एक बदनाम–आश्रम 3 ! मीडिया के सामने निकला प्रकाश झा का डर

अपने बेखौफ और बेबाक विषयों से समाज को सच्चाई का आइना दिखानेवाले , सत्ता की राजनीति हो या आस्था के नाम पर धर्म गुरुओं की राजनीति, बिना किसी भय के सच्ची कहानियों को बड़े पर्दे पर दिखाने की इनकी कला कमाल की हैं . जी हा, बेखौफ और निडरता से हर कहानी को बड़ी ही बारीकी से कह देनेवाले डायरेक्टर प्रकाश झा ने हाल ही में आश्रम 3 के प्रेस कॉन्फ्रेंस पहली बार कहा की हां,उन्हे भी डर लगता हैं. जब किसी अनचाही हलचल या विरोध का सामना होता हैं.

मुंबई में जुहू के पांच सितारा होटल में रखी गई MX Player की सबसे बड़ी वेब श्रृंखला एक बदनाम–आश्रम 3 के प्रेस कांफ्रेंस पर जब डायरेक्टर प्रकाश झा को पूछा गया कि आश्रम के पहले सीजन में उनके खिलाफ एफ. आई.आर दर्ज की गई और अब के सीजन में उनपर स्याही फेकी गई ऐसे में लगातार हो रहे हंगामों से क्या वो डर भी जाते हैं?

इनपर प्रकाश झा कहते हैं,“ आश्रम के बारे में ऐसा हैं कि कही कुछ भी हो सकता हैं , कोई कुछ भी कर सकता हैं. क्योंकि हमने विषय ही ऐसा चुना हैं जो समाज का विषय हैं लोगो से संबंध रखता हैं , लेकिन यहां किसी एक व्यक्ति या कल्पना की कहानी नहीं हैं. और मैं ये कहूं की मुझे डर नही लगता ये भी गलत बात हैं. लेकिन डर के जीना भी अच्छा नहीं लगता, तो उसके साथ जीता हूं. और हमेशा से मन करता हैं कि जो कहना हैं वो तो कहना ही हैं. किसी व्यक्ति को अगर व्यक्तिगत रूप से चोट पहुंचाए बिना कुछ कह सकूं,तो मैं कोशिश करता हूं की उसे कहूं अब चाहे वो राजनीतिक हो चाहे हो धार्मिक हो या चाहे वो व्यवसायिक हो. बाकी पत्थर फेंके जाते हैं , गालियां पड़ती हैं, एफ आई आर दर्ज होते हैं चलो कोई नही लोगों के हाथ मजबूत होंगे”.

आश्रम के बॉबी बाबा निराला का चोला पहनकर मायाजाल फैला रहे हैं ऐसे में, जब प्रकाश झा की पूछा गया कि उन्हें बॉलीवुड में वो किसे बाबा निराला समझते है तो उन्होंने हंसकर कहा कि” मेरे सारे दोस्त तो मुझे ही बाबा निराला समझते हैं . मुझसे बड़ा निराला तो कोई हैं ही नहीं . मैं किसी और का नाम क्यों लू”. खैर हसकर प्रकाश झा ने मीडिया के सवालों का बड़ी ही सहजता से जवाब दिया .

आपको बता दे की इस प्रेस कांफ्रेंस में डायरेक्टर और प्रोड्यूसर प्रकाश झा के अलावा दर्शन कुमार, अध्यन सुमन, सचिन श्रॉफ, राजीव सिद्धार्थ, त्रिधा चौधरी ,अनुप्रिया गोयनका और MX Player के सी सी ओ गौतम तलवार भी मौजूद थे. एक बदनाम –आश्रम 3 , MX player पर 3 जून से स्ट्रीम की जाएगी जिसे लोग मुफ्त में देख सकेंगे.

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परीक्षा: प्रकाश झा की बेहतरीन मकसद वाली फिल्म

निर्माता: प्रकाश झा प्रोडक्शन

लेखक व निर्देशक: प्रकाश झा

कलाकार: आदिल हुसैन, प्रियंका बोस, शुभम झा, संजय सुरी, सीमा सिंह व अन्य.

