प्रैगनैंसी में भी पाएं फ्लौलेस स्किन

मां बनना हर औरत के लिए एक बड़ा ही सुखद अहसास होता है. लेकिन प्रैगनैंसी के समय एक औरत को बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ता है. उसमें कई तरह के शारीरिक बदलाव आते हैं जिनकी वजह से स्किन डार्क, डल और काफी सैंसिटिव हो जाती है. इसके अलावा इस समय शरीर पर मौजूद बाल भी अधिक बढ़ते हैं. जी हां, इस समय आपके बाल बहुत तेजी से बढ़ते हैं और ऐसें में आपको हेयर रिमूव करने की जरूरत होती है. लेकिन इस समय आपको इन सब बातों को लेकर काफी अजीब लगता है कि इसे कैसे क्लीन करें, क्योंकि इस समय बालों को रिमूव करना थोड़ा रिस्की होता है.

इसी वजह से न्यू मौम अपनी स्किन के लिए सेफ ब्यूटी प्रोडक्ट का यूज करना चाहती है और जब प्रैगनैंसी में हेयर रिमूव करने की बात हो तो उसके लिए वीट हेयर रिमूवल क्रीम काफी सेफ है, क्योंकि ये खासतौर पर सैंसिटिव एरिया को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिसे आप बिना डरे अप्लाई कर सकती हैं.

1. ये प्रौडक्ट है सेफ

प्रैगनैंसी के दौरान आप हेयर रिमूवल क्रीम का उपयोग बिना डरे कीजिए, क्योंकि ये पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके प्रयोग से आपको किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि क्रीम को 5 मिनट से ज्यादा स्किन पर न लगाएं और फिर पानी से धो दें. हेयर रिमूवल क्रीम का चयन अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर ही करें. इसलिए वही चुनें जो है सही.

2. हाइजीन का रखें खयाल

प्रैगनैंसी के दौरान पार्लरों में जा कर महिलाएं वैक्स तो करा लेती हैं, लेकिन वहां हाइजीन का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जाता है और यदि आप प्रैगनैंट हैं तो आपके लिए वहां जाना बिल्कुल भी सही नहीं है, क्योंकि पार्लरों में कई तरह की महिलाएं आती है और सभी के लिए उन्हीं तौलियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो आपको इस्तेमाल करने के लिए दिया गया होता है, जिस से इन्फैक्शन होने का खतरा रहता है, इसलिए अगर इन्फैक्शन से बचना चाहती हैं, तो वीट क्रीम का इस्तेमाल कीजिए.

3. दर्द से पाएं छुटकारा

प्रैगनैंसी के दौरान स्किन ज्यादा सैंसिटिव हो जाती है और ऐसे समय पर वैक्स से अनचाहे बालों को हटाना काफी दर्द भरा होता है. लेकिन वीट हेयर रिमूवल क्रीम आपको इस दर्द से राहत देती है, क्योंकि हेयर रिमूवल क्रीम सिल्क और फ्रैश टैक्नोलौजी के साथ उपलब्ध है. वीट आपके बालों को जड़ों से हटाती है और आपकी स्किन लंबे समय तक सौफ्ट रहती है. यह अपना काम सिर्फ 3 मिनट में शुरू कर देती है और आपको लैग्स, अंडरआर्म्स और आर्म्स के बालों से निजात दिलाती है. हेयर रिमूवल क्रीम नौर्मल, सैंसिटिव और ड्राई सभी प्रकार की स्किन के लिए मौजूद है.

4. आपके ग्लो को रखेगा बरकरार

महिलाएं हर समय सुंदर दिखना चाहती हैं लेकिन ऐसा किसी रूल बुक में नहीं लिखा कि प्रैगनैंट महिला सुंदर दिखने के लिए कुछ नहीं कर सकती है. हालांकि, इस दौरान आपकी त्वचा में निखार आना स्वाभाविक है लेकिन किसी फंक्शन में जाना हो या पार्टनर के साथ डेट पर जा कर खुशनुमा पल बिताने हों तो वीट से पाएं फ्लौलेस स्किन ताकि वो आपकी स्किन को टच करे बिना रह न पाएं.

प्रैगनैंट वूमन के लिए ड्राइविंग टिप्स

रोड दुर्घटना के प्रमुख कारण हैं तेज चलाना, नशे में ड्राइव करना, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना आदि. इन के अतिरिक्त खराब सड़कें और सिटी प्लानिंग भी दुर्घटनाओं के कारण हो सकते हैं.

