संवाद अदायगी बहुत ही कमजोर है. पूजा हेगड़े का अभिनय की बजाय उनकी खूबसूरती जरुर आंखे को सकून देती है. पर भावनात्मक दृश्यों को उन्होने  परिपक्वता के साथ निभाया है. जगापति बाबू, मुरली शर्मा, कुणाल रौय कपूर जैसे कलाकारों की प्रतिभा को पूरी तरह से जाया किया गया है.

प्रभास-दीपिका को मिला अमिताभ बच्चन का साथ, पढ़ें खबर

किसी महाग्रंथ वाली भव्य फिल्म का निर्माण करना आसान नही होता है. मगर जब अनुभवी प्रोडक्शन हाउस, दूरदर्शी निर्देशक, अति बेहतरीन कहानी,भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के प्रभास व दीपिका पादुकोण जैसे दिग्गज कलाकारों को सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का साथ मिल जाए,तो सब कुछ आसान हो जाता है. यह कटु सत्य है.

तभी तो दक्षिण भारत का मशहूर प्रोडक्शन हाउस ‘‘वैजयंती मूवीज’’ने वैवश्विक स्तर पर मेगा फिल्म को पहुॅचाने के लिए इसका निर्माण हिंदी, मलयालम,तेलगू ,कन्नड़ के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में करने का बीड़ा उठाया है. इस फिल्म का नाम फिलहाल‘‘प्रभास 21’’है. अब ‘वैजयंती मूवीज’’ने अपनी इस फिल्म में अभिनय करने के लिए प्रभास दीपिका पादुकोण के संग महानायक अमिताभ बच्चन को एक महत्वूर्ण किरदार के लिए अनुबंधित किया है. इस फिल्म को पूरे विश्व में 2022 में प्रदर्षित करने की योजना है.

अब इसे महज संयोग कहा जाए या कुछ और,पर जब से एक टीवी चैनल ने कुछ बौलीवुड कलाकारों के खिलाफ आग उगलनी शुरू कर उनके बाॅयकाट की बात कर रहा है,तब से अमिताभ बच्चन उन्ही कलाकारों के साथ जुड़ते नजर आ रहे हैं. हाल में ही में अमिताभ बच्चन ‘‘कौन बनेगा करोड़पति’’में भी ऐसे ही कलाकारों से संबंधित सवाल पूछते नजर आ चुके हैं और अब वह दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म करने जा रहे हैं.

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पिछले 50 वर्षों में ‘‘वैजयंती मूवीज’’ ने भारतीय भाषाओं में कई यादगार फिल्में बनाकर तेलगु सिनेमा की महिमा में चार चांद लगाए हैं. उनकी पिछली पेशकश ‘महानटी‘, लेजेंडरी अभिनेत्री सावित्री के जीवन पर आधारित थी,जिसने कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरस्कार जीते. अब वैजयंती मूवीज के संस्थापक और फिल्म निर्माता अश्विनी दत्त अपनी अतिमहत्वाकांक्षी और तकरीनब पाॅंच सौ करोड़ की लागत से बनने वाली फिल्म लेकर आ रहे हैं. यह फिल्म् उनका सबसे बड़ा सपना है.

निर्माता अश्विनी दत्त कहते हैं-‘‘स्वर्गीय लेजेंडरी श्री एन टी आर,अमिताभ बच्चन के प्रशंसक थे. उन्होंने उनकी कुछ सुपरहिट बॉलीवुड फिल्मों के तेलुगु रीमेक में अभिनय किया था. एनटीआर और मैंने उनकी लैंडमार्क फिल्म ‘शोले ’ कई बार देखी,जो एनटीआर के रामकृष्ण थिएटर में एक साल से अधिक समय तक चली थी. इतने वर्षों बाद वैजयंती मूवीज के बैनर तले भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ इस प्रतिष्ठित फिल्म में काम करना मेरे लिए बहुत ही गर्व और सौभाग्य की बात है. श्री एन टी आर के साथ इस प्रोडक्शन हाउस ने अपनी सिनेमा यात्रा की शुरुआत की थी. इस प्रोडक्शन हाउस का नामकरण भी उन्होंने ही किया था. ‘‘

फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक नाग अश्विन कहते हैं-‘‘मैं खुद को भागयशाली और गौरवान्वित महसूस करता हूं कि बच्चन सर ने कई विकल्पों के बीच हमारी फिल्म का चयन किया. इस फिल्म में उनका छोटा नही बल्कि बड़ा किरदार है. हमें विश्वास है कि यह किरदार लिजेंडरी अभिनेता के साथ पूरा न्याय करेगा. ’’

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सह निर्माता स्वप्ना दत्त और प्रियंका दत्त ने भी फिल्म के साथ अमिताभ बच्चन के जुड़ने पर अपनी खुशी जाहिर की.

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रेटिंग: दो स्टार

निर्माता: वामसी कृष्णा रेड्डी, प्रमोद उपालापट्टी और टी-सीरीज के भूषण कुमार

निर्देशकः सुजीत

कलाकारः प्रभास, श्रद्धा कपूर, जैकी श्रौफ, नील नितिन मुकेश, चंकी पांडे, महेश मांजरेकर, मंदिरा बेदी व अन्य.

अवधिः दो घंटे 50 मिनट

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में दो ऐसी कंपनियां है,जो कि लगातार अवैध व गैर कानूनी गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं. इनमें से एक दूसरे को खत्म कर खुद बादशाह बनना चाहती है.

कहानी भारत से थोड़ी दूर बसे वाजी शहर की है,जहां राय ग्रुप के रौय (जैकी श्राफ) का दबदबा है.हर तरह के गलत कामों मे वह लिप्त है.जबकि दूसरा ग्रुप देवराज (चंकी पांडे) के पिता (टीनू आनंद) . देवराज के पिता समय को भांपते हुए समझ जाते हैं कि पूरी सत्ता सिर्फ रौय ही संभाल सकते हैं. इसी के चलते वह अपने धंधे की बागडोर अपने बेटे देवराज को देने की वजह रौय को दे देते हैं. इस बात से देवराज नाराज हो जाता है.अब वह रौय को बर्बाद करना चाहता है. रौय का बेटा सिद्धांत उर्फ साहो(प्रभास)पिछले 20 वर्षों से मुंबई में है. इसी बीच रौय तय करते हैं कि वह वाजी शहर के सभी अवैध धंधे बंद कर भारत के मंुबई शहर जाकर एक नई फैक्टरी डालेंगे. इसके लिए वह भारत सरकार के एक मंत्री का अपहरण कर अपनी फैक्टरी के लिए इजाजत ले लेते हैं. जब सारा पैसा वाजी से लेकर रौय मुंबई पहुंचते हैं, तो बेटे साहो से मिलने से पहले ही रौय को देवराज खत्म कर देता है. उसके बाद रौय का विश्वासपात्र सिद्धांत को सलाह देता है. योजना बनती है कि किस तरह से देवराज को खत्म किया जाए.उसके बाद साहो अपने तरीके से 3 चोरियां करता है. पुलिस चोर को पकड़ नहीं पाती. तब यह काम एक स्पेशल इंवेस्टीगेशन अफसर अशोक चक्रवर्ती (प्रभास) को दिया जाता है.इधर पता चलता है कि पुलिस का एक उच्च अधिकारी देवराज से मिला हुआ है. जब वास्तव में चोर पकड़ा जाता है, तो पता चलता है कि जो चोर था,वह असली पुलिस अफसर है.

जबकि अब तक पुलिस के साथ जो औफिसर अशोक चक्रवर्ती बनकर काम कर रहा था,वह तो साहो था,जिसे पुलिस अफसर अमृता (श्रृद्धा कपूर) से प्रेम से हो जाता है.अब असली अशोक चक्रवर्ती,साहो की तलाश में अपनी रणनीति के अनुसार काम करता है.देवराज अपनी गणित चल रहा है.जबकि साहो अपने साथी व हैकर डेविड (मुरली शर्मा) के साथ मिलकर काम कर रहा है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः देवराज का खात्मा होता है और रौय ग्रुप के चेयरमैन के रूप में सिद्धांत उर्फ साहो बैठते हैं.

