बचत से करें भविष्य सुरक्षित

खुशहाल वर्तमान व सुख और सुकून भरे भविष्य के लिए किए गए उचित प्रयास ही फायदे का सौदा साबित होते हैं. सिर्फ कमानेखाने व बेहिसाब खर्च करने का नाम ही जिंदगी नहीं है. जीवन में भविष्य की प्लानिंग भी करनी पड़ती है और इस में सब से महत्त्वपूर्ण है फाइनैंशियल प्लानिंग. समयसमय पर आने वाली बड़ी जरूरतों या जिम्मेदारियों को पूरा करने में पहले से बचत कर के जमा की हुई राशि एक मजबूत सहारा होती है. यह आर्थिक सुरक्षा का एहसास कायम रख कर जीवन को आसान बना देती है.

सुरक्षित भविष्य के लिए जानिए कुछ आवश्यक बातें:

1. बचत की आदत डालें

हर महीने अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत खाते में डालें और उस के बाद बचे हुए पैसे से पूरे महीने का बजट तैयार करें. हो सके तो बचत के पैसे से रिकरिंग डिपौजिट कराते रहें. राशि कम हो या ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता. बचत की आदत पड़ते ही आप बड़ी रकम जोड़ना शुरू कर देंगे. धीरेधीरे इसे अपनी आदत बना लें. जैसेजैसे आप की बचत राशि बढ़ती जाएगी, आप को खुशी मिलने के साथसाथ और बचत करने की प्रेरणा मिलती रहेगी व आप की आर्थिक स्थिति मजबूत होती जाएगी.

2. उचित योजना बनाएं

भविष्य की आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक है कि उचित योजना बनाएं. अपने व घर के तमाम खर्चों का हिसाब लगाएं व अपनी कुल आमदनी भी जोड़ लें. खर्च और आमदनी की तुलना करें. अब देखें कि जितना पैसा बच रहा है, उस से भविष्य की जरूरतें पूरी हो सकेंगी या नहीं. आवश्यक हो तो गैरजरूरी खर्चों में कटौती करें.

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3. बेतहाशा खर्च करने की आदत से बचें

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’ वाली कहावत उस वक्त चरितार्थ होने लगती है जब गैरजरूरी चीजों या शौकिया तौर पर पैसे खर्च करते हुए इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता कि हम अपनी आय से अधिक खर्च करते हुए पिछली जमा राशि को भी लुटाते जा रहे हैं. अत: अपने दैनिक खर्चों पर नजर डालें और प्रतिदिन के खर्चों का हिसाब रखें. आप स्वयं पर और घर पर कितना खर्च करते हैं, घर में एक दिन का खर्च कितना है, इन सब बातों को ध्यान में रखें. बाजार में जाने से पहले खरीदारी के सामान की एक लिस्ट तैयार करें. बाजार में सामान खरीदते वक्त मोलभाव करें. ऐसा करने से निश्चित रूप से बचत होगी. जहां तक संभव हो भुगतान कैश से ही करें. क्रैडिट कार्ड पर निर्भर न रहें. इस का इस्तेमाल केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करें, क्योंकि क्रैडिट कार्ड के कारण अनावश्यक खर्च भी हो जाते हैं.

4. अलग अलग सेविंग अकाउंट्स

बचत की राशि को सैलरी अकाउंट में रखने के बजाय उस के लिए अलग से सेविंग अकाउंट खोलें. बचत के लिए पैसे को अलगअलग जगह इन्वैस्ट करें. पोस्ट आफिस व बैंकों द्वारा चलाई जाने वाली सेविंग स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. एनएससी, केवीपी, एमआईएस आदि स्कीम पैसों के निवेश में अच्छे विकल्प हैं. स्माल सेविंग स्कीम लेना बेहतर होता है. इस के अलावा ‘पीपीएफ’ में भी पैसा डाल कर फायदा हो सकता है. इस से पैसा सुरक्षित रहने के साथसाथ टैक्स में भी छूट मिलती है. इस के साथ ही इंश्योरैंस भी कराएं.