महिलाएं और कार ऐक्सीडैंट

आजकल शहरों में महिला कार ड्राइवरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. इन में कुछ नियमित रूप से दफ्तर आनेजाने के लिए इस्तेमाल करती हैं तो कुछ दूसरे निजी काम के लिए. वर्किंग वूमन तो प्रैगनैंसी में भी ड्राइव कर दफ्तर जाती हैं. प्रैगनैंसी में लाइफस्टाइल, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बदलाव आने स्वाभाविक हैं. उन को स्वयं और गर्भस्थ शिशु दोनों का ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ड्राइव करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.

छोटेमोटे कार ऐक्सीडैंट में कोई खास हानि नहीं होती है पर यदि ज्यादा चोटें आएं तो उन में निम्न तरह की हानि का खतरा रहता है:

मिसकैरेज:

हालांकि बेबी गर्भ में एम्नियोटिक द्रव में प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहता है फिर भी किसी बड़ी घटना में यूटरस पंक्चर होने का खतरा रहता है, जिस के चलते मिसकैरेज हो सकता है.

प्री मैच्योर बर्थ:

दुर्घटना के समय होने वाले स्ट्रैस या उस के चलते बाद में हुए स्ट्रैस से समय से पूर्व प्री मैच्योर प्रसव हो सकता है.

गर्भनाल का टूटना:

दुर्घटना के आघात के चलते गर्भनाल यूटरस से टूट कर अलग हो सकती है जिस के चलते बेबी गर्भ से बाहर आ सकता है. प्रैगनैंसी के अंतिम कुछ सप्ताह में इस की आशंका ज्यादा होती है.

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हाई रिस्क प्रैगनैंसी:

हाई रिस्क प्रैगनैंसी उसे कहते हैं जब प्रैगनैंसी के दौरान शिशु अथवा मां या दोनों के स्वास्थ्य पर निरंतर नजर रखना जरूरी हो जाता है जैसे मां के डायबिटीज, हाईब्लड प्रैशर आदि बीमारी या बहुत कम या अधिक आयु में प्रैगनैंसी में कुछ समस्याएं होती हैं.  ऐसे में मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को डाक्टर के यहां चैकअप और अल्ट्रासाउंड आदि टैस्ट के लिए बारबार जाना पड़ सकता है. ऐसी महिला को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

यूटरस इंजरी:

प्रैगनैंसी में यूटरस बड़ा हो जाता है और कार ऐक्सीडैंट में पेट में चोट लगने से यूटरस के फटने का खतरा रहता है. ऐसे में मां और शिशु दोनों की जान खतरे में पड़ सकती है.

बर्थ डिफैक्ट:

कार ऐक्सीडैंट में यूटरस को आघात पहुंचने से भू्रण में कुछ दोष होने की संभावना रहती है. यह बर्थ डिफैक्ट इस बात पर निर्भर करता है कि बेबी कितना पहले हुआ है और चोट कितना ज्यादा है.

भ्रूण को आघात:

कार दुर्घटना में मां के पेट में ज्यादा चोट लगने से बेबी को औक्सीजन सप्लाई में बाधा पहुंच सकती है. शिशु के शरीर के ब्रेन या अन्य किसी खास अंग में चोट लगने से उस में दूरगामी समस्या की आशंका रहती है.

कू  और कंट्रा कू इंजरी:

कार ऐक्सीडैंट में 2 तरह की हैड इंजरी होती हैं- कू और कंट्रा कूं इंजरी. कू इंजरी तब होती है जब कार में बैठी महिला का सिर स्टीयरिंग से टकरा जाए और सिर में सामने की ओर चोट आए. यह आघात लगने की जगह की प्रथम इंजरी है, इस में ब्रेन में दूसरे आघात की संभावना भी रहती है. कंट्रा कू इंजरी तब होती है जब आगे में लगी सिर की चोट पीछे ब्रेन तक पहुंचती है.

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खोपड़ी के अंदर ब्रेन आघात के चलते गतिशील हो जाता है और ब्रेन खोपड़ी के पिछले भाग से जा टकराता है. कू और कंट्रा कू इंजरी दोनों ही हालत में महिला को तो काफी खतरा होता ही है, साथ में गर्भस्थ शिशु पर भी इस के प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका रहती है.

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सावधानियां

– ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करें .

