आपके हर काम में दखलअंदाजी करते हैं रिश्तेदार तो ऐसे करें इसका समाधान

रिश्तेदारों की दखलअंदाजी कई बार आपके लिए परेशानी बन जाती है. लेकिन आप रिश्ते खराब भी नहीं कर सकते. ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि आप इन्हें सावधानी के साथ हैंडल करें.

“श्वेता तुम हमारे भाई का ध्यान नहीं रखती !देखो ना इतनी गर्मी में भी पौधों को पानी दे रहे हैं . यह काम तो तुम भी कर सकती हो सारे दिन घर में अकेली रहती हो काम ही क्या है.”

जैसे ही यह शब्द सीता की ननद ने उसे बोले उसको बहुत बुरा लगा. श्वेता ने कहा,”आप अपना घर देखिए, यह हमारी जिंदगी है हम अपने आप देख लेंगे. हम नहीं चाहते कि हमारे दोनों के बीच में कोई तीसरा फालतू की दखलअंदाजी करे. आप हमें हमारी जिंदगी जीने दे!”

श्वेता के इस जवाब के बाद उसकी ननद ने फिर कभी दखलअंदाजी करने की कोशिश नहीं की.

जिंदगी में रिश्ते और रिश्तेदार दोनों का ही अपना महत्व है। लेकिन लगभग हर परिवार में कुछ रिश्तेदार ऐसे जरूर होते हैं जो आपकी जिंदगी में हमेशा दखल देते रहते हैं.  इस दखलअंदाजी के कारण आपकी जिंदगी में कई परेशानियां बढ़ने लगती हैं. लेकिन आप रिश्ते भी नहीं बिगाड़ सकते हैं. ऐसे में इन समस्याओं को आपको बहुत ही सावधानी के साथ सुलझाना चाहिए.

1. तय करें अपनी सीमाएं

साफ बोलो, सुखी रहो! यह बात हमेशा से ही हमारे बुजुर्ग बोलते हैं, जो काफी हद तक सही भी है. अपने रिश्तेदारों को यह स्पष्ट रूप से बताएं कि आप किस तरह का व्यवहार स्वीकार करते हैं और किस तरह का नहीं. अपनी सीमाओं को दृढ़ता से और स्पष्ट रूप से बताएं. यदि वे आपकी सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं तो उन्हें इसका साफ एहसास भी करवाएं. जैसे कि उनसे मिलना कम करना या उन्हें अपनी निजी जानकारी साझा करने से मना करना.

2. गुस्से से नहीं शांति से लें काम

जब रिश्तेदार आपकी जिंदगी में दखल दें तो गुस्से से नहीं शांति से काम लें. हालांकि गुस्सा या चिड़चिड़ा महसूस करना स्वाभाविक है लेकिन इससे स्थिति और खराब हो सकती है. गहरी सांस लें और शांत रहने का प्रयास करें. कोशिश करें अपना ध्यान भटका लें.

3. समझें उनका नजरिया

यह समझने की कोशिश करें कि आपके रिश्तेदार ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं. हो सकता है कि वे आपको लेकर चिंतित हों या मददगार बनने की कोशिश कर रहे हों. हालांकि ये हो सकता है कि वे गलत तरीके से ऐसा कर रहे हों. उनकी भावनाओं को स्वीकार करें, भले ही आप उनके कार्यों से सहमत न हों.

4. अपनी भावनाएं साफ बताएं

अगर आप लगातार रिश्तेदारों के दखल से परेशान हो रहे हैं तो उन्हें अपनी भावनाएं खुलकर बता दें. आप साफ बताएं कि उनकी राय भले ही कुछ भी हो, लेकिन आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं. आप उन्हें साफ बोलें कि जब आप मेरे फैसलों पर सवाल उठाते हैं तो मुझे निराशा महसूस होती है. इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि उनके शब्दों और कार्यों का आप पर क्या प्रभाव पड़ता है.

5. बातों को दिल पर न लें

जब आप जानते हैं कि आपके कुछ रिश्तेदारों का स्वभाव है हर बात या काम में दखल देना या अपनी राय देना तो ऐसे में आप बड़ा दिल रखें. यानी आप इन बातों को अपने दिल पर न लें. इन्हें एक कान से सुनें और दूसरे से तुरंत निकाल दें. साथ ही वहीं काम करें जो आप करना चाहते हैं. ऐसा करने पर सामने वाले को साफ पता चल जाएगा कि आप उनकी बातों को कोई महत्व ही नहीं देते.

