रोड दुर्घटना के प्रमुख कारण हैं तेज चलाना, नशे में ड्राइव करना, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना आदि. इन के अतिरिक्त खराब सड़कें और सिटी प्लानिंग भी दुर्घटनाओं के कारण हो सकते हैं.

महिलाएं और कार ऐक्सीडैंट

आजकल शहरों में महिला कार ड्राइवरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. इन में कुछ नियमित रूप से दफ्तर आनेजाने के लिए इस्तेमाल करती हैं तो कुछ दूसरे निजी काम के लिए. वर्किंग वूमन तो प्रैगनैंसी में भी ड्राइव कर दफ्तर जाती हैं. प्रैगनैंसी में लाइफस्टाइल, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बदलाव आने स्वाभाविक हैं. उन को स्वयं और गर्भस्थ शिशु दोनों का ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ड्राइव करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.

छोटेमोटे कार ऐक्सीडैंट में कोई खास हानि नहीं होती है पर यदि ज्यादा चोटें आएं तो उन में निम्न तरह की हानि का खतरा रहता है:

मिसकैरेज:

हालांकि बेबी गर्भ में एम्नियोटिक द्रव में प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहता है फिर भी किसी बड़ी घटना में यूटरस पंक्चर होने का खतरा रहता है, जिस के चलते मिसकैरेज हो सकता है.

प्री मैच्योर बर्थ:

दुर्घटना के समय होने वाले स्ट्रैस या उस के चलते बाद में हुए स्ट्रैस से समय से पूर्व प्री मैच्योर प्रसव हो सकता है.

गर्भनाल का टूटना:

दुर्घटना के आघात के चलते गर्भनाल यूटरस से टूट कर अलग हो सकती है जिस के चलते बेबी गर्भ से बाहर आ सकता है. प्रैगनैंसी के अंतिम कुछ सप्ताह में इस की आशंका ज्यादा होती है.

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हाई रिस्क प्रैगनैंसी:

हाई रिस्क प्रैगनैंसी उसे कहते हैं जब प्रैगनैंसी के दौरान शिशु अथवा मां या दोनों के स्वास्थ्य पर निरंतर नजर रखना जरूरी हो जाता है जैसे मां के डायबिटीज, हाईब्लड प्रैशर आदि बीमारी या बहुत कम या अधिक आयु में प्रैगनैंसी में कुछ समस्याएं होती हैं.  ऐसे में मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को डाक्टर के यहां चैकअप और अल्ट्रासाउंड आदि टैस्ट के लिए बारबार जाना पड़ सकता है. ऐसी महिला को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

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