– सीट बैल्ट अवश्य लगाएं. सिर्फ सीट बैल्ट लगाना ही काफी नहीं है, इसे ठीक से लगाएं ताकि यह आप के शरीर को सही स्थिति में रख सके. सीट बैल्ट आप की चैस्ट की बोनी (हड्डी) एरिया और जंघा के निकट पेट और पेल्विस एरिया के ऊपर ठीक से बांधने पर यह मां और शिशु दोनों को सुरक्षित रखती है. शोल्डर स्ट्रैप को दोनों स्तनों के बीच रखें. कुछ लोगों का कहना होता है कि सीट बैल्ट शिशु के लिए अच्छा नहीं है, यह मात्र वहम है. किसी दुर्घटना की स्थिति में यह जीवन रक्षक है या कम से कम आघात लगे, इतना तो सुनिश्चित करती ही है.

– अपना ध्यान ड्राइविंग पर केंद्रित रखें, किसी अन्य विषय में ध्यान न भटकने दें.

– ड्राइव करते हुए फोन का उपयोग न करें. यदि आवश्यक हो तो हैंड फ्री डिवाइस अपनाएं.

– म-पान या अन्य नशीली वस्तु लेने के बाद ड्राइव न करें.

प्रैग्नेंट वूमन के लिए बेस्ट हैं ये 11 आउटफिट्स

प्रैगनैंट होने का मतलब यह नहीं कि आप फैशन ट्रैंड्स को फौलो करना छोड़ दें. मैटरनिटी आउटफिट के साथसाथ बाजार में ऐसे और कई आउटफिट्स हैं, जो आप को प्रैगनैंसी के दौरान भी सुपर स्टाइलिस्ट लुक दे सकते हैं. ऐसे आउटफिट्स का चुनाव करते वक्त किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, बताया फैशन डिजाइनर शिल्पी सक्सेना ने:

1. शिफ्ट ड्रैस

औफिशियल मीटिंग में शिफ्ट ड्रैस क्लासी लुक देती है, इसलिए अपने वार्डरोब में शिफ्ट ड्रैस भी जरूर शामिल करें. स्टाइल के साथ कंफर्ट भी चाहती हैं, तो ए लाइन वाली शिफ्ट ड्रैस खरीदें. हौट लुक के लिए स्पैगेटी स्ट्रैप्स या स्कूप नैक वाली शिफ्ट ड्रैस पहनें.

2. जंपसूट

क्यूट लुक के लिए प्रैगनैंसी के दौरान आप जंपसूट ट्राई कर सकती हैं. इस के साथ कभी टीशर्ट तो कभी शर्ट पहन कर एक ही जंपसूट से आप 2 डिफरैंट लुक पा सकती हैं. स्लिम लुक के लिए ब्लैक जंपसूट चूज करें.

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3. मैक्सी ड्रैस

शौर्ट ट्रिप या बीच पर जाने का मन बना रही हैं, तो मैक्सी ड्रैस को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बनाएं. सफर के लिए इस से बेहतर और आरामदायक आउटफिट और कोई नहीं. स्टाइलिस्ट लुक के लिए मैक्सी ड्रैस पर बैल्ट लगा लें.

4. रैप ड्रैस

ऐलिगैंट लुक के लिए रैप ड्रैस भी ट्राई कर सकती हैं. चूंकि यह ऐडजस्टेबल होती है, इसलिए इसे पूरे 9 महीने ही नहीं, बल्कि प्रैगनैंसी के बाद भी पहना जा सकता है. चाहें तो रैप ड्रैस के बजाय रैप टौप भी पहन सकती हैं.

5. स्टोल

अपने प्लेन आउटफिट को स्मार्ट लुक देने के लिए वार्डरोब में कलरफुल स्टोल का कलैक्शन भी जरूर रखें. स्टोल बेबी बंप को कवर करने के भी काम आता है. अगर आप टीशर्ट पहन रही हैं, तो स्टोल के बजाय स्कार्फ पहनें.

6. वन पीस ड्रैस

प्रैगनैंट होने का यह मतलब नहीं कि आप पार्टी अटैंड करना छोड़ दें. ईवनिंग पार्टी जैसे खास मौके पर वन पीस ड्रैस पहन कर आप ग्लैमरस नजर आ सकती हैं. पार्टी की जान बनना चाहती हैं, तो औफशोल्डर फ्लोर स्विपिंग वन पीस ड्रैस पहनें.

