क्या प्राइवेट पार्ट की स्किन ढीली हो जाती है?

सवाल

मैं 24 साल की युवती हूं. 3-4 महीने बाद मेरी शादी होने वाली है. मैं ने अभी तक किसी के साथ सैक्स संबंध नहीं बनाए पर नियमित मास्टरबेशन करती हूं. मुझे लगता है कि इस से प्राइवेट पार्ट की स्किन ढीली हो गई है. इस वजह से बहुत तनाव में रह रही हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

जिस तरह सैक्स करने से प्राइवेट पार्ट की स्किन लूज नहीं होती, उसी तरह मास्टरबेशन से भी स्किन पर कोई फर्क नहीं पड़ता और वह ढीली भी नहीं होती है. यह आप का एक भ्रम है. हकीकत तो यह है कि किसी अंग के कम उपयोग से ही उस में शिथिलता आती है न कि नियमित उपयोग से. आप अपनी शादी की तैयारियां जोरशोर से करें और मन में व्याप्त भय को पूरी तरह निकाल दें. आप की वैवाहिक जिंदगी पर इस का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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मैं 25 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं. ससुराल और मायका आसपास ही है. इस वजह से मेरी मां और अन्य रिश्तेदार अकसर ससुराल आतेजाते रहते हैं. पति को कोई आपत्ति नहीं है पर मेरी सास को यह पसंद नहीं. वे कहती हैं कि तुम अपनी मां से बात करो कि वे कभीकभी मिलने आया करें. हालांकि ससुराल में मेरे मायके के लोगों का पूरा ध्यान रखा जाता है, मानसम्मान में कमी नहीं है मगर सास का मानना है कि रिश्तेदारी में दूरी रखने से संबंध में नयापन रहता है. इस वजह से घर में क्लेश भी होता है पर मैं अपनी मां से कहूं तो क्या कहूं? एक बेटी होने के नाते मैं उन का दिल नहीं दुखाना चाहती. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब

आप की सास का कहना सही है. रिश्ते दिल से निभाएं पर उन में उचित दूरी जरूरी है. इस से रिश्ता लंबा चलता है और संबंधों में गरमाहट भी बनी रहती है.अधिकांश मामलों में देखा गया है कि जब बेटी का ससुराल नजदीक होता है तब उस के मायके के रिश्तेदारों का बराबर ससुराल में आनाजाना होता है और वे अकसर पारिवारिक मामलों में दखलंदाजी करते हैं. इस से बेटी का बसाबसाया घर भी उजाड़ जाता है.भले ही हरेक सुखदुख में एकदूसरे का साथ निभाएं पर रिश्तों में दूरियां जरूर रखें. इस से सभी के दिलों में प्रेम व रिश्तों की मिठास बनी रहती है.आप अपनी मां से इस बारे में खुल कर बात करें. वे आप की मां हैं और यह कभी नहीं चाहेंगी कि इस वजह से घर में क्लेश हो. हां, एक बेटी होने का दायित्व भी आप को निभाना होगा और इसलिए एक निश्चित तिथि या अवकाश के दिन आप खुद भी मायके जा कर उन का हालचाल लेती रहें.आप उन से फोन पर भी नियमित संपर्क में रहें, मायकेवालों के सुखदुख में शामिल रहें. यकीनन, इस से घर में क्लेश खत्म हो जाएगा और रिश्तों में मिठास भी बनी रहेगी.

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मेरी पीठ में तेज दर्द होता है कृपया मुझे इस का कारण और समाधान बताएं?

सवाल

मेरी उम्र 60 साल है. पिछले महीने स्ट्रोक के कारण मैं जमीन पर सीने के बल गिर पड़ा, जिस के बाद मेरे सीने और रीढ़ में असहनीय दर्द उठा था. हालांकि एक अच्छे अस्पताल में इलाज कराया गया, लेकिन इलाज के बाद भी मेरी पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द हो रहा है, जिस के कारण न तो मैं बैठ कर खापी रहा हूं और न ही करवट बदल पा रहा हूं. कृपया मुझे इस का कारण और समाधान बताएं?