लड़ाई के डर से इन बातों पर बहस करने से न डरें, जानें मजबूत रिलेशनशिप के राज

लड़ाई झगड़ा हर कपल में होता है, हालांकि कोई भी ऐसा जानकर नहीं करता. लेकिन कुछ बातों पर बहस करना आपकी जिंदगी को आसान बना सकता है.

“दीक्षा आजकल तुम दोनों पति-पत्नी में कुछ अनबन चल रही है क्या मैं काफी दिनों से देख रही हूं कि तुम लोग एक दूसरे से बात नहीं कर रहे?”

दीक्षा की सास के पूछते ही दीक्षा की आंखों में आंसुओं की झड़ी लग गई और उसने सुबकते हुए कहा,”हां छोटी सी बात थी लेकिन पता नहीं था कि इतना बड़ा तूल पकड़ लेगी. आपको याद है हम पिछले संडे रात को एक पार्टी में गए थे वहां पर अक्षय अपनी कलीग से बड़ा हंस-हंसकर बात कर रहे थे. मुझे थोड़ा अखरा और मैं ने बस अक्षय से बात करनी बंद कर दी. अक्षय ने पहले तो एक दो बार नराजगी की वजह जाननी चाही, पर बाद में उन्होंने भी बात करनी बंद कर दी.”

इतना बता कर दीक्षा रोने लगी. तब दीक्षा की सासू मां ने समझाया,” देख बेटा,जहां प्यार है, वहां तकरार भी होगी. ये बात तो हम सभी जानते हैं. हर रिश्ते पर यह बात लागू होती है. खासतौर पर कपल्स पर. जब दो लोग एक रिश्ते में होते तो दोनों के अपने-अपने विचार और तर्क होना स्वाभाविक है. लेकिन इन्हें सभ्य तरीके से सुलझाना आपके हाथ होना चाहिए. इससे रिश्ते बिगड़ते नहीं हैं. यही कदम दूरियों को नजदीकियों में बदल सकता है. तुम्हें बात करना नहीं छोड़ना चाहिए था.”

बात तो सही है, बहस के डर से कभी भी कुछ बातों पर ध्यान देना बिल्कुल न छोड़े। इनपर खुलकर अपना तर्क दें और अपना नजरिया भी बताएं। आइए जानते हैं विस्तार से –

1. खुलकर करें बात

क्या आपकी पत्नी को पसंद नहीं है कि आप अपनी कॉलेज या ऑफिस की महिला मित्रों से बात करते हैं. क्या आपके पति अक्सर आप पर शक करते हैं. इन दोनों ही स्थितियों में अपने पार्टनर से खुलकर, साफ बात करें. अगर आप समय पर इन शंकाओं और ईर्ष्या को दूर नहीं करेंगे तो यह बढ़कर एक बड़ी परेशानी बन सकते हैं. इसलिए इसपर भूलकर भी चुप्पी नहीं साधे.

2. पहल करने में न रहें पीछे

अगर आपकी अपने पार्टनर से लड़ाई हो गई है और आप दोनों ही एक दूसरे से गुस्सा हो तो ऐसे में अक्सर बातचीत का सिलसिला रुक जाता है. चाहते हुए भी कई बार साथी बात करने की पहल नहीं कर पाते. इससे एक दूसरे के मन की भावना समझ पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसा महसूस होने लगता है कि शायद सामने वाले की जिंदगी में आपकी कोई अहमियत ही नहीं. लेकिन इसकी बहुत संभावना है कि आपकी सोच गलत हो. हो सकता है कि आपका साथी आपकी पहल का इंतजार कर रहा हो. इसलिए गुस्से का पिटारा सिर से उतारकर आप शांत हो जाएं और अपने पार्टनर से खुलकर बात करें.

3. पसंद में बराबरी

‘मैंने सोचा है कि कल मेरे दोस्त के चलेंगे’,’मुझे तो संडे को सिर्फ सोना पसंद है, कहीं बाहर जाना मेरे बस की बात नहीं’, ये वो सामान्य बातें हैं, जो अक्सर आपने हर घर में सुनी होंगी. लेकिन रिश्ते में जब आप दो लोग हो तो इसमें ‘मैं’ की नहीं ‘हम’ की बात होनी चाहिए. अगर आपका साथी हमेशा अपनी पसंद आप पर थोपने की कोशिश करता रहता है और आपकी इच्छाओं के बारे में नहीं सोचता तो यह बहस का एक बड़ा मुद्दा है. हर किसी को ​एक ही जिंदगी मिलती है और रिश्ते उसे और भी खूबसूरत बनाने के लिए होते हैं, न कि बोझिल बनाने के लिए. अपने साथी को समझाएं कि जिंदगी का यह सफर आप दोनों को मिलकर तय करना है तो एक दूसरी की पसंद का ध्यान भी मिलकर ही रखना होगा.