7. ट्यूनिक

अगर आप औफिस गोइंग वूमन हैं, तो अपने वार्डरोब में 2-4 ट्यूनिक को जरूर जगह दें. औफिस में फौर्मल लुक के लिए ट्यूनिक बैस्ट है. इसे आप लैगिंग और जींस दोनों के साथ पहन सकती हैं. थाइज लैंथ, ब्रेसलेट स्लीव्स और वीनैक ट्यूनिक प्योर फौर्मल लुक के लिए बैस्ट हैं.

8. मैटरनिटी जींस

प्रैगनैंसी के दौरान आप अपनी स्किनी जींस न सही, लेकिन मैटरनिटी जींस जरूर पहन सकती हैं. स्ट्रैची मैटीरियल से बनी जींस काफी कंफर्टेबल होती है. जींस के साथ फ्लेयर टौप पहन कर आप बेबी बंप को कवर कर सकती हैं.

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9. स्कर्ट

कैजुअल लुक के लिए स्कर्ट से बढि़या औप्शन और कोई नहीं. अगर आप स्टाइल के साथ कंफर्ट भी चाहती हैं, तो हाई वेस्ट स्कर्ट खरीदें, जो आप के बढ़ते बेबी बंप के साथ आसानी से ऐडजस्ट हो सके. सेमीकैजुअल लुक के लिए स्कर्ट के साथ टौप पहनें और ऊपर से श्रग या डैनिम की स्लीवलैस जैकेट पहन लें.

10. लैगिंग

अपने मैटरनिटी वार्डरोब में डिफरैंट शेड्स की 3-4 लैगिंग्स जरूर रखें. लैगिंग काफी कंफर्टेबल होती है. स्ट्रैचेबल होने के कारण इसे पहन कर आप आसानी से उठबैठ भी सकती हैं. स्मार्ट लुक के लिए लैगिंग के साथ लौंग टौप, ट्यूनिक या कुरती पहनें.

11. जौगर

प्रैगनैंसी के दौरान अपने स्वैटपैंट्स के कलैक्शन को जौगर से रिप्लेस करें. स्वैटपैंट्स

के मुकाबले इस का लुक ज्यादा खूबसूरत नजर आता है. इसे जौगिंग के दौरान ही नहीं, बल्कि औफिस में भी पहन सकती हैं. अगर आप स्पोर्टी लुक पसंद करती हैं, तो जौगर के साथ लूज टीशर्ट पहनें.

कार्डिगन

फैशनेबल लुक के लिए अपने वार्डरोब में कार्डिगन रखना न भूलें. यह कभी आउट औफ फैशन नहीं होता. इसे आप टीशर्ट या टौप के

साथ पहन सकती हैं. स्टाइलिश लुक के लिए कार्डिगन को ओपन रखें. इसे बैल्ट या बटन से कवर न करें.

कम बजट में मैटरनिटी शौपिंग

ज्यादा पैसे खर्च किए बिना फैशनेबल नजर आना चाहती हैं, तो अपने वार्डरोब का मेकओवर कुछ इस तरह करें:

– फुल साइज 8-10 टौप खरीदने के बजाय 2-3 मैटरनिटी टौप खरीद लें.

– मैटरनिटी जींस या लैगिंग दोनों में से कोई एक खरीदें.

– मैटरनिटी पैंट या फिर हाई वेस्ट स्कर्ट खरीदें. दोनों खरीदने की जरूरत नहीं.

– स्मार्ट लुक के लिए कार्डिगन या जैकेट दोनों में से कोई एक काफी है.

– वार्डरोब में 2 से ज्यादा शिफ्ट, रैप या शौर्ट ड्रैस न रखें.

#coronavirus: प्रेग्नेंट महिला का रखें खास ख्याल

कोरोनावायरस को लेकर सुझाव और सावधानी की बातें रोज अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर सुर्ख़ियों में है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को कोविड-19 के इन्फेक्शन के बारें में अभी तक कुछ सावधानी नहीं बताया गया है, हालांकि हेल्थ केयर सेंटर्स इस बारें में अधिक से अधिक जानकारी हमेशा देती है ताकि मोर्बिडीटीकी रेट कम हो. ये सही है कि स्वस्थ बच्चे के लिए स्वस्थ माँ का होना बहुत जरुरी है, ताकि किसी भी प्रकार की इन्फेक्शन नवजात बच्चे और माँ को न पहुंचे.

