शादी बाजार में राजदार है सोशल मीडिया

अभी 1 महीने पहले ही माही और सत्यम की शादी हुई है. मोबाइल गैलरी और कंप्यूटर फोल्डर शादी और हनीमून के फोटो से भरे पड़े थे. माही का जी खूब कुलबुला रहा था पर पापा से की गई प्रौमिस बारबार हाथ उस के हाथों को रोक देते और वह उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करती. उसे सालभर पहले घटी बातें याद आने लगी थीं…

माही ने एक इंजीनियरिंग कालेज से पढ़ाई की थी। वह सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय भी थी. उस की फ्रैंडलिस्ट भी खूब समृद्ध थी। घरपरिवार के अलावा स्कूल, कालेज और फिर नौकरीपेशा वाले लोग उस की फ्रैंडलिस्ट में शामिल थे. पर उसे इस सामाजिक प्लेटफौर्म की लक्ष्मण रेखा का सदैव से भान था.

वह कभी भी कोई आपत्तिजनक पोस्ट या फोटो इत्यादि पोस्ट भी नहीं करती थी। उस की लिस्ट में उस के पापामम्मी भी हैं, यह उसे हमेशा ध्यान रहता.

टूट गई शादी

1-2 साल पहले उस की शादी रोहित से तय हुई। घर वालों की रजामंदी से दोनों मिले. रोहित हर तरह से सुलझा हुआ लड़का था, जिसे उस की पढ़ाई और नौकरी की कद्र थी. मंगनी होने के साथ ही माही के पास रोहित के रिश्तेदारों के फ्रैंड रिक्वैस्ट आने लगे. अब तक दोनों परिवारों ने इसे राज ही रखा था.

माही ने अपनी मंगनी की कुछ तसवीरें साझा कर दीं. 2 ही दिनों के बाद रोहित की मम्मी का फोन माही की मम्मी के पास आया कि उन्हें यह रिश्ता नामंजूर है.

“आप की बेटी काफी खुले विचारों वाली लगती है. उस के दोस्त भी अजीबअजीब से हैं. जाने कालेज के दिनों में किसकिस से इस ने दोस्ती कर रखी थी, जिस के इश्तेहार फेसबुक पर डले पड़े हैं. काफी पार्टी गोइंग टाइप की लड़की समझ में आ रही है. पढ़ीलिखी और नौकरी वाली लङकी होने का यह मतलब तो कतई नहीं कि बहू इतनी खुले विचारों की हो. मेरे सभी रिश्तेदार तो थूथू कर रहे हैं…”

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रोहित की मम्मी बोल रही थीं और माही की मम्मी चुपचाप सुन रही थीं.
माही ने रोहित को फोन किया तो उस ने बदले में उसे ढेरों फोटो भेज दिए, जिस में माही किसी न किसी लड़के के साथ खड़ी फोटो में मुसकरा रही थी. कुछ फोटो दफ्तर में उस के या किसी के जन्मदिन के अवसर के थे.

माही बैठ कर सभी फोटो को अपने प्रोफाइल में खोजना शुरू किया तो देखा ये सब फोटो उस ने नहीं बल्कि उस के दोस्तों ने पोस्ट किया था। किसीकिसी ने उसे टैग भी किया था।

उस की आंखों में आंसू आ गए। उस ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. अपने बैच में वह अकेली लड़की थी, जिस ने शालीनता और गरिमा के साथ 4 सालों का सफर पूरा किया था.

उसे फाइनल ईयर का अपना बैच फोटोग्राफी सैशन याद आ गया, जब विदाई समारोह के बाद कालेज कैंपस में सब भावुक हो कर फोटो खिंचवा रहे थे.

सारे लड़के सूट पहन इठला रहे थे और वह साड़ी संभालती एक जगह खड़ी थी. मगर जो होना था वह हो चुका था।

शादी से इनकार

“पापा, मैं भी नहीं करना चाहूंगी ऐसे संकीर्ण परिवार में शादी. मेरे साथ की कितनी लड़कियों ने अपने पसंद की शादियां कीं, उन की प्रोफाइल भी तो ऐसी ही तसवीरों से भरी पड़ी हैं. यों कहूं तो सब कितना बिंदास हो कर तसवीरें डालती हैं, छोटे कपड़ों में भी और दोस्तों के गले लग कर भी…”

“माही, अब मुझे उन दोनों परिवारों द्वारा न का कारण भी समझ आने लगा है, जिन्होंने पिछले दिनों तुम से शादी के लिए इनकार किया है. बेटा, मेरे पास अभी भी कुछ और लड़कों की जानकारी है जहां मैं तुम्हारे रिश्ते की बात चला सकता हूं. पर उस से पहले तुम्हें इस फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया से हमेशा के लिए विदा लेना होगा,”माही के पापा ने कहा।

फेसबुक से तोबा

वह दिन और आज का दिन, माही ने अपने निष्क्रिय प्रोफाइल को फिर से सक्रिय नहीं किया है और न करने का विचार रखती है.

