त्यौहार से सकारात्मकता और बौन्डिंग आती है – प्राजक्ता माली

कई मराठी फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में काम करने वाली मराठी अभिनेत्री प्राजक्ता माली एक भरतनाट्यम डांसर है. उन्होंने डांस के क्षेत्र में कई कामयाबी हासिल की और एक डांस शो के दौरान उन्हें अभिनय का भी मौका मिला. वह आज एक स्थापित कलाकार है और कला के माध्यम से दर्शकों को मनोरंजन देना पसंद करती है. उसके इस सफ़र में उसके माता-पिता ने बहुत सहयोग दिया और आज वे उसकी कामयाबी से खुश है. उसे अपना परिवार और उनके साथ समय बिताना बहुत पसंद है. दिवाली का त्यौहार वह अपने परिवार के साथ मनाती है और अपने रिश्तेदारों से मिलने जाती है. अभी वह एक कॉमेडी रियलिटी शो ‘हास्य जत्रा’ में एंकरिंग कर रही है. उनसे बात करना रोचक था, पेश है कुछ अंश.

सवाल-अभिनय के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

जब में 6 साल की थी तब मेरी मां ने मुझे भरतनाट्यम क्लास में भेजा था. तब से मैं इसे सीख रही हूं और गुरु के नृत्य को परफौर्म करते देख रही हूं, ऐसे में धीरे-धीरे पैशन होता गया. मेरे दो गुरु स्वाति दातार और परिमल फड़के है. जिन्होंने मुझे नृत्य की अच्छी प्रशिक्षण दी. मैंने जब स्टेज पर परफौर्म करना शुरू किया, तो लोग जानने लगे और मुझे अभिनय का अवसर सामने से आने लगा. मैं एक के बाद एक करती गयी और आज यहां पहुंची हूं.

सवाल-अभिनय कब शुरू किया?

प्रोफेशनली अभिनय मैंने साल 2011 से शुरू किया है. इसके बाद जो भी काम आता गया, मैं करती गयी.

सवाल-परिवार का सहयोग कैसा रहा?

मेरी मां ने मुझे बहुत सहयोग दिया है. किसी भी मीटिंग, औडिशन या शूटिंग के समय वह हमेशा मेरे साथ रहती थी. उन्होंने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा है. मानसिक और वित्तीय रूप से भी उन्होंने बहुत सहयोग दिया. मैं पुणे की हूं,पर अब मुंबई में रहती हूं.

सवाल-पहला ब्रेक कब और कैसे मिला?

शुरुआत में मैंने एक मराठी आर्ट फिल्म ‘सान्धरा’ में एक लीड एक्ट्रेस की यंग चरित्र करने का मौका मिला. फिर मुझे एक शो एंकरिंग का अवसर मिला. इससे मुझे काम करना आगे आसान होता गया.

सवाल-आप एक भरतनाट्यम डांसर है, उस दिशा में आपने क्या-क्या किया है?

मैंने भरतनाट्यम में उच्च शिक्षा ली है और परफोर्मेंस करती हूं. इसके अलावा पुणे में मेरी 7 भरतनाट्यम डांस स्कूल है, जहाँ बहुत सारी लड़कियां डांस सीखती है.

सवाल-संघर्ष कितना रहा ?

बहुत संघर्ष रहा, क्योंकि मैंने डांस सीखा है, जबकि अभिनय बहुत अलग है. शुरू-शुरू में मुझे बहुत मेहनत करने पड़े. क्लासिकल डांस की वजह से अभिनय तो आ जाता है, पर वह बहुत ही लाउड होता है, जो टीवी पर सही नहीं बैठता. किसी भी क्लासिकल डांस में संवाद नहीं होते,केवल आंखों से सब व्यक्त करना पड़ता है. ऐसे में आंखे बड़ी-बड़ी कर संवाद बोलना सही नहीं होता था. टीवी पर उसे सीखना पड़ा. इसे ठीक करने के लिए फिल्में देखना और रीडिंग शुरू किया. टीवी की तकनीक को समझने में समय लगा. अभी काम्प्लेक्स चरित्र करने में भी मुश्किल होता है. मैं अलग-अलग भूमिका करने की कोशिश कर रही हूं और वही बड़ी चुनौती है.