इस बारें में पुणे की मदरहुड हॉस्पिटल की स्त्री एवम् प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश्वरी पवार कहती है कि प्रेगनेंसी में कुछ बातें हमेशा याद रखने की जरुरत होती है, ताकिमाँ एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें. क्याप्रेग्नेंट महिला को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है? पूछे जाने पर डॉ. पवार कहती है कि प्रेगनेंसी में एक महिला की इम्युनिटी कम हो जाती है, इसलिए उनके लिए खास ध्यान देने की जरुरत घर पर रहकर करने की होती है, ताकि किसी भी प्रकार से वह संक्रमित न हो.इसके लिए उचित खान-पान, साफ-सफाई आदि की जरुरत पड़ती है. जब तक बच्चा गर्भ में रहता है,उसे किसी प्रकार के वायरस एटैक नहीं कर सकते. जन्म के बाद ही उसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होता है.

चीन से प्रसारित मेडिकल लिटरेचर में ये देखा गया है कि जिस प्रेग्नेंट महिला का कोविड-19 ब्लड टेस्ट पॉजिटिव था, उनकेएम्नियोटिक फ्लूइडमें कोविड -19 पॉजिटिव नहीं था, इसके अलावा बेबी के जन्म के बाद भी उनके थ्रोट स्वाब भीनिगेटिव था.

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ये सही है कि प्रेग्नेंट महिला अपनी देखभाल अच्छी तरह से करती है, इसलिए उनकी संख्या बाकियों से कम मिली.रिपोर्टेड केस के बारें में पूछने पर डॉ. पवार आगे कहती है कि लिटरेचर में मिली जानकारी के अनुसार केवल एक महिला ही कोरोना की पोजिटिव चीन में पायी गयी, जिसकोसीवियर रेस्पिरेटरी सिम्पटम्स 30 सप्ताह की प्रेगनेंसी में देखने को मिली और उन्हें वेंटिलेशन पर रखना पड़ा. ऐसे में सीजेरियन सेक्शन से बच्चे और माँ को बचा लिया गया.

क्या प्रेग्नेंट महिला में कोरोना के लक्षण अलग होते है? पूछे जाने पर डॉक्टर कहती है कि ऐसा कुछ अलग लक्षण उनमें नहीं होता. वैसे ही कफ,फीवर सांस लेने में तकलीफ होती है. सीवियर होने पर निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेलियर और अंत में वेंटिलेशन की जरुरत पड़ती है. कोविड-19 की वजह से मिसकैरिज की कोई घटना अभी तक सामने नहीं आई है. इसके अलावा जन्मजात दोष कोई बच्चे में होगी या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है, क्योंकि ये वायरस नया है और अधिक रिसर्च इस पर हुआ नहीं है. अगर ये फिटस (fetus) याप्लेसेंटा(placenta) कोक्रॉसकरतीहैतोक्याहोगाअभीइसेबतानामुश्किलहै. ऐसे में आज के माहौल को देखते हुए कुछ सावधानियां प्रेग्नेंट महिलाओं को अवश्य रखने की जरुरत है,जो निम्न है,

  • अगर आप कही बाहर गए हो तो, अपने डॉक्टर की ऑब्जरवेशन में रहे,
  • खुद को 2 सप्ताह के लिए आइसोलेशन में रखें,अर्थात इस दौरान न तो किसी से मिले और न ही किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें, किसी के साथ घुलने मिलने से बचे, अच्छी तरह से वेंटीलेटेड कमरे में रहे,किसी के साथ टॉवेल, साबुन, प्लेट्स, कप्स, स्पूंस आदि को किसी परिवार के सदस्यों के साथ शेयर न करें,
  • अर्जेंट मेडिकल केयर की अगर जरुरत पड़े, तो हॉस्पिटल में जाएँ और अपनी हिस्ट्री पूरी तरह से डॉक्टर को बताएं, ताकि अस्पताल आपका केयर अच्छी तरह से कर सकें,
  • अगर किसी भी प्रकार के जांच की सलाह डॉक्टर देती है, तो उसे जरुरत के अनुसार अवश्य करवाएं.