जवाब

आप के इस दर्द का कारण आर्थ्राइटिस या पुराने इलाज की कोई गलती हो सकती है. आप ने जिस अस्पताल में इलाज कराया है उन्हें इस समस्या की जानकारी दें. अस्पताल में आप की पीठ की एमआरआई की जाएगी. उस से दर्द का कारण पता चल जाएगा. कारण के अनुसार आप का उचित इलाज किया जाएगा. चूंकि आप को स्ट्रोक की समस्या थी और उम्र भी ज्यादा है, इसलिए किसी भी प्रकार के दर्द को हलके में न लें. समस्या हलकी होने पर सिर्फ मैडिकेशन से काम बन जाएगा. अनदेखा करने पर यह दर्द वक्त के साथ गंभीर हो सकता है. इसलिए बिना देर किए इस की जांच कराएं.

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मेरी उम्र 70 साल है. मेरे जोड़ों में अकसर दर्द बना रहता है. इलाज चल रहा है, लेकिन कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. परिवार वालों का कहना है कि इस उम्र में तो दर्द होना आम बात है, लेकिन मेरे लिए यह दर्द बरदाश्त करना मुश्किल हो रहा है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई और तरीका है?

जवाब

इस उम्र में शरीर कई बीमारियों की चपेट में आने लगता है. इस उम्र में दर्द की शिकायत सभी को होने लगती है लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इस से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है. आप ने बताया कि आप का इलाज चल रहा है. हर इलाज की एक प्रक्रिया होती है, जिस का असर होने में समय लगता है. हालांकि आज दर्द से नजात पाने के कई नौन इनवेसिव विकल्प मौजूद हैं, जैसेकि रेडियोफ्रीक्वैंसी ट्रीटमैंट, जौइंट रिप्लेसमैंट, रीजैनरेटिव मैडिसिन आदि. अपने डाक्टर से सलाह कर जरूरत के अनुसार उचित विकल्प का चुनाव कर सकती हैं. इस के साथ ही अपनी जीवनशैली और आहार में सुधार करें. अच्छा खाना खाएं, व्यायाम करें, हफ्ते में 2 बार जोड़ों की मालिश कराएं, शराब और धूम्रपान से दूर रहें, नियमित रूप से जोड़ों की जांच कराएं.

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मेरे कंधों में अचानक से दर्द होने लगता है, कोई उपाय बताएं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है. पिछले कुछ दिनों से मेरे कंधों में अचानक दर्द होने लगता है. मुझे दवाइयां खाना बिलकुल पसंद नहीं है. कृपया इस से छुटकारा पाने का कोई और उपाय बताएं?

जवाब

समय बदल चुका है और साथ ही लोगों की जीवनशैली भी, जिस के कारण युवा और कम उम्र के व्यस्क भी शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द से परेशान होने लगे हैं. वहीं अधिकतर लोग इस दर्द को अनदेखा करते रहते हैं, जो वक्त के साथ समस्या को गंभीर करता रहता है. यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि इलाज से बेहतर बीमारी की रोकथाम है. जी हां, यदि आप रोकथाम के तरीके अपनाएं तो बीमारी आप को छू भी नहीं पाएगी. बढ़ती उम्र के साथ बढ़ते दर्द से बचने के लिए एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली का पालन करें. स्वस्थ आहार का सेवन करें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें, रोजाना ऐक्सरसाइज के लिए समय निकालें, तनाव से दूर रहें, वजन को नियंत्रण में रखें. ऐसा करने से आप एक लंबी उम्र तक स्वस्थ शरीर पा सकते हैं.

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मेरी उम्र 65 साल है. 2010 में मेरी पीठ और पैर में तेज दर्द उठा था. इलाज के लिए रीढ़ की 5 बार सर्जरी की गई. हालांकि सर्जरी की मदद से मुझे पैर के दर्द से राहत तो मिल गई है लेकिन पीठ दर्द अभी भी परेशान करता है. यहां तक कि मेरा उठनाबैठना तक दूभर हो गया है. कृपया इस का इलाज बताएं?