5. उपयुक्त इन्वैस्टमैंट

इन्वैस्टमैंट के मामले में सोचसमझ कर फैसला लें. इन्वैस्टमैंट का जो भी विकल्प चुनें वे आप की जरूरतों के मुताबिक ही हों. इस मामले में आप की आवश्यकताएं, आप की उम्र, फाइनैंशियल रिसोर्स, रिक्स प्रोफाइल, इन्वैस्टमैंट के लक्ष्य आदि पर निर्धारित होती हैं. इन्वैस्टमैंट प्लान लेते वक्त यह भी ध्यान रखें कि आप कितने समय बाद, कितने रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं.

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6. फाइनैंशियल लक्ष्य

सब से पहले यह जरूरी है कि आवश्यकतानुसार शौर्ट टर्म या लांग टर्म फाइनैंशियल प्लान बनाया जाए. जैसे कि आप कोई बिजली का उपकरण खरीदना चाहते हैं या फिर कार अथवा मकान. बिजली का उपकरण या ऐसी कोई अन्य चीज खरीदने के लिए आप को ज्यादा लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. ये चीजें 1 या 2 महीने में खरीदने का इंतजाम किया जा सकता है, लेकिन कार या मकान के लिए एक लंबी अवधि तक बचत की आवश्यकता पड़ती है तभी आप इसे खरीद सकते हैं, जिस के लिए बहुत पहले से ही प्लानिंग कर लें.

पत्नी की कमाई पर हक किस का

आज के जीवनस्तर और बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि पत्नियां भी नौकरी करें. मगर समस्याएं तब खड़ी होती हैं जब वे पति से अलग अपनी पहचान की बात उठाती हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती हैं. घर का खर्च चलाना आज भी पति की ही जिम्मेदारी मानी जाती है, जबकि पत्नी की कमाई एक बोनस के रूप में ली जाती है. रचना एक मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर हैं. उन का कहना है, ‘‘रोजीरोटी चलाने लायक मेरे पति कमा ही लेते हैं. मैं घर और औफिस की दोहरी जिम्मेदारी सिर्फ घरखर्च में पैसा झोंकने के लिए ही नहीं उठा रही हूं. मैं यह कहने का अधिकार रखती हूं कि मेरा पैसा कहां और कैसे खर्च होगा. एक अफसर की हैसियत से औफिस में मेरी एक अलग छवि है, जिसे मुझे कायम रखना होता है. उसी तरह घर, पति और बच्चों की इमेज भी बनाए रखनी होती है वरना लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे.’’

लेकिन पति कुछ और ही सोचते हैं. इस संबंध में सोनिया कहती हैं, ‘‘मेरे पति अपनी आर्थिक सुरक्षा को ले कर कुछ ज्यादा ही चिंतित रहते हैं. इसलिए वे अपनी सारी सैलरी निवेश कर मुझ से ही घर का खर्च चलवाना चाहते हैं.’’ सोनिया के पति का तर्क है, ‘‘आखिरकार, मैं घर की भलाई के बारे में ही तो सोचता हूं. ऐसा कर के मैं क्या बुरा करता हूं? क्या परिवार की सुरक्षा, इमेज बनाए रखने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं है?’’

यहां पर पतिपत्नी दोनों की प्राथमिकताएं अलगअलग होने के कारण ही उन में टकराव होने की स्थिति उत्पन्न हो गई है. लेकिन वे शरद और ऊषा से इस टकराव से बचने का उपाय जान सकते हैं. आर्किटेक्ट ऊषा एम.ई.एस. में कार्यरत हैं. नईनई शादी और नयानया परिवार. शरद का हुक्म सिरमाथे पर लिए ऊषा शरद की हर बात मान कर खुश थीं. शरद की यह सलाह कि घर का खर्च ऊषा के वेतन से चलेगा और शरद का वेतन बचत खाते में जमा होगा, भी ऊषा ने सहर्ष मान ली, क्योंकि दोनों का पैसा साझा ही तो था. इसलिए कौन सा खर्च हो रहा है, कौन सा जुड़ रहा है, यह बात कोई खास माने नहीं रखती थी

