प्रेगनैंसी में इस तरह रखें अपनी त्वचा का ख्याल

भले ही आप की ड्रैसिंग टेबल मेकअप के सामान से भरी हुई हो, लेकिन प्रैगनैंट होते ही आप के शरीर की तरह आप की स्किन में भी कई तरह के बदलाव आने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में हारमोंस का संतुलन बिगड़ने की वजह से स्किन में नमी कम होने के साथ-साथ स्किन ज्यादा सैंसिटिव भी होने लगती है.

इसलिए अब न तो आप पहले की तरह अपने रूटीन को फौलो कर पाती हैं और न ही स्किन केयर रूटीन को. अब आप को जरूरत होती है अपने स्किन केयर रूटीन में उन ब्यूटी प्रोडक्ट्स को शामिल करने की, जो प्रैगनैंसी में आप के व आप के बच्चे के लिए सही व सेफ हों.

आइए, जानते हैं कि प्रैगनैंसी के दौरान किस तरह के कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स से दूरी बनानी है और किन प्रोडक्ट्स को अपने स्किन केयर रूटीन में शामिल कर सकती हैं:

रैटिनोल: अच्छी त्वचा, प्रजनन संबंधी व आंखों की अच्छी हैल्थ के लिए विटामिन ए बहुत ही आवश्यक तत्त्व माना जाता है. लेकिन जब हम इसे लेते हैं या फिर स्किन के जरीए अवशोषित करते हैं तो हमारा शरीर इसे रैटिनोल में बदल देता है. बहुत सारे ऐंटीएजिंग स्किन केयर प्रोडक्ट्स में रैटिनौइड्स होते हैं, जो एक तरह का रैटिनोल होता है, जिस में ऐक्ने व   झुर्रियों से लड़ने की क्षमता होती है. रैटिनौइड्स डैड स्किन को ऐक्सफौलिएट कर के तेजी से कोलेजन के निर्माण में मदद करता है.

लेकिन ओवर द काउंटर मैडिसिंस की तुलना में प्रैसक्राइब्ड मैडिसिन में काफी ज्यादा मात्रा में रैटिनौइड्स होते हैं. लेकिन जब जरूरत से ज्यादा इन का इस्तेमाल किया जाता है तो ये बच्चे में कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं. इसलिए इन का इस्तेमाल प्रैगनैंसी के दौरान स्किन केयर प्रोडक्ट्स में करने से बचना चाहिए.

सैलिसिलिक ऐसिड: ज्यादा मात्रा में सैलिसिलिक ऐसिड में एस्पिरिन की तुलना में ऐंटीइन्फ्लैमेटरी प्रौपर्टीज होती हैं, जो आमतौर पर हमेशा ऐक्ने को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इसलिए डाक्टर के बिना पूछे सैलिसिलिक ऐसिड युक्त क्रीम्स का इस्तेमाल प्रैगनैंसी के दौरान न करें क्योंकि अकसर डाक्टर जरूरत पड़ने पर 2% से कम वाले सैलिसिलिक ऐसिड का इस्तेमाल करने की ही सलाह देते हैं. अत: अगर आप ज्यादा मात्रा में इस का इस्तेमाल करती हैं तो यह नुकसान ही पहुंचाने का काम करेगा.

सनस्क्रीन: सनस्क्रीन में सब से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला अल्ट्रावायलेट फिल्टर औक्सीबेंजोन व इस के विभिन प्रकार हैं. हालांकि यह स्किन को प्रोटैक्ट करने का काम करता है. लेकिन औक्सीबेंजोन स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए सही नहीं माना जाता क्योंकि यह एक ऐंडोक्राइन डिसरूपटर है. इसलिए यह आशंका रहती है कि प्रैगनैंसी के दौरान यह हारमोंस का संतुलन बिगाड़ने के साथसाथ मां व बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.

हेयर डाई: हेयर कलर्स में अमोनिया और पैरौक्साइड होता है जो स्कैल्प के जरीए शरीर में जा कर जलन, ऐलर्जी व कई अन्य नकारात्मक प्रभाव डालने का काम करता है.

अब जानते हैं अल्टरनेटिव  सेफ स्किन केयर इनग्रीडिऐंट्स के बारे में:

हाइपरपिगमैंटेशन: अगर आप प्रैगनैंसी के दौरान ऐक्ने व स्किन पिगमैंटेशन की समस्या से परेशान हैं, तो रैटिनौइड बेस्ड कौस्मैटिक्स की जगह, जिस में ग्लाइकोलिक ऐसिड इन्ग्रीडिएंट हो, उस का इस्तेमाल करें क्योंकि यह हैल्दी स्किन सैल्स को प्रमोट कर के आप के प्रैगनैंसी के ग्लो को भी बनाए रखने का काम करता है.