आज के युग में सोशल मीडिया जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है. हर कुछ हर किसी को बता देने की एक हड़बड़ी रहती है. देखा जाए तो यह उतना बुरा भी नहीं है यदि ठीक से हैंडल किया जाए.

कितनों के लिए यह हुनर प्रदर्शन का प्लेटफौर्म बना तो कितनों के अकेलेपन का साथी भी. बहुत लोगों ने तो इस के जरीए असल जिंदगी से अच्छे दोस्त और रिश्ते बनाए.

एक ओर तो इस की बहुत सारी अच्छाइयां हैं, तो वहीं दूसरी ओर यह रिश्तों में नीबू निचोड़ने का भी काम करता है.

जासूसी का माध्यम

सूचना प्रसारण आज की युग की क्रांति है। कहीं भी कोई डेटा या सूचना गोपनीय नहीं है. हर हाथ मोबाइल या कंप्यूटर ने बेहद द्रुत गति से इस ऐप का प्रसार किया है. कब किस क्षण की कोई पोस्ट या तसवीर गले की फांस बन जाए कहा नहीं जा सकता.

आजकल फेसबुक को लोग जासूसी के लिए भी उपयोग कर रहे हैं. किसी के बारे में जानना हो तो झट से लोग सोशल मीडिया खंगालने लगते हैं.

पहले जब शादियां तय होती थीं, लोगबाग जानपहचान वालों से पूछ रिश्ता तय कर देते थे. पर अब सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम हो गया है.

लङके भी बनते हैं शिकार

रमणीक और आरोग्य की शादी के 1 महीने बाद ही रिश्ते में खटास आने लगी, जब रमणीक ने आरोग्य की बहुत पुरानी पोस्ट को पढ़ना शुरू किया. आरोग्य सफाई देतेदेते थक गया कि बात पुरानी हो गई है. इतने वर्ष पूर्व के उस के स्टेटस को देख आज वह शक न करे। पर शक का कीड़ा तो तभी पनप गया था जब रमणीक ने 4 वर्ष पुरानी उस की स्टेटस में उसे एक लड़की के साथ देखा.

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इसी तरह देवेंद्र की होने वाली पत्नी को शक हुआ कि कहीं वह समलैंगिक तो नहीं, क्योंकि उस का फेसबुक प्रोफाइल लड़कों के साथ चिपके सटे तसवीरों से भरे पड़े थे और तो और उस ने किसी पोस्ट पर इन रिश्तों की वकालत भी की थी.

कहीं खुल न जाएं भेद

आजकल अरैंज्ड शादियां होनी यों ही बेहद मुश्किल कार्य है. पहले जहां सिर्फ लड़के वालों की मरजी चलती थी, वहीं आज की पढ़ीलिखी लड़की भी अपनी चाहतों और स्वप्नों की एक फिहरिस्त रखती है. एक कड़ी को जोड़ने के लिए कई सिरे मिलाने होते हैं. इन सब के बीच फेसबुक मोहल्ले की उस बुआ का किरदार निभा रहा है जिस के पास सब की जन्मकुंडली है यानी सब के भेद हैं.

पहले जब कोई रिश्ता जुड़ने को तत्पर होता था तो जानपहचान के लोगों या बीच के रिश्तेदारों से छिपाया जाता था कि कहीं वे लोग दूसरे पक्ष को कोई नकारात्मक बात न बोल दें। आज वही रोल सोशल मीडिया निभा रहा है। यदि वह सब की बातें उजागर कर रहा है तो कितनों की ही पोल खोल भी रहा है.

किस की कौन सी बात कब की और कौन सी तसवीर या विचार अगले पर क्या प्रभाव डालेगा और उस का क्या अंजाम होगा यह कहना मुश्किल है.

खुद को सीमित रखें

लव मैरिज में जोड़े पूर्व परिचित होते हैं. परिवार और रिश्तेदार बाद में उन के जीवन में आते हैं जो चाह कर भी किसी फोटो या पोस्ट से उन के संबंधों को खंडित नहीं कर पाते. पर अरैंज्ड शादियों में सब शामिल होते हैं, सब के विचार भी अहमियत रखते हैं. तो बेहतर है कि अपनी सूचनाओं के प्रसारण को सीमित रखा जाए. संभावित वरवधू अपनी आज की असल व्यक्तित्व और पहचान के साथ मिलें.

बेहतर होगा कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफौर्म से खुद को समेट लें.

शादी के बाजार में राजदार है सोशल मीडिया इसलिए इस से दूर ही रहें तो बेहतर है.

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