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जानिए क्यों प्रेग्नेंसी के दौरान लात मारता है बच्चा

प्रेग्नेंसी के दौरान प्रैग्नेंट महिलाओं को खुद में अनेक प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं. जैसे-जैसे समय बीतता है यह बदलाव बढ़ता चला जाता है इस बदलाव के साथ प्रैग्नेंट महिलाओं को पेट में पल रही नन्हीं सी जान यानी की बच्चा और उसकी हरकतों में भी बदलाव महसूस होने लगता है. जैसे की बच्चे का पेट में पैर मारना हालांकि यह एहसास मां और परिवार वालों के लिए बहुत ही खास होता है. इसको महसूस करने का मजा तो सभी लेते है, लेकिन इस के पीछे का कारण क्या है इस से सभी अंजान है. प्रैग्नेंट महिलाएं भी समझ नहीं पाती आखिर बच्चा पैर क्यों मारता है. अगर आप भी इस के बारे में नहीं जानते तो आप नीचे दिए गए पौइंट्स को जरूर पढे. इसमें हम आपको बताएंगे ऐसे 6 कारण जिस वजह से प्रेंग्नेसी के दौरान बच्चें पैर मारते हैं.

प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के पैर मारने से जुड़े 6 कारण

1. बच्चा है हेल्दी

अगर महिला की प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चा पेट में लात मारता है या ऐसी कुछ हरकत करता है, तो इसका मतलब है कि बच्चा अंदर बिल्कुल स्वस्थ है. यह एक प्रकार से बच्चे का स्वस्थ होने का संकेत है.

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2. सही पोषण भरपूर एनर्जी

प्रैग्नेंट महिला जब कुछ खाती है तब बच्चा अधिक लात मारता है. दरअसल, मां के खाना खाने के बाद शिशु को उस भोजन से एनर्जी और पोषक तत्व मिलते है, जिससे बच्चा पेट में हलचल या लात मरने लगता है.

3. जब प्रैग्नेंट महिला लेटती है बाईं तरफ

बाईं तरह लेटने या सोने से शिशु के तरफ रक्त की आपूर्ति में वृद्धि हो जाती है. जब प्रैग्नेंट महिलाएं बाईं तरफ सोती है तब बच्चा पेट में हलचल या लात मरने लगता है.

4. जब बच्चा बाहरी परिवर्तन महसूस करने लगें

गर्भ में पल रहा बच्चा जब बाहरी परिवर्तन को महसूस करने लगता है तब वह भी अपनी प्रतिक्रिया देने की कोशिश करता है. ऐसे में बच्चा पेट में लात मारना शुरू कर देता है.

5. औक्सीजन में जब न हो रुकावट

सही रूप से औक्सीजन मिलने पर बच्चा अंदर स्वस्थ और एक्टिव रहता है. अगर गर्भ में पल रहा बच्चा लात नहीं मारता इसका मतलब है उसे औक्सीजन लेने में  दिक्कत है या फिर उसे पर्याप्त रूप से औक्सीजन नहीं मिल रहा है.

6. नौवें हफ्ते के बाद शुरू होती है शिशु का लात मारने का प्रतिक्रिया

प्रैग्नेंट महिला के पेट में पल रहा बच्चा 9 सप्ताह बाद पेट में लात मारना शुरू करता है. अगर महिला दूसरी बार प्रैग्नेंट होती है तो शिशु 13 सप्ताह बाद यह प्रक्रिया शुरू करता है.

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Edited by Rosy

गर्भवती महिला को ना दें दुख, बच्चे पर पड़ेगा असर

गर्भावस्था के दौरान महिला को बहुत सी चीजों का ख्याल रखना पड़ता है. बच्चे की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला को अच्छा आहार और अच्छा वातावरण मिले. गर्भ में पल रहे बच्चे पर मां के खानपान और रहन सहन का सीधा असर पड़ता है. इस दौरान गर्भवती महिला के मन में पैदा होने वाली भावनाओं का भी सीधा असर बच्चे पर पड़ता है.

गर्भावस्था के दौरान मां का शरीर काफी नाजुक होता है. इस दौरान उसका शरीर और दिमाग, दोनों बेहद नाजुक होते हैं. कई बार घर में कुछ ऐसा होता है जिससे  गर्भवती महिला के मन में नकारात्मक या दुख: के भाव पैदा होते हैं. ऐसा होने से बच्चे पर काफी बुरा असर पड़ता है.

हाल ही में एक ताजा शोध के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान अगर मां दुखी रहती है तो इसका बुरा असर बच्चे के दमाग पर पड़ता है. इस शोध में ये बात सामने आई कि गर्भावस्था किसी भी तरह की दुख वाली खबर से पेट में पल रहे बच्चे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जिसके बाद उसे मानसिक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.

जानकारों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान महिला को कोई भी बुरी खबर ना मिले इसको पूरी तरह से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. पर हां, खान-पान पर ध्यान देकर और मां का विशेष ख्याल रख बच्चे पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है.

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