गुस्सा क्यों आता है?

लेखिका- किरण सिंह

गुस्से में आदमी पागल हो जाता है इसलिए वह उस समय अनियंत्रित होकर कह देता है और क्या कर देता है उसे स्वयं नहीं पता होता है. हाँ गुस्सा शांत होने पर उसे अपनी गलती का एहसास जरूर होता है. किंतु कहा जाता है न कि कमान से निकला हुआ तीर और जुबान से निकली हुई बात कभी वापस नहीं आती तो ऐसी परिस्थिति में गुस्साये इन्सान के पास अफसोस के सिवा कुछ बचा भी नहीं रहता है.

लोगों को गुस्सा क्यों आता है, इसकी कई वजह हैं.

एक इंसान को कब, कैसे और किस बात से गुस्सा आता है यह उसकी उम्र, लिंग, संस्कृति, माहौल तथा परवरिश पर निर्भर करता है.

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कई बातें इंसान को गुस्सा दिला सकती हैं.

जैसे – जब उस इंसान के साथ नाइंसाफी होती है.

उसकी बेइज़्ज़ती की जाती है, या फिर उसका अधिकार छीनने की कोशिश की जाती है आदि.

ऐसी बहुत सी वजह  हैं जो इंसान को गुस्सा दिला सकती हैं.

गुस्सा आने पर  अलग-अलग व्यक्ति का अलग – अलग बर्ताव हो जाता है. कुछ लोगों की गुस्से की आग जितनी जल्दी धधकती है उतनी ही जल्दी  शांत भी हो जाती है तो कुछ लोगों के हृदय में  कई दिनों, महीनों या सालों तक  सुलगती रहती  है.

मनोवैज्ञानिक हैरी एल. मिल्ज़ का कहना है: “इंसान बचपन से ही गुस्सा करना सीखता है. वह बड़े-बुज़ुर्गों को गुस्सा करते देख उनकी नकल उतारने की कोशिश करता है.”

अगर एक बच्चे की परवरिश ऐसे माहौल में होती है, जहाँ माँ-बाप हमेशा एक-दूसरे से भिड़े रहते हैं और बात-बात पर चिल्लाते हैं, तो बच्चे को यही सीख मिल रही होती है कि मुश्‍किलों का सामना करने के लिए गुस्सा करना ज़रूरी है.

वैसे अधिकांश लोगों को भूख लगने पर तथा तनाव की स्थिति में गुस्सा आता है.  इस सम्बन्ध में वैज्ञानिकों का मत है कि  व्यक्ति के दिमाग में सिरोटोनिन हार्मोन के स्तर में होने वाला बदलाव दिमाग के उस हिस्से पर प्रभाव डालता है, जो गुस्से को नियंत्रित करता है. और यह बदलाव तब होता है जब कोई व्यक्ति भूखा या तनाव में होता है.

वैसे यदि व्यक्ति स्वयं चाहे तो गुस्से को नियंत्रित कर सकता है. इसके लिए समझना होगा कि गुस्सा आपको ही नुकसान पहुँचाता है.

गुस्से को नियंत्रित करने के उपाय :

गुस्सा आने पर सबसे पहले तो मौन साध लेना चाहिए, क्योंकि गुस्से में अक्सर मनुष्य जहर उगलने लगता है.

बचपन से ही हम अपने बड़े बुजुर्गों से सुनते आये हैं कि गुस्सा आने पर ठंडा पानी पी लेना चाहिए.

कुछ लोग कहते हैं कि उलटी गिनती गिनने से भी गुस्सा कम होता है.

बात करते वक़्त यदि गर्मागर्म बहस होने लगे तो क्षमासहित तर्क – वितर्क वहीं बन्द कर देना चाहिए .

मनपसंद गाना गाने या सुनने से भी गुस्सा कम होता है.

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कुछ अच्छा सोचें.

मनपसंद व्यंजन बनाना शुरू करें.

शापिंग करें.

इन सब से भी बात न बने तो योगा करें ,क्योंकि योग हमारे शरीर और मन की संतुलित कर , क्रोध को नियंत्रण करने में बहुत हद तक मदद करता है.

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