निर्देशन

फिल्म का बजट 350 करोड़ है,जो कि क्रिमिनल वेस्टेज आफ मनी है. फिल्म की पटकथा में बहुत सी खामियां हैं. कहानी में कोई नयापन नहीं है. इसी तरह की कहानी पर हिंदी में सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. सिर्फ बेहतरीन एक्शन परोसने की कोशिश की गई है. बेवजह के गाने ठूंसे गए हैं. गानों का कहानी से कोई तालमेल नहीं है.कहानी बहुत तितर- बितर है. इंटरवल के पहले ही दर्शक सोचने लगता कि कहां फंस गया है.इंटरवल के बाद दर्शक को लगता है कि कुछ राहत मिलेगी,पर ऐसा कुछ नहीं होता. इंटरवल के बाद फिल्म ज्यादा खराब हो गयी है. इसे एडीटिंग टेबल पर कसने की जरूरत थी. जिस पर ध्यान नहीं दिया गया.फिल्म की लंबाई जरूरत से ज्यादा हो  गई है.

अभिनय

बाहुबली देख कर दर्शकों ने प्रभास से जो उम्मीदें बनाई थीं, उन्हें घोर निराशा होगी.फिल्म के किरदार के साथ कहीं से भी प्रभास फिट नहीं बैठते हैं.वह हिंदी भी अजीबो गरीब तरीके से बोलते हैं. उनके ओंठ चलने से संवाद मेल नही खाते.यह मिक्ंिसग की गलती है.जो बहुत ही ज्यादा अखरता है. इतना ही नहीं कई दृश्य में तो वह बहुत अजीब सा नजर आते हैं. श्रद्धा कपूर भी प्रभावित नहीं करती.वह सिर्फ दो-तीन दृश्यों में सुंदर नजर आई है.श्रृद्धा कपूर के अब तक के करियर की यह सर्वाधिक कमजार पराफार्मेंस जैकी श्रौफ की प्रतिभा को जाया किया गया.चंकी पांडे प्रभावित करते हैं. फिल्म के  कैमरामैन जरूर बधाई के पात्र हैं.

फिल्म का कोई भी गाना प्रभावशाली नहीं है.

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आखिर ‘बाहुबली’ क्यों नहीं करना चाहते शादी, जानें यहां

फिल्म ‘बाहुबली’ से चर्चित होने वाले एक्टर प्रभास हैदराबाद के है. हालांकि उनका परिवार तमिल और तेलगू फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा था, पर उन्हें एक्टर बनने का शौक नहीं था. उन्होंने इंजिनियर की पढाई की है और एक व्यवसायी बनने की इच्छा रखते थे. वे शुरू से बहुत शाय स्वभाव के रहे है और बहुत अधिक किसी से घुलना-मिलना पसंद नहीं करते थे, पर उनकी कद–काठी उन्हें इस क्षेत्र की ओर ले आई और आज वे सबसे अधिक रकम लेने वाले एक्टर बन चुके है. उन्हें हिंदी लिखना और पढ़ना अच्छी तरह से आता है. दक्षिण की फिल्मों में अमिट छाप छोड़ने वाले प्रभास ने हिंदी फिल्म ‘साहो’ में डेब्यू किया है और आगे भी हिंदी फिल्मों में काम करना चाहते है. फिल्म के प्रमोशन पर उनसे बात हुई पेश है कुछ अंश.

सवाल- फिल्म ‘बाहुबली’ के बाद जिंदगी कितनी बदली है?