4. मिलकर करें वित्त प्रबंधन

ऐसा तो लगभग हर कपल में आपने देखा होगा. एक साथी भविष्य के लिए बचत करने पर जोर देता है तो दूसरा आज को जीने में विश्वास रखता है. ऐसे में विचारों की यह भिन्नता अक्सर विवाद का कारण बन जाती है. हालांकि अपनी अपनी जगह पर दोनों ही सही हैं. इसलिए इस विषय पर शांति से बैठकर बात करें और बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश करें. जब आप एक दूसरे को आराम से सुनेंगे तो पक्का कोई न कोई हल आप निकाल ही लेंगे.  इससे एक सफल रिश्ते की नींव मजबूत होगी.

जानिए क्या है अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल, जिसके कारण रिलेशनशिप पर पड़ता है गहरा असर

अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोग रिश्ते तो बनाते हैं, लेकिन उनसे गहरा लगाव नहीं बना पाते।

पता नहीं स्वाति अर्नव अपने मन की बात खुलकर क्यों नहीं कहता? उसको अगर कोई परेशानी है तो खुलकर बोले… मुझे तो यही समझ में नहीं आता कि कौन सी बात उसको पसंद है और कौन सी नापसंद”…समीरा ने अपनी सहेली जो कि एक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर भी थी उससे अपने वैवाहिक जीवन की परेशानी साझा की।

इस पर स्वाति ने कहा,” इस ​दुनिया में अलग-अलग नेचर के लोग हैं। कोई दूसरों से मिलते ही एक रिश्ता जोड़ लेता है, तो कोई बात तक करने में असहज महसूस करता है, कुछ लोग रिश्ता तो बना लेते हैं पर आगे बढ़ने से डरते हैं। दरअसल, किसी भी व्यक्ति का स्वभाव काफी हद तक उसके अटैचमेंट स्टाइल पर निर्भर करता है।”

जी हां, अटैचमेंट स्टाइल, जिसके विषय में अधिकांश लोग जानते नहीं हैं। अटैचमेंट स्टाइल कई तरह के होते हैं। लेकिन इनमें से सबसे वीक होता है अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल। अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोग रिश्ते तो बनाते हैं, लेकिन उनसे गहरा लगाव नहीं बना पाते। अगर आप भी रिश्तों की ऐसी ही दुविधा में उलझे हैं तो आपको अवॉइडेंट अटैचमेंट के बारे में जानकारी होना जरूरी है।

आखिर क्यों लगाव से बचते हैं लोग

डॉक्टर स्वाति मित्तल, मनोवैज्ञानिक और सलाहकार, मैक्स हॉस्पिटल के मुताबिक अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोगों में आपको कई लक्षण नजर आते हैं। इस अटैचमेंट स्टाइल के लोग इमोशनली इनडिपेंडेंट होते हैं। वो किसी से भी नजदीकी बढ़ाने से डरते हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोग अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस नहीं कर पाते हैं, क्योंकि दूसरों पर भरोसा करने से वे डरते हैं। वे दूसरों से मिलने, जुलने से कतराते हैं। अपनी भावनाओं के बारे में बात करना पसंद नहीं करते हैं। अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोग अपनी समस्याओं को खुद हल करना चाहते हैं और दूसरों से मदद नहीं मांगते हैं। वे दूसरों से इमोशनली जुड़ने से भी डरते हैं।

ये हैं अवॉइडेंट अटैचमेंट के कारण

अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल वाले लोग किसी से भी रिलेशन बनाने से बचते हैं। वे अपनी फीलिंग्स आसानी से एक्सप्रेस नहीं कर पाते। इसके पीछे कई कारण हैं।