जवाब

सही इलाज के लिए समस्या का कारण पता होना जरूरी है. इसलिए सब से पहले इस की जांच कराएं. रेडियोफ्रीक्वैंसी एब्लेशन आरएफए, रीढ़ के जोड़ों में होने वाली दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है. दिल्ली में ऐसे कई अस्पताल हैं, जहां इस तकनीक का उपयोग किया जाता है. इस इलाज की मदद से आप को 18 से 24 महीनों के लिए दर्द से पूरी तरह से राहत मिल जाएगी. रीढ़ की जिन नसों में दर्द होता है उन के पास खास प्रकार की सूइयां लगाई जाती हैं. खास उपकरणों की मदद से रेडियो तरंगों द्वारा निकले करंट का उपयोग कर के इन नसों के पास एक छोटे हिस्से को गरमाहट दी जाती है. यह नसों से मस्तिष्क तक जाने वाले दर्द को कम करता है, जिस से आप को दर्द से राहत मिल जाएगी. इस इलाज के कई फायदे हैं जैसेकि आप को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाएगी, तेज रिकवरी होगी और कामकाज भी तुरंत शुरू कर पाएंगी.

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मेरे पिता जी की उम्र 62 वर्ष है, क्या उनके लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट, जरूरी है क्या?

सवाल

मेरे पिताजी की उम्र 62 वर्ष है. उन की एक किडनी 70% काम कर रही है. दूसरी लगभग 20% मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या इस के लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपचार है?

जवाब

डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता तब होती है जब किडनी फेल्योर हो चुका हो. किडनी फेल्योर शब्दावली तब इस्तेमाल की जाती है जब दोनों किडनियां काम करना बंद कर देती हैं. अगर एक किडनी ठीक प्रकार से काम कर रही है तो सामान्य जीवन जीया जा सकता है. जिन्हें किडनी से संबंधित बीमारियां हैं वे ऐक्सरसाइज, डाइट और दवाइयों से इसे नियंत्रित कर किडनी फेल्योर के खतरे को कम कर सकती हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि आप के पिताजी की एक किडनी जो ठीक प्रकार से काम कर रही है उसे स्वस्थ रखने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएं ताकि उन्हें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे स्थितियों का सामना न करना पड़े.

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मुझे पिछले 10 वर्षों से डायबिटीज है. कुछ दिनों से मुझे हाथों, टखनों और पैरों के पंजों में सूजन की समस्या हो रही है. इस का कारण क्या हो सकता है?

जवाब

दरअसल, डायबिटीज केवल एक रोग नहीं मैटाबौलिक सिंड्रोम है जिस का प्रभाव किडनियों सहित शरीर के प्रत्येक अंग और उस की कार्यप्रणाली पर पड़ता है. हाथों, टखनों और पैरों के पंजों में सूजन की समस्या डायबिटिक नैफरोपैथी के कारण हो सकती है. डायबिटीज से पीडि़त 30-40त्न लोगों में डायबिटिक नैफरोपैथी के कारण किडनियां खराब हो जाती हैं. आप अपने यूरिन की जांच कराएं. यूरिन में एल्ब्यूमिन का आना और शरीर में क्रिएटिनिन बढ़ना डायबिटिक नैफरोपैथी के संकेत हैं. अगर यूरिन में माइक्रो एल्ब्यूमिन नहीं आ रहा है तो किडनियों पर असर नहीं हुआ है. डायबिटिक नैफरोपैथी को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन उपचार के द्वारा इस के गंभीर होने की प्रक्रिया को बंद या धीमा किया जा सकता है. उपचार में रक्त में शुगर के स्तर और रक्तदाब को जीवनशैली में परिवर्तन ला कर और दवाइयों से नियंत्रित रखा जा सकता है.

डा. जितेंद्र कुमार

चेयरमैन, रीनल साइंस ऐंड ट्रांसप्लांट मैडिसिन, एकार्ड सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, फरीदाबाद

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मेरे पति की किडनियां क्षतिग्रस्त हो गई है, मैं जानना चाहती हूं किडनी फेल्योर आखिर क्या है?

सवाल

डायग्नोसिस में पता चला है कि मेरे पति की किडनियां काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. मैं जानना चाहती हूं कि किडनी फेल्योर क्या होता है?

जवाब

किडनी फेल्योर तब होता है जब किडनियां आप के रक्त से अचानक व्यर्थ पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती हैं. जब किडनियां फिल्टर करने की क्षमता खो देती हैं तो शरीर में व्यर्थ पदार्थ खतरनाक स्तर तक इकट्ठा हो जाते हैं और रक्त में रसायनों का संतुलन गड़बड़ा जाता है. ऐक्यूट किडनी फेल्योर को ऐक्यूट रीनल फेल्योर भी कहते हैं. यह स्थिति कुछ घंटों या कुछ महीनों में विकसित हो सकती है. अत्यधिक बीमार लोगों में किडनी फेल्योर कुछ ही घंटों में हो जाता है. किडनी फेल्योर उसे कहा जाता जब दोनों किडनियां अपनी सामान्य गतिविधियों का 15-20त्न से भी कम कर पाती हैं. इस समस्या से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा निबटा जा सकता है.