अभी करियर की कोई चिंता नहीं है. ‘बाहुबली’ की दोनों फिल्में बौक्स औफिस पर कामयाब रही है. इससे मुझे बहुत खुशी है. मैंने पहले ‘बाहुबली’ को तमिल और तेलगू में किया था. दक्षिण में इस फिल्म ने अच्छा काम किया था, पर ‘बाहुबली’ का दूसरा भाग तो बहुत ही खास था. इसे पूरे देश में लोगों ने देखा और मेरे काम को सराहना मिली. केवल देश में ही नहीं विदेश में भी इस फिल्म को देखी गयी.

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सवाल- आप बौक्स औफिस की सफलता को कैसे लेते है?

इसे देखना जरुरी होता है,क्योंकि जब आप एक फिल्म बनाते है, तो उसमें करोड़ों पैसा लगा होता है, ऐसे में कौन सी फिल्म कहां चलेगी और कितना चलेगी, इसे देखना चाहिए,ताकि फिल्म बनाने वाले को नुकसान न हो.

सवाल- हिंदी फिल्म में आप पहली बार आ रहे है, कितना इसमें सस्टेन कर पायेंगे?

फिल्म ‘साहो’ अगर दर्शकों को पसंद आती है, तो आगे भी काम मिलेगा, लेकिन मुझे तमिल, तेलगू, मलयालम से लेकर हिंदी फिल्में भी करने की इच्छा है. कुछ रिजनल फिल्में भी करना चाहता हूं, लेकिन इन सबमें जरुरी है, सही स्क्रिप्ट का होना. बाहुबली के बाद पता चला है कि फिल्मों में भाषा से अधिक उसकी स्क्रिप्ट अच्छी होने की जरुरत है, क्योंकि ‘मैंने प्यार किया’ फिल्म मेरे गांव में करीब 150 दिनों तक चली थी. मेरे ग्रैंड फादर ने 10 बार उस फिल्म को देखा था और उन्हें सलमान खान बहुत पसंद था. अच्छी फिल्में हर कोई पसंद करता है.

सवाल- अब आप किस तरह की फिल्मों में काम करना चाहते है?

मैंने सोचा था कि बाहुबली के बाद मैं एक लव स्टोरी करूँगा, पर मुझे एक्शन फिल्म मिल गयी. ये सही है कि जिस फिल्म से आप सफल होते है, वैसी भूमिका आपको मिलने लगती है. आगे रोमांटिक फिल्में करने की इच्छा है.

सवाल- बाहुबली के बाद आपके महिला प्रसंशको की संख्या बहुत बढ़ गयी है, शादी के प्रस्ताव भी आ रहे है, इसे कैसे लेते है?

मैं बाहुबली के बाद अपने फ्रेंड्स और परिवार के बीच में रहा. मैं फिल्मों के अलावा अधिक पब्लिक पर्सन नहीं हूं. मुझे पता है कि बाहुबली के बाद कई मैरिज प्रपोजल आये है, पर शादी जब होनी होगी, तब होगी. शादी के लिए एक सही लड़की का होना जरुरी है.

सवाल- आप स्टंट करते वक्त किस बात का खास ध्यान रखते है और यूथ को इस बारें में क्या मेसेज देते है?

मैंने बहुत सारे एक्शन फिल्मों में 17 साल की इस जर्नी में किये है. मैंने उन्हें कभी बॉडी डबल का प्रयोग करने भी नहीं दिया. इससे मुझे बहुत सारें इंज्यूरी भी हुए है. इसलिए सभी एक्शन मास्टर मेरे साथ काम करना पसंद करते है, क्योंकि मैं सारे खतरनाक स्टंट खुद करता हूं. रोप वर्क, 40-50 फीट से जम्पिंग आदि सभी स्टंट मैंने किया है, लेकिन अब मैं इतना रिस्की स्टंट नहीं करता, अब मेरे लिए सेफ्टी अधिक जरुरी है.