1. शुरुआती रिश्तों का असर

अटैचमेंट स्टाइल बचपन में ही विकसित हो जाती है। यानी घर-परिवार के वातावरण का बच्चों की मानसिकता पर असर पड़ता है। खासतौर पर पेरेंट्स के साथ संबंध का इस पर गहरा असर पड़ता है। अगर पेरेंट्स बच्चे को प्यार, देखभाल, समर्पण के साथ बड़ा करते हैं तो अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल विकसित होने की आशंका कम होती है। वहीं बच्चों से दुर्व्यवहार, प्यार की कमी, ज्यादा सख्ती से बच्चा अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल में खुद-ब-खुद चला जाता है।

2. ट्रोमा या नजरअंदाज करना

अटैचमेंट स्टाइल आपकी लाइफ में रिलेशनशिप और मेंटल पीस को भी इफेक्ट करती है। लेकिन इसकी नींव भी बचपन से ही जुड़ी है। यदि बच्चे की भावनाओं या जरूरतों की लगातार आलोचना हो या उसे खारिज किया जाए तो वह यह सीखता है कि अपनी भावनाओं को छिपाना और दूसरों से दूर रहना सेफ है। कई बार ट्रोमा इसका बड़ा कारण होता है, जैसे-हर बात पर बच्चों को नजरअंदाज करना, उन्हें सबके सामने डांटना, उनकी बात-बात पर बेइज्जती करना आदि भी अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल का कारण हो सकते हैं।

3. रिश्तों के बुरे अनुभव

कई बार आपका पास्ट, आपके प्रजेंट और फ्यूचर दोनों को इफेक्ट कर देता है। अवॉइडेंट अटैचमेंट इसका एक उदाहरण है। पास्ट में किसी का रिजेक्शन, रिश्ते की विफलता, धोखा आदि भी इसके कारण हो सकते हैं। ऐसे में लोग दूसरों पर विश्वास करना बंद कर देते हैं। वे किसी के नजदीक आने से डरने लगते हैं।

अवॉइडेंट पार्टनर के साथ ऐसे करें डील

अगर आपका पार्टनर भी अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल का है तो उसके साथ डील करना एक मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन यह नामुमकिन नहीं है। आप अपने प्यार और अपनेपन से उसमें बदलाव ला सकती हैं। लव-काइंडनेस मेडिटेशन इसमें आपका मददगार हो सकता है। इसी के साथ अपने पार्टनर की भावनाओं को समझने की कोशिश करें। पार्टनर को जज करने की जगह उसे कूल करने की कोशिश करें। उसे अपनी स्पेस दें और खुद उसके दिल में स्पेस बनाएं।

कर डालिए जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज

आज की भागमभाग वाली जिंदगी में इंसान सबकुछ होते हुए भी कभीकभी नितांत अकेलापन महसूस करता है. चिंता, अवसाद व तनाव से घिर कर वह अनेक प्रकार की बीमारियों से जकड़ा जा रहा है. हर समय मोबाइल पर बतियाना या एसएमएस करना दिनचर्या का अभिन्न अंग बनता जा रहा है. ऐसे में यदि मोबाइल के सिमकार्ड की वैलिडिटी खत्म हो जाए तो व्यक्ति खुद को असहाय व सब से कटा हुआ महसूस करता है. सिमकार्ड से कई गुना अधिक जीवन का मोल है, इसलिए जिंदगी की वैलिडिटी की चिंता ज्यादा जरूरी है. जिंदगी की वैलिडिटी बढ़ती रहे, इस के लिए हमें स्वयं ही कुछ प्रयास करने पड़ेंगे. मसलन :

गमों को कहें अलविदा

समाजसुधारक दयानंद का कहना है कि इंसान खुद ही अपनी जिंदगी के सुखदुख का जिम्मेदार होता है तो क्यों न हर समय गमों या दुख के समय को याद करने के बजाय सुख वाले समय को याद करें. इस से मनोबल बढ़ेगा, मन हलका रहेगा. यदि कोई समस्या आए भी तो उस का उचित हल ढूंढ़ें, न कि उस से चिंतित हो कर मन को गमगीन बना लें. यदि मन हमेशा पिछली बातों, दुखों या गमों से घिरा रहेगा तो वह आने वाली खुशियों का स्वागत नहीं कर पाएगा. सो, कंप्यूटर की भाषा में गमों को सदैव डिलीट करते चलें और खुशियों को सेव. यदि अच्छा समय सदैव नहीं रहता तो बुरा समय भी बीत जाएगा.