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भविष्य की सुरक्षा

शरद के अत्यंत खर्चीले स्वभाव ने शीघ्र ही ऊषा को अपनी भूल का एहसास करा दिया. शरद अपने वेतन से कुछ भी बचत न कर सारा पैसा कीमती उपहार खरीदने, महंगे होटल व रेस्तरां में खाने पर खर्च कर देते थे. हालांकि वे ऊषा के लिए भी महंगी साडि़यां, कीमती आभूषण तथा कौस्मैटिक्स लाते थे. ऊषा चाहती थीं कि भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रख कर पैसा निवेश किया जाए. वे जानती थीं कि बच्चों के आने पर खर्चे बढ़ेंगे और तब उन्हें ज्यादा पैसों की जरूरत होगी. इसी बात को ले कर शरद और उन के बीच काफी तनाव चलता रहता. ऊषा का कहना था कि शरद अपना आधा वेतन घरखर्च के लिए दिया करें ताकि वे अपना आधा वेतन बचा सकें. वे अपनी बात पर दृढ़ थीं. शरद को उन की बात माननी ही पड़ी. यह स्पष्ट है कि आज की पत्नी अपनी पहचान के प्रति जागरूक है. तब तो और भी ज्यादा जब वह कमाऊ बीवी हो. इसलिए अगर वह अपना अलग बैंक बैलेंस तथा अपने धन का सारा कारोबार साझा रखना चाहती है, तो ऐसा वह स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए ही करती है. कानून किसी भी साझी वैवाहिक संपत्ति को मान्यता नहीं देता.

अहं का टकराव

अनिल और रेहाना का ही उदाहरण लें. अंतर्जातीय विवाह करने के कारण दोनों को ही अपनेअपने घर से कुछ नहीं मिला. चूंकि दोनों अच्छा कमा रहे थे, इसलिए उन्होंने कुछ ही वर्षों में दिल्ली में, जहां वे कार्यरत थे, अपने लिए एक मकान खरीद लिया. लेकिन धीरेधीरे उन का आपसी मतभेद और अहं का टकराव इतना बढ़ा कि बात तलाक तक आ पहुंची. अनिल ने अपना सामान कहीं और शिफ्ट कर लिया. जब उन्होंने पत्नी रेहाना से भी सामान शिफ्ट करने के लिए कहा तो रेहाना को आघात लगना स्वाभाविक था. तब रेहाना ने कारण जानना चाहा. इस बात पर अनिल ने बताया कि उन्होंने मकान बेच दिया है. उस समय रेहाना के पास बैंक में सिर्फ 1 हजार रुपए ही पड़े थे, क्योंकि रेहाना ने अपना सारा रुपया प्रौविडेंट फंड, फिक्स्ड डिपौजिट तथा मकान पर खर्च कर दिया था.

इस स्थिति में रेहाना अपने पति पर ‘बेनामी ट्रांजैक्शन ऐक्ट’ के तहत मुकदमा जरूर दायर कर सकती थीं. लेकिन इस के लिए न तो वे आर्थिक रूप से सक्षम थीं और न ही एक लंबी कानूनी लड़ाई के लिए उन के पास भावनात्मक स्थिरता, धैर्य और समय था. अपनी कमाई के कुछ हिस्से पर अपना अधिकार जता कर स्त्री कुछ गलत या अपराध नहीं करती. पुरुषों के वर्चस्व वाले समाज में स्त्री आज भी असुरक्षित है. अपनी रक्षा और देखभाल उसे स्वयं ही करनी है वरना वह प्रबुद्ध और आधुनिक होने के बावजूद आर्थिक मामले में भी पुरुषों द्वारा दबाई जाती रहेगी.

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Savings Tips in Hindi: हाउसवाइफ हैं आप तो ध्यान दें…

भारत में ऐसी हाउसवाइव्स की तादाद बहुत ज्यादा है जो पूरी तरह अपने पति पर निर्भर हैं और किसी भी तरह के वित्तीय फैसलों में उनकी भागीदारी न के बराबर हैं. इसके बावजूद वह घर की मैनेजर होती हैं और उनकी जिम्मेदारी अपने घर के बजट को मैनेज करने की होती है.