सवाल-हिंदी फिल्मों और वेब सीरीज में कब आ रही है?

हिंदी फिल्मों में भी काम करना है, पर वेब सीरीज के लिए अभी मैं तैयार नहीं. उसमें काफी बोल्ड सीन्स होते है. जिसे करने में मैं सहज नहीं. अगर फिल्म या वेब सीरीज में किसी सीन को कलात्मक दृष्टि से फिल्माया जाता है, तो मैं उसे कर सकती हूं, पर न्यूडिटी मुझे पसंद नहीं. मुझे पैन इंडिया लेवल पर काम करने की इच्छा है.

सवाल-कोई ऐसी प्रोजेक्ट जिसने आपकी जिंदगी बदल दी हो?

जी मराठी पर आई शो ‘जुलूनी येती रेशीमगाठी’ जिसमें मैंने मेघना की भूमिका निभाई थी और शो काफी हिट हुई. उससे मुझे लोकप्रियता मिली. उसके बाद मैंने कई शो किये. वित्तीय रूप से मजबूत बनी और अपना घर मुंबई में ले लिया. इसके बाद मेरी दूसरी शो ‘नक्तिच्या लग्नाला यायचा हा’ भी सफल रही. इस शो को करते-करते मैं अंदर से खुश होती गयी. इससे मुझे उसे करने में भी अच्छा लगने लगा था.

सवाल-आप रियल लाइफ में कैसी है?

मैं कई सारे ह्यूमन बीइंग की मिक्सर हूं. हर परिस्थिति में मैं अपने आप को ढाल लेती हूं और खुश रहना पसंद करती हूं.

सवाल-आप कितनी फैशनेबल और फूडी है?

मैं आरामदायक वस्त्र पहनना पसंद करती हूं. इसके अलावा मैं वेजिटेरियन हूं और महाराष्ट्रियन फ़ूड पसंद करती हूं. सब लोग वेजिटेरियन हो ये भी बताती रहती हूं.

सवाल-क्या कोई ड्रीम है?

मुझे ‘बाहुबली’ की तरह फिल्में पसंद है और वैसी फिल्में हिंदी में करना चाहती हूं.

सवाल-त्यौहार को मनाना क्यों जरुरी है? दिवाली को कैसे मनाती है? बचपन की कुछ यादें जिसे आप शेयर करना चाहे? गृहशोभिका के लिए मेसेज क्या है?

त्यौहार को मनाना बहुत जरुरी है, ये एक सोशल गेदरिंग होता है, जहां पता चलता है कि आपकी ख़ुशी में कोई और शामिल है. अकेलापन नहीं आता. ये अनुभव आज बहुत जरुरी हो गया है. इससे जो सकारात्मकता और बॉन्डिंग आती है वह व्यक्ति को रिफ्रेश करती है, जो काफी समय तक साथ में रहता है. दिवाली भी ऐसी ही एक त्यौहार है, जिसमें दिए जलाकर घर को रौशनी से भर दिया जाता है. जो हम कभी बाद में नहीं करते. सारे त्यौहार व्यक्ति के तनाव को दूर कर उनमें उमंग भर देते है, इसलिए इसे मनाना जरुरी है.बचपन से ही मैं इसे मनाती आ रही हूं. इस दिन मैं रंगोली बनाती हूं और बहुत सारे दिए जलाती हूं. नए कपड़े आज भी पहनती हूं. मराठी व्यंजन घर पर दिवाली के बाद भी एक महीने तक बनता रहता है.

महिलाएं अपने लिए समय निकाले और सबके साथ त्यौहार को मनाये. इसमें पुरुष भी भागीदार बनें.

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