ओटीटी प्लेटफॉर्म: जी 5

अवधि: एक घंटा 42 मिनट

रेटिंग: साढ़े तीन स्टार

इस फिल्म में प्रकाश झा ने शिक्षा पद्धति पर कुठाराघात करने और  प्रतिदिन महंगी होती शिक्षा के साथ-साथ समाज के तथाकथित समाज सुधारकों पर भी कटाक्ष किया है.

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कहानी:

सत्य घटनाक्रम पर आधारित यह कहानी बिहार के एक रिक्शा चालक बच्चू पासवान (आदिल हुसैन) की है, जो कि रांची की अंबेडकर नगर बस्ती में रहता है. और रांची के अंग्रेजी भाषा स्कूल “सफायर इंटरनेशनल” के बच्चों को अपने रिक्शे में बैठाकर स्कूल छोड़ने  और शाम को उनके घर पहुंचाने का काम करता है. उसका अपना बेटा बुलबुल( शुभम झा )सरकारी स्कूल में हिंदी माध्यम में पड़ता है. जबकि उसकी पत्नी राधिका( प्रियंका बोस) एक स्टील बरतन की फैक्ट्री में बफिंग का काम करती है .सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती. अक्सर शिक्षक गायब रहते हैं .अपने बेटे बुलबुल को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए बच्चू पासवान “सफायर इंटरनेशनल स्कूल” की प्रिंसिपल( सीमा सिंह) से बात करके प्रवेश दिलाता है .बुलबुल की प्रवेश परीक्षा में बुलबुल की मेधावी प्रतिभा से स्कूल के शिक्षक प्रभावित होते हैं. स्कूल की लंबी चौड़ी फीस, ट्यूशन फीस और स्कूल की पोशाक आदि के खर्च को महज रिक्शा चलाकर पूरा करना बच्चू के लिए मुश्किल हो जाता है . इसलिए वह छोटी-मोटी चोरियां करने लगता है.

एक दिन चोरी करते हुए बच्चू पासवान पकड़ा जाता है. पर वह अपने बेटे बुलबुल की जिंदगी को संवारने के लिए पुलिस के सामने जुबान नहीं खोलता है. अपना नाम तक नहीं बताता है .मामला रांची के एसएसपी कैलाश आनंद (संजय सुरी) तक पहुंचता है. एसएसपी को बच्चू की जेब से बुलबुल के बारे में पता चलता है. वह बुलबुल के स्कूल में जाकर बुलबुल के बारे में जानकारी लेकर  परेशान हो जाते हैं. क्योंकि स्कूल की प्रिंसिपल बताती हैं कि बुलबुल स्कूल का मेधावी छात्र है और उसके पिता बच्चू एक रिक्शा चालक हैं. अब एसएसपी, बुलबुल की मदद करने का सोचते हैं .वह अंबेडकर नगर बस्ती में जाकर बुलबुल व उसके साथियों को पढ़ाना शुरू करते हैं. यह बात स्थानीय विधायक को पसंद नहीं आती है. इस बीच बुलबुल के पिता बच्चू को 3 साल की सजा हो जाती है. 10वीं की बोर्ड परीक्षा से पहले प्रीलियम में बुलबुल टाप करता है. एक चोर का बेटा पढ़ने में इतना तेज हो यह बात स्कूल के दूसरे बच्चों के माता-पिता को पसंद नहीं आता है. यह प्रभावशाली लोग मंत्री जी से बात कर  एसएसपी का तबादला करवा देते हैं. उसके बाद सभी माता-पिता स्कूल के मैनेजमेंट पर दबाव बनाते हैं कि वह बुलबुल को बोर्ड की परीक्षा न देने दे . पर बुलबुल ब परीक्षा देता है और स्कूल का नाम रोशन करता है.

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लेखन व निर्देशन:

फिल्म में एक संवाद है-” औकात से ज्यादा सपने दिखा दिया..”यह संवाद बहुत कुछ कह जाता है.जी हां! हिंदी भाषी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा जब नौवी कक्षा में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पहुंचता है ,तो उसे अपने सह पाठियो के व्यवहार के अलावा क्या-क्या झेलना पड़ता है, इसका इस फिल्म में  फिल्मकार ने एकदम सटीक चित्रण किया है.