ऐंटीएजिंग: विटामिन सी जिस तरह से आप की इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है, उसी तरह से विटामिन सी जैसा ऐंटीऔक्सीडैंट कोलेजन को बनाए रखने व स्किन को फ्री रैडिकल्स से बचाए रखने का भी काम करता है. इसी के साथ आप प्रैगनैंसी के दौरान अन्य ऐंटीऔक्सीडैंट्स जैसे विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी-3 व ग्रीन टी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

ड्राई स्किन ऐंड स्ट्रैच मार्क्स: इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि प्रैगनैंसी के दौरान शरीर पर काफी दबाव व भार पड़ता है और गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी समय पानी की जरूरत होती है, तो वह आप से ही इसकी पूर्ति करता है. इस से स्किन ड्राई हो जाती है. रूखी त्वचा इस का व हारमोंस के असंतुलन का ही परिणाम है. ऐसे में अगर आप स्ट्रैच मार्क्स से बचना चाहती हैं तो आप को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप की स्किन ड्राई न हो.

इस के लिए आप स्वीट आमंड औयल, सीसम या ओलिव औयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. आप लैवेंडर औयल, रोज औयल, जैसमिन औयल का भी बिना डरे इस्तेमाल कर के ड्राई स्किन व स्ट्रैच मार्क्स की समस्या से छुटकारा पा सकती हैं.

सन प्रोटैक्शन: स्किन को धूप से बचाना बहुत जरूरी होता है. अगर आप की स्किन धूप से बची रहेगी तो स्किन कैंसर के साथसाथ   झुर्रियों का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाएगा. ऐसे में आप प्रैगनैंसी के दौरान नैचुरल सनस्क्रीन के तौर पर रसभरी सीड औयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. प्रैगनैंसी के दौरान कैमिकल वाले सनस्क्रीन की जगह मिनरल बेस्ड सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करें.

गरबा 2022: एक्सपर्ट से जानें किस तरह की है अपनी स्किन

खूबसूरत दिखने के लिए सिर्फ मेकअप की जरूरत नही होती हमारी स्किन का खूबसूरत होना भी बेहद जरूरी है. और उसके लिए स्किन की देखभाल बहुत आवश्यक स्किन की देखभाल एक कला और विज्ञान दोनों है, जिसे सावधानीपूर्वक और सोच-समझकर करने की आवश्यकता है.

स्किन की देखभाल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू 10 लम्बे स्टेप्स की दिनचर्या या विदेशी सामग्री का उपयोग नहीं करना है, बल्कि सही उत्पाद ढूंढना है जो आपके लिए प्रभावी ढंग से काम करते हैं. स्किन की देखभाल वाले उत्पादों में वो जादुई एक-आकार-फिट-सभी वाला विकल्प नहीं होता है, इसलिए अपनी स्किन की देखभाल की दिनचर्या का अधिकतम लाभ उठाने और इसकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपनी स्किन के प्रकार को जानना अनिवार्य है.

इस बारे में बता रहीं हैं-रिया वशिष्ठ सेलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट प्रोस्थेटिक FX व् स्पेशल इफेक्ट्स एक्सपर्ट USA  सर्टिफाइड.

क्यों है जरुरी ये जानना की मेरी स्किन किस प्रकार की है ?

जहाँ बात हमारी स्किन की आती है तो हम सभी अच्छे से अच्छे प्रोडक्ट्स खरीदना व इस्तेमाल करना चाहते हैं, मगर ये नहीं जानते की कौन सा प्रोडक्ट ले और कौनसा नही. बाज़ारों में बड़ी मात्रा में काफी स्किनकेयर प्रोडक्ट्स हैं जो हर तरह की स्किन के लिए बने हैं. इसीलिए आपका ये जानना बेहद जरुरी है कि आपकी स्किन किस प्रकार कि है ताकि जब आप किसी भी प्रोडक्ट का उपयोग करें तो उससे आपकी नेचुरल स्किन को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंच पाए. बिना ये जाने कि आपकी स्किन पर किस प्रकार का प्रोडक्ट इस्तेमाल करना सुरक्षित हैं और आपकी स्किन किस प्रकार कि है, यदि आप कोई भी मनभावन प्रोडक्ट का उपयोग करते हैं तो उससे भविष्य में आपकी स्किन पर स्किन एलर्जी, मुहांसे, चेहरे पर ज्यादा आयल आना, अधिक मात्रा में स्किन का सूखेपन से खिचाव व लाल पड़ जाना, इत्यादि तकलीफों से गुजरना पड़ सकता है.