मैं यूथ से कहना चाहता हूं कि मेरी फिल्म को एन्जौय करें. घर पर एक्शन को फोलो करने की कोशिश कभी न करें. एक्शन चाहे वीडियो गेम्स में हो या कही भी, उसमें मज़ा आता है. इसलिए यूथ इसे पसंद करते है. एक्शन करते वक्त सावधानी जरुरी है और फिल्मों में इसे किया जाता है.

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सवाल- आप स्कूल कौलेज के दिनों में कैसे थे? दिल से कितना रोमांटिक है?

मैंने स्कूल कौलेज में कभी भी लडकियों से बात नहीं करता था. मैं बहुत शाय स्वभाव का हूं. शरारती था और कई बार सजा भी मिली है. शरारत करने के लिए बेंच के नीचे छुप जाता था, जिससे टीचर की डांट भी पड़ती थी. मैं दिल से शायद रोमांटिक हूं, नहीं तो रोमांटिक फिल्में करना मुश्किल था. सेट पर रोमांटिक सीन्स करना मुश्किल नहीं होता. मुझे याद आता है कि शुरू-शुरू में एक फिल्म में मैंने रोमांटिक दृश्य को सही तरीके से परफौर्म नहीं कर पाया था, जिसके लिए निर्देशक ने मुझे बाद में समझाया था.

सवाल- अभी आप सलमान की ‘जय हो’ फिल्म के साथ टक्कर देने वाले है,क्योंकि साहो का अर्थ भी जय हो ही है, क्या कहना चाहेंगे?

मैं सलमान का फैन हूं और उनके साथ मेरी कोई प्रतियोगिता नहीं है. उन्होंने इंडस्ट्री में एक अच्छी मुकाम हासिल की है और कई नए कलाकारों के लिए वे प्रेरणास्त्रोत है. 40 साल से वे काम कर रहे है. उन्होंने बहुत सारी अच्छी फिल्में दी है.

सवाल- किस एक्टर ने आपको प्रेरित किया है?

आमिर खान से मैं बहुत प्रभावित हूं, उन्होंने लगान और दिल चाहता है दोनों फिल्मों को एक साथ किया है और दो इस तरह की अलग कहानी की फिल्मों का सफल होना अपने आपमें काबिले तारीफ है. इसके अलावा एक्टर कमल हासन के अभिनय को भी बहुत पसंद करता हूं.

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हर पार्टी के लिए परफेक्ट हैं श्रद्धा कपूर की ड्रेसेस

बौलीवुड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर इन दिनों अपनी नई फिल्म ‘साहो’ के चलते सुर्खियों में बनी हुई हैं. वहीं साउथ के बाहुबली एक्टर प्रभास के साथ उनकी जोड़ी की तारीफ हर कोई कर रहा है, लेकिन आज हम उनकी फिल्म की नहीं उनके फैशन की बात करेंगे. श्रद्धा फिल्म ‘साहो’ के प्रमोशन के लिए नए-नए फैशनेबल आउटफिट में नजर आ रही हैं, जिसे आप चाहें तो किसी पार्टी या क्लब में जाने के लिए ट्राय कर सकती हैं. श्रद्धा के ये आउटफिट फैशनेबल के साथ-साथ कम्फरटेबल भी है जो आपके कम्फर्ट लेवल को बनाए रखेगी.

1. वाइट शर्ट ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

अगर आप किसी औफिशयल पार्टी का हिस्सा बनने जा रही हैं और फौर्मल के साथ स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो श्रद्धा की ये ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. शर्ट ड्रेस के साथ आप अगर हिल्स ट्राय करें या वाइट जूती  तो ये आपके लुक को पार्टी और प्रोफेशनल दोनों लुक देगा. ये स्टाइलिश के साथ-साथ आपके फौर्मल दिखाने में मदद करेगा.

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2. श्रद्धा की ये ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

अगर आप किसी पार्टी में सेक्सी और स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो श्रद्धा की ये ड्रेस जरूर ट्राय करें. ग्लिटरी पीच और सिल्वर ड्रेस आपके लुक को पार्टी में अलग दिखायेगा. साथ ही डीप नेक वाली ये ड्रेस आपके लुक को हौट भी दिखायेगा. अगर आप हील्स में कम्फरटेबल हैं तो इस ड्रेस के साथ हील्स ट्राय करना न भूलें.