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मैं किडनियों से संबंधित समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए जानना चाहती हूं कि किडनियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

जवाब

विश्व की लगभग 10त्न आबादी किडनी से संबंधित किसी न किसी समस्या से जूझ रही है. ऐसे में किडनियों को स्वस्थ्य रखना बहुत जरूरी है. जीवनशैली में कुछ जरूरी परिवर्तन ला कर किडनियों से संबंधित बीमारियों के खतरों को कम किया जा सकता है. इन में सम्मिलित हैं- संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करना, नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना, रक्त में शुगर के स्तर और रक्तदाब को नियंत्रित रखें, मोटापे से बचें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें.

-डा. जितेंद्र कुमार

चेयरमैन, रीनल साइंस ऐंड ट्रांसप्लांट मैडिसिन, एकार्ड सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, फरीदाबाद

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हेयर कलर करने के बाद मुझे फेस पर सूजन और आंखों में जलन होती है. मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे कलर करने के बाद अकसर माथे, कानों, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है. क्या यह ऐलर्जी हो सकती है?

जवाब

कुछ लोगों को बालों में कलर लगाने के बाद ऐलर्जिक रिएक्शन होता है. यह रिएक्शन मामूली असर वाला या फिर गंभीर भी हो सकता है. बालों में कलर करने के बाद यदि आप को सिर की स्किन में मामूली जलन या सनसनाहट महसूस हो तो यह ऐलर्जी की शुरुआत हो सकती है. अगर कलर करने के बाद आप के माथे, कानों, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है तो यह ऐलर्जी का गंभीर मामला हो सकता है. आप निम्न सावधानियां बरत कर बालों में हेयर डाई से होने वाले नुकसान से बच सकती हैं:

  •  जब भी आप किसी नए ब्रैंड का इस्तेमाल करें तो पहले उस के बारे में अच्छे से जानकारी ले लें. ऐसा देखा गया है कि कई बार कुछ लोग कलर बदलने से ऐलर्जी का शिकार हुए हैं. कोशिश करें कि आप लगातार एक ही अच्छा ब्रैंड उपयोग करें.
  •  ऐलर्जी से बचने के लिए पैच टैस्ट कर के देख लें. पैच टैस्ट किसी प्रोडक्ट के प्रति आप की स्किन की संवेदनशीलता के बारे में बताता है, इस के साथ ही आप को ऐलर्जिक रिएक्शन से भी बचाता है. इसलिए हेयर कलर बनाते समय लेवल पर दिए गए निर्देशों को पढ़ लें. कानों के पीछे का हिस्सा सब से ज्यादा संवेदनशील होता है. यह किसी भी प्रकार के ऐलर्जिक रिएक्शन के लक्षणों को तुरंत दिखाता है. आप इयर बड हेयर कलर के मिश्रण में डुबो कर कान के पीछे लगा लें. इसे 24 घंटे तक लगाए रखने से आप ऐलर्जी के प्रकोप से बची रहेंगी.
  •  कभीकभी आप हेयर कलर को निर्धारित समय से ज्यादा समय तक लगा कर रखती हैं तो यह आप के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है.

मुझे कैंसर से डर लगता है, कैंसर से बचने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?

सवाल

मुझे कैंसर से बहुत डर लगता है. लेकिन सब कहते हैं जिस को कैंसर होना है तो हो कर ही रहेगा. क्या इस से बचने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं?

जवाब

यह सही है कि कैंसर एक बहुत गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्या है. कैंसर किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन यह सही नहीं है कि इस से बचने के लिए आप कुछ नहीं कर सकते. कुछ उपाय हैं जिन के द्वारा आप कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकते हैं जैसे कैंसर से होने वाली कुल मौतों में से एकतिहाई धूम्रपान के कारण होती हैं. इस के अलावा खानपान की गलत आदतें, वजन अधिक होना और शारीरिक सक्रियता की कमी भी कैंसर के प्रमुख रिस्क फैक्टर है.