दोस्ती को डाउनलोड करें

दोस्ती ऐसा अचूक मंत्र है जिस से समस्याएं कभीकभी चुटकी बजाते हल हो जाती हैं. सो, ऐसे दोस्तों की संख्या बढ़ाएं जो सुखदुख में आप के भागीदार बन सकें. दोस्ती से प्यार बढ़ता है तो जीवन में बहार बनी रहती है. प्यार, उत्साह, उमंग तीनों ही प्रवृत्तियां दोस्ती में ही पनपती हैं. शुष्क व नीरस जीवन भारी लगने लगता है. सो, अच्छे व सच्चे मित्रों की संख्या बढ़ाएं, जो सही माने में आप के हितैषी हों.

रिश्तों को रीचार्ज करते रहें

रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या पारिवारिक, उस को प्यार से सींचना होता है. यदि रिश्तों में स्वार्थभाव हो तो उन के चरमराने में देर नहीं लगती. इसलिए समयसमय पर अपने रिश्तों को रीचार्ज करते रहें ताकि मन में आई दूरियां व गलतफहमियां दूर होती रहें. रिश्तों में यह उम्मीद कतई न करें कि दूसरा ही पहल करे. स्वयं भी पहल करें. प्यार को सीमित करने से घुटन होने लगती है.

भाषा पर नियंत्रण रखें

बातचीत करते समय शब्दों का प्रयोग सोचसम?ा कर करें. हो सके तो मीठे वचन बोलें. रहीम ने क्या खूब कहा है-

रहिमन मीठे वचन ते

सुख उपजत चहुं ओर

वशीकरण एक मंत्र है

तज दे वचन कठोर.

कहा भी गया है कि तलवार का घाव भर जाता है, शब्दों का नहीं. कड़वी बात भी यदि शालीनता से बोली जाए तो बुरी नहीं लगती. सो, वाणी में सदैव शीतलता व मधुरता बनाए रखें. आप का मन भी खुश रहेगा व सुनने वाले पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

कबीरदास ने कहा भी है-

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय,

औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होय.

मीठी व मधुर भाषा में बात करने से बिगड़े काम भी कभीकभी आसानी से बन जाते हैं.

मुसकराहट को करें इनबौक्स

हंसनेमुसकराने की क्रिया इंसान के ही पास है तो क्यों न मुसकराने की आदत डालें. यदि आप मुसकराते हैं तो सामने वाला भी प्रत्युत्तर में मुसकराएगा. परंतु रोते हुए या मायूस चेहरे से सभी दूर भागते हैं, कोई उस का साथ नहीं देता. सभी को मुसकराता चेहरा ही अच्छा लगता है तो क्यों न हंसने व दूसरों को हंसाने की आदत अपनाएं.

नफरत व दुश्मनी को करें इरेज

जहां तक हो सके किसी के लिए भी मन में नफरत व दुश्मनी की भावना न पनपने दें. इस भावना से दूसरे का कम, आप का मन ज्यादा दूषित होगा. मन विकारग्रस्त होगा तो नकारात्मकता आएगी, जिस से आप का तन भी प्रभावित होगा. आप की कार्यक्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और फिर नफरत से नफरत को कभी मिटाया नहीं जा सकता. उस को मिटाने के लिए प्यार के शस्त्र की जरूरत पड़ती है. अगर किसी से दोस्ती नहीं रख सकते तो कबीर की राह पर चल कर किसी से दुश्मनी भी न रखें-

कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सब की खैर

न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.

प्यार की करें इनकमिंग

अपने मन में प्यार की भावना विकसित करें, फिर देखें कैसे आप का तनमन प्रफुल्लित रहता है और फिर, प्यार की भाषा तो हर कोई सम?ाता है.

कबीरदास के शब्दों में-

पोथी पढ़पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय

ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय.

गुस्से या क्रोध को रखें होल्ड

प्लूटार्क ने कहा है, ‘क्रोध सम?ादारी को घर से बाहर निकाल कर अंदर से दरवाजा लौक कर लेता है.’ क्रोध में मनुष्य सोचनेसम?ाने की शक्ति खो देता है. जिस किसी पर क्रोध आए, उस के सामने से हट जाएं, किसी काम में लग जाएं या एक गिलास पानी पिएं. क्रोध को होल्ड करने के लिए जेफरसन ने कहा है, ‘यदि आप क्रोध में हैं तो बोलने से पूर्व 10 तक गिनें. यदि अत्यधिक क्रोधित हैं तो 100 तक गिनें. साथ ही, अपने मन में यह संकल्प दोहराएं कि मु?ो शांत रहना है, क्रोध नहीं करना है. निश्चित तौर से आप को चमत्कारी परिणाम देखने को मिलेंगे.’ सेनेका ने कहा है, ‘क्रोध की सर्वोत्तम औषधि है विलंब.’