पिछले कुछ सालों में महंगाई तो बढ़ी है लेकिन उस अनुपात में लोगों की सैलरी नहीं बढ़ी है. लेकिन कई बार जब घर में कोई इमर्जेंसी आती है जैसे, पति की जॉब छूट जाना या कोई हेल्थ प्रॉब्लम तो ऐसे वक्त में महिलाओं को फाइनेंशियल प्लानिंग ही काम आती है.

1. मनी फ्लो मैनेजमेंट

ज्यादातर घरों में हाउसवाइव्स केवल ग्रॉसरी की खरीदारी तक ही सीमित हो जाती हैं. लेकिन हाउसवाइव्स को इसके आगे बढ़ते हुए फाइनेंस को मैनेज करने का तरीका पता होना चाहिेए. इससे पता चलेगा कि कहां आपको ज्यादा खर्च करना है और कहां बचाना है. और यह कोई रॉकेट साइंस नहीं और न ही इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह की जरूरत है. आप इसे खुद से या अपने पति के सलाह से भी कर सकती हैं.

2. खर्च कंट्रोल करना

अब जब आप मनी फ्लो मैनेजमेंट करना जान गईं हैं तो अब बारी है खर्चों पर कंट्रोल करने की, जैसे- अगर आपके घर का बिजली का बिल 2 हजार हर महीने आता है तो आपको सोचने की जरूरत है कि कैसे आप इसे कम कर सकती हैं. अगर आप हर रोज वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल करती हैं तो हफ्ते में 3-4 दिन ही इस्तेमाल करें. ऐसी ही कई चीजों का ध्यान रखकर आप खर्चों में कटौती कर सकती हैं.

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3. बचत, बचत और सिर्फ बचत

हमेशा पैसों की बचत के बारे में सोचें. इसके लिए सबसे पहला कदम है एक अकाउंट खोलना. इसके अलावा आप सरकार की ओर से चलाई जा रही जीवन ज्योति जैसी तमाम तरह की योजनाओं में भी अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर फायदा उठा सकती हैं. आप चाहें तो महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह सस्ती जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल करके भी पैसे बचा सकती हैं.

4. घर बैठे कमाएं पैसे

अगर आप पढ़ी लिखी हैं इसके बावजूद घर की जिम्मेदारियों के चलते आप अपने पति की कोई मदद नहीं कर पा रही हैं तो घर बैठे पैसे कमाने की तरकीब ढूंढना शुरू कर दें. आप फ्रीलांसर की तरह काम कर सकती हैं. इसके अलावा अगर आपकी पेंटिंग, डांसिंग, टीचिंग जैसी कोई हॉबी है तो आप इसके लिए अलग से क्लास चला सकती हैं और घर में क्लास लेकर पैसे कमा सकती हैं.

5. निवेश करें

निवेश की पहली सीढ़ी है बचत. अगर आप हर महीने पैसे बचाती हैं तो आपको सोचना चाहिए कि महंगाई को काटते हुए कैसे आप अपने पैसे को बढ़ा सकती हैं. कभी भी पैसे को अकाउंट में या घर पर भी खाली पड़े नहीं देना चाहिए. उसे फिक्स या फिर रिकरिंग डिपॉसिट में निवेश करना चाहिए. अगर आपका पैसा 10 हजार से बढ़कर 11 हजार भी हो जाता है तो यह एक फायदे का सौदा है.

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अच्छी बचत करने के लिए जरूरी हैं ये तीन बातें, आज ही गांठ बांध लें

जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनका मुख्य उद्देश्य होता है बचत. किसी तरह से लोग अधिक से अधिक बचत के तरीकों की खोजबीन में लगे रहते हैं. पर जिस तरह से लोगों की जरूरतें और महंगाई में तेजी आई है, बचत किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. यही कारण है कि तरह तरह की टिप्स के लिए लोग फाइनेंशियल प्लैनर्स की मदद लेते हैं. पर इस खबर में हम आपके लिए लाएं है कुछ खास टिप्स जिसको अपना कर आप अच्छे रकम की बचत कर सकेंगी. तो आइए जाने बचत से जुड़ी तीन बातें.

