गर्भाशय फाइब्रौयड: समय पर कराएं इलाज

अगर गर्भाशय में किसी भी तरह का  सिस्ट या फाइब्रौयड है तो ऐसी स्थिति में मां बनना संभव नहीं हो पाता. इस के अलावा ओवरी सिंड्रोम, खून की कमी आदि कई ऐसी बीमारियां हैं जो देखने मे तो छोटी लगती हैं पर बच्चा पैदा करने के लिए यही सब समस्याएं बहुत बड़ी बन जाती हैं.

गर्भाशय में विकसित होने वाले गैरकैंसरकारी (बिनाइन) गर्भाशय फाइब्रौयड महिलाओं के बां?ापन के सब से प्रमुख कारणों में से एक है.

गर्भाशय फाइब्रौयड फैलोपियन ट्यूब्स को बाधित कर या निषेचित अंडे को गर्भाशय में प्रत्यारोपित होने से रोक कर प्रजनन क्षमता को बिगाड़ सकता है. गर्भाशय में जगह कम होने के कारण, बड़े फाइब्रौयड्स भ्रूण को पूरी तरह से विकसित होने से रोक सकते हैं.

फाइब्रौयड प्लैसेंटा के फटने के जोखिम को बढ़ा सकता है क्योंकि प्लैसेंटा फाइब्रौयड द्वारा अवरुद्ध हो जाता है और गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है, जिस की वजह से भ्रूण को औक्सीजन और पोषक तत्त्व कम मात्रा में मिलते हैं. इस से समय से पहले जन्म या गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है.

गर्भाशय फाइब्रौयड्स गर्भाशय की मांसपेशियों के ऊतकों के बिनाइन (गैरकैंसरकारी) ट्यूमर हैं. उन्हें मायोमा या लेयोमायोमा के रूप में भी जाना जाता है. फाइब्रौयड तब बनते हैं जब गर्भाशय की दीवार में एकल पेशी कोशिका कई गुना बढ़ जाती है और एक गैरकैंसरयुक्त ट्यूमर में बदल जाती है.

फाइब्रौयड छोटे दाने के आकार से ले कर बड़े आकार का हो सकता है, जो गर्भाशय को विकृत और बड़ा करता है. फाइब्रौयड का स्थान, आकार और संख्या निर्धारित करती है कि क्या वे लक्षण पैदा करेंगे या इलाज कराने की जरूरत है.

गर्भाशय फाइब्रौयड उन के स्थान के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं. इन्हें 3 बड़ी श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

सबसेरोसल फाइब्रौयड:

यह गर्भाशय की दीवार के बाहरी हिस्से में विकसित होता है. इस तरह के फाइब्रौयड ट्यूमर बाहरी हिस्से में विकसित हो सकते हैं और आकार में बढ़ सकते हैं. सबसेरोसल फाइब्रौयड ट्यूमर आसपास के अंगों पर दबाव बढ़ाने लगता है, जिस की वजह से पेडू (पैल्विक) का दर्द शुरुआती लक्षण के रूप में सामने आता है.

इंट्राम्यूरल फाइब्रौयड:

इंट्राम्यूरल फाइब्रौयड गर्भाशय की दीवार के अंदर विकसित होता है और वहां बढ़ता है. जब इंट्राम्यूरल फाइब्रौयड का आकार बढ़ता है तो उस की वजह से गर्भाशय का आकार सामान्य से ज्यादा हो जाता है. जैसेजैसे फाइब्रौयड का आकार बढ़ता है, उस की वजह से माहवारी में रक्तस्राव ज्यादा होता है, पेडू में दर्द और बारबार पेशाब जाने की समस्या हो जाती है.

सबम्यूकोसल फाइब्रौयड:

यह फाइब्रौयड गर्भाशयगुहा की परत के ठीक नीचे बनता है. बड़े आकार के सबम्यूकोसल फाइब्रौयड्स गर्भाशयगुहा के आकार को बढ़ा सकते हैं और फेलोपियन ट्यूब्स को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिस की वजह से प्रजनन में समस्याएं होने लगती हैं. इस से जुड़े लक्षणों में शामिल हैं, माहवारी में अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव और लंबे समय तक माहवारी आना.

कैसे पहचान करें

पेडू की जांच, लैब टैस्ट और इमेजिंग टैस्ट के जरीए गर्भाशय फाइब्रौयड्स का पता लगाया जाता है. इमेजिंग टैस्ट का इस्तेमाल गर्भाशय की असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है. इस में पेट का अल्ट्रासाउंड, योनि का अल्ट्रासाउंड और हिस्टेरोस्कोपी शामिल होती है. हिस्टेरोस्कोपी के दौरान हिस्टेरोस्कोप नाम की एक छोटी हलकी दूरबीन को सर्विक्स के जरीए गर्भाशय में डाला जाता है.

स्लाइन इंजैक्शन के बाद गर्भाशयगुहा फैल जाएगी, जिस से स्त्रीरोग विशेषज्ञा गर्भाशय की दीवारों और फैलोपियन ट्यूब्स के मुख की जांच कर पाती हैं. कुछ मामलों में एमआरआई की भी जरूरत पड़ सकती है.

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