महत्त्वाकांक्षी बनें

सुखी व संतुलित जीवन जीने के लिए अपने जीवन में छोटेछोटे लक्ष्य तय करें, फिर इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्त्वाकांक्षी बनें. एक बार जो भी मन में ठान लें, उसे पूरा करने में जीजान से जुट जाएं. फिर चाहे अपना खुद का घर खरीदना हो या कार. जरूरत है प्रबल इच्छा की. यह प्रबल इच्छा ही महत्त्वाकांक्षा बन जाती है. हां, महत्त्वाकांक्षी बनने से पहले समय व परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपना आकलन अवश्य कर लें. परिस्थिति एवं योग्यता के विपरीत महत्त्वाकांक्षा रखने वाला मनुष्य हमेशा दुखी रहता है तो कर ही डालिए जल्दी से अपनी जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज.

परिवर्तनों को कहें वैलकम

परिवर्तन प्रकृति का नियम है. यदि परिवर्तन न हों तो जिंदगी नीरस हो जाएगी. परिवर्तनों के अनुरूप चलने वाले व्यक्ति जीवन में दुखी नहीं रहते. जो इंसान परिवर्तनों को खुशीखुशी स्वीकार कर लेता है, वह कई प्रकार के सुखों को अपने साथ जोड़ लेता है. परिवर्तन को स्वीकारने वाला व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में अपेक्षाकृत अधिक आगे बढ़ता है.

हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए काम आएंगे ये टिप्स

पतिपत्नी और वो के बजाय पतिपत्नी और जीवन की खुशियों के लिए रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटीछोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल समय में एकदूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का खयाल रखना पड़ता है:

मैसेज पर नहीं बातचीत पर रहें निर्भर

ब्रीघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपती जीवन के छोटेबड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करनी हो तो मैसेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार को कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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ऐसे दोस्तों का साथ जिन की वैवाहिक जिंदगी है खुशहाल

ब्राउन यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक यदि आप के निकट संबंधी या दोस्त ने डिवोर्स लिया है तो आप के द्वारा भी यही कदम उठाए जाने की संभावना 75% तक बढ़ जाती है. इस के विपरीत यदि आप के प्रियजन सफल वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं तो यह बात आप के रिश्ते में भी मजबूती का कारण बनती है.

पतिपत्नी बनें बैस्ट फ्रैंड्स

‘द नैशनल ब्यूरो औफ इकोनौमिक’ द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो दंपती एकदूसरे को बैस्ट फ्रैंड मानते हैं वे दूसरों के मुकाबले अपना वैवाहिक जीवन दोगुना अधिक संतुष्ट जीते हैं.

छोटी-छोटी बातें भी होती हैं महत्त्वपूर्ण

मजबूत रिश्ते के लिए समयसमय पर अपने जीवनसाथी को स्पैशल महसूस कराना जरूरी है. यह जताना भी जरूरी है कि आप उन की केयर करते हैं और उन्हें प्यार करते हैं. इस से तलाक की नौबत नहीं आती. आप भले ही ज्यादा कुछ नहीं पर इतना तो कर ही सकते हैं कि प्यारभरा एक छोटा सा नोट जीवनसाथी के पर्स में डाल दें या दिनभर के काम के बाद उन के कंधों को प्यार से सहला दें. उन के बर्थडे या अपनी ऐनिवर्सरी को खास बनाएं. कभीकभी उन्हें सरप्राइज दें. ऐसी छोटीछोटी गतिविधियां आप को उन के करीब लाती हैं.

वैसे पुरुष जिन्हें अपनी बीवी से इस तरह की सपोर्ट नहीं मिलती उन के द्वारा तलाक दिए जाने की संभावना दोगुनी ज्यादा होती है, जबकि स्त्रियों के मामले में ऐसा नहीं देखा गया है. इस की वजह यह है कि स्त्रियों का स्वभाव अलग होता है. वे अपने दोस्तों के क्लोज होती हैं. ज्यादा बातें करती हैं. छोटीछोटी बातों पर उन्हें हग करती हैं. अनजान लोग भी महिलाओं को कौंप्लिमैंट देते रहते हैं, जबकि पुरुष स्वयं में सीमित रहते हैं. उन्हें फीमेल पार्टनर या पत्नी से सपोर्ट की जरूरत पड़ती है.

