अगर गर्भाशय में किसी भी तरह का  सिस्ट या फाइब्रौयड है तो ऐसी स्थिति में मां बनना संभव नहीं हो पाता. इस के अलावा ओवरी सिंड्रोम, खून की कमी आदि कई ऐसी बीमारियां हैं जो देखने मे तो छोटी लगती हैं पर बच्चा पैदा करने के लिए यही सब समस्याएं बहुत बड़ी बन जाती हैं.

गर्भाशय में विकसित होने वाले गैरकैंसरकारी (बिनाइन) गर्भाशय फाइब्रौयड महिलाओं के बां?ापन के सब से प्रमुख कारणों में से एक है.

गर्भाशय फाइब्रौयड फैलोपियन ट्यूब्स को बाधित कर या निषेचित अंडे को गर्भाशय में प्रत्यारोपित होने से रोक कर प्रजनन क्षमता को बिगाड़ सकता है. गर्भाशय में जगह कम होने के कारण, बड़े फाइब्रौयड्स भ्रूण को पूरी तरह से विकसित होने से रोक सकते हैं.

फाइब्रौयड प्लैसेंटा के फटने के जोखिम को बढ़ा सकता है क्योंकि प्लैसेंटा फाइब्रौयड द्वारा अवरुद्ध हो जाता है और गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है, जिस की वजह से भ्रूण को औक्सीजन और पोषक तत्त्व कम मात्रा में मिलते हैं. इस से समय से पहले जन्म या गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है.

गर्भाशय फाइब्रौयड्स गर्भाशय की मांसपेशियों के ऊतकों के बिनाइन (गैरकैंसरकारी) ट्यूमर हैं. उन्हें मायोमा या लेयोमायोमा के रूप में भी जाना जाता है. फाइब्रौयड तब बनते हैं जब गर्भाशय की दीवार में एकल पेशी कोशिका कई गुना बढ़ जाती है और एक गैरकैंसरयुक्त ट्यूमर में बदल जाती है.

फाइब्रौयड छोटे दाने के आकार से ले कर बड़े आकार का हो सकता है, जो गर्भाशय को विकृत और बड़ा करता है. फाइब्रौयड का स्थान, आकार और संख्या निर्धारित करती है कि क्या वे लक्षण पैदा करेंगे या इलाज कराने की जरूरत है.

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