3. पिंक और औरेंज है परफेक्ट

पार्टीज में इन दिनों शाइनी कलर की बजाय लोग नियोन कलर को इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर आप भी पार्टिज में ट्रेंडी दिखना चाहते हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. पिंक और औरेंज कलर की औफशोल्डर ड्रेस के लुक में श्रद्धा जितनी खूबसूरत दिख रही हैं. उतनी ही आप भी ब्यूटीफुल और खूबसूरत अपनी पार्टी में दिखेंगी.

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4. वेडिंग पार्टी के लिए परफेक्ट है श्रद्धा का ये गाउन

 

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अगर आप भी पार्टी में सिंपल और खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो श्रद्धा का ये स्किन कलर का खूबसूरत औफ शोल्डर गाउन जरूर ट्राय करें. श्रद्धा का ये गाउन आपको पार्टी में सिंपल और खूबसूरत दिखाएगा. आप अगर चाहें तो इसके साथ हैवी इयरिंग्स और सिंपल गोल्डन पेंडेंट गले में डाल सकती हैं.

अपने पापा को लेकर श्रद्धा कपूर का बयान, जानें क्या कहा

फिल्म ‘आशिकी 2’ से चर्चा में आने वाली एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था, जिसमें साथ दिया उनकी मां शिवांगी कपूर और पिता शक्ति कपूर ने. श्रद्धा ने हर तरह की फिल्में की, जिसमें कुछ सफल तो कुछ असफल रही. वह असफल फिल्म को अधिक याद करना पसंद करती है, क्योंकि इससे उसे अपनी कमी को सुधारने का मौका मिलता है और ग्राउंडेड रहती है. शांत और सौम्य स्वभाव की श्रद्धा को पेड़-पौधे और जानवरों से बहुत लगाव है और उसके कमरे की बालकनी में उसने कई प्रकार के प्लांट्स लगाए है और जब वह घर पर रहती है तो पंक्षियों की चहचहाहट का आनंद लेती है. उसकी फिल्म ‘साहो’ रिलीज पर है, उससे बात करना रोचक था, आइये जाने क्या कहती है वह अपनी जर्नी के बारें में.

सवाल- ये तकनीक की दिशा से बड़ी फिल्म है, कितना प्रेशर महसूस कर रही है?

मैं बहुत प्रेशर में हूं, क्योंकि ये बड़ी बजट की भी फिल्म है. इसमें मैंने थोड़े बहुत एक्शन किये हैं. इसके लिए थोड़ा प्रशिक्षण लिया है और उम्मीद है कि दर्शकों को मेरा काम पसंद आएगा.

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सवाल- एक्शन की प्रशिक्षण कैसे लिया?

एक इंटरनेशनल टीम हैदराबाद में आई थी और उन्होंने बहुत अच्छी तरीके से प्रशिक्षण दिया था. उनके डायरेक्टर के सिखाने का तरीका बहुत ही अच्छा था. इसके अलावा पिछला पूरा साल मेरे लिए मेहनत भरा था, क्योंकि मुझे डेंगू हो गया था, जिससे मैं काफी समय तक कमजोर रही. वैसी हालत में मुझे एक्शन दृश्य करना पड़ा, जो मुश्किल था. अभी भी मेरे गर्दन और कंधे पर दर्द है. मैं अभी भी रिकवरी की स्टेज में हूं.

सवाल- एक्शन करते वक़्त कभी डर लगा?

डर कई बार लगा, क्योंकि मुझे रियल गन से शूट करना था, जो भारी होने के साथ-साथ उसमें से एक आवाज भी निकलती है. एक्शन के पहले दिन पूरी रात मेरे कानों में उसकी आवाज गूंजती रही. मुझे पूरी रात नींद नहीं आई. धीरे-धीरे मैं उससे परिचित हुई हूं.