आपसी विवादों को करें बेहतर ढंग से हैंडल

पतिपत्नी के बीच विवाद होना बहुत स्वाभाविक है और इस से बचा नहीं जा सकता. मगर रिश्ते की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे किस तरह हैंडल करते हैं. अपने जीवनसाथी के प्रति हमेशा सौम्य और शिष्ट व्यवहार करने वालों के रिश्ते जल्दी नहीं टूटते. झगड़े या विवाद के दौरान चिल्लाना, अपशब्द बोलना या मारपीट पर उतारू हो जाना रिश्ते में जहर घोलने जैसा है. ऐसी बातें इंसान कभी भूल नहीं पाता और वैवाहिक जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

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एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि कैसे फाइटिंग स्टाइल आप की मैरिज को प्रभावित करती है. शादी के 10 साल बाद वैसे कपल्स जिन्होंने तलाक ले लिया और वैसे कपल्स जो अपने जीवनसाथी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, के बीच जो सब से महत्त्वपूर्ण अंतर पाया गया वह था शादी के 1 साल के अंदर उन के आपसी विवाद और झगड़ों को निबटाने का तरीका.वे कपल्स जिन्होंने शादी के प्रारंभिक वर्षों में ही अपने जीवनसाथी के साथ समयसमय पर क्रोध और नकारात्मक लहजे के साथ व्यवहार किया उन का तलाक 10 सालों के अंदर हो गया. ‘अर्ली इयर्स औफ मैरिज प्रोजैक्ट’ में भी अमेरिकी शोधकर्ता ओरबुच ने यही पाया कि अच्छा, जिंदादिल रवैया और मधुर व्यवहार रहे तो परेशानियों के बीच भी कपल्स खुश रह सकते हैं. इस के विपरीत मारपीट और उदासीनता भरा व्यवहार रिश्ते को कमजोर बनाता है.

बातचीत का विषय हो विस्तृत

पतिपत्नी के बीच बातचीत का विषय घरेलू मामलों के अलावा भी कुछ होना चाहिए. अकसर कपल्स कहते हैं कि हम तो आपस में बातें करते ही रहते हैं संवाद की कोई कमी नहीं. पर जरा गौर करें कि आप बातें क्या करते हैं. हमेशा घर और बच्चों के काम की बातें करना ही पर्याप्त नहीं होता. खुशहाल दंपती वे होते हैं जो आपस में अपने सपने, उम्मीद, डर, खुशी और सफलता सबकुछ बांटते हैं. एकदूसरे को जाननेसमझने का प्रयास करते हैं. किसी भी उम्र में और कभी भी रोमांटिक होना जानते हैं.

अच्छे समय को करें सैलिब्रेट

‘जनरल औफ पर्सनैलिटी ऐंड सोशल साइकोलौजी’ में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अच्छे समय में पार्टनर का साथ देना तो अच्छा है पर उस से भी जरूरी है कि दुख, परेशानी और कठिन समय में अपने जीवनसाथी के साथ खड़ा होना. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर मोनिका लेविंस्की ने जब यौनशोषण का आरोप लगाया तो उस वक्त भी हिलेरी क्लिंटन ने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा. उन दिनों के साथ ने दोनों के रिश्ते को और मजबूत बना दिया.

रिस्क लेने से न घबराएं

पतिपत्नी के बीच यदि नोवैल्टी, वैराइटी और सरप्राइज का दौर चलता रहता है तो रिश्ते में भी ताजगी और मजबूती बनी रहती है. साथ मिल कर नईनई ऐक्साइटमैंट्स से भरी ऐक्टिविटीज में इन्वौल्व हों, नईनई जगह घूमने जाएं, रोमांचक सफर का मजा ले, लौंग ड्राइव पर जाएं, एकदूसरे को खानेपीने, घूमने, हंसने, मस्ती करने और समझने के नएनए औप्शन दें. कभी रिश्ते में नीरसता और उदासीनता को न झांकने दें. जिंदगी को नएनए सरप्राइज से सजा कर रखें.