टारगेट बनाएं

किसी भी चीज की सफलता के लिए जरूरी है कि आप उसके लिए फोकस हों. बचत आसान नहीं होता. इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी बचत के बारे में बेहतर जाने, समझें. आप अपने गोल के बारे में अच्छे से समझे, जाने. इससे आपके सेविंग्स में खासा मदद मिलेगी.

समय का महत्व समझें

सेविंग्स के लिए समय के महत्व को समझना जरूरी होता है. अगर आप इसके महत्व को समझें तो अपने गोल को हासिल करने में परेशानी नहीं होगी.

बेहतर कमाई के लिए जरूरी है बेहतर निवेश

अधिक कमाई के विकल्पों को तलाशें. बस ध्यान रखें कि इसमें आप किसी गलत रास्ते पर ना चले जाएं. कमाई के जो भी सही रास्ते हैं उनका चुनाव करें. कमाई के साथ साथ निवेश बहुत जरूरी है. निवेश ना सिर्फ बचत का एक सुरक्षित माध्यम माना जाता है बल्कि इससे हमारे रकम में बढ़ोत्तरी भी होती है. इस लिए बेहतर कमाई के लिए जरूरी है कि आप निवेश पर खासा जोर दें.

छोटा गुल्लक बड़ी बचत

सीख देने वाला यह मामला मध्य प्रदेश के जिले छिंदवाड़ा का है, जिस में स्कूली बच्चों ने खेलखेल में करीब 1 करोड़ रुपए जमा कर सभी को हैरत में डाल दिया. बच्चों में बचत की आदत डालने की गरज से राज्य सरकार द्वारा 2007 में शुरू की गई ‘अरुणोदय गुल्लक’ योजना के तहत यह राशि बच्चों ने जमा की थी.

अगर इस तरीके को सभी जिंदगी में उतार लें तो जाहिर है वे मनमाफिक बचत कर पाएं, जिस के लिए जरूरत सिर्फ एक गुल्लक की है, जो अब घरों से गायब हो चला है. कभी गुल्लक भारतीय घरों की अहम जरूरत थी, लेकिन बचत के बढ़ते विकल्पों और आसान होती बैंकिंग प्रक्रिया ने यह जरूरत खत्म कर दी है.

गुल्लक की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि अगर यह सामने हो तो बचत खुदबखुद हो जाती है. रोज पैसा जमा करने की आदत सिखाने वाला गुल्लक चूंकि सहज उपलब्ध होता है, इसलिए इसे भरने के लिए हरकिसी का मन करने लगता है.

बूंदबूंद से घड़ा भरता है, यह बात गुल्लक पर खरी उतरती है, जिस में रोज 10-20 रुपए भी डाले जाएं तो जेब या बजट पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता और बैंक जाने की भागादौड़ी की भी जहमत नहीं उठानी पड़ती. बच्चों को शौक से पिगी बैंक दिलाने वाले अभिभावक अगर खुद के लिए भी गुल्लक ले लें तो वे सालभर में आकर्षक राशि जमा कर सकते हैं.

गुल्लक की खासीयतें

मिट्टी की बनी और 10-20 रुपए में मिलने वाले गुल्लक में आसानी से 40-50 हजार रुपए इकट्ठे किए जा सकते हैं, जिस की तैयारी इस तरह की जा सकती है:

सब से पहले तो एक गुल्लक खरीदें. फिर उसे ऐसी जगह रखें जहां आप को रोज दिखे. अब नियमित न्यूनतम राशि उस में डालने का नियम बना लें जो 10 से ले कर 100 रुपए प्रतिदिन तक हो. इस नियम का यथासंभव पालन करें. बचत के लिए अपनी फुजूलखर्ची को छोड़ें. जब नियमित पैसे गुल्लक में डालने लगें तो कभीकभार एकमुश्त पैसा भी उस में डालें. गुल्लक को बेवजह न फोड़ें तो यह भरता चला जाएगा और जमा राशि बढ़ती जाएगी.

बनाएं मकसद

भोपाल की सविता शुक्ला रोज 100 रुपए गुल्लक में डालती हैं और उसे साल के आखिरी दिन फोड़ती हैं, तो उस में करीब 50 हजार रुपए निकलते हैं.