सवाल- प्रभास के साथ काम करना कैसा था?

वे बहुत ही सरल और उत्साही स्वभाव के है और उनके साथ काम करने में बहुत अच्छा लगा. उन्होंने हर दृश्य को मेरे लिए करना आसान बनाया.

सवाल- अभी आप अधिकतर एक्शन फिल्में कर रही है, एक्शन को लेकर ख़ास लगाव की वजह क्या है?

ऐसा कुछ नहीं है. मुझे ऐसी चरित्र करना है, जिसे मैंने अभी तक किया नहीं है. वही मुझे आकर्षित करती है. मेरे आगे आने वाली सभी फिल्में एक दूसरे से अलग है.

सवाल- आपके काम में पिता का कितना योगदान रहता है?

उन्होंने बहुत सारी फिल्में की है और हमेशा कुछ न कुछ सलाह देते रहते है. कई बार मैं अधिक काम की वजह से व्यस्त होती हूं, तो वे मुझे आराम करने और काम को आराम से करने की सलाह देते है. डेंगू के समय में तो उन्होंने मेरा घर से निकलना भी बंद कर दिया था. वे काम को हमेशा सामंजस्य के साथ करने की सलाह देते है.

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सवाल- क्या फिल्म ‘सायना’ को छोड़ने का रिग्रेट है?

मैं उस फिल्म के साथ काफी समय से जुड़ चुकी थी और बहुत सारा समय भी मैंने उसमें लगाया था, लेकिन रेमो फर्नांन्डीज ने मुझे ‘स्ट्रीट डांसर’ का औफर दिया. उन्हें मैं गुरु मानती हूं, क्योंकि उन्होंने मुझे अच्छा मौका आगे बढ़ने के लिए दिया है. इसके अलावा उस दौरान मुझे डेंगू भी हुआ था, ऐसे में दोनों फिल्मों को मैं एक साथ नहीं कर पाती थी. इसलिए छोड़ना पड़ा, क्योंकि दोनों के डेट्स क्लैश कर रहे थे. रिग्रेट तो नहीं हुई, पर ऐसा जरुर लगा कि काश मैं दोनों को कर पाती, तो बहुत अच्छा होता. मैं खुश हूं कि फिल्म सायना बन रही है और मैं जानती हूं कि परिणीति चोपड़ा उसमें अच्छा काम करेंगी.

सवाल- खाली समय में आप क्या करती है?

मुझे परिवार के साथ घूमने में मजा आता है, क्योंकि थोडा सुकून काम से मिलता है. अभी समय का अभाव है, इसलिए कही कुछ जाने का नहीं बन पा रहा है. मेरे पिता सबसे बड़े कार्टून है और छुट्टियों को हमारे साथ खूब एन्जौय करते है. खूब मौज-मस्ती करते है. इसके अलावा मुझे अपनी बालकनी बहुत पसंद है, जिसमें मैंने कई तरह की पौधे उगाये है, जिसे मैं देखती और एन्जौय करती हूं.

सवाल- रियल लाइफ में आप दोस्त और दोस्ती को कितना पसंद करती है?

मैं अपने दोस्तों के समूह को सबसे अधिक मिस करती हूं. जहां हमें उनकी जरुरत होती है. मेरे स्कूल के दोस्त है, जो अभी तक मेरे साथ है. मैं बहुत अधिक दोस्ती किसी के साथ नहीं करती. मेरे सबसे अधिक आलोचक मेरे पुराने दोस्त ही हैं. किसी काम को सही या गलत, वे आसानी से बता देते हैं. एक मेरे फैशन की भी अच्छी दोस्त है, जो मेरे फैशन की आलोचक हैं.

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सवाल- आप फैशन को लेकर कितनी अधिक जागरूक है?

मैं बहुत सिंपल हूं और आरामदायक ड्रेस पहनना पसंद करती हूं, लेकिन जहां सजने सवरने की जरुरत होती है, मैं वहां तैयार होती हूं.

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