इस फिल्म में फिल्मकार ने देश के एक विशाल तबके को अपनी क्षमता का एहसास करने से रोकने के लिए समाज के प्रभावशाली तबके द्वारा  तमाम तरह के सामाजिक व्यवस्था आर्थिक अड़चन पैदा करता है, इसका एक यथार्थ चित्रण किया है.तेज गति से भागती हुई साधारण कहानी ना सिर्फ दर्शकों को बांध कर रखती हैं, बल्कि निर्देशक जिस बात को कहना चाहते हैं, वह बात लोगों के दिलों तक पहुंच जाती है .समाज में अमीर व गरीब के बीच की खाई का असर किस तरह से लोगों के जीवन, स्वास्थ्य व शिक्षा पर पड़ता है ,इस पर भी कुठाराघात किया गया है.समान शिक्षा का सपना किस तरह टूट रहा है, इस पर कटाक्ष करती है. यह फिल्म इस पर भी बात करती है कि आर्थिक व सामाजिक अड़चनों के चलते किस तरह निकले तबके के गरीब बच्चे प्रतिभाशाली होने के बावजूद सही शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं.

फिल्म के निर्देशक प्रकाश झा बिहार से भली भांति परिचित हैं. इसी वजह से उन्होंने रांची शहर और अंबेडकर नगर  बस्ती की बारीकियों और वहां की वेशभूषा व भाषा का भी इस फिल्म में सफल चित्रण किया है.

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अभिनय:

आदिल हुसैन की अभिनय क्षमता पर कभी कोई शक नहीं किया जा सकता. उन्होंने एक दलित रिक्शा चालक बच्चू पासवान के किरदार को न सिर्फ अपने अभिनय से संवारा ,बल्कि उन्होंने इस किरदार को पूरी संजीदगी के साथ जिया है. एक पिता किस तरह अपने बेटे को बेहतर इंसान बनाने के लिए संघर्ष करता है, उस संघर्ष को आदिल हुसैन ने अपने अभिनय से जीवंतता  प्रदान की है .आदिल हुसैन का पूरा साथ दिया है उनकी पत्नी के किरदार में प्रियंका बोस ने. प्रियंका ने भी  शानदार अभिनय किया है. जबकि बाल कलाकार शुभम झा ने  कमाल का अभिनय किया है. यह उसकी पहली फिल्म है, पर वह एक मझा हुआ कलाकार के रूप में उभरता है. संजय सूरी, सीमा सिंह व अन्य कलाकारों ने भी ठीक-ठाक अभिनय किया है.

प्रकाश झा की वेब सीरीज में नजर आएंगे चन्दन रौय सान्याल

कहा जाता है कि अगर कंटेंट अच्छा हो तो एक्टर अपने उस चैरेक्टर के लिए लोगों के दिलों पर छाप छोड़ जाते हैं. अभिनेता चंदन रौय सान्याल ने अपने कई उल्लेखनीय फिल्मों के माध्यम से अपने अभिनय का प्रदर्शन किया है.

अभिनेता चन्दन रौय सान्याल जल्द ही एक दिलचस्प वेब सीरज में नजर आएंगे और इस सीरीज को कोई और नहीं बल्कि प्रकाश झा डायरेक्ट कर रहे हैं. हालांकि अभी तक इस सीरीज की कहानी को पूरी तरह रिवील नहीं किया गया है.  इस शो में अभिनेता बौबी देओल भी नजर आएंगे.

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चन्दन इस बारे में बताते हैं, “मैंने हमेशा कहता हूं कि वेब एक्टर्स और फिल्म मेकर्स के लिए बहुत ही बढ़िया प्लेटफार्म है . अब इस सीरीज के जरिए मुझे मेरे पसंदीदा डायरेक्टर प्रकाश झा के साथ काम करने का मौका भी मिल रहा है. इस शो की कहानी बहुत ही दिलचस्प है और मैं बहुत खुश हूं कि मुझे प्रकाश झा और बौबी देओल के साथ इस शो में काम करने का मौका मिला. मैं इस शो के बारे में ज्यादा तो नहीं बता सकता लेकिन मैं ये जरूर कहूंगा कि आपको इस शो में हमारा एक अलग पक्ष देखने को मिलेगा. ”

हाल ही में चन्दन फिल्म ‘जबरिया जोड़ी’ में नजर आये थे इसके अलावा वे भ्रम, हवा बदले हसु इन वेब शो में भी नज़र आये थे . हाल ही में उनकी बंगाली फिल्म ‘उरोजहाज द फ्लाइट’ ने कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में काफी तारीफें बटोरी.

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