विश्वभर में हुए कई शोधों में यह बात सामने आई है कि कैंसर के कुल मामलों में से 25 से 30त्न स्वस्थ्य व पोषक भोजन का सेवन कर के, शारीरिक रूप से सक्रिय रह कर और मोटापे का शिकार न हो कर बचे रह सकते हैं.

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परिवार के 2 लोग और एक परिचित कैंसर से जूझ रहे हैं. पूरे विश्वभर में कैंसर के मामले भयावह तरीके से बढ़ रहे हैं. मैं जानना चाहती हूं कि इस के कारण क्या हैं?

जवाब

आधुनिक जीवनशैली और खानपान की बदली आदतों ने कैंसर का खतरा बढ़ दिया है. आज फास्ट और जंक, प्रोसैस्ड फूड का चलन बढ़ गया है जिस में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक और पोषकता कम होती है. गैजेट्स के बढ़ते चलन ने शारीरिक सक्रियता को काफी कम कर दिया है जिस के परिणामस्वरूप उर्जा का असंतुलन हो जाता है. विश्वभर में मोटापा एक महामारी की तरह फैल रहा है जो कैंसर का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है. अनिद्रा और तनाव का बढ़ता स्तर भी इस समस्या को और बढ़ा रहा है. –डा. देनी गुप्ता

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मेरी सास को ब्रेस्ट कैंसर है, ऐसे में इम्यूनो थेरैपी कराना कितना सही होगा?

सवाल

मेरी सास को स्तन कैंसर है. क्या उन के लिए इम्यूनो थेरैपी से उपचार कराना ठीक रहेगा?

जवाब

कैंसर के उपचार के लिए कई थेरैपियां उपलब्ध हैं. इन का चयन इस आधार पर किया जाता है कि कैंसर कौन से चरण में हैमरीज का संपूर्ण स्वास्थ्य कैसा है और उस की उम्र कितनी है. जिन मरीजों की उम्र 75 से 80 वर्ष हैकीमोथेरैपी और रेडिएशन थेरैपी के साइड इफैक्ट्स को देखते हुए टारगेटेड थेरैपी और इम्यून थेरैपी से उपचार करने का प्रयास किया जाता है.

बायोलौजिकल या इम्यूनो थेरैपी कैंसर के एडवांस ट्रीटमैंट में अपना एक अलग ही महत्त्व रखती है. इस में कैंसर से ग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए इम्यून तंत्र को स्टिम्युलेट किया जाता है. इस उपचार में मोनोक्लोनल ऐंटीबौडीजचैकपौइंट इनहिबिटर्सकैंसर वैक्सीनसाइटोकिन्स ट्रीटमैंट के द्वारा मरीज को ठीक किया जाता है.

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मेरे पति स्मोकिंग करते हैं. उन के फेफड़ों की स्थिति को देखते हुए डाक्टर ने उन्हें स्मोकिंग पूरी तरह बंद करने का सुझाव दिया है. क्या इस कारण मेरे और परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाएगा?

जवाब

विश्वभर में धूम्रपान को फेफड़ों के कैंसर का सब से बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है. आप धूम्रपान नहीं करतीं लेकिन अपने पति के कारण आप पैसिव स्मोकर तो हैं ही. ऐसे में आप के लिए फेफड़ों के कैंसर का खतरा सामान्य लोगों से अधिक है. आप अपने पति को धूम्रपान पूरी तरह बंद करने के लिए सम?ाएं. यह न केवल उन के लिए बल्कि आप और आप के परिवार के लिए भी अच्छा रहेगा. स्मोकिंग और सैकंड हैंड या पैसिव स्मोकिंग केवल फेफड़ों के कैंसर का ही खतरा नहीं बढ़ाता बल्कि श्वासमार्गमुख गुहाआहार नालअग्नाशयपेटआंतमलाशयमूत्राशयकिडनी जैसे 12 प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ाता है.

-डा. देनी गुप्ता

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मेरे पेरेंट्स को कैंसर है, क्या कैंसर होने से मैं हाई रिस्क कैटेगरी में आती हूं?

सवाल

मेरी मां को लिवर कैंसर और पिता को प्रोस्टेट कैंसर है. मैं अपने स्वास्थ्य को ले कर बहुत चिंतित हूं. क्या मातापिता दोनों को कैंसर होने से मैं हाई रिस्क कैटेगरी में आती हूं?