इन सभी तरह कि परेशानियों से बचने के लिए तथा अपनी स्किन को नैचुरली स्वस्थ रखने के लिए आइये जानते हैं कि हम घर पर ही टेस्ट करने के बहुत आसान से टिप्स.

टेस्ट करने के आसान टिप्स-

1 )  एक रात पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह से धो लें और उसके बाद किसी भी तरह के नाईट केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें न ही कोई और क्रीम या टोनर या कुछ भी लगाएं.

2 )  चेहरे को अच्छी तरह से धोने के बाद, अब आप जाके सो जाएं मगर बिना किसी आर्टिफीसियल एयर कंडीशनिंग के.

3 ) सुबह जब आप उठें तो सबसे पहले अपने चेहरे को एकदम बीचों बीच यानी कि ‘ टी ” जोन हिस्से को छू कर देखें. ये ‘ टी ‘ जोन वाला हिस्सा हमारे चेहरे का बीच वाला भाग होता है जिसमें माथा, नाक वे ठोड़ी आते हैं. और उसके बाद अपने चेहरे का ‘ सी ‘ जोन यानी कि बाहरी आउटलाइन वाला भाग छू कर देखें.

यदि आपका ‘ टी ‘ जोन चिपचिपा या ऑयली है तो समझें कि आपकी स्किन ऑयली स्किन है.  और यदि आपका ‘ टी ‘ जोन ऑयली है परन्तु ‘ सी ‘ जोन ड्राई है तो इसका मतलब ह कि आपकी स्किन नार्मल है.

इस टेस्ट के बाद यदि आपको अपनी स्किन में सूखापन महसूस हो रहा है या फिर खुजली या तनाव महसूस हो रहा है बोलने, हंसने पर, तो ये साबित होता है कि आपकी स्किन ड्राई है.

इस टेस्ट के आलावा एक और तरीका है जोकि इसी तरह बेहद आसान है. आप अपने चेहरे को शीशे में निहार कर भी समझ सकते हैं कि आपकी स्किन किस प्रकार कि है.

टेस्ट करने का दूसरा तरीका-

1 ) जैसे ही आप अपने चेहरे को शीशे में देखेंगे और आपको दिखता है कि ‘ टी ‘ जोन वाला भाग में रोम छिद्र चौड़े खुले हुए हैं तथा चेहरा दिखने में फ्रेश नहीं लग रहा है बल्कि काफी थका हुआ वो पहले से थोड़ा काला पड़ा हुआ है, तो आपकी स्किन ऑयली है जिसपे मुहांसे बड़ी ही आसानी से हो जाते हैं.

2 ) यदि आपको आपकी स्किन सही तरह से फैली हुई, फ्रेश, चिकनी व काफी सुकून भरा चेहरा लग रहा है तो यक़ीनन आपकी स्किन नार्मल है या साथ में बहुत हलकी सी ड्राई है.

3 ) ध्यान देने वाली बात अब है कि अगर आपकी स्किन को ज़रा सा भी चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा हो या फिर चेहरे पे लालपन आ रहा हो किसी भी भाग में परतदार लग रही हो तो समझ जाएं कि आपकी स्किन ड्राई है और काफी नाजुक है.

यदि आप अपने चेहरे को अब पानी से अच्छे से धो लेते हैं और फिर भी आपको स्किन पर एक जलन सी महसूस होती हैं, उसके बाद अगर आप अपनी रोज़ाना लगाने वाली डे क्रीम लगाते हैं मगर फिर भी जलन होती है, तो निश्चित रूप से आपकी स्किन काफी ड्राई है, जिसकी रक्षा व सुरक्षा दोनों ही महत्वपुर्ण हैं.

देखिये इतना ही आसान है अपनी स्किन के प्रकार का पता लगाना वे उसके हिसाब से प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना. मगर साथ साथ ये समझना भी जरुरी है कि हमारी स्किन हमेशा ऐसी ही नहीं रहती, वह और भी कई तथ्यों पर निर्भर करती है, जैसे कि -:

– हमारा स्वास्थ्य

– हमारी उम्र

– मौसम

– तापमान ( अंदर, बहार, ऐसी कि कूलिंग, इत्यादि )

– प्रदूषण

– स्मोकिंग, इत्यादि.

स्किन में उम्र के साथ बदलाव-

उम्र के साथ हमारी स्किन में बदलाव आते रहते हैं इसीलिए ये जानना बहुत जरुरी है कि स्किन में बदलाव कब आ रहा है और किस वजह से आ रहा है, और आपको कैसे अपने स्किनकेयर कि रोजमर्या के दिनचर्या को बदलना है स्किन के अनुसार.

यदि आप अपनी स्किन को अच्छे से पहचान जायेंगे तो आपको ये भी बहुत अच्छे से ध्यान रहेगा कि उसका ख्याल कैसे रखना है.

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