सविता बताती हैं कि पहले साल उन्होंने 35 हजार रुपए जमा किए थे, जिन्हें नए साल में फिक्स डिपौजिट करा दिया था. उत्साह और रोमांच बढ़ा तो दूसरे साल उन्होंने केरल घूमने का प्लान बना डाला. जैसे ही यह पता उन के पति संजय को चला तो वे भी कुछ पैसे गुल्लक में डालने लगे.

2016 के आखिरी दिन जब दोनों ने गुल्लक फोड़ा तो उस में 50 हजार रुपए निकले. सविता कहती हैं, ‘‘अगर घूमने जाने के लिए बैंक से पैसे निकालते तो वह मजा नहीं आता जो गुल्लक फोड़ने पर उस के पैसों से आया, क्योंकि हम पर इस का कोई अतिरिक्त भार नहीं आया. अगर गुल्लक में पैसे जमा नहीं करते तो केरल के सैरसपाटे का सपना शायद ही हकीकत में बदल पाता.’’

आइडिया अच्छा है कि कोई महंगा सामान खरीदने या दूसरे किसी मकसद के लिए गुल्लक में पैसे इकट्ठे किए जाएं तो इस का पता नहीं चलता. कोई इलैक्ट्रौनिक आइटम या फिर हर साल 2 तोले सोने का लक्ष्य सामने रख गुल्लक में रोज पैसे डाले जाएं तो कोई भी चीज पहुंच से दूर नहीं रह जाती.

गुल्लक में पैसे डालना अखरता भी नहीं है, क्योंकि इस के लिए कुछ ज्यादा नहीं सोचना पड़ता. उलटे फायदा यह होता है कि फुजूल की खरीदारी की लत छूट जाती है, जिस से दोहरी बचत होती है.

गुल्लक में जब भी अनुमानित 20 से 50 हजार रुपए जमा हो जाएं तो उन्हें कहीं इकट्ठा भी निवेश किया जा सकता है. गुल्लक एक ऐसा अकाउंट है जिसे खोलने के लिए किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं पड़ती है और उस का संचालन भी आप के हाथ में रहता है.

भोपाल की ही एक गृहिणी सरिता सक्सेना बताती हैं कि उन्होंने 10 साल पहले गुल्लक फोड़ी थी तो उस में 58 हजार रुपए निकले थे. ये वे पैसे थे जो उन की बेटी सुरभि को रिश्तेदार और परिचित दे जाते थे. सुरभि जब 6 साल की हुई तो उन्होंने यह राशि फिक्स डिपौजिट करा दी थी जो अब 1 लाख रुपए से ज्यादा हो गई है.

अगर सरिता 100-200 और 500 सौ रुपए तुरंत खर्च कर देतीं तो एक बड़ी रकम से वंचित हो जातीं. यह मुमकिन हुआ गुल्लक की वजह से जो उन्होंने सुरभि के लिए खरीदा था.

इमरजैंसी में भी गुल्लक बडे़ काम की चीज साबित होता है. अगर वक्तबेवक्त नक्दी की जरूरत पड़ जाती है, तो गुल्लक मदद से इनकार नहीं करता. हालांकि अब हर जगह एटीएम हैं, लेकिन गुल्लक फोड़ने से आप के सेविंग अकाउंट पर फर्क नहीं पड़ता.

पहली कोशिश यह होनी चाहिए कि गुल्लक तब तक न फोड़ा जाए जब तक मकसद पूरा करने लायक पैसे उस में जमा न हो जाएं.

1 साल में एक मकसद पूरा कर फिर मकसद बड़ा किया जाए ताकि ज्यादा बचत हो सके.

कोशिश यह भी होनी चाहिए कि घर के सभी सदस्य गुल्लक में पैसा डालें. इस से भी बेहतर रास्ता यह है कि घर के सभी सदस्यों के पास अपना अलग गुल्लक होना चाहिए जिस से बचत में प्रतिस्पर्धा पैदा हो.

फिर देरी क्यों, आज ही एक गुल्लक खरीद लाएं और उस पर 1 साल बाद की तारीख डाल दें. फिर देखें छोटी बचत का कमाल, जो बैठेबैठाए आप को हैंडसम अमाउंट देगा.

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