जवाब

यह सही है कि आनुवंशिक कारण कैंसर के लिए एक प्रमुख रिस्क फैक्टर्स में से एक है, लेकिन परिवार में जब 3 पीढि़यों तक कैंसर के मामले लगातार होते हैं तब उसे आनुवंशिक या हेरिडिटरी माना जाता है. आप के मातापिता दोनों को कैंसर है, इस से आप को घबराने की जरूरत नहीं है. उन में आपस में कोई रक्त संबंध नहीं है क्योंकि वे अलगअलग परिवारों से आते हैं इसलिए इसे आनुवंशिकता से संबंधित नहीं माना जा सकता है.

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डाक्टर मुझे कीमोथेरैपी के बाद स्टेरौयड भी दे रहे हैं. मैं ने पढ़ा है कि स्टेरौयड का सेवन नहीं करना चाहिए. क्या यह सेहत के लिए नुकसानदायक होता है?

अगर आप के डाक्टर आप को कीमोथेरैपी के साथ स्टेरौयड्स दे रहे हैं तो आप को जरूर लेना चाहिए. ये कीमोथेरैपी के साइड इफैक्ट्स से बचने के लिए दिए जाते हैं. कई बार तो ये कीमोथेरैपी का ही हिस्सा होते हैं. ऐसे में इन्हें लेने से कोई दिक्कत नहीं होती. इसलिए डाक्टर द्वारा सु?ाई सभी दवाइयां नियत समय पर और निर्धारित मात्रा में जरूर लें.

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मेरी उम्र 54 साल है. 5 साल पहले मेनोपौज हो गया था, लेकिन कभीकभी वैजाइना से ब्लीडिंग होती है. कोई खतरे की बात तो नहीं?

जवाब

मेनोपौज के बाद वैजाइना से ब्लीडिंग होना बिलकुल सामान्य नहीं है. ब्लीडिंग चाहे मेनोपौज के बाद हो या महावारी के बीच अथवा शारीरिक संबंध बनाने के बाद, महिलाओं को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. यह सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है. आप तुरंत किसी डाक्टर को दिखाएं, जरूरी जांचें कराएं और उपचार शुरू करें.

-डा. देनी गुप्ता

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मेरे पति को कोलैस्ट्रौल है, इसको कंट्रोल करने के लिए मैं क्या करूं?

सवाल

मेरे पति के कोलैस्ट्रौल का स्तर काफी अधिक है. इस के लिए क्या उपचार हैक्या घरेलू उपायों से भी कोलैस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है?

जवाब

कोलैस्ट्रौल को हृदयरोगों का सब से प्रमुख रिस्क फैक्टर माना जाता है. इस के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन लाएं. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करें. हलके और सुपाच्य भोजन का सेवन करें जिस में सैचुरेटेड फैट जैसे घी और मक्खन कम मात्रा मेंसब्जियांफल और साबुत अनाज अधिक मात्रा में हों. डीप फ्राई भोजन के सेवन से बचें. बाहर के फास्ट फूड से बचें क्योंकि इन में बारबार एक ही तेल का इस्तेमाल होता है.

कुल कोलैस्ट्रौल 200 से ज्यादा और एलडीएल कोलैस्ट्रौल 130 से ज्यादा है और उम्र 40 वर्ष से अधिक है तो दवा लेनी जरूरी है. दवा कोलैस्ट्रौल के स्तर को 1 महीने में 50त्न तक कम कर देती है.

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मेरे पिताजी का हृदय 60% काम कर रहा है. पूर्ण हार्ट फेल्योर से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

जवाब

अगर हृदय की कार्यप्रणाली 50% से अधिक है तो इसे सामान्य माना जाता है. जब हृदय 40त्न से भी कम काम करता है तो इसे हार्ट फेल्योर कहते हैं. इस के कारण सांस फूलनाथकानदिल की धड़कनें तेज होनापैरों में सूजन आना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. आप के पिताजी का हृदय 100त्न काम नहीं कर रहा हैतो ऐसे में उन्हें विशेष सावधानी रखने की जरूरत है. उन का रक्तदाबरक्त में शुगर और कोलैस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित रखें. समयसमय पर जरूरी जांचें कराते रहें.

-डा. आनंद कुमार पांडेय

डाइरैक्टर ऐंड सीनियर कंसल्टैंटइंटरनैशनल कार्डियोलौजीधर्मशिला नारायणा सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल 

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