केवल प्यार काफी नहीं

हम जिंदगी में अपने हर तरह के कमिटमैंट के लिए पूरा समय देते हैं, ट्रेनिंग्स लेते हैं ताकि हम उसे बेहतर तरीके से आगे ले जा सकें . जिस तरह  खिलाड़ी खेल के टिप्स सीखते हैं, लौयर किताबें पढ़ते हैं, आर्टिस्ट वर्कशौप्स करते हैं ठीक उसी तरह शादी को सफल बनाने के लिए हमें कुछ न कुछ नया सीखने और करने को तैयार रहना चाहिए. सिर्फ अपने साथी को प्यार करना ही काफी नहीं, उस प्यार का एहसास कराना और उस की वजह से मिलने वाली खुशी को सैलिब्रेट करना भी जरूरी है.

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साइंटिफिक दृष्टि से देखें तो इस तरह के नएनए अनुभव शरीर में डोपामिन सिस्टम को ऐक्टिवेट करते हैं जिस से आप का दिमाग शादी के प्रारंभिक वर्षों में महसूस होने वाले रोमांटिक पलों को जीने का प्रयास करता है. एकदूसरे को सकारात्मक बातें कहना, तारीफ करना और साथ रहना रिश्ते में मजबूती लाता है.

सुहाने मौसम में नजदीकियां…

जी हां जब मौसम सुहाना हो तो ऐसे में आपको अपने पार्टनर के साथ समय बीताने का मन तो करता ही होगा…आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने पार्टनर को उतना समय नहीं दे पाते क्योंकि हर किसी को पैसे कमाने हैं और ये तो आप बेहतर समझ सकते हैं कि बिना पैसे के जिंदगी में कुछ भी नहीं हो सकता. ये जीवन की सच्चाई है लेकिन इसके कारण हम भूल जाते हैं कि हमारी लाइफ में कोई और भी है जो बहुत खास है और हम उसको समय देना भूल जाते है….चाहे वो आपकी लाइफ फार्टनर हो या आपकी गर्लफ्रेंड आ ब्वायफ्रेंड…इनकी जिंदगी में बहुत ही खास जगह होती है इसलिए इन्हें समय देना चाहिए. क्योंकि बहुत मुश्किल से आपको कोई मिलता है जो आपको खुद से ज्यादा प्यार देता है खुद से पहले आपके बारे में सोचता है. इसलिए उनके लिए वक्त निकालिए…

  • इस वक्त बारिश का मौसम है आप चाहे तो अपने पार्टनर के साथ कहीं घूमने जा सकती हैं..उसके साथ वक्त बिता सकती है. साथ में भुट्टे खाइए बारिश के मौसम का लुत्फ उठाइए.

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  • यदि आप घर पर हैं तो वाइफ से कहिए कि वो पकौड़े बनाए और आप चाय बनाइए और अपनी वाइफ के साथ बैठकर पकौड़े और चाय के साथ मौसम का लुत्फ उठाए.
  • अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी के साथ मूवी देखने जा सकते हैं कोई भी अच्छी सी रोमांटिक मूवी… ये आपके बीच नजदीकियों को बढ़ाएगी और साथ में समय बिताने का भी अच्छा मौका मिलता है.
  • पत्नी को लेकर लॉन्ग ड्राइव पर जा सकते हैं…एक अच्छा सा सॉन्ग बजा दिजिए…ये एक बहुत अच्छा तरीका है साथ में समय बिताने का.
  • ऐसा नहीं है कि ये सारे काम की पहल एक पति ही करे पत्नी भी कर सकती है अगर आपका पति इतना रोमांटिक नहीं है तो ये सब कुछ आप भी कर सकती हैं. इससे आपके पति को भी अच्छा लगेगा. वो भी अपनी ऑफिस की थकान को भूल कर आपके साथ एक अच्छा समय गुजारेगा. उन्हें भी थोड़ी सी बोरियत से राहत मिलेगी..और वो आपके और करीब आएंगे.

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  • अच्छे मौसम में कहीं दूर कुछ दिन की छुट्टियां लेकर आप जा सकते हैं या सकती हैं वहां पर आपको प्राइवेसी भी मिलेगी और साथ में अच्छा वक्त भी बिता पाएंगे.
  • अगर आप चाहें तो वाइफ के साथ घर में ही मूवी देखकर एक अच्छा वक्त बिता सकते हैं.

इन सारे तरीकों से आप अपने रिश्ते को अच्छा बना सकते हैं साथ ही अपने बीच की दूरियों को कम कर सकते हैं. तो पकोड़े खाइए और बारिश और सुहावने मौसम का लुत्फ उठाते हुए प्यार को बढ़ाइए.

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